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भंडारा

सूची भंडारा

भंडारा भारत के महाराष्ट्र प्रान्त का एक शहर है। यह प्रदेश के भंडारा जिले का मुख्यालय भी है। श्रेणी:महाराष्ट्र के शहर.

7 संबंधों: चौदहवीं लोकसभा, तुमसर, भारत के शहरों की सूची, भंडारा जिला, हरिसिंह गौर, गोंदिया जिला, कुरुविन्द

चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

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तुमसर

तुमसर महाराष्ट्र राज्य के भंडारा जिले का एक शहर है। नगर का नाम यहाम पहले पायी जाने वाली एक मछली "तुम" के नाम पर पड़ा है। इससे पूर्व इस नगर का नाम था कुबेर नगरी। तुमसर की स्थिति निर्देशाम्क पर है। यहां की समुद्र सतह से ऊंचाई २७२ मीटर (८९२ फीट) है। तुमसर वेनगंगा नदी से लगभग ६ कि.मी., भंडारा से ३० कि.मी., नागपुर से ९५ कि.मी., गोंदिया से ६५ कि.मी., जबलपुर से ३०० कि॰मी॰ है। २००५ की जनगणना के अनुसार, तुमसर की जनसंख्या ६५,००० है। इसमें ५१% पुरुष और ४९% स्त्रियां हैं। तुमसर की साक्षरता दर ८५% है, जो राष्ट्रीय औसत साक्षरता दर ५९.५% से कहीं अधिक है। पुरुष साक्षरता दर ८५% एवं स्त्री साक्षरता दर ८३% है। तुमसर की १५% जनसंक्या ६ वर्ष से नीचे की है। इस शहर के अधिकांश नागरिक अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ी जातियों से हैं। यहां का व्यापार सिंधी समुदाय के वर्चस्व में है। यहां की प्रमुख भाषामराठी है और अधिकतर लोग हिन्दी भी बोलते हैं। .

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भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भंडारा जिला

भंडारा यह भारत के राज्य महाराष्ट्र के विदर्भ प्रांत का एक जिला है। जिले का मुख्यालय भंडारा है। .

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हरिसिंह गौर

सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक '''डॉ हरिसिंह गौर''' डॉ॰ हरिसिंह गौर, (२६ नवम्बर १८७० - २५ दिसम्बर १९४९) सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक, शिक्षाशास्त्री, ख्यति प्राप्त विधिवेत्ता, न्यायविद्, समाज सुधारक, साहित्यकार (कवि, उपन्यासकार) तथा महान दानी एवं देशभक्त थे। वह बीसवीं शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मनीषियों में से थे। वे दिल्ली विश्वविद्यालय तथा नागपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे। वे भारतीय संविधान सभा के उपसभापति, साइमन कमीशन के सदस्य तथा रायल सोसायटी फार लिटरेचर के फेल्लो भी रहे थे।उन्होने कानून शिक्षा, साहित्य, समाज सुधार, संस्कृति, राष्ट्रीय आंदोलन, संविधान निर्माण आदि में भी योगदान दिया। उन्होने अपनी गाढ़ी कमाई से 20 लाख रुपये की धनराशि से 18 जुलाई 1946 को अपनी जन्मभूमि सागर में सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की तथा वसीयत द्वारा अपनी पैतृक सपत्ति से 2 करोड़ रुपये दान भी दिया था। इस विश्वविद्यालय के संस्थापक, उपकुलपति तो थे ही वे अपने जीवन के आखिरी समय (२५ दिसम्बर १९४९) तक इसके विकास व सहेजने के प्रति संकल्पित रहे। उनका स्वप्न था कि सागर विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज तथा ऑक्सफोर्ड जैसी मान्यता हासिल करे। उन्होंने ढाई वर्ष तक इसका लालन-पालन भी किया। डॉ॰ सर हरीसिंह गौर एक ऐसा विश्वस्तरीय अनूठा विश्वविद्यालय है, जिसकी स्थापना एक शिक्षाविद् के द्वारा दान द्वारा की गई थी। .

