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भारत की स्वतन्त्रता

सूची भारत की स्वतन्त्रता

भारत का ध्वज भारत की स्वतंत्रता से तात्पर्य ब्रिटिश शासन द्वारा 15 अगस्त, 1947 को भारत की सत्ता का हस्तांतरण भारत की जनता के प्रतिनिधियों को किए जाने से है। इस दिन दिल्ली के लाल किले पर भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर स्वाधीनता का ऐलान किया। भारत के स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत 1857 में हुए सिपाही विद्रोह को माना जाता है। स्वाधीनता के लिए हजारों लोगो ने जान की बली दी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1930 कांग्रेस अधिवेशन में अंग्रेजो से पूर्ण स्वराज की मांग की थी। .

55 संबंधों: चमन, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, ध्रोल राज्य, नागौद रियासत, नवानगर रियासत, पिशीन, प्रतिज्ञप्ति, बेगम जान (फ़िल्म), बीना दास, भारत, भारत में दर्शनशास्त्र, भारत में मधुमक्खी पालन, भारत का ध्वज, भारत के 500 और 1000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण, भारत के राष्ट्रपतियों की सूची, भारत के गवर्नर जनरलों की सूची, भारतीय थलसेना, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर, भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन, भारतीय विदेश सेवा, भारतीय क्रिकेट टीम, मद्रास प्रैज़िडन्सी, मरङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा, मुम्बई, मोहन बागान ए. सी., राजभवन (उत्तर प्रदेश), लेबर पार्टी, शान्ति स्वरूप भटनागर, शाहपुर (पंजाब), सफदरजंग विमानक्षेत्र, सारजेंट शिक्षा योजना, सुभाष चन्द्र बोस के राजनैतिक विचार, हिन्दी–उर्दू विवाद, हिसार, जल सर्वेक्षण, जसदण राज्य, जोगिन्दर जसवन्त सिंह, वाराणसी, विभूति नारायण सिंह, विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (भारत), ख़ारान (रियासत), ओडिशा के राज्यपालों की सूची, ओडेयर राजवंश, आन्ध्र प्रदेश, इन्दौर रियासत, कर्नाटक, कलात ख़ानत, काशी का इतिहास, केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल, ..., कोल्हापुर रियासत, अजीत प्रसाद जैन, 1 गोरखा राइफल्स, 3 गोरखा राइफल्स, 4 गोरखा राइफल्स सूचकांक विस्तार (5 अधिक) »

चमन

सन् १८९५ में खींची गई चमन के पास अफ़्ग़ान सीमाई पहरेदारों की तस्वीर चमन (Chaman) पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत के क़िला अब्दुल्लाह ज़िले की राजधानी है। यह अफ़्ग़ानिस्तान की सीमा के बहुत क़रीब है और सीमा के पार अफ़्ग़ानिस्तान के कंदहार प्रान्त का स्पिन बोल्दक शहर है। चमन की आबादी लगभग २०,००० है जिनमें से चंद-हज़ार लोग हिन्दू समुदाय के हैं। .

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दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा

दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा एक प्रमुख हिन्दीसेवी संस्था है जो भारत के दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में भारत के स्वतंत्रत होने के के काफी पहले से हिन्दी के प्रचार-प्रसार का कार्य कर रही है।;संगठन दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा का मुख्यालय टी नगर चेन्नै में है। इसके चार विभाग हैं जो दक्षिण के चार राज्यों स्थित में हैं। चार क्षेत्रीय मुख्यालय ये हैं-.

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ध्रोल राज्य

ध्रोल रियासत, ब्रिटिश भारत के बॉम्बे प्रेसीडेंसी की काठियावाड़ एजेंसी और बाद में, भारत गणराज्य के काठियावाड़ और सौराष्ट्र एजेंसी का एक शाही राज्य था। ध्रोल, ब्रिटिशकालीन भारत के उन ५६२ शाही रियासतों में से एक था, जिनके शाशकों को क्षेत्रीय स्वायत्तता प्राप्त थी। ध्रोल रियासत को ब्रिटिश ताज द्वारा ९-तोपी सलामी रियासत होने का सम्मान प्राप्त था। इस रियासत की राजधानी था काठियावाड़ के ऐतिहासिक हालार क्षेत्र में अवस्थित ध्रोल नगर। .

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नागौद रियासत

नागौद रियासत (जिसे 'नागोड`' और 'नागौद' के नाम से भी जाना जाता है), मध्य प्रदेश के आधुनिक सतना जिले में स्थित ब्रिटिशकालीन भारत का एक रियासत था। 18वीं शताब्दी तक रियासत को उसकी राजधानी उचेहरा के मूल नाम 'उचेहरा' से भी जाना जाता था। .

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नवानगर रियासत

नवानगर, सौराष्ट्र के ऐतिहासिक हालार क्षेत्र में अवस्थित एक देसी राज्य था। यह कच्छ की खाड़ी के दक्षिणी तट पर स्थित था जिसके केन्द्र में वर्त्तमान जामनगर था। इसकी स्थापना सन १५४० ईस्वी में हुई थी, और यह राज्य भारत के स्वतन्त्र होने तक विद्यमान था। वर्ष १९४८ में, आधिकारिक रूप से भारतीय संघ में अधिग्रहित कर लिया गया। इसकी राजधानी नवानगर थी, जिसे वर्तमान समय में जामनगर के नाम से जाना जाता है। नवानगर रियासत के कुल भूभाग का क्षेत्रफल था और १९०१ की जनगणना के अनुसार इसकी कुल जनसंख्या ३,३६,७७९ थी। नवानगर राज्य पर, जडेजा गोत्र के हिन्दू राजपूत वंश का राज था, जिन्हें "जाम साहब" की उपाधि से संबोधित किया जाता था। नवानगर और कच्छ राज्य के राजकुटुंब एक ही वंश के थे। ब्रिटिश संरक्षणाधीन काल में नवानगर के जाम साहब को १५ तोपों की सलामी का सम्मान प्राप्त था। ब्रिटिश राज में नवानगर, बॉम्बे प्रेसिडेंसी के काठियावाड़ एजेंसी का हिस्सा था। नवानगर में एक मुक्‍ता मात्स्यकालय (मोती समुपयोजनागार) थी, जो नवानगर की धन का सबसे बड़ा स्रोत था। इसके अलावा, नवानगर राज्य ने भारत में क्रिकेट को प्रसिद्ध करने में अहन भूमिका थी, जिसका श्रेय जाम साहब रणजीतसिंहजी जडेजा को जाता है, जो स्वयं भी एक प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी थे। रणजीतसिंहजी नवानगर के तमाम जाम साहबों में सबसे प्रसिद्ध थे, उन्हें विशेष तौर पर, भारत में क्रिकेट के विकास में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। .

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पिशीन

पिशीन (Pishin) पाकिस्तान के पश्चिमी बलोचिस्तान सूबे के पिशीन ज़िले की राजधानी है। यह एक पश्तून बहुसंख्यक इलाक़ा है और यहाँ की आम-बोली पश्तो है। किसी ज़माने में यह अफ़्ग़ानिस्तान का हिस्सा हुआ करता था लेकिन प्रथम ब्रिटिश-अफ़्ग़ान युद्ध के बाद इसे ब्रिटिश हिन्दुस्तान में सम्मिलित कर लिया गया और भारत की आज़ादी और विभाजन के बाद यह पाकिस्तान में आ गया। पिशीन में बहुत गर्मी और सर्दी दोनों पड़ती हैं। गर्मियों में तापमान ४० सेंटीग्रेड से ज्यादा और सर्दियों में शुन्य से कम जाता है। पिशीन शहर इसी नाम की पिशीन वादी में स्थित है, जो एक बहुत ही शुष्क इलाक़ा है। यहाँ कुछ फलों के पेड़ों को छोड़कर बहुत कम वृक्ष हैं।, British Association for the Advancement of Science, J. Murray, 1879,...

