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2 संबंधों: ट्राँसफार्मर, प्रेरण तापन।
ट्राँसफार्मर
---- एक छोटे ट्रांसफॉर्मर का स्वरूप ट्रान्सफार्मर या परिणामित्र एक वैद्युत मशीन है जिसमें कोई चलने या घूमने वाला अवयव नहीं होता। विद्युत उपकरणों में सम्भवतः ट्रान्सफार्मर सर्वाधिक व्यापक रूप से प्रयुक्त विद्युत साषित्र (अप्लाएन्स) है। यह किसी एक विद्युत परिपथ (circuit) से अन्य परिपथ में विद्युत प्रेरण द्वारा परस्पर जुडे हुए चालकों के माध्यम से विद्युत उर्जा स्थान्तरित करता है। ट्रांसफार्मर केवल प्रत्यावर्ती धारा या विभवान्तर के साथ कार्य कर सकता है, एकदिश (direct) के साथ नहीं। ट्रांसफॉर्मर एक-फेजी, तीन-फेजी या बहु-फेजी हो सकते है। यह सभी विद्युत मशीनों में सर्वाधिक दक्ष (एफिसिएंट) मशीन है। आधुनिक युग में परिणामित्र वैद्युत् तथा इलेक्ट्रॉनी उद्योगों का अभिन्न अंग बन गया है। किसी ट्रान्सफार्मर में एक, दो या अधिक वाइन्डिंग हो सकती हैं। दो वाइंडिंग वाले ट्रान्सफार्मर के प्राथमिक (प्राइमरी) एवं द्वितियक (सेकेण्डरी) वाइण्डिंग के फेरों (टर्न्स) की संख्या एवं उनके विभवान्तरों में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है: \frac .
देखें भँवर धारा और ट्राँसफार्मर
प्रेरण तापन
प्रेरण द्वारा तापित एक वस्तु विद्युत चालक पदार्थों को विद्युतचुम्बकीय प्रेरण द्वारा उत्पन्न भँवर धाराओं द्वारा उत्पन्न ऊष्मा से गरम करने को प्रेरण तापन (Induction heating) या 'प्रेरणीय तापन' कहते हैं। किसी वस्तु को गरम करने के लिए प्रयुक्त प्रेरण तापक वस्तुतः एक विद्युतचुम्बक होता है जिससे उच्च आवृत्ति की प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित की जाती है। गरम करने के लिए आवश्यक ऊष्मा चुम्बकीय हिस्टेरिसिस का उपयोग करके भी पैदा की जा सकती है। प्रेरण तापन के लिए जो आवृत्ति उपयोग में लायी जाती है वह गरम की जाने वाली वस्तु के आकार, उसके पदार्थ का प्रकार, कपुलिंग आदि कई बातों पर निर्भर करती है। (१ किलोहर्ट्स से लेकर हजारो किलोहर्ट्ज तक हो सकती है) श्रेणी:तापन श्रेणी:विद्युत गतिकी.
देखें भँवर धारा और प्रेरण तापन
भंवर-धारा क्षति के रूप में भी जाना जाता है।