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बल (भौतिकी)

सूची बल (भौतिकी)

बल अनेक प्रकार के होते हैं जैसे- गुरुत्वीय बल, विद्युत बल, चुम्बकीय बल, पेशीय बल (धकेलना/खींचना) आदि। भौतिकी में, बल एक सदिश राशि है जिससे किसी पिण्ड का वेग बदल सकता है। न्यूटन के गति के द्वितीय नियम के अनुसार, बल संवेग परिवर्तन की दर के अनुपाती है। बल से त्रिविम पिण्ड का विरूपण या घूर्णन भी हो सकता है, या दाब में बदलाव हो सकता है। जब बल से कोणीय वेग में बदलाव होता है, उसे बल आघूर्ण कहा जाता है। प्राचीन काल से लोग बल का अध्ययन कर रहे हैं। आर्किमिडीज़ और अरस्तू की कुछ धारणाएँ थीं जो न्यूटन ने सत्रहवी सदी में ग़लत साबित की। बीसवी सदी में अल्बर्ट आइंस्टीन ने उनके सापेक्षता सिद्धांत द्वारा बल की आधुनिक अवधारणा दी। प्रकृति में चार मूल बल ज्ञात हैं: गुरुत्वाकर्षण बल, विद्युत चुम्बकीय बल, प्रबल नाभकीय बल और दुर्बल नाभकीय बल। बल की गणितीय परिभाषा है: जहाँ \vec बल, \vec संवेग और t समय हैं। एक ज़्यादा सरल परिभाषा है: जहाँ m द्रव्यमान है और \vec त्वरण है। .

14 संबंधों: चिरसम्मत यांत्रिकी, द्रवस्थैतिक संतुलन, न्यूटन के गति नियम, पाल, प्रति गुरुत्वाकर्षण, प्रक्षेप्य, पृष्ठ रसायन, बल, रदरफोर्ड प्रकीर्णन, सदिश क्षेत्र, सौर पाल, ज्वारभाटा बल, गुरुत्वीय स्थिरांक, क्रान्ति

चिरसम्मत यांत्रिकी

भौतिक विज्ञान में चिरसम्मत यांत्रिकी, यांत्रिकी के दो विशाल क्षेत्रों में से एक है, जो बलों के प्रभाव में वस्तुओं की गति से सम्बंधित भौतिकी के नियमो के समुच्चय की विवेचना करता है। वस्तुओं की गति का अध्ययन बहुत प्राचीन है, जो चिरसम्मत यांत्रिकी को विज्ञान, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी सबसे प्राचीन विषयों में से एक और विशाल विषय बनाता है। .

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द्रवस्थैतिक संतुलन

बल हैं - (१) उसके ऊपर की गैस का (गुरुत्वाकर्षण की वजह से वज़न से उत्पन्न होने वाला) नीचे की तरफ दबाव, (२) उसका अपना वज़न और (३) उसके नीचे की गैस का ऊपर की तरफ दबाव। अगर डब्बे के अन्दर की गैस द्रवस्थैतिक संतुलन की वजह से स्थिर है तो (१) और (२) मिलाकर ठीक (३) के बराबर होंगे। तरल यांत्रिकी में द्रवस्थैतिक संतुलन या हाइड्रोस्टैटिक ऍक्विलिब्रियम (hydrostatic equilibrium) किसी तरल पदार्थ (फ़्लुइड) की उस अवस्था को कहते हैं जिसमें वह तरल पदार्थ या तो बिलकुल स्थिर हो या फिर एक बिलकुल स्थाई गति से हिल रहा हो। ऐसी अवस्था अक्सर तब पैदा होती है जब किसी तरल पर गुरुत्वाकर्षण का बल और उसी तरल में दबाव से उत्पन्न होने वाला विपरीत बल बिलकुल बराबरी में हों। मिसाल के लिए पृथ्वी के वायुमंडल पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का भयंकर खिचाव है लेकिन वायुमंडल न तो पृथ्वी की सतह पर एक पतली परत में सिकुड़ जाता है और न ही सतह से और दूर फैल कर और पतला हो जाता है। इसकी वजह है के हमारा वायुमंडल द्रवस्थैतिक संतुलन में है। .

