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भामाशाह

सूची भामाशाह

तेली वैश्य समाज की शान दानवीर भामाशाह (1542 - लगभग 1598) बाल्यकाल से मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप के मित्र, सहयोगी और विश्वासपात्र सलाहकार थे। अपरिग्रह को जीवन का मूलमंत्र मानकर संग्रहण की प्रवृत्ति से दूर रहने की चेतना जगाने में आप सदैव अग्रणी रहे। मातृ-भूमि के प्रति अगाध प्रेम था और दानवीरता के लिए भामाशाह नाम इतिहास में अमर है। भामाशाह .

8 संबंधों: चित्तौड़गढ़, दानवीर भामाशाह सम्मान, भामाशाह, भामाशाह योजना, भामाशाह सम्मान, मुनि जिनविजय, हिन्दी पुस्तकों की सूची/प, २९ अप्रैल

चित्तौड़गढ़

पद्मिनी महल का तैलचित्र चित्तौड़गढ़ राजस्थान का एक शहर है। यह शूरवीरों का शहर है जो पहाड़ी पर बने दुर्ग के लिए प्रसिद्ध है। चित्तौड़गढ़ की प्राचीनता का पता लगाना कठिन कार्य है, किन्तु माना जाता है कि महाभारत काल में महाबली भीम ने अमरत्व के रहस्यों को समझने के लिए इस स्थान का दौरा किया और एक पंडित को अपना गुरु बनाया, किन्तु समस्त प्रक्रिया को पूरी करने से पहले अधीर होकर वे अपना लक्ष्य नहीं पा सके और प्रचण्ड गुस्से में आकर उसने अपना पाँव जोर से जमीन पर मारा, जिससे वहाँ पानी का स्रोत फूट पड़ा, पानी के इस कुण्ड को भीम-ताल कहा जाता है; बाद में यह स्थान मौर्य अथवा मूरी राजपूतों के अधीन आ गया, इसमें भिन्न-भिन्न राय हैं कि यह मेवाड़ शासकों के अधीन कब आया, किन्तु राजधानी को उदयपुर ले जाने से पहले 1568 तक चित्तौड़गढ़ मेवाड़ की राजधानी रहा। यहाँ पर रोड वंशी राजपूतों ने बहुत समय राज किया। यह माना जाता है गुलिया वंशी बप्पा रावल ने 8वीं शताब्दी के मध्य में अंतिम सोलंकी राजकुमारी से विवाह करने पर चित्तौढ़ को दहेज के एक भाग के रूप में प्राप्त किया था, बाद में उसके वंशजों ने मेवाड़ पर शासन किया जो 16वीं शताब्दी तक गुजरात से अजमेर तक फैल चुका था। अजमेर से खण्डवा जाने वाली ट्रेन के द्वारा रास्ते के बीच स्थित चित्तौरगढ़ जंक्शन से करीब २ मील उत्तर-पूर्व की ओर एक अलग पहाड़ी पर भारत का गौरव राजपूताने का सुप्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ का किला बना हुआ है। समुद्र तल से १३३८ फीट ऊँची भूमि पर स्थित ५०० फीट ऊँची एक विशाल (ह्वेल मछ्ली) आकार में, पहाड़ी पर निर्मित्त यह दुर्ग लगभग ३ मील लम्बा और आधे मील तक चौड़ा है। पहाड़ी का घेरा करीब ८ मील का है तथा यह कुल ६०९ एकड़ भूमि पर बसा है। चित्तौड़गढ़, वह वीरभूमि है जिसने समूचे भारत के सम्मुख शौर्य, देशभक्ति एवम् बलिदान का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। यहाँ के असंख्य राजपूत वीरों ने अपने देश तथा धर्म की रक्षा के लिए असिधारारुपी तीर्थ में स्नान किया। वहीं राजपूत वीरांगनाओं ने कई अवसर पर अपने सतीत्व की रक्षा के लिए अपने बाल-बच्चों सहित जौहर की अग्नि में प्रवेश कर आदर्श उपस्थित किये। इन स्वाभिमानी देशप्रेमी योद्धाओं से भरी पड़ी यह भूमि पूरे भारत वर्ष के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर रह गयी है। यहाँ का कण-कण हममें देशप्रेम की लहर पैदा करता है। यहाँ की हर एक इमारतें हमें एकता का संकेत देती हैं। .

