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भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक

सूची भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक

भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (अंग्रेजी: Comptroller and Auditor General of India संक्षिप्त नाम: CAG) भारतीय संविधान के अध्याय ५ द्वारा स्थापित एक प्राधिकारी है जो भारत सरकार तथा सभी प्रादेशिक सरकारों के सभी तरह के लेखों का अंकेक्षण करता है। वह सरकार के स्वामित्व वाली कम्पनियों का भी अंकेक्षण करता है। उसकी रिपोर्ट पर सार्वजनिक लेखा समितियाँ ध्यान देती है। भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक एक सवतंत्र संस्था के रूप में कार्य करते हैं और इस पर सरकार का नियंत्रण नहीं होता| भारत के नियन्त्र और महालेखापरीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती हैं| नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक ही भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा का भी मुखिया होता है। इस समय पूरे भारत की इस सार्वजनिक संस्था में ५८ हजार से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक का कार्यालय 10 बहादुर शाह जफर मार्ग पर नई दिल्ली में स्थित है। वर्तमान समय में इस संस्थान के मुखिया राजीव महर्षि हैं। वे भारत के 13वें नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक हैं। इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की उम्र, जो भी पहले होगा, की अवधि के लिए राष्टपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।केन्द अथवा राज्य सरकार के अनुरोध पर किसी भी सरकारी विभाग की जाँच करता है। .

8 संबंधों: त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी, महालेखानियंत्रक, राजीव महर्षि, लेखापरीक्षा, लोक लेखा समिति (भारत), शशिकांत शर्मा, विनोद राय, २जी स्पेक्ट्रम मामला

त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी

त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी (अंग्रेजी: T.N. Chaturvedi, जन्म: 18 जनवरी 1928) सन् 2002 से 2007 तक कर्नाटक प्रान्त के राज्यपाल रह चुके हैं। अवकाश प्राप्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी चतुर्वेदी 1984 से 1990 तक भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक पद पर भी रहे। उन्हें भारत सरकार ने सन् 1990 में पद्म विभूषण से अलंकृत किया।.

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महालेखानियंत्रक

कोई विवरण नहीं।

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राजीव महर्षि

राजीव महर्षि भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक तथा संयुक्त राष्ट्र में बॉर्ड ऑफ ऑडिटर के अध्यक्ष हैं | वे पूर्व भारत के गृह सचिव तथा भारत के वित्त सचिव रह चुके हैं। वे 1978 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वित्त सचिव मंत्रालय का वरिष्ठतम आईएएस अधिकारी होता है जो मंत्रालय के विभिन्न विभागों के काम-काज में समन्वय रखता है। इनसे पूर्व इस पद पर श्री अरविंद मायाराम कार्यरत थे जिनका स्थानांतरण अक्टूबर 2014 में पर्यटन मंत्रालय में हो गया। .

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लेखापरीक्षा

लेखा परीक्षा, अंकेक्षण या ऑडिट (audit) का सबसे व्यापक अर्थ किसी व्यक्ति, संस्था, तन्त्र, प्रक्रिया, परियोजना या उत्पाद का मूल्यांकन करना है। लेखा परीक्षा यह सुनिश्चित करने के लिये की जाती है कि दी गयी सूचना वैध एवं विश्वसनीय है। इससे उस तन्त्र के आन्तरिक नियन्त्रण का भी मूल्यांकन प्राप्त होता है। लेखा परीक्षा का उद्देश्य यह होता है कि लेखा परीक्षा के बाद व्यक्ति/संस्था/तन्त्र/प्रक्रिया के बार में एक राय या विचार व्यक्त किया जाय। वित्तीय लेखा परीक्षा (financial audits) की स्थिति में वित्त सम्बन्धी कथनों (statements) को सत्य एवं त्रुटिरहित घोषित किया जाता है यदि उनमें गलत कथन न हों। परम्परागत रूप से लेखा परीक्षा मुख्यत: किसी कम्पनी या किसी वाणिज्यिक संस्था के वित्तीय रिकार्डों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिये की जाती थी। किन्तु आजकल आडिट के अन्तर्गत अन्य सूचनाएँ (जैसे पर्यावरण की दृष्टि से कामकाज की स्थिति) भी सम्मिलित की जाने लगी हैं। .

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लोक लेखा समिति (भारत)

लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee (PAC)) भारतीय संसद के कुछ चुने हुए सदस्यों वाली समिति है जो भारत सरकार के खर्चों की लेखा परीक्षा (auditing) करती है। यह समिति संसद द्वारा निर्मित है। लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति (Estimates Committee) की 'जुड़वा बहन' के रूप में जानी जाती है। इस समिति में 22 सदस्य होते हैं, जिसमें 15 सदस्य लोकसभा द्वारा तथा 7 सदस्य राज्य सभा द्वारा एक वर्ष के लिये निर्वाचित किए जाते हैं। यह समिति भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक द्वारा दिये गये लेखा परीक्षण सम्बन्धी प्रतिवेदनों की जाँच करती है। .

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शशिकांत शर्मा

शशिकांत शर्मा भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक हैं। 23 मई 2013 को राष्‍ट्रपति‍ श्री प्रणब मुखर्जी ने उन्हें इस पद की शपथ दि‍लाई। उनका कार्यकाल 24 सि‍तम्‍बर, 2017 तक होगा। .

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विनोद राय

विनोद राय (जन्म: 23 मई 1948) भारत के ११वें नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक थे। इस पद पर वे 7 जनवरी 2008 से २२ मई २०१३ तक थे। यूपीए सरकार द्वारा किये गये लाखों करोड़ रुपये के टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला एवं कोयला घोटाला की सनसनीखेज रिपोर्टों के कारण वे चर्चा में आये थे। सम्प्रति वे संयुक्त राष्ट्र के बाहरी लेखापरीक्षकों के अध्यक्ष हैं। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज से अर्थशास्त्र में एम०ए० हैं इसके अतिरिक्त उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर की उपाधि भी प्राप्त कर रखी है। १९७२ बैच के आई०ए०एस० अधिकारी रहे विनोद राय इससे पूर्व कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं। जब प्रधानमन्त्री कार्यालय के राज्य मन्त्री वी० नारायणसामी ने सार्वजनिक रूप से मीडिया के सामने यह बयान दिया कि "सीएजी को सरकारी स्कीमों में हो रहे स्कैमों पर अपनी टिप्पणी देने का कोई अधिकार ही नहीं है, इससे भारत के नियन्त्रक एवं महालेखाकार की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगता है।" तो विनोद राय को स्वयं अपने बचाव में कहना पड़ा कि सीएजी का यह मूलभूत और नैतिक दायित्व है कि वह सरकार के कामकाज में दखल न देते हुए भी आर्थिक मामलों में पायी गयी अनियमितताएँ उसे बताये ताकि संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों की रक्षा की जा सके और सरकार पर नियन्त्रण बना रहे। यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह देश की जनता के साथ विश्वासघात होगा।.

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२जी स्पेक्ट्रम मामला

२जी स्पेक्ट्रम मामला भारत का एक कथित घोटाला था जो सन् २०११ के आरम्भ में प्रकाश में आया था। दिसम्बर 2017 में CBI कोर्ट ने इस मुकद्दमे के सभी आरोपियों को रिहा कर दिया और कहा की ये ग़लत मुकद्दमा किया गया था। वास्तव में ये घोटाला हुआ ही नहीं था। .

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