लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

बांग्लादेश का संविधान

सूची बांग्लादेश का संविधान

गणप्रजातंत्र बांग्लादेश का संविधान(গণপ্রজাতন্ত্রী বাংলাদেশের সংবিধান, सीधा लिप्यांतरण:गणप्रजातंत्री बांलादेशेर संविधान, उच्चारण:गाॅनोप्रोजातोन्त्री बांलादेशेर् शाॅम्बिधान्) स्वतंत्र, स्वतः स्वाधीन व सर्वसंप्रभुतासम्पन्न बांग्लादेशी राष्ट्र की सर्वोच्च विधि संहिता है। यह एक लिखित दस्तावेज़ है। सन १९७२ के नवंबर मास की 8 तारीख को बांग्लादेश की राष्ट्रीय संसद में यह संविधान अपनी गई एवं उसी वर्ष के १६ दिसंबर को अर्थात् बांग्लादेश की विजय दिवस की प्रथम वर्षगाँठ होते यह कार्यान्वित हुई। मूल संविधान अंग्रेज़ी भाषा में रचित है एवं इसका बंगाली में अनुवाद कराया गया है। तभी यह बांग्ला व अंग्रेज़ी दोनो भाषाओं में विद्यमान है। अंग्रेज़ी व बंगाली के मध्य अर्थगत विरोध दृश्यमान होने पर बंगाली संस्करण अनुसरणीय होगी। १७ सितंबर; वर्ष २०१४ के सोलहवें संशोधन सहित यह संविधान सर्वमत १६ बार संशोधित हुई है। यह संविधान के संशोधन हेतु राष्ट्रीय संसदीय सदस्यों की कुल संख्या की दो तिहाई भाग के मतों का प्रावधान है। हालाँकि, तेरहवें संशोधन रद्द करने के आदेश में बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया है की, संविधान की मूल ढाँचा परिवर्तित हो, ऐसी संशोधन नहीं किया जाएगा; लाने पर यह अधिकार क्षेत्र से परे होगा अतः अमान्य होगा। बांग्लादेश का संविधान केवल बांग्लादेश की सर्वोच्च विधि संहिता ही नहीं है; संविधान में बांग्लादेश की नामक राष्ट्रीय चरित्र वर्णित की गई है। इसमें बांग्लादेश की भौगोलिक सीमारेखा विस्तृत है। इस संविधान में दिये गए मूल ढाँचे के अनुसार: देश प्रजातांत्रिक होगा, गणतंत्र होगी इसकी प्रशासनिक नींव, जनगणन होंगे देश के सर्व शक्तियों के स्रोत और न्यायपालिका स्वतंत्रत होगी। गनगण सर्व शक्तियों के स्रोत होने पर भी देश में विधि शासन(कानून का शासन होगा)। बांग्लादेश के संविधान में राष्ट्रवाद, समाजवाद, गणतंत्र व धर्मनिरपेक्षता को राष्ट्र परिचालन के मूल सिद्धांतों के रूप में अपनाया गया है। .

13 संबंधों: ताजुद्दीन अहमद, बांग्लादेश में कराधान, बांग्लादेश सरकार, बांग्लादेश के प्रधानमंत्री, बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश, बांग्लादेश की न्यायपालिका, बांग्लादेश की राजनीति, बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय, बांग्लादेशी संसद के अध्यक्ष, बांग्लादेशी संविधान में संशोधनों की सूची, बांग्लादेशी संविधान की प्रस्तावना, अब्दुल मालिक वकील, अब्दुल हामिद (बांग्लादेशी राजनीतिज्ञ)

ताजुद्दीन अहमद

ताजुद्दीन अहमद, (बांग्ला: তাজউদ্দীন আহমদ) (जुलाई 23, 1925 – नवंबर 3, 1975) एक बांग्लादेशी राजनयिक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने बांग्लादेश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में युद्धकालीन अंतरिम सरकार का मुक्ति युद्ध में निर्णायक नेतृत्व किया था। उन्हें बांग्लादेश के जन्म एवं स्वतंत्रता के सबसे प्रभावशाली, निर्णायक एवं सूत्रधारी शख़्सियतों में गिना जाता है। 1971 में अंतरिम सरकार के उनके नेतृत्व नें बांग्लादेशी राष्ट्रवादियों के विभिन्न राजनीतिक, सामरिक, जातिगत एवं सांस्कृतिक खेमों को एकजुट कर दिया था। .

