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बांग्लादेश सरकार

सूची बांग्लादेश सरकार

बांग्लादेश सरकार(বাংলাদেশ সরকার, बांलादेश सरकार), बांग्लादेश के संविधान द्वारा स्थापित, बांग्लादेश की प्रशासनिक एवं नियंत्रक प्राधिकारिणी है। यह, संपूर्ण बांग्लादेशी भूमि के शासन पर अपनी प्रभुसत्ता का दावा रखती है। संविधान के अनुसार, देश को लोकतांत्रिक, गणतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत्, एक स्वतंत्र न्यायपालिका के साथ, परिचालित किये जाने की बात की गई है। संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति बांग्लादेश के राष्ट्राध्यक्ष हैं, जबकि सरकार, प्रधानमंत्री व उनके द्वारा नामांकित मंत्रियों के नियंत्रण में कार्य करती है। प्रधानमंत्री और अन्य मंत्री मिलकर बांग्लादेश की उच्चतम् शासनिक एवं निर्णयात्मक निकाय का गठन करते हैं, जिसे बांग्लादेशी लहजे में, मंत्रिसभा(মন্ত্রিসভা) या कैबिनेट कहते हैं। 1971 के अस्थायी सरकार के गठन एवं अंतरिम संविधान के परवर्तन पश्चात् से बांग्लादेश की सरकारी व्यवस्था न्यूनतम् पाँचबार बदली जा चुकी है। बांग्लादेश की वर्तमान सरकारी व्यवस्था बहुदलीय संसदीय प्रणाली पर आधारित है। वरतमान व्यवस्था में प्रधानमंत्री को सरकार प्रमुख का दर्जा प्राप्त है, एवं बहुदलीय लोकतांत्रिक ढाँचे में, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के सिद्धांतों पर राष्ट्रीय संसद के सदस्यगण निर्वाचित होते हैं। कार्यपालिका पूर्णतः सरकार के नियंत्रण में होती है, जिसे प्रधानमंत्री व मंत्रिसभा के अन्य सदस्यगण परिचालित करते हैं। सरकार व सरकार के समस्त मंत्रियों की, संसद के प्रति उत्तरदेही है, और राष्ट्रीय संसद में सरकार के कीसी भी निर्णय, कार्य, कदम या योजना पर प्रश्न किया जा सकता है। इसके अलावा, संविधान संशोधन, महाभियोग व कानूनी फेरबदल जैसे कार्य भी संसदीय बहुमत द्वारा किया जाता है। न्यायपालिका और विधानपालिका के अलाव बांग्लादेश में एक स्वतंत्र श्रेणीबद्ध न्यायपालिका भी स्थापित है, जो न्यायिक मामलों को देखती है। .

33 संबंधों: ताजुद्दीन अहमद, फ़ख़रुद्दीन अहमद, फज़्लुल हक, बांग्लादेश मानक समय, बांग्लादेश में स्थानीय प्रशासन, बांग्लादेश में ज़िला परिषद्, बांग्लादेश में कराधान, बांग्लादेश का प्रशासनिक भूगोल, बांग्लादेश के यूनियन परिषद्, बांग्लादेश के राष्ट्रपति, बांग्लादेश के राजनैतिक दल, बांग्लादेश के जिले, बांग्लादेश के जिलों की सूची, बांग्लादेश के विभाग, बांग्लादेश के उपजिले, बांग्लादेश के उपजिलों की सूची, बांग्लादेश की न्यायपालिका, बांग्लादेश की मंत्रिसभा, बांग्लादेशी संसद के अध्यक्ष, मशीहुर रहमान, मिजानुर्रहमान चौधरी, मौदूद अहमद, मोहम्मद मंसूर अली, मोहम्मद हबीबुर्रहमान, लतीफुर रहमान, शाह अजीजुर रहमान, सार्क फाउंटेन, जातियो स्मृतीशोऊधो, काजी जफर अहमद, अताउर रहमान खान, उपज़िला परिषद् (बांग्लादेश), उपजिला निर्वाहि अधिकारी, 2016 गुलशन हमला

