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फ्रेंच साहित्य

सूची फ्रेंच साहित्य

फ्रेंच साहित्य से तात्पर्य फ्रेंच भाषा में लिखे साहित्य से है। फ्रांस, बेल्जियम, स्विट्जरलैण्ड, कनाडा, सेनेगल, अल्जीरिया तथा मोरोक्को आदि के नागरिकों द्वारा रचित साहित्य 'फ्रेंचभाषी साहित्य' (Francophone literature) कहलाता है। वर्ष २००६ तक फ्रांसीसी भाषा के सहित्यकारों को अन्य किसी भाषा के साहित्यकारों से अधिक नोबेल पुरस्कार प्राप्त हैं। .

5 संबंधों: फ़्रान्सीसी भाषा, शातोब्रिआँ, ज्याँ क्रिस्तोफ, जोआकिम दु बेले, अनी मान्तो

फ़्रान्सीसी भाषा

फ़्रांसीसी भाषा (फ़्रांसीसी: français उच्चारण: फ़्रांसे) एक रोमांस भाषा है जो विश्वभर में लगभग ९ करोड़ लोगों द्वारा प्रथम भाषा के रूप में बोली जाती है। मूल रूप से इस भाषा को बोलने वाले अधिकांश लोग फ़्राँस में रहते हैं जहाँ इस भाषा का जन्म हुआ था। इस भाषा को बोलने वाले अन्य क्षेत्र ये हैं- अधिकांश कनाडा, बेल्जियम, स्विटज़रलैंड, अफ़्रीकी फ़्रेंकोफ़ोन, लक्ज़म्बर्ग और मोनाको। फ्रांसी भाषा १९ करोड़ लोगों द्वारा दूसरी भाषा के रूप में और अन्य २० करोड़ द्वारा अधिग्रहित भाषा के रूप में बोली जाती है। विश्व के ५४ देशों में इस भाषा को बोलने वालों की अच्छी भली संख्या है। फ़्रांसीसी रोमन साम्राज्य की लैटिन भाषा से निकली भाषा है, जैसे अन्य राष्ट्रीय भाषाएँ - पुर्तगाली, स्पैनिश, इटालियन, रोमानियन और अन्य अल्पसंख्यक भाषाएँ जैसे कैटेलान इत्यादि। इस भाषा के विकासक्रम में इसपर मूल रोमन गौल की कैल्टिक भाषाओं और बाद के रोमन फ़्रैकिश आक्रमणकारियों की जर्मनेक भाषा का प्रभाव पड़ा। यह २९ देशों में एक आधिकारिक भाषा है, जिनमें से अधिकांशतः ला फ़्रेंकोफ़ोनी नामक फ़्रांसीसी भाषी देशों के समुह से हैं। यह सयुंक्त राष्ट्र की सभी संस्थाओं की और अन्य बहुत से अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भी आधिकारिक भाषा है। यूरोपीय संघ के अनुसार, उसके २७ सदस्य राष्ट्रों के १२.९ करोड़ (४९,७१,९८,७४० का २६%) लोग फ़्रांसीसी बोल सकते हैं, किसमें से ६.५ करोड़ (१२%) मूलभाष्ई हैं और ६.९ करोड़ (१४%) इसे दूसरी भाषा के रूप में बोल सकते हैं, जो इसे अंग्रेज़ी और जर्मन के बाद संघ की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा बनाता है। इसके अतिरिक्त २० वीं शताब्दी के प्रारंभ में अंग्रेज़ी के अधिरोहण से पहले, फ़्रांसीसी यूरोपीय और औपनिवेशिक शक्तियों के मध्य कूटनीति और संवाद की प्रमुख भाषा थी और साथ ही साथ यूरोप के शिक्षित वर्ग की बोलचाल की भाषा भी थी। .

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शातोब्रिआँ

शातोब्रिआँ शातोब्रिआँ (François-René, vicomte de Chateaubriand; फ्रेंच उच्चारण: ​; 1768-1848) फ्रांस के लेखक, राजनेता, इतिहासकार तथा राजनयिक थे। वे फ्रांसीसी साहित्य में रोमांटिसिज्म (Romanticism) के संस्थापक माने जाते हैं। .

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ज्याँ क्रिस्तोफ

ज्याँ क्रिस्तोफ (JEAN-CHRISTOPHE) फ्रांस के सुप्रसिद्ध साहित्यकार रोमां रोलां लिखित वृहद् उपन्यास है, जिस पर उन्हें 1915 ई० में साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था। .

