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बिल्लू

सूची बिल्लू

बिल्लू (अंग्रेजी; Billoo) एक भारतीय काॅमिक्स पात्र है जिसकी रचना भारतीय कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा ने सन् १९७३ में किया था। इसकी प्रकाशन डायमण्ड पब्लिकेशन करती है। इसकी कहानियों की पृष्ठभूमि में दिल्ली की बीते सत्तर व अस्सी के दशक की झलक देखने मिलती है। बिल्लू एक आम स्कूली किशोर ही है। जिसकी आंशिक समानता अमेरिकी काॅमिक्स के पात्र आर्ची से की जाती है, बिल्लू को शरारती है, लड़कियाँ उसे पसंद करती है हालाँकि वह आर्ची के समान "दोस्ताना कैसानोवा" या रसिक मिजाज का कतई नहीं है, अन्य भारतीय किशोरों की तरह उसे भी क्रिकेट खेलना पसंद है। बिल्लू की पहचान अक्सर उसकी आँखों तक फैले बालों से ढकी रहती या पूरे माथे को घेरती। अक्सर उसकी मसखरेपन और शरारतों से उसे मुसीबतें झेलनी पड़ती, मगर हर बार वह उन पड़ोसियों की आंटियों और बदमाशों से बच निकलता। बिल्लू के पास "मोती" नाम का एक पालतू पिल्ला है। उसकी टोली में उसके बचपन के दोस्त जैसे गब्दू, जोज़ी, मोनू, बिशम्बर और ऐसे कई साथी हैं। उसका अक्सर बजरंगी नामक पहलवान और उसके चेले ढक्कन से नोक-झोंक चलती है। वहीं जोज़ी के पिता कर्नल थ्री नाॅट थ्री कभी भी बिल्लू को पसंद नहीं करते। १९७३ में, कार्टूनिस्ट प्राण साहब किसी स्कूली किशोर पर अपने काॅमिक्स स्ट्रिप बनाना चाहते थे। इस तरह उन्होंने एक बच्चे को रचा जिसकि लंबे बालों उसकी आँखों को ढके रहे और उसका नाम रखा "बिल्लू"। पाठकों के बीच इस दुबले-पतले किरदार को बहुत सराहा गया जिससे संपादक ने प्राण साहब से एक पन्नों से लेकर दो पन्नों की कहानियाँ रचने को कहा। बिल्लू को कई बार अपने पालतू पिल्ले - मोती साथ सड़कों पर घुमते देखा जा सकता है। जब वह घर पर हो, तो वह टीवी देखने बैठ जाता। बिल्लू और उसकी दोस्तों की टोली जिनमें गब्दू, जोज़ी, मोनू व बिशम्बर शामिल हैं; अक्सर पहलवान बजरंगी और उसके साथी ढक्कन को चकमा दे जाते हैं। वे हमेशा इसी तरह एक-दूसरे को नीचा दिखाने की जुगत करते हैं। जोज़ी की बिल्लू से दोस्ती पर, जोज़ी के पिता कर्नल थ्री नाॅट थ्री हमेशा नापसंदगी जताते और हरपल उसपर अपनी राईफ़ल ताने रहते। बिल्लू व उसके दोस्तों को हमेशा पड़ोसियों के अहाते पर क्रिकेट खेलते देखा जाता रहा है, और कभी-कभार वह गलती से उसके पड़ोसियों की ही खिड़कियाँ तोड़ देता है(विशेषकर बजरंगी की खिड़कियाँ।) हरेक काॅमिक्स पुस्तक में कहानियों की सेट हुआ करती थी। आरंभिक कहानियों में बिल्लू और जोज़ी बच्चे हुआ करते थे, बाद कहानियों में उनके किशोरवय रूप में दिखाया जाता है। बचपन में जोज़ी जहाँ उसकी दोस्त थी अब बड़े होने पर वह उसकी गर्लफ्रैंड बनती है। .

