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बलांगिर जिला

सूची बलांगिर जिला

बोलांगिर या बलांगीर भारतीय राज्य ओड़िशा का एक जिला है। बलांगीर ओड़िशा के पश्चिमी भाग के प्रमुख व्यापारिक नगरों में से एक है। यह शहर महाराजाओं के काल में सुन्दर रीति से बसाया गया था। बलांगीर सम्बलपुर से 141 किलोमीटर दूर है और यहाँ अभी भी पुराने फैशन के सुन्दर और शान्तिपूर्ण स्थल विद्यमान हैं। बलांगीर अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन का स्थल रहा है। सौन्दर्यपूर्ण और आकर्षक तत्वों में रत्न के समान जादू जैसे दृश्य के लिए गन्धमार्दन के पहाड़ी झरने और महानदी के पर्वतीय स्थलों गुजरने के स्थल प्रमुख हैं। यहाँ वर्ष के अधिकांश समय में गर्म और शुष्क जलवायु रहती है। यहाँ सर्दियाँ भी कठिन किन्तु सुखद होतीं हैं। इसलिए यहाँ सर्दियों में आना अच्छा होता है। .

8 संबंधों: चौदहवीं लोकसभा, टिटलागढ़, भारत के शहरों की सूची, महानदी, जिलिया, ओड़िशा के लोकसभा सदस्य, ओड़िशा के जिले, ओडिशा

चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

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टिटलागढ़

टिटलागढ़ (तितिलागढ़ भी कहते हैं) उड़ीसा के बोलांगिर जिला का एक शहर है, जो भुवनेश्वर विशाखापतनम और विशाखापतनम रायपुर रेलवे मार्ग से जुङा हैं। .

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भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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महानदी

छत्तीसगढ़ तथा उड़ीसा अंचल की सबसे बड़ी नदी है। प्राचीनकाल में महानदी का नाम चित्रोत्पला था। महानन्दा एवं नीलोत्पला भी महानदी के ही नाम हैं। महानदी का उद्गम रायपुर के समीप धमतरी जिले में स्थित सिहावा नामक पर्वत श्रेणी से हुआ है। महानदी का प्रवाह दक्षिण से उत्तर की तरफ है। सिहावा से निकलकर राजिम में यह जब पैरी और सोढुल नदियों के जल को ग्रहण करती है तब तक विशाल रूप धारण कर चुकी होती है। ऐतिहासिक नगरी आरंग और उसके बाद सिरपुर में वह विकसित होकर शिवरीनारायण में अपने नाम के अनुरुप महानदी बन जाती है। महानदी की धारा इस धार्मिक स्थल से मुड़ जाती है और दक्षिण से उत्तर के बजाय यह पूर्व दिशा में बहने लगती है। संबलपुर में जिले में प्रवेश लेकर महानदी छ्त्तीसगढ़ से बिदा ले लेती है। अपनी पूरी यात्रा का आधे से अधिक भाग वह छत्तीसगढ़ में बिताती है। सिहावा से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरने तक महानदी लगभग ८५५ कि॰मी॰ की दूरी तय करती है। छत्तीसगढ़ में महानदी के तट पर धमतरी, कांकेर, चारामा, राजिम, चम्पारण, आरंग, सिरपुर, शिवरी नारायण और उड़ीसा में सम्बलपुर, बलांगीर, कटक आदि स्थान हैं तथा पैरी, सोंढुर, शिवनाथ, हसदेव, अरपा, जोंक, तेल आदि महानदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। महानदी का डेल्टा कटक नगर से लगभग सात मील पहले से शुरू होता है। यहाँ से यह कई धाराओं में विभक्त हो जाती है तथा बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। इस पर बने प्रमुख बाँध हैं- रुद्री, गंगरेल तथा हीराकुंड। यह नदी पूर्वी मध्यप्रदेश और उड़ीसा की सीमाओं को भी निर्धारित करती है। .

