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फ़्लोरेन्स

सूची फ़्लोरेन्स

यह इटली का एक प्रमुख नगर है। .

49 संबंधों: ए सी एफ फिओरेंटीना, एडिनबर्ग, एर्लिनएयर, एलिज़ाबेथ गोन्ज़ागा का चित्र, ताश, तिराना, दांते एलीगियरी, दुच्चिओ दि बुओसेग्ना, दोमेनिको घिर्लांदाइयो, निकोलो मैकियावेली, पर्चिनकारी, प्रादा, फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल, फ़ैशन डिज़ाइनर, बार्तोलोमियो क्रिस्टोफोरी, बैंक, बेथलहम, बोतोलोमो कादुसी, मत्तेयो रेनजी, मानवतावाद, मिलानो, मोना लीज़ा, यूरोप में विश्व धरोहर स्थलों की सूची, यूरोपीय धर्मसुधार, राज्य, रॉबर्ट ब्राउनिंग, रॉबर्ट बॉयल, रीगा, लिओनार्दो दा विंची, लुइगी फेर्री, लोरेंज़ो मोनाको, सांति दी टिटो, सिंह (पशु), स्टीक, हिराम पावर्स, ईवान आईवाज़ोवस्की, विश्व देवालय (पैन्थियन), रोम, विश्व धरोहर, विश्व धरोहर समिति, विश्वविद्यालय, वैश्वीकरण, गुईडीबाल्डो डि मोंटेफेल्ट्रो का चित्र, ओपेरा (गीतिनाटक), इटली, इतालवी साहित्य, कांस्य पदक, अमेदिओ मोदिग्लिआनी, १५०४, ८ सितम्बर

ए सी एफ फिओरेंटीना

ए सी एफ फिओरेंटीना, आमतौर पर बस फिओरेंटीना के रूप में संदर्भित, फ्लोरेंस, तुस्कन्य् से एक पेशेवर इतालवी फुटबॉल क्लब है। 1926 में एक विलय (फिर से 2002 निम्नलिखित दिवालियापन में स्थापित) द्वारा स्थापित, फिओरेंटीना अपने अस्तित्व के बहुमत के लिए इतालवी फुटबॉल के शीर्ष स्तर पर खेला है, केवल चार क्लब अधिक सेरी ए सीजन में निभाई है। फिओरेंटीना 1955-56 में और फिर 1968-69 में दो इतालवी चैंपियनशिप जीत ली है, साथ ही छह कोप्पा इटालिया ट्राफियां और एक इतालवी सुपर कप जीतने जैसा है। यूरोपीय मंच पर, फिओरेंटीना 1960-61 में यूईएफए कप विनर्स कप जीता था और बाद में अंतिम एक साल खो दिया। वे रियल मैड्रिड के खिलाफ खोने, 1956-57 यूरोपीय कप में उपविजेता और भी 1989-90 के सत्र में उपविजेता के रूप में परिष्करण, करीब यूईएफए कप जीतने के लिए आया था। 1931 के बाद से, क्लब वर्तमान में 47,282 की क्षमता है, जो स्तदिओ अर्तेमिओ फ्रन्छि में खेला है। .

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एडिनबर्ग

एडिनबर्ग या एडिनबर (Edinburgh,अंग्रेजी उच्चारण: / ए॑डिन्बर / Dùn Èideann डुन एडिऽन्न), स्कॉटलैंड की राजधानी, एवं ग्लासगो के बाद, स्कॉटलैंड का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह स्काॅटलैन्ड के लोथियन क्षेत्र में फ़ाॅर्थ के नदमुख के दक्षिणी तट पर स्थित है। वर्ष 2013 के हिसाब से,इस शहर की आबादी 5,00,000 के करीब है। 15वीं सदी से ही यह ऐतिहासिक शहर स्कॉटलैंड की राजधानी है। शुरुआत से ही स्काॅटियाई राजशाही के सारे महत्वपूर्ण प्रशासनिक भवन इसी शहर में ही स्थित हुआ करते थे, परंतू 1603 और 1707 के बीच, इंग्लैंड से विलय के पश्चात इस शहर की काफ़ी राजनैतिक ताकत लंदन चली गई। 1999 में स्कॉटिश संसद को स्वायत्त रूप से शाही धोषणा द्वारा स्थापित किया गया तब से यह शहर स्काॅटलैंड की संसद व स्काॅटलैंड में राजगद्दी का आसन है। स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय संग्रहालय, स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय पुस्तकालय और स्कॉटलैंड की अन्य महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्थाओं के मुख्यालय व नेशनल गैलरी यहीं एडिनबर्ग में स्थित हैं। आर्थिक रूप से, यह यूके में लंदन के बाहर का सबसे बड़ा वित्तीय केंद्र है। एडिनबर्ग का इतिहास काफ़ी लम्बा है, एवं यहां कई ऐतिहासिक इमारतों को भी अच्छी तरह से संरक्षित देखे जा सकते हैं। एडिनबर्ग कासल, हाॅलीरूड पैलेस, सेंट जाइल्स कैथेड्रल और कई अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतें यहां स्थित हैं। एडिनबर्ग का ओल्ड टाउन और न्यू टाउन, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं। 2004 में, एडिनबर्ग विश्व साहित्य में पहला शहर बन गया। साथी यह ऐतिहासिक रूप से शिक्षा का भी एक विकसित केन्द्र रहा है, यहाँ स्थित, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, ब्रिटेन के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है, एवं यह अब भी दुनिया के शीर्ष सिक्षा संस्थानों में शामिल है। इसके अलावा एडिनबर्ग अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और यहां आयोजित किये गए अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी विश्वविख्यात समारोहों में से एक है। लंडन के बाद ब्रिटेन में, एडिनबर्ग दूसरा सबसे बड़ा पर्यटन केन्द्र है। .

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एर्लिनएयर

सोएटेटे एर्लिनएयर एक फ्रांसीसी क्षेत्रीय एयरलाइन है जो रुंगिस, फ्रांस में स्थित है, यह एयरलाइन निर्धारित किए गए क्षेत्रीय उड़ानें संचालित करती हैं (जिनमें से कुछ एयर फ्रांस की ओर से हैं) और अपने विमान पट्टे को लीज पर देती। इस एयरलाइन ने अपना केंद्र पेरिस-ओरली हवाई अड्डे और लीओन-सैंट एक्स्प्रेरी हवाई अड्डे पर स्थापित की हैं। एयर फ़्रांस की क्षेत्रीय सहयोगी के रूप में यह पेरिस-चार्ल्स डी गॉल एयरपोर्ट से उड़ानों का संचालन करता है। .