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प्रतिज्ञप्ति

दर्शनशास्त्र व तर्कशास्त्र में प्रतिज्ञप्ति (proposition) ऐसा वाक्य या कथन होता है जो या तो सत्य हो या फिर असत्य हो। यह आवश्यक नहीं है कि हमें यह ज्ञात हो कि प्रतिज्ञप्ति सत्य है या असत्य। उदाहरण के लिए "पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर भी जीवन है।" यह प्रतिज्ञप्ति या तो पूर्ण रूप से सत्य है या फिर असत्य है, हालांकि हम नहीं जानते कि सत्य-असत्य के इन दो विकल्पों में से वास्तविकता कौन-सी है। "भारत को स्वतंत्रता सन् 1948 में मिली थी" भी एक प्रतिज्ञप्ति जो या तो सत्य हो सकती है या असत्य। इतिहास के अध्ययन से हमें ज्ञात है कि भारत को स्वतंत्रता वास्तव में सन् 1947 में मिली थी, इसलिए हम इस प्रतिज्ञप्ति को असत्य ठहरा सकते हैं। .

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बेगम जान (फ़िल्म)

बेगम जान वर्ष 2017 की एक एक्शन-ड्रामा प्रधान फ़िल्म है जिसका निर्देशन एवं लेखन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक श्रीजीत मुखर्जी ने किया है तथा मुकेश भट्ट, विशेष भट्ट एवं प्ले एंटेरटेनमेंट ने सह निर्माण किया है। फ़िल्म के सह-निर्माताओं में साक्षी भट्टट एवं श्री वेंकटेश फ़िल्मस के एक्जिक्युटिव निर्माता कुमकुम सहगल भी सम्मिलित हैं। फ़िल्म का छायांकन गोपी भगत ने किया है। वहीं गीतकार कौसर मुनिरानंद राहत इंदौरी जी ने फ़िल्म के लिए पटकथा एवं संवाद भी लिखा है। फ़िल्म अप्रैल 14, 2017 को प्रदर्शित हुई। अभिनेत्री विद्या बालन फ़िल्म में एक वेश्यालय की मुखिया की शीर्षक भूमिका में हैं, तथा कहानी की पृष्ठभूमि में 1947 के भारतीय स्वतंत्रता के दौर में उपजी विभाजन को रखा गया है। यह बंगाली फ़िल्म राजकाहिनी की रिमेक है। .

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बीना दास

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम वीणा दास (বীণা দাস) (1911–1986) बंगाल की भारतीय क्रान्तिकारी और राष्ट्रवादी महिला थीं। ६ फरवरी १९३२ को उन्होने कलकत्ता विश्वविद्यालय के एक दीक्षान्त समारोह में अंग्रेज़ क्रिकेट कप्तान और बंगाली गर्वनर स्टनली जैक्शन की हत्या का प्रयास किया था। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत में दर्शनशास्त्र

भारत में दर्शनशास्त्र के दशा और दिशा के अध्ययन को हम दो भागों में विभक्त करके कर सकते हैं -.

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भारत में मधुमक्खी पालन

भारत में मधुमक्खी पालन का प्राचीन वेद और बौद्ध ग्रंथों में उल्लेख किया गया हैं। मध्य प्रदेश में मध्यपाषाण काल की शिला चित्रकारी में मधु संग्रह गतिविधियों को दर्शाया गया हैं। हालांकि भारत में मधुमक्खी पालन की वैज्ञानिक पद्धतियां १९वीं सदी के अंत में ही शुरू हुईं, पर मधुमक्खियों को पालना और उनके युद्ध में इस्तेमाल करने के अभिलेख १९वीं शताब्दी की शुरुआत से देखे गए हैं। भारतीय स्वतंत्रता के बाद, विभिन्न ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के माध्यम से मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित किया गया। मधुमक्खी की पाँच प्रजातियाँ भारत में पाई जाती हैं जो कि प्राकृतिक शहद और मोम उत्पादन के लिए व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। .

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भारत का ध्वज

भारत के राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहते हैं, तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच नीले रंग के एक चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है। इसकी अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी।। भास्‍कर डॉट कॉम। १५ अगस्त २००९ इसे १५ अगस्त १९४७ को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व २२ जुलाई, १९४७ को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में अपनाया गया था।। भारत के राष्ट्रीय पोर्टल पर इसमें तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियाँ हैं, जिनमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में श्वेत ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी है। ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात ३:२ है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमें २४ आरे होते हैं। इस चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है व रूप सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ के शेर के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले की तरह होता है। भारतीय राष्ट्रध्वज अपने आप मै ही भारत की निति को दर्शाता हुआ दिखाई देता है। आत्मरक्षा, शांति, समृद्धि और सदैव विकास की ओर अग्रसर। राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार झंडा खादीमें ही बनना चाहिए। यह एक विशेष प्रकार से हाथ से काते गए कपड़े से बनता है जो महात्मा गांधी द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था। इन सभी विशिष्टताओं को व्यापक रूप से भारत में सम्मान दिया जाता हैं भारतीय ध्वज संहिता के द्वारा इसके प्रदर्शन और प्रयोग पर विशेष नियंत्रण है। ध्वज का हेराल्डिक वर्णन इस प्रकार से होता है: .

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भारत के 500 और 1000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण

भारत के 500 और 1000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण, जिसे मीडिया में छोटे रूप में नोटबंदी कहा गया, की घोषणा 8 नवम्बर 2016 को रात आठ बजे (आईएसटी) भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अचानक राष्ट्र को किये गए संबोधन के द्वारा की गयी। यह संबोधन टीवी के द्वारा किया गया। इस घोषणा में 8 नवम्बर की आधी रात से देश में 500 और 1000 रुपये के नोटों को खत्म करने का ऐलान किया गया। इसका उद्देश्य केवल काले धन पर नियंत्रण ही नहीं बल्कि जाली नोटों से छुटकारा पाना भी था। - नवभारत टाइम्स - 9 नवम्बर 2016 .

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भारत के राष्ट्रपतियों की सूची

भारत का राष्ट्रपति देश का मुखिया और भारत का प्रथम नागरिक है। राष्ट्रपति के पास भारतीय सशस्त्र सेना की भी सर्वोच्च कमान है। भारत का राष्ट्रपति लोक सभा, राज्यसभा और विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुना जाता है। भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है। भारत की स्वतंत्रता से अबतक 13 राष्ट्रपति हो चुके है। भारत के राष्ट्रपति पद की स्थापना भारतीय संविधान के द्वारा की गयी है। इन 13 राष्ट्रपतियों के अलावा 3 कार्यवाहक राष्ट्रपति भी हुए हैं जो पदस्थ राष्ट्रपति की मृत्यु के बाद बनाये गए है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद थे। 7 राष्ट्रपति निर्वाचित होने से पूर्व राजनीतिक पार्टी के सदस्य रह चुके है। इनमे से 6 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और 1 जनता पार्टी के सदस्य शामिल है, जो बाद राष्ट्रपति बने। दो राष्ट्रपति, ज़ाकिर हुसैन और फ़ख़रुद्दीन अली अहमद, जिनकी पदस्थ रहते हुए मृत्यु हुई। भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी है जो 25 जुलाई 2012 को भारत के 13 वें राष्ट्रपति के तौर पर निर्वाचित हुए राष्ट्रपति रहने से पूर्व वे भारत सरकार में वित्त मंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष रह चुके है। वे मूल रूप से पश्चिम बंगाल के निवासी है इसलिए वे इस राज्य से पहले राष्ट्रपति हैं। इससे पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति है। वर्तमान में 25 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति का पद रामनाथ कोविंद को प्राप्त हुआ है। .

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भारत के गवर्नर जनरलों की सूची

भारत के गवर्नर जनरल (या, 1857 से 1947 तक, भारत के वायसराय और गवर्नर जनरल) भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश राज का प्रधान पद था। यह सूची भारत और पाकिस्तान के आजादी से पहले के सभी वायसराय और गवर्नर-जनरल, भारतीय संघ के दो गवर्नर-जनरल और पाकिस्तानी अधिराज्य के चार गवर्नर-जनरल को प्रदर्शित करती है। गवर्नर जनरल ऑफ द प्रेसीडेंसी ऑफ फोर्ट विलियम के शीर्षक के साथ इस कार्यालय को 1773 में सृजित किया गया था। 1947 में जब भारत और पाकिस्तान को आजादी मिली तब वायसराय की पदवी को हटा दिया गया, लेकिन दोनों नई रियासतों में गवर्नर-जनरल के कार्यालय को तब तक जारी रखा गया जब तक उन्होंने क्रमशः 1950 और 1956 में गणतंत्र संविधान को अपनाया.