6 संबंधों: चाचा चौधरी, डायमण्ड कॉमिक्स, प्राण कुमार शर्मा, प्रीतम, करीना कपूर, कॉमिक्स

चाचा चौधरी

चाचा चौधरी एक बेहद लोकप्रिय भारतीय कॉमिक्स पुस्तक के चरित्र हैं, जिसकी रचना दिवंगत कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा ने की थी। उनकी कॉमिक्स हिंदी एवं अंग्रेज़ी समेत अन्य दस भारतीय भाषाओं के साथ प्रकाशित होती है और दस करोड़ से अधिक प्रतियों की बिक्री होती है। "चाचा चौधरी" आधारित बने दूरदर्शन धारावाहिक पर इसके ६०० से अधिक एपीसोड तक एक प्रमुख चैनल पर दिखाए गए, जिसे अभिनेता रघुवीर यादव ने इसकी शीर्षक भूमिका को चरितार्थ किया था। .

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डायमण्ड कॉमिक्स

डायमण्ड काॅमिक्स प्राइवेट लिमिटेड (अंग्रेजी; Diamond Comics Pvt. Ltd.) भारत स्थित एक काॅमिक्स पुस्तक वितरक एवं प्रकाशक विभाग है। .

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प्राण कुमार शर्मा

प्राण द्वारा रचित कॉमिक पात्र चाचा चौधरी कार्टूनिस्ट प्राण कुमार शर्मा (१५ अगस्त १९३८ – ६ अगस्त २०१४) जिन्हें प्राण के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय कॉमिक जगत के सबसे सफल और लोकप्रिय कार्टूनिस्ट प्राण ने १९६० से कार्टून बनाने की शुरुआत की। प्राण को सबसे ज्यादा लोकप्रिय उनके पात्र चाचा चौधरी और साबू ने बनाया। सर्वप्रथम लोटपोट के लिए बनाये उनके ये कार्टून पात्र बेहद लोकप्रिय हुए और आगे चलकर प्राण ने चाचा चौधरी और साबू को केन्द्र में रखकर स्वतंत्र कॉमिक पत्रिकाएं प्रकाशित की। उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र मिलाप से कार्टून बनाने की शुरुआत की थी। ६ अगस्त २०१४ को उनका कैंसर से निधन हो गया। .

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प्रीतम

प्रीतम चक्रबोर्ती (चक्रवर्ती) (बंगाली: প্রীতম চক্রবর্ত্তী) जिन्हें प्रीतम के नाम से बेहतर जाना जाता है, (14 जून 1971) बॉलीवुड फिल्मों के एक प्रख्यात भारतीय संगीत निर्देशक, संगीतकार, गायक, वादक और रिकार्ड निर्माता है जो वर्तमान में मुम्बई में रहते हैं।। लगभग डेढ़ दशकों में फैले कैरियर में, प्रीतम ने सौ से अधिक बॉलीवुड फिल्मों के लिए संगीत रचना की है। कई शैलियों को कवर कर चुके प्रीतम भारत में सबसे बहुमुखी संगीत संगीतकारों में से एक हैं। वह 2 फिल्मफेयर पुरस्कार, 4 जी सिने अवार्ड्स, 3 स्टार स्क्रीन पुरस्कार, 3 आईफा पुरस्कार और कई अन्य पुरस्कार जीत चुके हैं। .