ताजुद्दीन अहमद

ताजुद्दीन अहमद, (बांग्ला: তাজউদ্দীন আহমদ) (जुलाई 23, 1925 – नवंबर 3, 1975) एक बांग्लादेशी राजनयिक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने बांग्लादेश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में युद्धकालीन अंतरिम सरकार का मुक्ति युद्ध में निर्णायक नेतृत्व किया था। उन्हें बांग्लादेश के जन्म एवं स्वतंत्रता के सबसे प्रभावशाली, निर्णायक एवं सूत्रधारी शख़्सियतों में गिना जाता है। 1971 में अंतरिम सरकार के उनके नेतृत्व नें बांग्लादेशी राष्ट्रवादियों के विभिन्न राजनीतिक, सामरिक, जातिगत एवं सांस्कृतिक खेमों को एकजुट कर दिया था। .

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फ़ख़रुद्दीन अहमद

फकरुद्दीन अहमद, (बांग्ला:ফাকরুদ্দীন আহমেদ, जन्म 1 मई 1940) एक बांग्लादेशी अर्थशास्त्री, नौकरशाह और बांग्लादेश बैंक (बांग्लादेश का केंद्रीय बैंक) के गवर्नर थे। 12 जनवरी 2007 को उन्हें, राजनीतिक संकट के बीच, निष्पक्ष अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया था। वे इस पद पर तकरीबन 2 वर्ष तक विराजमान रहे, जोकि साधारण कार्यकाल से कहीं अधिक है। तत्पश्चात 29 दिसंबर 2008 को साधारण चुनाव घोषित किए गए और अवामी लीग सत्ता पर काबिज हुई। .

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फज़्लुल हक

न्यायमूर्ति मोहम्मद फज्लुल हक (ম., जन्म 1938) बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे, जिन्होंने 2007 में सामयिक के मुख्य सचिव के रूप में कार्य किया था। .

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बांग्लादेश मानक समय

बांग्लादेश मानक समय (बीएसटी) (बंगाली: বাংলাদেশ মান সময়) बांग्लादेश का समय मंडल है। यह ऑफसेट छह घंटे के लिए समन्वित वैश्विक समय से आगे है, और देश भर में एक राष्ट्रीय मानक के रूप में मना जाता है। बांग्लादेश ने संक्षिप्त समय के लिए, देश में चल रहे बिजली संकट से निपटने के लिए 2009 में डेलाइट सेविंग टाइम (डीएसटी) अपना लेकिन 2010 में बांग्लादेश की सरकार द्वारा इसे रद्द कर दिया गया था। बांग्लादेश मानक समय के द्वारा जो आधिकारिक सिग्नल दिया जाता है उसकी गणना 90° पूर्व देशान्तर (लॉन्गीट्यूड) के आधार पर की जाती है जो हरुकंडी संघ के हरिरामपुर उपजिला, मानिकगंज जिला, ढाका से होकर गुजरती है। .

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बांग्लादेश में स्थानीय प्रशासन

बांग्लादेश में स्थानीय प्रशासन, तीन स्तरों में विभाजित है: ज़िला स्तर, उपज़िला स्तर तथा यूनियन स्तर, जिनमें प्रत्येक स्तर पर एक निस्वचित परिषद् तथा संबंधित निकाय स्थापित होते हैं। प्रत्येक निकेस पर स्थानीय प्रशासन से संबधित शक्तियां निहित होती है। .

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बांग्लादेश में ज़िला परिषद्

ज़िला परिषद्, बांग्लादेश में जिला स्तर की प्रशासनिक निकाय है, जिसपर ज़िला स्तरीय प्रशासन तथा उससे संबंधित प्रभार निहित होते हैं। प्रत्येक जिले में एक परिषद् होती है, जिसमें आधे निर्वाचित, और आधे नियुक्त पार्षद् होते हैं। इस परिषद् के प्रमुख, जिला के उप-आयुक्त(डिप्टी कमिश्नर) होते हैं। .

