लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

भारत में संगीत-शिक्षण

सूची भारत में संगीत-शिक्षण

१८ वीं शताब्दी में घराने एक प्रकार से औपचारिक संगीत-शिक्षा के केन्द्र थे परन्तु ब्रिटिश शासनकाल का आविर्भाव होने पर घरानों की रूपरेखा कुछ शिथिल होने लगी क्योंकि पाश्चात्य संस्कृति के व्यवस्थापक कला की अपेक्षा वैज्ञानिक प्रगति को अधिक मान्यता देते थे और आध्यात्म की अपेक्षा इस संस्कृति में भौतिकवाद प्रबल था। भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि के अन्तर्गत कला को जो पवित्रता एवं आस्था का स्थान प्राप्त था तथा जिसे कुछ मुसलमान शासकों ने भी प्रश्रय दिया और संगीत को मनोरंजन का उपकरण मानते हुए भी इसके साधना पक्ष को विस्मृत न करते हुए संगीतज्ञों तथा शास्त्रकारों को राज्य अथवा रियासतों की ओर से सहायता दे कर संगीत के विकासात्मक पक्ष को विस्मृत नहीं किया। परन्तु ब्रिटिश राज्य के व्यस्थापकों ने संगीत कला के प्रति भौतिकवादी दृष्टिकोण अपना कर उसे यद्यपि व्यक्तित्व के विकास का अंग माना परन्तु यह दृष्टिकोण आध्यात्मिकता के धरातल पर स्थित न था। उन्होंने अन्य विषयों के समान ही एक विषय के रूप में ही इसे स्वीकार किया, परन्तु वैज्ञानिक प्रगति की प्रभावशीलता के कारण यह विषय अन्य पाठ्य विषयों के बीच लगभग उपेक्षित ही रहा। .

5 संबंधों: भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय, भारतीय संगीत का इतिहास, स्वरलिपि, विष्णु दिगंबर पलुस्कर, गान्धर्व महाविद्यालय

भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय

भातखण्डे संगीत संस्थान विश्वविद्यालय लखनऊ में स्थित भारत का एक बड़ा ललित-कला (नृत्य-संगीत) समविश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय का नाम यहां के महान संगीतकार पंडित विष्णु नारायण भातखण्डे के नाम पर रखा हुआ है। इस महाविद्यालय की स्थापना १९२६ में राय उमानाथ बली एवं राजराजेश्वर बली, संयुक्त प्रान्त के तत्कालीन शिक्षा मंत्री के प्रयासों से पंडित भातखंडे द्वारा की गई थी। पूर्व नाम मैरिस कॉलेज ऑव म्यूज़िक हुआ करता था। यह संगीत का पवित्र मंदिर है। श्रीलंका, नेपाल आदि बहुत से एशियाई देशों एवं विश्व भर से साधक यहाँ नृत्य-संगीत की साधना करने आते हैं। लखनऊ ने कई विख्यात गायक दिये हैं, जिनमें से नौशाद अली, तलत महमूद, अनूप जलोटा और बाबा सहगल कुछ हैं। .

नई!!: भारत में संगीत-शिक्षण और भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय · और देखें »

भारतीय संगीत का इतिहास

पाँच गन्धर्व (चौथी-पाँचवीं शताब्दी, भारत के उत्तर-पश्चिम भाग से प्राप्त) प्रगैतिहासिक काल से ही भारत में संगीत कीसमृद्ध परम्परा रही है। गिने-चुने देशों में ही संगीत की इतनी पुरानी एवं इतनी समृद्ध परम्परा पायी जाती है। माना जाता है कि संगीत का प्रारम्भ सिंधु घाटी की सभ्यता के काल में हुआ हालांकि इस दावे के एकमात्र साक्ष्य हैं उस समय की एक नृत्य बाला की मुद्रा में कांस्य मूर्ति और नृत्य, नाटक और संगीत के देवता रूद्र अथवा शिव की पूजा का प्रचलन। सिंधु घाटी की सभ्यता के पतन के पश्चात् वैदिक संगीत की अवस्था का प्रारम्भ हुआ जिसमें संगीत की शैली में भजनों और मंत्रों के उच्चारण से ईश्वर की पूजा और अर्चना की जाती थी। इसके अतिरिक्त दो भारतीय महाकाव्यों - रामायण और महाभारत की रचना में संगीत का मुख्य प्रभाव रहा। भारत में सांस्कृतिक काल से लेकर आधुनिक युग तक आते-आते संगीत की शैली और पद्धति में जबरदस्त परिवर्तन हुआ है। भारतीय संगीत के इतिहास के महान संगीतकारों जैसे कि स्वामी हरिदास, तानसेन, अमीर खुसरो आदि ने भारतीय संगीत की उन्नति में बहुत योगदान किया है जिसकी कीर्ति को पंडित रवि शंकर, भीमसेन गुरूराज जोशी, पंडित जसराज, प्रभा अत्रे, सुल्तान खान आदि जैसे संगीत प्रेमियों ने आज के युग में भी कायम रखा हुआ है। भारतीय संगीत में यह माना गया है कि संगीत के आदि प्रेरक शिव और सरस्वती है। इसका तात्पर्य यही जान पड़ता है कि मानव इतनी उच्च कला को बिना किसी दैवी प्रेरणा के, केवल अपने बल पर, विकसित नहीं कर सकता। .

नई!!: भारत में संगीत-शिक्षण और भारतीय संगीत का इतिहास · और देखें »

स्वरलिपि

हिन्दी स्वरलिपि स्वरलिपि भारतीय शास्त्रीय संगीत को लिखित रूप में निरूपित करने के लिए प्रयुक्त प्रणाली है। .

नई!!: भारत में संगीत-शिक्षण और स्वरलिपि · और देखें »

विष्णु दिगंबर पलुस्कर

विष्णु दिगंबर पलुस्कर विष्णु दिगम्बर पलुस्कर (१८ अगस्त १८७२ - २१ अगस्त १९३१) हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में एक विशिष्ट प्रतिभा थे, जिन्होंने भारतीय संगीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे भारतीय समाज में संगीत और संगीतकार की उच्च प्रतिष्ठा के पुनरुद्धारक, समर्थ संगीतगुरु, अप्रतिम कंठस्वर एवं गायनकौशल के घनी भक्तहृदय गायक। पलुस्कर ने स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में महात्मा गांधी की सभाओं सहित विभिन्न मंचों पर रामधुन गाकर हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाया। पलुस्कर ने लाहौर में गान्धर्व विद्यालय की स्थापना कर भारतीय संगीत को एक विशिष्ट स्थान दिया। इसके अलावा उन्होंने अपने समय की तमाम धुनों की स्वरलिपियों को संग्रहित कर आधुनिक पीढ़ी के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान दिया। .

नई!!: भारत में संगीत-शिक्षण और विष्णु दिगंबर पलुस्कर · और देखें »

गान्धर्व महाविद्यालय

गान्धर्व महाविद्यालय भारत का एक प्रमुख संगीत शिक्षण संस्थान है। यह दिल्ली में स्थित है। .

नई!!: भारत में संगीत-शिक्षण और गान्धर्व महाविद्यालय · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »