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भारत का उच्चतम न्यायालय

सूची भारत का उच्चतम न्यायालय

भारत का उच्चतम न्यायालय या भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत का शीर्ष न्यायिक प्राधिकरण है जिसे भारतीय संविधान के भाग 5 अध्याय 4 के तहत स्थापित किया गया है। भारतीय संघ की अधिकतम और व्यापक न्यायिक अधिकारिता उच्चतम न्यायालय को प्राप्त हैं। भारतीय संविधान के अनुसार उच्चतम न्यायालय की भूमिका संघीय न्यायालय और भारतीय संविधान के संरक्षक की है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 से 147 तक में वर्णित नियम उच्चतम न्यायालय की संरचना और अधिकार क्षेत्रों की नींव हैं। उच्चतम न्यायालय सबसे उच्च अपीलीय अदालत है जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के उच्च न्यायालयों के फैसलों के खिलाफ अपील सुनता है। इसके अलावा, राज्यों के बीच के विवादों या मौलिक अधिकारों और मानव अधिकारों के गंभीर उल्लंघन से सम्बन्धित याचिकाओं को आमतौर पर उच्च्तम न्यायालय के समक्ष सीधे रखा जाता है। भारत के उच्चतम न्यायालय का उद्घाटन 28 जनवरी 1950 को हुआ और उसके बाद से इसके द्वारा 24,000 से अधिक निर्णय दिए जा चुके हैं। .

217 संबंधों: चारा घोटाला, चंद्रमौली कुमार प्रसाद, टी॰ एस॰ ठाकुर, ए एम अहमदी, ए एस आनंद, ए के माथुर, एच एस बेदी, एच जे कनिया, एच के सेमा, एन एन रे, एन वी रमण, एम एच कनिया, एम एन वेंकटचेलैय्या, एम एम पुंछी, एम पी शास्त्री, एम॰ फातिमा बीबी, एल एम शर्मा, एस ए बोबडे, एस एच कापड़िया, एस एम सिकरी, एस पी भरुचा, एस बी सिन्हा, एस मुखर्जी, एस आर दास, एस.आर. बोम्मई बनाम भारत गणराज्य, एस॰ राजेन्द्र बाबू, तरुण चटर्जी, तरुण तेजपाल, ताजमहल, तोरन जंग बहादुर सिंह, दलवीर भंडारी, दिल्ली, दिल्ली में यातायात, दिल्ली उच्च न्यायालय, दुर्गा शक्ति नागपाल, दीपक मिश्रा, नरेन्द्र मोदी, नार्को परीक्षण, निदेशक तत्त्व, नवजोत सिंह सिद्धू, नवीन सिन्हा, न्यायपालिका, न्यायालय, नोट के लिए वोट कांड, पण्डित, पद्मनाभस्वामी मंदिर, परक्राम्य लिखत अधिनियम १८८१, पश्चिमी परिधीय द्रुतगामी मार्ग, दिल्ली, प्रशांत भूषण, पूनिया हत्याकांड, ..., पी एन भगवती, पी पी नावलेकर, पी के बालासुब्रमण्यम, फ़ूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, बलबीर सिंह चौहान, बाबरी मस्जिद, बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश, बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशगण की सूची, बजाज पल्सर, बी एन कृपाल, बी एन अग्रवाल, बी पी सिन्हा, बी सुदर्शन रेड्डी, बी के मुखरीजा, भारत, भारत निर्वाचन आयोग, भारत में धर्म, भारत में पर्यावरणीय समस्याएं, भारत में प्रतिबन्धित वेबसाईटो की सूची, भारत में भ्रष्टाचार, भारत में महिलाएँ, भारत में मानवाधिकार, भारत में मौत की सज़ा, भारत में आरक्षण, भारत सरकार, भारत सारावली, भारत का ध्वज, भारत का संविधान, भारत का उच्चतम न्यायालय, भारत के मूल अधिकार, निदेशक तत्त्व और मूल कर्तव्य, भारत के राष्ट्रपति, भारत के संविधान का संशोधन, भारत की न्यायपालिका, भारत २०१०, भारतीय भाषा आन्दोलन, भारतीय संविधान का इतिहास, भारतीय संविधान के तीन भाग, भारतीय संविधान की उद्देशिका, भारतीय विधि आयोग, भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा, मनमोहन सिंह, महान्यायवादी (भारत), मानव बलि, मार्कण्डेय काट्जू, मिनर्वा मिल्स बनाम भारत सरकार, मिर्जा हमीदुल्ला बेग, मिश्र, मुनीश्वर दत्त उपाध्याय, मुरलीधर चन्द्रकान्त भंडारे, मुखर्जी आयोग, मुख्य चुनाव आयुक्त (भारत), मुख्य न्यायधीश (भारत), मुंबई उच्च न्यायालय, मेहरचंद महाजन, याकूब मेमन, यूसुफ़ रज़ा गिलानी, योगेश कुमार सभरवाल, रत्नावेल पांडियन, रमेश चन्द्र लहोटी, रशीद मसूद, राम जन्मभूमि, रामस्वामी वेंकटरमण, राष्ट्रीय न्याय अकादमी, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, त्रिची, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (भारत), राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (भारत), राजस्थान रॉयल्स, राजस्थान उच्च न्यायालय, राजेन्द्र बाबू, राजेन्द्र मल लोढ़ा, राईट टु रिजेक्ट (भारत), रवि शंकर प्रसाद, रंजन गोगोई, रंजना देसाई, रंगनाथ मिश्र, रैगिंग, रूमा पाल, लालू प्रसाद यादव, लिब्रहान आयोग, लक्ष्मीमल्ल सिंघवी, शान्ति भूषण, शाहबानो प्रकरण, श्याम रुद्र पाठक, श्रीविद्या, सतना, सत्यपाल जैन, समान नागरिक संहिता, सरकारिया आयोग, सर्बानन्द सोणोवाल, सामुदायिक रेडियो, सिमी, संतोष हेगडे, संजय दत्त, संवैधानिक अर्थशास्त्र, संवैधानिक उपचार, सुब्रमनियन स्वामी, सुषमा स्वराज, सुजाता मनोहर, स्वराज कौशल, सी के ठक्कर, जन लोकपाल विधेयक, जनहित याचिका, ज्ञान सुधा मिश्रा, जे एस वर्मा, जे सी शाह, जॉली एलएलबी २, जी एम पांचाल, जी एस सिंघवी, जी पी माथुर, जी बी पटनायक, ई एस वेंकटरमैय्या, वन्दे मातरम्, वरीयता क्रम, भारत, वापस बुलाने का अधिकार, वाई वी चंद्रचूड़, विधि के स्रोत, विष्णु सदाशिव कोकजे, विजय बहुगुणा, व्यवस्थापिका, वी एन खरे, वी एस श्रीपुकार, वी आर कृष्ण अय्यर, गोरखपुर अस्पताल हादसा, ऑपरेशन ब्लू स्टार, आतंकवाद, आत्माराम नाडकर्णी, आदर्श कुमार गोयल, आपातकाल (भारत), आफताब आलम, आर एस पाठक, आर वी रवीन्द्रन, आरुषि हेमराज हत्याकाण्ड, इस्लाम, इंदु मल्होत्रा, कर्नाटक विधानसभा चुनाव, 2018, कलिखो पुल, के एन सिंह (न्यायाधीश), के एन वान्चू, केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण, केरल उच्च न्यायालय, अधिवक्ता, अनुच्छेद ३७०, अभिषेक मनु सिंघवी, अमल कुमार सरकार, अमिताव रॉय, अरिजीत पशायत, अरुण कुमार मिश्रा, अरुंधति घोष, अल्तमास कबीर, अश्वनी कुमार, अशोक भान, अजमल क़साब, अजीत कौर, अक़ीदह, उदय यू ललित, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, १३ अक्टूबर, १५ जुलाई, १९ जून, २००४, २००५, २०१०, २०११, २०१४ में निधन, ५ अक्टूबर, ७ जनवरी सूचकांक विस्तार (167 अधिक) »

चारा घोटाला

पशुओं को खिलाये जाने वाले चारे के नाम से सरकारी खजाने का पैसा निकाल कर तथाकथित नेता खा गये। चारा घोटाला स्वतन्त्र भारत के बिहार प्रान्त का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला था जिसमें पशुओं को खिलाये जाने वाले चारे के नाम पर 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिये गये।, दि न्यू यॉर्क टाइम्स, 1997-07-02.

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चंद्रमौली कुमार प्रसाद

चंद्रमौली कुमार प्रसाद (चर्चित न्यायमूर्ति सी के प्रसाद, जन्म: 15 जुलाई 1949), भारतीय प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष हैं। 23 मई, 2018 को केंद्र सरकार ने उन्हें लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए भारतीय प्रेस परिषद का अध्यक्ष मनोनीत किया है। इससे पूर्व वे नवंबर, 2014 में न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू के सेवानिवृत्त होने के बाद पहली बार भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष बने थे। भारत में प्रेस के मानकों को बनाए रखने के साथ उनमें सुधार और इसके स्वतंत्रता के संरक्षण के उद्देश्य से प्रथम प्रेस आयोग की सिफारिश के आधार पर वर्ष 1966 में संसद द्वारा भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना की गई थी। यह परिषद प्रेस काउंसिल एक्ट, 1978 के तहत कार्य करती है। इस नियुक्ति से पहले, उन्होंने 8 फरवरी 2010 से 14 जुलाई 2014 तक भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवाएँ दी हैं। .

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टी॰ एस॰ ठाकुर

तीरथ सिंह ठाकुर (जन्म: 4 जनवरी 1952) पूर्व भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं। वे पूर्व में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश तथा पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। वे जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय तथा कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं। .

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ए एम अहमदी

ए एम अहमदी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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ए एस आनंद

ए एस आनंद भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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ए के माथुर

ए के माथुर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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एच एस बेदी

एच एस बेदी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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एच जे कनिया

सर हरिलाल जेकिसुनदास कनिया (3 नवम्बर 1890 - 6 नवम्बर 1951) स्वतन्त्र भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश थे। उनका निधन पद सम्भालते हुए 1951 में हुआ था।http://supremecourtofindia.nic.in/judges/rcji/01hjkania.htm .

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एच के सेमा

एच के सेमा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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एन एन रे

एन एन रे भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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एन वी रमण

एन वी रमण एक भारतीय न्यायाधीश है| वर्तमान में भारत का उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश है| .

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एम एच कनिया

एम एच कनिया भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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एम एन वेंकटचेलैय्या

एम एन वेंकटचेलैय्या भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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एम एम पुंछी

एम एम पुंछी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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एम पी शास्त्री

मंडकोलतुर पतंजली शास्त्री (४ जनवरी १८८९ – १६ मार्च १९६३) भारत के सर्वोच्च न्यायालय के दूसरे न्यायाधीश थे जो ७ नवम्बर १९५१ से ३ जनवरी १९५४ तक इस पद पर रहे। .

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एम॰ फातिमा बीबी

न्यायमूर्ति फातिमा बीबी (जन्म: 30 अप्रैल 1927) सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश हैं। वे वर्ष 1989 में इस पद पर नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला हैं। उन्हें 3 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (भारत) की सदस्य बनाया गया। उनका पूरा नाम मीरा साहिब फातिमा बीबी है। वे तमिलनाडू की पूर्व राज्यपाल भी रह चुकी हैं। न्यायमूर्ति एम.

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एल एम शर्मा

एल एम शर्मा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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एस ए बोबडे

शरद अरविंद बोबडे एक भारतीय न्यायाधीश तथा वर्तमान में भारत का उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश है। वे पूर्व में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके है तथा मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। .

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एस एच कापड़िया

एस एच कापड़िया (29 सितम्बर 1947 - 4 जनवरी 2016) भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। वे मई 2010 में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए थे तथा सितंबर 2012 में इस पद से सेवानिवृत्त हुए। वे पारसी समुदाय से सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले प्रथम व्यक्ति थे। वे 2 जी, वोडाफोन, सहारा और सल्वा जुडूम जैसे कई महत्वपूर्ण फैसलों के लिए जाने जाते हैं। .

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एस एम सिकरी

एस एम सिकरी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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एस पी भरुचा

एस पी भरुचा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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एस बी सिन्हा

एस बी सिन्हा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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एस मुखर्जी

एस मुखर्जी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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एस आर दास

एस आर दास भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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एस.आर. बोम्मई बनाम भारत गणराज्य

एस.आर.

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एस॰ राजेन्द्र बाबू

यह आलेख एक भूतपूर्व न्यायधीश के बारे में है, भारत के प्रथम राष्ट्रपति पर आलेखःराजेन्द्र प्रसाद एस राजेन्द्र बाबू भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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तरुण चटर्जी

तरुण चटर्जी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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तरुण तेजपाल

तरुण तेजपाल (पंजाबी: ਤਰੁਣ ਤੇਜਪਾਲ, जन्म; 15 मार्च 1963) एक भारतीय पत्रकार, प्रकाशक और उपन्यासकार हैं। तेजपाल मार्च 2000 में शुरू हुई तहलका नामक पत्रिका का प्रकाशक और प्रधान संपादक हैं, लेकिन नवम्बर 2013 की शुरुआत के छह महीने के लिए इन्होने अपना पद छोड़ दिया है। तेजपाल ने इससे पहले इंडिया टुडे और इंडियन एक्सप्रेस समूह में संपादक के तौर पर और आउटलुक में प्रबंध संपादक के तौर पर काम किया है। .

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ताजमहल

ताजमहल (تاج محل) भारत के आगरा शहर में स्थित एक विश्व धरोहर मक़बरा है। इसका निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने, अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में करवाया था। ताजमहल मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इसकी वास्तु शैली फ़ारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के घटकों का अनोखा सम्मिलन है। सन् १९८३ में, ताजमहल युनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना। इसके साथ ही इसे विश्व धरोहर के सर्वत्र प्रशंसा पाने वाली, अत्युत्तम मानवी कृतियों में से एक बताया गया। ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया है। साधारणतया देखे गये संगमर्मर की सिल्लियों की बडी- बडी पर्तो से ढंक कर बनाई गई इमारतों की तरह न बनाकर इसका श्वेत गुम्बद एवं टाइल आकार में संगमर्मर से ढंका है। केन्द्र में बना मकबरा अपनी वास्तु श्रेष्ठता में सौन्दर्य के संयोजन का परिचय देते हैं। ताजमहल इमारत समूह की संरचना की खास बात है, कि यह पूर्णतया सममितीय है। इसका निर्माण सन् १६४८ के लगभग पूर्ण हुआ था। उस्ताद अहमद लाहौरी को प्रायः इसका प्रधान रूपांकनकर्ता माना जाता है। .

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तोरन जंग बहादुर सिंह

ये नेपाल की सेना के वरिष्ठ अधिकारी थे। इनपर मानवाधिकार हनन के गंभीर आरोप लगे थे। सेना द्वारा दी गई पदोन्नती के खिलाफ एक जनहित याचिका पर कार्यवाई करते हुए नेपाल की सर्वोच्च न्यायालय ने इनकी पदोन्नति पर रोक लगा दी थी। .

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दलवीर भंडारी

दलवीर भंडारी वर्तमान में अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश हैं। भारत की ओर से वे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीश के तौर पर 27 अप्रैल 2012 को निर्वाचित हुए थे। नवम्बर 2017 में वे इस पद पर दूसरे कार्यकाल के लिए भी चुन लिए गये हैं। न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी वर्ष 2005 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने थे। .

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दिल्ली

दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ी: National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। १८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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दिल्ली में यातायात

2008-11-03 मेट्रो सेवा: दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन द्वारा संचालित दिल्ली मेट्रो रेल एक मास रैपिड ट्रांज़िट (त्वरित पारगमन) प्रणाली है, जो कि दिल्ली के कई क्षेत्रों में सेवा प्रदान करती है। इसकी शुरुआत 24 दिसंबर, 2002 को शहादरा तीस हजारी लाईन से हुई.

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दिल्ली उच्च न्यायालय

दिल्ली उच्च न्यायालय दिल्ली राज्य का न्यायालय हैं। इसे ३१ अक्टूबर, १९६६ को स्थापित किया गया था। दिल्ली उच्च न्यायालय को चार न्यायाधीशों के साथ स्थापित किया गया था। वे मुख्य न्यायाधीश थे - के एस हेगड़े, न्यायमूर्ति आईडी दुआ, न्यायाधीश एचआर खन्ना और न्यायमूर्ति एस के कपूर। .

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दुर्गा शक्ति नागपाल

दुर्गा शक्ति नागपाल (जन्म: 25 जून 1985) 2009 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं जो अपनी ईमानदारी के लिये जानी जाती हैं। उन्हें अवैध खनन के खिलाफ मोर्चा खोलने के कारण निलम्बित कर दिया गया। उन पर आरोप यह लगाया गया कि उन्होंने अवैध रूप से बनाई जा रही एक मस्जिद की दीवार को गिरा दिया था जिससे इलाके में साम्प्रदायिक तनाव फैल जाने की आशंका थी। बाद में जनता के विरोध के मद्देनज़र उन्हें राजस्व विभाग से सम्बद्ध कर दिया गया। मूल रूप से पंजाब कैडर की भारतीय प्रशासनिक अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने 2011 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी अभिषेक सिंह से शादी करके अपना स्थानान्तरण उत्तर प्रदेश में करा लिया था। उनकी पहली तैनाती सितम्बर 2012 के दौरान गौतम बुद्ध नगर जिले के ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में हुई जहाँ उन्हें उ०प्र० सरकार द्वारा सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एस०डी०एम०) के पद पर तैनात किया गया। 28 वर्षीय युवा व स्वभाव से ही तेजतर्रार इस महिला प्रशासनिक अधिकारी ने यमुना नदी के खादर में रेत से भरी 300 ट्रॉलियों को अपने कब्जे में ले लिया था। उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यमुना और हिंडन नदियों में खनन माफियाओं पर नजर रखने के लिये विशेष उड़न दस्तों का गठन किया और उनका नेतृत्व भी स्वयं सम्भाला। जिसके चलते वे राजनीतिक हस्तक्षेप की शिकार हो गयीं। उत्तर प्रदेश आई०ए०एस० ऐसोसिएशन ने दुर्गा शक्ति नागपाल के निलम्बन पर विरोध दर्ज कराया और इसे रद्द करने की माँग की। इसके परिणाम स्वरूप नागपाल के निलम्बन पर विचार करने को यू०पी० सरकार तैयार हुई। उ०प्र० सरकार के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने ऐसोसिएशन को बताया कि मुख्य मन्त्री अखिलेश यादव ने दुर्गा शक्ति नागपाल के निलम्बन पर नियमानुसार पुनर्विचार करने का आदेश उन्हें दे दिया है जिसके चलते प्रशासनिक कार्रवाई की जायेगी। मुख्यमन्त्री से व्यक्तिगत रूप से मिलकर उन्होंने अपना पक्ष प्रस्तुत किया जिससे सन्तुष्ट होकर अखिलेश यादव ने उन्हें चन्द घण्टों बाद ही बहाल कर दिया। .

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दीपक मिश्रा

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा (जन्म 3 अक्टूबर 1953) भारत के एक न्यायाधीश तथा वर्तमान भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं। वे 27 अगस्त, 2017 को पूर्व मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर के सेवानिवृत्ति के बाद भारत के 45वें मुख्य न्यायाधीश बने। उन्होने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में 28 अगस्त 2017 को शपथ ग्रहण की। उनका कार्यकाल 2 अक्टूबर, 2018 को समाप्त हो जाएगा। पूर्व में वे पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश रह चुके हैं। 3 अक्टूबर 1953 को जन्मे श्री मिश्र ने वर्ष 1977 में उड़ीसा उच्च न्यायालय में एक अधिवक्ता के तौर पर अपना कैरियर शुरू किया था और वर्ष 1996 में उड़ीसा उच्च न्यायालय में न्यायधीश बने थे। उनका स्थानांतरण मार्च 1997 में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में कर दिया गया था और पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश के पद पर प्रोन्नति पाने के पूर्व वे वहीं पदस्थापित थे। .

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नरेन्द्र मोदी

नरेन्द्र दामोदरदास मोदी (નરેંદ્ર દામોદરદાસ મોદી Narendra Damodardas Modi; जन्म: 17 सितम्बर 1950) भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री हैं। भारत के राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें 26 मई 2014 को भारत के प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलायी। वे स्वतन्त्र भारत के 15वें प्रधानमन्त्री हैं तथा इस पद पर आसीन होने वाले स्वतंत्र भारत में जन्मे प्रथम व्यक्ति हैं। वडनगर के एक गुजराती परिवार में पैदा हुए, मोदी ने अपने बचपन में चाय बेचने में अपने पिता की मदद की, और बाद में अपना खुद का स्टाल चलाया। आठ साल की उम्र में वे आरएसएस से  जुड़े, जिसके साथ एक लंबे समय तक सम्बंधित रहे । स्नातक होने के बाद उन्होंने अपने घर छोड़ दिया। मोदी ने दो साल तक भारत भर में यात्रा की, और कई धार्मिक केंद्रों का दौरा किया। गुजरात लौटने के बाद और 1969 या 1970 में अहमदाबाद चले गए। 1971 में वह आरएसएस के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। 1975  में देश भर में आपातकाल की स्थिति के दौरान उन्हें कुछ समय के लिए छिपना पड़ा। 1985 में वे बीजेपी से जुड़े और 2001 तक पार्टी पदानुक्रम के भीतर कई पदों पर कार्य किया, जहाँ से वे धीरे धीरे वे सचिव के पद पर पहुंचे।   गुजरात भूकंप २००१, (भुज में भूकंप) के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के असफल स्वास्थ्य और ख़राब सार्वजनिक छवि के कारण नरेंद्र मोदी को 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। मोदी जल्द ही विधायी विधानसभा के लिए चुने गए। 2002 के गुजरात दंगों में उनके प्रशासन को कठोर माना गया है, की आलोचना भी हुई।  हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) को अभियोजन पक्ष की कार्यवाही शुरू करने के लिए कोई है। मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी नीतियों को आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए । उनके नेतृत्व में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 282 सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की। एक सांसद के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी एवं अपने गृहराज्य गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दोनों जगह से जीत दर्ज़ की। इससे पूर्व वे गुजरात राज्य के 14वें मुख्यमन्त्री रहे। उन्हें उनके काम के कारण गुजरात की जनता ने लगातार 4 बार (2001 से 2014 तक) मुख्यमन्त्री चुना। गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त नरेन्द्र मोदी विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं और वर्तमान समय में देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से हैं।। माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर भी वे सबसे ज्यादा फॉलोअर वाले भारतीय नेता हैं। उन्हें 'नमो' नाम से भी जाना जाता है। टाइम पत्रिका ने मोदी को पर्सन ऑफ़ द ईयर 2013 के 42 उम्मीदवारों की सूची में शामिल किया है। अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नरेन्द्र मोदी एक राजनेता और कवि हैं। वे गुजराती भाषा के अलावा हिन्दी में भी देशप्रेम से ओतप्रोत कविताएँ लिखते हैं। .

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नार्को परीक्षण

नार्को परीक्षण का प्रयोग किसी व्यक्ति से जानकारी प्राप्त करने के लिए दिया जाता है जो या तो उस जानकारी को प्रदान करने में असमर्थ होता है या फिर वो उसे उपलब्ध कराने को तैयार नहीं होता दूसरे शब्दों में यह किसी व्यक्ति के मन से सत्य निकलवाने लिए किया प्रयोग जाता है। अधिकतर आपराधिक मामलों में ही नार्को परीक्षण का प्रयोग किया जाता है।|हिन्दुस्तान लाइव|६ जनवरी २००९ हालांकि बहुत कम किन्तु यह भी संभव है कि नार्को टेस्ट के दौरान भी व्यक्ति सच न बोले। इस टेस्ट में व्यक्ति को ट्रुथ सीरम इंजेक्शन के द्वारा दिया जाता है जिससे व्यक्ति स्वाभविक रूप से बोलता है। नार्को विश्लेषण एक फोरेंसिक परीक्षण होता है, जिसे जाँच अधिकारी, मनोवैज्ञानिक, चिकित्सक और फोरेंसिक विशेषज्ञ की उपस्थिति में किया जाता है। भारत में हाल के कुछ वर्षों से ही ये परीक्षण आरंभ हुए हैं, किन्तु बहुत से विकसित देशों में वर्ष १९२२ में मुख्यधारा का भाग बन गए थे, जब राबर्ट हाउस नामक टेक्सास के डॉक्टर ने स्कोपोलामिन नामक ड्रग का दो कैदियों पर प्रयोग किया था।। मनोरथ। २३ अक्टूबर २००८। समीर यादव .

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निदेशक तत्त्व

किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के निर्माण में मौलिक अधिकार तथा नीति निर्देश महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राज्य के नीति निर्देशक तत्व (directive principles of state policy) जनतांत्रिक संवैधानिक विकास के नवीनतम तत्व हैं। सर्वप्रथम ये आयरलैंड के संविधान मे लागू किये गये थे। ये वे तत्व है जो संविधान के विकास के साथ ही विकसित हुए है। इन तत्वों का कार्य एक जनकल्याणकारी राज्य (वेलफेयर स्टेट) की स्थापना करना है। .

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नवजोत सिंह सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू (अंग्रेजी: Navjot Singh Sidhu, पंजाबी: ਨਵਜੋਤ ਸਿੰਘ ਸਿੱਧੂ, जन्म: 20 अक्टूबर 1963, पटियाला) भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी (बल्लेबाज) एवं अमृतसर लोक सभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद हैं। खेल से संन्यास लेने के बाद पहले उन्होंने दूरदर्शन पर क्रिकेट के लिये कमेंट्री करना आरम्भ किया उसके बाद राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेने लगे। राजनीति के अलावा उन्होंने टेलीविजन के छोटे पर्दे पर टी.वी.

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नवीन सिन्हा

नवीन सिन्हा एक भारतीय न्यायाधीश है। वे वर्तमान मेँ भारत का उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश है। पूर्व राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके है। .

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न्यायपालिका

न्यायपालिका (Judiciary या judicial system या judicature) किसी भी जनतंत्र के तीन प्रमुख अंगों में से एक है। अन्य दो अंग हैं - कार्यपालिका और व्यवस्थापिका। न्यायपालिका, संप्रभुतासम्पन्न राज्य की तरफ से कानून का सही अर्थ निकालती है एवं कानून के अनुसार न चलने वालों को दण्डित करती है। इस प्रकार न्यायपालिका विवादों को सुलझाने एवं अपराध कम करने का काम करती है जो अप्रत्यक्ष रूप से समाज के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त के अनुरूप न्यायपालिका स्वयं कोई नियम नहीं बनाती और न ही यह कानून का क्रियान्यवन कराती है। सबको समान न्याय सुनिश्चित करना न्यायपालिका का असली काम है। न्यायपालिका के अन्तर्गत कोई एक सर्वोच्च न्यायालय होता है एवं उसके अधीन विभिन्न न्यायालय (कोर्ट) होते हैं। .

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न्यायालय

लंदन के पुरानी बेली स्थित एक कोर्ट का दृष्य न्यायालय (अदालत या कोर्ट) का तात्पर्य सामान्यतः उस स्थान से है जहाँ पर न्याय प्रशासन कार्य होता है, परंतु बहुधा इसका प्रयोग न्यायाधीश के अर्थ में भी होता है। बोलचाल की भाषा में अदालत को कचहरी भी कहते हैं। .

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नोट के लिए वोट कांड

वर्ष २००८ में भारतीय संसद में घटित एक घटना जिसमें मनमोहन सिंह सरकार द्वारा विश्वास मत हासिल करने की बहस के दौरान भाजपा के तीन सांसदों ने संसद में एक करोड़ रूपए के नोटों की गड्डियों संसद में दिखाई थी। इन सांसदों का आरोप था कि मनमोहन सरकार ने समाजवादी पार्टी के अमर सिंह के माध्यम से उनके मत को खरीदने की कोशिश की थी। २०११ में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों पर दिल्ली पुलिस इस मामले पर फिर से सक्रिय हुई और ६ सितंबर २०११ को अमर सिंह तथा भाजपा के दो सांसद तिहाड़ जेल भेज दिए गए। .

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पण्डित

एक कर्मकाण्डी पण्डित (ब्राह्मण) का चित्र पण्डित (पंडित), या पण्डा (पंडा), अंग्रेजी में Pandit का अर्थ है एक विद्वान, एक अध्यापक, विशेषकर जो संस्कृत और हिंदू विधि, धर्म, संगीत या दर्शनशास्त्र में दक्ष हो। अपने मूल अर्थ में 'पण्डित' शब्द का तात्पर्य हमेशा उस हिन्दू ब्राह्मण से लिया जाता है जिसने वेदों का कोई एक मुख्य भाग उसके उच्चारण और गायन के लय व ताल सहित कण्ठस्थ कर लिया हो। .

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पद्मनाभस्वामी मंदिर

पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के केरल राज्य के तिरुअनन्तपुरम में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनेक पर्यटन स्थलों में से एक है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्णु-भक्तों की महत्वपूर्ण आराधना-स्थली है। मंदिर की संरचना में सुधार कार्य किए गए जाते रहे हैं। उदाहरणार्थ 1733 ई. में इस मंदिर का पुनर्निर्माण त्रावनकोर के महाराजा मार्तड वर्मा ने करवाया था। पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा जुडी है। मान्यता है कि सबसे पहले इस स्थान से विष्णु भगवान की प्रतिमा प्राप्त हुई थी जिसके बाद उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के 'अनंत' नामक नाग के नाम पर ही रखा गया है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं। तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। केरल संस्कृति एवं साहित्य का अनूठा संगम है। इसके एक तरफ तो खूबसूरत समुद्र तट है और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाडि़यों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य, इन सभी अमूल्य प्राकृतिक निधियों के मध्य स्थित- है पद्मनाभ स्वामी मंदिर। इसका स्थापत्य देखते ही बनता है मंदिर के निर्माण में महीन कारीगरी का भी कमाल देखने योग्य है। .

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परक्राम्य लिखत अधिनियम १८८१

परक्राम्य लिखत अधिनियम १८८१ या 'विनिमय साध्य विलेख नियम १८८१' (Negotiable Instruments Act, 1881) भारत का एक कानून है जो पराक्रम्य लिखत (प्रॉमिजरी नोट, बिल्ल ऑफ एक्सचेंज तथा चेक आदि) से सम्बन्धित है। पूरे भारत में कार्य करने वाले वित्तीय संस्थान, उद्योग संगठन और यहां तक कि सामान्य जन भी अपने लेन-देन अधिकतर चेक के माध्यम से करते हैं। चेक के माध्यम से वित्तीय कारोबार में होने वाली सुविधाओं के साथ-साथ समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। चेक के माध्यम से कारोबार में होने वाली शिकायतों को दर्ज कराने की व्यवस्था ‘परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881’ में प्रदान की गई है। .

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पश्चिमी परिधीय द्रुतगामी मार्ग, दिल्ली

पश्चिमी परिधीय द्रुतगामी मार्ग, दिल्ली (अंग्रेजी: Delhi Western Peripheral Expressway), जिसे कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे भी कहा जाता है, भारत के हरियाणा राज्य में १३५.६ किमी (८४.३ मील) लंबा एक निर्माणाधीन द्रुतमार्ग है। .

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प्रशांत भूषण

प्रशांत भूषण (जन्म: १९५६) भारत के उच्चतम न्यायालय में एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। उन्हे भ्रष्टाचार, विशेष रूप से न्यायपालिका के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन के लिए जाना जाता हैं। अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ किए गए संघर्ष में वे उनकी टीम के प्रमुख सहयोगी रहे हैं। अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी के साथ उन्होंने सरकार से हुई वार्ताओं में नागरिक समाज का पक्ष रखा था। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला सुप्रीम कोर्ट मे सुब्रह्मण्यम स्वामी और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से वकील प्रशांत भूषण दोनो मिलकर लड़ रहे है। १५ साल की वकालत के दौरान वे ५०० से अधिक जनहित याचिकाओं पर जनता की तरफ से केस लड़ चुके हैं। प्रशांत भूषण कानून व्यवस्था में निष्पक्ष और पारदर्शी व्यवस्था की पैरवी करते हैं। उनका मानना है कि देश की कानूनी संरचना को भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी होना चाहिए। .

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पूनिया हत्याकांड

पूनिया हत्याकान्ड (या रेलू राम पूनिया हत्या का मुकदमा) भारतीय राजनेता रेलू राम पूनिया और उनके परिवार के सात सदस्यों की सामूहिक हत्या का मामला है। संपत्ति के विवाद के चलते २३ अगस्त २००१ की रात को रेलू राम की बेटी सोनिया ने अपने पति संजीव कुमार के साथ इनकी हत्या कर दी थी। यह मामला न्यायालय में दायर किया गया था और सोनिया, संजीव और उनके परिवार के विभिन्न सदस्यों पर चलाया गया था। दंपति को हत्या के आरोपों से दोषी ठहराया गया था और जिला न्यायालय ने मौत की सजा सुनाई थी। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस सजा को कम कर आजीवन कारावास दिया था लेकिन उच्चतम न्यायालय ने फिर से मौत की सजा बहाल की थी। भारत के संविधान के खंड ७२ (१) के तहत, इस दलील के दौरान दंपति ने राष्ट्रपति को दया याचिका उठाई थी। यह याचिका राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के कार्यकाल के दौरान अनुत्तरित रही लेकिन उनके उत्तराधिकारी प्रणब मुखर्जी ने इसे खारिज कर दि थी। हालांकि, एक नागरिक अधिकार समूह "पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स" (पीयूडीआर) ने दया याचिका के निपटान में देरी का कारण देकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने जनवरी २०१४ में स्वीकार किया और दंपति की मौत की सजा वापस लौटा दी गई थी। .

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पी एन भगवती

पी एन भगवती भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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पी पी नावलेकर

पी पी नावलेकर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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पी के बालासुब्रमण्यम

पी के बालासुब्रमण्यम भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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फ़ूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन

फ़ूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA या USFDA) संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग की एक एजेंसी है, यह विभाग संयुक्त राज्य अमेरिका के संघीय कार्यपालिका विभागों में से एक है, खाद्य सुरक्षा, तम्बाकू उत्पादों, आहार अनुपूरकों, पर्चे और पर्चे-रहित दवाओं(चिकित्सीय औषधि), टीका, जैवऔषधीय, रक्त आधान, चिकित्सा उपकरण, विद्युत चुम्बकीय विकिरण करने वाले उपकरणों (ERED), पशु उत्पादों और सौंदर्य प्रसाधनों के विनियमन और पर्यवेक्षण के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए ज़िम्मेदार है। FDA अन्य कानून भी लागू करती है, विशेष रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा अधिनियम की धारा 361 और सम्बद्ध विनियम जिनमें से कई खाद्य या औषधि से सीधे संबंधित नहीं है। इनमें अंतर्राज्यीय यात्रा के दौरान स्वच्छता और कुछ पालतू पशुओं से लेकर प्रजनन सहायतार्थ शुक्राणु दान तक के उत्पादों पर रोग नियंत्रण शामिल है। FDA का नेतृत्व सेनेट की सहमति और सलाह से राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त आयुक्त, खाद्य और औषधि करते हैं। आयुक्त स्वास्थ्य और मानव सेवा के सचिव के नियंत्रणाधीन काम करते हैं। 21वें और वर्तमान आयुक्त हैं डॉ॰ मार्गरेट ए. हैम्बर्ग.

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बलबीर सिंह चौहान

न्यायमूर्ति डॉ॰ बलबीर सिंह चौहान भारतीय विधि आयोग के 21वें अध्यक्ष हैं। 10 मार्च, 2016 को केंद्र सरकार ने उन्हें इस पद पर नियुक्त किया। इसके पूर्व वे कावेरी नदी जल विवाद न्यायाधिकरण के अध्यक्ष थे। वे मई, 2009 से जुलाई, 2014 के मध्य भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं।वे 16 जुलाई 2008 से 10 मई 2009 तक उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। .

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बाबरी मस्जिद

बाबरी मस्जिद उत्तर प्रदेश के फ़ैज़ाबाद ज़िले के अयोध्या शहर में रामकोट पहाड़ी ("राम का किला") पर एक मस्जिद थी। रैली के आयोजकों द्वारा मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचाने देने की भारत के सर्वोच्च न्यायालय से वचनबद्धता के बावजूद, 1992 में 150,000 लोगों की एक हिंसक रैली.

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बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश

बांग्लादेश के मुख्या न्यायाधीश या प्रधान विचारपति(বাংলাদেশের প্রধান বিচারপতি), बांग्लादेश का सर्वोच्च न्यायिक पद है। वे देश की न्यायिक प्रणाली के प्रमुख एवं बांग्लादेश की उच्चतम न्यायालय के प्रमुख होते हैं। वे सर्वोच्च न्यायालय के तमाम न्यायाधीशों के प्रमुख होने के साथ साथ, बांग्लादेश की पूरी न्यायिक व्यवस्थापिका एवं तमाम अधिनस्त न्यायालयों के भी प्रमुख होते हैं। उन्हें बांग्लादेश के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। परम्परानुसार, सर्वोच्च अदालत के वरिष्ठताम् पदस्थ न्यायाधीश पर यह पद निहित किया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय के मुखिया होने के नाते वे, न्यायलय के कार्यों में अहम् भूमिका निभाते हैं। न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा पदोन्नति एवं न्यायलय के अन्य प्रशासनिक कार्यों में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उच्च न्यायालय विभाग के अस्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा उनकी स्थायी रूप से नियुक्ति एवं उच्च न्यायालय विभाग से अपीलीय विभाग में पदोन्नति, राष्ट्रपति द्वारा, मुख्यन्यायाधीश की सलाह पर होता है। वे बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय विभाग में मुकदमों की सुनवाई के लिए बैठते हैं। .

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बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशगण की सूची

बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय में, मुख्य न्यायाधीश अवं अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति, प्रधानमंत्री की अनिवार्यात्मक सलाह पर बांग्लादेश के राष्ट्रपति द्वारा होती है। सर्वोच्च न्यायालय के उच्च न्यायालय विभाग में जज के रूप में नियुक्ति का प्रवेशद्वार है, एडिशनल जज का पद, जिन्हें, सर्वोच्च न्यायालय की विधिज्ञ परिषद् के अधिवक्ताओं में से अनुच्छेद ९५ के आधार पर दो वर्ष की अवधी के लिए नियुक्त किया जाता है। इस कालावधि के समापन के पश्चात्, मुख्य न्यायाधीश के सिफारिश पर, एक अस्थायी जज को स्थायी रूप से राष्ट्रपति द्वारा अनुछेद ९५ के प्रावधानों के अंतर्गत नियुक्त कर दिया जाता है। ऐसे नियुक्तियों की वर्त्तमान अनुपात, ८:२ है, अर्थात्, ८०% न्यायाधीश, स्थायी होते है, जबकि २०% अस्थायी होते हैं। अपीलीय विभाग के न्यायाधीशों को भी कथित अनुछेद के प्रावधानों के तहत ही नियुक्त किया जाता है। अनुछेद १४८ के प्रावधानों के अनुसार यह सारी नियुक्तियाँ शपथ-ग्रहण की तिथि से प्रभाव में आतें हैं। बांग्लादेश का संविधान  सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशगण १३वि संशोधन अधिनियम, २००४ के प्रभाव में आने के बाद से, ६७ वर्ष की आयु तक पदस्थ रहते हैं। तथा, विधिनुसार, प्रत्येक सेवानिवृत न्यायाधीश, गणराज्य के सेवा में किसी भी न्यायिक या अर्धन्यायिक लाभकारी पद या मुख्य सलाहकार या सलाहकार के पद की सेवा करने से अक्षम करार है। तथा न्यायाधीशों को सेवाकाल के बीच निलंबन से प्रतिरक्षा निहित की गयी है। न्यायाधीश को केवल अनुछेद ९६ के अनुसार, सर्वोच्च न्यायिक परिषद् द्वारा सुनवाई के बाद ही निलंबित किया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायिक परिषद्, मुख्य न्यायाधीश तथा दो अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा रचित होता है। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार सिन्हा बिष्णुप्रिय मणिपुरी सोसायटी या बांग्लादेश में किसी भी अल्पसंख्यक जातीय समूहों से नियुक्त पहली न्याय है। न्यायमूर्ति भावनी प्रसाद सिन्हा को एक ही समुदाय से भी है। मैडम न्यायमूर्ति नाज़मन आरा सुल्ताना पहले कभी महिला न्याय है, और मैडम जस्टिस कृष्णा देबनाथ बांग्लादेश की पहली महिला हिंदू न्याय है। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में छह महिला न्यायाधीशों रहे हैं। .

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बजाज पल्सर

बजाज पल्सर भारत में बजाज ऑटो के स्वामित्व वाला एक मोटरसाइकिल ब्रांड है। दुपहिया वाहन बजाज ऑटो का उत्पाद अभियांत्रिकी प्रभाग द्वारा मोटर साइकिल डिजाइनर ग्लीन केर्र टोक्यो के अनुसंधान एवं विकास के सहयोग से विकसित किया गया था। वर्तमान में इसके चार भिन्न रूप उपलब्ध हैं - जिनकी इंजन क्षमता 135 सीसी, 150cc, 180cc और 220 सीसी है। नवम्बर 005 तक दस लाख से अधिक पल्सर बेचे जा चुके थे। जून 2009 में 48,000 इकाईयों से अधिक की मासिक बिक्री के साथ, पल्सर भारत में 150 सीसी के खंड में अग्रणी है जिसका बाजार का हिस्सा 43% है। .

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बी एन कृपाल

बी एन कृपाल भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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बी एन अग्रवाल

बी एन अग्रवाल भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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बी पी सिन्हा

बी पी सिन्हा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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बी सुदर्शन रेड्डी

बी सुदर्शन रेड्डी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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बी के मुखरीजा

बी के मुखरीजा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत निर्वाचन आयोग

भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्थान है जिसका गठन भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से विभिन्न से भारत के प्रातिनिधिक संस्थानों में प्रतिनिधि चुनने के लिए गया था। भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गयी थी। .

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भारत में धर्म

तवांग में गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा. बैंगलोर में शिव की एक प्रतिमा. कर्नाटक में जैन ईश्वरदूत (या जिन) बाहुबली की एक प्रतिमा. 2 में स्थित, भारत, दिल्ली में एक लोकप्रिय पूजा के बहाई हॉउस. भारत एक ऐसा देश है जहां धार्मिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहां की संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है - हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा सिक्ख धर्म.

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भारत में पर्यावरणीय समस्याएं

गंगा बेसिन के ऊपर मोटी धुंध और धुआं. तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या व आर्थिक विकास के कारण भारत में कई पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं और इसके पीछे शहरीकरण व औद्योगीकरण में अनियंत्रित वृद्धि, बड़े पैमाने पर कृषि का विस्तार तथा तीव्रीकरण, तथा जंगलों का नष्ट होना है। प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों में वन और कृषि-भूमिक्षरण, संसाधन रिक्तीकरण (पानी, खनिज, वन, रेत, पत्थर आदि), पर्यावरण क्षरण, सार्वजनिक स्वास्थ्य, जैव विविधता में कमी, पारिस्थितिकी प्रणालियों में लचीलेपन की कमी, गरीबों के लिए आजीविका सुरक्षा शामिल हैं। यह अनुमान है कि देश की जनसंख्या वर्ष 2018 तक 1.26 अरब तक बढ़ जाएगी.

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भारत में प्रतिबन्धित वेबसाईटो की सूची

भारत के उच्चतम न्यायालय ने पूरे देश में कुछ जालस्थलों पर प्रतिबंध लगाया है। इन जिनकी जालस्थलों की सूची इस प्रकार से है: श्रेणी:सूचियाँ.

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भारत में भ्रष्टाचार

सन २०१५ में विश्व के विभिन्न भागों में भ्रष्टाचार का आकलन भारत में भ्रष्टाचार चर्चा और आन्दोलनों का एक प्रमुख विषय रहा है। आजादी के एक दशक बाद से ही भारत भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा नजर आने लगा था और उस समय संसद में इस बात पर बहस भी होती थी। 21 दिसम्बर 1963 को भारत में भ्रष्टाचार के खात्मे पर संसद में हुई बहस में डॉ राममनोहर लोहिया ने जो भाषण दिया था वह आज भी प्रासंगिक है। उस वक्त डॉ लोहिया ने कहा था सिंहासन और व्यापार के बीच संबंध भारत में जितना दूषित, भ्रष्ट और बेईमान हो गया है उतना दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं हुआ है। भ्रष्टाचार से देश की अर्थव्यवस्था और प्रत्येक व्यक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। भारत में राजनीतिक एवं नौकरशाही का भ्रष्टाचार बहुत ही व्यापक है। इसके अलावा न्यायपालिका, मीडिया, सेना, पुलिस आदि में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है। .

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भारत में महिलाएँ

ताज परिसर में भारतीय महिलाएँऐश्वर्या राय बच्चन की अक्सर उनकी सुंदरता के लिए मीडिया द्वारा प्रशंसा की जाती है।"विश्व की सर्वाधिक सुंदर महिला?"cbsnews.com. अभिगमन तिथि २७ अक्टूबर २००७01 भारत में महिलाओं की स्थिति ने पिछली कुछ सदियों में कई बड़े बदलावों का सामना किया है। प्राचीन काल में पुरुषों के साथ बराबरी की स्थिति से लेकर मध्ययुगीन काल के निम्न स्तरीय जीवन और साथ ही कई सुधारकों द्वारा समान अधिकारों को बढ़ावा दिए जाने तक, भारत में महिलाओं का इतिहास काफी गतिशील रहा है। आधुनिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष, प्रतिपक्ष की नेता आदि जैसे शीर्ष पदों पर आसीन हुई हैं। .

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भारत में मानवाधिकार

देश के विशाल आकार और विविधता, विकसनशील तथा संप्रभुता संपन्न धर्म-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणतंत्र के रूप में इसकी प्रतिष्ठा, तथा एक भूतपूर्व औपनिवेशिक राष्ट्र के रूप में इसके इतिहास के परिणामस्वरूप भारत में मानवाधिकारों की परिस्थिति एक प्रकार से जटिल हो गई है। भारत का संविधान मौलिक अधिकार प्रदान करता है, जिसमें धर्म की स्वतंत्रता भी अंतर्भूक्त है। संविधान की धाराओं में बोलने की आजादी के साथ-साथ कार्यपालिका और न्यायपालिका का विभाजन तथा देश के अन्दर एवं बाहर आने-जाने की भी आजादी दी गई है। यह अक्सर मान लिया जाता है, विशेषकर मानवाधिकार दलों और कार्यकर्ताओं के द्वारा कि दलित अथवा अछूत जाति के सदस्य पीड़ित हुए हैं एवं लगातार पर्याप्त भेदभाव झेलते रहे हैं। हालांकि मानवाधिकार की समस्याएं भारत में मौजूद हैं, फिर भी इस देश को दक्षिण एशिया के दूसरे देशों की तरह आमतौर पर मानवाधिकारों को लेकर चिंता का विषय नहीं माना जाता है। इन विचारों के आधार पर, फ्रीडम हाउस द्वारा फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2006 को दिए गए रिपोर्ट में भारत को राजनीतिक अधिकारों के लिए दर्जा 2, एवं नागरिक अधिकारों के लिए दर्जा 3 दिया गया है, जिससे इसने स्वाधीन की संभतः उच्चतम दर्जा (रेटिंग) अर्जित की है। .

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भारत में मौत की सज़ा

भारत में मौत की सज़ा कुछ गंभीर अपराधों के लिए दी जाती है।Majumder, Sanjoy.

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भारत में आरक्षण

भारत में गरीबी रेखा से नीचे लोगों के जाति और समुदाय प्रोफ़ाइल, सच्चर रिपोर्ट जैसे दर्शाया गया सरकारी सेवाओं और संस्थानों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं रखने वाले पिछड़े समुदायों तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों से सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए भारत सरकार ने अब भारतीय कानून के जरिये सरकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों की इकाइयों और धार्मिक/भाषाई अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को छोड़कर सभी सार्वजनिक तथा निजी शैक्षिक संस्थानों में पदों तथा सीटों के प्रतिशत को आरक्षित करने की कोटा प्रणाली प्रदान की है। भारत के संसद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व के लिए भी आरक्षण नीति को विस्तारित किया गया है। भारत की केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा में 27% आरक्षण दे रखा है और विभिन्न राज्य आरक्षणों में वृद्धि के लिए क़ानून बना सकते हैं। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार 50% से अधिक आरक्षण नहीं किया जा सकता, लेकिन राजस्थान जैसे कुछ राज्यों ने 68% आरक्षण का प्रस्ताव रखा है, जिसमें अगड़ी जातियों के लिए 14% आरक्षण भी शामिल है। आम आबादी में उनकी संख्या के अनुपात के आधार पर उनके बहुत ही कम प्रतिनिधित्व को देखते हुए शैक्षणिक परिसरों और कार्यस्थलों में सामाजिक विविधता को बढ़ाने के लिए कुछ अभिज्ञेय समूहों के लिए प्रवेश मानदंड को नीचे किया गया है। कम-प्रतिनिधित्व समूहों की पहचान के लिए सबसे पुराना मानदंड जाति है। भारत सरकार द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के अनुसार, हालांकि कम-प्रतिनिधित्व के अन्य अभिज्ञेय मानदंड भी हैं; जैसे कि लिंग (महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है), अधिवास के राज्य (उत्तर पूर्व राज्य, जैसे कि बिहार और उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कम है), ग्रामीण जनता आदि। मूलभूत सिद्धांत यह है कि अभिज्ञेय समूहों का कम-प्रतिनिधित्व भारतीय जाति व्यवस्था की विरासत है। भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के संविधान ने पहले के कुछ समूहों को अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) के रूप में सूचीबद्ध किया। संविधान निर्माताओं का मानना था कि जाति व्यवस्था के कारण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ऐतिहासिक रूप से पिछड़े रहे और उन्हें भारतीय समाज में सम्मान तथा समान अवसर नहीं दिया गया और इसीलिए राष्ट्र-निर्माण की गतिविधियों में उनकी हिस्सेदारी कम रही। संविधान ने सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं की खाली सीटों तथा सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में अजा और अजजा के लिए 15% और 7.5% का आरक्षण था।बाद में, अन्य वर्गों के लिए भी आरक्षण शुरू किया गया। 50% से अधिक का आरक्षण नहीं हो सकता, सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से (जिसका मानना है कि इससे समान अभिगम की संविधान की गारंटी का उल्लंघन होगा) आरक्षण की अधिकतम सीमा तय हो गयी। हालांकि, राज्य कानूनों ने इस 50% की सीमा को पार कर लिया है और सर्वोच्च न्यायलय में इन पर मुकदमे चल रहे हैं। उदाहरण के लिए जाति-आधारित आरक्षण भाग 69% है और तमिलनाडु की करीब 87% जनसंख्या पर यह लागू होता है (नीचे तमिलनाडु अनुभाग देखें)। .

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भारत सरकार

भारत सरकार, जो आधिकारिक तौर से संघीय सरकार व आमतौर से केन्द्रीय सरकार के नाम से जाना जाता है, 29 राज्यों तथा सात केन्द्र शासित प्रदेशों के संघीय इकाई जो संयुक्त रूप से भारतीय गणराज्य कहलाता है, की नियंत्रक प्राधिकारी है। भारतीय संविधान द्वारा स्थापित भारत सरकार नई दिल्ली, दिल्ली से कार्य करती है। भारत के नागरिकों से संबंधित बुनियादी दीवानी और फौजदारी कानून जैसे नागरिक प्रक्रिया संहिता, भारतीय दंड संहिता, अपराध प्रक्रिया संहिता, आदि मुख्यतः संसद द्वारा बनाया जाता है। संघ और हरेक राज्य सरकार तीन अंगो कार्यपालिका, विधायिका व न्यायपालिका के अन्तर्गत काम करती है। संघीय और राज्य सरकारों पर लागू कानूनी प्रणाली मुख्यतः अंग्रेजी साझा और वैधानिक कानून (English Common and Statutory Law) पर आधारित है। भारत कुछ अपवादों के साथ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्याय अधिकारिता को स्वीकार करता है। स्थानीय स्तर पर पंचायती राज प्रणाली द्वारा शासन का विकेन्द्रीकरण किया गया है। भारत का संविधान भारत को एक सार्वभौमिक, समाजवादी गणराज्य की उपाधि देता है। भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसका द्विसदनात्मक संसद वेस्टमिन्स्टर शैली के संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है। इसके शासन में तीन मुख्य अंग हैं: न्यायपालिका, कार्यपालिका और व्यवस्थापिका। .

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भारत सारावली

भुवन में भारत भारतीय गणतंत्र दक्षिण एशिया में स्थित स्वतंत्र राष्ट्र है। यह विश्व का सातवाँ सबसे बड़ देश है। भारत की संस्कृति एवं सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति एवं सभ्यताओं में से है।भारत, चार विश्व धर्मों-हिंदू धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म के जन्मस्थान है और प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का घर है। मध्य २० शताब्दी तक भारत अंग्रेजों के प्रशासन के अधीन एक औपनिवेशिक राज्य था। अहिंसा के माध्यम से महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने भारत देश को १९४७ में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया। भारत, १२० करोड़ लोगों के साथ दुनिया का दूसरे सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला लोकतंत्र है। .

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भारत का ध्वज

भारत के राष्ट्रीय ध्वज जिसे तिरंगा भी कहते हैं, तीन रंग की क्षैतिज पट्टियों के बीच नीले रंग के एक चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज है। इसकी अभिकल्पना पिंगली वैंकैया ने की थी।। भास्‍कर डॉट कॉम। १५ अगस्त २००९ इसे १५ अगस्त १९४७ को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व २२ जुलाई, १९४७ को आयोजित भारतीय संविधान-सभा की बैठक में अपनाया गया था।। भारत के राष्ट्रीय पोर्टल पर इसमें तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियाँ हैं, जिनमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में श्वेत ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी है। ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात ३:२ है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमें २४ आरे होते हैं। इस चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है व रूप सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ के शेर के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले की तरह होता है। भारतीय राष्ट्रध्वज अपने आप मै ही भारत की निति को दर्शाता हुआ दिखाई देता है। आत्मरक्षा, शांति, समृद्धि और सदैव विकास की ओर अग्रसर। राष्ट्रीय झंडा निर्दिष्टीकरण के अनुसार झंडा खादीमें ही बनना चाहिए। यह एक विशेष प्रकार से हाथ से काते गए कपड़े से बनता है जो महात्मा गांधी द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था। इन सभी विशिष्टताओं को व्यापक रूप से भारत में सम्मान दिया जाता हैं भारतीय ध्वज संहिता के द्वारा इसके प्रदर्शन और प्रयोग पर विशेष नियंत्रण है। ध्वज का हेराल्डिक वर्णन इस प्रकार से होता है: .

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भारत का संविधान

भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। यह दिन (26 नवम्बर) भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है। .

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भारत का उच्चतम न्यायालय

भारत का उच्चतम न्यायालय या भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत का शीर्ष न्यायिक प्राधिकरण है जिसे भारतीय संविधान के भाग 5 अध्याय 4 के तहत स्थापित किया गया है। भारतीय संघ की अधिकतम और व्यापक न्यायिक अधिकारिता उच्चतम न्यायालय को प्राप्त हैं। भारतीय संविधान के अनुसार उच्चतम न्यायालय की भूमिका संघीय न्यायालय और भारतीय संविधान के संरक्षक की है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 से 147 तक में वर्णित नियम उच्चतम न्यायालय की संरचना और अधिकार क्षेत्रों की नींव हैं। उच्चतम न्यायालय सबसे उच्च अपीलीय अदालत है जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के उच्च न्यायालयों के फैसलों के खिलाफ अपील सुनता है। इसके अलावा, राज्यों के बीच के विवादों या मौलिक अधिकारों और मानव अधिकारों के गंभीर उल्लंघन से सम्बन्धित याचिकाओं को आमतौर पर उच्च्तम न्यायालय के समक्ष सीधे रखा जाता है। भारत के उच्चतम न्यायालय का उद्घाटन 28 जनवरी 1950 को हुआ और उसके बाद से इसके द्वारा 24,000 से अधिक निर्णय दिए जा चुके हैं। .