नई!!: बांग्लादेश का संविधान और ताजुद्दीन अहमद · और देखें »

बांग्लादेश में कराधान

बांग्लादेश में कराधान, बांग्लादेश सरकार द्वारा, संविधान द्वारा सरकार को दिए गए अधिकार के हक से, आयत की जाती है। संविधान का अनुअनुच्छ 83 के अनुसार, कोई भी कर, संसदीय अधिनियम के गैर अंतर्गत नहीं लगाई जा सकती है। अतः बांग्लादेश में प्रत्येक करों की संसदीय स्वीकृति प्रति होना अनिवार्य है। .

नई!!: बांग्लादेश का संविधान और बांग्लादेश में कराधान · और देखें »

बांग्लादेश सरकार

बांग्लादेश सरकार(বাংলাদেশ সরকার, बांलादेश सरकार), बांग्लादेश के संविधान द्वारा स्थापित, बांग्लादेश की प्रशासनिक एवं नियंत्रक प्राधिकारिणी है। यह, संपूर्ण बांग्लादेशी भूमि के शासन पर अपनी प्रभुसत्ता का दावा रखती है। संविधान के अनुसार, देश को लोकतांत्रिक, गणतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत्, एक स्वतंत्र न्यायपालिका के साथ, परिचालित किये जाने की बात की गई है। संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति बांग्लादेश के राष्ट्राध्यक्ष हैं, जबकि सरकार, प्रधानमंत्री व उनके द्वारा नामांकित मंत्रियों के नियंत्रण में कार्य करती है। प्रधानमंत्री और अन्य मंत्री मिलकर बांग्लादेश की उच्चतम् शासनिक एवं निर्णयात्मक निकाय का गठन करते हैं, जिसे बांग्लादेशी लहजे में, मंत्रिसभा(মন্ত্রিসভা) या कैबिनेट कहते हैं। 1971 के अस्थायी सरकार के गठन एवं अंतरिम संविधान के परवर्तन पश्चात् से बांग्लादेश की सरकारी व्यवस्था न्यूनतम् पाँचबार बदली जा चुकी है। बांग्लादेश की वर्तमान सरकारी व्यवस्था बहुदलीय संसदीय प्रणाली पर आधारित है। वरतमान व्यवस्था में प्रधानमंत्री को सरकार प्रमुख का दर्जा प्राप्त है, एवं बहुदलीय लोकतांत्रिक ढाँचे में, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के सिद्धांतों पर राष्ट्रीय संसद के सदस्यगण निर्वाचित होते हैं। कार्यपालिका पूर्णतः सरकार के नियंत्रण में होती है, जिसे प्रधानमंत्री व मंत्रिसभा के अन्य सदस्यगण परिचालित करते हैं। सरकार व सरकार के समस्त मंत्रियों की, संसद के प्रति उत्तरदेही है, और राष्ट्रीय संसद में सरकार के कीसी भी निर्णय, कार्य, कदम या योजना पर प्रश्न किया जा सकता है। इसके अलावा, संविधान संशोधन, महाभियोग व कानूनी फेरबदल जैसे कार्य भी संसदीय बहुमत द्वारा किया जाता है। न्यायपालिका और विधानपालिका के अलाव बांग्लादेश में एक स्वतंत्र श्रेणीबद्ध न्यायपालिका भी स्थापित है, जो न्यायिक मामलों को देखती है। .

नई!!: बांग्लादेश का संविधान और बांग्लादेश सरकार · और देखें »