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गोंदिया जिला

गोंदिया भारतीय राज्य महाराष्ट्र का एक जिला है। जिले का मुख्यालय गोंदिया है। गोंदिया जिले को भंडारा जिला से अलग कर बनाया गया था। यह जिला महाराष्ट्र राज्य के उत्तर पुर्वी भाग में स्थित है। यह विदर्भ के एक प्रमुख जिलो में से एक है। इस जिले की पुर्वी सीमा पर छत्तीसगढ़ राज्य का राजनांदगांव जिला तथा उत्तरी सीमा पर मध्यप्रदेश राज्य का बालाघाट जिला है। इस जिले से लगे हुये महाराष्ट्र के अन्य जिले है, भंडारा, चन्द्रपुर और गड़चिरोली। यह जिला एक अविकसीत जिला है और इसकी भूमी का अधिकतर भाग वनो से आच्छादित है। धान इस जिले की मुख्य फसल है। अन्य फसलो में ज्वार, गेहुं, तुवर है। लोगो का मुख्य व्यवसाय कृषी है। इस जिले में उद्योगो की उपस्थिती नगण्य है जिससे यह जिला आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है। धान इस जिले की मुख्य फसल होने से इस जिले में अनेको चावल की मीले है। गोंदिया को राइस सीटी (RICE CITY) भी कहा जाता है। गोंदिया जिला को दो उपविभागो में बांटा गया है, जो कि गोंदिया और देवरी है। हर उपविभाग में ४ तालुका, ५५६ ग्राम पंचायत और ९५४ गांव है। इस जिले में नौ विधानसभा क्षेत्र है जो कि गोंदिया, तिरोड़ा, गोरेगांव, आमगांव, लाखान्दूर और साकोली है। इसमे से लाखांदूर और साकोली भंडारा और गोंदिया के क्षेत्रों को मीला कर बने हुये विधानसभा क्षेत्र है। गोंदिया और तिरोड़ा में नगर परिषद है।.

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कुरुविन्द

विभिन्न रंग-रूप के कुरुविन्द कुरुविंद या कुरंड एक मणिभीय खनिज पत्थर है, जो संसार के विभिन्न स्थलों में पाया जाता है। इस पत्थर की दो विशेषाएँ हैं, एक तो यह कठोर होता है, दूसरे चमकदार। भारत में भी कुरुविंद प्राप्य है। असम की खासी और जयंतिया पहाड़ियों, झारखण्ड (हजारीबाग, सिंहभूम और मानभूम जिलों में), तमिलनाडु (सेलम जिले में), मध्यप्रदेश (पोहरा, भंडारा तथा रीवाँ), उड़ीसा तथा कर्नाटक प्रदेशों में यह पत्थर मिलता है। कर्नाटक, तमिलनाडु और कश्मीर में प्राप्त होनेवाली कुरुविंद अधोवर्ती वर्ग (लोवर कग्रेड) का है। सामान्य कुरुविंद में कोई आकर्षक रंग नहीं होता। यह साधारणतया धूसर, भूरा, नीला और काला होता है। कुछ रंगीन कुरु्व्राद विशिष्ट आकर्षक रंगों के होने के कारण रत्न के रूप में, माणिक, नीलम, याकूत आदि नामों से बिकते हैं। थोड़े अपद्रव्यों के कारण इसमें रंग होता है। ये अपद्रव्य धातुओं के आक्साइड, विशेषत: क्रोमियम और लोहे के आक्साइड होते हैं। कुरुविंद की कठोरता ९ है, जबकि हीरे की कठोरता १० होती है। इसका विशिष्ट घनत्व ३.९४ से ४.१० होता है। यह ऐल्यूमिनियम का प्राकृतिक आक्साइड (Al2 O3) है, जिसके मणिभ षट्कोणीय तथा कभी-कभी बेलन या मृदंग की आकृति के होते हैं। अंगुठी में लगा हुआ कुरुविंद कुरुविंद का अभियांत्रिकी उद्योगों में तथा अपघर्षकों (abrasives) और शणचक्रों (ग्राइंडिंग ह्वील) के निर्माण में अधिकतर प्रयोग किया जाता है। पारदर्शक कुरुविंद का प्रयोग बहुमूल्य पत्थर की भाँति होता है। आजकल कुरुविंद का स्थान एक नवीन पदार्थ कार्बोरंडम ने ले लिया है, जो भारत में विदेशों से आयात होता है। .

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