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बांग्लादेश में कराधान

बांग्लादेश में कराधान, बांग्लादेश सरकार द्वारा, संविधान द्वारा सरकार को दिए गए अधिकार के हक से, आयत की जाती है। संविधान का अनुअनुच्छ 83 के अनुसार, कोई भी कर, संसदीय अधिनियम के गैर अंतर्गत नहीं लगाई जा सकती है। अतः बांग्लादेश में प्रत्येक करों की संसदीय स्वीकृति प्रति होना अनिवार्य है। .

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बांग्लादेश का प्रशासनिक भूगोल

बांग्लादेश एक एकात्मक राज्य है, अतः उसकी शासन प्रणाली किसी एकमेव शक्ति के रूप में सुनियोजित है, जिसमें केन्द्रीय सरकार अन्ततः सर्वोच्च है, तथा सारी उपराष्ट्रीय इकाइयाँ और उनको प्राप्त होने वाले अधिकार केन्द्रीय सरकार के पूर्णतः अधीन हैं और केन्द्रीय सरकार के अंतर्गत् कार्य करती हैं(जोकि भारत या अमेरिका जैसे संघात्मक देशों के विरुद्ध है, जहाँ राज्य सरकारें संघीय सरकार से स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं)। अतः बांग्लादेश के उपराष्ट्रीय इकाइयाँ पूर्णतः प्रशासनिक निकाय हैं, और इनका राष्ट्रीय राजनीती में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती है। .

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बांग्लादेश के यूनियन परिषद्

यूनियन परिषद्, बांग्लादेश में स्थानीय प्रशासन के हीनतम् ग्राम्य प्रशासन निकाय हैं। प्रत्येक यूनियन ९ "वार्डों" के सम्मिलन से बनता है, जिनमे सामान्यतः एक ग्राम को ही एक वार्ड के रूप में अंकित किया जाता है। प्रत्येक परिषद् १२ पार्षदों द्वारा रचित होता है, जिनमे से ३ सदस्य महिला होतीं हैं।यह परिषद् एक अध्यक्ष को चुनती है, जो इस पडिसह का प्रमुख होता है। प्रत्येक यूनियन की भौगोलिक सीमाएँ, जिले के उपायुक्त(डिप्टी कमिश्नर) निर्धारित करते हैं। यह निकाय संबंधित यूनियन में कृषि, औद्योदिक तथा सामाजिक विकास के किये जिम्मेदार, प्रमुख निकाय है। इन परिषदों को आमने कर्तव्यों की आपूर्ति हेतु विभिन्न अधिकार तथा वित्तीय स्रोत प्रदान किये गए हैं। .

