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फोटोडायोड

सूची फोटोडायोड

अलग-अलग प्रकार के फोटोडायोड फोटोडायोड (photodiode) एक अर्धचालक युक्ति है जो प्रकाश को विद्युत ऊर्जा (या, विद्युत धारा) में बदलती है। दूसरे शब्दों में, यदि फोटोडायोड किसी लोड से जुडा है और इस पर प्रकाश आपतित होता है, तो इसमें विद्युत धारा बहने लगती है। सौर सेल (solar cell) भी एक फोटोडायोड है जिसका उपयोग प्रकाश से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने के लिये किया जाता है। फोटोडायोड का उपयोग प्रकाश संसूचक (फोटो-डिटेक्टर) की तरह भी किया जा सकता है।;फोटो डायोड के लिए प्रयोग किये जाने वाले पदार्थ: * सिलिकन - वेव लेंथ रेंज (nm) १९० - ११०० * जेर्मेनियम - वेव लेंथ रेंज (nm) ४०० - १७०० * इन्डियम गालियम आर्सेनाइड - ८०० - २६०० * लेड सल्फाइड - < १००० - ३५०० .

6 संबंधों: प्रकाश संसूचक, प्रकाश-विलगक, सौर सेल, विद्युतीय प्रतीक, इमेज स्कैनर, इलेक्ट्रॉनिक अवयव

प्रकाश संसूचक

चित्र:Photomultiplier 6363 04.jpg|फोटोमल्टिप्लायर चित्र:Photomultiplier 6363 02.jpg|फोटोमल्टीप्लायर चित्र:Ccd-sensor.jpg|CCD-सेन्सर चित्र:Photodiode-closeup.jpg|फोटोडायोड चित्र:fototransb.jpg|फोटोट्रान्जिस्टर् चित्र:Fotocelda.jpg|फोटोरेजिस्टर प्रकाश संसूचक (Photosensors या photodetectors) एक युक्ति है जो प्रकाश या किसी अन्य विद्युतचुम्बकीय ऊर्जा (जैसे, ऊष्मा, एक्स-किरण आदि) की उपस्थिति/अनुपस्थिति की सूचना बताती है। .

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प्रकाश-विलगक

कुछ प्रकाश-युग्मक एक प्रकाश-युग्मक की क्रियाविधि इलेक्ट्रॉनिकी में प्रकाश-विलगक (opto-isolator) वह इलेक्ट्रॉनिक अवयव है जो किसी विद्युत संकेत को प्रकाश के माध्यम से एक परिपथ से दूसरे परिपथ में भेज सकता है, जो पहले परिपथ से विलगित (आइसोलेटेड) हो। इस प्रकार यह दो अलग-अलग वोल्तता पर स्थित परिपथों के बीच संकेतों का आदान-प्रदान कर सकता है। इस प्रकार इसका कार्य एक विलगक (आइसोलेटर) का है। किन्तु इसे प्रकाश-युग्मक (optocoupler या photocoupler) भी कहते हैं क्योंकि यह परस्पर विलगित दो परिपथों को संकेत द्वारा 'जोड़ने' का काम भी करता है। वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध प्रकाश-विलगक १० हजार वोल्ट तक विलगन प्रदान करते हैं तथा 10 kV/μs तक के वोल्टेज परिवर्तन सह सकते हैं। सबसे सामान्य प्रकाश-विलगक में एक प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) तथा एक फोटोट्रान्जिस्टर होता है। ये दोनों एक ही अपारदर्शी पैकेज के अन्दर निर्मित होते हैं। प्रायः प्रकाश-विलगकों का उपयोग अंकीय संकेतों (on-off) के संचार के लिये किया जाता है किन्तु कुछ विधियों का उपयोग करके इन्हें अनुरूप संकेतों के साथ भी काम में लिया जा सकता है। .