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करीना कपूर

करीना कपूर (जन्म: २१ सितम्बर १९८०) बॉलीवुड फिल्मों में काम करने वाली एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं। कपूर फ़िल्म परिवार में जन्मी करीना ने अभिनय की शुरुआत साल २००० में रिलीज़ हुई फ़िल्म रिफ्युज़ी के साथ की। इस फ़िल्म में अपने अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट फीमेल डेब्यू यानि उस साल अपने अभिनय जीवन की शुरुआत करने वाली अभिनेत्रियों में से सर्वश्रेष्ठ अभिनत्री का पुरस्कार भी मिला। साल २००१ में, अपनी दूसरी फ़िल्म मुझे कुछ कहना है रिलीज़ होने के साथ ही, कपूर को अपनी पहली व्यावसायिक सफलता मिली। इसके बाद इसी साल आई करन जौहर की नाटक से भरपूर फ़िल्म कभी खुशी कभी ग़म में भी करीना नज़र आयीं। ये फ़िल्म उस साल विदेशों में सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली भारतीय फ़िल्म बन गई और साथ ही करीना के लिए ये तब तक की सबसे बड़ी व्यावसायिक सफलता थी। २००२ और २००३ में लगातार कई फिल्मों की असफलता और एक जैसी भूमिकाएं करने की वजह से करीना को समीक्षालों से काफ़ी नकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलीं, उसके बाद करीना ने एक जैसी भूमिकाओं या टाईपकास्ट (typecast) से बचने के लिए ज्यादा मेहनत वाली और कठिन भूमिकाएं लेना शुरू कर दिया। फ़िल्म चमेली (Chameli) में देह व्यापार करने वाली एक लड़की की भूमिका ने उनके करियर की दिशा बदल दी। इस फ़िल्म में अपने अभिनय के लिए उन्हें फ़िल्मफेयर स्पेशल परफोर्मेंस अवार्ड या फ़िल्मफेयर विशिष्ट प्रदर्शन पुरस्कार (Filmfare Special Performance Award) भी मिला। इसके बाद, फ़िल्म समीक्षकों द्वारा बहुप्रशंसित फिल्मों देव और ओंकारा में अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर समारोह में आलोचकों की दृष्टि से दो सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार (Critics Awards for Best Actress) भी मिले। २००४ और २००६ के बीच अभिनय के क्षेत्र में इतनी अलग-अलग तरह की भूमिकाएं करने के बाद उन्हें बहुमुखी प्रतिभा की धनी अभिनेत्री के रूप में जाना जाने लगा। वर्ष २००७ में, कपूर ने व्यावसायिक दृष्टि से बेहद सफल रही कॉमेडी-रोमांस फ़िल्म जब वी मेट में अपने प्रदर्शन के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार जीता.बॉक्स ऑफिस पर कमाई करने के मामले में भले ही उनकी फिल्मों का प्रदर्शन काफी अलग अलग रहा हो लेकिन करीना ख़ुद को हिन्दी फ़िल्म उद्योग में आज कल की अग्रणी फ़िल्म अभिनेत्री के रूप में स्थापित करने में सफल रही हैं। .