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एलिज़ाबेथ गोन्ज़ागा का चित्र

एलिज़ाबेथ गोन्ज़ागा का चित्र (Portrait of Elisabetta Gonzaga) पुनर्जागरण काल में प्रसिद्ध चित्रकार राफेल द्वारा रचित चित्र है। यह इटली के शहर फ्लोरेंस के उफ़िज़ी गैलरी नामक कला संग्रहालय में रखा हुआ है। .

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ताश

साइकिल ब्रांड के कुछ विशिष्ट अंग्रेज़-अमेरिकी ताश के पत्ते ताश मोटे-भारी कागज़, पतले गत्ते, या पतले प्लास्टिक से विशेष रूप से बनी होती है; जिसमें पहचान के लिए अलग रूपांकन बने होते हैं और उनका इस्तेमाल ताश के खेल के लिए एक सेट के रूप में किया जाता है। खेल में सुविधा के लिए आमतौर पर ताश के पत्ते हथेली के आकार के होते हैं। ताश के एक पूरे सेट को पैक या डेक कहते हैं और एक खेल के दौरान एक बार में एक खिलाड़ी द्वारा उठाये गए पत्तों के सबसेट को सामान्यतः हैण्ड कहा जाता है। ताश के एक डेक से अनेक प्रकार के पत्ते के खेल खेले जा सकते हैं, उनमें से कुछ जुआ में भी शामिल हो सकते हैं। चूंकि ताश मानकीकृत हो चुके हैं और आम तौर पर उपलब्ध हैं, सो उनका अन्य इस्तेमाल भी होने लगा है, जैसे कि हाथ की सफाई, भविष्यवाणी, गूढ़लेखन, बोर्ड गेम, या ताश के घर बनाना.

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तिराना

तिराना (अल्बानियाई: Tiranë) अल्बानिया की राजधानी और सबसे बड़ा नगर है। २००८ के अनुमान के अनुसार यहाँ की जनसंख्या लगभग ९ लाख है। तिराना की स्थापना सुलेज्मन पाशा द्वारा १६१४ में की गई थी और १९२० यह नगर अल्बानिया की राजधानी बना। यह नगर १६१४ में सुलेज्मान पाशा द्वारा स्थापित किया गया था और १९२० में अल्बानिया की राज्धानी बना। तिराना नगरपालिका इशेम नदी के किनारे स्थित है और तिराना जिले में स्थित है। तिराना समुद्र तल से १०० मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और अधिकत ऊँचाई वाला बिन्दू १,८२८ मीटर पर स्थित है। इसके अतिरिक्त दो मुख्य नदियां यहाँ से होकर बहती हैं: लाने और तिराने। नगर में चार कृत्रिम झीले भी हैं: तिराना झील, कोदर-कामेज़ झील, फारका झील और टुफिना झील। यह नगर उसी समानान्तर पर स्थित है जिस पर नेपल्स, मैड्रिड और इस्तांबुल स्थित हैं और इसकी मध्याह्न रेखा वही है जो बुडापेस्ट और क्राकौव की है। .

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दांते एलीगियरी

दाँते एलीगियरी (मई/जून १२६५ – १४ सितंबर, १३२१) मध्यकाल के इतालवी कवि थे। ये वर्जिल के बाद इटली के सबसे महान कवि कहे जाते हैं। ये इटली के राष्ट्रकवि भी रहे। उनका सुप्रसिद्ध महाकाव्य डिवाइन कॉमेडिया अपने ढंग का अनुपम प्रतीक महाकाव्य है। इसके अतिरिक्त उनका गीतिकाव्य वीटा न्युओवा, जिसका अर्थ है नया जीवन, अत्यंत मार्मिक कविताओं का एक संग्रह है, जिसमें उन्होंने अपनी प्रेमिका सीट्रिस की प्रेमकथा तथा २३ वर्षों में ही उसके देहावसान पर मार्मिक विरह कथा का वर्णन किया है। इनका जन्म यूरोप में, इटली में हुआ था। ये फ्लोरेंस के नागरिक थे। उनका परिवार प्राचीन था, फिर भी उच्चवर्गीय नहीं था। उनका जन्म उस समय हुआ जब मध्ययुगीन विचारधारा और संस्कृति के पुनरुत्थान का प्रारम्भ हो रहा था। राजनीति के विचारों और कला संबंधी मान्यताओं में भी परिवर्तन हो रहा था। दांते इटली के सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं जिनके संबंध में अंग्रेज़ कवि शेली ने कहा है कि, दांते का काव्य उस सेतु के समान है जो काल की धारा पर बना है और प्राचीन विश्व को आधुनिक विश्व से मिलाता है। दांते ने लैटिन भाषा में ना लिखकर साधारण बोलचाल की इतालवी भाषा में अपना महाकाव्य लिखा मातृभाषा और लोकप्रचलित भाषा को अपनी महान कृतियों से गौरवान्वित किया। यह कार्य तुलसीदास के रामचरितमानस के भाषा में लिखने के समान था। वास्तव में यह समय विश्वभर में लोकभाषा की प्रतिष्ठा के आन्दोलन का समय था। भारत में भी रामानंद, ज्ञानेश्वर, नामदेव, विद्यापति, कबीर, सूर, तुलसीदास, इत्यादि ने इसी प्रकार लोकभाषा में साहित्य रचना का आन्दोलन किया।वास्तव में दांते का यह कार्य युगपरिवर्तन का शंखनाद था। इतालवी भाषा में डिवाइन कॉमेडिया द्वारा दांते का स्थान अमर है। दांते केवल कवि और विचारक ही नहीं थे, वरन वे राजनीतिक नेता और प्रशासक भी थे। उन्होंने फ्लोरेंस राज्य पर शासन भी किया। परन्तु उनके कला और काव्य-शास्त्र संबंधी विचार उनकी कृति दे वल्गरी एलोक्युओ में प्राप्त होते हैं। वे उत्कृष्ट कविता से ही संतुष्ट ना होकर यह भी बताते हैं, कि सर्वोत्कृष्ट कविता किन बातों पर निर्भर करती है। प्रेम जैसे विषयों को और लोकभाषाओं को अपनी रचनाओं में महत्त्व प्रदान करके उन्होंने ग्रीक और लैटिन परम्पराओं के विरुद्ध एक क्रांतिकारी पदान्यास किया। दांते के विचार से परिष्ठित सौष्ठवपूर्ण भाषा, उत्तम अभिव्यंजना शैली तथा उपयुक्त विषयवस्तु का सामंजस्य होने पर ही श्रेष्ठ रचना संभव हो सकती है। इस प्रकार दांते ने सर्वश्रेष्ठ रचना के लिए भद्दे और ग्राम्य शब्दों को छोड़कर लोकभाषा से और शिष्टभाषा से भी उत्तम शब्दों का चयन कर अपने काव्य की रचना की है। दे वल्गरी एलोक्युओ ग्रन्थ की जॉर्ज सेंट्स्बरी ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है। दांते के बाद इटली में उतना बड़ा महत्त्वपूर्ण काव्य चिन्तक क्रोचे के पूर्व नहीं हुआ। .