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भारतीय थलसेना

भारतीय थलसेना, सेना की भूमि-आधारित दल की शाखा है और यह भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा अंग है। भारत का राष्ट्रपति, थलसेना का प्रधान सेनापति होता है, और इसकी कमान भारतीय थलसेनाध्यक्ष के हाथों में होती है जो कि चार-सितारा जनरल स्तर के अधिकारी होते हैं। पांच-सितारा रैंक के साथ फील्ड मार्शल की रैंक भारतीय सेना में श्रेष्ठतम सम्मान की औपचारिक स्थिति है, आजतक मात्र दो अधिकारियों को इससे सम्मानित किया गया है। भारतीय सेना का उद्भव ईस्ट इण्डिया कम्पनी, जो कि ब्रिटिश भारतीय सेना के रूप में परिवर्तित हुई थी, और भारतीय राज्यों की सेना से हुआ, जो स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय सेना के रूप में परिणत हुई। भारतीय सेना की टुकड़ी और रेजिमेंट का विविध इतिहास रहा हैं इसने दुनिया भर में कई लड़ाई और अभियानों में हिस्सा लिया है, तथा आजादी से पहले और बाद में बड़ी संख्या में युद्ध सम्मान अर्जित किये। भारतीय सेना का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता सुनिश्चित करना, राष्ट्र को बाहरी आक्रमण और आंतरिक खतरों से बचाव, और अपनी सीमाओं पर शांति और सुरक्षा को बनाए रखना हैं। यह प्राकृतिक आपदाओं और अन्य गड़बड़ी के दौरान मानवीय बचाव अभियान भी चलाते है, जैसे ऑपरेशन सूर्य आशा, और आंतरिक खतरों से निपटने के लिए सरकार द्वारा भी सहायता हेतु अनुरोध किया जा सकता है। यह भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना के साथ राष्ट्रीय शक्ति का एक प्रमुख अंग है। सेना अब तक पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ चार युद्धों तथा चीन के साथ एक युद्ध लड़ चुकी है। सेना द्वारा किए गए अन्य प्रमुख अभियानों में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन कैक्टस शामिल हैं। संघर्षों के अलावा, सेना ने शांति के समय कई बड़े अभियानों, जैसे ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स और युद्ध-अभ्यास शूरवीर का संचालन किया है। सेना ने कई देशो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में एक सक्रिय प्रतिभागी भी रहा है जिनमे साइप्रस, लेबनान, कांगो, अंगोला, कंबोडिया, वियतनाम, नामीबिया, एल साल्वाडोर, लाइबेरिया, मोज़ाम्बिक और सोमालिया आदि सम्मलित हैं। भारतीय सेना में एक सैन्य-दल (रेजिमेंट) प्रणाली है, लेकिन यह बुनियादी क्षेत्र गठन विभाजन के साथ संचालन और भौगोलिक रूप से सात कमान में विभाजित है। यह एक सर्व-स्वयंसेवी बल है और इसमें देश के सक्रिय रक्षा कर्मियों का 80% से अधिक हिस्सा है। यह 1,200,255 सक्रिय सैनिकों और 909,60 आरक्षित सैनिकों के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्थायी सेना है। सेना ने सैनिको के आधुनिकीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसे "फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री सैनिक एक प्रणाली के रूप में" के नाम से जाना जाता है इसके साथ ही यह अपने बख़्तरबंद, तोपखाने और उड्डयन शाखाओं के लिए नए संसाधनों का संग्रह एवं सुधार भी कर रहा है।.

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर भारत सरकार द्बारा १९५१ में स्थापित अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) और प्रौद्योगिकी -उन्मुख एक स्वायत्त उच्च शिक्षा संस्थान है। सात आईआईटी में यह सबसे पुरानी है। भारत सरकार ने इसे आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान माना है और इसकी गणना भारत के सर्वोत्तम इंजीनियरिंग संस्थानों में होती है। आई आई टी खड़गपुर को विभिन्न इंजीनियरिंग शिक्षा सर्वेक्षणों जैसे कि इंडिया टुडे और आउटलुक में सर्वोच्च इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक का स्थान दिया गया है। १९४७ में भारत की स्वाधीनता के बाद आई आई टी खड़गपुर की स्थापना उच्च कोटि के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को प्रसिक्षित करने के लिए हुई थी। इसका संस्थागत ढांचा दूसरी IITओं की ही तरह है और इसकी प्रवेश की विधि भी बाकी IITओं के साथ ही होती है। आई आई टी खड़गपुर के छात्रों को अनौपचारिक तौर पर केजीपिअन् (KGPians) कहा जाता है। सभी IITओं में इसका कैम्पस क्षेत्रफल सबसे ज्यादा (२१०० एकड़) है और साथ ही विभाग और छात्रों की संख्या भी सर्वाधिक है। आई आई टी खड़गपुर, इल्लुमिनेशन, रंगोली, क्षितिज और स्प्रिन्ग्फेस्ट जैसे अपने वार्षिक उत्सवों के कारण जाना जाता है। .

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भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन

* भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय आह्वानों, उत्तेजनाओं एवं प्रयत्नों से प्रेरित, भारतीय राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित अहिंसावादी और सैन्यवादी आन्दोलन था, जिनका एक समान उद्देश्य, अंग्रेजी शासन को भारतीय उपमहाद्वीप से जड़ से उखाड़ फेंकना था। इस आन्दोलन की शुरुआत १८५७ में हुए सिपाही विद्रोह को माना जाता है। स्वाधीनता के लिए हजारों लोगों ने अपने प्राणों की बलि दी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने १९३० कांग्रेस अधिवेशन में अंग्रेजो से पूर्ण स्वराज की मांग की थी। .

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भारतीय विदेश सेवा

भारतीय विदेश मन्त्रालय के कार्य को चलाने के लिए एक विशेष सेवा वर्ग का निर्माण किया गया है जिसे भारतीय विदेश सेवा (Indian Foreign Service I.F.S.) कहते हैं। यह भारत के पेशेवर राजनयिकों का एक निकाय है। यह सेवा भारत सरकार की केंद्रीय सेवाओं का हिस्सा है। भारत के विदेश सचिव भारतीय विदेश सेवा के प्रशासनिक प्रमुख होते हैं। भारतीय राजनय अब संभ्रान्त परिवारों, राजा-रजवाड़ों, सैनिक अफसरों आदि तक ही सीमित न रहकर सभी के लिए खुल गया है। सामान्य नागरिक अपनी योग्यता और शिक्षा के आधार पर इस सेवा का सदस्य बन सकता है। सन 1947-1948 की विशेष संकटकालीन भरती के अलावा विदेश सेवा के लिये चुनाव एक विशेष परीक्षा व साक्षात्कार द्वारा किया जाता है। चुनाव हो जाने के पश्चात् इन्हें एक विशेष प्रशिक्षण के लिये भेजा जाता है, जो कई भागों में पूरा होता है। इसमें शैक्षणिक विषयों का ज्ञान, विदेश भाषा की शिक्षा, एक माह के लिये विदेश दूतावास में व्यापार की शिक्षा और राष्टंमण्डल के विदेश सेवा अधिकारी प्रशिक्षण केन्द्र में डेढ़ माह का प्रशिक्षण दिया जाता है। तत्पश्चात् ही इनकी किसी विदेश दूतावास में नियुक्ति होती है। इस प्रकार प्रशिक्षित व्यावसायिक राजदूतों के अलावा सरकार समय-समय पर गैर-व्यावसायिक राजनीतिज्ञों सैनिकों, खिलाड़ियों आदि को भी राजदूत नियुक्त करती है। दूतावास में अताशों की भी नियुक्ति की जाती है। प्रधानमन्त्री कभी-कभी विशेष परिस्थितियों में अपने व्यक्तिगत प्रतिनिधि विशेष दूत अथवा घूमने वाले राजदूत (Roving Ambassador) को भी भेज सकता है। विदेश सेवा बोर्ड राजनयिक, व्यापारी एवं वाणिज्य ओर दूतावासों में अधिकारियों की नियुक्ति, उनका स्थानान्तरण और पदोन्नति के कार्य करता है। .

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भारतीय क्रिकेट टीम

भारतीय क्रिकेट टीम भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम है। भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा संचालित भारतीय क्रिकेट टीम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की पूर्णकालिक सदस्य है। भारतीय टीम दो बार क्रिकेट विश्वकप (१९८३ और २०११) अपने नाम कर चुकी है। वर्तमान में भारतीय क्रिकेट टीम के कोच रवि शास्त्री हैं। .

