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बेहुला

सूची बेहुला

सती बेहुला या बिहुला या बेहुला (बांग्ला: বেহুলা) (अंगिका: बिहुला) मध्यकालीन बांग्ला साहित्य में मानसमंगल एवं इसी प्रकार के कई अन्य काव्यकृतियों की नायिका है। तेरहवीं से अट्ठारहवीं शती की अवधि में इस कथा पर आधारिक बहुत सी रचनाएं की गयीं। इन कृतियों का धार्मिक उद्देश्य मनसा देवी की महत्ता का प्रतिपादन करना था किन्तु ये कृतियाँ बेहुला एवं एवं उनके पति बाला लखन्दर के पवित्र प्रेम के लिये अधिक जाने जाते हैं। यह बिहुला-बिषहरी की कथा प्राचीन भारत के षोडश जनपदों में से एक अंगदेश (वर्तमान बिहार के भागलपुर,मुंगेर जिलों के आसपास का क्षेत्र) की राजधानी चंपा (वर्तमान में भागलपुर जिले के नाथनगर के चंपानगर) की है। महाभारत के समय यहाँ के राजा कर्ण हुआ करते थे ऐसा माना जाता है। सती बिहुला की कथा भोजपुरी-भाषी क्षेत्र में एक गीतकथा के रूप में गाई जाती है। सामान्यतया यह निचली जातियों की कथा के रूप में प्रचलित हुआ करती थी परन्तु अब यह जाति की सीमाओं को लाँघ कर सर्वप्रिय कथा के रूप में स्थापित है और अब यह नारी मात्र के उत्सर्ग के अभूतपूर्व प्रतिमान के उद्धरण की कथा के रूप में स्थापित है। क्योंकि कहानी के अनुसार अपनी कठोर तपस्या से सती बेहुला ने अपने पति को जीवित कर दिखाया था। .

4 संबंधों: बंगाली साहित्य, भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची, लोरिकायन, लोककथा

बंगाली साहित्य

बँगला भाषा का साहित्य स्थूल रूप से तीन भागों में बाँटा जा सकता है - 1.

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भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची

शिकोहाबाद तहसील के ग्राम नगला भाट में श्री मुकुट सिंह यादव जो ग्राम पंचायत रूपसपुर से प्रधान भी रहे हैं उनके तीन पुत्र हैं गजेंद्र यादव नगेन्द्र यादव पुष्पेंद्र यादव प्रधान जी का जन्म सन १९५० में हुआ था उन्होंने अपना सारा जीवन ग़रीबों के लिए क़ुर्बान कर दिया था और वो ५ भाईओ में सबसे छोटे थे और अपने परिवार को बाँधे रखा ११ मार्च २०१५ को उनका देहावसान हो गया ! वो आज भी हमारे दिलों में ज़िंदा हैं इस लेख में भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची है। भारत में रेलवे स्टेशनों की कुल संख्या 7,000 और 8,500 के बीच अनुमानित है। भारतीय रेलवे एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार देने के साथ दुनिया में चौथा सबसे बड़ा नियोक्ता है। सूची तस्वीर गैलरी निम्नानुसार है। .

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लोरिकायन

लोरिकायन, भोजपुरी की सबसे प्रसिद्ध लोकगाथा है। इसका नायक लोरिक है। वीर रस से परिपूर्ण इस लोकगीत में नायक लोरिक के जीवन-प्रसंगों का जिस भाव से वर्णन करता है, वह देखते-सुनते ही बनता है .

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लोककथा

लोककथाएँ वे कहानियाँ हैं जो मनुष्य की कथा प्रवृत्ति के साथ चलकर विभिन्न परिवर्तनों एवं परिवर्धनों के साथ वर्तमान रूप में प्राप्त होती हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ निश्चित कथानक रूढ़ियों और शैलियों में ढली लोककथाओं के अनेक संस्करण, उसके नित्य नई प्रवृत्तियों और चरितों से युक्त होकर विकसित होने के प्रमाण है। एक ही कथा विभिन्न संदर्भों और अंचलों में बदलकर अनेक रूप ग्रहण करती हैं। लोकगीतों की भाँति लोककथाएँ भी हमें मानव की परंपरागत वसीयत के रूप में प्राप्त हैं। दादी अथवा नानी के पास बैठकर बचपन में जो कहानियाँ सुनी जाती है, चौपालों में इनका निर्माण कब, कहाँ कैसे और किसके द्वारा हुआ, यह बताना असंभव है। "यद्यपि दादी नानी से ज्यादा कहानियाँ दादा नाना सुनाते हैं लेकिन फिर भी दादी-नानी को ही ज्यादा महता देना भी विरासत में चली आ रही परिपाटी का ही परिणाम है!"-डॉ.रवींद्र भारतीय .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

बिहुला, सती बिहुला

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