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भारत के मूल अधिकार, निदेशक तत्त्व और मूल कर्तव्य

भारत के संविधान की प्रस्तावना - भारत के मौलिक और सर्वोच्च कानून मूल अधिकार, राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व और मूल कर्तव्य भारत के संविधान के अनुच्छेद हैं जिनमें अपने नागरिकों के प्रति राज्य के दायित्वों और राज्य के प्रति नागरिकों के कर्तव्यों का वर्णन किया गया है। इन अनुच्छेदों में सरकार के द्वारा नीति-निर्माण तथा नागरिकों के आचार एवं व्यवहार के संबंध में एक संवैधानिक अधिकार विधेयक शामिल है। ये अनुच्छेद संविधान के आवश्यक तत्व माने जाते हैं, जिसे भारतीय संविधान सभा द्वारा 1947 से 1949 के बीच विकसित किया गया था। ''मूल अधिकारों'' को सभी नागरिकों के बुनियादी मानव अधिकार के रूप में परिभाषित किया गया है। संविधान के भाग III में परिभाषित ये अधिकार नस्ल, जन्म स्थान, जाति, पंथ या लिंग के भेद के बिना सभी पर लागू होते हैं। ये विशिष्ट प्रतिबंधों के अधीन अदालतों द्वारा प्रवर्तनीय हैं। राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत सरकार द्वारा कानून बनाने के लिए दिशानिदेश हैं। संविधान के भाग IV में वर्णित ये प्रावधान अदालतों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन जिन सिद्धांतों पर ये आधारित हैं, वे शासन के लिए मौलिक दिशानिदेश हैं जिनको राज्य द्वारा कानून तैयार करने और पारित करने में लागू करने की आशा की जाती है। मौलिक कर्तव्यों को देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देने तथा भारत की एकता को बनाए रखने के लिए भारत के सभी नागरिकों के नैतिक दायित्वों के रूप में परिभाषित किया गया है। संविधान के चतुर्थ भाग में वर्णित ये कर्तव्य व्यक्तियों और राष्ट्र से संबंधित हैं। निदेशक सिद्धांतों की तरह, इन्हें कानूनी रूप से लागू नहीं किया जा सकता। .

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भारत के राष्ट्रपति

भारत के राष्ट्रपति, भारत गणराज्य के कार्यपालक अध्यक्ष होते हैं। संघ के सभी कार्यपालक कार्य उनके नाम से किये जाते हैं। अनुच्छेद 53 के अनुसार संघ की कार्यपालक शक्ति उनमें निहित हैं। वह भारतीय सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च सेनानायक भी हैं। सभी प्रकार के आपातकाल लगाने व हटाने वाला, युद्ध/शांति की घोषणा करने वाला होता है। वह देश के प्रथम नागरिक हैं। भारतीय राष्ट्रपति का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। सिद्धांततः राष्ट्रपति के पास पर्याप्त शक्ति होती है। पर कुछ अपवादों के अलावा राष्ट्रपति के पद में निहित अधिकांश अधिकार वास्तव में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिपरिषद् के द्वारा उपयोग किए जाते हैं। भारत के राष्ट्रपति नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में रहते हैं, जिसे रायसीना हिल के नाम से भी जाना जाता है। राष्ट्रपति अधिकतम कितनी भी बार पद पर रह सकते हैं इसकी कोई सीमा तय नहीं है। अब तक केवल पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने ही इस पद पर दो बार अपना कार्यकाल पूरा किया है। प्रतिभा पाटिल भारत की 12वीं तथा इस पद को सुशोभीत करने वाली पहली महिला राष्ट्रपति हैं। उन्होंने 25 जुलाई 2007 को पद व गोपनीयता की शपथ ली थी। - Fadoo Post - 14 july 2017 वर्तमान में राम नाथ कोविन्द भारत के चौदहवें राष्ट्रपति हैं। .

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भारत के संविधान का संशोधन

दशक प्रति प्रति दशक भारत में संवैधानिक संशोधनों की संख्या1 भारतीय संविधान का संशोधन भारत के संविधान में परिवर्तन करने की प्रक्रिया है। इस तरह के परिवर्तन भारत की संसद के द्वारा किये जाते हैं। इन्हें संसद के प्रत्येक सदन से पर्याप्त बहुमत के द्वारा अनुमोदन प्राप्त होना चाहिए और विशिष्ट संशोधनों को राज्यों के द्वारा भी अनुमोदित किया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया का विवरण संविधान के लेख 368, भाग XX में दिया गया है। इन नियमों के बावजूद 1950 में संविधान के लागू होने के बाद से इस में 90 से अधिक संशोधन किये जा चुके हैं। विवादस्पद रूप से भारतीय सुप्रीम कोर्ट (सर्वोच्च न्यायालय) के अनुसार संविधान में किये जाने वाले प्रत्येक संशोधन को अनुमति देना संभव नहीं है। एक संशोधन इस प्रकार होना चाहिए की यह संविधान की "मूल सरंचना" का सम्मान करे, जो कि अपरिवर्तनीय है। .

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भारत की न्यायपालिका

भारतीय न्यायपालिका (Indian Judiciary) आम कानून (कॉमन लॉ) पर आधारित प्रणाली है। यह प्रणाली अंग्रेजों ने औपनिवेशिक शासन के समय बनाई थी। इस प्रणाली को 'आम कानून व्यवस्था' के नाम से जाना जाता है जिसमें न्यायाधीश अपने फैसलों, आदेशों और निर्णयों से कानून का विकास करते हैं। भारत में कई स्तर के तथा विभिन्न प्रकार के न्यायालय हैं। भारत का शीर्ष न्यायालय नई दिल्ली स्थित सर्वोच्च न्यायालय है और उसके नीचे विभिन्न राज्यों में उच्च न्यायालय हैं। उच्च न्यायालय के नीचे जिला न्यायालय और उसके अधीनस्थ न्यायालय हैं जिन्हें 'निचली अदालत' कहा जाता है। भारत मे चार महानगरों में अलग अलग उच्चतम न्यायालय बनाने पर विचार किया जा रहा है क्योंकि दिल्ली देश के अनेक भौगोलिक भाग से बहुत दूर है तथा उच्चतम न्यायालय में कार्य का भार ज्यादा है .

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भारत २०१०

इन्हें भी देखें 2014 भारत 2014 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 2014 साहित्य संगीत कला 2014 खेल जगत 2014 .

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भारतीय भाषा आन्दोलन

भारतीय भाषा आन्दोलन भारत में हिन्दी और भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिलाने के चलाया गया एक आन्दोलन है। यह १६ अगस्त १९८८ को आरम्भ हुआ था। इनका आरोप है कि भारत को अब भी अंग्रेजीदां ही चला रहे हैं। आन्दोलनकारियों की मांग है कि 1968 के भाषाई संसदीय संकल्प को लागू करने के लिए एक सर्वदलीय संसदीय समिति का गठन किया जाये जो देश की सभी क्षेत्रीय भाषाओ के प्रतिनिधिओं के पक्षों को सुनकर अपना निर्णय करे। इस आन्दोलन का उदेश्य प्रत्येक स्तर से अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त करके भारतीय भाषाओ को लागू करवाना है – यह भावना 1968 के भाषाई संसदीय संकल्प में पहले से निहित है, यह अब ही उपजी कोई नयी मांग नहीं है। .

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भारतीय संविधान का इतिहास

किसी भी देश का संविधान उसकी राजनीतिक व्यवस्था का वह बुनियादी सांचा-ढांचा निर्धारित करता है, जिसके अंतर्गत उसकी जनता शासित होती है। यह राज्य की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसे प्रमुख अंगों की स्थापना करता है, उसकी शक्तियों की व्याख्या करता है, उनके दायित्यों का सीमांकन करता है और उनके पारस्परिक तथा जनता के साथ संबंधों का विनियमन करता है। इस प्रकार किसी देश के संविधान को उसकी ऐसी 'आधार' विधि (कानून) कहा जा सकता है, जो उसकी राज्यव्यवस्था के मूल सिद्धातों को निर्धारित करती है। वस्तुतः प्रत्येक संविधान उसके संस्थापकों एवं निर्माताओं के आदर्शों, सपनों तथा मूल्यों का दर्पण होता है। वह जनता की विशिष्ट सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रकृति, आस्था एवं आकांक्षाओं पर आधारित होता है। भारत में नये गणराज्य के संविधान का शुभारंभ 26 जनवरी, 1950 को हुआ और भारत अपने लंबे इतिहास में प्रथम बार एक आधुनिक संस्थागत ढांचे के साथ पूर्ण संसदीय लोकतंत्र बना। 26 नवम्बर, 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा निर्मित ‘भारत का संविधान’ के पूर्व ब्रिटिश संसद द्वारा कई ऐसे अधिनियम/चार्टर पारित किये गये थे, जिन्हें भारतीय संविधान का आधार कहा जा सकता है। .

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भारतीय संविधान के तीन भाग

संविधान के तीन.

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भारतीय संविधान की उद्देशिका

संविधान के उद्देश्यों को प्रकट करने हेतु प्राय: उनसे पहले एक उद्देशिका (Preamble) प्रस्तुत की जाती है। भारतीय संविधान की उद्देशिका अमेरिकी संविधान से प्रभावित तथा विश्व में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। उद्देशिका संविधान का सार मानी जाती है;और इसे संविधान की आत्मा भी कहा जाता हैं। उसके लक्ष्य प्रकट करती है; संविधान का दर्शन भी इसके माध्यम से प्रकट होता है। संविधान किन आदर्शों, आकाक्षाओं को प्रकट करता है, इसका निर्धारण भी उद्देशिका से हो जाता है। सर्वोच्च न्यायालय के मतानुसार उद्देशिका का प्रयोग संविधान निर्माताओ के मस्तिष्क में झांकने और उनके उद्देश्य को जानने में प्रयोग की जा सकती है। उद्देशिका यह घोषणा करती है कि संविधान अपनी शक्ति सीधे जनता से प्राप्त करता है। इसी कारण यह ‘हम भारत के लोग’ से प्रारम्भ होती है। केहर सिंह बनाम भारत संघ के वाद में कहा गया कि संविधान सभा भारतीय जनता का सीधा प्रतिनिधित्व नहीं करती थी अत: संविधान विधि की विशेष अनुकृपा प्राप्त नहीं कर सकता है परंतु न्यायालय ने इसे खारिज करते हुए संविधान को सर्वोपरि माना है जिस पर कोई प्रश्न नहीं उठाया जा सकता है। .

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भारतीय विधि आयोग

विधि संबंधी विषयों पर महत्वपूर्ण सुझाव देने के लिए सरकारें आवश्यकतानुसार आयोग नियुक्त कर देती है; इन्हें विधि आयोग (Law Commission, लॉ कमीशन) कहते हैं। स्वतन्त्र भारत में अब तक २१ विधि आयोग बन चुके हैं। २१वें विधि आयोग का कार्यकाल २०१८ तक है और न्यायमूर्ति बलबीर सिंह चौहान इसके अध्यक्ष हैं। .

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भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा

भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा (जन्म:01 फरवरी 1899 - 12 नवंबर 1986) भारत के मुख्य न्यायाधीश थे। उनका जन्म बिहार के शाहाबाद जिले (आज का भोजपुर जिला) के गांव गजियापुर में हुआ था, जो बड़हरा अंचल में गंगा नदी के किनारे अवस्थित है। वे आजादी के बाद सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। उनका कार्यकाल 1 अक्टूबर, 1956 से 31 जनवरी, 1964 तक रहा। वे भारत के छठवे प्रधान न्यायाधीश थे जिनका कार्यकाल अबतक के न्यायाधीशों में सबसे ज्यादा रहा है। वे भारत स्काउट एंड गाइड के भी प्रेसिडेंट रहे। .

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मनमोहन सिंह

मनमोहन सिंह (ਮਨਮੋਹਨ ਸਿੰਘ; जन्म: २६ सितंबर १९३२) भारत गणराज्य के १३वें प्रधानमन्त्री थे। साथ ही साथ वे एक अर्थशास्त्री भी हैं। लोकसभा चुनाव २००९ में मिली जीत के बाद वे जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमन्त्री बन गये हैं, जिनको पाँच वर्षों का कार्यकाल सफलता पूर्वक पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला है। इन्हें २१ जून १९९१ से १६ मई १९९६ तक पी वी नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्त मन्त्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों के लिए भी श्रेय दिया जाता है। .

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महान्यायवादी (भारत)

भारत का महान्यायवादी (Attorney General) भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार तथा भारतीय उच्चतम न्यायालय में सरकार का प्रमुख वकील होता है। भारत के महान्ययवादी(अनुछेद ७६) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। जो व्यक्ति उच्चतम न्यायालय का न्यायधीश बनने की योग्यता रखता है, ऐसे किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति महान्यायवादी के पद पर नियुक्त कर सकते हैं। देश के महान्यायवादी का कर्तव्य कानूनी मामलों में केंद्र सरकार को सलाह देना और कानूनी प्रकिया की उन जिम्मेदारियों को निभाना है जो राष्ट्रपति की ओर से उनके पास भेजे जाते हैं। इसके अतिरिक्त संविधान और किसी अन्य कानून के अंतर्गत उनका जो काम निर्धारित है, उनका भी पालन उन्हें पूरा करना होता है। अपने कर्तव्य के निर्वहन के दौरान उन्हें देश के किसी भी न्यायालय में उपस्थित होने का अधिकार है। उन्हें संसद की कार्यवाही में भी भाग लेने का अधिकार है, हालांकि उनके पास मतदान का अधिकार नहीं होता। उनके कामकाज में सहायता के लिए सॉलिसिटर जनरल और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल होते हैं। श्रेणी:भारत के अधिवक्ता.

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मानव बलि

एचिलिस के कब्र पर नीओप्टोलेमस के हाथ से पॉलीजिना मर गया" (एक प्राचीन कैमिया के बाद 1900 सदी का चित्र) किसी धार्मिक अनुष्ठान के भाग (अनुष्ठान हत्या) के रूप में किसी मानव की हत्या करने को मानव बलि कहते हैं। इसके अनेक प्रकार पशुओं को धार्मिक रीतियों में काटा जाना (पशु बलि) तथा आम धार्मिक बलियों जैसे ही थे। इतिहास में विभिन्न संस्कृतियों में मानव बलि की प्रथा रही है। इसके शिकार व्यक्ति को रीति-रिवाजों के अनुसार ऐसे मारा जाता था जिससे कि देवता प्रसन्न अथवा संतुष्ट हों, उदाहरण के तौर पर मृत व्यक्ति की आत्मा को देवता को संतुष्ट करने के लिए भेंट किया जाता था अथवा राजा के अनुचरों की बलि दी जाती थी ताकि वे अगले जन्म में भी अपने स्वामी की सेवा करते रह सकें.

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मार्कण्डेय काट्जू

मार्कण्डेय काट्जू भारतीय प्रेस परिषद् के अध्यक्ष एवं भारत के उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्रेणी:जीवित लोग श्रेणी:लखनऊ के लोग श्रेणी:1946 में जन्मे लोग.

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मिनर्वा मिल्स बनाम भारत सरकार

मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्धारित किया कि अनुच्छेद 368 का खंड (4) विधिसम्मत नहीं (invalid) है क्योंकि यह न्यायिक पुनर्विलोकन को समाप्त करने के लिए पारित किया गया था। न्यायिक पुनर्विलोकन का सिद्धांत संविधान का आधारभूत लक्षण है। अत एव 42वें संशोधन के उक्त प्रावधान को असंवैधानिक बताते हुए निर्णय दिया गया कि संसद् संविधान के मौलिक ढांचें को नहीं बदल सकता। वामन राव बनाम भारत संघ (1981) वाद में न्यायलय ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि आधारभूत लक्षण का सिद्धान्त 24-4-1973 को, अर्थात् केशवानंद भारती के निर्णय सुनाये जाने की तिथि, के बाद पारित होने वाले संविधान संशोधन अधिनियमों पर लागू होगा। इन संशोधनों और विनिश्चयों का परिणाम यह हुआ कि –.

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मिर्जा हमीदुल्ला बेग

मिर्जा हमीदुल्ला बेग भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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मिश्र

मिश्र ब्राह्मणों में आस्पद या उपनाम है। सब गुणों और कर्मों में निपुण तथा सबमें मिले रहने के कारण इस उप नाम को अंगीकृत किया गया। .

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मुनीश्वर दत्त उपाध्याय

पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता,शिक्षकविद थे। वे भारत के प्रथम एवं द्वितीय लोकसभा में सांसद थे। .

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मुरलीधर चन्द्रकान्त भंडारे

मुरलीधर चंद्रकांत भंडारे महाराष्ट्र से एक वरिष्ठ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नेता और १९८०-१९८२, १९८२-१९८८ और १९८८-१९९४ के दौरान तीन पदों के लिए पूर्व १९८० से १९९४ तक राज्यसभा सदस्य है। वह भारत के उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में प्रथाओं और दो ​​शब्दों के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष थे। वह १९ अगस्त २००७ को उड़ीसा के राज्यपाल नियुक्त किया गया था और २१ अगस्त को शपथ ली। .

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मुखर्जी आयोग

मुखर्जी आयोग (Justice Mukherjee Commission of Inquiry into the alleged disappearance of Netaji Subhas Chandra Bose) एकसदस्यीय बोर्ड था जिसे १९९९ में गठित गया। इसे १९४५ में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की रहस्यमय मृत्यु जी जाँच करने के लिये गठित किया गया था। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायधीश न्यायमूर्ति मनोज मुखर्जी इसके अध्यक्ष थे। ७ वर्ष की जाँच बाद ०६ मई २००६ को आयोग ने अपनी रपट प्रस्तुत की। इसमें आयोग ने पाया कि नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी। भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया। आयोग ने मुख्यत: निम्न निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं-.

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मुख्य चुनाव आयुक्त (भारत)

भारतीय मुख्य चुनाव आयुक्त भारतीय चुनाव आयोग का प्रमुख होता है और भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से राष्ट्र और राज्य के चु्नाव करवाने का जिम्मेदार होता हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति करता है। मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल ६ वर्ष या ६५ साल, जो पहले हो, का होता है। चुनाव आयुक्त का सम्मान और वेतन भारत के सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीश के सामान होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग के जरिए ही हटाया जा सकता हैं। .

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मुख्य न्यायधीश (भारत)

भारत का मुख्य न्यायधीश (Chief Justice of India / CJI) भारतीय न्यायपालिका तथा सर्वोच्च न्यायालय का अध्यक्ष होता है। .

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मुंबई उच्च न्यायालय

न्यायलय भवन मुंबई उच्च न्यायलय भारतीय न्यायपालिका के अंतर्गत के प्रदेश स्तरीय न्यायलय है। इसका कार्य क्षेत्र मे महाराष्ट्र, गोवा, आतेे है। श्रेणी:न्यायलय श्रेणी:न्यायपालिका श्रेणी:मुम्बई श्रेणी:महाराष्ट्र.

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मेहरचंद महाजन

मेहरचंद महाजन भारत के सर्वोच्च न्यायालय के तीसरे न्यायाधीश थे। .

