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बयकाल झील

सूची बयकाल झील

बयकाल झील (रूसी: о́зеро Байка́л ओज़ेरो बयकाल, बुर्यात: Байгал нуур बयगाल नुउर, अर्थ: प्रकृति झील) दुनिया की सब से प्राचीन और गहरी झील है। यह झील ३ करोड़ वर्ष से लगातार बनी हुई है और इसकी औसत गहराई ७४४.४ मीटर है। हालाँकि कैस्पियन सागर विश्व की सबसे ज़्यादा पानी वाली झील है, बयकाल का स्थान दुसरे नंबर पर आता है। क्योंकि कैस्पियन का पानी खारा है, इसलिए बयकाल दुनिया की सब से बड़ी मीठे पानी की झील है। अगर बर्फ़ में जमे हुए पानी और ज़मीन के अन्दर बंद हुए पानी को अलग छोड़ दिया जाए, तो दुनिया की सतह पर मौजूद २०% मीठा पानी इसी एक झील में समाया हुआ है। बयकाल झील रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिण भाग में, रूस के दो राज्यों (इरकुत्स्क ओब्लास्त और बुर्यात गणतंत्र) की सीमा पर स्थित है। इस झील को यूनेस्को ने विश्व की अनूठी प्राकृतिक विरासतों की सूची में शामिल कर रखा है। इस झील की लम्बाई ६३६ किलोमीटर है और इस झील में दुनिया में उपस्थित कुल पीने लायक पानी का पाँचवा हिस्सा और रूस में उपस्थित कुल पीने लायक पानी का ९०% हिस्सा सुरक्षित है। इस झील में पाए जान वाले बहुत-से जीव और बहुत-सी वनस्पतियाँ दुनिया भर में किसी अन्य जलाशय में नहीं पाए जाते। बयकाल की सबसे अधिक गहराई १,६४२ मीटर है (यानि ५,३८७ फ़ुट) और इसका पानी विश्व की सब झीलों में साफ़ माना जाता है। इस झील का अकार एक पतले, लम्बे नए चाँद की तरह है। .

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सामग्री की तालिका

  1. 30 संबंधों: चिल्का झील, एवेंक लोग, झील, तातार लोग, तामिर नदी, तांगान्यीका झील, तूल नदी, दिंगलींग लोग, निव्ख़ लोग, बरगुज़ीन नदी, बायकाल पर्वत, बुर्यातिया, मातृवंश समूह सी, मोदू चानयू, याकूत लोग, याकूत्स्क​, येनिसेय नदी, लाजवर्द, लेना नदी, शाही जापानी सेना, सायन पर्वत शृंखला, साइबेरिया, सेलेन्गा नदी, हिम तेन्दुआ, जापानी बटेर, ओरख़ोन नदी, इरकुत्स्क, अंगारा नदी, उलान-उदे, 2014 शीतकालीन ओलम्पिक

चिल्का झील

चिल्का झील चिल्का झील उड़ीसा प्रदेश के समुद्री अप्रवाही जल में बनी एक झील है। यह भारत की सबसे बड़ी एवं विश्व की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है। इसको चिलिका झील के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अनूप है एवं उड़ीसा के तटीय भाग में नाशपाती की आकृति में पुरी जिले में स्थित है। यह 70 किलोमीटर लम्बी तथा 30 किलोमीटर चौड़ी है। यह समुद्र का ही एक भाग है जो महानदी द्वारा लायी गई मिट्टी के जमा हो जाने से समुद्र से अलग होकर एक छीछली झील के रूप में हो गया है। दिसम्बर से जून तक इस झील का जल खारा रहता है किन्तु वर्षा ऋतु में इसका जल मीठा हो जाता है। इसकी औसत गहराई 3 मीटर है। इस झील के पारिस्थितिक तंत्र में बेहद जैव विविधताएँ हैं। यह एक विशाल मछली पकड़ने की जगह है। यह झील 132 गाँवों में रह रहे 150,000 मछुआरों को आजीविका का साधन उपलब्ध कराती है। इस खाड़ी में लगभग 160 प्रजातियों के पछी पाए जाते हैं। कैस्पियन सागर, बैकाल झील, अरल सागर और रूस, मंगोलिया, लद्दाख, मध्य एशिया आदि विभिन्न दूर दराज़ के क्षेत्रों से यहाँ पछी उड़ कर आते हैं। ये पछी विशाल दूरियाँ तय करते हैं। प्रवासी पछी तो लगभग १२००० किमी से भी ज्यादा की दूरियाँ तय करके चिल्का झील पंहुचते हैं। 1981 में, चिल्का झील को रामसर घोषणापत्र के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय महत्व की आद्र भूमि के रूप में चुना गया। यह इस मह्त्व वाली पहली पहली भारतीय झील थी। एक सर्वेक्षण के मुताबिक यहाँ 45% पछी भूमि, 32% जलपक्षी और 23% बगुले हैं। यह झील 14 प्रकार के रैपटरों का भी निवास स्थान है। लगभग 152 संकटग्रस्त व रेयर इरावती डॉल्फ़िनों का भी ये घर है। इसके साथ ही यह झील 37 प्रकार के सरीसृपों और उभयचरों का भी निवास स्थान है। उच्च उत्पादकता वाली मत्स्य प्रणाली वाली चिल्का झील की पारिस्थिकी आसपास के लोगों व मछुआरों के लिये आजीविका उपलब्ध कराती है। मॉनसून व गर्मियों में झील में पानी का क्षेत्र क्रमश: 1165 से 906 किमी2 तक हो जाता है। एक 32 किमी लंबी, संकरी, बाहरी नहर इसे बंगाल की खाड़ी से जोड़ती है। सीडीए द्वारा हाल ही में एक नई नहर भी बनाई गयी है जिससे झील को एक और जीवनदान मिला है। लघु शैवाल, समुद्री घास, समुद्री बीज, मछलियाँ, झींगे, केकणे आदि चिल्का झील के खारे जल में फलते फूलते हैं। .