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सौर सेल

मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन वैफ़र से बना सौर सेल सौर बैटरी या सौर सेल फोटोवोल्टाइक प्रभाव के द्वारा सूर्य या प्रकाश के किसी अन्य स्रोत से ऊर्जा प्राप्त करता है। अधिकांश उपकरणों के साथ सौर बैटरी इस तरह से जोड़ी जाती है कि वह उस उपकरण का हिस्सा ही बन जाती जाती है और उससे अलग नहीं की जा सकती। सूर्य की रोशनी से एक या दो घंटे में यह पूरी तरह चार्ज हो जाती है। सौर बैटरी में लगे सेल प्रकाश को समाहित कर अर्धचालकों के इलेक्ट्रॉन को उस धातु के साथ क्रिया करने को प्रेरित करता है।। हिन्दुस्तान लाइव। ३१ मार्च २०१० एक बार यह क्रिया होने के बाद इलेक्ट्रॉन में उपस्थित ऊर्जा या तो बैटरी में भंडार हो जाती है या फिर सीधे प्रयोग में आती है। ऊर्जा के भंडारण होने के बाद सौर बैटरी अपने निश्चित समय पर डिस्चार्ज होती है। ये उपकरण में लगे हुए स्वचालित तरीके से पुनः चालू होती है, या उसे कोई व्यक्ति ऑन करता है। सौर सेल का चिह्न एक परिकलक में लगे सौर सेल अधिकांशतः जस्ता-अम्लीय (लेड एसिड) और निकल कैडमियम सौर बैटरियां प्रयोग होती हैं। लेड एसिड बैटरियों की कुछ सीमाएं होती हैं, जैसे कि वह पूरी तरह चार्ज नहीं हो पातीं, जबकि इसके विपरीत निकल कैडिमयम बैटरियों में यह कमी नहीं होती, लेकिन ये अपेक्षाकृत भी होती हैं। सौर बैटरियों को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में भी प्रयोग करने हेतु भी गौर किया जा रहा है। अभी तक, इन्हें केवल छोटे इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों में प्रयोगनीय समझा जा रहा है। पूरे घर को सौर बैटरी से चलाना चाहे संभव हो, लेकिन इसके लिए कई सौर बैटरियों की आवश्यकता होगी। इसकी विधियां तो उपलब्ध हैं, लेकिन यह अधिकांश लोगों के लिए अत्यधिक महंगा पड़ेगा। बहुत से सौर सेलों को मिलाकर (आवश्यकतानुसार श्रेणीक्रम या समानान्तरक्रम में जोड़कर) सौर पैनल, सौर मॉड्यूल, एवं सौर अर्रे बनाये जाते हैं। सौर सेलों द्वारा जनित उर्जा, सौर उर्जा का एक उदाहरण है। .

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विद्युतीय प्रतीक

बहुधा प्रयुक्त विद्युतीय प्रतीक विद्युत अभियांत्रिकी तथा इलेक्ट्रॉनिकी में किसी परिपथ के चित्रमय प्रदर्शन के लिये उस परिपथ में प्रयुक्त विभिन्न अवयवों (जैसे तार, बैटरी, डायोड, प्रतिरोध आदि के लिये मानक प्रतीक उपयोग किये जाते हैं। आजकल लगभग सभी देशों में लगभग एक समान प्रतीक प्रयोग किये जा रहे हैं। किसी अवयव का प्रतीक काफी सीमा तक उस अवयव के किसी प्रमुख गुणधर्म को चित्रित करता है। .

