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बन्दा सिंह बहादुर

सूची बन्दा सिंह बहादुर

बन्दा सिंह बहादुर बैरागी एक सिख सेनानायक थे। उन्हें बन्दा बहादुर, लक्ष्मन दास और माधो दास भी कहते हैं। वे पहले ऐसे सिख सेनापति हुए, जिन्होंने मुग़लों के अजेय होने के भ्रम को तोड़ा; छोटे साहबज़ादों की शहादत का बदला लिया और गुरु गोबिन्द सिंह द्वारा संकल्पित प्रभुसत्तासम्पन्न लोक राज्य की राजधानी लोहगढ़ में ख़ालसा राज की नींव रखी। यही नहीं, उन्होंने गुरु नानक देव और गुरू गोबिन्द सिंह के नाम से सिक्का और मोहरे जारी करके, निम्न वर्ग के लोगों की उच्च पद दिलाया और हल वाहक किसान-मज़दूरों को ज़मीन का मालिक बनाया। .

12 संबंधों: पंजाब का इतिहास, बहादुर, लोहगढ़ (बिलासपुर), सन्त सिपाही, सरदार हरि सिंह नलवा, हिन्दी पुस्तकों की सूची/प, हेमचन्द्र विक्रमादित्य, जम्मू का युद्ध, जाट सिक्ख, वार (पंजाबी काव्य), १७ दिसम्बर, ९ जून

पंजाब का इतिहास

पंजाब शब्द का सबसे पहला उल्लेख इब्न-बतूता के लेखन में मिलता है, जिसनें 14वीं शताब्दी में इस क्षेत्र की यात्रा की थी। इस शब्द का 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में व्यापक उपयोग होने लगा, और इस शब्द का प्रयोग तारिख-ए-शेरशाही सूरी (1580) नामक किताब में किया गया था, जिसमें "पंजाब के शेरखान" द्वारा एक किले के निर्माण का उल्लेख किया गया था। 'पंजाब' के संस्कृत समकक्षों का पहला उल्लेख, ऋग्वेद में "सप्त सिंधु" के रूप में होता है। यह नाम फिर से आईन-ए-अकबरी (भाग 1) में लिखा गया है, जिसे अबुल फजल ने लिखा था, उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि पंजाब का क्षेत्र दो प्रांतों में विभाजित है, लाहौर और मुल्तान। इसी तरह आईन-ए-अकबरी के दूसरे खंड में, एक अध्याय का शीर्षक इसमें 'पंजाद' शब्द भी शामिल है। मुगल राजा जहांगीर ने तुज-ए-जान्हगेरी में भी पंजाब शब्द का उल्लेख किया है। पंजाब, जो फारसी भाषा की उत्पत्ति है और भारत में तुर्की आक्रमणकारियों द्वारा प्रयोग किया जाता था। पंजाब का शाब्दिक अर्थ है "पांच" (पंज) "पानी" (अब), अर्थात पांच नदियों की भूमि, जो इस क्षेत्र में बहने वाली पाँच नदियां का संदर्भ देते हैं। अपनी उपज भूमि के कारण इसे ब्रिटिश भारत का भंडारगृह बनाया गया था। वर्तमान में, तीन नदियाँ पंजाब (पाकिस्तान) में बहती हैं, जबकि शेष दो नदियाँ हिमाचल प्रदेश और पंजाब (भारत) से निकलती है, और अंततः पाकिस्तान में चली जाता है। .

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बहादुर

बहादुर (بهادر) एक आदरसूचक है जिसका अर्थ "साहसी" या "वीर" है। यह विशेषकर भारत तथा नेपालके क्षत्रिय वर्गोमें नाम की तरह प्रयोग में लिया जाता है। नेपालके शाहवंशी राजाने वीर विक्रम बहादुर शमशेर जंग देवनाम सदा समरविजयीनाम नामक उपाधि धारण किया था। इससे इनका उल्लेख हो सकता हैं: .

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लोहगढ़ (बिलासपुर)

लोहगढ़ हरियाणा के जमुनानगर जिले के बिलासपुर तहसील का एक ऐतिहासिक कस्बा है। यह कस्बा १७१० से १७१५ तक बंदा बैरागी द्वारा स्थापित प्रथम सिख राज्य की राजधानी था। .

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सन्त सिपाही

सिख दर्शन में सन्त सिपाही उस व्यक्ति के लिये प्रयुक्त होता है जो मूलतः सन्त हो और धर्म एवं न्याय की रक्षा के लिये 'सिपाही' (सैनिक) भी बन जाये। गुरू गोबिन्द सिंह एवं बन्दा सिंह बहादुर को सन्त सिपाही कहा जाता है।.