बांग्लादेश के प्रधानमंत्री

गणप्रजातंत्र बांग्लादेश के प्रधानमंत्री (बांग्ला:বাংলাদেশের প্রধানমন্ত্রী, बाड़्ग्लादेशेर प्रोधानमोन्त्री), बांग्लादेश के राजप्रमुख के तौर पर स्थापित एक राजनैतिक पद है। बांग्लादेश की मंत्रीपरिषद शासित अथवा संसदीय सरकारी व्यवस्था में बांग्लादेश के राष्ट्रप्रमुख बांग्लादेश के राष्ट्रपति, राष्ट्रप्रमुख, वहीं, प्रधानमंत्री, सरकार प्रमुख अथवा राजप्रमुख होते हैं। प्रधानमंत्री व मंत्री परिषद सम्मिलित रूप से देश को प्रशासित एवं सरकारी तंत्र को नियंत्रित करते हैं। प्रधानमंत्री, मंत्रीपरिषद के प्रमुख होते हैं जो मिलकर सरकार की नीति निर्धारित करती है एवं राष्ट्रीय संसद के समक्ष निर्वाचित सरकार की नीतियों को प्रस्तुत करती है। साथ ही, समस्त मंत्रीपरिषद, सदन में सरकार की योजना व नीतियों की प्रस्तुति बचाव के लिए जिम्मेदार होते हैं। प्रधानमंत्री बांग्लादेश की एकसदनीय राष्ट्रीय संसद में बहुमत दल के नेता एवं सदन में सत्तापक्ष के नेता भी हैं। प्रधानमंत्री को कार्यकाल की शपथ बांग्लादेश के राष्ट्रपति द्वारा दिलाई जाती है। .

नई!!: बांग्लादेश का संविधान और बांग्लादेश के प्रधानमंत्री · और देखें »

बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश

बांग्लादेश के मुख्या न्यायाधीश या प्रधान विचारपति(বাংলাদেশের প্রধান বিচারপতি), बांग्लादेश का सर्वोच्च न्यायिक पद है। वे देश की न्यायिक प्रणाली के प्रमुख एवं बांग्लादेश की उच्चतम न्यायालय के प्रमुख होते हैं। वे सर्वोच्च न्यायालय के तमाम न्यायाधीशों के प्रमुख होने के साथ साथ, बांग्लादेश की पूरी न्यायिक व्यवस्थापिका एवं तमाम अधिनस्त न्यायालयों के भी प्रमुख होते हैं। उन्हें बांग्लादेश के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। परम्परानुसार, सर्वोच्च अदालत के वरिष्ठताम् पदस्थ न्यायाधीश पर यह पद निहित किया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय के मुखिया होने के नाते वे, न्यायलय के कार्यों में अहम् भूमिका निभाते हैं। न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा पदोन्नति एवं न्यायलय के अन्य प्रशासनिक कार्यों में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उच्च न्यायालय विभाग के अस्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति तथा उनकी स्थायी रूप से नियुक्ति एवं उच्च न्यायालय विभाग से अपीलीय विभाग में पदोन्नति, राष्ट्रपति द्वारा, मुख्यन्यायाधीश की सलाह पर होता है। वे बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय विभाग में मुकदमों की सुनवाई के लिए बैठते हैं। .

नई!!: बांग्लादेश का संविधान और बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश · और देखें »

बांग्लादेश की न्यायपालिका

बांग्लादेश के न्यायिक व्यस्था, बांग्लादेशी भूमि पर निवास करने वाले लोगों को सामान्य तथा आपराधिक मामलों में न्याय प्रदान करने की व्यस्था है। इसका मूल ढांचा बांग्लादेश के संविधान के भाग ५ में दिया गया है। बांग्लादेश की न्यायपालिका के दो भाग हैं: सर्वोच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायपालिका। श्रेष्ठतर न्यायपालिका, बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रचित है, जिसके दो विभाग हैं, उच्च न्यायालय विभाग और अपीलीय विभाग, तथा अधीनस्थ न्यायपालिका में जिला न्यायालय इत्यादि जैसे सारे निम्नस्थ न्यायालय व न्यायाधिकरण आते हैं। .

नई!!: बांग्लादेश का संविधान और बांग्लादेश की न्यायपालिका · और देखें »

बांग्लादेश की राजनीति

बांग्लादेश में राजनीति संविधान, में दिए गए संसदीय, प्रतिनिधित्व वादी लोकतांत्रिक, गणतांत्रिक प्रणाली के अंतर्गत होती है जिसके अनुसार: राष्ट्रपति बांग्लादेश के राष्ट्राध्यक्ष एवं बांग्लादेश के प्रधानमंत्री, सरकार एवं एक बहुदलीय जनतांत्रिक प्रणाली के प्रमुख होते हैं। कार्यकारी शक्तियाँ, बांग्लादेश की सरकार के अधिकारक्षेत्र के अंतर्गत आती हैं, एवं विधाई शक्तियां सरकार और संसद दोनों पर न्योछावर की गई हैं। इसके अलावा, बांग्लादेश में एक स्वतंत्र श्रेणीबद्ध न्यायपालिका भी है, जिसके शिखर पर बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय है। बांग्लादेश के संविधान को सन 1972 में लिखा गया था और तब से लेकर आज तक इसमें कुल 16 संशोधन किए गए हैं। .