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मद्रास प्रैज़िडन्सी

मद्रास प्रेसीडेंसी (சென்னை மாகாணம், చెన్నపురి సంస్థానము, മദ്രാസ് പ്രസിഡന്‍സി, ಮದ್ರಾಸ್ ಪ್ರೆಸಿಡೆನ್ಸಿ, ମଦ୍ରାସ୍ ପ୍ରେସୋଦେନ୍ଚ୍ଯ), जिसे आधिकारिक तौर पर फोर्ट सेंट जॉर्ज की प्रेसीडेंसी तथा मद्रास प्रोविंस के रूप में भी जाना जाता है, ब्रिटिश भारत का एक प्रशासनिक अनुमंडल था। अपनी सबसे विस्तृत सीमा तक प्रेसीडेंसी में दक्षिण भारत के अधिकांश हिस्सों सहित वर्तमान भारतीय राज्य तमिलनाडु, उत्तरी केरल का मालाबार क्षेत्र, लक्षद्वीप द्वीपसमूह, तटीय आंध्र प्रदेश और आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र, गंजाम, मल्कानगिरी, कोरापुट, रायगढ़, नवरंगपुर और दक्षिणी उड़ीसा के गजपति जिले और बेल्लारी, दक्षिण कन्नड़ और कर्नाटक के उडुपी जिले शामिल थे। प्रेसीडेंसी की अपनी शीतकालीन राजधानी मद्रास और ग्रीष्मकालीन राजधानी ऊटाकामंड थी। 1639 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मद्रासपट्टनम गांव को खरीदा था और इसके एक साल बाद मद्रास प्रेसीडेंसी की पूर्ववर्ती, सेंट जॉर्ज किले की एजेंसी की स्थापना की थी, हालांकि मछलीपट्टनम और आर्मागोन में कंपनी के कारखाने 17वीं सदी के प्रारंभ से ही मौजूद थे। 1655 में एक बार फिर से इसकी पूर्व की स्थिति में वापस लाने से पहले एजेंसी को 1652 में एक प्रेसीडेंसी के रूप में उन्नत बनाया गया था। 1684 में इसे फिर से एक प्रेसीडेंसी के रूप में उन्नत बनाया गया और एलीहू येल को पहला प्रेसिडेंट नियुक्त किया गया। 1785 में पिट्स इंडिया एक्ट के प्रावधानों के तहत मद्रास ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा स्थापित तीन प्रांतों में से एक बन गया। उसके बाद क्षेत्र के प्रमुख को "प्रेसिडेंट" की बजाय "गवर्नर" का नाम दिया गया और कलकत्ता में गवर्नर-जनरल का अधीनस्थ बनाया गया, यह एक ऐसा पद था जो 1947 तक कायम रहा.

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मरङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा

मरङ गोमके जयपाल सिंह मुंडा अश्विनी कुमार पंकज द्वारा लिखित भारत में आदिवासी राजनीति के संस्थापक पैरोकार, झारखंड आंदोलन के सबसे बड़े नेता और भारतीय हॉकी के पहले कप्तान जयपाल सिंह मुंडा की हिंदी में प्रकाशित पहली जीवनी है। 2015 में प्रकाशित यह जीवनी जयपाल सिंह मुंडा के राजनीतिक योगदान और उनके जीवन के विविध पहलुओं को तथ्यगत रूप से सामने रखती है। .

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मुम्बई

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .

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मोहन बागान ए. सी.

मोहन बागान एथलेटिक क्लब (মোহন বাগান এ. সি.), कोलकाता में स्थित एक भारतीय फुटबॉल क्लब है। यह क्लब 15 अगस्त 1889 को स्थापित किया गया था, इसे भारत का राष्ट्रीय क्लब कहा जाता है और इसे एशिया के सबसे पुराने फुटबॉल क्लब होने का गौरव भी प्राप्त है। यह फुटबॉल टीम अपनी स्थापना के बाद से ही सफल रहा है और इसने भारत के सबसे सफल क्लबों में से एक के रूप में अपनी स्थिति को बनाए रखा है। इसने राष्ट्रीय महत्व की कई ट्राफियां जीती है जैसे- फेडरेशन कप, डूरंड कप, नेशनल फुटबॉल लीग और कोलकाता प्रीमियर डिवीजन। मोहन बागान किसी यूरोपीय टीम को हराने वाली पहली भारतीय टीम थी, जब उन्होने १९११ में ईस्ट यॉर्कशायर रेजीमेंट को हराया था। मोहन बागान की पड़ोसी ईस्ट बंगाल के साथ एक लंबे समय से प्रतिद्वंद्विता रही है, जिनके साथ यह कोलकाता डर्बी प्रतियोगिता में भाग लेते हैं। .

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राजभवन (उत्तर प्रदेश)

राजभवन लखनऊ भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के राज्यपाल का आधिकारिक आवास है। यह राज्य की राजधानी लखनऊ में स्थित है। राम नाईक उत्तर प्रदेश के वर्तमान राज्यपाल हैं। उत्तर प्रदेश का लखनऊ स्थित राजभवन लगभग २०० वर्ष पुराना है। .

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लेबर पार्टी

लेबर पार्टी ब्रिटेन की एक सेंटर - लेफ्ट यानि (उदार वामपंथी विचारधारा वाली) राजनीतिक पार्टी है। इसका जन्म उन्नीसवीं शताब्दी के मजदूर संगठनो के आंदोलन और समाजवादी राजनैतिक दलों के उदय के साथ हुआ जिसे उदार गिरिजाघर (ब्रॉड चर्च) कह के परिभाषित किया गया। इस दल की विचारधारा बहुत विस्तृत है जिसमें प्रखर समाजवाद से लेकर उदारवादी समाजवादी लोकतंत्र की विचारधारा शामिल हैं। १९०० में बनने के बाद लेबर पार्टी ने शुरुवाती १९२० के आम चुनावों में उस समय की लिब्रल पार्टी की जगह ले ली और रामसे मैक्डोनाल्ड के नेतृत्व में १९२४ और १९२९-३१ के दौरान अल्पमत की सरकारें बनाईं। १९४०-४५ के दौरान यह दल चर्चिल युद्ध मंत्रालय (Churchill war ministry) का हिस्सा रहा जिसके बाद इसने क्लीमेंट ऐट्टली के नेतृत्व में बहुमत की सरकार बनाई। लेबर दल १९६४-७० के दौरान हैरॉल्ड विल्सन के नेतृत्व वाले पहले विल्सन मंत्रीमंडल का भी हिस्सा रहा। इसके बाद 1974 से 1979, पहले विल्सन और फिर जेम्स कैलेघन के नेतृत्व में सरकार में रही। लेबर पार्टी 1997 और 2010 के दौरान टोनी ब्लेयर और गौर्डन ब्राउन के नेतृत्व में १७९ सीटों से घटकर २००१ के आम चुनावों में १६७ और फिर २००५ के चुनावों में ६६ सीटों के साथ अंतिम स्थान पर आती रही। २०१० के आम चुनावों में २५८ सीटें और २०१५ के आम चुनावों में २३२ सीटें जीतकर यह पार्टी अब ब्रिटेन की संसद में आधिकारिक विपक्ष की भूमिका निभा रही है। वेल्श के सदन में लेबर पार्टी की अल्पमत की सरकार है जबकि स्कॉटिश संसद में यह मुख्य विपक्ष की भूमिका में है और यूरोपीय संसद में इसके २० सांसद हैं जो प्रोग्रेसिव एलाएंस ऑफ सोसलिस्ट्स एंड डेमोक्रेट्स समूह के साथ बैठते हैं। लेबर दल यूरोपीय समाजवादी दल और प्रोग्रेसिव एलाएंस (अंतर्राष्ट्रीय) का एक पूर्णकालिक सदस्य है। और सोशलिस्ट इंटरनैशनल में पर्यवेक्षक की भूमिका निभा रहा है। दल के वर्तमान नेता हैरिएट हर्मन हैं जो ८ मई २०१५ को एड मिलिबैंड के त्यागपत्र देने के बाद चुने गए हैं। .

