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ब्रह्मपुत्री भाषाएँ

सूची ब्रह्मपुत्री भाषाएँ

ब्रह्मपुत्री भाषाएँ (Brahmaputran languages) या साल भाषाएँ (Sal languages) तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की एक उपशाखा की बोलियाँ हैं जो पूर्वी भारत और बर्मा व बंगलादेश के कुछ हिस्सों में बोली जाती हैं। .

13 संबंधों: डिमाश भाषा, तिवा भाषा, देओरी भाषा, बोड़ो भाषा, बोड़ो लोग, बोड़ो-गारो भाषाएँ, बोड़ो-कोच भाषाएँ, जिन्गपो भाषा, गारो भाषा, कछारी भाषा, कोच भाषा, कोच भाषाएँ, कोक बोरोक भाषा

डिमाश भाषा

डिमासा भाषा, तिब्बती-बर्मी परिवार की एक भाषा है जो डिमासा लोगों द्वारा बोली जाती है जो भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य असम में निवास करते हैं। कछार बर्मन और कछार होजाइ प्रथम भाषा के रूप में डिमासा बोलते हैं। .

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तिवा भाषा

तिवा भाषा (Tiwa language) या लालुंग भाषा (Lalung language) पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य में तिवा समुदाय द्वारा बोली जाने वाली एक ब्रह्मपुत्री भाषा है। सन् २००१ की जनगणना में इसे १.७१ लाख लोगों के तिवा समुदाय में से लगभग २७,००० लोग बोलते थे। .

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देओरी भाषा

देओरी (Deori) या जिमोसाया (Jimosaya) पूर्वोत्तर भारत के असम और अरुणाचल प्रदेश के देओरी समुदाय द्वारा बोली जाने वाली ब्रह्मपुत्री भाषा-परिवार की एक भाषा है। देओरी समाज में केवल दिबोंगिया उपसमुदाय ही अब इस भाषा को बोलता है और अन्य सभी ने असमिया भाषा बोलना आरम्भ कर दिया है। .

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बोड़ो भाषा

बोड़ो या बड़ो एक तिब्बती-बर्मी भाषा है जिसे भारत के उत्तरपूर्व, नेपाल और बांग्लादेश मे रहने वाले बोडो लोग बोलते हैं। बोडो भाषा भारतीय राज्य असम की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। भारत में यह विशेष संवैधानिक दर्जा प्राप्त २२ अनुसूचित भाषाओं में से एक है। बोडो भाषा आधिकारिक रूप से देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। .

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बोड़ो लोग

बोड़ो (असमिया: বড়ো/बड़ो) पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य के मूल निवासी हैं और भारत की एक महत्वपूर्ण जनजाति हैं। बोड़ो समुदाय स्वयं एक बृहत बोड़ो-कछारी समुदाय का हिस्सा माने जाते हैं। सन् २०११ की भारतीय राष्ट्रीय जनगणना में लगभग २० लाख भारतीयों ने स्वयं को बोड़ो बताया था जिसके अनुसार वे असम की कुल आबादी के ५.५% हैं। भारतीय संविधान की छठी धारा के तहत वे एक अनुसूचित जनजाति हैं। बोड़ो लोगों की मातृभाषा भी बोड़ो भाषा कहलाती है, जो एक ब्रह्मपुत्री भाषा है। ब्रह्मपुत्री भाषाएँ तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की एक शाखा है। धार्मिक दृष्टि से २००१ की जनगणना में लगभग ९०% प्रतिशत बोड़ो हिन्दू थे।, pp.

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बोड़ो-गारो भाषाएँ

बोड़ो-गारो भाषाएँ (Bodo–Garo languages) पूर्वी भारत में बोली जाने वाली कुछ भाषाओं का एक परिवार है। .