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दुच्चिओ दि बुओसेग्ना

दुच्चिओ दि बुओसेग्ना (१२५५-१३१८) सियना स्कूल का इतालीय चित्रकार था। .

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दोमेनिको घिर्लांदाइयो

दोमेनिको घिर्लांदाइयो द्वारा चित्रित गिवोवाना टोर्नाबोनी दोमेनिको घिर्लांदाइयो (Domenico Ghirlandaio; १४४९-९४) १५वीं शती के फ्लोरेंस का प्रख्यात भित्तिचित्रकार, आकृतियों, वातावरण, भूदृश्यादि के यथार्थ अंकन में प्रवीण। उसका मूल नाम 'दोमोनिको दि तोमासो बिगोर्दी' थी। उसकी प्रारंभिक भित्तिकृत्तियों पर उसके गुरुओं बाल्दोविनती और वेरोचो का प्रभाव स्पष्ट लक्षित है। उसके प्रधान भित्तिचित्र ब्रोत्सी के संत आंद्रिया के गिरजे, फ्लोरेंस तथा उसके आसपास के नगरों में लिखे गए। माईकेलैंजेलो उसका प्रमुख शिष्य था। .

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निकोलो मैकियावेली

मैकियावेली की प्रतिकृति निकोलो मैकियावेली (Niccolò di Bernardo dei Machiavelli) (३ मई १४६९ - २१ जून १५२७) इटली का राजनयिक एवं राजनैतिक दार्शनिक, संगीतज्ञ, कवि एवं नाटककार था। पुनर्जागरण काल के इटली का वह एक प्रमुख व्यक्तित्व था। वह फ्लोरेंस रिपब्लिक का कर्मचारी था। मैकियावेली की ख्याति (कुख्याति) उसकी रचना द प्रिंस के कारण है जो कि व्यावहारिक राजनीति का महान ग्रन्थ स्वीकार किया जाता है। मैकियावेली आधुनिक राजनीति विज्ञान के प्रमुख संस्थापकों में से एक माने जाते हैं। वे एक कूटनीतिज्ञ, राजनीतिक दार्शनिक, संगीतज्ञ, कवि और नाटककार थे। सबसे बड़ी बात कि वे फ्लोरिडा गणराज्य के नौकरशाह थे। 1498 में गिरोलामो सावोनारोला के निर्वासन और फांसी के बाद मैकियावेली को फ्लोरिडा चांसलेरी का सचिव चुना गया। लियानार्डो द विंसी की तरह, मैकियावेली पुनर्जागरण के पुरोधा माने जाते हैं। वे अपनी महान राजनीतिक रचना, द प्रिंस (राजनीतिक शास्त्र), द डिसकोर्स और द हिस्ट्री के लिए मशहूर हुए जिनका प्रकाशन उनकी मृत्यु (1532) के बाद हुआ, हालांकि उन्होंने निजी रूप इसे अपने दोस्तों में बांटा। एकमात्र रचना जो उनके जीवनकाल में छपी वो थी द आर्ट ऑफ वार.

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पर्चिनकारी

पोप क्लेमेण्ट अष्टम, पीट्रा ड्यूरे में पीट्रा ड्यूरे (या पर्चिनकारी, दक्षिण एशिया में, या पच्चीकारी हिन्दी में), एक ऐतिहासिक कला है। इसमें उत्कृष्ट पद्धति से कटे, व जड़े हुए, तराशे हुए एवं चमकाए हुए रंगीन पत्थरों के टुकड़ो से पत्थर में चित्रकारी की जाती है। यह सजावटी कला है। इस कार्य को, बनने के बाद, एकत्र किया जाता है, एवं अधः स्तर पर चिपकाया जाता है। यह सब इतनी बारीकी से किया जाता है, कि पत्थरों के बीच का महीनतम खाली स्थान भी अदृश्य हो जाता है। इस पत्थरों के समूह में स्थिरता लाने हेतु इसे जिग सॉ पहेली जैसा बानाया जाता है, जिससे कि प्रत्येक टुकडा़ अपने स्थान पर मजबूती से ठहरा रहे। कई भिन्न रंगीन पत्थर, खासकर संगमर्मर एवं बहुमूल्य पत्थरों का प्रयोग किया जाता है। यह प्रथम रोम में प्रयोग की दिखाई देती है 1500 के आसपास। जो कि अपने चरमोत्कर्ष पर फ्लोरेंस में पहुँची। एतमादौद्दौलाह का मकबरा, आगरा, भारत में मुगल बादशाह जहाँगीर की पत्नी नूरजहाँ द्वारा, अपने पिता मिर्जा़ घियास बेग के लिये बनवाया हुआ, जिन्हें एतमाद-उद्-दौलाह की उपाधि मिली हुई थी। यहां पर्चिनकारी का भरपूर प्रयोग दिखाई देता है। इस स्मारक को प्रायः रत्न-मंजूषा कहा जाता है। यह स्मारक ताजमहल का मूलरूप माना जाता है, क्योंकि ताजमहल के कई वास्तु तत्त्व यहाँ परखे गए थे। पीट्रे ड्यूरे शब्द सख्त पत्थर का इतालवी बहुवचन है, या टिकाउ पाषाण। ताजमहल में पुष्पों का पर्चिनकारी में रूपांकन, जिसमें बहुमूल्य पत्थरों का प्रयोग किया हुआ है। यह अपने आरम्भिक रूप में इटली में थी, परंतु बाद में 1600 शती में, इसके छोटे रूप यूरोप में, यहाँ तक कि मुगल दरबार में भारत पहुँचे।<ref>http://www.rockscape.cc/en/pietredure.asp rockscape.cc</ref> जहाँ इस कला को नए आयाम मिले, स्थानीय/ देशी कलाकारों की शैली में, जिसका सबसे उत्कृष्ट उदाहरण ताजमहल में मिलता है। मुगल भारत में, इसे पर्चिनकारी या पच्चीकारी कहा जाता था, जिसका अर्थ है जड़ना। .

