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बेसन

सूची बेसन

चना दाल के पिसे आटे को बेसन कहते हैं। इसका उपयोग बहुत से देशों में होता है किन्तु भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश में भोजन के घटक के रूप बहुतायत में प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा इसका जल या दही के साथ पेस्ट बनाकर चेहरे पर भी पोतते हैं। .

10 संबंधों: प्याज कचोरी, बीकानेरी भुजिया, भुजिया, मुंग बीन डोसा, मैसूर पाक, रतलाम सेव, लड्डू, गुलाल, गोमूत्र, उत्तर भारतीय खाना

प्याज कचोरी

प्याज कचौरी (राजस्थानी: कांदा कचोरी) एक तरह का राजस्थानी कचोरी है, जो मसालेदार प्याज के साथ बनाई जाती है। यह जोधपुर और आसपास के प्रसिद्ध मसालेदार स्नैक भोजन में से एक है। उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में इस प्याज की कचोरी को बहुत पसंद किया जाता है। .

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बीकानेरी भुजिया

बीकानेरी भुजिया यह राजस्थान के बीकानेर के नाम से जुड़ी हुई है। यह एक बेसन के बारीक सेव या जवे जैसे बनाकर खाद्य तेल में तले जाने पर बनती है। इसमें बेसन के अलावा मूंग, मोठ मटर आदि के आटे भी मिलाए जाते हैं। साथ ही कई मसाले भी डाले जाते हैं। यह सिर्फ बीकानेर ही नहीं बल्कि राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार तथा पश्चिम बंगाल में भी बहुत लोकप्रिय है। .

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भुजिया

भुजिया भारत का एक प्रसिद्ध नमकीन है। यह राजस्थान के बीकानेर के नाम से जुड़ी हुई है। यह एक बेसन के बारीक सेव या जवे जैसे बनाकर खाद्य तेल में तले जाने पर बनती है। इसमें बेसन के अलावा मूंग, मोठ मटर आदि के आटे भी मिलाए जाते हैं। साथ ही कई मसाले भी डाले जाते हैं। .

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मुंग बीन डोसा

मूंग बीन डोसा (या सामान्यतः पेसराअट्टू या पेसरा डोसा), रोटी की तरह पतली होती हैं एवं डोसा के समान होती है। इसमें मूंग की दाल का घोल इस्तेमाल होता हैं लेकिन डोसा के विपरीत इसमें उड़द की दाल का प्रयोग नहीं होता है। पेसरा अट्टू को नाश्ते में और स्नैक के रूप में भी खाया जाता हैं एवं यह भारत के आंध्र प्रदेश और राजस्थान में काफी लोकप्रिय है। यह आमतौर पर अदरक या इमली की चटनी के साथ परोसा जाता है। हरी मिर्च, अदरक और प्याज का प्रयोग इस नाश्ते के विभिन्न प्रारूपों में किया जाता है। .

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मैसूर पाक

मैसूर पाक (कन्नड़: ಮೈಸೂರು ಪಾಕ್), कर्नाटक का एक मीठा व्यंजन है, जिसे बहुत सारे घी, बेसन, मेवा व चीनी से बनाया जाता है। मूल रूप से इसे मसूर (दाल) पाक कहा जाता था और इसे मसूर की दाल से तैयार बेसन से बनाया जाता था। इसके नाम का उद्गम संभवत: इसी मसूर दाल और पाक (किसी खाद्य वस्तु को चीनी की चाशनी में पका पर उस पर चीनी की परत चढ़ाना) से हुआ है। .