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शान्ति स्वरूप भटनागर

सर शांति स्वरूप भटनागर, OBE, FRS (२१ फरवरी १८९४ – १ जनवरी १९५५) जाने माने भारतीय वैज्ञानिक थे। इनका जन्म शाहपुर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। इनके पिता परमेश्वरी सहाय भटनागर की मृत्यु तब हो गयी थी, जब ये केवल आठ महीने के ही थे। इनका बचपन अपने ननिहाल में ही बीता। इनके नाना एक इंजीनियर थे, जिनसे इन्हें विज्ञान और अभियांत्रिकी में रुचि जागी। इन्हें यांत्रिक खिलौने, इलेक्ट्रानिक बैटरियां और तारयुक्त टेलीफोन बनाने का शौक रहा। इन्हें अपने ननिहाल से कविता का शौक भी मिला और इनका उर्दु एकांकी करामाती प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाया था। भारत में स्नातकोत्तर डिग्री पूर्ण करने के उपरांत, शोध फ़ैलोशिप पर, ये इंगलैंड गये। इन्होंने युनिवर्सिटी कालेज, लंदन से १९२१ में, रसायन शास्त्र के प्रोफ़ैसर फ़्रेड्रिक जी डोन्नान की देख रेख में, विज्ञान में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। भारत लौटने के बाद, उन्हें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से प्रोफ़ैसर पद हेतु आमंत्रण मिला। सन १९४१ में ब्रिटिश सरकार द्वारा इनकी शोध के लिये, इन्हें नाइटहुड से सम्मानित किया गया। १८ मार्च १९४३ को इन्हें फ़ैलो आफ़ रायल सोसायटी चुना गया। इनके शोध विषय में एमल्ज़न, कोलाय्ड्स और औद्योगिक रसायन शास्त्र थे। परन्तु इनके मूल योगदान चुम्बकीय-रासायनिकी के क्षेत्र में थे। इन्होंने चुम्बकत्व को रासायनिक क्रियाओं को अधिक जानने के लिये औजार के रूप में प्रयोग किया था। इन्होंने प्रो॰ आर.एन.माथुर के साथ भटनागर-माथुर इन्टरफ़ेयरेन्स संतुलन का प्रतिपादन किया था, जिसे बाद में एक ब्रिटिश कम्पनी द्वारा उत्पादन में प्रयोग भी किया गया। इन्होंने एक सुन्दर कुलगीत नामक विश्वविद्यालय गीत की रचना भी की थी। इसका प्रयोग विश्वविद्यालय में कार्यक्रमों के पहले होता आया है। भारत के प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू वैज्ञानिक प्रसार के प्रबल समर्थक थे। १९४७ में, भारतीय स्वतंत्रता के उपरांत, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की स्थापना, श्री भटनागर की अध्यक्षता में की गयी। इन्हें सी.एस.आई.आर का प्रथम महा-निदेशक बनाया गया। इन्हें शोध प्रयोगशालाओं का जनक कहा जाता है व भारत में अनेकों बड़ी रासायनिक प्रयोगशालाओं के स्थापन हेतु स्मरण किया जाता है। इन्होंने भारत में कुल बारह राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं स्थापित कीं, जिनमें प्रमुख इस प्रकार से हैं.

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शाहपुर (पंजाब)

शाहपुर (उर्दु: شاه پور) पाकिस्तान में पंजाब प्रान्त में सरगोधा जिला में पश्चिमी ओर स्थित एक शहर है। यह झेलम नदी के तट पर स्थित है। इसका पूर्व नाम रामपुर था और भारतीय स्वतंत्रता पूर्व १७वीं शताब्दी तक यहां हिन्दू बहुमत हुआ करता था। यहां सूफ़ी संत शाह शमस शिराज़ी के दिल्ली से आने के बाद इसका नाम शाहपुर हो गया। श्रेणी:पाकिस्तान के शहर श्रेणी:सरगोधा जिले के शहर.

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सफदरजंग विमानक्षेत्र

सफ़दरजंग विमानक्षेत्र (जिसे सफ़दरजंग वायुसेना स्टेशन भी कहा जाता है) भारत की राजधानी नई दिल्ली के दक्षिणी भाग में इसी नाम से बसे क्षेत्र में बना एक विमानक्षेत्र या हवाई अड्डा है। ब्रिटिश राज के समय स्थापित यह हवाई अड्डा तब विलिंग्डन एयरफ़ील्ड के नाम से आरंभ हुआ था। १९२९ में यहां प्रचालन प्रारंभ हुआ जब यह दिल्ली का पहला एवं भारत का दूसरा हवाई अड्डा बना। साउथ एटलांटिक एयर फ़ेरी मार्ग में आने के कारण इसका भरपूर उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध में, तथा कालांतर में भारत पाक युद्ध १९७४ में हुआ। कभी लूट्यन्स देल्ही के दक्षिणी छोर पर बसा यह हवाई अड्डा अब पूरे नयी दिल्ली शहर के लगभग बीच में आ गया है। १९६२ तक यह शहर का प्रमुख हवाई अड्डा बना रहा और दशक के अंत तक पूरा प्रचालन नये हवाई अड्डे पालम विमानक्षेत्र को स्थानांतरित हुआ। इसका प्रमुख कारण था इस विमानक्षेत्र का जेट विमान जैसे बड़े वायुयानों को उतार पाने में असमर्थता। १९२८ में यहीं दिल्ली फ़्लाइंग क्लब की स्थापना हुई। तब यहां देल्ही एवं रोशनारा नामक २ दे हैविलैण्ड मोठ यान हुआ करते थे। हवाई अड्डे पर प्रचालन २००१ तक चला, किन्तु जनवरी २००२ से सरकार ने ९/११ की घटना को देखते हुए उरक्षा की दृष्टि से इस हवाई अड्डे पर प्रचालन को पूर्ण विराम दिया। तब से यह क्लब यहां केवल वायुयान अनुरक्षण एवं मरम्मत पाठ्यक्रम चलाता है। आजकल इसका प्रयोग मात्र राष्ट्रपति एवं प्रधान मंत्री सहित अन्य वीवीआईपी हेलिकॉप्टर्स की पालम हवाई अड्डे तक की यात्राओं के लिये प्रयोग किया जाता है। १९० एकड़ के इस हवाई अड्डे के परिसर में, राजीव गाँधी भवन परिसर बना है, जहां भारतीय नागर विमानन मंत्रालय तथा भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण का निगमित मुख्यालय स्थापित है। .

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सारजेंट शिक्षा योजना

सारजेंट योजना का ध्येय हर भारतीय को १९८४ तक साक्षर बनाना था (१९२७ में खींची गई आंध्र प्रदेश के कस्तूरी देवी पाठशाला की तस्वीर) सारजेंट शिक्षा योजना (अंग्रेज़ी: Sergeant Scheme) भारतीय स्वतंत्रता से पहले सन् १९४४ में ब्रिटिश-भारतीय सरकार द्वारा तैयार की गई एक योजना थी जिसका ध्येय भारत को ४० वर्षों के अन्दर (यानि सन् १९८४ तक) पूर्णतः साक्षर बनाना था। इसमें शिक्षा और साक्षरता के विस्तार के मनसूबे थे जिनके परिपालन से ब्रिटिश सरकार देशभर में पाठशालाओं का जाल फैलाने और हर भारतीय को १९८४ तक पढ़ा-लिखा बनाने का ज़िम्मा लेने वाली थी।, Ram Nath Sharma, Rajendra Kumar Sharma, Atlantic Publishers & Distributors, 1996,...

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सुभाष चन्द्र बोस के राजनैतिक विचार

भारत की स्वतन्त्रता के सम्बन्ध में सुभाष चन्द्र बोस का विचार था कि भारत को पूर्ण स्वतन्त्रता मिले और शीघ्रातिशीघ्र मिले। इसके विपरीत कांग्रेस कमीटी के अधिकांश अधिकांश सदस्यों का विचार था कि भारत को पहले डोमिनियन का दर्जा मिले और फिर स्वतन्त्रता कई चरणों में मिले। .