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प्रादा

प्रादा एस.पि एक इतालियन फेशन लेबल पुरुषों और महिलाओं के विलास के सामान में विशेषज्ञ (पहनने के तैयार कपडे, चमड़ी के उपसाधने, जूतें और सामन और टोपियाँ)मारिओ प्रादा द्वारा स्थापित किया गया है। यह लेबल का एक प्रतिष्ठा प्रतीक है। .

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फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल

फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल (अंग्रेज़ी: Florence Nightingale) (१२ मई १८२०-१३ अगस्त १९१०) को आधुनिक नर्सिग आन्दोलन का जन्मदाता माना जाता है। दया व सेवा की प्रतिमूर्ति फ्लोरेंस नाइटिंगेल "द लेडी विद द लैंप" (दीपक वाली महिला) के नाम से प्रसिद्ध हैं। इनका जन्म एक समृद्ध और उच्चवर्गीय ब्रिटिश परिवार में हुआ था। लेकिन उच्च कुल में जन्मी फ्लोरेंस ने सेवा का मार्ग चुना। १८४५ में परिवार के तमाम विरोधों व क्रोध के पश्चात भी उन्होंने अभावग्रस्त लोगों की सेवा का व्रत लिया। दिसंबर १८४४ में उन्होंने चिकित्सा सुविधाओं को सुधारने बनाने का कार्यक्रम आरंभ किया था। बाद में रोम के प्रखर राजनेता सिडनी हर्बर्ट से उनकी मित्रता हुई। सेंट मार्गरेट’स गिरजाघर के प्रांगण में फ़्लोरेंस नाइटेंगेल की कब्र नर्सिग के अतिरिक्त लेखन और अनुप्रयुक्त सांख्यिकी पर उनका पूरा ध्यान रहा। फ्लोरेंस का सबसे महत्वपूर्ण योगदान क्रीमिया के युद्ध में रहा। अक्टूबर १८५४ में उन्होंने ३८ स्त्रियों का एक दल घायलों की सेवा के लिए तुर्की भेजा। इस समय किए गए उनके सेवा कार्यो के लिए ही उन्होंने लेडी विद द लैंप की उपाधि से सम्मानित किया गया। जब चिकित्सक चले जाते तब वह रात के गहन अंधेरे में मोमबत्ती जलाकर घायलों की सेवा के लिए उपस्थित हो जाती। लेकिन युद्ध में घायलों की सेवा सुश्रूषा के दौरान मिले गंभीर संक्रमण ने उन्हें जकड़ लिया था। १८५९ में फ्लोरेंस ने सेंट थॉमस अस्पताल में एक नाइटिंगेल प्रक्षिक्षण विद्यालय की स्थापना की। इसी बीच उन्होंने नोट्स ऑन नर्सिग पुस्तक लिखी। जीवन का बाकी समय उन्होंने नर्सिग के कार्य को बढ़ाने व इसे आधुनिक रूप देने में बिताया। १८६९ में उन्हें महारानी विक्टोरिया ने रॉयल रेड क्रॉस से सम्मानित किया। ९० वर्ष की आयु में १३ अगस्त, १९१० को उनका निधन हो गया। उनसे पहले कभी भी बीमार घायलो के उपचार पर ध्यान नहीं दिया जाता था किन्तु इस महिला ने तस्वीर को सदा के लिये बदल दिया। उन्होंने क्रीमिया के युद्ध के समय घायल सैनिको की बहुत सेवा की थी। वे रात-रात भर जाग कर एक लालटेन के सहारे इन घायलों की सेवा करती रही इस लिए उन्हें लेडी विथ दि लैंप का नाम मिला था उनकी प्रेरणा से ही नर्सिंग क्षेत्र में महिलाओं को आने की प्रेरणा मिली थी। .

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फ़ैशन डिज़ाइनर

फैशन शो, 2009 का समापन फैशन डिज़ाइन कपड़ों और एक्सेसरीज् पर डिज़ाइन और सौंदर्य को साकार करने की कला है। फैशन डिज़ाइन सांस्कृतिक और सामाजिक व्यवहार से प्रभावित होते हैं और समय और जगह के साथ बदलते रहे हैं।.

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बार्तोलोमियो क्रिस्टोफोरी

बार्तोलोमियो क्रिस्टोफोरी डि फ्राँसेस्को (४ मई १६५५– २७ जनवरी १७३१) इटली के रहने वाले व संगीत वाद्ययंत्रों के निर्माता थे। इन्हें पियानो वाद्य यंत्र के आविश्कारक के रूप में जाना जाता है। इनका जन्म वेनिस गणराज्य के वादुआ नामक शहर में हुआ था। .

