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बालेश्वर मन्दिर

सूची बालेश्वर मन्दिर

उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत नगर में स्थित बालेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर समूह है, जिसका निर्माण १०-१२ ईसवीं शताब्दी में चन्द शासकों ने करवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला काफी सुंदर है। मन्दिर समूह चम्पावत नगर के बस स्टेशन से लगभग १०० मीटर की दूरी पर स्थित है। मुख्य मन्दिर बालेश्वर महादेव (शिव) को समर्पित है। लगभग २०० वर्ग मीटर फैले मन्दिर परिसर में मुख्य मन्दिर के अतिरिक्त २ मन्दिर और स्थित हैं, जो रत्नेश्वर तथा चम्पावती दुर्गा को समर्पित हैं। मन्दिरों के समीप ही एक नौले का भी निर्माण किया गया है। बालेश्वर मंदिर परिसर उत्तराखण्ड के राष्ट्रीय संरक्षित स्मारकों में से एक है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून मण्डल द्वारा इसकी देख-रेख के लिए कर्मचारी नियुक्त किये गये हैं। पुरातत्व विभाग की देख-रेख में बालेश्वर मंदिर परिसर की स्वच्छता एवं प्रसिद्ध बालेश्वर नौले के निर्मल जल को संरक्षित किया गया है। .

3 संबंधों: चम्पावत, चम्पावत का इतिहास, कुमाऊँ राज्य

चम्पावत

चम्पावत भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत जिले का मुख्यालय है। पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियाँ अद्भुत छटा बिखेरती हैं। चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। वन्यजीवों से लेकर हरे-भरे मैदानों तक और ट्रैकिंग की सुविधा, सभी कुछ यहाँ पर है। यह कस्बा समुद्र तल से १६१५ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। चम्पावत कई वर्षों तक कुमाऊँ के शासकों की राजधानी रहा है। चन्द शासकों के किले के अवशेष आज भी चम्पावत में देखे जा सकते हैं। .

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चम्पावत का इतिहास

चम्पावत नगर का एक दृश्य चम्पावत उत्तराखण्ड राज्य के पूर्वी भाग में स्थित चम्पावत जनपद का मुख्यालय तथा एक प्रमुख नगर है। चम्पावत कई वर्षों तक कुमाऊँ के शासकों की राजधानी रहा है। चन्द शासकों के किले के अवशेष आज भी चम्पावत में देखे जा सकते हैं। .

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कुमाऊँ राज्य

कुमाऊँ राज्य, जिसे कूर्मांचल भी कहा जाता था, चन्द राजवंश द्वारा शासित एक पर्वतीय राज्य था, जिसका विस्तार वर्तमान भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में था। राज्य की स्थापना ७०० में सोम चन्द ने की थी। प्रारम्भ में यह केवल वर्तमान चम्पावत जनपद तक ही सीमित था। उसके बाद सोम चन्द ने सुई पर आक्रमण कर उसे अपने राज्य में मिला लिया। सर्वप्रथम राजा त्रिलोक चन्द ने छखाता पर आक्रमण कर पश्चिम की ओर राज्य का विस्तार किया। उसके बाद गरुड़ ज्ञान चन्द ने तराई-भाभर, उद्यान चन्द ने चौगरखा, रत्न चन्द ने सोर और कीर्ति चन्द ने बारहमण्डल, पाली तथा फल्दाकोट क्षेत्रों को राज्य में मिला लिया। १५६३ में बालो कल्याण चन्द ने राजधानी चम्पावत से आलमनगर स्थानांतरित कर नगर का नाम अल्मोड़ा रखा, और गंगोली तथा दानपुर पर अधिकार स्थापित किया। उनके बाद उनके पुत्र रुद्र चन्द ने अस्कोट और सिरा को पराजित कर राज्य को उसके चरम पर पहुंचा दिया। सत्रहवीं शताब्दी में कुमाऊँ में चन्द शासन का स्वर्ण काल चला, परन्तु अट्ठारवीं शताब्दी आते आते उनकी शक्ति क्षीण होने लगी। १७४४ में रोहिल्लों के तथा १७७९ में गढ़वाल के हाथों पराजित होने के बाद चन्द राजाओं की शक्ति पूरी तरह बिखर गई थी। फलतः गोरखों ने अवसर का लाभ उठाकर हवालबाग के पास एक साधारण मुठभेड़ के बाद सन्‌ १७९० ई. में अल्मोड़ा पर अपना अधिकार कर लिया। .

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बालेश्वर मंदिर

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