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हिन्दी–उर्दू विवाद

भारत में राजमार्ग चिह्नों में उर्दू और हिन्दी। हिन्दी–उर्दू विवाद भारतीय उपमहाद्वीप में १९वीं सदी में आरम्भ हुआ भाषाई विवाद है। इस विवाद के कुछ मूल प्रश्न ये थे- उत्तरी भारत तथा उत्तरी-पश्चिमी भारत की भाषा का स्वरूप क्या हो, सरकारी कार्यों में किस भाषा/लिपि का प्रयोग हो, हिन्दी और उर्दू एक ही भाषा के दो रूप शैली हैं या अलग-अलग हैं (हिन्दुस्तानी देखें।) हिन्दी और उर्दू हिन्दी भाषा की खड़ी बोली की रूप को कहा जाता है और यह लगभग भारत की ४५% जनसंख्या की भाषा है जिसे विभिन्न हिन्दी, हिन्दुस्तानी और उर्दू के रूप में जाना जाता है। वास्तव में हिन्दी–उर्दू विवाद अंग्रेजी काल में शुरू हुआ था और ब्रितानी शासन ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस विवाद को बढ़ाने में मदद की। इसी क्रम में ब्रितानी शासन समाप्त होने के बाद उर्दू पाकिस्तान की राजभाषा घोषित की गयी (१९४६ में) और हिन्दी भारत की राजभाषा (१९५० में)। वर्तमान समय में कुछ मुस्लिमों के अनुसार हिन्दुओं ने उर्दू को परित्यक्त किया जबकि कुछ हिन्दुओं का विश्वास है कि मुस्लिम राज के दौरान उर्दू को कृत्रिम रूप से जनित किया गया। हिंदी और उर्दू हिंदी की खड़ी बोली के दो भिन्न साहित्यिक रूप हैं। खड़ी बोली का एक फ़ारसीकृत रूप, जो विभिन्नता से हिंदी, हिंदुस्तानी और उर्दू कहलाता था, दक्षिण एशिया के दिल्ली सल्तनत (1206-1526 AD) और मुगल सल्तनत (1526–1858 AD) के दौरान आकार लेने लगी। ईस्ट इंडिया कंपनी ने आधुनिक भारत के हिंदी बोलने वाले उत्तरी प्रांतों में फ़ारसी भाषा की जगह उर्दू लिपि में लिखित उर्दू को सरकारी मानक भाषा का दर्रजा दे दिया, अंग्रेज़ी के साथ। उन्नीसवीं सदी के आखिरी कुछ दशकों में उत्तर पश्चिमी प्रांतों और अवध में हिंदी-उर्दू विवाद का प्रस्फुटन हुआ। हिंदी और उर्दू के समर्थक क्रमशः देवनागरी और फ़ारसी लिपि में लिखित हिंदुस्तानी का पक्ष लेने लगे थे। हिंदी के आंदोलन जो देवनागरी का विकास और आधिकारिक दर्जे को हिमायत दे रहे थे उत्तरी हिंद में स्थापित हुए। बाबू शिव प्रसाद और मदनमोहन मालवीय इस आंदोलन के आरंभ के उल्लेखनीय समर्थक थे। इस के नतीजे में उर्दू आंदोलनों का निर्माण हुआ, जिन्होंने उर्दू के आधिकारिक दर्जे को समर्थन दिया; सैयद अहमद ख़ान उनके एक प्रसिद्ध समर्थक थे। सन् 1900 में, सरकार ने हिन्दी और उर्दू दोनों को समान प्रतीकात्मक दर्जा प्रदान किया जिसका मुस्लिमों ने विरोध किया और हिन्दूओं ने खुशी व्यक्त की। हिन्दी और उर्दू का भाषायीं विवाद बढ़ता गया क्योंकि हिन्दी में फारसी-व्युत्पन्न शब्दों के तुल्य औपचारिक और शैक्षिक शब्दावली का मूल संस्कृत को लिया गया। इससे हिन्दू-मुस्लिम मतभेद बढ़ने लगे और महात्मा गांधी ने मानकों का पुनः शुद्धीकरण करके पारम्परिक शब्द हिन्दुस्तानी के अन्दर उर्दू अथवा देवनागरी लिपि काम में लेने का सुझाव दिया। इसका कांग्रेस के सदस्यों तथा भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल कुछ नेताओं ने समर्थन किया। इसके फलस्वरूप 1950 में भारतीय संविधान के लिए बनी संस्था ने अंग्रेज़ी के साथ उर्दू के स्थान पर हिन्दी को देवनागरी लिपि में राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। .

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हिसार

हिसार भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित हरियाणा प्रान्त के हिसार जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। यह भारत की राजधानी नई दिल्ली के १६४ किमी पश्चिम में राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक १० एवं राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक ६५ पर पड़ता है। यह भारत का सबसे बड़ा जस्ती लोहा उत्पादक है। इसीलिए इसे इस्पात का शहर के नाम से भी जाना जाता है। पश्चिमी यमुना नहर पर स्थित हिसार राजकीय पशु फार्म के लिए विशेष विख्यात है। अनिश्चित रूप से जल आपूर्ति करनेवाली घाघर एकमात्र नदी है। यमुना नहर हिसार जिला से होकर जाती है। जलवायु शुष्क है। कपास पर आधारित उद्योग हैं। भिवानी, हिसार, हाँसी तथा सिरसा मुख्य व्यापारिक केंद्र है। अच्छी नस्ल के साँड़ों के लिए हिसार विख्यात है। हिसार की स्थापना सन १३५४ ई. में तुगलक वंश के शासक फ़िरोज़ शाह तुग़लक ने की थी। घग्गर एवं दृषद्वती नदियां एक समय हिसार से गुजरती थी। हिसार में महाद्वीपीय जलवायु देखने को मिलती है जिसमें ग्रीष्म ऋतु में बहुत गर्मी होती है तथा शीत ऋतु में बहुत ठंड होती है। यहाँ हिन्दी एवं अंग्रेज़ी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाएँ हैं। यहाँ की औसत साक्षरता दर ८१.०४ प्रतिशत है। १९६० के दशक में हिसार की प्रति व्यक्ति आय भारत में सर्वाधिक थी। .

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जल सर्वेक्षण

निजी सर्वेक्षण पोत-नेप्च्यून जल सर्वेक्षण या हाइड्रोग्राफिक सर्वे सागर का वैज्ञानिक मानचित्र होता है, जिसमें सागर की गहराई, उसकी आकृति, उसका तल, उसमें किस दिशा से और कितनी धाराएं बहती हैं, का ज्ञान होता है। इसके साथ ही उसमें आने वाले ज्वारों का समय और परिमाण भी पता लगाया जाता है। झीलों और नदियों का जल सर्वेक्षण केवल उस स्थिति में किया जाता है जब उनमें जहाज चलते हों। इससे अभियांत्रिकी और नौवहन के काम में सहायता मिलती है। जल सर्वेक्षण में पानी की वर्तमान मात्र और रिजर्वायर के के बारे में जानकारी मिलती है। जल सर्वेक्षण सागर की तह में होने वाले दैनिक परिवर्तनों के और इसके अंदर के रहस्यों के ज्ञान हेतु किया जाता है। इस सर्वेक्षण की सहायता से समुद्र में मौजूद खनिजों, धातुओं, गैस आदि के भंडार पता लगाने में मदद मिलती है। साथ-साथ ही समुद्र के भीतर केबल, पाइपलाइन बिछाने, ड्रेजिंग जैसे कार्यो के लिए उसमें लगातार होने वाले परिवर्तनों के बारे में जानकारी करना बेहद आवश्यक हो जाता है। भारत में पहली बार नौसैनिक जल सर्वेक्षण विभाग, जो मैरीन सर्वे ऑफ इंडिया के नियंत्रण में था, की स्थापना १७७० में ईस्ट इंडिया कंपनी ने की थी। १८७४ में कैप्टन डुंडस टेलर ने मेरीन सर्वे ऑफ इंडिया को कोलकाता में स्थापित किया। १९४७ में भारत की स्वतंत्रता उपरान्त इस विभाग को मेरीन सर्वे ऑफ इंडिया के अन्तर्गत्त कर दिया गया। इसके बाद इसे १९५४ में देहरादून में स्थापित किया गया और इसका नाम नौसैनिक जल सर्वेक्षण कार्यालय (नेवल हाइड्रोग्राफिक ऑफिस) कर दिया गया। इसके बाद में १९९६ में इसका नाम नेशनल हाइड्रोग्राफिक ऑफिस कर दिया गया। नेशनल हाइड्रोग्राफिक सर्वे मार्च १९९९ में आईएसओ ९००२ का स्तर प्रदान किया गया। .