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याकूब मेमन

याकूब अब्दुल रज़ाक मेमन (30 जुलाई 1962 - 30 जुलाई 2015) पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट और भारत का एक नागरिक था जो आतंकवाद के दोष में जुलाई २०१५ तक भारत में फाँसी पाने वाल अंतिम व्यक्ति था। वह १२ मार्च, १९९३ को मुंबई में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के मुख्य दोषीओं में से एक था। १९९३ मुंबई बम विस्फोट की आतंकी घटना में एक दर्जन से अधिक जगहों पर धमाके हुए थे। इनमें २५७ लोग मारे गए थे और ७०० से अधिक घायल हुए थे। पंद्रह वर्षो तक चले मुकदमे में विशेष टाडा न्यायाधीश पीडी कोदे ने जुलाई २००७ में १२ लोगों को मौत की सजा सुनाई थी, जिसमें से एक मेमन था। उस पर धमाकों की साजिश में शामिल होने के अलावा वारदात के लिए वाहनों का इंतजाम व विस्फोटक लदे वाहनों को निर्दिष्ट जगहों पर खड़ा करवाने का आरोप था। फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद से वो नागपुर सेंट्रल जेल में बंद था।मेमन की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने उसकी फांसी बरकरार रखी थी। साल २०१४ में भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के द्वारा भी उसकी दया याचिका खारिज की गई। हालाँकि उसके वकीलों ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की थी। वकीलों की दलील थी कि वह सिर्फ धमाकों की साजिश में शामिल था न कि धमाकों को अंजाम देने में। कोर्ट के मुताबिक, याकूब मेमन, टाइगर मेमन और दाउद इब्राहिम मुंबई धमाकों के मुख्य षडयंत्रकारी थे। वो अपने परिवार में सबसे पढ़े लिखे व्यक्ति था। मेमन तब से भारतीय जेल में बंद था जब नेपाल पुलिस ने उसे काठमांडू से गिरफ्तार करके भारतीय जांच एजेंसी सीबीआई को सौंपा था। उस पर आरोप था कि वह एक अकाउंट से जुड़ी फर्म चला रहा था,जिसके जरिये वह अपने भाई टाइगर मेमन के गैर-कानूनी वित्तीय लेनदेन संभालता था। ३० जुलाई २०१५ को सुबह 6:30 प्रातः उसे फाँसी दी गई जो तमाम न्यायिक प्रक्रियाओं के पूरा होने पर उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार दे दी गई। .

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यूसुफ़ रज़ा गिलानी

यूसुफ रजा गिलानी पाकिस्तान के एक राजनितिज्ञ हैं। वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे। पाकिस्तान की राष्ट्रीय विधानसभा में वे पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी से संबद्ध सदस्य के रूप में पंजाब (पाकिस्तान) के NA-151 निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। - पाकिस्तान के राष्ट्रीय विधानसभा | वे पाकिस्तान के सबसे लंबी अवधि तक पद पर बने रहने वाले निर्वाचित प्रधानमंत्री हैं। पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने २६ अप्रैल २0१२ को उन्हें पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को फिर से खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने के आदेश का पालन न करने के कारण अवमानना का दोषी करार दिया। लेकिन वे अपने पद पर बने रहे। १९ जून को सर्वोच्च न्यायालय ने दूसरा आदेश जारी करते हुए उन्हें गत २६ अप्रैल से ही पद पर बने रहने के लिए अयोग्य ठहराया और निर्वाचन आयोग को इस संबंध में अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया। .

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योगेश कुमार सभरवाल

योगेश कुमार सभरवाल भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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रत्नावेल पांडियन

रत्नावेल पांडियन (13 फरवरी 1929 – 28 फरवरी 2018), वर्ष 1988 से 1994 तक उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रहे। उन्होंने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था। .

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रमेश चन्द्र लहोटी

आर सी लहोटी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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रशीद मसूद

रशीद मसूद (जन्म 15 अगस्त 1947) एक भारतीय सांसद हैं जो भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा अपराधी घोषित किये गये हैं। मसूद 1990 और 1991 के बीच केंद्र की विश्वनाथ सिंह सरकार में स्वास्थ राज्य मंत्री थे। केंद्रीय पूल से देश भर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए त्रिपुरा को आवंटित एमबीबीएस सीटों पर धोखाधड़ी से अयोग्य उम्मीदवारों को नामित करने के मामले में मसूद को दोषी ठहराया गया था। वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में भारतीय राजनीतिज्ञ और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व लोक सभा सदस्य हैं। वो राज्यसभा सदस्य भी थे। वो १० अगस्त २००७ को उपराष्ट्रपति पद चुनाव के लिए संयुक्त राष्ट्रीय प्रगतिशील गठबंधन (तीसरा मोर्चा) के उम्मीदवार भी थे और ७५ मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। मसूद ऐसे पहले जनप्रतिनिधि बन गए हैं, जिनकी राज्य सभा सदस्यता अदालत से दोषी ठहराने के बाद गई है। .

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राम जन्मभूमि

हिन्दुओं की मान्यता है कि श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और उनके जन्मस्थान पर एक भव्य मन्दिर विराजमान था जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर वहाँ एक मसजिद बना दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में इस स्थान को मुक्त करने एवं वहाँ एक नया मन्दिर बनाने के लिये एक लम्बा आन्दोलन चला। ६ दिसम्बर सन् १९९२ को यह विवादित ढ़ांचा गिरा दिया गया और वहाँ श्री राम का एक अस्थायी मन्दिर निर्मित कर दिया गया। .

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रामस्वामी वेंकटरमण

रामस्वामी वेंकटरमण, (रामास्वामी वेंकटरमन, रामास्वामी वेंकटरामण या रामास्वामी वेंकटरमण)(४ दिसंबर १९१०-२७ जनवरी २००९) भारत के ८वें राष्ट्रपति थे। वे १९८७ से १९९२ तक इस पद पर रहे। राष्ट्रपति बनने के पहले वे ४ वर्षों तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे। मंगलवार को २७ जनवरी को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। वे ९८ वर्ष के थे। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत देश भर के अनेक राजनेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने २:३० बजे दिल्ली में सेना के रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में अंतिम साँस ली। उन्हें मूत्राशय में संक्रमण (यूरोसेप्सिस) की शिकायत के बाद विगत १२ जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे साँस संबंधी बीमारी से भी पीड़ित थे। उनका कार्यकाल १९८७ से १९९२ तक रहा। राष्ट्रपति पद पर आसीन होने से पूर्व वेंकटरमन करीब चार साल तक देश के उपराष्ट्रपति भी रहे। .

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राष्ट्रीय न्याय अकादमी

न्यायिक अधिकारियों को सेवा के दौरान प्रशिक्षण देने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी की स्थापना की है। इसका पंजीकरण 17 अगस्त 1993.

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राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, त्रिची

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, तिरुचिरापल्ली (एनआईटीटी), जो पहले रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज, तिरुचिरापल्ली था, भारत के तिरुचिरापल्ली शहर में स्थित एक सार्वजनिक इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय है। इस संस्थान की स्थापना 1964 में देश की तकनीकी जनशक्ति की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए की गयी थी। आज यह भारत के 18 राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक है और इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में मान्यता दी जाती है। संस्थान में लगभग 3,400 छात्र विभिन्न पूर्वस्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में नामांकित हैं। एनआईटीटी को नियमित रूप से देश के शीर्ष 15 इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्थान दिया जाता रहा है। यह संस्थान तिरुचिरापल्ली के बाहरी इलाके में एक परिसर पर स्थित है। अधिकांश छात्र परिसर के आवासीय हॉस्टलों में रहते हैं। यहाँ 35 से अधिक ऐसे छात्र समूह हैं जो विभिन्न गतिविधियों और रुचियों को पूरा करने में जुटे हुए हैं। संस्थान वार्षिक सांस्कृतिक और तकनीकी समारोहों का भी आयोजन करता है जो देश और विदेश के प्रतिभागियों को आकर्षित करता है। .

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

यह लेख भारत के एक सांस्कृतिक संगठन आर एस एस के बारे में है। अन्य प्रयोग हेतु आर एस एस देखें। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का एक दक्षिणपंथी, हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन हैं, जो व्यापक रूप से भारत के सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का पैतृक संगठन माना जाता हैं। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपेक्षा संघ या आर.एस.एस. के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। बीबीसी के अनुसार संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है। .

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राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (भारत)

भारत राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण व्यवस्था शुरू कर दुनिया में ऐसा तीसरा देश बन गया है, जहाँ पर्यावरण मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें चलती हैं। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश लोकेश्वरसिंह पंता को न्यायाधिकरण का पहला अध्यक्ष बनाया गया है और उन्होंने पदभार संभाल लिया है। इस न्यायाधिकरण की चार क्षेत्रीय पीठ होंगी। न्यायाधिकरण के अस्तित्व में आने के साथ राष्ट्रीय पर्यावरण अपीली प्राधिकार अस्तित्व में नहीं रह जाएगा तथा उसके समक्ष के सारे मामले नए संस्था को स्थानांतरित कर दिया गया है। इस न्यायाधिकरण की स्थापना राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण कानून के तहत किया गया है जिस कानून को इस वर्ष के आरंभ में संसद के द्वारा पारित किया गया था। भारत से पहले ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ही केवल दो देश हैं, जिनके पास पर्यावरण संबंधी मसलों के निपटारे के लिए विशेष अदालत है। पिछले वर्ष अप्रैल में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के पद से अवकाश ग्रहण करने वाले पंता ने कहा कि उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, उसे पूरा करने की कोशिश करने का उनका प्रयास होगा। इस न्यायाधिकरण में 20 सदस्य होंगे जिसमें 10 न्यायापालिका क्षेत्र के और 10 सदस्य पर्यावरण के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ होंगे। (भाषा) .

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राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (भारत)

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना ससंद के द्वारा 1992 के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के नियमन के साथ हुई थी। .

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राजस्थान रॉयल्स

राजस्थान रॉयल्स, इंडियन प्रीमियर लीग की एक जयपुर स्थित फ्रैन्चाइज़ है। जुबिन भरूचा इस टीम के वर्तमान प्रशिक्षक (कोच) व कप्तान अजिंक्य रहाणे हैं जिन्हें २०१८ की नीलामी में रिटेन किया गया। इस टीम का घरेलू मैदान सवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुर है। इस टीम का शुभंकर है शेर, जिसे मूछू सिंह कहते हैं।.

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राजस्थान उच्च न्यायालय

राजस्थान उच्च न्यायालय भारत के राजस्थान प्रान्त का न्यायालय हैं। इसका मुख्यालय जोधपुर मे है। यह २१ जून, १९४९ को राजस्थान उच्च न्यायालय अध्यादेश, १९४९ के अंतर्गत स्थापित किया गया। इसकी एक खण्डपीठ जयपुर में भी स्थित है। .

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राजेन्द्र बाबू

कोई विवरण नहीं।

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राजेन्द्र मल लोढ़ा

राजेन्द्र मल लोढ़ा (जन्म:28 सितंबर 1949http://www.supremecourtofindia.nic.in/judges/sjud/rmlodha.htm) भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं। उन्होंने 27 अप्रैल 2014 को उच्चतम न्यायालय के 41 वे मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण किया। 17 दिसम्बर 2008 को भारत का उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बने। .

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राईट टु रिजेक्ट (भारत)

right राइट टू रिजेक्ट का अर्थ है चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों को ख़ारिज करने का अधिकार। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 26 सितम्बर 2013 को एक ऐतिहासिक फ़ैसला देते हुए देश के मतदाताओं को यह अधिकार दे दिया है कि वे अब मतदान के दौरान सभी प्रत्याशियों को खारिज कर सकेंगे। भारत की शीर्षस्थ अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में 'इनमें से कोई नहीं' के विकल्प का एक बटन उपलब्ध कराए। आदेश में यह भी कहा गया कि यह व्यवस्था 2013 में होने वाले विधानसभा चुनाव से ही शुरू कर दी जाए। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश पी.

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रवि शंकर प्रसाद

रवि शंकर प्रसाद (जन्म: ३० अगस्त, १९५४) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वर्तमान में वे भारतीय संसद के ऊपरी सदन में बिहार राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में भारत के कोयला एवं खान मंत्रालय, न्याय एवं विधि मन्त्रालय तथा सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय में राज्य मन्त्री रह चुके हैं। प्रसाद भारत के मुख्य राजनैतिक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अग्रणी सदस्यों में से एक हैं। .

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रंजन गोगोई

रंजन गोगोई एक भारतीय न्यायाधीश तथा वर्तमान भारत का उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश है। वे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश थे। .

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रंजना देसाई

न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई (जन्म: 30 अक्टूबर 1949) सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश हैं। 13 सितंबर 2011 को वे इस पद पर नियुक्त हुई हैं। श्रीमती देसाई का जन्म 30 अक्टूबर 1949 को हुआ था। वे 1970 में एल्फिंस्टन कॉलेज मुंबई से कला में स्नातक और 1973 में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई से कानून में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की। वे 30 जुलाई 1973 को कानूनी पेशे में शामिल हो गयी। 1979 में उन्हें सरकारी अधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया। 1986 में निवारक नजरबंदी के मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजक के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। वे 1 नवम्बर 1995 को सरकारी अधिवक्ता, अपीलीय साइड, मुंबई उच्च न्यायालय के पद पर नियुक्त हुई और 15 अप्रैल 1996 को उन्हें मुंबई उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया। 13 सितंबर 2011 को उनकी नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश के रूप में हुई। .

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रंगनाथ मिश्र

रंगनाथ मिश्र भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। hggigruhgdiy hfjjdjnfj श्रेणी:१९२६ में जन्में लोग श्रेणी:२०१२ में निधन श्रेणी:भारत के मुख्य न्यायाधीश श्रेणी:ओड़िशा के राज्यपाल.

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रैगिंग

रैगिंग का शब्द अधिकांश रूप से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में प्रयोग किया जाता है। इस शब्द का मतलब है कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में वरिष्ठ छात्र नए छात्रों से अपनी बड़ाई प्रकट करने के लिए बहुत ही अपमानजनक रूप से पेश आते हैं, अभद्र हरकतें और अभद्र तरीकों का प्रदर्शन करने पर जोर देते हैं। यह कई बार घिनौना रूप धारण करता है जब नए छात्र मानसिक या शारीरिक यातना झेलने लगते हैं। --> वर्तमान रूप में कहा जाता है कि श्रीलंका दुनिया में रैगिंग से सर्वाधिक प्रभावित देश है। भारत में विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग ने भारतीय विश्वविद्यालयों में इसको रोकने के लिए कई निर्देश जारी किए हैं। इसके लिए एक टोल फ्री हेल्पलाइन भी शुरू की गई है। .

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रूमा पाल

न्यायमूर्ति रूमा पाल (जन्म: 3 जून 1941) सुप्रीम कोर्ट के पूरे इतिहास में न्यायाधीश बनने वाली तीसरी महिला हैं, जो 3 जून 2006 को सेवानिवृत हुई हैं। .

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लालू प्रसाद यादव

लालू प्रसाद यादव (जन्म: 11 जून 1948) भारत के बिहार राज्य के राजनेता व राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष हैं। वे 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। बाद में उन्हें 2004 से 2009 तक केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार में रेल मन्त्री का कार्यभार सौंपा गया। जबकि वे 15वीं लोक सभा में सारण (बिहार) से सांसद थे उन्हें बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में रांची स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत ने पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी। इस सजा के लिए उन्हें बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार रांची में रखा गया था। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के विशेष न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा जबकि उन पर कथित चारा घोटाले में भ्रष्टाचार का गम्भीर आरोप सिद्ध हो चुका था। 3 अक्टूबर 2013 को न्यायालय ने उन्हें पाँच साल की कैद और पच्चीस लाख रुपये के जुर्माने की सजा दी। दो महीने तक जेल में रहने के बाद 13 दिसम्बर को लालू प्रसाद को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिली। यादव और जनता दल यूनाइटेड नेता जगदीश शर्मा को घोटाला मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद लोक सभा से अयोग्य ठहराया गया। इसके बाद राँची जेल में सजा भुगत रहे लालू प्रसाद यादव की लोक सभा की सदस्यता समाप्त कर दी गयी। चुनाव के नये नियमों के अनुसार लालू प्रसाद अब 11 साल तक लोक सभा चुनाव नहीं लड़ पायेंगे। लोक सभा के महासचिव ने यादव को सदन की सदस्यता के अयोग्य ठहराये जाने की अधिसूचना जारी कर दी। इस अधिसूचना के बाद संसद की सदस्यता गँवाने वाले लालू प्रसाद यादव भारतीय इतिहास में लोक सभा के पहले सांसद हो गये हैं। .

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लिब्रहान आयोग

१९९२ में ढहाये जाने से पहले की बाबरी मस्जिद की एक तस्वीरलिब्रहान आयोग, भारत सरकार द्वारा १९९२ में अयोध्या में विवादित ढांचे बाबरी मस्जिद के विध्वंस की जांच पड़ताल के लिए गठित एक जांच आयोग है, जिसका कार्यकाल लगभग १७ वर्ष लंबा है। भारतीय गृह मंत्रालय के एक आदेश से १६ दिसंबर १९९२ को इस आयोग का गठन हुया था। इसका अध्यक्ष भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मनमोहन सिंह लिब्रहान को बनाया गया था, जिन्हें ६ दिसम्बर १९९२ को अयोध्या में ढहाये गये बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे और उसके बाद फैले दंगों की जांच का काम सौंपा गया था। आयोग को अपनी रिपोर्ट तीन महीने के भीतर पेश करनी थी, लेकिन इसका कार्यकाल अड़तालीस बार बढ़ाया गया और १७ वर्ष के लंबे अंतराल के बाद अंततः आयोग ने ३० जून २००९ को अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंप दी। नवम्बर २००९, में रिपोर्ट के कुछ हिस्से समाचार मीडिया के हाथ लग गये, जिसके चलते भारतीय संसद में बड़ा हंगामा हुआ। .