नई!!: बांग्लादेश का संविधान और बांग्लादेश की राजनीति · और देखें »

बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय

बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय(बंगला: বাংলাদেশ সুপ্রীম কোর্ট, बांलादेश सूप्रीम कोर्ट), गणप्रजातंत्री बांग्लादेश की सर्वोच्च अदालत है और बांग्लादेश की न्यायिक व्यवस्था का शीर्षतम् निकाय है और देश की न्यायिक क्रम का शिखर बिंदू है। यह कानूनी और संवैधानिक मामलों में फैसला करने वाली अंतिम मध्यस्थ भी है। संविधान की धारा १०० के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय का आसन, राजधानी ढाका में अवस्थित है। इसे बांग्लादेश के संविधान की षष्ठम् भाग के चतुर्थ पाठ के द्वारा स्थापित किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान को कई संवैधानिक व न्यायिक विकल्प प्राप्त होते हैं, जिनकी व्याख्या बांग्लादेश के संविधान में की गई है। इस संसथान के दो "विभाग" है: अपीलीय विभाग और उच्च न्यायलय विभाग, तथा यह बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश व अपीलीय विभाग व उच्च न्यायालय विभाग के न्यायाधीशों का भी स्थायी कार्यालय की भी मेज़बानी भी करता है। अप्रैल 2018 की स्थिति अनुसार, अपीलीय विभाग में 4 और उच्च न्यायालय विभाग में 80 न्यायाधीश हैं, जिनमें 80 स्थायी हैं। इस न्यायालय को सामान्य बोलचाल में अक्सर हाई कोर्ट भी कहा जाता है, क्योंकि स्वतंत्रता पूर्व, अर्थात् १९७१ से पहले तक, इस भवन में पूर्वी पाकिस्तान की उच्च न्यायालय वास करती थी। .

नई!!: बांग्लादेश का संविधान और बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय · और देखें »

बांग्लादेशी संसद के अध्यक्ष

बांग्लादेश की राष्ट्रीय संसद के अध्यक्ष(বাংলাদেশের জাতীয় সংসদের স্পিকার, उच्चारण:बांलादेशेर जातीयो शौंशोदेर स्पिकार अर्थात्:बांग्लादेश की राष्ट्रीय संसद के/की स्पीकर), बांग्लादेश की संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक पद है। वे बांग्लादेश की संसद के सभापति एवं अधिष्ठाता है। संसद के अधिष्ठान के अलावा, अध्यक्ष, राष्ट्रपति के उप कार्यवाहक भी हैं, अर्थात्‌, राष्ट्रपति के अभाव में वे राष्ट्रपतित्व का निर्वाह के लिये भी जिम्मेदार हैं। इसके अलावा, कुछ अवसरों पर वे विदेशों में भी सदन व देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने संसद के सदस्यों द्वारा निर्वाचित किया जाता है। वे तटस्थ होता हैं एवं संसद को भंग किए जाने के बाद भी अगले अध्यक्ष के चयन तक अध्यक्षता की जिम्मेदारियां निभाने है। .

नई!!: बांग्लादेश का संविधान और बांग्लादेशी संसद के अध्यक्ष · और देखें »

बांग्लादेशी संविधान में संशोधनों की सूची

बांग्लादेश के संविधान, बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायि संहिता है। इसे 4 नवंबर 1972 को पारित किया गया था। इसमें कुल 11 भाग, 153 अनुच्छेद और 27 अनुसूचियां हैं। इस संविधान में संशोधन का भी प्रावधान भी दिया गया है। संविधान का भाग 10- अनुच्छेद 142, संविधान में संशोधनों से संबंधित विषय को विस्तृत रूप से अंकित करता है। संविधान के प्रावधानों के अनुसार संविधान में संशोधन के लिए राष्ट्रीय संसद के सदस्यसमूह के दो तिहाई संख्या के सकारात्मक मत की आवश्यक बताई गई है। अर्थात्, संविधान में संशोधन तभी लाया जा सकता है जब राष्ट्रीय संसद की दो तिहाई बहुमत इसके पक्ष में अपना मत दे। 2016 की स्थिति अनुसार बांग्लादेश के संविधान में कुल 16 बार संशोधन किए गए हैं। .