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दानवीर भामाशाह सम्मान

दानवीर भामाशाह सम्मान यह भारत में एक राज्यस्तरीय सम्मान हैं। यह सम्मान महान देशभक्त और दानवीर भामाशाह के नाम पर रखा गया हैं। भारतीय इतिहास में मेवाड़ोद्धारक दानवीर भामाशाह का नाम बड़े ही गौरव के साथ लिया जाता है। दानवीर भामाशाह सम्मान शिक्षा के छेत्र में उच्च स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रदान किया जाता हैं। .

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भामाशाह

तेली वैश्य समाज की शान दानवीर भामाशाह (1542 - लगभग 1598) बाल्यकाल से मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप के मित्र, सहयोगी और विश्वासपात्र सलाहकार थे। अपरिग्रह को जीवन का मूलमंत्र मानकर संग्रहण की प्रवृत्ति से दूर रहने की चेतना जगाने में आप सदैव अग्रणी रहे। मातृ-भूमि के प्रति अगाध प्रेम था और दानवीरता के लिए भामाशाह नाम इतिहास में अमर है। भामाशाह .

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भामाशाह योजना

भामाशाह योजना राजस्थान सरकार की महिला वित्तीय सशक्तीकरण की सबसे बड़ी योजना है। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे सिंधिया ने 15 अगस्त, 2014 को मेवाड़ अंचल के उदयपुर शहर से इस योजना का शुभारंभ किया। यह ड्रीम प्रोजेक्ट देश की आजादी के पावन दिवस पर प्रदेश की करीब डेढ़ करोड़ महिलाओं के लिये 'वित्तीय आजादी' का उपहार है, जो उन्हें आर्थिक रूप से परिवार पर निर्भर रहने की मजबूरी से मुक्त करेगा। इसके माध्यम से भाजपा सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत मिलने वाले लाभ, इन्हीं बैंक खातों में जमा होंगे। यह योजना प्रदेश की नारी शक्ति को एकता के सूत्र में बांधकर आर्थिक अधिकार देने का प्रयास भी है। .

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भामाशाह सम्मान

भारत के मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वाणिज्यिक कर, केन्द्रीय विक्रयकर तथा प्रवेशकर के रूप में जिला स्तर पर सर्वाधिक राजस्व जमा करने वाले तीन व्यवसाईयों को भामाशाह सम्मान प्रदान किये जाने की योजना है। यह योजना 2008 में घोषित की गई थी। इस अभिनव योजना के तहत जिला स्तर पर सर्वाधिक कर चुकाने वाले तीन करदाताओं को भामाशाह सम्मान से विभूषित किया जावेगा तथा इन करदाताओं को क्रमश: एक लाख रूपये, 50 हजार रूपये एवं 25 हजार रूपये की नगद राशि से पुरस्कृत किया जायेगा। भामाशाह पुरस्कार, प्रेम और त्याग की मूर्ति भामाशाह के नाम पर रखा गया है जिन्होंने सन् 1576 में हल्दीघाटी के युध्द के पश्चात जब महाराणा प्रताप के पास कोई वित्तीय स्रोत नहीं था तब देश के इस महान सपूत ने अपना सर्वस्व उन्हें सौंप दिया। जिसमें उस समय की 20 लाख अशर्फियां तथा सोने एवं रत्नों का संग्रह भी था। इतिहास में उनके इस महान योगदान की कहानी वर्णित है और उनका यह कृत्य दानवीर नाम की संज्ञा का पर्याय बन चुका है। सत्ता को अपने वित्तीय सामर्थ्य से सशक्त आधार देने वाले ऐसे उत्कृष्ट व्यक्तित्व के नाम पर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा यह सम्मान रखा गया है। ---- भामाशाह सम्मान नाम से एक और पुरस्कार महाराजा मेवाड़ फाउण्डेशन की तरफ से भी दिया जाता है। यह पुरस्कार राजस्थान के विश्वविद्यालयों में नि:स्वार्थ सेवा एवं अन्य महान कार्य में दक्ष विद्यार्थियों को दिये जाते हैं। .

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मुनि जिनविजय

मुनि जिनविजय (१८८८-१९७६) ने अपने जीवनकाल में अनेक अमूल्य ग्रंथों का अध्ययन, संपादन तथा प्रकाशन किया। पुरातत्वचार्य मुनि जिनविजय ने साहित्य तथा संस्कृति के प्रोत्साहन हेतु कई शोध संस्थानों का संस्थापन तथा संचालन किया। भारत सरकार ने आपको पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया। .

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/प

* पंच परमेश्वर - प्रेम चन्द्र.

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२९ अप्रैल

29 अप्रैल ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 119वॉ (लीप वर्ष में 120 वॉ) दिन है। साल में अभी और 246 दिन बाकी है।.

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