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लक्ष्मीमल्ल सिंघवी

लक्ष्मीमल्ल सिंघवी - डाकटिकट लक्ष्मीमल्ल सिंघवी (या लक्ष्मीमल सिंघवी) (९ नवंबर १९३१- ६ अक्टूबर २००७) ख्यातिलब्ध न्यायविद, संविधान विशेषज्ञ, कवि, भाषाविद एवं लेखक थे। उनका जन्म भारत के राजस्थान प्रांत में स्थित जोधपुर नगर में हुआ। १९६२ से १९६७ तक तीसरी लोक सभा के सदस्य श्री सिंघवी ने १९७२ से ७७ तक राजस्थान के एडवोकेट जनरल तथा अनेक वर्षों तक यूके में भारत के राजदूत पद पर कार्य किया। उन्हें १९९८ में पद्म भूषण से अलंकृत किया गया तथा १९९९ में वे राज्य सभा के सदस्य भी चुने गए। डॉ॰ लक्ष्मीमल सिंघवी ने नेपाल, बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका के संविधान रचे। उन्हें भारत में अनेक लोकपाल, लोकायुक्त संस्थाओं का जनक माना जाता है। डॉ॰ सिंघवी संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार अधिवेशन और राष्ट्रकुल (कॉमनवेल्थ) विधिक सहायता महासम्मेलन के अध्यक्ष, विशेषज्ञ रहे। वे ब्रिटेन के सफलतम उच्चायुक्त माने जाते हैं। वे सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के चार बार अध्यक्ष रहे। उन्होंने विधि दिवस का शुभारंभ किया। डॉ॰ लक्ष्मीमल्ल सिंघवी ने हिंदी के वैश्वीकरण और हिंदी के उन्नयन की दिशा में सजग, सक्रिय और ईमानदार प्रयास किए। भारतीय राजदूत के रूप में उन्होंने ब्रिटेन में भारतीयता को पुष्पित करने का प्रयास तो किया ही, अपने देश की भाषा के माध्यम से न केवल प्रवासियों अपितु विदेशियों को भी भारतीयता से जोड़ने की कोशिश की। वे संस्कृतियों के मध्य सेतु की तरह अडिग और सदा सक्रिय रहे। वे भारतीय संस्कृति के राजदूत, ब्रिटेन में हिन्दी के प्रणेता और हिंदी-भाषियों के लिए प्रेरणा स्रोत थे। विश्व भर में फैले भारत वंशियों के लिए प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की संकल्पना डॉ॰ सिंघवी की ही थी। वे साहित्य अमृत के संपादक रहे और अपने संपादन काल में उन्होने श्री विद्यानिवास मिश्र की स्वस्थ साहित्यिक परंपरा को गति प्रदान की। भारतीय ज्ञानपीठ को भी श्री सिंघवी की सेवाएँ सदैव स्मरण रहेंगी। भारतीय डायसपोरा की अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष श्री सिंघवी ने अनेक पुस्तकों की रचना भी की है। वे कई कला तथा सांस्कृतिक संगठनों के संरक्षक भी थे। जैन इतिहास और संस्कृति के जानकार के रूप में मशहूर श्री सिंघवी ने कई पुस्तकें लिखीं जिनमें से अनेक हिंदी में हैं। श्री सिंघवी प्रवासी भारतीयों की उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष भी रहे। विधि और कूटनीति की कूट एवं कठिन भाषा को सरल हिन्दी में अभिव्यक्त करने में उनका कोई सानी नहीं था। विश्व हिन्दी सम्मेलन के आयोजनों में सदा उनकी अग्रणी भूमिका रहती थी। संध्या का सूरज: हिन्दी काव्य, पुनश्च (संस्मरणों का संग्रह), भारत हमारा समय, जैन मंदिर आदि उनकी प्रसिद्ध हिन्दी कृतियाँ हैं। अंग्रेज़ी में टुवर्डस ग्लोबल टुगैदरनेस (Towards Global Togetherness), डेमोक्रेसी एंड द रूल ऑफ़ द लॉ (Democracy and the Rule of the Law), फ्रीडम ऑन ट्रायल (Freedom on trial) आदि उनकी प्रसिद्ध अंग्रेज़ी पुस्तकें हैं। ८ दिसम्बर २००८ को भारतीय डाकतार विभाग ने उनके सम्मान में एक डाक-टिकट तथा प्रथम दिवस आवरण प्रकाशित किया है। .

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शान्ति भूषण

शान्ति भूषण (जन्म ११ नवम्बर १९२५ इलाहाबाद) भारत के भूतपूर्व विधिमन्त्री एवं सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। वे मोरारजी देसाई सरकार में विधि, न्याय एवं कम्पनी कार्य मन्त्री थे। सन् २००९ में इंडियन एक्सप्रेस द्वारा उन्हें विश्व के सबसे शक्तिशाली भारतीय लोगों की सूची में ७४वें स्थान पर रखा गया था। वे भारत में भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष करने वालों में अग्रणी हैं। .

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शाहबानो प्रकरण

शाह बानो प्रकरण भारत में राजनीतिक विवाद को जन्म देने के लिये कुख्यात है। इसको अक्सर राजनैतिक लाभ के लिये अल्पसंख्यक वोट बैंक के तुष्टीकरण के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। .

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श्याम रुद्र पाठक

'''श्याम रूद्र पाठक''' श्याम रुद्र पाठक भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यकर्ता हैं। वे 'न्याय एवं विकास अभियान' नामक अभियान के संयोजक है। .

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श्रीविद्या

श्रीविद्या ஸ்ரீவித்யா (24 जुलाई 1953 - 19 अक्टूबर 2006) 1970 के दशक से लेकर 2000 की शुरुआत की अवधि में भारतीय फिल्म जगत की एक प्रमुख अभिनेत्री होने के साथ-साथ एक अच्छी गायिका भी थीं। अपने करियर के उत्तरार्ध में उन्होंने मलयालम फिल्मों पर अधिक ध्यान दिया। कई फिल्मों में एक माँ के रूप में उनकी सशक्त भूमिकाओं को अत्यधिक पसंद किया गया। श्रीविद्या का निजी जीवन त्रासदियों से भरा रहा है। स्तन कैंसर के कारण मृत्यु को प्राप्त करने से पहले उन्होंने अपने कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण दर्शाते हुए सभी प्रकार की बाधाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी.

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सतना

सतना भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। .

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सत्यपाल जैन

सत्यपाल जैन भारतीय विधि आयोग के सदस्य और भारत के अपर सॉलिसिटर जनरल है। 11 जून, 2016 को उन्हें 21 वें विधि आयोग का अंशकालिक सदस्य नियुक्त किया गया। 21 वें विधि आयोग में उनका कार्यकाल 1 सिंतबर, 2015 से 31 अगस्त, 2018 तक है। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य भी हैं। वे चण्डीगढ़ से 1996 में (11 वीं लोकसभा) और 1998 में (12 वीं लोकसभा) से निर्वाचित हुये थे। वे भारत के उच्चतम न्यायालय और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में चण्डीगढ़ में वरिष्ठ अधिवक्ता है। .

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समान नागरिक संहिता

समान नागरिक संहिता अथवा समान आचार संहिता का अर्थ एक धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) कानून होता है जो सभी धर्म के लोगों के लिये समान रूप से लागू होता है। दूसरे शब्दों में, अलग-अलग धर्मों के लिये अलग-अलग सिविल कानून न होना ही 'समान नागरिक संहिता' का मूल भावना है। समान नागरिक कानून से अभिप्राय कानूनों के वैसे समूह से है जो देश के समस्त नागरिकों (चाहे वह किसी धर्म या क्षेत्र से संबंधित हों) पर लागू होता है। यह किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है। विश्व के अधिकतर आधुनिक देशों में ऐसे कानून लागू हैं। समान नागरिकता कानून के अंतर्गत.

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सरकारिया आयोग

सरकारिया आयोग का गठन भारत सरकार ने जून १९८३ में किया था। इसके अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायधीश न्यायमूर्ति राजिन्दर सिंह सरकारिया थे। इसका कार्य भारत के केन्द्र-राज्य सम्बन्धों से सम्बन्धित शक्ति-संतुलन पर अपनी संस्तुति देना था। .

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सर्बानन्द सोणोवाल

सर्बानंद सोनोवाल (जन्म: 31 अक्टूबर 1962) असम के १४ वें मुख्यमंत्री हैं। वे भारत की सोलहवीं लोकसभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे असम की लखीमपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर निर्वाचित हुए। सोनोवाल का जन्म असम के डिब्रुगढ़ में हुआ है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में उन्हें खेल एवं युवा मामलों के राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) का पद दिया गया। मई २०१६ में हुए असम विधान सभा चुनाव में वह भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे। चुनावों में पार्टी के विजयी होने के बाद सोनोवाल ने २४ मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। .

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सामुदायिक रेडियो

रेडियो सेवा का एक प्रकार है सामुदायिक रेडियो, जो वाणिज्यिक और सार्वजनिक सेवा से परे रेडियो प्रसारण का एक तीसरा मॉडल प्रदान करता है। समुदाय स्टेशन भौगोलिक समुदायों और अभिरुचि के समुदायों की सेवा कर सकते हैं। वे ऎसी सामग्री का प्रसारण करते हैं जो कि किन्हीं स्थानीय/विशिष्ट श्रोताओं में लोकप्रिय है, जिनकी अनदेखी वाणिज्यिक या जन-माध्यम प्रसारकों द्वारा की जा सकती है। सामुदायिक रेडियो स्टेशन ऐसे समुदायों द्वारा परिचालित और संचालित होते हैं और उनका स्वामित्व भी उनका ही होता है, जिनके लिए वे सेवा प्रदान करते हैं। सामुदायिक रेडियो लाभ कमाने के लिए नहीं होते और यह व्यक्ति विशेष, समूह और समुदायों की अपनी विविध कहानियों को कहने, अनुभवों को बांटने की प्रक्रिया को सुगम बनाते हैं और संचार माध्यम से संपन्न दुनिया में सक्रिय स्रष्टा और संचार माध्यम के सहयोगी बनते हैं। दुनिया के कई हिस्सों में, स्वयंसेवी क्षेत्र, नागरिक समाज, एजेंसियों, गैर-सरकारी संगठनों और नागरिकों के लिए सामुदायिक रेडियो और अधिक सामुदायिक विकास तथा प्रसारण उद्देश्यों के कार्य में भागीदारी के माध्यम के रूप में काम करता है। फ्रांस, अर्जेंटीना, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और आयरलैंड जैसे कई देशों में एक विशिष्ट प्रसारण क्षेत्र के रूप में सामुदायिक रेडियो की महत्वपूर्ण कानूनी परिभाषा की गयी है। परिभाषा के भाग के रूप में ज्यादातर कानूनों में सामाजिक लाभ, सामाजिक उद्देश्य, सामाजिक प्राप्ति जैसे वाक्यांश शामिल किये गये हैं। सामुदायिक रेडियो ऐतिहासिक रूप से विभिन्न देशों में विभिन्न ढंग से विकसित हुआ और इसलिए यूनाइटेड किंगडम, आयरलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में इस शब्दावली का कुछ अलग-अलग अर्थ होता है। आयरलैंड में, सामुदायिक रेडियो १९७० के दशक के अंत से सक्रिय है; हालांकि आयरिश सन्दर्भ में सामुदायिक प्रसारण द्वारा पेश किये गये सामुदायिक रेडियो के 18 महीने के पायलट प्रोजेक्ट की संभाव्यता का पता लगाने और मूल्यांकन करने में स्वतंत्र रेडियो व टेलीविजन आयोग को १९९४ तक का समय लग गया। यह परियोजना १९९५ में परिचालन में चली गयी जब देश भर के ग्यारह समुदायों और अभिरुचि समूहों के समुदायों को लाइसेंस जारी किये गये। आयरलैंड के समुदाय रेडियो में प्रक्रिया (कार्यक्रम निर्माण में समुदायों द्वारा भागीदारी) और उत्पाद (कार्यक्रम निर्माण की आपूर्ति के जरिये समुदाय को सेवा प्रदान करना) दोनों को शामिल किया गया है। समुदाय की आवश्यकताओं द्वारा प्रक्रिया और उत्पाद का मिश्रण निर्धारित होता है और समुदाय द्वारा नियंत्रित एक प्रबंधन संरचना के माध्यम से इसे कार्यान्वित किया जाता है। आयरलैंड के स्टेशन भौगोलिक रूप और अभिरुचि या हित के समूह दोनों पर आधारित हैं। ब्रिटेन में, सामुदाय-आधारित सेवाओं के विचार के चिह्न कम से कम १९६० के दशक के आरंभ में बीबीसी (BBC) स्थानीय रेडियो की मूल अवधारणा के समय में पाए जा सकते हैं। इसके बाद भूमि-स्थित विभिन्न गैर-लाइसेंसी चोर रेडियो स्टेशनों (जैसे कि ईस्ट लंदन रेडियो और रेडियो एएमवाई: ऑल्टरनेटिव मीडिया फॉर यू) ने इस विचार को और विकसित किया। जैसे-जैसे ये चोर रेडियो १९७० के दशक के अंत में और १९८० के दशक के आरंभ में बड़ी तादाद में पैदा होने लगे, तब खासकर लंदन, बर्मिंघम, ब्रिस्टल और मैनचेस्टर जैसे शहरों में इन स्टेशनों के साथ अल्पसंख्यक आप्रवासी समुदायों (अफ्रीकी-कैरिबियाई और एशियाई आदि) के प्रसारण जुड़ने लगे.

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सिमी

सिमी (SIMI) या स्टुडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया भारत में प्रतिबंधित एक संगठन है। इसका गठन 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ है। इसके अनुसार इनका ध्येय 'पश्चिमी भौतिकवादी सांस्कृतिक प्रभाव को एक इस्लामिक समाज में रूपांतरित करना है'। कई लोगों और भारत सरकार की मान्यता है कि सिमी आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ा हुआ है। सिमी भारत में आतंकवादी गतिविधियों में अपनी भागीदारी के लिए 2002 में भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था। हालांकि, अगस्त 2008 में, एक विशेष न्यायाधिकरण में सिमी पर प्रतिबंध हटा लिया। ये प्रतिबंध बाद में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 6 अगस्त 2008 को बहाल किया गया। सिमी को अनलॉफुल ऐक्टिविटीज प्रिवेंशन ऐक्ट 1967 (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित किया गया था। सिमी 2019 तक प्रतिबंधित है। इस संगठन की उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में मजबूत उपस्थिति है। कई जानकारों का मानना है कि प्रतिबंध लगने के बाद सिमी इंडियन मुजाहिदीन नाम से भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है। - नवभारत टाइम्स - 31 अक्टूबर 2016 .

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संतोष हेगडे

एन. संतोष हेगडे एन.

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संजय दत्त

संजय दत्त (जन्म २९ जुलाई १९५९) एक भारतीय अभिनेता और फ़िल्म निर्माता हैं जिन्हें हिन्दी सिनेमा में उनके काम के लिए जाना जाता है। वो थोड़े-बहुत राजनीति से भी जुड़े हुए हैं और १९९३ में हुए मुम्बई बम हमलों के मामले में कुख्यात भी हैं। दत्त प्रसिद्ध फ़िल्म कलाकार एवं राजनीतिज्ञ सुनील दत्त एवं अभिनेत्री नर्गिस के पुत्र हैं। उन्होंने हिन्दी फ़िल्मों में सन् १९८१ में काम करना आरम्भ किया। उसके बाद उन्होंने कई प्रसिद्ध हिन्दी फ़िल्मों में अभिनय किया। उन्होंने फ़िल्मों में प्रेमी, हास्य जैसे अभिनय भी किये और अपराधी, ठग और पुलिस अधिकारी का अभिनय भी किया जिसके लिए अपने प्रशंसकों और फ़िल्म समालोचकों से अभूतपूर्व प्रशंसा प्राप्त की। दत्त को अप्रैल १९९३ में आतंकवादियों की सहायता करना, नौ मिमी पिस्टल को अवैध तरिके से अपने घर पर रखने और एके-छप्पन रायफल रखने के आरोप में आतंकवादी तथा विघटनकारी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (टाडा) के तहत गिरफ्तार किया गया। १८ माह जेल की सजा काटने के बाद, उन्हें अप्रैल १९९५ में जमानत मिल गई। जुलाई २००७ में उन्हें छः वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। भारत के सर्वोच्य न्यायालय ने २१ मार्च २०१३ के अपने एक निर्णय में उन्हें १९९३ के मुम्बई बम विस्फोट मामले में पाँच वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई। .

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संवैधानिक अर्थशास्त्र

संवैधानिक अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र और संविधानवाद के क्षेत्र में एक अनुसंधान कार्यक्रम है जिसे महज 'संवैधानिक कानून के आर्थिक विश्लेषण' की परिभाषा से परे "आर्थिक और राजनीतिक एजेंटों के विकल्पों और गतिविधियों को बाधित करने वाले कानूनी-संस्थागत-संवैधानिक नियमों के वैकल्पिक समूहों से संबंधित विकल्प" के रूप में वर्णित किया गया है। यह उन नियमों के भीतर आर्थिक और राजनीतिक एजेंटों के विकल्पों की व्याख्या से अलग है, जो एक "रूढ़िवादी" अर्थशास्त्र का विषय है। संवैधानिक अर्थशास्त्र "मौजूदा संवैधानिक ढांचे और सीमाओं या उस ढांचे द्वारा बनाई गयी अनुकूल परिस्थितियों के साथ प्रभावी आर्थिक फैसलों की संगतता" का अध्ययन करता है। इसका वर्णन संवैधानिक मामलों पर अर्थशास्त्र के साधनों का प्रयोग करने के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण के रूप में किया गया है। उदाहरण के लिए, प्रत्येक देश की एक प्रमुख चिंता, उपलब्ध राष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय संसाधनों के समुचित रूप से आवंटन के संबंध होती है। इस समस्या का कानूनी समाधान संवैधानिक अर्थशास्त्र के दायरे के भीतर आता है। संवैधानिक अर्थशास्त्र "बिक्री योग्य" सामानों और सेवाओं के वितरण की गतिशीलता के कार्यों के रूप में आर्थिक संबंधों को सीमित करने वाले विश्लेषण के विपरीत, राजनीतिक आर्थिक फैसलों के महत्वपूर्ण प्रभावों पर ध्यान देता है। "राजनीतिक अर्थशास्त्री जो मानक सलाह प्रदान करना चाहते हैं, उन्हें आवश्यक रूप से उस प्रक्रिया या संरचना पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए जिसके अंतर्गत राजनीतक फैसले लिए जाते हैं। मौजूदा संविधान या संरचनाएं या नियम "गंभीर जांच का विषय हैं".

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संवैधानिक उपचार

मनुष्य को विधिप्रदत्त अनेक अधिकार प्राप्त हैं। मनुष्य जाति, समय समय पर, उन अधिकारों के प्रवर्तन के लिये अनेक विधिक उपायों (legal rights) की उद्भावना करती आई है। भारत में विधिक उपायों का स्थूल विभाजन दो श्रेणियों में किया जा सकता है -.

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सुब्रमनियन स्वामी

डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् स्वामी (जन्म: 15 सितम्बर 1939 चेन्नई, तमिलनाडु, भारत) जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। वे सांसद के अतिरिक्त 1990-91 में वाणिज्य, विधि एवं न्याय मन्त्री और बाद में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग के अध्यक्ष भी रहे। 1994-96 के दौरान विश्व व्यापार संगठन के श्रमिक मानकों के निर्धारण में उन्होंने प्रभावी भूमिका निभायी। हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने साइमन कुजनैट्स और पॉल सैमुअल्सन के साथ कई प्रोजेक्ट्स पर शोध कार्य किया और फिर पॉल सैमुअल्सन के साथ संयुक्त लेखक के रूप में इण्डैक्स नम्बर थ्यौरी का एकदम नवीन और पथ प्रदर्शक अध्ययन प्रस्तुत किया। वे हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विजिटिंग फैकल्टी मैम्बर भी रहे हैं। वे ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने आदर्शों के लिए निर्भीक होकर संघर्ष किया है। भारत में आपातकाल के दौरान संघर्ष, तिब्बत में कैलाश-मानसरोवर यात्री मार्ग खुलवाने में उनके प्रयास, भारत-चीन सम्बन्धों में सुधार, भारत द्वारा इजरायल की राजनैतिक स्वीकारोक्ति, आर्थिक सुधार और हिन्दू पुनरुस्थान आदि अनेक उल्लेखनीय कार्य उन्होंने किये हैं। स्वामी ने स्वेच्छा से राष्ट्रहित को सर्वोपरि समझते हुए अपनी पार्टी का विलय भारतीय जनता पार्टी में कर दिया। अब वे एकनिष्ठ होकर नरेन्द्र मोदी को भारत का प्रधानमन्त्री बनाने के लिये पूरे देश में प्रचार किया और भारी बहुमत से जीत हासिल किया और भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, फिर नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद पुनः Z+ श्रेणी की सुरक्षा दे दिया गया। आजकल नेशनल हेराल्ड केस और अयोध्या राम मंदिर को लेकर चर्चा मे है। .