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जसदण राज्य

जजरान या जसदण ब्रितानी भारत में भूतपूर्व काठियावाड़ पोलिटिकल ऐजेंसी (बंबई) का एक राज्य (रियासत) था। इसमें ५६ गाँव थे। भारत द्वारा स्वतंत्रताप्राप्ति (१९४७) के बाद १५ फरवरी १९४८ को इसे वर्तमान गुजरात राज्य में दिया गया। इसकी राजधानी जसदण थी जो राजकोट-भानगढ़ मार्ग पर आकोट से ६ किमी मील उत्तर-पूर्व में स्थित है। .

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जोगिन्दर जसवन्त सिंह

जनरल जोगिन्दर जसवन्त सिंह पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, एडीसी (जन्म: ११ सितम्बर १९४५) भारतीय थल सेना के बाईसवें सेनाध्यक्ष थे। वह ३१ जनवरी २००५ से ३० सितम्बर २००७ तक सेना प्रमुख के रूप में कार्यरत रहे। सिंह को २७ नवंबर २००४ को जनरल एन सी विज की सेवानिवृति के बाद सेनाध्यक्ष नियुक्त किया गया था, और ३१ जनवरी २००५ को सेवानिवृत्त होने तक वह इस पद पर रहे। उनके बाद जनरल दीपक कपूर थल सेना के अगले सेनाध्यक्ष बने। जोगिन्दर जसवन्त सिंह भारतीय सेना का नेतृत्व करने वाले पहले सिख सिपाही हैं, और चण्डीमन्दिर में स्थित पश्चिमी कमान से आने वाले ग्यारहवें सैन्य प्रमुख हैं। सेवानिवृत्ति के बाद वह २७ जनवरी २००८ को अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल बने। .

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वाराणसी

वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।" .

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विभूति नारायण सिंह

डॉ॰विभूति नारायण सिंह (१९२७-२०००) भारतीय स्वतंत्रता पूर्व काशी राज्य के अंतिम काशी नरेश थे। इसके बाद १५ अक्टूबर, १९४८ को राज्य भारतीय संघ में मिल गया। २००० में इनकी मृत्यु उपरांत इन नरेश हैं और इस परंपरा के वाहक हैं। .

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विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (भारत)

आयोग की स्थापना के समय मौलाना आजाद एवं डॉ॰सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत का विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (अंग्रेज़ी:University Grants Commission, लघु:UGC) केन्द्रीय सरकार का एक उपक्रम है जो सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को अनुदान प्रदान करता है। यही आयोग विश्वविद्यालयों को मान्यता भी देता है। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है और इसके छः क्षेत्रीय कार्यालय पुणे, भोपाल, कोलकाता, हैदराबाद, गुवाहाटी एवं बंगलुरु में हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। २२ फ़रवरी २०१० .

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ख़ारान (रियासत)

ख़ारान (बलोच: خاران, अंग्रेज़ी: Kharan) बलोचिस्तान में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप में ब्रिटिश राज के काल में एक रियासत थी। भारत व पाकिस्तान की स्वतंत्रता के बाद यह अगस्त १९४७ से लेकर अक्तूबर १९४८ तक एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में था, जिसके बाद इसका पाकिस्तान में विलय कर दिया गया। सन् १६९७ में हुई अपनी स्थापना के बाद से ही यह कलात ख़ानत की अधीनता स्वीकारती थी और यह दर्जा १९४० तक स्थापित रहा। रियासत के अधिकतर लोग बलोच भाषा बोलते थे हालांकि ब्राहुई भाषा बोलने वाले छोटे समुदाय भी रियासत-भर में विस्तृत थे। .

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ओडिशा के राज्यपालों की सूची

ओडिशा के राज्यपाल पुर्व भारत के ओडिशा राज्य के सरकार के संवैधानिक प्रमुख हैं। राज्यपाल को पांच साल की अवधि के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है, और राष्ट्रपति के इच्छा के अनुसार कार्यालय का कार्यकाल होता है। भारत के संविधान के मुताबिक, ओडिशा के राज्यपाल राज्य के न्यायपालिक है, लेकिन वास्तविक कार्यकारी प्राधिकारी ओडिशा के मुख्यमंत्री है। भारत का संविधान राज्यपाल को अपने स्वयं के विवेक पर कार्य करने का अधिकार देता है; जैसे कि मंत्रालय को नियुक्त करने या खारिज करने की क्षमता, राष्ट्रपति के शासन की सिफारिश करना, या राष्ट्रपति की सहमति के लिए कोई विधेयक आरक्षित करना। .

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ओडेयर राजवंश

ओडियर राजवंश भारत का एक राजवंश है जो 1399 से 1761 और पुनः 1799 से 1947 मैसूर राज्य के शासक थे। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात इस राज्य को भारत में मिला लिया गया। .

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आन्ध्र प्रदेश

आन्ध्र प्रदेश ఆంధ్ర ప్రదేశ్(अनुवाद: आन्ध्र का प्रांत), संक्षिप्त आं.प्र., भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित राज्य है। क्षेत्र के अनुसार यह भारत का चौथा सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से आठवां सबसे बड़ा राज्य है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर हैदराबाद है। भारत के सभी राज्यों में सबसे लंबा समुद्र तट गुजरात में (1600 कि॰मी॰) होते हुए, दूसरे स्थान पर इस राज्य का समुद्र तट (972 कि॰मी॰) है। हैदराबाद केवल दस साल के लिये राजधानी रहेगी, तब तक अमरावती शहर को राजधानी का रूप दे दिया जायेगा। आन्ध्र प्रदेश 12°41' तथा 22°उ॰ अक्षांश और 77° तथा 84°40'पू॰ देशांतर रेखांश के बीच है और उत्तर में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में तमिल नाडु और पश्चिम में कर्नाटक से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक रूप से आन्ध्र प्रदेश को "भारत का धान का कटोरा" कहा जाता है। यहाँ की फसल का 77% से ज़्यादा हिस्सा चावल है। इस राज्य में दो प्रमुख नदियाँ, गोदावरी और कृष्णा बहती हैं। पुदु्चेरी (पांडीचेरी) राज्य के यानम जिले का छोटा अंतःक्षेत्र (12 वर्ग मील (30 वर्ग कि॰मी॰)) इस राज्य के उत्तरी-पूर्व में स्थित गोदावरी डेल्टा में है। ऐतिहासिक दृष्टि से राज्य में शामिल क्षेत्र आन्ध्रपथ, आन्ध्रदेस, आन्ध्रवाणी और आन्ध्र विषय के रूप में जाना जाता था। आन्ध्र राज्य से आन्ध्र प्रदेश का गठन 1 नवम्बर 1956 को किया गया। फरवरी 2014 को भारतीय संसद ने अलग तेलंगाना राज्य को मंजूरी दे दी। तेलंगाना राज्य में दस जिले तथा शेष आन्ध्र प्रदेश (सीमांन्ध्र) में 13 जिले होंगे। दस साल तक हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगी। नया राज्य सीमांन्ध्र दो-तीन महीने में अस्तित्व में आजाएगा अब लोकसभा/राज्यसभा का 25/12सिट आन्ध्र में और लोकसभा/राज्यसभा17/8 सिट तेलंगाना में होगा। इसी माह आन्ध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो गया जो कि राज्य के बटवारे तक लागू रहेगा। .

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इन्दौर रियासत

इन्दौर रियासत, जिसे होल्कर रियासत भी कहा जाता है, ब्रिटिश राज के दौरान भारत का एक मराठा रियासत था। उसके शासक होलकर राजवंश के थे और मध्य भारत एजेंसी के अधीन था। इन्दौर रियासत को 19 गन सैल्यूट (21 स्थानीय स्तर) प्राप्त था। इन्दौर रियासत, वर्तमान-भारतीय राज्य मध्य प्रदेश में स्थित था। रियासत की राजधानी इन्दौर शहर थी। रियासत का क्षेत्रफल 24,605 ​​किमी² था और 1931 में इसकी आबादी 1,325,089 थी; इन्दौर के अलावा अन्य महत्वपूर्ण शहरों में महेश्वर, रामपुरा, खरगोन, मेहदपुर, बड़वाह और भानपुर थे। यहाँ कुल 3,368 गांव भी थे। .