नई!!: बांग्लादेश का संविधान और बांग्लादेशी संविधान में संशोधनों की सूची · और देखें »

बांग्लादेशी संविधान की प्रस्तावना

बांग्लादेश के संविधान की प्रस्तावना संविधान की उद्देशिका है, इसमें बांग्लादेशी राष्ट्र की मूल नीतियाँ व वैचारिक नींव को अंकित किया गया है। हालाँकि, यह बांग्लादेशी संविधान का अंश है, परंतु यह एक न्यायिक लेख नहीं है, अतः किसी भी कानून या अन्य वस्तु को उद्देशिका में लिखी बातों के आधार पर न्यायिक चुनौती नहीं दी जा सकती है। इस संविधान में दिये गए मूल ढाँचे के अनुसार: देश प्रजातांत्रिक होगा, गणतंत्र होगी इसकी प्रशासनिक नींव, बांग्लादेश के जनगणन होंगे देश के सर्व शक्तियों के स्रोत और न्यायपालिका स्वतंत्रत होगी। जनता सर्व शक्तियों के स्रोत होने पर भी देश में कानून का शासन होगा। उद्देशिका में राष्ट्रवाद, समाजवाद, गणतंत्र व धर्मनिरपेक्षता को राष्ट्र परिचालन के मूल सिद्धांतों के रूप में अपनाया गया है। इसके लेख में बांग्लेदेश के संविधान-निर्माताओं ने आलेवाली सरकारों, विधी निर्माताओं व पीढ़ियों से संविधान व उनके बांग्लादेश की कल्पना के संदर्भ में, उनके विचार, मूल सिद्धांतों व संविधान सचना की मूल नीतियों को अंकित किया है। .

नई!!: बांग्लादेश का संविधान और बांग्लादेशी संविधान की प्रस्तावना · और देखें »

अब्दुल मालिक वकील

अब्दुल मालिक वकील(बांग्ला: আব্দুল মালেক উকিলह आब्दुल् मालेक ऊकीलाॅह) (1 अक्टूबर 1924 – 17 अक्टूबर 1987), एक बांग्लादेशी राजनेता थे। वे बांग्लादेश अवामी लीग से संबंधित थे। वे बांग्लादेश आवामी लीग के पूर्व अध्यक्ष, बांग्लादेशी संसद के अध्यक्ष, गृह मंत्री, स्व्स्थ्य मंत्री, एवं लंबे समय तक बांग्लादेशी संसद के सदस्य भी थे। वे पेशे से,बांग्लेदेश की सरूवोच्च न्यायालय के एक वकील थे। साथ ही, वे बांग्लादेशी संविधान के निर्माताओं मेंसे एक थे, एवं इस्ट बेंगाॅल मुस्लिम स्टृडेंट्स् लीग के संस्थापक भी थे। .

नई!!: बांग्लादेश का संविधान और अब्दुल मालिक वकील · और देखें »

अब्दुल हामिद (बांग्लादेशी राजनीतिज्ञ)

अब्दुल हमीद(আব্দুল হামিদ) (जन्म:1 जनवरी 1944) एक बांग्लादेशी राजनेता हैं। वे अवामी लीग से संबंधित हैं। हामिद, किशोरगंज जिले के मीठामोनी में पैदा हुए थे। वह पेशे से वकील है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन शुरू किया था जब वह किशोरगंज में एक छात्र था। वे गुरुदयाल गवर्नमेंट कॉलेज के उपाध्यक्ष थे। बाद में वे किशोरगंज जज कोर्ट में एक वकील बन गये। वह किशोरगंज बार एसोसिएशन में कई बार अध्यक्ष रह चुके हैं। 1970 से 2009 तक, वह एक सांसद के रूप में 7 बार बांग्लादेशी संसद में निर्वाचित हो चुके है। 25 जनवरी 2009 को, वह बांग्लादेश की राष्ट्रीय संसद के अध्यक्ष बए। वर्तमान में वह बांग्लादेश के 20 वें बांग्लादेश के राष्ट्रपति हैं। .

नई!!: बांग्लादेश का संविधान और अब्दुल हामिद (बांग्लादेशी राजनीतिज्ञ) · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

बांग्लादेश के संविधान, बांग्लादेश की संविधान, बांग्लादेशी संविधान

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »