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बीदर

सूची बीदर

बीदर दुर्ग के प्रवेशद्वार के पास बीदर कर्नाटक प्रान्त का एक शहर एवं जिला है। इसके उत्तर में नांदेड़ तथा उस्मानाबाद, पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिय में उस्मानाबाद, दक्षिण में गुलबर्गा तथा पूर्व में मेदक जिले स्थित हैं। इसके मध्य में २,३५० फुट ऊँचा पठार है। यहाँ का जलवायु शुष्क तथा स्वास्थ्यप्रद है। वर्षा का वार्षिक औसत ३७ इंच है। कृषि में ज्वार, गेहूँ, धान, बाजरा, कपास तथा तिलहन उगाए जाते हैं। .

20 संबंधों: चौदहवीं लोकसभा, एन॰ धरम सिंह, दत्तात्रेय, बहमनी सल्तनत, बीदर (बहुविकल्पी), बीदर एयर फ़ोर्स स्टेशन, बीदर जिला, बीदर विमानक्षेत्र, बीदर का किला, बीदरी, भारत में पर्यटन, भारत में विश्वविद्यालयों की सूची, भारत के शहरों की सूची, महमूद गवान, विश्वविद्यालय, गुलबर्ग किला, कर्नाटक, कर्नाटक/आलेख, कृष्णदेवराय, अफानासी निकितिन

चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

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एन॰ धरम सिंह

एन॰ धरम सिंह (२५ दिसम्बर १९३६ - २७ जुलाई २०१७) भारत के एक राजनेता थे जो २००४ से २०१७ तक कर्नाटक के मुख्यमन्त्री रहे। वे ७ बार लगातार कर्नाटक विधान सभा के सदस्य चुने गये। २००९ में हुए आमचुनाव (१४वीं लोकसभा) में वे बीदर से सांसद चुने गये थे। .

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दत्तात्रेय

भगवान दत्तात्रेय दत्तात्रेय ब्रह्मा-विष्णु-महेश के अवतार माने जाते हैं। भगवान शंकर का साक्षात रूप महाराज दत्तात्रेय में मिलता है और तीनो ईश्वरीय शक्तियों से समाहित महाराज दत्तात्रेय की आराधना बहुत ही सफल और जल्दी से फल देने वाली है। महाराज दत्तात्रेय आजन्म ब्रह्मचारी, अवधूत और दिगम्बर रहे थे। वे सर्वव्यापी है और किसी प्रकार के संकट में बहुत जल्दी से भक्त की सुध लेने वाले हैं, अगर मानसिक, या कर्म से या वाणी से महाराज दत्तात्रेय की उपासना की जाये तो भक्त किसी भी कठिनाई से शीघ्र दूर हो जाते हैं। .

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बहमनी सल्तनत

सन् 1470 का बहमनी सल्तनत बहमनी सल्तनत (1317-1518) दक्कन का एक इस्लामी राज्य था। इसकी स्थापना ३ अगस्त १३४७ को एक तुर्क-अफ़गान सूबेदार अलाउद्दीन बहमन शाह ने की थी। इसका प्रतिद्वंदी हिन्दू विजयनगर साम्राज्य था। १५१८ में इसका विघटन हो गया जिसके फलस्वरूप - गोलकोण्डा, बीजापुर, बीदर, बीरार और अहमदनगर के राज्यों का उदय हुआ। इन पाँचों को सम्मिलित रूप से दक्कन सल्तनत कहा जाता था। श्रेणी:बहमनी सल्तनत श्रेणी:भारत की सल्तनत.

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बीदर (बहुविकल्पी)

बीदर भारत में एक ज़िला है और उससे सम्बंधित कई लेख है।.

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बीदर एयर फ़ोर्स स्टेशन

बिदर एयर फॉर स्टेशन एक भारतीय वायु सेना का एयर फॉर स्टेशन है जो भारत के कर्नाटक राज्य के बीदर ज़िले में स्थित है। इसे द्वितीय विश्व युद्ध के समय स्थापित किया गया था और यह भारतीय वायु सेना का प्रशिक्षण कमान भी है। .

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बीदर जिला

बीदर भारतीय राज्य कर्नाटक का एक जिला है। जिले का मुख्यालय बीदर है। क्षेत्रफल - वर्ग कि.मी.

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बीदर विमानक्षेत्र

बीदर विमानक्षेत्र (Bidar Airport एक भारतीय विमानक्षेत्र है जो भारतीय राज्य कर्नाटक के बीदर ज़िले में स्थित है। .