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बांग्लादेश के राष्ट्रपति

बांग्लादेश के राष्ट्रपति का पद गणप्रजातंत्री बांग्लादेश का सर्वोच्च संवैधानिक पद है। वर्तमान नियमों के अनुसार, राष्ट्रपति को बांग्लादेश की राष्ट्रीय संसद द्वारा, खुले चुनाव प्रक्रिया द्वारा निर्वाचित होते हैं। राष्ट्रपति, बांग्लादेश की कार्यपालिका न्यायपालिका एवं विधानपालिका के सर्व शाखाओं के, पारंपरिक, प्रमुख एवं बांग्लादेश के सारे सशस्त्र बलों के सर्वादिनायक हैं। इस पद पर नियुक्त प्रत्येक राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष होता है। संसदीय बहुमत द्वारा निर्वाचित होने के कारण इस पद पर साधारण तौर पर शासक दल के प्रतिनिधि ही चुने जाते हैं। हालाँकि, एक बार निर्वाचित हो चुके पदाधिकारी चुनाव में पुनः खड़े होने के लिए मुक्त होते हैं। वर्ष 1991 में संसदीय गणतंत्र की शुरुआत से पूर्व, राष्ट्रपति का चुनाव जनता के मतों द्वारा होता था। संसदीय प्रणाली के पुनर्स्थापन के पश्चात से यह पद मूलतः एक पारंपरिक पद रह गया है, जिसकी, विशेषतः कोई सार्थक कार्यकारी शक्तियाँ नहीं हैं। प्रत्येक संसदीय साधारण चुनाव के पश्चात संसद की प्रथम अधिवेशन में राष्ट्रपति अपना उद्घाधाटनी अभिभाषण देते हैं। प्रत्येक वर्ष के प्रथम संसदीय अधिवेशन में भी राष्ट्रपति अपना उद्घाटनी अभिभाषण देते हैं। इसके अतिरिक्त, संसद में पारित हुई किसी भी अधिनियम को कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त करना आवश्यक होता है। इसके अलावा राष्ट्रपति अपने विवेक पर क्षमादान भी दे सकते हैं। सन 1956 में संसद में नए कानून पारित किए, जिनके द्वारा राष्ट्रपति की, संसद के भंग होने के बाद की कार्यकारी शक्तियों को, संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत बढ़ाया गया था। बांग्लादेश के राष्ट्रपति आधिकारिक तौर पर ढाका के बंगभवन में निवास करते हैं। कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी वह अपने पद पर तब तक विराजमान रहते हैं जब तक उनका उत्तराधिकारी पद पर स्थापित नहीं हो जाता। .

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बांग्लादेश के राजनैतिक दल

बांग्लादेश, संवैधानिक रूप से एक बहुदलीय लोकतांत्रिक गणराज्य है, अर्थात्, सैद्धान्तिक रूप से बांग्लादेश में असंख्य राजनैतिक दल बनाये जा सकते हैं, तथा लोकतांत्रिक प्रक्रियानुसार राष्ट्रीय संसद में बहुमत प्राप्त करने वाले किसी भी दल या गठबंधन का, परवर्ती चुनाव तक, बांग्लादेश पर "शासन" करने का अधिकार होता है। बहरहाल, वर्त्तमान स्थिति में, बांग्लादेश एक "निकष्ट" द्विदलीय लोकतंत्र विकसित हो उठी है, जिसमें, दो प्रमुख राजनैतिक दल हैं, अवामी लीग और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी। इसके अलावा अनेक छोटे दल भी हैं, जो यदा दोनों दलों से स्वतंत्र हैं, या दोनों में से किसी एक दल के साथ गठबंधन में हैं। .

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बांग्लादेश के जिले

बांग्लादेश में जिले,(জেলা, उच्चारण:जेला) विभागों के अधीनस्थ, बांग्लादेश के द्वितीय स्तर के प्रशासनिक उपविभाजन हैं। बांग्लादेश को ऐसे, कुल ६४ जनपदों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक जिलों को कई उपजिलों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक जिले में औसतन ८ से १५ उपजिले होते हैं। जबकि न्यूनतम ४ और अधिक्तम् २२ उपजिले हैं। २०१६ की स्थितिनुसार, बांग्लादेश में कुल ४९३ उपजिले हैं। जिलों का नाम, सामान्यतः संभंधित जनपदीय मुख्यालय के नाम पर रखा जाता है, जिन्हें जिला सदर कहा जाता है। प्रत्येक जिले में, एक जिला आयुक्त नियुक्त किया जाता है, जोकि जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है। तथा सरे जिलों में एक जिला परिषद् होती है, जोकि जिले की मुख्य प्रशासनिक निकाय होती है। .

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बांग्लादेश के जिलों की सूची

बांग्लादेश में जिले,(জেলা, उच्चारण:जेला) विभागों के अधीनस्थ, बांग्लादेश के द्वितीय स्तर के प्रशासनिक उपविभाजन हैं। बांग्लादेश को ऐसे, कुल ६४ जनपदों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक जिलों को कई उपजिलों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक जिले में औसतन ८ से १५ उपजिले होते हैं। जबकि न्यूनतम ४ और अधिक्तम् २२ उपजिले हैं। २०१६ की स्थितिनुसार, बांग्लादेश में कुल ४९३ उपजिले हैं। .