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सरदार हरि सिंह नलवा

सरदार हरि सिंह (1791 - 1837), सिक्ख महाराजा रणजीत सिंह के सेनाध्यक्ष थे जिन्होने पठानों से साथ कई युद्धों का नेतृत्व किया। रणनीति और रणकौशल की दृष्टि से हरि सिंह नलवा की तुलना भारत के श्रेष्ठ सेनानायकों से की जा सकती है। हरि सिंह नलवा ने कश्मीर पर विजय प्राप्त कर अपना लोहा मनवाया। यही नहीं, काबुल पर भी सेना चढ़ाकर जीत दर्ज की। खैबर दर्रे से होने वाले अफगान आक्रमणों से देश को मुक्त किया। इतिहास में पहली बार हुआ था कि पेशावरी पश्तून, पंजाबियों द्वारा शासित थे। महाराजा रणजीत सिंह के निर्देश के अनुसार हरि सिंह नलवा ने सिख साम्राज्य की भौगोलिक सीमाओं को पंजाब से लेकर काबुल बादशाहत के बीचोंबीच तक विस्तार किया था। महाराजा रणजीत सिंह के सिख शासन के दौरान 1807 ई. से लेकर 1837 ई. तक हरि सिंह नलवा लगातार अफगानों के खिलाफ लड़े। अफगानों के खिलाफ जटिल लड़ाई जीतकर नलवा ने कसूर, मुल्तान, कश्मीर और पेशावर में सिख शासन की व्यवस्था की थी। सर हेनरी ग्रिफिन ने हरि सिंह को "खालसाजी का चैंपियन" कहा है। ब्रिटिश शासकों ने हरि सिंह नलवा की तुलना नेपोलियन से भी की है। .

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हिन्दी पुस्तकों की सूची/प

* पंच परमेश्वर - प्रेम चन्द्र.

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हेमचन्द्र विक्रमादित्य

सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य या केवल हेमू (१५०१-१५५६) एक हिन्दू राजा था, जिसने मध्यकाल में १६वीं शताब्दी में भारत पर राज किया था। यह भारतीय इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण समय रहा जब मुगल एवं अफगान वंश, दोनों ही दिल्ली में राज्य के लिये तत्पर थे। कई इतिहसकारों ने हेमू को 'भारत का नैपोलियन' कहा है। .

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जम्मू का युद्ध

  परसुर में, बन्दा सिंह बहादुर की हार की बाद मुग़ल सामान्य मुहम्मद अमिन खान ने सिखों को जम्मू तक पीछा किया। जम्मू में, सिखों के लिया भरी हार मिली। .

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जाट सिक्ख

जाट सिख या पंजाबी भाषा में जट्ट सिक्ख (गुरमुखी: ਜੱਟ ਸਿੱਖ) सिख धर्म में यक़ीन रखने वाले जाट जाति के समुदाय को पुकारा जाता हैं। यह लोग भारत के राज्य पंजाब, उत्तरी राजस्थान, हरयाणा, दिल्ली के अलावा भारत भर में हर जगह निवास करते हैं थोड़ी थोड़ी सख्या में। जट्ट सिक्ख पूर्वी पाकिस्तान में भी बहुतायत संख्या में है। पंजाबी दलितों के बाद जाट सिख भारतीय पंजाब की सबसे बड़ी आबादी है। जाट सिख से सात जट्ट सिक्ख फ़िलहाल के समय कनाडा की संसद में सदस्य हैं। जाटों में सिक्ख जाटों ने जिस तरह से तरक़्क़ी की वो काबीले तारीफ़ हैं। जट्ट सिक्ख पांखड अंधविश्वास से कोसे दूर सच्चाई के मार्ग पर चलने वाली महान जाट क़ौम है। भगत सिंह,हरि सिंह नलवा, महाराजा रणजीत सिंह, बंदा सिंह बहादुर बैरागी(उप्पल गोत्री), करतार सिंह सराभा,(ग्रैवाल) उधम सिंह, इत्यादी बहुत से ऐसे महापुरूष रहे हैं जो जट्ट सिक्ख समुदाय से हैं। .

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वार (पंजाबी काव्य)

वार पंजाबी साहित्य का एक काव्यभेद, जो वर्णनात्मक शैली में लिखा जाता है। "वार" शब्द संस्कृत की "वृ' धातु से व्युत्पन्न है। "कीर्ति', "घेरा', "धावा' (आक्रमण), "बार बार', बाह्य (पंजाबी वाहर .

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१७ दिसम्बर

17 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 351वॉ (लीप वर्ष मे 352 वॉ) दिन है। साल में अभी और 14 दिन बाकी है। .

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९ जून

9 जून ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार इस वर्ष का 160वाँ (लीप वर्ष में 161 वाँ) दिन है। वर्ष में अभी और 205 दिन बाकी हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

बन्दा बहादुर, बंदा बहादुर, बंदा बैरागी, बंदा वैरागी, बंदा सिंह बहादुर

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