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बैंक

जर्मनी के फ्रैंकफुर्त में डश-बैंक बैंक (Bank) उस वित्तीय संस्था को कहते हैं जो जनता से धनराशि जमा करने तथा जनता को ऋण देने का काम करती है। लोग अपनी अपनी बचत राशि को सुरक्षा की दृष्टि से अथवा ब्याज कमाने के हेतु इन संस्थाओं में जमा करते और आवश्यकतानुसार समय समय पर निकालते रहते हैं। बैंक इस प्रकार जमा से प्राप्त राशि को व्यापारियों एवं व्यवसायियों को ऋण देकर ब्याज कमाते हैं। आर्थिक आयोजन के वर्तमान युग में कृषि, उद्योग एवं व्यापार के विकास के लिए बैंक एवं बैंकिंग व्यवस्था एक अनिवार्य आवश्यकता मानी जाती है। राशि जमा रखने तथा ऋण प्रदान करने के अतिरिक्त बैंक अन्य काम भी करते हैं जैसे, सुरक्षा के लिए लोगों से उनके आभूषणादि बहुमूल्य वस्तुएँ जमा रखना, अपने ग्राहकों के लिए उनके चेकों का संग्रहण करना, व्यापारिक बिलों की कटौती करना, एजेंसी का काम करना, गुप्त रीति से ग्राहकों की आर्थिक स्थिति की जानकारी लेना देना। अत: बैंक केवल मुद्रा का लेन देन ही नहीं करते वरन् साख का व्यवहार भी करते हैं। इसीलिए बैंक को साख का सृजनकर्ता भी कहा जाता है। बैंक देश की बिखरी और निठल्ली संपत्ति को केंद्रित करके देश में उत्पादन के कार्यों में लगाते हैं जिससे पूँजी निर्माण को प्रोत्साहन मिलता है और उत्पादन की प्रगति में सहायता मिलती है। भारतीय बैंकिग कंपनी कानून, १९४९ के अंतर्गत बैंक की परिभाषा निम्न शब्दों में दी गई हैं: एक ही बैंक के लिए व्यापार, वाणिज्य, उद्योग तथा कृषि की समुचित वित्तव्यवस्था करना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य होता है। अतएव विशिष्ट कार्यों के लिए अलग अलग बैंक स्थापित किए जाते हैं जैसे व्यापारिक बैंक, कृषि बैंक, औद्योगिक बैंक, विदेशी विनिमय बैंक तथा बचत बैंक। इन सब प्रकार के बैंकों को नियमपूर्वक चलाने तथा उनमें पारस्परिक तालमेल बनाए रखने के लिए केंद्रीय बैंक होता है जो देश भर की बैंकिंग व्यवस्था का संचालन करता है। समय के साथ कई अन्य वित्तीय गतिविधियाँ जुड़ गईं। उदाहरण के लिए बैंक वित्तीय बाजारों में महत्वपूर्ण खिलाडी हैं और निवेश फंड जैसे वित्तीय सेवाओं की पेशकश कर रहे हैं। कुछ देशों (जैसे जर्मनी) में बैंक औद्योगिक निगमों के प्राथमिक मालिक हैं, जबकि अन्य देशों (जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका) में बैंक गैर वित्तीय कंपनियों स्वक्मित्व से निषिद्ध रहे हैं। जापान में बैंक को आमतौर पर पार शेयर होल्डिंग इकाई (ज़ाइबत्सू) के रूप में पहचाना जाता है। फ़्रांस में अधिकांश बैंक अपने ग्राहकों को बिमा सेवा प्रदान करते हैं। .

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बेथलहम

बेथलहम (بَيْتِ لَحْمٍ,, प्रकाशित “हाउस ऑफ मीट (House of Meat)"; בֵּית לֶחֶם, बीट लेहम (Beit Lehem), प्रकाशित "हाउस ऑफ ब्रेड (House of Bread);" बेथलीम (Bethleém)) मध्य वेस्ट-बैंक में, येरुशलम से लगभग दक्षिण में स्थित एक फिलिस्तीनी शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग 30,000 है।अमरा, 1999,.

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बोतोलोमो कादुसी

'क्रूस से अवतरण', 1595 बातोलोमो कादुसी (Bartolomeo Carducci; १५६०-१६१०) इटली का चित्रकार था। वह फ़्लोरेंस में जन्मा और जिसने वहीं अपनी कलाशिक्षा ली। अपने समय के प्रचलित कलाकार अमानती से उसने वास्तुशिल्प तथा मूर्तिकला सीखी। चित्रकला की शिक्षा उसे प्रसिद्ध चित्रकार जुकेरो से मिली थी। जुकेरो प्राय: चित्र बनाने के लिए दूर-दूर से बुलाया जाता था, जो साथ की कादुसी को भी सहायक के रूप में ले जाया करता था। ज़केरो के साथ वह माद्रिद गया था जहाँ उसने एक्कोंरियल पुस्तकालय के लिए चित्र बनाए तथा उस प्रसिद्ध राजमहल की दीवारों पर भित्तिचित्र लिखे। धीरे-धीरे उसकी पहुँच राजदरबार तक हो गई और स्पेन के राजा फ़िलिप द्वितीय का वह कृपापात्र बन गया। अधिकतर वह स्पेन में ही रहा और वहीं उसकी मृत्यु भी हुई। उसके बनाए अधिकतर चित्र स्पेन में ही हैं। उसका सबसे प्रसिद्ध चित्र 'क्रूस से अवतरण' (ईसा का क्रास पर से उतारा जाना) है। यह साँ फ़ेलिप अल रील नामक गिरजाघर (मादिद्र) में सुरक्षित है। श्रेणी:चित्रकार.

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मत्तेयो रेनजी

मत्तेयो रेनज़ी (जन्म 11 जनवरी 1975) एक इतालवी राजनीतिज्ञ हैं जो २२ फ़रवरी २०१४ से इटली के प्रधानमंत्री बने हैं एवं २०१३ से डेमोक्रेटिक पार्टी के सचिव हैं। इससे पूर्व २००९ से २०१४ तक वो फ़्लोरेन्स के मेयर एव फ़्लोरेन्स प्रान्त के अध्यक्ष रह चुके हैं। १७ फ़रवरी २०१४ को राष्ट्रपति जॉर्जियो नेपोलितैनो ने उन्हें नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जिसे उन्होंने २१ फ़रवरी को स्वीकृत किया। वो इटली के सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं। .

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मानवतावाद

मानवतावाद मानव मूल्यों और चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने वाला अध्ययन, दर्शन या अभ्यास का एक दृष्टिकोण है। इस शब्द के कई मायने हो सकते हैं, उदाहरण के लिए.

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मिलानो

मिलान (Milano,; पश्चिमी लोम्बार्ड: मिलान) इटली का एक शहर और लोम्बार्डी क्षेत्र और मिलान प्रान्त की राजधानी है। मूल शहर की जनसंख्या लगभग 1,300,000 है, जबकि शहरी क्षेत्र 4,300,000 की अनुमानित जनसंख्या के साथ यूरोपीय संघ में पांचवा सबसे बड़ा है। इटली में सबसे बड़े, मिलान महानगरीय क्षेत्र की आबादी, OECD द्वारा अनुमानित तौर पर 7,400,000 है। शहर की स्थापना मीडियोलेनम नाम के तहत केल्टिक लोग इनसबरेस द्वारा की गई थी। इसे बाद में ई.पू.