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बीदर का किला

बीदर दुर्ग का बिहगावलोकन बीदर का किला (कन्नड: ಬೀದರ್ ಕೋಟೆ, उर्दू: قلعہ بیدر) दक्षिणी कर्नाटक के बीदर में स्थित है। बहमनी वंश के शासक अल्ला उद्दीन बहमन ने १४२७ में अपनी राजधानी गुलबर्गा से बीदर कर लिया और इस किले तथा अन्य भवनों का निर्माण कराया। श्रेणी:भारतीय दुर्ग.

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बीदरी

बीदरी बीदरी एक लोककला है जो की कर्नाटक के बीदर शहर से शुरु हुआ था। और बाद मे धीरे-धीरे इस कला का उपयोग आन्ध्र प्रदेश के हैदराबाद शहर मे भी होने लगा। एक धातु हस्तशिल्प कि 14वीं सदी में बीदर, कर्नाटक, में उत्पन्न बीदर है, बहमनी सुल्तानों के शासन के दौरान शब्द 'Bidriware' बीदर, जो अभी भी निर्माण के लिए मुख्य केंद्र है की बस्ती से निकलती है द्वितीय metalware.

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भारत में पर्यटन

हर साल, 3 मिलियन से अधिक पर्यटक आगरा में ताज महल देखने आते हैं। भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78% योगदान है। भारत में वार्षिक तौर पर 5 मिलियन विदेशी पर्यटकों का आगमन और 562 मिलियन घरेलू पर्यटकों द्वारा भ्रमण परिलक्षित होता है। 2008 में भारत के पर्यटन उद्योग ने लगभग US$100 बिलियन जनित किया और 2018 तक 9.4% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ, इसके US$275.5 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में पर्यटन के विकास और उसे बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय नोडल एजेंसी है और "अतुल्य भारत" अभियान की देख-रेख करता है। विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद के अनुसार, भारत, सर्वाधिक 10 वर्षीय विकास क्षमता के साथ, 2009-2018 से पर्यटन का आकर्षण केंद्र बन जाएगा.

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भारत में विश्वविद्यालयों की सूची

यहाँ भारत में विश्वविद्यालयों की सूची दी गई है। भारत में सार्वजनिक और निजी, दोनों विश्वविद्यालय हैं जिनमें से कई भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा समर्थित हैं। इनके अलावा निजी विश्वविद्यालय भी मौजूद हैं, जो विभिन्न निकायों और समितियों द्वारा समर्थित हैं। शीर्ष दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के तहत सूचीबद्ध विश्वविद्यालयों में से अधिकांश भारत में स्थित हैं। .

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भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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महमूद गवान

महमूद गवान: महमूद गवान (1411, ईरान - 1481) डेक्कन के बहामनी सल्तनत में प्रधान मंत्री थे। फारजा के गवन गांव से ख्वाजा महमूद गिलानी, इस्लामी धर्मशास्त्र, फारसी भाषा और गणित में अच्छी तरह से वाकिफ थे और एक कवि और प्रतिष्ठित लेखक गद्य लेखक थे। बाद में, वह मुहम्मद शाह III लश्कररी (1463-1482) के न्यायालय में मंत्री बने। ज्ञान का भंडार, महमूद ने शासकों, स्थानीय लोगों के साथ-साथ विदेशी राज्यों के विश्वास और विश्वास का आनंद लिया, जो महमूद के लिए बहुत सम्मान करते थे। .

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विश्वविद्यालय

विश्वविद्यालय (युनिवर्सिटी) वह संस्था है जिसमें सभी प्रकार की विद्याओं की उच्च कोटि की शिक्षा दी जाती हो, परीक्षा ली जाती हो तथा लोगों को विद्या संबंधी उपाधियाँ आदि प्रदान की जाती हों। इसके अंतर्गत विश्वविद्यालय के मैदान, भवन, प्रभाग, तथा विद्यार्थियों का संगठन आदि भी सम्मिलित हैं। .