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जोआकिम दु बेले

जोआकिम दु बेले (Joachim du Bellay या Joachim Du Bellay;; 1522 ई – 1 जनवरी 1560) एक फ्रान्सीसी कवि, आलोचक एवं प्लीदे (Pléiade) का सदस्य था। उसका जन्म आंजु के निकट लिरे में सन् १५२५ में हुआ था। छोटी अवस्था में ही उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई। बड़े भाई ने उनकी शिक्षा पर समुचित ध्यान नहीं दिया। उसने २३ वर्ष की अवस्था में पातिएर में कानून का, और तदुपरांत पेरिस में साहित्य का अध्ययन किया। सन् १५४७ में पातिएर जाते समय मार्गस्थित एक पांथशाला में अकस्मात् रासार से उनकी भेंट हुई जिसके परिणामस्वरूप 'प्लेयाद' (सप्त-कवि-मंडल) की स्थापना हुई। प्लेयाद का नामकरण 'तोमेली' नामक राजा के समय के अलेग्ज़ैंड्रिव कवियों के आधार पर हुआ। दु बेले ने इस कविमंडल की एक घोषणा (१५४९) लिखी है जिसका नाम है 'ला दे फ्रांस ए लिलु स्त्रासियों दे ला लांग फ्रासेस'। उनकी पुस्तक 'आलिव' फ्रेंच साहित्य में अपने ढंग की प्रथम सॉनेट-शृंखला है। इसका स्वरूप पेट्रियार्कियन है और इसमें मादमासेल दि व्हिआल के प्रति आध्यात्मिक प्रेम का विशद वर्णन है। जोआकिम अपने चचेरे भाई कार्डिनल दु बेले के साथ, जो रोम के राजदूत थे (१५५३), सेक्रेटरी बनकर गए। वहाँ चार वर्ष के प्रवासकाल में आपने ग्रीक, लैटिन और इटैलियन साहित्य का विस्तृत अध्ययन किया जिसके परिणामस्वरूप 'लेआंतिकिते द रोम' और 'ले रग्रे' की रचना हुई। वहाँ से फ्रांस लौटने पर आपने लेव्हैर रुतिक, 'ले पोएत कुर्जिजां' और लैटिन के दो पद्यसंग्रह प्रकाशित किए। निर्धनता एवं अस्वस्थता के कारण अल्पावस्था में ही १८ जनवरी, सन् १५६० को आपका देहांत हो गया। आप स्वच्छंदतावाद की प्रतिष्ठा के पूर्व ही स्वच्छंतावादी (रोमेंटिसिस्ट) थे। आपकी कविताओं में मैत्री, देशभक्ति तथा प्रेम का चित्रण प्रधान है। आपकी कविताओं में रूपसौंदर्य के साथ साथ भावों की कोमलता भी दिखाई पड़ती है। फ्रांस में सानेट 'सें जैले' द्वारा आरंभ किया गया किंतु उसका प्रचलन दु बेले द्वारा ही हुआ। पोएम कुर्तिजा दरबारी कवियों का व्यंग्यचित्र है। इसी सर्वोकृष्ट व्यंग्यकाव्य ने फ्रेंच भाषा में व्यंग्य एवं परिहास का शुभारंभ किया। लेव्हेर रुस्तिक में सुंदर ग्राम्य चित्र हैं। ले जांतिकिते द रोम में, जो एडमंड द्वारा अंग्रेजी में अनूदित है, रोम की प्राचीन गारिमा के प्रतिकूल उसकी वर्तमान भ्रष्टताजनित कविहृदय के विषाद की अभिव्यक्ति है। ले रेग्रे में लायर नदी के तट के प्रति कवि का व्यक्त अनुराग तथा उसकी रोमन प्रेमिका फासतिना के वियोग में लिखे गए सानेट हैं। यदि आपकी कविताओं की तुलना आपके पूर्ववर्ती श्रेष्ठ कवियों की रचनाओं से की जाय तो आपमें बलवत्तर मूर्तिमत्ता, गीत की प्रलंबता, भाषा का अधिक सौष्ठव तथा अनुभव का बृहत्तर विस्तार दिखाई पड़ता है। 'ला देफास' फ्रेंच कवि 'मारो' के प्रतिकूल रॉसार संप्रदाय की काव्यसंबंधी घोषणा है। यह सिविले के 'आर पोएतिक' का खंडनमंडन-कारी पूरक ग्रंथ है। इसमें पुरातनता के अनुकरण, ग्रीक एवं लैटिन शब्दों के विवेकपूर्ण ग्रहण द्वारा फ्रेंच भाषा की समृद्धि, प्राचीन विस्मृत फ्रेंच शब्दों के पुनर्ग्रहण, टेकनिकल शब्दावली के प्रयोग और पुराने फ्रेंच स्वरूपों के स्थान पर क्लैसिकल स्वरूपों की स्थापना का समर्थन किया गया है। 'ला दे फ्रांस' ने कविता के सम्मान की स्थापना की और क्लैसिकल सिद्धांत पर बल दिया। 'प्लेयाद' (सप्तकविमंडल) ने स्वच्छंद क्रांति द्वारा फ्रेंच कविता की महत्ता बढ़ाने का प्रयत्न किया जो केवल विकासात्मक प्रणाली द्वारा प्रतिष्ठित करना तथा उसे सभी प्रकार के विषयों एवं विचारों की अभिव्यक्ति का साधन बनाना था। श्रेणी:फ्रांसीसी साहित्यकार.

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अनी मान्तो

अनी मान्तो (Annie Montaut) पेरिस स्थित 'इंस्टिट्युट नेशनल डेस् लान्गूज ओरिएण्टलिस / INALCO) में हिन्दी एवं सामान्य भाषाविज्ञान की प्रोफेसर हैं। उन्होने हिन्दी का व्याकरण, 'ला लान्गू हिन्दी' (La langue Hindi), Littératures de l’Inde et poétiques plurielles तथा पुरुषार्थ आदि पुस्तकों की रचना की है। उन्होने हिन्दी भाषाविज्ञान, भारतीय भाषाविज्ञान तथा हिन्दी साहित्य के ऊपर वैज्ञानिक जर्नलों में १५० से अधिक शोधपत्र प्रकाशित की हैं। उन्हें भारतीय अनुवाद परिषद द्वारा गार्गी गुप्त अनुवादश्री सम्मान प्रदान किया गया। .

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