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बांग्लादेश के विभाग

बांग्लादेश के विभाग(বিভাগ, उच्चारण:बिभाग्/बीभाग्), बांग्लादेश के सबसे बड़े उपराष्ट्रीय-स्तरीन प्रशासनिक उपविभाजन हैं। बांग्लादेश को ऐसे, कुल ८ प्रशासनिक अंचलों में संयोजित किया गया है, जिन्हें विभाग कहा जाता है। प्रत्येक विभाग के अंतर्गत अधिक्तम् १३ (ढाका विभाग) और न्यूनतम् ४ (सिलेट विभाग) ज़िले आते हैं। इन विभागों का नाम, संभंधित विभागीय मुख्यालय के नाम पर रखा गया है। .

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बांग्लादेश के उपजिले

बांग्लादेश में उपजिले,(উপজেলা, उच्चारण:उपोजेला) जिलों के अधीनस्थ, बांग्लादेश के तृतीय स्तर के प्रशासनिक अंचल हैं। बांग्लादेश को ऐसे, कुल १९० प्रशासनिक अंचलों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक उपज़िले में अनेक यूनियन परिषद्, नगर पालिकाएँ और मोहल्ले और पाड़ाएँ होते है। प्रत्येक जिले में औसतन ८ से १५ उपजिले होते हैं, जबकि न्यूनतम ४ और अधिक्तम् २२ उपजिले हैं। इन उपजिलों को पूर्वतः "थाना" कहा जाता था। उपजिलों का नाम, सामान्यतः संभंधित जनपदीय मुख्यालय के नाम पर रखा जाता है। प्रत्येक उपजिले में, एक उपजिला निर्वाहि अधिकारी नियुक्त किया जाता है, जोकि उस उपजिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है। तथा सरे उपजिलों में एक उपजिला परिषद् होती है, जोकि उपजिले की मुख्य प्रशासनिक निकाय होती है। .

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बांग्लादेश के उपजिलों की सूची

बांग्लादेश में उपजिले,(উপজেলা, उच्चारण:उपोजेला) जिलों के अधीनस्थ, बांग्लादेश के तृतीय स्तर के प्रशासनिक अञ्चल हैं। बांग्लादेश को ऐसे, कुल १९० प्रशासनिक अञ्चलों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक उपज़िले में अनेक यूनियन परिषद्, नगर पालिकाएँ और मोहल्ले और पाड़ाएँ होते है। प्रत्येक जिले में औसतन ८ से १५ उपजिले होते हैं, जबकि न्यूनतम ४ और अधिक्तम् २२ उपजिले हैं। .

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बांग्लादेश की न्यायपालिका

बांग्लादेश के न्यायिक व्यस्था, बांग्लादेशी भूमि पर निवास करने वाले लोगों को सामान्य तथा आपराधिक मामलों में न्याय प्रदान करने की व्यस्था है। इसका मूल ढांचा बांग्लादेश के संविधान के भाग ५ में दिया गया है। बांग्लादेश की न्यायपालिका के दो भाग हैं: सर्वोच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायपालिका। श्रेष्ठतर न्यायपालिका, बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रचित है, जिसके दो विभाग हैं, उच्च न्यायालय विभाग और अपीलीय विभाग, तथा अधीनस्थ न्यायपालिका में जिला न्यायालय इत्यादि जैसे सारे निम्नस्थ न्यायालय व न्यायाधिकरण आते हैं। .

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बांग्लादेश की मंत्रिसभा

बांग्लादेश की मंत्रीमंडल अथवा बांग्लादेश की मंत्रिसभा(বাংলাদেশের মন্ত্রিসভা, सटीक उच्चारण:बाड़्लादेशेर मोन्त्रीशाॅभा), बांग्लादेश की उच्चतम् शासनिक एवं निर्णयात्मक निकाय हैं। इसे बांग्लादेशी लहजे में, मंत्रिसभा(মন্ত্রিসভা) या कैबिनेट कहते हैं। प्रधानमंत्री व मंत्री परिषद सम्मिलित रूप से देश को प्रशासित एवं सरकारी तंत्र को नियंत्रित करते हैं। प्रधानमंत्री, मंत्रीपरिषद के प्रमुख होते हैं जो सम्मिलित रूप से शासन का परिचालन व सरकार की नीति निर्धारित करती है। इसके अतिरिक्त, सरकार के मंत्री, राष्ट्रीय संसद के समक्ष निर्वाचित सरकार की नीतियों की प्रस्तुती एवं सदन में सरकार की योजना व नीतियों के बचाव के लिए भी जिम्मेदार होती है। .

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बांग्लादेशी संसद के अध्यक्ष

बांग्लादेश की राष्ट्रीय संसद के अध्यक्ष(বাংলাদেশের জাতীয় সংসদের স্পিকার, उच्चारण:बांलादेशेर जातीयो शौंशोदेर स्पिकार अर्थात्:बांग्लादेश की राष्ट्रीय संसद के/की स्पीकर), बांग्लादेश की संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक पद है। वे बांग्लादेश की संसद के सभापति एवं अधिष्ठाता है। संसद के अधिष्ठान के अलावा, अध्यक्ष, राष्ट्रपति के उप कार्यवाहक भी हैं, अर्थात्‌, राष्ट्रपति के अभाव में वे राष्ट्रपतित्व का निर्वाह के लिये भी जिम्मेदार हैं। इसके अलावा, कुछ अवसरों पर वे विदेशों में भी सदन व देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने संसद के सदस्यों द्वारा निर्वाचित किया जाता है। वे तटस्थ होता हैं एवं संसद को भंग किए जाने के बाद भी अगले अध्यक्ष के चयन तक अध्यक्षता की जिम्मेदारियां निभाने है। .

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मशीहुर रहमान

महीशुर रहमान, (19241979) बांग्लादेश के एक वरिष्ठ मंत्री थे, जिनपर रेलमार्ग, सड़कों और राजमार्गों का प्रभार था। पद व औदे की हैसियत से वे 29 जून 1978 से 12 मार्च 1979 के बीच प्रधानमंत्री की हैसियत रखते थे। वे बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की स्थापना में निर्णायक थे। बांग्लादेश के प्रधानमंत्री के पद को, शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के कारणवश 15 अगस्त 1975 से बर्खास्त कर दिया गया था। जियाउर रहमान के राष्ट्रपति बनने के पश्चात, एक मंत्रित्वीय व्यवस्था को पुनर्स्थापित किया गया, और जून 1978 से उन्होंने बतौर मुख्य मंत्री/वरिष्ठ मंत्री कार्य किया। उनको प्रधानमंत्री बनने की बात थी, परंतु 12 मार्च 1979 को उनकी अकाल मृत्यु के कारण शाह अजीजुर रहमान को 15 अप्रैल 1979 को बांग्लादेश का प्रधानमंत्री बना दिया गया। .

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मिजानुर्रहमान चौधरी

मिजानुर्रहमान चौधरी, एक बांग्लादेशी राजनेता थे, एवं 9 जुलाई 1986 से 27 मार्च 1988 के बीच वे, बांग्लादेश के प्रधानमंत्री थे। .

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मौदूद अहमद

मौदूद अहमद, एक बांग्लादेशी राजनेता थे, एवं 27 मार्च 1988 से 12 अगस्त 1989 के बीच वे, बांग्लादेश के प्रधानमंत्री थे। इसके अलावा भी वे कई पदों पर रह चुके हैं: उपप्रधानमंत्री (1976-1978 और 1987-1988), उपराष्ट्रपति (1989-1990) विधी, न्याय एवं संसदीय कार्य मंत्री (2001-2006)। साथ ही वे नोआखाली से छह बार सांसद चुने गए थे। .