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गुलबर्ग किला

गुलबर्ग किला उत्तर कर्नाटक के गुलबर्ग जिले में गुलबर्ग शहर में स्थित है। मूल रूप से इसका निर्माण वारंगल राजवंश के राज में राजा गुलचंद ने करवाया था। इसके बाद सन् 1347 में बहमनी राजवंश के अलाउद्दीन बहमन शाह ने दिल्ली सल्तनत के साथ संबंधों को तोड़ने के बाद इसे काफ़ी बड़ा करवाया था। बाद में किले के भीतर मस्जिदों, महलों, कब्रों जैसे इस्लामी स्मारकों और अन्य संरचनाओं का निर्माण हुआ। 1367 में किले के भीतर बनाया गया सभी ओर से बंद जामा मस्जिद मनोहर गुंबदों और मेहराबदार स्तंभों सहित फ़ारसी वास्तु शैली में निर्मित एक अद्वितीय संरचना है। यह 1327 से 1424 के बीच गुलबर्ग किले पर बहमनी शासन की स्थापना के उपलक्ष्य में बनाया गया था। यह 1424 तक बहमनी राज्य की राजधानी रहा, जिसके बाद बेहतर जलवायु परिस्थितियों के कारण राजधानी बीदर किले में ले जाई गयी। .

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कर्नाटक

कर्नाटक, जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का गठन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अधीन किया गया था। पहले यह मैसूर राज्य कहलाता था। १९७३ में पुनर्नामकरण कर इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया। इसकी सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। २९ जिलों के साथ यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई व्याख्याओं में से सर्वाधिक स्वीकृत व्याख्या यह है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन साम्राज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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कर्नाटक/आलेख

कर्नाटक (उच्चारण), जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का सृजन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्संगठन अधिनियम के अधीन किया गया था। मूलतः यह मैसूर राज्य कहलाता था और १९७३ में इसे पुनर्नामकरण कर कर्नाटक नाम मिला था। कर्नाटक की सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। राज्य का कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है और इसमें २९ जिले हैं। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। हालांकि कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई सन्दर्भ हैं, फिर भी उनमें से सर्वाधिक स्वीकार्य तथ्य है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्खन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द प्रयोग किया गया है, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयोग किया गया है और कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन याज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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कृष्णदेवराय

कृष्णदेवराय की कांस्य प्रतिमा संगीतमय स्तम्भों से युक्त हम्पी स्थित विट्ठल मन्दिर; इसके होयसला शैली के बहुभुजाकार आधार पर ध्यान दीजिए। कृष्णदेवराय (1509-1529 ई.; राज्यकाल 1509-1529 ई) विजयनगर के सर्वाधिक कीर्तिवान राजा थे। वे स्वयं कवि और कवियों के संरक्षक थे। तेलुगु भाषा में उनका काव्य अमुक्तमाल्यद साहित्य का एक रत्न है। इनकी भारत के प्राचीन इतिहास पर आधारित पुस्तक वंशचरितावली तेलुगू  के साथ—साथ संस्कृत में भी मिलती है। संभवत तेलुगू का अनुवाद ही संस्कृत में हुआ है। प्रख्यात इतिहासकार तेजपाल सिंह धामा ने हिन्दी में इनके जीवन पर प्रामाणिक उपन्यास आंध्रभोज लिखा है। तेलुगु भाषा के आठ प्रसिद्ध कवि इनके दरबार में थे जो अष्टदिग्गज के नाम से प्रसिद्ध थे। स्वयं कृष्णदेवराय भी आंध्रभोज के नाम से विख्यात थे। .

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अफानासी निकितिन

अफ़नासिय निकीतिन का स्मारक अफानासी निकितिन (रूसी: Афанасий Никитин) - एक रुसी व्यापारी था जिसने १५वीं शताब्दी में भारत की यात्रा की। वह लेखक के रूप में भी प्रसिद्ध है - उसकी पुस्तक "तीन समुद्र पार का सफरनामा" यह भारत के इतिहास का अहम सूत्र है। वास्को डि गामा से २५ वर्ष पूर्व भारत की धरती पर कदम रखने वाला पहला यूरोपीय अफ़नासी निकीतीन मूल रूप से रूस का रहने वाला था। वह सन् 1466 से 1475 के बीच लगभग तीन वर्ष तक भारत में रहा। निकीतीन रूस से चल कर जार्जिया, अरमेनिया, ईरान के रास्ते मुंबई पहुंचा था। सन् 1475 में वह अफ्रीका होता हुआ वापिस लौटा, लेकिन अपने घर त्वेर पहुंचने से पहले ही उसका निधन हो गया। निकीतीन द्वारा भारत-यात्रा पर लिखे संस्मरणों को १९वीं सदी में रूस के जाने-माने इतिहासविद् एन.एम.

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