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जिलिया

जिलिया गढ़ राजस्थान के नागौर जिले में स्थित एक स्थान है। इसे झिलिया, अभयपुरा, अभैपुरा, मारोठ, मारोट, महारोट, महारोठ आदि नामों से भी जानते हैं। इसका आधिकारिक नाम ठिकाना जिलिया (अंग्रेज़ी:Chiefship of Jiliya, चीफ़शिप ऑफ़ जिलिया) व उससे पूर्व जिलिया राज्य (अंग्रेज़ी:Kingdom of Jiliya, किंगडम ऑफ़ जिलिया) था। जिलिया मारोठ के पांचमहलों की प्रमुख रियासत थी जिसका राजघराना मीरा बाई तथा मेड़ता के राव जयमल के वंशज हैं। मेड़तिया राठौड़ों का मारोठ पर राज्य स्थापित करने वाले वीर शिरोमणि रघुनाथ सिंह मेड़तिया के पुत्र महाराजा बिजयसिंह ने मारोठ राज्य का अर्ध-विभाजन कर जिलिया राज्य स्थापित किया। इसकी उत्तर दिशा में सीकर, खंडेला, दांता-रामगढ़, पूर्व दिशा में जयपुर, दक्षिण दिशा में किशनगढ़, अजमेर, मेड़ता व जोधपुर और पश्चिम दिशा में नागौर व बीकानेर हैं। सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने बंगाल के गौड़ देश से आये भ्राताओं राजा अछराज व बछराज गौड़ की वीरता से प्रसन्न होकर उन्हें अपना सम्बन्धी बनाया और सांभर के पास भारत का प्राचीन, समृद्ध और शक्तिशाली मारोठ प्रदेश प्रदान किया जो नमक उत्पाद के लिए प्रसिद्ध महाराष्ट्र-नगर के नाम से विख्यात था। गौड़ शासक इतने प्रभावशाली थे की उनके नाम पर सांभर का यह क्षेत्र आज भी गौड़ावाटी कहलाता है। गौड़ावाटी में सांभर झील व कई नदियाँ हैं, जिनमें खण्डेल, रुपनगढ़, मीण्डा (मेंढा) आदि प्रमुख हैं। मारोठ भारत के प्राचीनतम नगरों में से एक है और जैन धर्म का भी यहाँ काफी विकास हुआ और राजपूताना के सत्रहवीं शताब्दी के चित्रणों में मारोठ के मान मन्दिर की तुलना उदयपुर के महलों तथा अम्बामाता के मंदिर, नाडोल के जैन मंदिर, आमेर के निकट मावदूमशाह की कब्र के मुख्य गुम्बद के चित्र, मोजमाबाद (जयपुर), जूनागढ़ (बीकानेर) आदि से की जाती है। .

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ओड़िशा के लोकसभा सदस्य

क्षेत्रचयनित सांसददल 1.

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ओड़िशा के जिले

यह सूची ओड़िशा के जिलों की है:-.

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ओडिशा

ओड़िशा, (ओड़िआ: ଓଡ଼ିଶା) जिसे पहले उड़ीसा के नाम से जाना जाता था, भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य है। ओड़िशा उत्तर में झारखंड, उत्तर पूर्व में पश्चिम बंगाल दक्षिण में आंध्र प्रदेश और पश्चिम में छत्तीसगढ से घिरा है तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। यह उसी प्राचीन राष्ट्र कलिंग का आधुनिक नाम है जिसपर 261 ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक ने आक्रमण किया था और युद्ध में हुये भयानक रक्तपात से व्यथित हो अंतत: बौद्ध धर्म अंगीकार किया था। आधुनिक ओड़िशा राज्य की स्थापना 1 अप्रैल 1936 को कटक के कनिका पैलेस में भारत के एक राज्य के रूप में हुई थी और इस नये राज्य के अधिकांश नागरिक ओड़िआ भाषी थे। राज्य में 1 अप्रैल को उत्कल दिवस (ओड़िशा दिवस) के रूप में मनाया जाता है। क्षेत्रफल के अनुसार ओड़िशा भारत का नौवां और जनसंख्या के हिसाब से ग्यारहवां सबसे बड़ा राज्य है। ओड़िआ भाषा राज्य की अधिकारिक और सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। भाषाई सर्वेक्षण के अनुसार ओड़िशा की 93.33% जनसंख्या ओड़िआ भाषी है। पाराद्वीप को छोड़कर राज्य की अपेक्षाकृत सपाट तटरेखा (लगभग 480 किमी लंबी) के कारण अच्छे बंदरगाहों का अभाव है। संकीर्ण और अपेक्षाकृत समतल तटीय पट्टी जिसमें महानदी का डेल्टा क्षेत्र शामिल है, राज्य की अधिकांश जनसंख्या का घर है। भौगोलिक लिहाज से इसके उत्तर में छोटानागपुर का पठार है जो अपेक्षाकृत कम उपजाऊ है लेकिन दक्षिण में महानदी, ब्राह्मणी, सालंदी और बैतरणी नदियों का उपजाऊ मैदान है। यह पूरा क्षेत्र मुख्य रूप से चावल उत्पादक क्षेत्र है। राज्य के आंतरिक भाग और कम आबादी वाले पहाड़ी क्षेत्र हैं। 1672 मीटर ऊँचा देवमाली, राज्य का सबसे ऊँचा स्थान है। ओड़िशा में तीव्र चक्रवात आते रहते हैं और सबसे तीव्र चक्रवात उष्णकटिबंधीय चक्रवात 05बी, 1 अक्टूबर 1999 को आया था, जिसके कारण जानमाल का गंभीर नुकसान हुआ और लगभग 10000 लोग मृत्यु का शिकार बन गये। ओड़िशा के संबलपुर के पास स्थित हीराकुंड बांध विश्व का सबसे लंबा मिट्टी का बांध है। ओड़िशा में कई लोकप्रिय पर्यटक स्थल स्थित हैं जिनमें, पुरी, कोणार्क और भुवनेश्वर सबसे प्रमुख हैं और जिन्हें पूर्वी भारत का सुनहरा त्रिकोण पुकारा जाता है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर जिसकी रथयात्रा विश्व प्रसिद्ध है और कोणार्क के सूर्य मंदिर को देखने प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक आते हैं। ब्रह्मपुर के पास जौगदा में स्थित अशोक का प्रसिद्ध शिलालेख और कटक का बारबाटी किला भारत के पुरातात्विक इतिहास में महत्वपूर्ण हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

बलांगीर, बलांगीर जिला, बालनगीर जिला, बोलांगिर जिला, बोलांगीर

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