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न्यूटन के गति नियम

न्यूटन के गति के प्रथम एवं द्वितीय नियम, सन १६८७ में लैटिन भाषा में लिखित न्यूटन के '''प्रिन्सिपिया मैथेमेटिका''' से न्यूटन के गति नियम तीन भौतिक नियम हैं जो चिरसम्मत यांत्रिकी के आधार हैं। ये नियम किसी वस्तु पर लगने वाले बल और उससे उत्पन्न उस वस्तु की गति के बीच सम्बन्ध बताते हैं। इन्हें तीन सदियों में अनेक प्रकार से व्यक्त किया गया है। न्यूटन के गति के तीनों नियम, पारम्परिक रूप से, संक्षेप में निम्नलिखित हैं-.

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पाल

पाल या बादबान पवन की शक्ति द्वारा किसी वाहन को जल, हिम या धरती पर आगे धकेलने के एक साधन को कहते हैं। आमतौर पर पाल कपड़े या अन्य किसी सामग्री से बनी एक सतह होती है जो वाहन में जड़े हुए मस्तूल (mast) कहलाने वाले एक सख़्त खम्बे के साथ लगी हुई होती है। जब पाल पर वायू प्रवाह का प्रहार होता है तो पाल फूल-सा जाता है और आगे को धकेला जाता है। यह बल मस्तूल द्वारा यान को प्रसारित होता है। कुछ पालों का आकार ऐसा होता है जिनपर पवन एक ऊपर की ओर उठाने वाला बल भी प्रस्तुत करती है। इस से भी वाहन को आगे धकेलने में असानी होती है। पाल और पतंग दोनों में पवन के बल का प्रयोग वस्तुओं को गति देने के लिये होता है। .

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प्रति गुरुत्वाकर्षण

प्रति गुरुत्वाकर्षण एक प्रकार का बल होता है, जो गुरुत्वाकर्षण के विपरीत/विरुद्ध कार्य करता है। इस शब्द का उपयोग मुख्यतः भौति‍क वि‍ज्ञान में किया जाता है। प्रति गुरुत्वाकर्षण का उदाहरण किसी भी वस्तु को ऊपर फेकने पर वह बल गतिज ऊर्जा में बादल जाता है और वह धरती के गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध ऊपर जाता है और जब गतिज ऊर्जा समाप्त हो जाती है तो वह वापस गुरुत्वाकर्षण बल के कारण आ जाता है। श्रेणी:गुरुत्वाकर्षण.

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प्रक्षेप्य

एक प्रक्षेप्य वह वस्तु कहलाती है जिसे दिक् (खाली अथवा नहीं) में किसी बल के अधीन प्रक्षेपित किया जाता है। यद्यपि समष्टि (दिक्) में किसी भी वस्तु की गति (उदाहरण के लिए क्रिकेट के खेल में क्षेत्ररक्षक द्वारा गेंद को फैंकना) को प्रक्षेप्य कहा जा सकता है, यह शब्द सामान्यतः कम मारक क्षमता वाली वस्तुओं के लिए काम में ली जाती है। प्रक्षेप्य वक्र के विश्लेषण के लिए गणितीय गति के समीकरणों का उपयोग किया जाता है। .

