4 संबंधों: धनबाद, बराकर, मैथन, मैथन बांध।
धनबाद
धनबाद भारत के झारखंड में स्थित एक शहर है जो कोयले की खानों के लिये मशहूर है। यह शहर भारत में कोयला व खनन में सबसे अमीर है। पुर्व मैं यह मानभुम जिला के अधीन था। यहां कई ख्याति प्राप्त औद्योगिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य संस्थान हैं। यह नगर कोयला खनन के क्षेत्र में भारत में सबसे प्रसिद्ध है। कई ख्याति प्राप्त औद्योगिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य संसथान यहाँ पाए जाते हैं। यहां का वाणिज्य बहुत व्यापक है। झारखंड में स्थित धनबाद को भारत की कोयला राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर कोयले की अनेक खदानें देखी जा सकती हैं। कोयले के अलावा इन खदानों में विभिन्न प्रकार के खनिज भी पाए जाते हैं। खदानों के लिए धनबाद पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यह खदानें धनबाद की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। पर्यटन के लिहाज से भी यह खदानें काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि पर्यटक बड़ी संख्या में इन खदानों को देखने आते हैं। खदानों के अलावा भी यहां पर अनेक पर्यटक स्थल हैं जो पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। इसके प्रमुख पर्यटक स्थलों में पानर्रा, चारक, तोपचांची और मैथन प्रमुख हैं। पर्यटकों को यह पर्यटक स्थल और खदानें बहुत पसंद आती है और वह इनके खूबसूरत दृश्यों को अपने कैमरों में कैद करके ले जाते हैं। कम्बाइन्ड बिल्डिंग चौक .
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बराकर
कोई विवरण नहीं।
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मैथन
मैथन भारत के झारखंड प्रांत का एक प्रमुख शहर है। जो किधनबाद जिले मे आता है। यहा पर दामोदर वैली कार्पोरेशन (डी वी सी) परियोजना (जो एक बहु उदेश्श्यी परियोजना है) के तहत बराकर नदी पर मैथन बांध का निर्माण किया गया है। इस बांध के निर्माण के पीछे उद्देश्य था, बाढ की विभिषिका को कम करना, जलविद्युत पैदा करना, नहर के जरिये दुर-दुरतक कृषि भुमि तक पानी पहुचाना। centre right दर्शनीय स्थल बांध के पास पहाडी़ के नीचे भुमिगत जल विद्युत पैदा की जाती है। बांध के पास ही सुन्दर पार्क का निर्माण किया गया है। धनबाद और आसपास के क्षेत्रों का प्रमुख पिकनीक स्पाट है। पास ही काली माता का एक बड़ा और प्राचीन मंदीर है, जिसे मां कल्यानेश्वरी का मंदिर भी कहा जाता है। दुर-दुर से लोग माता के दर्शन, मुंडन व शादी-विवाह के लिये आते है। मां कल्यानेश्वरी का मंदिर् .
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मैथन बांध
मैथन बांध भारतवर्ष के झारखंड प्रदेश में स्थित धनबाद से ५२ किमी दूर मैथन बांध दामोदर वैली कारपोरेशन का सबसे बड़ा जलाशय है। इसके आस-पास का सौंदर्य पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। बराकर नदी के ऊपर बने इस बाँध का निर्माण बाढ़ को रोकने के लिए किया गया था। बाँध के नीचे एक पावर स्टेशन का भी निर्माण किया गया है, जो दक्षिण पूर्व एशिया में अपने आप में आधुनिकतम तकनीक का उदाहरण माना जाता है। इसकी परिकल्पना जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इसके पास ही माँ कल्याणेश्वरी का एक अति प्राचीन मंदिर भी है। लगभग ६५ वर्ग कि॰मी॰ में फैले इस बाँध के पास एक झील भी है जहाँ नौकायन और आवासीय सुविधाएँ उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त एक मृगदाव तथा पक्षी विहार भी है, जहाँ पर्यटक जंगल के प्राकृतिक सौन्दर्य तथा विभिन्न किस्म के पशु-पक्षियों को देख सकते है। १५,७१२ फीट लंबे और १६५ फीट ऊँचे इस बाँध से ६०,००० किलोवाट बिजली का उत्पादन होता है। वैसे य़े इलाका नक्सली प्रभावित भी है----इसलिए जाने से पहले थोड़ा सावधान .
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