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कॉमिक्स

कॉमिक्स (अंग्रेजी; Comics/शब्दार्थ; चित्रकथा) एक माध्यम है जहाँ विचारों को व्यक्त करने के लिए सामान्य पाठ्यक्रम के अपेक्षा चित्रों, एवं बहुधा शब्दों के मिश्रण तथा अन्य चित्रित सूचनाओं की सहायता से पढ़ा जाता है। काॅमिक्सों में निरंतर किसी भी विशिष्ट भंगिमाओं एवं दृश्यों को चित्रों के पैनल द्वारा जाहिर किया जाता रहा है। अक्सर शाब्दिक युक्तियों को स्पीच बैलुनों, अनुशीर्षकों (कैप्शन), एवं अर्थानुरणन जिनमें संवाद, वृतांत, ध्वनि प्रभाव एवं अन्य सूचनाओं को भी इनसे व्यक्त करते हैं। चित्रित पैनलों के आकार एवं उनकी व्यवस्थित संयोजन से कहानी को व्याख्यान करने से पढ़ना सरल हो जाता है। कार्टूनिंग एवं उनके ही अनुरूप किया गया इल्सट्रैशन द्वारा चित्र बनाना काॅमिक्स का सामान्यतः अनिवार्य अंग रहा है; फ्युमेटी एक विशेष फाॅर्म या शैली हैं जिनमें पहले से खिंची फोटोग्राफिक चित्रों का इस्तेमाल कर काॅमिक्स का रूप दिया जाता है। सामान्य फाॅर्मों में काॅमिक्स को हम काॅमिक्स स्ट्रिप (पट्टी या कतरनों), संपादकीय या गैग (झुठे) कार्टूनों तथा काॅमिक्स पुस्तकों द्वारा पढ़ा करते हैं। वहीं गत २०वीं शताब्दी तक, अपने सीमित संस्करणों जैसे ग्राफिक उपन्यासों, काॅमिक्स एलबम, और टैंकोबाॅन के रूप में इसने सामान्यतया काफी उन्नति पायी है और अब २१वीं सदी में ऑनलाइन वेबकाॅमिक्स के तौर पर भी काफी कामयाब साबित हुई है। काॅमिक्स इतिहास का विविध विकास भी सांस्कृतिक विविधता की देन है। बुद्धिजीवी मानते है कि इस तरह की शुरुआत हम प्रागैतिहासिक युग के लैस्काउक्स की गुफा चित्रों से अंदाजा लगा सकते हैं। वहीं २०वीं के मध्य तक, काॅमिक्स का विस्तार संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, पश्चिमी युरोपीय प्रांतों (विशेषकर फ्रांस एवं बेल्जियम), और जापान में खूब निखार आया। युरोपीय काॅमिक्स के इतिहास में गौर करें तो १८३० में रुडोल्फ टाॅप्फेर की बनाई कार्टून स्ट्रिप काफी लोकप्रिय थे, जो आगे चलकर उनकी बनाई द एडवेंचर ऑफ टिनटिन १९३० तक स्ट्रिप एवं पुस्तक के रूप काफी कामयाब रही थी। अमेरिकी काॅमिक्स ने सार्वजनिक माध्यम पाने के लिए २०वीं के पूर्व तक अखबारों के काॅमिक्स स्ट्रिप द्वारा पैठ जमाई; पत्रिका-शैली की काॅमिक्स पुस्तकें भी १९३० में प्रकाशित होने लगी, और १९३८ में सुपरमैन जैसे प्रख्यात किरदार के आगमन बाद सुपरहीरो पीढ़ी का एक नया दौर उदय हुआ। वहीं जापानी काॅमिक्स या कार्टूनिंग (मैंगा) का मूल इतिहास तो १२वीं शताब्दी के पूर्वाद्ध से भी पुराना है। जापान में आधुनिक काॅमिक्स स्ट्रिप का उदय २०वीं में ही हुआ, और काॅमिक्स पत्रिकाओं एवं पुस्तकों का भारी उत्पादन भी द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हुआ जिसमें ओसामु तेज़ुका जैसे कार्टूनिस्टों को काफी शोहरत दिलाई। हालाँकि काॅमिक्स का इतिहास तब तक दोयम दर्जे के रूप में जाना जाता रहा था, लेकिन २०वीं सदी के अंत तक आते-आते जनता तथा शैक्षिक संस्थाओं ने जैसे इसे तहे दिल से स्वीकृति दे दी। वहीं "काॅमिक्स" अंग्रेजी परिभाषा में एकवचन संज्ञा के तौर पर देखा जाता है जब इसका तात्पर्य किसी मध्यम और बहुवचन को विशेष उदाहरणों व घटनाओं को, व्यक्तिगत स्ट्रिपों अथवा काॅमिक्स पुस्तकों के जरीए प्रस्तुत किया जाता है। यद्यपि अन्य परिभाषा इन हास्यकारक (या काॅमिक) जैसे कार्य पूर्व अमेरिकी अखबारों के काॅमिक्स स्ट्रिपों पर प्रबल रूप से प्रयोग होता था, पर जल्द इसने गैर-हास्य जैसे मापदंडों का भी निर्माण कर लिया। अंग्रेजी में सामान्य तौर पर काॅमिक्स के उल्लेख की तरह ही विभिन्न संस्कृतियों में भी उनकी मूल भाषाओं में उपयोग होता रहा है, जैसे जापानी काॅमिक्स को मैन्गा, एवं फ्रेंच भाषा की काॅमिक्सों को बैन्डिस डेसीनीस कहा जाता हैं। लेकिन अभी तक काॅमिक्स की सही परिभाषा को लेकर विचारकों तथा इतिहासकारों के मध्य आम सहमति नहीं बनी है; कुछेक अपने तर्क पर बल देते हैं कि यह चित्रों एवं शब्दों का संयोजन हैं, कुछ इसे अन्य चित्रों से संबंधित या क्रमबद्ध चित्रों की कहानी कहते है, और कुछ अन्य इतिहासकार स्वीकारते है यह किसी व्यापक पैमाने के पुनरुत्पादन की तरह है जिसमें किसी विशेष पात्र की निरंतर आवृति होती रहती है। विभिन्न काॅमिक्स संस्कृति एवं युग द्वारा बढ़ते इस मिश्रित-परागण से इसकी व्याख्या देना भी अब काफी जटिल हो चुका है। .

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