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पृष्ठ रसायन

पृष्ठ रसायन सतह या अंतरापृष्ठ पर होने वाली परिघटनाओं से सबंधित क्षेत्र है। अंतरापृष्ठ या सतह को स्थूल प्रावस्थाओं से अलग दर्शाने के लिए एक हाइफन (-) या स्लैश (/) का उपयोग किया जाता है। उदाहरणार्थ, एक ठोस एवं गैस के बीच अंतरापृष्ठ को, ठोस-गैस या ठोस/गैस द्वारा दर्शाया जाता है। पूर्ण मिश्रणीयता के कारण गैसों के मध्य कोई अंतरापृष्ठ नहीं होता। पृष्ठ रसायन में हम जिन स्थूल प्रावस्थाओं के संपर्क में आते हैं वे शुद्ध यौगिक या विलयन हो सकते हैं। अंतरापृष्ठ की मोटाई बहुधा कुछ अणुओं तक सीमित रहती है, परंतु इसका क्षेत्रफल स्थूल प्रावस्थाओं के कणों के आकार पर निर्भर करता है। वहुत-सी ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण परिधटनाएं जैसे संक्षारण, इलेवट्रोड प्रक्रम, विषमांगी उत्प्रेरण, विलीनीकरण एवं क्रिस्टलोकरण, अंतरापृष्ठ पर परिलक्षित होती हैं। पृष्ठ रसायन का विषय उद्योग, विश्लेषण कार्य एवं दैनिक जीवन को परिस्थितियों में कई अनुप्रयोग पता है। पृष्ठ अध्ययनों को सतर्कतापूर्वक निष्पादित करने हेतु पृष्ठ का वस्तुत: स्वच्छ होना अतिआवश्यक है। अति उच्च कोटि के निर्वात में आजकल धातुओं के अत्यधिक स्वच्छ पृष्ठ प्राप्त करना संभव है। ऐसे स्वच्छ सतह वाले ठोस पदार्थों को निर्वात में ही भंडारित करना चाहिए अन्यथा उनका पृष्ठ, वायु के प्रमुख अवयवों अर्थात् डाइनाइट्रोजन एवं डाइऑक्सीजन के अणुओं से आच्छादित हो जाएगा। .

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बल

भौतिकि संबंधी बल के लिए देखें बल (भौतिकी) बल, जिसे ताकत भी कहा जाता है, कार्य करने की शक्ति है। परंपरागत रूप से इसे शरीर से जोड़कर देखा जाता रहा है। इसलिए प्रायः यह शारिरिक बल का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन इसके अतिरिक्त मानसिक एवं आध्यात्मिक बल की संकल्पना भी की गई है। .

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रदरफोर्ड प्रकीर्णन

रदरफोर्ड प्रकीर्णन। रदरफोर्ड प्रकीर्णन रदरफोर्ड प्रकीर्णन अर्नेस्ट रदरफोर्ड द्वारा 1911 में प्रतिपादित भौतिक परिघटना है, जिसे बाद में परमाणु का रदरफोर्ड मॉडल (प्रतिमान) नाम से जाना जाने लगा और बाद में बोर मॉडल। रदरफोर्ड प्रकीर्णन को कई बार कुलाम्ब प्रकीर्णन की विशेष अवस्था भी कहा जाता है क्योंकि यह केवल स्थैतिक (कुलाम्ब) बलों पर लागू होता है और कणों के मध्य न्यूनतम दूरी इसके विभव द्वारा निर्धारित होती है। सोने के नाभिक (gold nuclie) व अल्फा कणों के मध्य चिरसम्मत रदरफोर्ड प्रकीर्णन प्रत्यास्थ प्रकीर्णन का एक उदाहरण है क्योंकि इसमें आपतित कण व प्रकीर्णित कण के ऊर्जा व वेग समान होते हैं। .

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सदिश क्षेत्र

सदिश कलन (वेक्टर कैल्कुलस) में सदिश क्षेत्र (vector field) किसी दिक् (स्पेस) के हर बिन्दु-स्थान को एक सदिश राशि देने की क्रिया को कहा जाता है, यानि कि इसमें प्रत्येक स्थान से एक राशि और एक दिशा सम्बन्धित की जाती है। सदिश क्षेत्र कई भौतिक चीज़ों को समझने के लिये बहुत लाभकारी है, मसलन पानी के बहाव को परिभाषित करने के लिये उस द्रव में स्थित हर स्थान के साथ एक दिशा और एक राशि लगाई जा सकती है जिससे यह समझा जा सकता है कि उस प्रवाह के अलग-अलग भागों पर क्या बल काम कर रहा है। इसी तरह किसी चुम्बकीय क्षेत्र को भी एक सदिश क्षेत्र द्वारा दर्शा कर उसे समझा जा सकता है। .