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मोना लीज़ा

मोनालिसा मोना लिसा (Mona Lisa या La Gioconda या La Joconde)) लिओनार्दो दा विंची के द्वारा कृत एक विश्व प्रसिद्ध चित्र है। यह एक विचारमग्न स्त्री का चित्रण है जो अत्यन्त हल्की मुस्कान लिये हुए हैं। यह संसार की सम्भवत: सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग है जो पेंटिंग और दृष्य कला की पर्याय मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इतालवी चित्रकार लियोनार्दो दा विंची ने मोना लीज़ा नामक यह तस्वीर 1503 से 1506 के बीच बनाई थी। ये तस्वीर फ्लोरेंस के एक गुमनाम से व्यापारी 'फ़्रांसेस्को देल जियोकॉन्डो' की पत्नी 'लीज़ा घेरार्दिनी' को देखकर बनाई गई है। सम्प्रति यह छवि फ्रांस के लूविरे संग्रहालय में रखी हुई है। संग्रहालय के इस क्षेत्र में 16वीं शताब्दी की इतालवी चित्रकला की कृतियाँ रखी गई हैं। मोनालिसा की असल पेंटिंग केवल 21 इंच लंबी और 30 इंच चौड़ी है। तस्वीर को बचाए रखने के लिए यह एक ख़ास किस्म के शीशे के पीछे रखी गई है जो ना तो चमकता है और ना टूटता है। .

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यूरोप में विश्व धरोहर स्थलों की सूची

यह यूरोप में स्थित यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की एक सूची है। तारांकन चिह्न (*) लगे स्थल, खतरे में विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शामिल हैं। .

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यूरोपीय धर्मसुधार

16वीं शताब्दी के प्रारंभ में समस्त पश्चिमी यूरोप धार्मिक दृष्टि से एक था - सभी ईसाई थे; सभी रोमन काथलिक चर्च के सदस्य थे; उसकी परंपरगत शिक्षा मानते थे और धार्मिक मामलों में उसके अध्यक्ष अर्थात् रोम के पोप का शासन स्वीकार करते थे। यूरोपीय धर्मसुधार अथवा रिफॉरमेशन 16वीं शताब्दी के उस महान आंदोलन को कहते हैं जिसके फलस्वरूप पाश्चात्य ईसाइयों की यह एकता छिन्न-भिन्न हुई और प्रोटेस्टैंट धर्म का उदय हुआ। चर्च के इतिहस में समय-समय पर सुधारवादी आंदोलन होते रहे किंतु वे चर्च के धार्मिक सिद्धातों अथवा उसके शासकों को चुनौती न देकर उनके निर्देश के अनुसार ही नैतिक बुराइयों का उन्मूलन तथा धार्मिक शिक्षा का प्रचार अपना उद्देश्य मानते थे। 16वीं शताब्दी में जो सुधार का आंदोलन प्रवर्तित हुआ वह शीघ्र ही चर्च की परंपरागत शिक्षा और उसके शासकों के अधिकार, दोनों का विरोध करने लगा। धर्मसुधार आंदोलन के परिणामस्वरूप यूरोप में कैथोलिक सम्प्रदाय के साथ-साथ लूथर सम्प्रदाय, कैल्विन सम्प्रदाय, एंग्लिकन सम्प्रदाय और प्रेसबिटेरियन संप्रदाय प्रचलित हो गये। .

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राज्य

विश्व के वर्तमान राज्य (विश्व राजनीतिक) पूँजीवादी राज्य व्यवस्था का पिरामिड राज्य उस संगठित इकाई को कहते हैं जो एक शासन (सरकार) के अधीन हो। राज्य संप्रभुतासम्पन्न हो सकते हैं। इसके अलावा किसी शासकीय इकाई या उसके किसी प्रभाग को भी 'राज्य' कहते हैं, जैसे भारत के प्रदेशों को भी 'राज्य' कहते हैं। राज्य आधुनिक विश्व की अनिवार्य सच्चाई है। दुनिया के अधिकांश लोग किसी-न-किसी राज्य के नागरिक हैं। जो लोग किसी राज्य के नागरिक नहीं हैं, उनके लिए वर्तमान विश्व व्यवस्था में अपना अस्तित्व बचाये रखना काफ़ी कठिन है। वास्तव में, 'राज्य' शब्द का उपयोग तीन अलग-अलग तरीके से किया जा सकता है। पहला, इसे एक ऐतिहासिक सत्ता माना जा सकता है; दूसरा इसे एक दार्शनिक विचार अर्थात् मानवीय समाज के स्थाई रूप के तौर पर देखा जा सकता है; और तीसरा, इसे एक आधुनिक परिघटना के रूप में देखा जा सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि इन सभी अर्थों का एक-दूसरे से टकराव ही हो। असल में, इनके बीच का अंतर सावधानी से समझने की आवश्यकता है। वैचारिक स्तर पर राज्य को मार्क्सवाद, नारीवाद और अराजकतावाद आदि से चुनौती मिली है। लेकिन अभी राज्य से परे किसी अन्य मज़बूत इकाई की खोज नहीं हो पायी है। राज्य अभी भी प्रासंगिक है और दिनों-दिन मज़बूत होता जा रहा है। यूरोपीय चिंतन में राज्य के चार अंग बताये जाते हैं - निश्चित भूभाग, जनसँख्या, सरकार और संप्रभुता। भारतीय राजनीतिक चिन्तन में 'राज्य' के सात अंग गिनाये जाते हैं- राजा या स्वामी, मंत्री या अमात्य, सुहृद, देश, कोष, दुर्ग और सेना। (राज्य की भारतीय अवधारण देखें।) कौटिल्य ने राज्य के सात अंग बताये हैं और ये उनका "सप्तांग सिद्धांत " कहलाता है - राजा, आमात्य या मंत्री, पुर या दुर्ग, कोष, दण्ड, मित्र । .

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रॉबर्ट ब्राउनिंग

रॉबर्ट ब्राउनिंग (7 मई 1812- 1889) एक अंग्रेजी कवि एवं नाटककार थे। नाटकीय कविता, विशेषकर नाटकीय एकालापों में अतुल्य दक्षता के कारण उन्हें विक्टोरियन कवियों में अग्रणी स्थान प्राप्त है। .