देखें बयकाल झील और चिल्का झील

एवेंक लोग

सन् १९०० के आसपास साइबेरिया में खींची गई कुछ एवेंकियों की तस्वीर एक पारम्परिक एवेंक ओझा (जो पुजारी और हक़ीम दोनों का स्थान रखता था) की पोशाक एवेंक लोग (रूसी: Эвенки, एवेंकी; मंगोल: Хамниган, ख़ामनिगन; अंग्रेजी: Evenk) पूर्वोत्तरी एशिया के साइबेरिया, मंचूरिया और मंगोलिया क्षेत्रों में बसने वाली एक तुन्गुसी जाति का नाम है। रूस के साइबेरिया इलाक़े में सन् २००२ में ३५,५२७ एवेंकी थे और यह औपचारिक रूप से 'उत्तरी रूस की मूल जनजाति' की सूची में शामिल थे।, José Antonio Flores Farfán, Fernando F.

देखें बयकाल झील और एवेंक लोग

झील

एक अनूप झील बैकाल झील झील जल का वह स्थिर भाग है जो चारो तरफ से स्थलखंडों से घिरा होता है। झील की दूसरी विशेषता उसका स्थायित्व है। सामान्य रूप से झील भूतल के वे विस्तृत गड्ढे हैं जिनमें जल भरा होता है। झीलों का जल प्रायः स्थिर होता है। झीलों की एक महत्वपूर्ण विशेषता उनका खारापन होता है लेकिन अनेक झीलें मीठे पानी की भी होती हैं। झीलें भूपटल के किसी भी भाग पर हो सकती हैं। ये उच्च पर्वतों पर मिलती हैं, पठारों और मैदानों पर भी मिलती हैं तथा स्थल पर सागर तल से नीचे भी पाई जाती हैं। किसी अंतर्देशीय गर्त में पाई जानेवाली ऐसी प्रशांत जलराशि को झील कहते हैं जिसका समुद्र से किसी प्रकार का संबंध नहीं रहता। कभी-कभी इस शब्द का प्रयोग नदियों के चौड़े और विस्तृत भाग के लिए तथा उन समुद्र तटीय जलराशियों के लिए भी किया जाता है, जिनका समुद्र से अप्रत्यक्ष संबंध रहता है। इनके विस्तार में भिन्नता पाई जाती है; छोटे छोटे तालाबों और सरोवर से लेकर मीठे पानीवाली विशाल सुपीरियर झील और लवणजलीय कैस्पियन सागर तक के भी झील के ही संज्ञा दी गई है। अधिकांशत: झीलें समुद्र की सतह से ऊपर पर्वतीय प्रदेशों में पाई जाती हैं, जिनमें मृत सागर, (डेड सी) जो समुद्र की सतह से नीचे स्थित है, अपवाद है। मैदानी भागों में सामान्यत: झीलें उन नदियों के समीप पाई जाती हैं जिनकी ढाल कम हो गई हो। झीलें मीठे पानीवाली तथा खारे पानीवाली, दोनों होती हैं। झीलों में पाया जानेवाला जल मुख्यत: वर्ष से, हिम के पिघलने से अथवा झरनों तथा नदियों से प्राप्त होता है। झीले बनती हैं, विकसित होती हैं, धीरे-धीरे तलछट से भरकर दलदल में बदल जाती हैं तथा उत्थान होंने पर समीपी स्थल के बराबर हो जाती हैं। ऐसी आशंका है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की बृहत झीलें ४५,००० वर्षों में समाप्त हो जाएंगी। भू-तल पर अधिकांश झीलें उत्तरी गोलार्ध में स्थित हैं। फिनलैंड में तो इतनी अधिक झीलें हैं कि इसे झीलों का देश ही कहा जाता है। यहाँ पर १,८७,८८८ झीलें हैं जिसमें से ६०,००० झीलें बेहद बड़ी हैं। पृथ्वी पर अनेक झीलें कृत्रिम हैं जिन्हें मानव ने विद्युत उत्पादन के लिए, कृषि-कार्यों के लिए या अपने आमोद-प्रमोद के लिए बनाया है। झीलें उपयोगी भी होती हैं। स्थानीय जलवायु को वे सुहावना बना देती हैं। ये विपुल जलराशि को रोक लेती हैं, जिससे बाढ़ की संभावना घट जाती है। झीलों से मछलियाँ भी प्राप्त होती हैं। .