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सुषमा स्वराज

सुषमा स्वराज (जन्म: १४ फरवरी १९५२) एक भारतीय महिला राजनीतिज्ञ और भारत की विदेश मंत्री हैं। वे वर्ष २००९ में भारत की भारतीय जनता पार्टी द्वारा संसद में विपक्ष की नेता चुनी गयी थीं, इस नाते वे भारत की पन्द्रहवीं लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता रही हैं। इसके पहले भी वे केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में रह चुकी हैं तथा दिल्ली की मुख्यमन्त्री भी रही हैं। वे सन २००९ के लोकसभा चुनावों के लिये भाजपा के १९ सदस्यीय चुनाव-प्रचार-समिति की अध्यक्ष भी रहीं थीं। अम्बाला छावनी में जन्मी सुषमा स्वराज ने एस॰डी॰ कालेज अम्बाला छावनी से बी॰ए॰ तथा पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से जुड़ गयीं। वर्ष २०१४ में उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जबकि इसके पहले इंदिरा गांधी दो बार कार्यवाहक विदेश मंत्री रह चुकी हैं। कैबिनेट में उन्हे शामिल करके उनके कद और काबिलियत को स्वीकारा। वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है। .

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सुजाता मनोहर

न्यायमूर्ति सुजाता वसंत मनोहर (जन्म: 28 अगस्त 1934) सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (भारत) की सदस्य रह चुकी है। 28 अगस्त 1934 में जन्मी सुजाता मनोहर एक मजबूत कानूनी पृष्ठभूमि वाले परिवार में पैदा हुईं। उनके पिता गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में हुई। तत्पश्चात एल्फिंस्टन कॉलेज, मुंबई से स्नातक करने के बाद लेडी मार्गरेट हॉल, ऑक्सफोर्ड, ब्रिटेन चली गईं जहां उन्होने दर्शन शास्त्र, राजनीति शस्त्र और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की। 14 फ़रवरी 1958 को उन्होने अधिवक्ता की पढ़ाई हेतु दाखिला लिया। 1970-71 के दौरान उन्हें सहायक सरकारी अधिवक्ता, सिटी सिविल कोर्ट, बॉम्बे में नियुक्त किया गया। 23 जनवरी 1978 से वे मुंबई उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 28 नवम्बर 1978 को उन्हें स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 15 जनवरी 1994 में वे मुंबई उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश बनीं। 21 अप्रैल 1994 में उन्हें केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित किया गया। 8 नवम्बर 1994 को वे सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बनीं और 27 अगस्त 1999 को इस पद से सेवानिवृत हुई। .

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स्वराज कौशल

स्वराज कौशल भारतीय राजनीतिज्ञ तथा सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ वकील हैं। वे छह साल तक राज्यसभा में सांसद रहे साथ ही मिजोरम में राज्यपाल भी रहे। स्वराज कौशल अभी तक सबसे कम आयु में राज्यपाल का पद प्राप्त करने वाले व्यक्ति हैं। १९७५ में इनका विवाह सुषमा स्वराज के साथ में हुआ था। सुषमा स्वराज और उनके पति की उपलब्धियों के ये रिकार्ड लिमका बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकार्ड में दर्ज करते हुए उन्हें विशेष दंपत्ति का स्थान दिया गया है। स्वराज दंपत्ति की एक पुत्री है, जो वकालत कर रही हैं। श्रेणी:1952 में जन्मे लोग श्रेणी:हिमाचल प्रदेश के लोग.

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सी के ठक्कर

सी के ठक्कर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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जन लोकपाल विधेयक

जन लोकपाल बिल भारत में नागरिक समाज द्वारा प्रस्तावित भ्रष्टाचारनिरोधी बिल का मसौदा है। यह सशक्त जन लोकपाल के स्थापना का प्रावधान करता है जो चुनाव आयुक्त की तरह स्वतंत्र संस्था होगी। जन लोकपाल के पास भ्रष्ट राजनेताओं एवं नौकरशाहों पर बिना किसी से अनुमति लिये ही अभियोग चलाने की शक्ति होगी। भ्रष्टाचार विरोधी भारत (इंडिया अगेंस्ट करप्शन) नामक गैर सरकारी सामाजिक संगठन का निमाण करेगे.संतोष हेगड़े, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने यह बिल भारत के विभिन्न सामाजिक संगठनों और जनता के साथ व्यापक विचार विमर्श के बाद तैयार किया था। इसे लागु कराने के लिए सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और गांधीवादी अन्ना हजारे के नेतृत्व में २०११ में अनशन शुरु किया गया। १६ अगस्त में हुए जन लोकपाल बिल आंदोलन २०११ को मिले व्यापक जन समर्थन ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली भारत सरकार को संसद में प्रस्तुत सरकारी लोकपाल बिल के बदले एक सशक्त लोकपाल के गठन के लिए सहमत होना पड़ा। .

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जनहित याचिका

भारत का उच्चतम न्यायालय - केन्द्रीय पक्षजनहित याचिका (जहिया), भारतीय कानून में, सार्वजनिक हित की रक्षा के लिए मुकदमे का प्रावधान है। अन्य सामान्य अदालती याचिकाओं से अलग, इसमें यह आवश्यक नहीं की पीड़ित पक्ष स्वयं अदालत में जाए। यह किसी भी नागरिक या स्वयं न्यायालय द्वारा पीडितों के पक्ष में दायर किया जा सकता है। जहिया के अबतक के मामलों ने बहुत व्यापक क्षेत्रों, कारागार और बन्दी, सशस्त्र सेना, बालश्रम, बंधुआ मजदूरी, शहरी विकास, पर्यावरण और संसाधन, ग्राहक मामले, शिक्षा, राजनीति और चुनाव, लोकनीति और जवाबदेही, मानवाधिकार और स्वयं न्यायपालिका को प्रभावित किया है।http://www.ielrc.org/content/a0003.pdf न्यायिक सक्रियता और जहिया का विस्तार बहुत हद तक समांतर रूप से हुआ है और जनहित याचिका का मध्यम-वर्ग ने सामान्यतः स्वागत और समर्थन किया है। यहाँ यह ध्यातव्य है कि जनहित याचिका भारतीय संविधान या किसी कानून में परिभाषित नहीं है। यह उच्चतम न्यायालय के संवैधानिक व्याख्या से व्युत्पन्न है, इसका कोई अंत‍‍‍र्राष्ट्रीय समतुल्य नहीं है और इसे एक विशिष्ट भारतीय संप्रल्य के रूप में देखा जाता है। .

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ज्ञान सुधा मिश्रा

न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा (जन्म: 28 अप्रैल 1949) सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश हैं। वे झारखण्ड उच्च न्यायालय की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। उनके पिता न्यायमूर्ति सतीश चन्द्र मिश्र पटना उच्च न्यायालय के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश थे। वे 16 मार्च 1994 को पटना उच्च न्यायालय की न्यायाधीश नियुक्त हुई। उन्होने झारखंड उच्च न्यायालय में 13 जुलाई 2008 को मुख्य न्यायाधीश के रूप में योगदान दिया। इसके बाद इनका तबादला राजस्थान उच्च न्यायालय कर दिया गया। इन्होंने राजस्थान उच्च न्यायालय में 14 वर्षों तक न्यायाधीश के रूप में काम किया। 30 अप्रैल 2010 को 4 वर्षों के लिए सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश के रूप में इनकी नियुक्ति हुई। एक न्यायमूर्ति के रूप में ये समय की पाबंदी को महत्व देने के लिए मशहूर है। .

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जे एस वर्मा

जे एस वर्मा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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जे सी शाह

जे सी शाह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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जॉली एलएलबी २

द स्टेट बनाम जॉली एलएलबी २ या केवल जॉली एलएलबी २ एक भारतीय हिंदी हास्य फिल्म है जिसका लेखन तथा निर्देशन सुभाष कपूर ने किया है। इसमें मुख्य भूमिका में अक्षय कुमार, हुमा कुरेशी, अन्नू कपूर, कुमुद म‍िश्रा तथा सौरभ शुक्ला हैं। यह फ़िल्म २०१३ में आई जॉली एलएलबी का सीक्वल है। यह फ़िल्म एक व्यंग्यात्मक कोर्टरुम ड्रामा है, जो कि भारतीय कानूनी प्रणाली और आम आदमी पर न्यायिक प्रणाली के पड़े प्रभाव पर कटाक्ष करती है। यह १० फरवरी २०१७ को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई। .

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जी एम पांचाल

जी एम पांचाल भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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जी एस सिंघवी

जी एस सिंघवी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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जी पी माथुर

जी पी माथुर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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जी बी पटनायक

जी बी पटनायक भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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ई एस वेंकटरमैय्या

ई एस वेंकटरमैय्या भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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वन्दे मातरम्

'''वन्दे मातरम्''' के रचयिता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय वन्दे मातरम् (बाँग्ला: বন্দে মাতরম) अवनीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा बनाया गया भारतमाता का चित्र बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा संस्कृत बाँग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन सन् १८८२ में उनके उपन्यास आनन्द मठ में अन्तर्निहित गीत के रूप में हुआ था। इस उपन्यास में यह गीत भवानन्द नाम के संन्यासी द्वारा गाया गया है। इसकी धुन यदुनाथ भट्टाचार्य ने बनायी थी। सन् २००३ में, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस द्वारा आयोजित एक अन्तरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में, जिसमें उस समय तक के सबसे मशहूर दस गीतों का चयन करने के लिये दुनिया भर से लगभग ७,००० गीतों को चुना गया था और बी०बी०सी० के अनुसार १५५ देशों/द्वीप के लोगों ने इसमें मतदान किया था उसमें वन्दे मातरम् शीर्ष के १० गीतों में दूसरे स्थान पर था। .

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वरीयता क्रम, भारत

भारत का वरीयता क्रम एक प्रोटोकोल सूची है। परंतु यह एक उत्तराधिकार-क्रम नहीं है। .

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वापस बुलाने का अधिकार

वापस बुलाने का अधिकार वापस बुलाने का अधिकार वापस बुलाने के अधिकार (राइट टू रिकाल) जनता का वह अधिकार जिसके अनुसार यदि वह अपने किसी निर्वाचित प्रतिनिधि से संतुष्ट नहीं है और उसे हटाना चाहती है तो निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार उसे वापस बुलाया (हटाया) जा सकता है। .

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वाई वी चंद्रचूड़

वाई वी चंद्रचूड़ भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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विधि के स्रोत

विधि के स्रोत (Sources of law) का संकीर्ण अर्थ है, "कानून की उत्पत्ति"। किन्तु विस्तृत अर्थ में तर्क करने का कोई भी आधार-सामग्री। कानून के स्रोत अन्तरराष्ट्रीय हो सकते हैं या राष्ट्रीय, क्षेत्रीय या धार्मिक हो सकते हैं। .

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विष्णु सदाशिव कोकजे

विष्णु सदाशिव कोकजा विश्व हिन्दू परिषद के नए अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। सन 2003 से 2008 तक वे हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल थे। उन्होंने भारत विकास परिषद के अध्यक्ष के रूप में भी सेवा दी है। विष्णु सदाशिव कोकजे का जन्म मध्य प्रदेश में 6 सितंबर 1 9 3 9 में हुआ था। उन्होंने इंदौर से एलएलबी पूरा करने के बाद १९६४ में कानून का अभ्यास करना शुरु किया। उन्हें 28 जुलाई १९९० को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उन्होंने 2001 में 11 महीनों के लिए राजस्थान उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया और सितंबर 2002 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। वे 8 मई 2003 को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बने, और 1 9 जुलाई 2008 तक इस पद पर कार्यरत थे। .

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विजय बहुगुणा

विजय बहुगुणा (जन्म: २८ फ़रवरी १९४७) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से हैं। २०१२ से २०१४ तक वह उत्तराखण्ड राज्य के सातवें मुख्यमंत्री रह चुके हैं। .

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व्यवस्थापिका

व्यवस्थापिका भारतीय जनतंत्र के तीन अंगों में से एक है। अन्य दो अंग हैं - कार्यपालिका और न्यायपालिका। भारत की स्वतंत्र न्यायपालिका का शीर्ष सर्वोच्च न्यायालय है, जिसका प्रधान प्रधान न्यायाधीश होता है। सर्वोच्च न्यायालय को अपने नये मामलों तथा उच्च न्यायालयों के विवादों, दोनो को देखने का अधिकार है। भारत में 21 उच्च न्यायालय हैं, जिनके अधिकार और उत्तरदायित्व सर्वोच्च न्यायालय की अपेक्षा सीमित हैं। कार्यपालिका और न्यायपालिका के परस्पर मतभेद या विवाद का सुलह राष्ट्रपति करता है। श्रेणी:राजनीति श्रेणी:समाजशास्त्र.

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वी एन खरे

वी एन खरे भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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वी एस श्रीपुकार

वी एस श्रीपुकार भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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वी आर कृष्ण अय्यर

न्यायमूर्ति वी आर कृष्ण अय्यर (15 नवम्बर 1915 – 4 दिसम्बर 2014) भारत के एक न्यायधीश थे। 1970 के दशक में वो लगभग सात वर्ष तक वे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे। सर्वोच्च न्यायालय में अपने कार्यकाल में उन्होने देश के सबसे बड़े न्यायालय तक आम आदमी की पहुँच को सुलभ बनाया। उन्होने भारतीय दण्ड विधान में बहुत से सुधार किए तथा जेल एवं पुलिस में साहसिक परिवर्तन किए। उन्होंने विचाराधीन क़ैदियों के हित में 'जेल नहीं ज़मानत ही नियम है' का निर्णय दिया था। उन्होंने अपने समय में सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास के सबसे ऐतिहासिक निर्णय दिये थे। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अपील तक ठुकरा दी थी, जो इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध की गई थी। वे केरल की ईएमएस नम्बूदरीपाद के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार में कानून मंत्री रहे थे। मंत्री के रूप में उन्होंने केरल में 1950 के दशक में भूमि सुधार क़ानून लागू किए थे। .

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गोरखपुर अस्पताल हादसा

गोरखपुर अस्पताल हादसा अगस्त २०१७ के मध्य में घटित एक हादसा है जिसमें गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के राज्य सरकार द्वारा संचालित बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में ८५ से अधिक बच्चों की मौत हो गयी। राज बब्बर सहित कुछ लोगों की मान्यता है कि राज्य सरकार द्वारा भुगतान नहीं होने के कारण तरल ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता द्वारा ऑक्सीजन बन्द करने को कारण बताया लेकिन आपूर्तिकर्ता ने इससे इनकार किया है। .

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ऑपरेशन ब्लू स्टार

आपरेशन ब्लू स्टार भारतीय सेना द्वारा 3 से 6 जून 1984 को अमृतसर (पंजाब, भारत) स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर को ख़ालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया अभियान था। पंजाब में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो रही थीं जिन्हें पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था। .

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आतंकवाद

विभाग राज्य Department of State) आतंकवाद एक प्रकार के erहौल को कहा जाता है। इसे एक प्रकार के हिंसात्मक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो कि अपने आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक एवं विचारात्मक लक्ष्यों की प्रतिपूर्ति के लिए गैर-सैनिक अर्थात नागरिकों की सुरक्षा को भी निशाना बनाते हैं। गैर-राज्य कारकों द्वारा किये गए राजनीतिक, वैचारिक या धार्मिक हिंसा को भी आतंकवाद की श्रेणी का ही समझा जाता है। अब इसके तहत गैर-क़ानूनी हिंसा और युद्ध को भी शामिल कर लिया गया है। अगर इसी तरह की गतिविधि आपराधिक संगठन द्वारा चलाने या को बढ़ावा देने के लिए करता है तो सामान्यतः उसे आतंकवाद नहीं माना जाता है, यद्यपि इन सभी कार्यों को आतंकवाद का नाम दिया जा सकता है। गैर-इस्लामी संगठनों या व्यक्तित्वों को नजरअंदाज करते हुए प्रायः इस्लामी या जिहादी के साथ आतंकवाद की अनुचित तुलना के लिए इसकी आलोचना भी की जाती है। .

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आत्माराम नाडकर्णी

आत्माराम नाडकर्णी भारत के उच्चतम न्यायालय में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल हैं। 9 मई, 2016 को मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने उन्हें इस पद पर तीन वर्षों के लिए नियुक्त किया है। .

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आदर्श कुमार गोयल

आदर्श कुमार गोयल (जन्म 7 जुलाई 1953) एक भारतीय न्यायाधीश तथा भारत का उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश हैं। वह उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और गोवाहाटी उच्च न्यायालय और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश हैं। .

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आपातकाल (भारत)

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, जिन्होंने भारत के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करवाई। 26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था। आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई। इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर प्रतिबंधित कर दिया गया। प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान चलाया गया। जयप्रकाश नारायण ने इसे 'भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि' कहा था। .

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आफताब आलम

आफताब आलम भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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आर एस पाठक

आर एस पाठक भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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आर वी रवीन्द्रन

न्यायमूर्ति आर वी रवीन्द्रन भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। वे 14 अक्टूबर 2011 को अधिवर्षिता प्राप्त करने पर सेवानिवृत्त हुए। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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आरुषि हेमराज हत्याकाण्ड

आरुषि हेमराज हत्याकाण्ड भारत का सबसे जघन्य व रहस्यमय हत्याकाण्ड था जो 15–16 मई 2008 की रात नोएडा के सेक्टर 25 (जलवायु विहार) में हुआ। पेशे से चिकित्सक दम्पति ने अपनी एकमात्र सन्तान आरुषि (आयु: 14 वर्ष) के साथ अपने घरेलू नौकर हेमराज (आयु: 45 साल) की नृशंस हत्या कर दी और सबूत मिटा दिये। एक नाबालिग लड़की और अधेड़ व्यक्ति के दोहरे हत्याकाण्ड से सम्बन्धित इस घटना ने मीडिया के माध्यम से जनता का ध्यान आकर्षित किया। यह हत्याकाण्ड उस समय हुआ जब आरुषि के माता-पिता दोनों ही अपने फ्लैट में मौजूद थे। आरुषि के पिता ने बेटी को उसके बेडरूम में जान से मारने का शक अपने नौकर पर व्यक्त करते हुए पुलिस में हेमराज के नाम एफआईआर दर्ज़ करायी। पुलिस हेमराज को खोजने बाहर चली गयी। अगले दिन नोएडा के एक अवकाश प्राप्त पुलिस उपाधीक्षक के के गौतम ने उसी फ्लैट की छत पर हेमराज का शव बरामद किया। इस घटना ने समय-समय पर कई मोड़ लिये। कई बार ऐसी खबरें आयीं कि काण्ड नौकर हेमराज के साथियों ने किया। कई बार इसमें बलात्कार के बाद हत्या की खबर आयी। और कई बार यह सन्देह भी जताया गया कि कहीं डॉक्टर दम्पति ने मिलकर ही तो इस दोहरे हत्याकाण्ड को अंजाम नहीं दिया। परन्तु मीडिया के लगातार हस्तक्षेप के चलते इस केस को दबाया नहीं जा सका। और पुलिस तथा सीबीआई की तमाम दलीलों व दोनों पक्ष के वकीलों सहित जनता की भावनाओं को देखते हुए इस पूरे मामले की तहकीकात रिपोर्ट को स्पेशल जुडीशियल मजिस्ट्रेट प्रीति सिंह की अदालत में समीक्षा के लिये भेजा गया। प्रीति सिंह ने पहली सीबीआई टीम द्वारा दाखिल क्लोज़र रिपोर्ट को सिरे से ही खारिज़ कर दिया और दुबारा जाँच के आदेश दिये। इसके बाद हत्याकाण्ड की जाँच सीबीआई ने तेज तर्रार जाँच अधिकारी ए जी एल कौल को सौंपी। कौल और उनकी पूरी टीम ने मामले की कई कोणों से जाँच की और गाजियाबाद में विशेष रूप से गठित सीबीआई अदालत में दुबारा चार्जशीट दाखिल की। जस्टिस श्यामलाल ने आरुषि-हेमराज के बहुचर्चित रहस्यमय हत्याकाण्ड का फैसला सुनाते हुए आरुषि के माता-पिता नूपुर एवं राजेश तलवार को दोषी करार दिया। 26 नवम्बर 2013 को विशेष सीबीआई अदालत ने आरुषि-हेमराज के दोहरे हत्याकाण्ड में राजेश एवं नूपुर तलवार को आईपीसी की धारा 302/34 के तहत उम्रक़ैद की सजा सुनाई। दोनों को धारा 201 के अन्तर्गत 5-5 साल और धारा 203 के अन्तर्गत केवल राजेश तलवार को एक साल की सजा सुनायी। इसके अतिरिक्त कोर्ट ने दोनों अभियुक्तों पर जुर्माना भी लगाया। सारी सजायें एक साथ चलेंगी और उम्रक़ैद के लिये दोनों को ताउम्र जेल में रहना होगा। हाँ इस फैसले के खिलाफ वे दोनों उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं। 12 अक्टूबर 2017 को इलाहाबाद हाइकोर्ट द्वारा आरुषि के माता-पिता को निर्दोष करार दे दिया गया और वे जेल से रिहा हो गये। .