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बोड़ो-कोच भाषाएँ

बोड़ो-कोच भाषाएँ (Bodo–Koch languages) पूर्वी भारत में बोली जाने वाली कुछ भाषाओं का एक परिवार है। यह तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की एक शाखा है। इसकी स्वयं तीन शाखाएँ हैं: बोड़ो-गारो भाषाएँ, कोच भाषाएँ और देओरी भाषा। .

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जिन्गपो भाषा

जिन्गपो (बर्मी: ကချင်ဘာသာ) तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की ब्रह्मपुत्री शाखा (जो साल शाखा भी कहलाती है) की एक भाषा है। यह ज़्यादातर बर्मा के उत्तर में स्थित कचिन राज्य में रहने वाले जिन्गपो समुदाय द्वारा बोली जाती है, हालांकि इसके कुछ मातृभाषी भारत व चीन में भी रहते हैं। यह अधिकतर रोमन लिपि में लिखी जाती है हालांकि कुछ लोग इसे बर्मी लिपि में भी लिखते हैं। .

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गारो भाषा

गारो भाषा (Garo language) या आचिक भाषा (আ·চিক ভাষা) पूर्वोत्तर भारत के मेघालय राज्य के गारो पहाड़ियाँ ज़िले तथा असम व त्रिपुरा के कुछ भागों में बोली जाने वाली एक भाषा है। इसे बांग्लादेश के कुछ पड़ोसी क्षेत्रों में भी बोला जाता है। गारो भाषा का कोच एवं बोडो भाषाओ से, जो कि तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की सदस्य हैं, इनसे निकट सामीप्य है। गारो भाषा अधिकांश जनसंख्या द्वारा बोली जाती है और इसकी कई बोलियां प्रचलित हैं, जैसे अबेंग या अम्बेंग, अटोंग, अकावे (या अवे), मात्ची दुआल, चोबोक, चिसक मेगम या लिंगंगम, रुगा, गारा-गञ्चिंग एवं माटाबेंग। .

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कछारी भाषा

कछारी (असमिया: কছাৰী, अंग्रेज़ी: Kachari या Cachari) भारत के असम राज्य के कुछ भागों में बोली जाने वाली एक ब्रह्मपुत्री भाषा है। मूल रूप से यह कछारी लोगों की मातृभाषा है लेकिन वर्तमानकाल में ३०% से कम कछारी लोग इसका दैनिक प्रयोग करते हैं, जबकि उनमें आजकल असमिया भाषा प्रचलित है। माना जाता है कि आधुनिक असमिया भाषा पर भी कछारी भाषा का गहरा प्रभाव रहा है।, pp.

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कोच भाषा

कोच एक तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की ब्रह्मपुत्रीय शाखा की एक भाषा है जिसे भारत के उत्तरपूर्व, नेपाल और बांग्लादेश में रहने वाले कोच राजबोंग्शी लोग बोलते हैं। कोच बोलने वाले अक्सर राजबोंग्शी भाषा भी जानते हैं। .

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कोच भाषाएँ

कोच भाषाएँ (Koch languages) पूर्वी भारत में बोली जाने वाली कुछ भाषाओं का एक परिवार है। यह बोड़ो-कोच भाषाओं की एक शाखा है। .

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कोक बोरोक भाषा

कोक बोरोक या तिप्राकक भाषा या त्रिपुरी भाषा भारत के त्रिपुरा राज्य के त्रिपुरी समुदाय और बंगलादेश के कुछ पड़ोसी क्षेत्रों में बोली जाने वाली भाषाएँ हैं। 'कोक' का अर्थ 'भाषा' और 'बोरोक' का अर्थ 'लोग' होता है। यहाँ बोरोक शब्द से अर्थ त्रिपुरी लोग है। कोक बोरोक तिब्बती-बर्मी भाषा-परिवार की सदस्य है और असम में बोली जाने वाली बोड़ो भाषा और दिमासा भाषा की निकट सम्बन्धी है।, Pauthang Haokip, pp.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

ब्रह्मपुत्री भाषा, ब्रह्मपुत्रीय भाषाएँ, ब्रह्मपुत्रीय भाषाएं

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