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रॉबर्ट बॉयल

राबर्ट बायल राबर्ट बॉयल (Robert Boyle; 1627-1691 ई.) आधुनिक रसायनशास्त्र का प्रवर्तक, अपने युग के महान वैज्ञानिकों में से एक, लंदन की प्रसिद्ध रॉयल सोसायटी का संस्थापक तथा कॉर्क के अर्ल की 14वीं संतान था। .

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रीगा

रीगा (लातवियाई: Rīga, स्पष्ट) लातविया की राजधानी और सबसे प्रमुख नगर है जो बाल्टिक का एक प्रमुख, औद्योगिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक और वित्तीय केंद्र है और डुगावा नदी पर स्थित एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है। ७,१३,०१६ (२००९) निवासियों के साथ यह बाल्टिक राज्यों में सबसे बड़ा और बाल्टिक क्षेत्र में सेंट पीटर्सबर्ग और स्टॉकहोम के बाद (नगरीय सीमा के भीतर निवासियों की गिनती अनुसार) तीसरा सबसे बड़ा नगर है। रीगा क्षेत्र का क्षेत्रफल ३०७.१७ वर्ग किमी है और यह एक समतल और रेतीले मैदान पर समुद्र तल से १ से १० मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। रीगा का ऐतिहासिक केंद्र एक यूनेस्को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया है और नगर अपनी व्यापक जुन्गेन्ड्सटिल (Jugendstil) वास्तुकला के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिसे यूनेस्को विश्व में कहीं भी अद्वितीय समझता है। .

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लिओनार्दो दा विंची

फ्लोरेंस में लिओनार्दो की मूर्ति लिओनार्दो दा विंची (Leonardo da Vinci, 1452-1519) इटलीवासी, महान चित्रकार, मूर्तिकार, वास्तुशिल्पी, संगीतज्ञ, कुशल यांत्रिक, इंजीनियर तथा वैज्ञानिक था। .

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लुइगी फेर्री

लुइगी फेर्री (Luigi Ferri; 15 जून, 1826 – 1895) इटली का दार्शनिक था। उसका जन्म बोलोना (Bologna) में हुआ था। वह क्रमश: फ्लोरेंस और रोम में दर्शन का प्रमुख अध्यापक रहा। दर्शन के इतिहासकार के रूप में उसकी अधिक ख्याति है। जहाँ तक उसे स्वयं के दर्शन का प्रश्न है, वह सिमान, सैमियट आदि के मनोविज्ञानवाद और रोमकिति और गियोबर्टी के आदर्शवाद का सम्मिश्रण है। श्रेणी:दार्शनिक.

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लोरेंज़ो मोनाको

लोरेंज़ो मोनाको (१३७०-१४२५) इटालियन चित्रकार। इनका जन्म सियेना में हुआ। 'वर्जिन का राज्याभिषेक' शीर्षक चित्र से सिद्ध होता है कि उसने पुनर्जागरण काल के पूर्व की यथार्थवादी शैली को अपनाया था। फ्लोरेंटिन परंपरा के सियेनिज शैली के चित्रकार जिआत्तो की कला में, रंजित भावों का आविष्कर आकारों द्वारा किया गया है। इसे अपनाकर लोरेंज़ों ने सुंदर आवेगपूर्ण लयदार रेखाओं से भावाभिव्यक्ति की है। इसलिए कुछ अंश तक वह फ्लोरेंस में कला परिवर्तक माना जाता रहा। फ्लोरेंस के सान त्रिनिता चर्च में 'घोषणा' चित्र इसकी कला का सुंदर नमूना है। लंदन नेशनल आर्ट गेलरी में उसकी छोटी कृतियाँ सुरक्षित हैं। बर्लिन में भी उसके बनाए चित्र हैं। चित्रों के विषय हमेशा धर्मकथाओं पर ही आधारित हैं। श्रेणी:चित्रकार.

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सांति दी टिटो

सेंट थॉमस अकुनिनस की द्रिष्टि(१५९३) सांति दी टिटो (मार्च ६, १५३६ - जुलाई २३, १६२३) एक महत्वपूर्ण इतालवी चित्रकार थे। .

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सिंह (पशु)