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सौर पाल

सौर पाल (solar sail), जिसे प्रकाश पाल (light sail) या फ़ोटोन पाल (photon sail) भी कहते हैं सौर प्रकाश को बड़े दर्पणों से किसी अंतरिक्ष यान पर लगे बड़े आकार के परावर्तक पाल पर दाग़कर उस से बनने बाले विकिरण दाब द्वारा करे गये अंतरिक्ष यान प्रणोदन (गतिमान करने की क्रिया) को कहते हैं। जिस प्रकार कोई पालनौका पवन के प्रहार से चल पड़ती है, उसी प्रकार विचार है कि अंतरिक्ष यानों को प्रकाश के प्रहार से चलाया जा सकता है। वैज्ञानिकों की सोच है कि इस सिद्धांत से बनाये गये यानों पर ख़र्च कम होगा क्योंकि उन्हें अपने साथ ईन्धन ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी। कुछ प्रस्तावों में सौर प्रकाश के स्थान पर पथ्वी या चंद्रमा पर लेज़र किरणों का स्रोत लगाकर उन्हें पाल पर चमकाने का सुझाव दिया गया है। पृथ्वी की कक्षा के पास स्थित ८०० मीटर चौड़े और ८०० मीटर लम्बे सौर पाल पर सूरज की किरणों का बल लगभग ५ न्य्यूटन के बराबर पड़ेगा। यह एक हल्का बल है। लेकिन जहाँ आज के राकेट कुछ अरसे तक चलकर ईन्धन समाप्त होने पर रुक जाते हैं वहाँ सौर पाल यान को महीनों, वर्षों, दशकों या शताब्दियों तक लगातार अधिक गतिशील कर सकता है। विकिरण दाब एक वास्तविकता है और बिना पाल वाले अंतरिक्ष यानों पर भी इसका प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। .

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ज्वारभाटा बल

बृहस्पति से टकराया - बृहस्पति के भयंकर ज्वारभाटा बल ने उसे तोड़ डाला पृथ्वी पर ज्वार-भाटा चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण से बने ज्वारभाटा बल से आते हैं शनि के उपग्रही छल्ले ज्वारभाटा बल की वजह से जुड़कर उपग्रह नहीं बन जाते ज्वारभाटा बल वह बल है जो एक वस्तु अपने गुरुत्वाकर्षण से किसी दूसरी वस्तु पर स्थित अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग स्तर से लगाती है। पृथ्वी पर समुद्र में ज्वार-भाटा के उतार-चढ़ाव का यही कारण है। .

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गुरुत्वीय स्थिरांक

न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के प्रयोग के लिए गुरुत्वाकर्षक स्थिरांक ''G'' बहुत जरूरी है गुरुत्वीय स्थिरांक एक भौतिक नियतांक है जिसे 'G' के चिन्ह से दर्शाया जाता है। इसका प्रयोग दो वस्तुओं के बीच में गुरुत्वाकर्षक बल का मान निकालने के लिए किया जाता है। यदि एक वस्तु का द्रव्यमान (मास) m1 किलोग्राम है और दूसरी वस्तु का m2 किलोग्राम है तथा उन दोनों में दूरी r मीटर है, तो उनके बीच में गुरुत्वाकर्षक बल F का मान निम्नलिखित सूत्र से निकाला जाता है - यहाँ G गुरुत्वाकर्षक स्थिरांक है। इसका मान इस प्रकार है - .

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क्रान्ति

क्रान्ति (Revolution) अधिकारों या संगठनात्मक संरचना में होने वाला एक मूलभूत परिवर्तन है जो अपेक्षाकृत कम समय में ही घटित होता है। अरस्तू ने दो प्रकार की राजनीतिक क्रान्तियों का वर्णन किया है.

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