देखें बयकाल झील और झील

तातार लोग

दिनारा सफीना रूस के लिए टेनिस खेलती हैं और नस्ल से तातार हैं रुसलन चाग़ायेव उज़बेकिस्तान के लिए मुक्केबाज़ी करते हैं और एक तातार हैं तातार या ततार (तातार: ततरलार; रूसी: Татар; अंग्रेज़ी: Tatar) रूसी भाषा और तुर्की भाषाएँ बोलने वाली एक जाति है जो अधिकतर रूस में बसती है। दुनिया भर में इनकी आबादी ७० लाख अनुमानित की गई है, जिनमें से ५५ लाख रूस में रहते हैं। रूस के तातारस्तान प्रांत में २० लाख तातार रहते हैं। रूस के बाहर तातार समुदाय उज़बेकिस्तान, पोलैंड, काज़ाख़स्तान, युक्रेन, ताजिकिस्तान, किर्गिज़स्तान, तुर्कमेनिस्तान, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका में पाए जाते हैं।, Global Vision Publishing Ho, 2005, ISBN 978-81-8220-062-3,...

देखें बयकाल झील और तातार लोग

तामिर नदी

तामिर नदी (मंगोल: Тамир гол, तामिर गोल; अंग्रेज़ी: Tamir River) मंगोलिया के मध्य भाग में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। 'तामिर' शब्द का अर्थ मंगोल भाषा में 'मांस-पेशी' (मसल, muscle) होता है। यह ख़ानगई पर्वतों से उभरती है और ओरख़ोन नदी की एक प्रमुख उपनदी है जो स्वयं सेलेन्गा नदी में जाकर मिलती है और यह पानी आगे जाकर रूस की बायकल झील में विलय हो जाता है। तामिर नदी अपने गहरे नीले और बहुत साफ़ पानी के लिए मशहूर है।, Jane Blunden, Bradt Travel Guides, 2008, ISBN 978-1-84162-178-4,...

देखें बयकाल झील और तामिर नदी

तांगान्यीका झील

तांगान्यीका झील (अंग्रेज़ी: Lake Tanganyika) महान अफ़्रीकी झीलों में से एक है। घनफल (वोल्यूम) और गहराई के हिसाब से यह रूस की बयकाल झील के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है। यह विश्व की सबसे लम्बी झील भी है। इसका क्षेत्रफल चार देशों में बंटा हुआ है - तान्ज़ानिया, कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य, बुरुन्डी और ज़ाम्बिया। झील के ४६% क्षेत्रफल पर तान्ज़ानिया और ४०% पर कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य का अधिकार है। इसका पानी बाहर कांगो नदी में बहता है जो आगे जाकर अन्ध महासागर में विलय हो जाती है।, Jean-Pierre Chrétien, Mit Press, 2006, ISBN 9781890951351 .

देखें बयकाल झील और तांगान्यीका झील

तूल नदी

गोरख़ी-तेरेल्ज​ राष्ट्रीय उद्यान से गुज़रती तूल नदी तूल नदी (मंगोल: Туул гол, तूल गोल; अंग्रेज़ी: Tuul River) मंगोलिया के उत्तरी भाग में बहने वाली एक प्रमुख नदी है जिसे मंगोल लोग एक पवित्र नदी मानते हैं। इसे पुराने ज़माने में 'तोला नदी' (Tola) भी कहा जाता था और 'तूल' शब्द का अर्थ मंगोल भाषा में 'पानी में चलना' होता है। इस ७०४ किमी लम्बी नदी का ज़िक्र 'मंगोलों का गुप्त इतिहास' नामक इतिहास-ग्रन्थ में हुआ था। मंगोल लोग इस अक्सर 'ख़तन तूल' यानि 'रानी तूल' बुलाते हैं। इसके जलसम्भर का क्षेत्रफल ४९,८४० वर्ग किमी है।, World Bank, World Bank Publications, 2010, ISBN 978-0-8213-8126-7,...

देखें बयकाल झील और तूल नदी

दिंगलींग लोग

दिंगलींग (चीनी: 丁零, अंग्रेजी: Dingling, कोरियाई: जेओंग रयुंग) साइबेरिया में बसने वाली एक प्राचीन जाति थी। यह शुरू में बयकाल झील से पश्चिम में लेना नदी के किनारे बसा करते थे लेकिन समय के साथ दक्षिण की ओर जाकर मंगोलिया और उत्तरी चीन के क्षेत्र में जा बसे। महान इतिहासकार के अभिलेख नामक चीनी इतिहास-ग्रन्थ के अनुसार बाद में उन्हें शियोंगनु साम्राज्य के अधीन कर लिया गया हालांकि ७१ ईसापूर्व के बाद उन्होंने शियोंगनुओं के ख़िलाफ़ विद्रोह करा। तीसरी सदी ईसवी के बाद वे तिएले लोगों (鐵勒, Tiele) का भाग बन गए जो धीरे-धीरे पश्चिम की ओर मध्य एशिया में फैल गए। इन्ही तिएले लोगों का एक गुट हिन्द-यूरोपीयों से मिश्रित हो गया जिस से उईग़ुर जाति उत्पन्न हुई। दिंगलींग लोगों की एक दूसरी शाखा शियानबेई लोगों में जा मिली।, University of California, Berkeley.

देखें बयकाल झील और दिंगलींग लोग

निव्ख़ लोग

निव्ख़ों का एक समूह अपनी पारम्परिक वेशभूशा में दो निव्ख़ शिकारी निव्ख़ या निव्ख़ी (रूसी भाषा: Нивхи, अंग्रेज़ी: Nivkh) या गिल्यक एक मानव समुदाय है जो रूस के सूदूर-पूर्व में साख़ालिन द्वीप और ख़ाबारोव्स्क क्राय में अमूर नदी के सागर से मिल जाने वाले क्षेत्र में रहता है। यह इस क्षेत्र के प्राचीनतम निवासी माने जाते हैं। प्राचीनकाल में यह गर्मियों में समुद्र-तटों के पार और सर्दियों में तटों से हटकर नदी-झरनों के पास मछुआरों और शिकारियों का जीवन व्यतीत करते थे। सन् २००२ की रूसी जनगणना में इनकी अनुमानित आबादी केवल ५,२८७ गिनी गई थी। इनकी भाषा बिलकुल पृथक है और इसका किसी भी अन्य ज्ञात भाषा से सम्बन्ध नहीं, हालांकि इस भाषा के अन्दर चार ज्ञात उपभाषाएँ हैं।, University of Pennsylvania Press, 2010, ISBN 978-1-934536-11-7,...

देखें बयकाल झील और निव्ख़ लोग

बरगुज़ीन नदी

बरगुज़ीन नदी (रूसी: Баргузи́н; अंग्रेज़ी: Barguzin) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के बुर्यातिया गणतंत्र की एक प्रमुख नदी है। यह 480 किमी लम्बी नदी बयकाल झील के बरगुज़ीन नामक भाग में ख़ाली हो जाती है। सेलेन्गा नदी और ऊपरी अंगारा नदी के बाद बयकाल झील में जल ले जाने वाली यह तीसरी सबसे बड़ी नदी है। इसका जलसम्भर क्षेत्र 21,000 वर्ग किमी है और बयकाल से लेकर उस से 204 किमी ऊपर तक इस नदी पर नावी यातायात चलता है। इसकी मुख्य उपनदियाँ गागरा, अरगादा, इना और उल्युन नदियाँ हैं।, Mark Brazil, pp.

देखें बयकाल झील और बरगुज़ीन नदी

बायकाल पर्वत

गर्मियों के मौसम में बायकाल झील और बायकाल पहाड़ों का नज़ारा बायकाल पर्वत (रूस: Байкальский хребет, बायकाल्स्की ख़्रेबेत) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग में बायकाल झील के उत्तरपश्चिमी छोर पर स्थित एक पर्वत शृंखला है। यह शृंखला और पूर्वी सायन पर्वत मध्य साइबेरियाई पठार की दक्षिणी सीमा हैं। साइबेरिया का एक प्रमुख दरिया, लेना नदी, बायकाल पहाड़ों में ही जन्म लेता है। बायकाल झील के इर्द-गिर्द के पहाड़ी क्षेत्र पर घने वन हैं जिनमें साइबेरियाई सनोबर, स्कॉटी चीड़ और साइबेरियाई प्रसरल जैसे ठन्डे इलाक़ों के वृक्ष उगते हैं। बायकाल पर्वतों का सबसे ऊँचा शिखर २,५७२ मीटर ऊँचा चेरस्की परबत है। .

देखें बयकाल झील और बायकाल पर्वत

बुर्यातिया

रूस के नक़्शे में बुर्यातिया का स्थान (लाल रंग में) 230px दक्षिणी बुर्यातिया का एक नज़ारा बुर्यातिया गणतंत्र (रूसी: Респу́блика Буря́тия, रॅस्पुब्लिका बुर्यतिया; बुर्यात भाषा: Буряад Республика, बुर्याद रॅस्पुब्लिका) गणतंत्र का दर्जा रखने वाला रूस का एक राज्य है। यह दक्षिण-मध्य साइबेरिया क्षेत्र में बयकाल झील के किनारे स्थित है। इसकी राजधानी उलान-उदे (Ула́н-Удэ́, Ulan-Ude) नामक शहर है। इसका क्षेत्रफल क़रीब ३,५१,३०० वर्ग किमी है (यानि भारत के राजस्थान राज्य से ज़रा बड़ा) और सन् २०१० में इसकी आबादी ९,७२,६५८ थी। .

देखें बयकाल झील और बुर्यातिया

मातृवंश समूह सी

साइबेरिया की चुकची जनजाति के ११% लोग मातृवंश समूह सी के वंशज होते हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह सी या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप C एक मातृवंश समूह है। यह मातृवंश समूह सीज़ॅड की एक उपशाखा है। इस मातृवंश के लोग ज़्यादातर पूर्वोत्तर एशिया (ख़ासकर साइबेरिया) और अमेरिका के आदिवासियों में पाए जाते हैं, लेकिन हाल ही में यह पश्चिमी यूरोप के आइसलैण्ड राष्ट्र में भी पाए गाये हैं। साइबेरिया की चुकची जनजाति के ११% लोग मातृवंश समूह सी के वंशज होते हैं। वैज्ञानिकों की मान्यता है के जिस स्त्री के साथ इस मातृवंश की शुरुआत हुई वह आज से लगभग ६०,००० साल पहले मध्य एशिया में कैस्पियन सागर और बेकाल झील के दरमियानी क्षेत्र में कहीं रहती थी। ध्यान दें के कभी-कभी मातृवंशों और पितृवंशों के नाम मिलते-जुलते होते हैं (जैसे की पितृवंश समूह डी और मातृवंश समूह डी), लेकिन यह केवल एक इत्तेफ़ाक ही है - इनका आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है। .

देखें बयकाल झील और मातृवंश समूह सी

मोदू चानयू

मोदू के शासनकाल के आरम्भ में शियोंगनु साम्राज्य का विस्तार मोदू चानयू (चीनी: 冒頓單于, मंगोल: Модун шаньюй, अंग्रेज़ी: Modu Chanyu) मध्य एशिया, मंगोलिया और उत्तरी चीन के कई इलाक़ों पर प्राचीनकाल में अधिकार रखने वाले शियोंगनु लोगों का एक चानयू (सम्राट) था। मोदू को शियोंगनु साम्राज्य का निर्माता भी कहा जाता है और उसका शासनकाल २०९ ईसापूर्व से १७४ ईसापूर्व तक चला। मोदू ने अपने अधीन मंगोलिया के स्तेपी क्षेत्र के ख़ानाबदोश क़बीलों को संगठित किया और चीन के चिन राजवंश के लिए ख़तरा बन गया। उसका शियोंगनु साम्राज्य पूर्व में लियाओ नदी से लेकर पश्चिम में पामीर पर्वतों तक और उत्तर में साइबेरिया की बायकल झील तक विस्तृत था। .

देखें बयकाल झील और मोदू चानयू

याकूत लोग

याकूत (अंग्रेज़ी: Yakut) या साख़ा (साख़ा: Саха) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के मध्य-उत्तरी भाग में स्थित साख़ा गणतंत्र में बसने वाला तुर्क लोगों का एक समुदाय है। यह अपनी अलग साख़ा भाषा बोलते हैं जो तुर्की भाषाओं की साइबेरियाई शाखा की उत्तरी उपशाखा की एक बोली है। कुछ याकूत लोग साख़ा गणतंत्र से बाहर रूस के अमूर, मागादान व साख़ालिन क्षेत्रों में और तैमिर व एवेंक स्वशासित क्षेत्रों में भी रहते हैं। २००२ की जनगणना में इनकी लगभग साढ़े-चार लाख की आबादी साख़ा गणतंत्र में रह रही थी। सोवियत संघ के ज़माने में इनके इलाके में बहुत से रूसी लोग आ बसे जिस से इनका उन क्षेत्रों में प्रतिशत-हिस्सा घाट गया लेकिन सोवियत व्यवस्था टूटने के बाद यह ज़रा-बहुत बढ़ा है। भूगोल और अर्थव्यवस्था के हिसाब से याकूत लोग दो समूहों में बंटे हैं। उत्तरी याकूत शिकार, मछली पकड़ने और रेनडियर-पालन से जीवनी चलते हैं, जबकि दक्षिणी याकूत गाय और घोड़ों का मवेशी-पालन करते हैं।, Centre for Russian Studies, Accessed: 2006-10-26 .

देखें बयकाल झील और याकूत लोग

याकूत्स्क​

रूस में साख़ा गणतंत्र (गुलाबी रंग में) याकूत्स्क​ (रूसी: Якутск, अंग्रेज़ी: Yakutsk) रूस के सुदूर पूर्वी साख़ा गणतंत्र की राजधानी है। यह आर्कटिक रेखा से केवल ४५० किमी दक्षिण में स्थित है। यह शहर लेना नदी पर बसा हुआ है और उसपर एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है।, pp.

देखें बयकाल झील और याकूत्स्क​

येनिसेय नदी

येनिसेय नदी का जलसम्भर, समेत बायकल झील के येनिसेय नदी (रूसी: Енисе́й, अंग्रेज़ी: Yenisei) उत्तरी एशिया के साइबेरिया क्षेत्र की एक महान नदी है जो आर्कटिक महासागर में विलय होने वाला दुनिया का सबसे बड़ा नदी-मंडल है। यह नदी मंगोलिया के सायन पर्वतों से शुरू होकर रूस में दाख़िल होती है और फिर उत्तर की तरफ़ हज़ारों किलोमीटर बहकर आर्कटिक महासागर के कारा सागर में बह जाती है। कुल मिलाकर यह ५,५३९ किमी लम्बी है। इसकी औसत गहराई १४ मीटर (४५ फ़ुट) है और सबसे ज़्यादा गहराई २४ मीटर (८० फ़ुट) है। कुल मिलाकर येनिसेय नदी के जलसम्भर का क्षेत्रफल २५,८०,००० वर्ग किमी है। अपने कुल पानी के बहाव के हिसाब से यह नदी विश्व की छठी सब से बड़ी नदी है।, Trevor Day, Richard Garratt, Infobase Publishing, 2006, ISBN 978-0-8160-5328-5,...

देखें बयकाल झील और येनिसेय नदी

लाजवर्द

लाजवर्द का एक नमूना - प्राचीन भारतीय सभ्यता में यह नवरत्नों में से एक था लाजवर्द या राजावर्त (अंग्रेज़ी: Lapis lazuli, लैपिस लैज़्यूली) एक मूल्यवान नीले रंग का पत्थर है जो प्राचीनकाल से अपने सुन्दर नीले रंग के लिए पसंद किया जाता है। कई स्रोतों के अनुसार प्राचीन भारतीय संस्कृति में जिन नवरत्नों को मान्यता दी गई थी उनमें से एक लाजवर्द था। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लाजवर्द शुक्र ग्रह का प्रतीक है।, William Goonetilleke, pp.

देखें बयकाल झील और लाजवर्द

लेना नदी

रूस के याकुत्स्क शहर के पास लेना नदी लेना नदी (रूसी: Ле́на, अंग्रेज़ी: Lena) उत्तरी एशिया के पूर्वी साइबेरिया क्षेत्र की एक नदी है और दुनिया की ११वीं सबसे लम्बी नदी है। येनिसेय नदी और ओब नदी के साथ यह आर्कटिक सागर में बहने वाली तीसरी महान साइबेरियाई नदी मानी जाती है। इसकी पूरी लम्बाई ४,४७२ किमी (२,७७९ मील) है और यह पूरी तरह रूस के अन्दर बहने वाली सबसे लम्बी नदी है। .

देखें बयकाल झील और लेना नदी

शाही जापानी सेना

शाही जापानी सेना (जापानी: 大日本帝國陸軍 दाइ निप्पोन तेइकोकु रिकुगुन), अर्थात् "महान जापानी साम्राज्य की सेना" १८७१ से १९४५ तक जापानी साम्राज्य की थल सेना थी। इसका नियंत्रण शाही जापानी सेना सामान्य स्टाफ़ कार्यालय और युद्ध मंत्रालय करते थे, और दोनों जापानी सम्राट के नाममात्र अधीन थे, जो थल सेना और नौसेना के सर्वोच्च अधिकारी थे। बाद में सैन्य विमानन का महानिरीक्षणालय सेना की निगरानी करने वाली तीसरी एजेंसी बन गई। युद्ध या राष्ट्रीय आपातकाल के समय, कमान शाही सामान्य मुख्यालय में केन्द्रित होता था, जिसमें सेना के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, युद्ध मंत्री, विमानन के मुख्या निरीक्षक, और सैन्य प्रशिक्षण के मुख्य निरीक्षक शामिल थे।   .

देखें बयकाल झील और शाही जापानी सेना

सायन पर्वत शृंखला

सायन की पूर्वी और पश्चिमी शाखाओं का नक़्शा, जिसमें अल्ताई पर्वत भी देखे जा सकते हैं लटकती चट्टान, पश्चिमी सायन के ऍरगाकी इलाक़े सायन पर्वत शृंखला (रूसी: Саяны, सायनी; मंगोल: Саяаны нуруу, सायनी नुउरी) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग में स्थित एक पर्वत शृंखला है। भौगोलिक दृष्टि से इसके दो खंड हैं - पूर्वी और पश्चिमी। पूर्वी सायन के पहाड़ येनिसेय नदी (जो रेखांश ९२°पूर्व पर स्थित है) से शुरू होकर पूर्व की ओर १,००० किमी फैला हुआ है ओर बायकल झील पर जा के रुकते हैं (जो 106°पूर्व पर है)। पश्चिमी सायन अल्ताई पर्वत श्रंखला के पूर्वी छोर (89°पूर्व) से शुरू होकर पूर्वोत्तर की तरफ़ जाते हैं और करीब ६०० किमी बाद पूर्वी सायन श्रंखला से बीच में (९६°पूर्व पर) जा मिलते हैं। तूवा के इलाक़े से ज़रा दक्षिण-पश्चिम में सायन के ऊंचे पहाड़ और ठंडी झीलों के इर्द-गिर्द के जलसंभर के झरने सारे येनिसेय नदी में मिल जाते हैं। यह नदी उत्तर की ओर ३,२०० किमी (२,००० मील) का सफ़र तय कर के उत्तरध्रुवीय महासागर में जा मिलती है। १९४४ के बाद, कई दशकों तक सोवियत संघ ने इस इलाक़े को बाहरी दुनिया से बंद किया हुआ था, जिस वजह से आज भी यहाँ का वातावरण साफ़ और सुरक्षित है। .

देखें बयकाल झील और सायन पर्वत शृंखला

साइबेरिया

साइबेरिया का नक़्शा (गाढ़े लाल रंग में साइबेरिया नाम का संघी राज्य है, लेकिन लाल और नारंगी रंग वाले सारे इलाक़े साइबेरिया का हिस्सा माने जाते हैं गर्मी के मौसम में दक्षिणी साइबेरिया में जगह-जगह पर झीलें और हरियाली नज़र आती है याकुत्स्क शहर में 17वी शताब्दी में बना एक रूसी सैनिक-गृह साइबेरिया (रूसी: Сибирь, सिबिर) एक विशाल और विस्तृत भूक्षेत्र है जिसमें लगभग समूचा उत्तर एशिया समाया हुआ है। यह रूस का मध्य और पूर्वी भाग है। सन् 1991 तक यह सोवियत संघ का भाग हुआ करता था। साइबेरिया का क्षेत्रफल 131 लाख वर्ग किमी है। तुलना के लिए पूरे भारत का क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किमी है, यानि साइबेरिया भारत से क़रीब चार गुना है। फिर भी साइबेरिया का मौसम और भूस्थिति इतनी सख़्त है के यहाँ केवल 4 करोड़ लोग रहते हैं, जो 2011 में केवल उड़ीसा राज्य की आबादी थी। यूरेशिया का अधिकतर स्टॅप (मैदानी घासवाला) इलाक़ा साइबेरिया में आता है। साइबेरिया पश्चिम में यूराल पहाड़ों से शुरू होकर पूर्व में प्रशांत महासागर तक और उत्तर में उत्तरध्रुवीय महासागर (आर्कटिक महासागर) तक फैला हुआ है। दक्षिण में इसकी सीमाएँ क़ाज़ाक़स्तान, मंगोलिया और चीन से लगती हैं। .

देखें बयकाल झील और साइबेरिया

सेलेन्गा नदी

सेलेन्गा नदी और उसकी उपनदियों के मार्गों का नक़्शा सेलेन्गा नदी (मंगोल: Сэлэнгэ мөрөн, सेलेन्गे मोरोन; रूसी: Селенга; अंग्रेज़ी: Selenga) मंगोलिया और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के बुर्यातिया गणतंत्र की एक प्रमुख नदी है। यह इदेर नदी (Ider) और देलगेर नदी (Delgermörön) के विलय से बनती है और इसका पानी अंत में बायकल झील में एक नदीमुख (डेल्टा) बनाकर मिल जाता है। इसकी कुल लम्बाई ९९२ किमी है और यह येनिसेय-अंगारा नदी मंडल के लिए जल का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।, www.medeelel.mn, Accessed July 16, 2007 बायकल झील में जाने वाला लगभग आधा पानी इसी नदी से आता है।, Hellmuth Barthel, Haack, 1988 मंगोलिया के सेलेन्गे प्रान्त का नाम इसी नदी से आया है। .

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हिम तेन्दुआ

हिम तेन्दुआ (Uncia uncia) एक विडाल प्रजाति है जो मध्य एशिया में रहती है। यद्यपि हिम तेन्दुए के नाम में "तेन्दुआ" है लेकिन यह एक छोटे तेन्दुए के समान दिखता है और इनमें आपसी सम्बन्ध नहीं है। .

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जापानी बटेर

जापानी बटेर (Japanese quail या coturnix quail) (Coturnix japonica) बटेर कुल का एक पक्षी है। यह पूर्वी एशिया में प्रजनन करता है जिसमें उत्तरी मंगोलिया, रूस के साख़ालिन, बायकाल और वितिम इलाके, पूर्वोत्तर चीन, जापान, उत्तरी कोरिया तथा दक्षिणी कोरिया शामिल हैं। कुछ संख्या जापान से प्रवास नहीं करती है लेकिन अधिकतर पक्षी सर्दियों में दक्षिण में दक्षिणी चीन, लाओस, वियतनाम, कंबोडिया, म्यानमार, भूटान और पूर्वोत्तर भारत की ओर प्रवास कर जाते हैं। जिन जगहों पर इस पक्षी का मूल निवास है, या प्रचलित किया गया है अथवा यदा-कदा मिलता है वह इस प्रकार हैं:-.

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ओरख़ोन नदी

सेलेन्गा नदी के जलसम्भर का नक़्शा जिसमें ओरख़ोन नदी भी प्रदर्शित है ओरख़ोन नदी (मंगोल: Орхон гол, तूल गोल; अंग्रेज़ी: Orkhon River) मंगोलिया के उत्तरी भाग में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। यह अरख़ानगई प्रांत के ख़ानगई पर्वतों से शुरू होती है और १,१२४ किमी उत्तर की तरफ़ बहकर सेलेन्गा नदी में विलय कर जाती है, जिसका स्वयं आगे जाकर रूस की बायकल झील में विलय हो जाता है। ओरख़ोन मंगोलिया की सबसे लम्बी नदी है और तूल नदी और तामिर नदी इसकी मुख्य उपनदियाँ हैं। ओरख़ोन नदी की घाटी की मंगोलिया के इतिहास में अहम भूमिका रही है। इसके किनारे प्राचीन उईग़ुर ख़ागानत की राजधानी ओर्दु बालिक़ (Ordu Baliq) और मंगोल साम्राज्य की प्राचीन राजधानी काराकोरुम (Karakorum) के खँडहर स्थित हैं। इसी नदी के पास ओरख़ोन शिलालेख मिले हैं जो पुरानी तुर्की भाषा के सब से पुराने ज्ञात लेख हैं।, Michael Kohn, Lonely Planet, 2008, ISBN 978-1-74104-578-9,...

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इरकुत्स्क

रूस के नक़्शे में इरकुत्स्क ओब्लास्त (लाल रंग में) इरकुत्स्क (रूसी भाषा: Ирку́тск, अंग्रेज़ी: Irkutsk) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणपूर्वी भाग में स्थित इरकुत्स्क ओब्लास्त नामक प्रान्त की राजधानी है। अंगारा नदी के किनारे बसा हुआ यह शहर साइबेरिया के सबसे बड़े शहरों में से एक है और २०१० की जनगणना में इसकी आबादी ५,८७,२२५ गिनी गई थी। इसके पास अन्गार्स्क (Angarsk) और शेलेख़ोव (Shelekhov) शहर स्थित हैं जो इरकुत्स्क महानगर क्षेत्र का हिस्सा गिने जाते हैं और अगर इन्हें भी गिना जाए तो इरकुत्स्क महानगर की आबादी १० लाख के आसपास है। इरकुत्स्क में जुलाई में तापमान ३७.२ सेंटीग्रेड तक जा चुका है और सर्दियों में जनवरी में −४९.७ सेंटीग्रेड तक गिर भी चुका है। इतनी भयंकर सर्दी में शीतकालीन मौसम में किसी ज़माने में यहाँ दूध जमी हुई ईंटों में बिका करता था।, Henry Lansdell, Houghton, Mifflin, 1882,...

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अंगारा नदी

येनिसेय नदी का नक़्शा जिसमें अंगारा नदी का मार्ग भी देखा जा सकता है अंगारा नदी (रूसी: Ангара́; अंग्रेज़ी: Angara) रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिण-पूर्वी भाग में इरकुत्स्क ओब्लास्त और क्रस्नोयार्स्क क्राय राज्यों में बहने वाली १,७७९ किमी लम्बी एक नदी है। यह बयकाल झील से बाहर बहने वाली अकेली नदी है और साइबेरिया की महत्त्वपूर्ण येनिसेय नदी की एक उपनदी है। इरकुत्स्क ओब्लास्त के बहुत से प्रमुख शहर, जैसे कि इरकुत्स्क, अंगार्स्क, ब्रात्स्क और उसत-इलिम्स्क इसी के किनारे बसे हुए हैं। इलिम नदी इस नदी की एक उपनदी है और अंगारा नदी को इस से विलय करने से पहले 'ऊपरी तुंगुस्का नदी' (Верхняя Тунгуска, वेर्ख़न्याया तुंगुस्का, Upper Tunguska River) के नाम से भी जाना जाता है। ध्यान दे कि 'निचली तुंगुस्का नदी' (Нижняя Тунгуска, निझ़न्याया तुंगुस्का, Lower Tunguska River) येनिसेय नदी की एक अलग उपनदी है जो अंगारा नदी से भिन्न है।, Encyclopedia Britannica Online, Accessed 2006-10-26 .

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उलान-उदे

उलान-उदे रूस के बुर्यातिया प्रदेश की राजधानी है, जो बायकाल झील के दक्षिण-पूर्व में 100 किलोमीटर दूर स्थित है। जनसंख्या की दृष्टि से यह शहर पूर्वी साइबेरिया का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। 17वीं सदी के मध्य तक उलान-उदे में बुर्यात राजाओं का शासन था। बुर्यात मंगोल जाति से जुड़ी एक बौद्ध खानाबदोश जनजाति है। बुर्यात लोग मूल रूप से खानाबदोश चरवाहे हैं, जिनकी संस्कृति और भाषा मंगोलियाई और तिब्बती बौद्धों से मिलती-जुलती है। .

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2014 शीतकालीन ओलम्पिक

2014 का शीतकालीन ओलम्पिक, आधिकारिक रूप से XXII शीतकालीन ओलम्पिक खेल, या 22वां शीतकालीन ओलम्पिक सोची, रूस में आयोजित एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बहु-खेल प्रतियोगिता है। सात खेलों की 15 स्पर्धाओं में कुल 98 प्रतियोगिताएं आयोजित की गयी हैं। 7 से 23 फ़रवरी के बीच चलने वाले इन खेलों में कुल 12 नई प्रतियोगिताएं जोड़ी गयी हैं। खेल का प्राथमिक बजट 12 अरब अमेरिकी डॉलर का था, पर विभिन्न कारणों से यह बढ़कर 51 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। 44 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत पर बीजिंग में आयोजित हुए 2008 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक से इसका बजट अधिक होने के कारण इसे यह इतिहास के सबसे महंगे ओलंपिक के रूप में देखा जाता है। .

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बायकाल झील के रूप में भी जाना जाता है।