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मोहम्मद मंसूर अली

मुहम्मद मंसूर अली, (बंगाली: মোঃ মনসুর আলী; 1919 – नवंबर 3, 1975) एक बांग्लादेशी राजनेता व स्वतंत्रता सेनानी थे। वे शेख मुजीबुर्रहमान के करीब विश्वासपात्रों में शामिल थे, और 60-70 के दशकों के अवामी लीग के वरिष्ठ नेता थे। वे 25 जनवरी 1975 से 15 अगस्त 1975 तक बांग्लादेश के प्रधानमंत्री थे। 15 अगस्त 1975 को शेख मुजीब की हत्या कर, सैन्य तख्तापलट किया गया। 22 अगस्त को मंसूर को, अन्य अनेक राजनीतिज्ञों के साथ, जेल में बंद कर दिया गया, और 3 नवंबर 1975 की, जेल हत्या दिवस के नाम से कुख्यात, रात को उन्हें और उनके तीन साथियों समेत सेना द्वारा, बिना-मुकदमा, जेल में ही मार दिया गया। .

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मोहम्मद हबीबुर्रहमान

मोहम्मद हबीबुर्रहमान (बांग्ला: মুহাম্মদ হাবিবুর রহমান‎; 3 दिसंबर 1928 – 11 जनवरी 2014) 1995 में बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश थे। साथ ही वे 1996 की सामयिक सरकार के मुख्य सलाहकार भी थे, जिसने, सप्तम संसदीय चुनाव के निगरानी की थी। .

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लतीफुर रहमान

लतीफ उर रहमान, (बांग्ला: লতিফুর রহমান; जन्म 1 मार्च 1936) बांग्लादेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं मुख्य सलाहकार थे। उनका जन्म जेस्सोर में, मार्च 1936 को हुआ था। वर्ष 1986 में उन्हें अस्थाई रूप से उच्च न्यायालय विभाग में, बतौर न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, और 1981 में वह उसी विभाग में स्थाई न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। 15 जनवरी 1991 में वह बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय विभाग में भतार न्यायाधीश नियुक्त किए गए, तथा 1 जनवरी सन 2000 में वह बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश के पद पर विराजमान हुए। 28 फरवरी को उन्होंने सेवानिवृत्ति ली। तत्पश्चात् सन 2000 की सामायिक सरकार में उन्हें मुख्य सलाहकार बनाया गया, जिसने अष्टम संसदीय चुनाव की देखरेख की थी। वे इस पद पर 15 जुलाई 2000 से 1 अक्टूबर 2001 तक रहे। .

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शाह अजीजुर रहमान

शाह अजिजुर रहमान,(बांग्ला: শাহ আজিজুর রহমান; 1925–1988) एक बांग्लादेशी राजनेता थे, जो बांग्लादेश के प्रधानमंत्री भी थे। बहरहाल, पाकिस्तानी सेना से उनके संबंधों के कारण, उनका कार्यकाल, भीषण विवादों का पात्र रहा था। उन्हें पद के बीच ही राष्ट्रपति पद को बर्खास्त कर उन्हें निलंबित कर, सैन्य शासन स्थापित कर दिया गया था। .

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सार्क फाउंटेन

सार्क फाउंटेन, दिसंबर 1985 में बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और मालदीव राज्यों के प्रमुख द्वारा स्थापित किया गया था। हालांकि यह ढाका शहर में पन्था पथ पर स्थित है। एक सार्क शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर बांग्लादेश सरकार ने इस स्मारक की स्थापना की थी। बांग्लादेशी कलाकार नीतू कुंडू ने इसे डिज़ाइन किया और बनाया। यह केवल स्टील से बना है। .

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जातियो स्मृतीशोऊधो

जातियो स्मृतीशोऊधो या जातियो सृतीशोऊधो(জাতিয স্মৃতীসৌধ.) या राष्ट्रीय स्मृती स्मारक(या स्धारणतः राष्ट्रीय स्मारक) ढाका के सवर उपज़िले(या शाभार उपज़िल) में स्थित बांग्लादेश का राष्ट्रीय स्मारक है। बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों की याद में निर्मित किये गए इस स्मृतीका को १९७१ के बांग्लदेश लिबरेशन वाॅर(बांग्लादेश स्वतंत्रता युद्ध) के शहीदों के समर्पण एवं वीरता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। राजकीय यात्रा पर बांगलादेश पधारने वाले विदेशी राष्ट्राध्यक्ष एवं राजनेता, परंपरानुसार इसी स्मारक पर अपनी श्रद्धांजली अर्पित करते हैं। १५० फ़ीट ऊंचे इस स्मारक की रूपाकृती एवं मानचित्र को सईयद मोईनुल हुसैन ने तईयार किया था। यह राजधानी ढाका से पश्चिमोत्तर दिशा में क़रीब ३५ कलोमीटर की दूरी पर स्थित है। .

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काजी जफर अहमद

मौदूद अहमद, एक बांग्लादेशी राजनेता थे, एवं 12 अगस्त 1989 से 6 दिसंबर 1990 के बीच वे, बांग्लादेश के प्रधानमंत्री थे। .

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अताउर रहमान खान

अताउर रहमान खान, (আতাউর রহমান খান; 1907–1991) एक बांग्लादेशी, वकील, लेखक व राजनेता थे, जो 1956–1958 के बीच, पूर्वी पाकिस्तान के मुख्यमंत्री थे, और 30 मार्च 1984 से 1 जनवरी 1985 तक बांग्लादेश के प्रधानमंत्री थे। .

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उपज़िला परिषद् (बांग्लादेश)

उपजिला परिषद्, प्रत्यरक उपजिले की एक निर्वाचित निकाय होती है, जोकि स्थानीय प्रशासन की महत्वपूर्ण निकाय होती है। यह परिषद् प्रत्येक चुनाव के पश्चात् एक उपजिला प्रशासन करने हेतु, अपने सदस्यों में से एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और एक महिला उपाध्यक्ष का चुनाव करती है। महिला उपाध्यक्ष को परिषद् के एक-तियाही महिला पार्षदों के प्रतिनिधित्व हेतु चुना जाता है। .

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उपजिला निर्वाहि अधिकारी

उपजिला निर्वाहि अधिकारी, (উপজেলা নির্বাহী কর্মকর্তা, उच्चारण:उपोजेला निर्बाही कॉर्मोकॉर्ता) का पद, बांग्लादेश में, उपजिला-स्तर का एक गैर-निर्वाचित प्रशासनिक स्तर का पद होता है, जोकि उपजिले के प्रशासन को कार्यान्वित करने हेतु ज़िम्मेदार होते है। इस पद के पदाधिकारी, बांग्लादेश सिविल सेवा के सहायक सचिव के स्तर के अधिकारी होते हैं। इस पद को पूर्वतः "थाना निर्वाहि अधिकारी कहा जाता था। .

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2016 गुलशन हमला

2016 गुलशन हमला 1 जुलाई 2016 को स्थानीय समय के अनुसार रात 9:20 बजे बांग्लादेश के राजधानी ढाका के गुलशन क्षेत्र में हुआ था। इसमें नौ हमलावरों ने ढाका के राजनयिक क्षेत्र में स्थित होली आर्टिसन बेकरी पर हमला किया। आतंकियों ने वहां बम भी फेंके और कई दर्जन लोगों को बंधक भी बना लिया। पुलिस के साथ मुठभेड़ में दो पुलिस अधिकारियों की मौत हो गई। उनके द्वारा हमले के दौरान कथित तौर पर "अल्लाहु अकबर"! कहा गया। 20 विदेशी और 6 बंदूकधारी हमले के दौरान मारे गए। बंदूकधारियों में से एक को पकड़ लिया गया और 13 बंधकों को बांग्लादेश सेना ने छुड़वा लिया। .

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