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इमेज स्कैनर

इमेज स्कैनर. कम्प्यूटर जगत में, एक स्कैनर एक ऐसा उपकरण है, जो चित्रों, मुद्रित पाठ्य-सामग्री, हस्तलेखन या किसी वस्तु को प्रकाशीय रूप से स्कैन करता है और इसे एक डिजिटल चित्र में रूपांतरित करता है। कार्यालयों में पाये जाने वाले आम उदाहरणों में विभिन्न प्रकार के डेस्कटॉप (या फ्लैटबेड) स्कैनर शामिल हैं, जिनमें दस्तावेज को स्कैनिंग के लिये कांच की एक सतह पर रखा जाता है। हैण्ड-हेल्ड स्कैनर्स (Hand-held scanners), जिनमें उपकरण को हाथ से हिलाया जाता है, का विकास पाठ्य-सामाग्री को स्कैन करनेवाली "छड़ियों" से लेकर औद्योगिक डिज़ाइन, रिवर्स इंजीनियरिंग, परीक्षण और मापन, ऑर्थोटिक्स (Orthotics), खेलों और अन्य अनुप्रयोगों के लिये प्रयुक्त 3D स्कैनर्स तक हुआ है। यांत्रिक रूप से संचालित होने वाले स्कैनर्स, जो दस्तावेज को घुमाते हैं, का प्रयोग सामान्यतः बड़े-प्रारूप वाले दस्तावेजों के लिये किया जाता है, जहां फ्लैट-बेड का प्रयोग अव्यावहारिक होगा। आधुनिक स्कैनर्स में चित्र संवेदक के रूप में विशिष्ट तौर पर एक चार्ज-कपल्ड डिवाइस (charge-coupled device) (CCD) या एक कॉन्टैक्ट इमेज सेंसर (Contact Image Sensor) (CIS) का प्रयोग किया जाता है, जबकि पुराने ड्रम स्कैनर चित्र संवेदक के रूप में एक फोटोमल्टीप्लायर ट्यूब (Photomultiplier Tube) का प्रयोग करते हैं। एक रोटरी स्कैनर, जिसका प्रयोग उच्च-गति से दस्तावेज की स्कैनिंग करने के लिये किया जाता है, ड्रम स्कैनर का एक अन्य प्रकार है, जिसमें फोटोमल्टिप्लायर के स्थान पर एक CCD की एक श्रृंखला का प्रयोग होता है। प्लैनेटरी स्कैनर, जो पुस्तकों और दस्तावेजों के चित्र लेते हैं, तथा 3D स्कैनर, जिनका प्रयोग वस्तुओं के त्रि-आयामी मॉडल बनाने के लिये किया जाता है, स्कैनर्स के अन्य प्रकार हैं। स्कैनर की एक अन्य श्रेणी में डिजिटल कैमरा स्कैनर शामिल हैं, जो रेप्रोग्राफिक (Reprographic) कैमरा की संकल्पना पर आधारित होते हैं। लगातार बढ़ते रेज़ॉल्युशन और कम्पन-प्रतिरोध जैसी नई विशेषताओं के कारण, डिजिटल कैमरे सामान्य स्कैनर्स के एक आकर्षक विकल्प बन गये हैं। यद्यपि पारंपरिक स्कैनर्स की तुलना में अभी भी इनमें कुछ कमियां (जैसे विरूपण, परावर्तन, छाया, निम्न कॉन्ट्रास्ट) उपस्थित हैं, तथापि, डिजिटल कैमरे कुछ लाभ भी प्रदान करते हैं, जैसे गति, सुवाह्यता और किसी पुस्तक के जोड़ (Spine) को हानि पहुंचाए बिना मोटे दस्तावेजों का सौम्य अंकीकरण करना। नई प्रौद्योगिकियां 3D स्कैनर्स को डिजिटल कैमरों के साथ संयोजित करके वस्तुओं के पूर्ण-रंगीन, प्रकाश-यथार्थवादी 3D प्रतिमान निर्मित करती हैं। जैव-चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में, DNA सूक्ष्म-श्रृंखलाओं की पहचान के लिये प्रयुक्त उपकरणों को भी स्कैनर कहा जाता है। ये स्कैनर सूक्ष्मदर्शियों के समान उच्च-रेज़ॉल्युशन (1 1 µm/पिक्सेल तक) वाले सिस्टम होते हैं। पहचान का कार्य CCD या एक फोटोमल्टिप्लायर ट्यूब (PMT) के माध्यम से किया जाता है। .

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इलेक्ट्रॉनिक अवयव

कुछ प्रमुख '''इलेक्ट्रॉनिक अवयव''' जिन विभिन्न अवयवों का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक परिपथ (जैसे- आसिलेटर, प्रवर्धक, पॉवर सप्लाई आदि) बनाये जाते हैं उन्हें इलेक्ट्रॉनिक अवयव (electronic component) कहते हैं इलेक्ट्रॉनिक अवयव दो सिरे वाले, तीन सिरों वाले या इससे अधिक सिरों वाले होते हैं जिन्हें सोल्डर करके या किसी अन्य विधि से (जैसे स्क्रू से कसकर) परिपथ में जोड़ा जाता है। प्रतिरोधक, प्रेरकत्व, संधारित्र, डायोड, ट्रांजिस्टर (या बीजेटी), मॉसफेट, आईजीबीटी, एससीआर, प्रकाश उत्सर्जक डायोड, आपरेशनल एम्प्लिफायर एवं अन्य एकीकृत परिपथ आदि प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक अवयव हैं। प्रमुख एलेक्ट्रॉनिक अवयवों के प्रतीक .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

प्रकाश चालकीय डायोड, प्रकाश ट्रांजिस्टर, फोटोट्रान्जिस्टर

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