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कर्नाटक

कर्नाटक, जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का गठन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अधीन किया गया था। पहले यह मैसूर राज्य कहलाता था। १९७३ में पुनर्नामकरण कर इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया। इसकी सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। २९ जिलों के साथ यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई व्याख्याओं में से सर्वाधिक स्वीकृत व्याख्या यह है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन साम्राज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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कलात ख़ानत

कलात ख़ानत (बलोच: خانیت قلات, अंग्रेज़ी: Khanate of Kalat) ब्रिटिश राज के काल में एक रियासत थी जो सन् १६६६ से १४ अक्तूबर १९५५ तक अस्तित्व में रही। भारत व पाकिस्तान की स्वतंत्रता के बाद यह अगस्त १९४७ से लेकर मार्च १९४८ तक एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में था, जिसके बाद इसका पाकिस्तान में विलय कर दिया गया। कलात शहर इस राज्य की राजधानी थी। इसके शासक की उपाधि ख़ान थी इसलिये इस रियासत को औपचारिक रूप से ख़ानत कहा जाता था।"Baluchistan" Imperial Gazetteer of India Vol.

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काशी का इतिहास

वाराणसी (बनारस), १९२२ ई गंगा तट पर बसी काशी बड़ी पुरानी नगरी है। इतने प्राचीन नगर संसार में बहुत नहीं हैं। हजारों वर्ष पूर्व कुछ नाटे कद के साँवले लोगों ने इस नगर की नींव डाली थी। तभी यहाँ कपड़े और चाँदी का व्यापार शुरू हुआ। कुछ समय उपरांत पश्चिम से आये ऊँचे कद के गोरे लोगों ने उनकी नगरी छीन ली। ये बड़े लड़ाकू थे, उनके घर-द्वार न थे, न ही अचल संपत्ति थी। वे अपने को आर्य यानि श्रेष्ठ व महान कहते थे। आर्यों की अपनी जातियाँ थीं, अपने कुल घराने थे। उनका एक राजघराना तब काशी में भी आ जमा। काशी के पास ही अयोध्या में भी तभी उनका राजकुल बसा। उसे राजा इक्ष्वाकु का कुल कहते थे, यानि सूर्यवंश। काशी में चन्द्र वंश की स्थापना हुई। सैकड़ों वर्ष काशी नगर पर भरत राजकुल के चन्द्रवंशी राजा राज करते रहे। काशी तब आर्यों के पूर्वी नगरों में से थी, पूर्व में उनके राज की सीमा। उससे परे पूर्व का देश अपवित्र माना जाता था।Chandravanshee .

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केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल

केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) भारत के केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में सबसे बड़ा है। यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के तहत काम करता है। सीआरपीएफ की प्राथमिक भूमिका पुलिस कार्रवाई में राज्य / संघ शासित प्रदेशों की सहायता, कानून-व्यवस्था और आतंकवाद विरोध में निहित है। यह क्राउन प्रतिनिधि पुलिस के रूप में 27 जुलाई 1939 को अस्तित्व में आया। भारतीय स्वतंत्रता के बाद यह 28 दिसंबर 1949 को सीआरपीएफ अधिनियम के लागू होने पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल बन गया। 230 बटालियनों और विभिन्न अन्य प्रतिष्ठानों के साथ, सीआरपीएफ भारत का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल माना जाता है। .

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केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल

केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) पांच सुरक्षा बलों के नामकरण को संदर्भित करता है भारत में जो गृह मंत्रालय के अधिकार में हैं। वे हैं: सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी)। .

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कोल्हापुर रियासत

कोल्हापुर रियासत (१७०७ से १९४९) एक ब्रिटिश भारत के समय भारतीय मराठा राजकीय रियासत थीं। जो कि दक्कन विभाग के अंतर्गत आती थी। यह मराठा साम्राज्य का चौथी सबसे महत्वपूर्ण रियासत थी। इनके अलावा ये रियासतें थी - बड़ोदा रियासत,ग्वालियर रियासत और इंदौर रियासत। इस रियासत में भोंसले राजवंश के शासक १९ तोपों की सलामी के हकदार थे। इस प्रकार कोल्हापुर भी एक १९ तोपों के राज्य के रूप में जाना जाता था। कोल्हापुर रियासत के राज्य का झंडा एक निगल पूंछ नारंगी पताका था। .

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अजीत प्रसाद जैन

अजीत प्रसाद जैन (1902 - 1977) भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से उत्तर प्रदेश कांग्रेस समिति के पूर्व अध्यक्ष, संविधान सभा के सदस्य, केंद्रीय मंत्री और केरल के राज्यपाल राज्यपाल थे। वो एमएम कॉलेज, चन्दौसी के पूर्व छात्र और संयुक्त प्रांत से संविधान सभा के लिए चुने गये। वो प्रथम लोकसभा में नेहरू मंत्रीमण्डल में केबिनेट मंत्री भी रहे। अजीत प्रसाद जैन का ३१ दिसम्बर १९७७ को ७५ वर्ष की आयु में निधन हुआ। .

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1 गोरखा राइफल्स

1 गुरखा राइफल्स, भारतीय सेना का एक सैन्य-दल है। यह एक गोरखा इंफेंट्री रेजिमेंट है जिसमें नेपाली मूल के गोरखा सैनिक शामिल हैं। मूल रूप से 1815 में ब्रिटिश भारतीय सेना के हिस्से के रूप में इसका गठन किया गया था, बाद में, प्रथम किंग जॉर्ज पंचम की खुद की गोरखा राइफल्स (मलऊन रेजिमेंट) के शीर्षक को अपना लिया गया। हालांकि, 1947 में, भारत की स्वतंत्रता के बाद, इसे भारतीय सेना को हस्तांतरित किया गया सेना और 1950 में जब भारत एक गणराज्य बन गया, तो इसका नाम 1 गोरखा राइफल्स (मलऊन रेजिमेंट) रखा गया। रेजिमेंट को काफी लंबा अनुभव है और आजादी से पहले कई औपनिवेशिक संघर्षों, साथ ही प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध सहित कई संघर्षों में भाग लिया है। 1947 के बाद से रेजिमेंट संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों का हिस्सा भी रही है व 1965 और 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ अभियानों में भाग भी भाग लिया है। .

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3 गोरखा राइफल्स

3 गुरखा राइफल्स भारतीय सेना का एक सैन्य-दल है। इस सैन्य दल में नेपाली मूल के खस सैनिक होते हैं। जिन्हे पहारी, गोर्खाली, छेत्री और थकुरि भि कहा जाता हे। इसे मूल रूप से 1815 में ब्रिटिश भारतीय सेना में गठित किया गया था इसने अनेक कार्यों, प्रथम और द्वितीय विश्व युद्धों व 1857 में दिल्ली की घेराबंदी सहित युद्धों ने सेवा दी। 1947 में भारत के विभाजन के बाद, इस रेजिमेंट को भारतीय स्वतंत्रता के समय भारत, नेपाल और ब्रिटेन के बीच हस्ताक्षर किए गए त्रिपक्षीय समझौते के हिस्से के रूप में भारतीय सेना को हस्तांतरित छह गोरखा रेजिमेंट में से एक था। आजादी से पहले, रेजिमेंट 3 क्वीन एलेक्जेंड्रा की खुद की गोरखा राइफल्स के रूप में जाना जाता था। 1950 में रेजिमेंट के शीर्षक को 3 गोरखा राइफल्स में बदल दिया गया था। 1947 के बाद से रेजिमेंट ने पाकिस्तान के खिलाफ 1947 और 1971 के युद्धों सहित अनेक संघर्षों में भाग लिया है। .

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4 गोरखा राइफल्स

4 गुरखा राइफल्स, भारतीय सेना का एक सैन्य-दल है। यह एक गोरखा इंफेंट्री रेजिमेंट है जिसमें नेपाली मूल के गोरखा सैनिकों शामिल हैं। मूल रूप से 1815 में ब्रिटिश भारतीय सेना के हिस्से के रूप में इसका गठन किया गया था, 1947 में, भारत की स्वतंत्रता के बाद, इसे भारतीय सेना को हस्तांतरित किया गया सेना और 1950 में जब भारत एक गणराज्य बन गया, तो इसका नाम 1 गोरखा राइफल्स (मलऊन रेजिमेंट) रखा गया। रेजिमेंट को काफी लंबा अनुभव है और आजादी से पहले कई औपनिवेशिक संघर्षों, साथ ही प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध सहित कई संघर्ष में भाग लिया है। 1947 के बाद से रेजिमेंट संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों का हिस्से हिस्सा भी रही है व 1965 और 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ अभियानों में भाग भी भाग लिया है।.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

भारत की स्वतंत्रता, भारत की स्वाधीनता, भारत की आज़ादी, भारतीय स्वतंत्रता

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