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इस्लाम

इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं। .

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इंदु मल्होत्रा

इंदु मल्होत्रा एक भारतीय न्यायाधीश तथा वर्तमान भारत का उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश हैं। 27 अप्रैल, 2018 को वे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के पद की शपथ ग्रहण की। वे देश की पहली ऐसी महिला अधिवक्ता हैं जो अधिवक्ता से सीधे उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश बनीं। .

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव, 2018

कर्नाटक विधानसभा चुनाव, 2018 भारतीय राज्य कर्नाटक के विधानसभा की 224 निवार्चन क्षेत्रों में से 222 विधानसभा क्षेत्रों में 12 मई 2018 को सम्पन्न हुए। जयनगर तथा राजराजेश्वरी नगर में क्रमशः निवर्तमान विधायक की मृत्यु तथा मतदाता पहचान पत्र घपले के कारण मतदान 28 मई 2018 को होंगे। इन चुनावों में कुल 72.13% मतदान हुआ जो कि 1952 से सम्पन्न हो रहे विधानसभा चुनावों का सबसे उच्चतम मत प्रतिशत है। यहाँ पर मुख्य मुकाबला सत्ताधारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (120 सीटें) तथा विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (43 सीटें) व बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन करके लड़ रही जनता दल (सेक्युलर) (29 सीटें) के मध्य है। आम आदमी पार्टी इन चुनावों के साथ कर्नाटक विधानसभा चुनावों में अपना पदार्पण कर रही है। 15 मई 2018 को घोषित हुए चुनाव परिणामों में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। भारतीय जनता पार्टी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को सबसे अधिक मत प्रतिशत मिला परन्तु वह 78 सीट जीत पाने में ही सफल रही। जनता दल (सेक्युलर) को 37 सीटें प्राप्त हुईं। .

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कलिखो पुल

कलिखो पुल (20 जुलाई 1969 – 9 अगस्त 2016) (अंग्रेजी: Kalikho Pul), एक भारतीय राजनेता व पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश के 8वें मुख्यमंत्री थे। - नवभारत टाइम्स - 9 अगस्त 2016 ये साढ़े चार महीने तक अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इन्होंने फरवरी 2016 से जुलाई 2016 तक मुख्यमंत्री का पदभार संभाला। 13 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुल को राज्य के मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था। 9 अगस्त 2016 को कथित तौर पर ईटानगर स्थित अपने सरकारी आवास में आत्महत्या करने के कारण इनकी मृत्यु हो गयी। .

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के एन सिंह (न्यायाधीश)

के एन सिंह (न्यायाधीश) भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। .

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के एन वान्चू

के एन वान्चू भारत के सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रहे हैं। श्रेणी:सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश.

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केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण

केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण भारतीय संसद द्वारा 1985 में पारित प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (Central Administrative tribunal या CAT/कैट)) और राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण की स्थापना के लिए केंद्र सरकार को अधिकृत करता है। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की प्रमुख पीठ (बेंच) दिल्ली में है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न राज्यों में अतिरिक्त पीठें भी हैं। वर्तमान में 17 नियमित पीठ और ३० डिविजन बेंच हैं। कैट में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्य शामिल हैं। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। न्यायिक और प्रशासनिक क्षेत्रों से कैट के सदस्यों की नियुक्ति होती है। सेवा की अवधि 5 वर्ष या अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए 65 वर्ष और सदस्यों के लिए 62 वर्ष जो भी पहले हो, तक होती है। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या कैट का कोई भी अन्य सदस्य अपने कार्यकाल के बीच में ही अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज सकता है। केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण के पास निम्नलिखित सेवा क्षेत्र के मामलों में अधिकार है.

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केरल उच्च न्यायालय

केरल उच्च न्यायालय केरल राज्य का न्यायालय है। इसके अधिकार मे केरल के साथ लक्षद्वीप भी आता हैं। इसे १ नवम्बर १९५६ को स्थापित किया गया। .

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अधिवक्ता

अधिवक्ता, अभिभाषक या वकील (ऐडवोकेट advocate) के अनेक अर्थ हैं, परंतु हिंदी में ऐसे व्यक्ति से है जिसको न्यायालय में किसी अन्य व्यक्ति की ओर से उसके हेतु या वाद का प्रतिपादन करने का अधिकार प्राप्त हो। अधिवक्ता किसी दूसरे व्यक्ति के स्थान पर (या उसके तरफ से) दलील प्रस्तुत करता है। इसका प्रयोग मुख्यत: कानून के सन्दर्भ में होता है। प्राय: अधिकांश लोगों के पास अपनी बात को प्रभावी ढ़ंग से कहने की क्षमता, ज्ञान, कौशल, या भाषा-शक्ति नहीं होती। अधिवक्ता की जरूरत इसी बात को रेखांकित करती है। अन्य बातों के अलावा अधिवक्ता का कानूनविद (lawyer) होना चाहिये। कानूनविद् उसको कहते हैं जो कानून का विशेषज्ञ हो या जिसने कानून का व्यावसायिक अध्ययन किया हो। वकील की भूमिका कानूनी न्यायालय में काफी भिन्न होती है। भारतीय न्यायप्रणाली में ऐसे व्यक्तियों की दो श्रेणियाँ हैं: (१) ऐडवोकेट तथा (२) वकील। ऐडवोकेट के नामांकन के लिए भारतीय "बार काउंसिल' अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक प्रादेशिक उच्च न्यायालय के अपने-अपने नियम हैं। उच्चतम न्यायालय में नामांकित ऐडवोकेट देश के किसी भी न्यायालय के समक्ष प्रतिपादन कर सकता है। वकील, उच्चतम या उच्च न्यायालय के समक्ष प्रतिपादन नहीं कर सकता। ऐडवोकेट जनरल अर्थात्‌ महाधिवक्ता शासकीय पक्ष का प्रतिपादन करने के लिए प्रमुखतम अधिकारी है। अभी महाराष्ट्र के महाधीवक्ता रोहित देव है। ● अपनी मुकद्दमे की पैरवी स्वम कर सकते है इसके लिए कुछ कुछ महत्वपूर्ण बातो को धयान में रखने की जरूरत है क्यो की वकील के पास अनेको मुकद्दमे देखने की जिम्मेदारी होती है इस कारण से जितनी बातें पीड़ित की रखनी होती है नही रख पाते इस कारण मुकद्दमा हल्का हो जाता है मुवक्किल अपना पछ रखने के लिए स्वतंत्र है वह अपनी बात अच्छे से प्रस्तुत कर सकता है क्यो की उसे न किसी वकालत नामे की जरूरत नही होती है न वकालत के डिग्री की............#लेख जारी है .

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अनुच्छेद ३७०

भारतीय संविधान का राष्ट्रचिन्ह धारा ३७० भारतीय संविधान का एक विशेष अनुच्छेद (धारा) है जिसके द्वारा जम्मू एवं कश्मीर राज्य को सम्पूर्ण भारत में अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार अथवा (विशेष दर्ज़ा) प्राप्त है। देश को आज़ादी मिलने के बाद से लेकर अब तक यह धारा भारतीय राजनीति में बहुत विवादित रही है। भारतीय जनता पार्टी एवं कई राष्ट्रवादी दल इसे जम्मू एवं कश्मीर में व्याप्त अलगाववाद के लिये जिम्मेदार मानते हैं तथा इसे समाप्त करने की माँग करते रहे हैं। भारतीय संविधान में अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबन्ध सम्बन्धी भाग २१ का अनुच्छेद ३७० जवाहरलाल नेहरू के विशेष हस्तक्षेप से तैयार किया गया था। स्वतन्त्र भारत के लिये कश्मीर का मुद्दा आज तक समस्या बना हुआ है। .

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अभिषेक मनु सिंघवी

अभिषेक मनु सिंघवी (जन्म - 24 फ़रवरी 1959) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से संबंधित हैं और वर्तमान में भारतीय संसद के एक सदस्य हैं जो भारतीय संसद के उच्च सदन राज्य सभा में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं। वर्तमान में वे कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता हैं। .

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अमल कुमार सरकार

अमल कुमार सरकार या ए॰ के॰ सरकार (बंगाली: অমল কুমার সরকার) (जन्म: 29 जून 1901) भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आठवें मुख्य न्यायाधीश थे। उनका कार्यकाल 16 मार्च 1966 से 29 जून 1966 तक रहा। .

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अमिताव रॉय

अमिताव रॉय एक भारतीय न्यायाधीश तथा पूर्व भारत का उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश हैं | वे उड़ीसा उच्च न्यायालय तथा राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं | .

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अरिजीत पशायत

अरिजीत पशायत भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। .

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अरुण कुमार मिश्रा

अरुण कुमार मिश्रा एक भारतीय न्यायाधीश तथा वर्तमान भारत का उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश हैं। वे पूर्व कलकत्ता उच्च न्यायालय तथा राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। .

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अरुंधति घोष

अरुंधती घोष (25 नवंबर 1939 – 26 जुलाई 2016) एक पूर्व भारतीय राजनयिक थी। इन्होने आस्ट्रिया, मिस्र, दक्षिण कोरिया, हालैंड और कई अन्य देशों में राजदूत के रूप में काम किया था। ये संयुक्त राष्ट्र में भारत की राजदूत भी रह चुकी हैं। .

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अल्तमास कबीर

अल्तमास कबीर (१९ जुलाई १९४८ – १९ फ़रवरी २०१७) भारत का उच्चतम न्यायालय के ३९वें मुख्य न्यायाधीश थे। इनके बाद पी सतशिवम देश के अगले मुख्य न्यायाधीश बने। .

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अश्वनी कुमार

अश्विनी कुमार (जन्म: 26 अक्टूबर 1952), कांग्रेस पार्टी के राजनेता हैं। वे भारत के पूर्व कानून मंत्री थे। इससे पहले वह संसदीय कार्यमंत्री रह चुके हैं। वह राज्यसभा में पंजाब प्रान्त का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुमार का जन्म दिल्ली में हुआ है और मधु कुमार से शादी की। उनका एक बेटा और एक बेटी है। कुमार भारत-जापानी संसदीय समूह के एक सदस्य रह चुके हैं। कोलगेट मामले की ड्राफ्ट रिपोर्ट बदलने के आरोपों से घिरे अश्वनी कुमार ने 10 मई मो अपना इस्तीफ़ा प्रधानमंत्री को सौंपा। .

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अशोक भान

अशोक भान भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं। भान, अशोक.

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अजमल क़साब

अजमल क़साब (पाकिस्तानी आतंकवादी) अजमल क़साब (पूरा नाम: मुहम्मद अजमल आमिर क़साब, उर्दू: محمد اجمل امیر قصاب‎, जन्म: १३ जुलाई १९८७ ग्राम: फरीदकोट, पाकिस्तान - फांसी: २१ नवम्बर २०१२ यरवदा जेल, पुणे) २६/११/२००८ को ताज़ होटल मुंबई पर वीभत्स हमला करने वाला एक पाकिस्तानी आतंकवादी था। मुहम्मद आमिर क़साब उसके बाप का नाम था। वह कसाई जाति का मुसलमान था। "क़साब" (قصاب‎) शब्द अरबी भाषा का है जिसका हिन्दी में अर्थ कसाई या पशुओं की हत्या करने वाला होता है। साधारणतया लोगबाग उसे अजमल क़साब के नाम से ही जानते थे। क़साब पाकिस्तान में पंजाब प्रान्त के ओकरा जिला स्थित फरीदकोट गाँव का मूल निवासी था और पिछले कुछ साल से आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त था। हमलों के बाद चलाये गये सेना के एक अभियान के दौरान यही एक मात्र ऐसा आतंकी था जो जिन्दा पुलिस के हत्थे चढ़ गया। इस अभियान में इसके सभी नौ अन्य साथी मारे गये थे। इसने और इसके साथियों ने इन हमलों में कुल १६६ निहत्थे लोगों की बर्बरतापूर्ण हत्या कर दी थी। पाकिस्तान सरकार ने पहले तो इस बात से इनकार किया कि क़साब पाकिस्तानी नागरिक है किन्तु जब भारत सरकार द्वारा सबूत पेश किये गये तो जनवरी २००९ में उसने स्वीकार कर लिया कि हाँ वह पाकिस्तान का ही मूल निवासी है। ३ मई २०१० को भारतीय न्यायालय ने उसे सामूहिक ह्त्याओं, भारत के विरुद्ध युद्ध करने तथा विस्फोटक सामग्री रखने जैसे अनेक आरोपों का दोषी ठहराया। ६ मई २०१० को उसी न्यायालय ने साक्ष्यों के आधार पर मृत्यु दण्ड की सजा सुनायी। २६-११-२००८ को मुम्बई में ताज़ होटल पर हुए हमले में ९ आतंकवादियों के साथ कुल १६६ निरपराध लोगों की हत्या में उसके विरुद्ध एक मामले में ४ और दूसरे मामले में ५ हत्याओं का दोषी होना सिद्ध हुआ था। इसके अतिरिक्त नार्को टेस्ट में उसने ८० मामलों में अपनी संलिप्तता भी स्वीकार की थी। २१ फ़रवरी २०११ को मुम्बई उच्च न्यायालय ने उसकी फाँसी की सजा पर मोहर लगा दी। २९ अगस्त २०१२ को भारत के उच्चतम न्यायालय ने भी उसके मृत्यु दण्ड की पुष्टि कर दी। बाद में गृह मंत्रालय, भारत सरकार के माध्यम से उसकी दया याचिका राष्ट्रपति के पास भिजवायी गयी। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा उसे अस्वीकार करने के बाद पुणे की यरवदा केन्द्रीय कारागार में २१ नवम्बर २०१२ को प्रात: ७ बजकर ३० मिनट पर उसे फाँसी दे दी गयी। .

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अजीत कौर

अजीत कौर आजादी के बाद की पंजाबी की सबसे उल्लेखनीए साहित्यकार मानी जाती हैं। इनका लेखन जीवन के उहापोह को समझने और उसके यथार्थ को उकेरने की एक ईमानदार कोशिश है। इनकी रचनाओं में न केवल नारी का संघर्ष और उसके प्रति समाज का असंगत दृष्टिकोण रेखांकित होता है बल्कि सामाजिक और राजनीतिक विकृतियों और सत्ता के गलियारों में व्याप्त बेहया भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक जोरदार मुहीम भी नजर आती है। पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए इन्होंने सर्वोच्च न्यायालय तक लड़ाइयाँ लड़ी है। इन्होंने दिल्ली में सार्क एकैडमी ऑफ आर्ट ऐंड कल्चर बनाया है। जहाँ आर्ट गैलरी भद्र जनों के साथ-साथ समाज के गरीब तबकों, झुग्गी के बच्चों और स्त्रियों के लिए भी खुली हैं। .

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अक़ीदह

इस्लाम धर्म के प्रमुख मत यह हैं। इसे अक़ीदह (عقیدہ) कहते हैं: .

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उदय यू ललित

उदय यू ललित एक भारतीय न्यायाधीश है| वे वर्तमान भारत का उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश है| .

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छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ राज्य का उच्च-न्यायालय है। यह बिलासपुर मे स्थित है। यह भारत के नवीनतम उच्च-न्यायालयों में से एक है। इसे १ नवंबर २००० को मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के अंतर्गत मान्यता मिली थी। बिलासपुर उच्च-न्यायालय देश का १९वां उच्च-न्यायालय है।http://www.hindu.com/2000/10/28/stories/01280002.htm सम्मानीय न्यायधीश श्री आर.एस.

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१३ अक्टूबर

१३ अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का २८६वॉ (लीप वर्ष मे २८७ वॉ) दिन है। साल मे अभी और ७९ दिन बाकी है। .

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१५ जुलाई

१५ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १९वॉ (लीप वर्ष मे १९७वॉ) दिन है। साल मे अभी और १६९ दिन बाकी है। .

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१९ जून

19 जून ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 170वाँ (लीप वर्ष में 171 वाँ) दिन है। साल में अभी और 195 दिन बाकी हैं। .

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२००४

2004 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२००५

2005 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२०१०

वर्ष २०१० वर्तमान वर्ष है। यह शुक्रवार को प्रारम्भ हुआ है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष २०१० को अंतराष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इन्हें भी देखें 2010 भारत 2010 विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी 2010 साहित्य संगीत कला 2010 खेल जगत 2010 .

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२०११

वर्ष २०११ शनिवार से प्रारम्भ होने वाला वर्ष है। .

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२०१४ में निधन

निम्नलिखित सूची २०१४ में निधन हो गये लोगों की है। यहाँ पर सभी दिनांक के क्रमानुसार हैं और एक दिन की दो या अधिक प्रविष्टियाँ होने पर उनके मूल नाम को वर्णक्रमानुसार में दिया गया है। यहाँ लिखने का अनुक्रम निम्न है.

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५ अक्टूबर

5 अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 278वॉ (लीप वर्ष में 279 वॉ) दिन है। साल में अभी और 87 दिन बाकी है। .

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७ जनवरी

7 जनवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 7वाँ दिन है। साल में अभी और 358 दिन बाकी हैं (लीप वर्ष में 359)। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

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