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ब्लॉगवाणी

सूची ब्लॉगवाणी

ब्लॉगवाणी हिन्दी ब्लॉग यानी चिट्ठों का एक ऍग्रीगेटर है जहाँ पाठक पंजीकृत ब्लॉग में चिट्ठाकारों द्वारा लिखे गये ताजा चिट्ठों की जानकारी व झलक पा सकते हैं। .

7 संबंधों: चिट्ठाजगत.इन, ब्लॉगर (सेवा), संस्कृत चिट्ठाजगत, हिन्दी चिट्ठाजगत, हिन्दी कम्प्यूटिंग का इतिहास, जाल पत्रिका, जाल-पत्रिका

चिट्ठाजगत.इन

चिट्ठाजगत.इन एक लोकप्रिय हिन्दी ब्लॉग यानि चिट्ठों की एक ऍग्रीगेटर सेवा है जो कि विभिन्न हिन्दी चिट्ठों पर प्रकाशित होने वाली पोस्टों को एक जगह पर दिखाती है। पाठक पंजीकृत ब्लॉग में चिट्ठाकारों द्वारा लिखे गये ताजा चिट्ठों की जानकारी व झलक पा सकते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें सर्च इंजन एवं डाइरॅक्ट्री भी निहित हैं। चिट्ठाजगत.इन की शुरुआत सन् 2007 में आलोक कुमार एवं डॉ॰ विपुल जैन द्वारा की गई। यह पीऍचपी में बनाया गया है। यह अनेक सुविधाएँ प्रदान करता है जिनमें निम्न शामिल हैं:-.

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ब्लॉगर (सेवा)

ब्लॉगर (पूर्व नाम: ब्लॉगस्पॉट) एक चिट्ठा होस्टिंग सेवा है जो गूगल ब्लॉगर प्रोग्राम के द्वारा उपलब्ध कराई जाती है, व जिसके द्वारा ब्लॉगर्स अपने नए ब्लॉग शीघ्र ही बना सकते हैं। इसकी मदद से डोमेन नेम और होस्टिंग जब तक ब्लॉगर चाहे निःशुल्क उपलब्ध रहती है। गूगल के एडसेंस कार्यक्रम के द्वारा ब्लोगर्स अपने ब्लॉग से आय भी कर सकते हैं।। हिन्दुस्तान लाईव। २२ अप्रैल २०१० यह सुविधा अन्य चिट्ठाकारी कार्यक्रमों पर निर्भर नहीं होती। एक ब्लॉग किसी भी कार्य के लिए प्रयोग किया जा सकता है, चाहे वह निजी दैनंदिनी के रूप में हो या व्यावसायिक कार्य के लिए या सामान्य रूप में अपने विचार दूसरों तक पहुंचाने के लिए ब्लॉग्गिंग का ज्यादा उपयोग किया जाता है। ब्लॉगस्पॉट का आरंभ १९९९ में एक होस्टिंग टूल के रूप में पायरा लैब्स ने की थी। सन् २००३ में इसे गूगल ने खरीद लिया था, और तब से यह इंटरनेट पर सबसे प्रसिद्ध शुल्करहित होस्टिंग वेबसाइट बनी हुई है। .

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संस्कृत चिट्ठाजगत

संस्कृत चिट्ठाजगत से आशय है संस्कृत भाषी चिट्ठों का ऑनलाइन समुदाय, जो कि बृहतर भारतीय चिट्ठाजगत का एक भाग है। शास्त्री नित्यगोपाल कटारे संस्कृत भाषा के प्रथम चिट्ठाकार माने जाते हैं। उनका चिट्ठा संस्कृत का अब तक का प्रथम ज्ञात संस्कृत चिट्ठा है। आरम्भ में संस्कृत टाइपिंग की जटिलताओं के चलते काफी कम लोग संस्कृत में लिखते थे। धीरे-धीरे संस्कृत चिट्ठों की संख्या बढ़ने लगी। सन २००९ में संस्कृत चिट्ठों की संख्या कुछ बढ़ी। इसका कारण विविध ब्लॉगिंग सेवाओं में इण्डिक यूनिकोड का समर्थन आना, नए संस्कृत टंकण औजारों का आना आदि रहा। वर्तमान में सक्रिय-निष्क्रिय मिलाकर लगभग १५ के करीब संस्कृत चिट्ठे हैं। अधिकतर संस्कृत चिट्ठे संस्कृत भाषा के पठन-पाठन सम्बन्धी प्रकृति के हैं। आरंभिक समय में संस्कृत चिट्ठाकारों की कम संख्या को देखते हुए आरम्भिक चिट्ठाकारों ने इस माध्यम के प्रचार के लिये अनेक समुदाय बनाए ताकि संस्कृत चिट्ठाकारी का प्रचार किया जा सके। .