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रतलाम सेव

Add caption here मध्य प्रदेश के एक प्रमुख शहर रतलाम की प्रसिद्धि का एक प्रमुख कारण इस शहर के अलग अलग तरह के नमकीन जैसे समोसा, कचोरी, पोहे और फलाहारी नमकीन है। नमकीन की इन श्रेणियो में सेव का अपना प्रमुख स्थान है। मुख्य रूप से बेसन एवं मसालों से निर्मित इस नमकीन खाद्य की बिक्री सम्पूर्ण शहर एवम भारत के अलग अलग प्रदेशो में दूर दूर तक होती हे। सेव के प्रकारों में मुख्य रूप से लोंग, लहसून एवं काली मिर्च से बनी सेव बहुतायात से बिकती हे। सेव बनाने में मुख्य रूप से मूंगफली के तेल का उपयोग किया जाता हे। thumbnail.

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लड्डू

लड्डू लड्डू एक प्रकार की मिठाई है जो से कई तरह से बनाई जाती है। यह बेसन, मोतीचूर, गोंद इत्यादि कई अलग-अलग चीजों से तैयार किया जाता है। भारत के अलावा यह पाकिस्तान में भी बनाया और पसन्द किया जाता है। लड्डू सैंकड़ो प्रकार के होते हैं और बनाये जा सकते हैं। हर जगहों के लडडुओं की अलग अलग विशेषतायें होती है। प्राचीन काल में लड्डू किसी भी उत्सव में भोजन के आयोजन में विशेष प्रकार का महत्व रखता था। अनेक मंदिरों में भगवान के प्रसाद के रूप में लड्डू मिलते हैं। हर मंदिर के लडडुओं की अलग विशेषता होती है। तिरुपति के लड्डू अपनी अलग पहचान रखते हैं। श्रेणी:भारतीय मिठाइयाँ.

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गुलाल

गुलाल लाल रंग का सूखा चूर्ण जो होली में गालों पर या माथे पर टीक लगाने के काम आता है। गुलाल रंगीन सूखा चूर्ण होता है, जो होली के त्यौहार में गालों पर या माथे पर टीक लगाने के काम आता है। इसके अलावा इसका प्रयोग रंगोली बनाने में भी किया जाता है। बिना गुलाल के होली के रंग फीके ही रह जाते हैं। यह कहना उचित ही होगा कि जहां गीली होली के लिये पानी के रंग होते हैं, वहीं सूखी होली भी गुलालों के संग कुछ कम नहीं जमती है। यह रसायनों द्वारा व हर्बल, दोनों ही प्रकार से बनाया जाता है। लगभग २०-२५ वर्ष पूर्व तक वनस्पतियों से प्राप्त रंगों या उत्पादों से ही इसका निर्माण हुआ करता था, किन्तु तबसे रसयनों के रंग आने लगे व उन्हें अरारोट में मिलाकर तीखे व चटक रंग के गुलाल बनने लगे। इधर कुछ वर्षों से लोग दोबारा हर्बल गुलाल की ओर आकर्षित हुए हैं, व कई तरह के हर्बल व जैविक गुलाल बाजारों में उपलब्ध होने लगे हैं। हर्बल गुलाल के कई लाभ होते हैं। इनमें रसायनों का प्रयोग नहीं होने से न तो एलर्जी होती है न आंखों में जलन होती है। ये पर्यावरण अनुकूल होते हैं। इसके अलावा ये खास मंहगे भी नहीं होते, लगभग ८० रु का एक किलोग्राम होता है। .

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गोमूत्र

'''जीवामृत''': गोमूत्र, गाय के गोबर, गुड़, बेसन, तथा मूल परिवेश (राइजोस्फीयर मिट्टी) से निर्मित जैविक खाद गोमूत्र (गाय का मूत्र) पंचगव्यों में से एक है। हिन्दू धर्म एवं संस्कृति में इसका बहुत महत्व है। प्राचीन हिन्दू शास्त्रों में इसकी महत्ता का वर्णन मिलता है। वर्तमान विज्ञान में गोमूत्र के दैवीय गुणों को स्वीकार किया है और गोमूत्र के महत्व को समझाया है। कुछ आधुनिक शोधों में इसके अत्यन्त गुणकारी औषधीय गुण बताये जा रहे हैं। .

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उत्तर भारतीय खाना

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