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हिन्दी चिट्ठाजगत

हिन्दी चिट्ठाकार समुदाय का प्रचलित लोगो हिन्दी चिट्ठाजगत से आशय है हिन्दी भाषी चिट्ठों का ऑनलाइन समुदाय जो कि बृहतर भारतीय चिट्ठाजगत का एक भाग है। .

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हिन्दी कम्प्यूटिंग का इतिहास

सबसे पहले हिन्दी टाइप शायद वर्डस्‍टार (वर्जन III प्लस) जैसे एक शब्द संसाधक ‘अक्षर’ में आया। फिर विंडोज़ आया और पेजमेकर व वेंचुरा का समय आया। इस सारी यात्रा में कम्प्‍यूटर केवल प्रिटिंग की दुनिया की सहायता भर कर रहा था। यूनिकोड के आगमन एवं प्रसार के पश्चात हिन्दी कम्प्यूटिंग प्रिंटिंग तक सीमित न रहकर संगणन के विभिन्न पहलुओं तक पहुँच गयी। अब भाषायी संगणन के सभी क्षेत्रों में हिन्दी अपनी पहुँच बना रही है। हिन्दी कम्प्यूटिंग को वर्तमान स्थिति तक पहुँचाने में सरकार, अनेक संस्थाओं, समूहों एवं प्रोग्रामरों-डैवलपरों का योगदान रहा। .

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जाल पत्रिका

हिंदी चिट्ठे याने की जाल पत्रिका हिंदी मे लिखे ब्लॉग या 'चिट्ठे' है। हिंदी में कुछ चिट्ठे केवल कविताओं पर केन्द्रित हैं, कुछ संगीत शास्त्र, ज्योतिष, यात्राओं और फ़ोटोग्राफी पर भी हैं। कुछ चिट्ठों पर संगीत सुना भी जा सकता है और फ्लैश चलचित्र भी देखे जा सकते हैं। हिन्दी रचनाकारों के लिए तो यह सर्वोत्तम माध्यम है। अपनी कविता, कहानी, उपन्यास, व्यंग्य और ललित निबंध सब इस पर निरंतर लिखते हैं और लगातार प्रकाशित करते हैं, यानी चिट्ठाकारों की अपनी पत्रिका। जो साहित्य आंतरजालपर नियमित रूप से प्रकाशित होता हैं, उसे कहते हैं। इसी लिए हम ब्लॉग को जालपत्रिका कह सकते हैं, जो शायद अनियमित रूप से भी प्रकाशित हो सकता हैं। शंख बजे ज्यों ही ठण्डी के, मौसम ने यूं पलट खाया, शीतल हो उठा कण-कण धरती का, कोहरे ने बिगुल बजाया!! हीटर बने हैं भाग्य विधाता, चाय और कॉफी की चुस्की बना जीवनदाता, सुबह उठ के नहाने वक्त, बेचैनी से जी घबराता!! घर से बाहर निकलते ही, शरीर थरथराने लगता, लगता सूरज अासमां में आज, नहीं निकलने का वजह ढूढ़ता!! कोहरे के दस्तक के आतंक ने, सुबह होते ही हड़कंप मचाया, शंख बजे ज्यों ही ठण्डी के मौसम ने यूं पलटा खाया!! दुबक पड़े इंसान रजाईयों में, ठण्ड की मार से, कांप उठा कण-कण धरती का मौसम की चाल से!! बजी नया साल की शहनाईयां, और क्रिसमस के इंतज़ार में, झूम उठा पूरा धरती, अपने-अपने परिवार में!! शंख बजे ज्यों ही ठण्डी के, मौसम ने यूं ही पलट खाया, शीतल हो उठा कण-कण धरती का, कोहरे ने बिगुल बजाया!! .

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जाल-पत्रिका

या हिंदी चिट्ठे हिंदी मे लिखे ब्लॉग या 'चिट्ठे' है। हिंदी में कुछ चिट्ठे केवल कविताओं पर केन्द्रित हैं, कुछ संगीत शास्त्र, ज्योतिष, यात्राओं और फ़ोटोग्राफी पर भी हैं। कुछ चिट्ठों पर संगीत सुना भी जा सकता है और फ्लैश चलचित्र भी देखे जा सकते हैं। हिन्दी रचनाकारों के लिए तो यह सर्वोत्तम माध्यम है। अपनी कविता, कहानी, उपन्यास, व्यंग्य और ललित निबंध सब इस पर निरंतर लिखते हैं और लगातार प्रकाशित करते हैं, यानी चिट्ठाकारों की अपनी पत्रिका। मराठी में भी ब्लॉग को ही कहतें है। और जालपत्रिका (ब्लॉग) के लेखक को (ब्लॉगर) कहतें है। .

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