सिंह (पेन्थेरा लियो) पेन्थेरा वंश की चार बड़ी बिल्लियों में से एक है और फेलिडे परिवार का सदस्य है। यह बाघ के बाद दूसरी सबसे बड़ी सजीव बिल्ली है, जिसके कुछ नरों का वजन २५० किलोग्राम से अधिक होता है। जंगली सिंह वर्तमान में उप सहारा अफ्रीका और एशिया में पाए जाते हैं। इसकी तेजी से विलुप्त होती बची खुची जनसंख्या उत्तर पश्चिमी भारत में पाई जाती है, ये ऐतिहासिक समय में उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और पश्चिमी एशिया से गायब हो गए थे। प्लेइस्तोसेन के अंतिम समय तक, जो लगभग १०,००० वर्ष् पहले था, सिंह मानव के बाद सबसे अधिक व्यापक रूप से फैला हुआ बड़ा स्तनधारी, भूमि पर रहने वाला जानवर था। वे अफ्रीका के अधिकांश भाग में, पश्चिमी यूरोप से भारत तक अधिकांश यूरेशिया में और युकोन से पेरू तक अमेरिका में पाए जाते थे। सिंह जंगल में १०-१४ वर्ष तक रहते हैं, जबकि वे कैद मे २० वर्ष से भी अधिक जीवित रह सकते हैं। जंगल में, नर कभी-कभी ही दस वर्ष से अधिक जीवित रह पाते हैं, क्योंकि प्रतिद्वंद्वियों के साथ झगड़े में अक्सर उन्हें चोट पहुंचती है। वे आम तौर पर सवाना और चारागाह में रहते हैं, हालांकि वे झाड़ी या जंगल में भी रह सकते हैं। अन्य बिल्लियों की तुलना में सिंह आम तौर पर सामाजिक नहीं होते हैं। सिंहों के एक समूह जिसे अंग्रेजी मे प्राइड कहॉ जाता में सम्बन्धी मादाएं, बच्चे और छोटी संख्या में नर होते हैं। मादा सिंहों का समूह प्रारूपिक रूप से एक साथ शिकार करता है, जो अधिकांशतया बड़े अनग्युलेट पर शिकार करते हैं। सिंह शीर्ष का और कीस्टोन शिकारी है, हालांकि वे अवसर लगने पर मृतजीवी की तरह भी भोजन प्राप्त कर सकते हैं। सिंह आमतौर पर चयनात्मक रूप से मानव का शिकार नहीं करते हैं, फिर भी कुछ सिंहों को नर-भक्षी बनते हुए देखा गया है, जो मानव शिकार का भक्षण करना चाहते हैं। सिंह एक संवेदनशील प्रजाति है, इसकी अफ्रीकी रेंज में पिछले दो दशकों में इसकी आबादी में संभवतः ३० से ५० प्रतिशत की अपरिवर्तनीय गिरावट देखी गयी है। ^ डाटाबेस प्रवेश में एस बात का एक लंबा औचित्य सम्मिलित है कि यह प्रजाति संवेदनशील क्यों है। क्यों इस प्रजाति की दुर्दशा का एक भी सम्मिलित है सिंहों की संख्या नामित सरंक्षित क्षेत्रों और राष्ट्रीय उद्यानों के बहार अस्थिर है। हालांकि इस गिरावट का कारण पूरी तरह से समझा नहीं गया है, आवास की क्षति और मानव के साथ संघर्ष इसके सबसे बड़े कारण हैं। सिंहों को रोमन युग से पिंजरे में रखा जाता रहा है, यह एक मुख्य प्रजाति रही है जिसे अठारहवीं शताब्दी के अंत से पूरी दुनिया में चिडिया घर में प्रदर्शन के लिए रखा जाता रहा है। खतरे में आ गयी एशियाई उप प्रजातियों के लिए पूरी दुनिया के चिड़ियाघर प्रजनन कार्यक्रमों में सहयोग कर रहे हैं। दृश्य रूप से, एक नर सिंह अति विशिष्ट होता है और सरलता से अपने अयाल (गले पर बाल) द्वारा पहचाना जा सकता है। सिंह, विशेष रूप से नर सिंह का चेहरा, मानव संस्कृति में सबसे व्यापक ज्ञात जंतु प्रतीकों में से एक है। उच्च पाषाण काल की अवधि से ही इसके वर्णन मिलते हैं, जिनमें लॉसकाक्स और चौवेत गुफाओं की व नक्काशियां और चित्रकारियां सम्मिलित हैं, सभी प्राचीन और मध्य युगीन संस्कृतियों में इनके प्रमाण मिलते हैं, जहां ये ऐतिहासिक रूप से पाए गए। राष्ट्रीय ध्वजों पर, समकालीन फिल्मों और साहित्य में चित्रकला में, मूर्तिकला में और साहित्य में इसका व्यापक वर्णन पाया जाता है। .

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स्टीक

मीडियम रेयर पकाया गया रम्प स्टीक स्टीक (पुरानी नोर्स भाषा के स्टेक, अर्थात "रोस्ट" से लिया गया), मीट के एक टुकड़े को कहा जाता है (आमतौर पर बीफ- गोमांस).

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हिराम पावर्स

हिराम पावर्स द ग्रीक स्लेव (यूनानी गुलाम) हिराम पावर्स (Hiram Powers, 29 जून, 1805, वुडस्टॉक U.S — 27 जून, 1873, फ्लोरेंस, इटली) अमरीका का मूर्तिकार था। हिराम पावर्स कृषक पुत्र था और प्राय: जीवन पर्यंत संघर्षों में रहा। बाल्यावस्था में ही उसे अध्ययन छोड़कर किसी होटल में नौकरी मिल गई, पर गरीबी से त्रस्त, फटीचर जूतों और मैले कपड़ों के कारण उसे निकाल दिया गया। तत्पश्चात् एक जनरल स्टोर में क्लर्क और फिर एक कारखाने में मैकेनिक के बतौर काम मिला। इसी दौरान में मूर्तिशिल्प की जबर्दस्त ख्वाहिश उसमें जगी। अवकाश के क्षणों में उसकी अनवरत मूक साधना फलीभूत हुई और अंतत: रूपांकन की कला में वह बड़ा ही दक्ष और पारंगत हो गया। वाशिंगटन, फ्लोरेंस और इटली में उसने पर्याप्त ख्याति प्राप्त की। महाकवि दाँते के रहस्यमय प्रदेश के दृश्यों का चित्रांकन उसने बड़ी ही खूबी से किया। मूर्तियों में उसकी आवक्ष (बस्ट) मूर्तियाँ ही अधिकतर मिलती हैं - जैसे 'ईव' की प्रतिमा, यूनानी गुलाम, मछवाहा बालक तथा कैलिफोर्निया अमेरिका में स्फटिक महल के लिए निर्मित उसकी वे भव्य मूर्तियाँ जो समसामयिक कलाकारों की अग्रिम पंक्ति में उसे प्रतिष्ठित कर सकीं। श्रेणी:मूर्तिकार.

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ईवान आईवाज़ोवस्की

ईवान कॉन्स्टेनटिनोविच आईवाज़ोवस्की (Ива́н Константи́нович Айвазо́вский, Հովհաննես Այվազովսկի Hovhannes Ayvazovski); 29 जुलाई 18172 मई 1900) एक रूसी प्रकृतवादी चित्रकार थे। उन्हें इतिहास के महानतम सामुद्रिक कलाकारों में से एक माना जाता है। बचपन में ईसाई बनने पर इनका नाम Hovhannes Aivazian रखा गया था। इनका जन्म काला सागर के तटीय शहर फिओदोसिया में एक आर्मेनियाई परिवार में हुआ था और ये जीवन भर मुख्यत: अपने मूल प्रांत क्रीमिया में ही रहे। इम्पीरियल अकादमी ऑफ आर्ट्स में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद ये यूरोप घूमने गये और १८४० में कुछ समय तक इटली में रहे। फ़िर वो रूस वापस आ गये और रूसी नौसेना में आधिकारिक चित्रकार की हैसियत से नौकरी करने लगे। आईज़ोवस्की के तत्कालीन रूसी साम्राज्य के सैन्य व राजनीतिक प्रबुद्ध जनों से अच्छे संबंध थे और वो अक्सर सैन्य सम्मेलनों में शामिल हुआ करते थे। शासक रोमानोव घराना उन्हें बहुत मानता था, उनके कार्यों को प्रायोजित करता था व साम्राज्य में उनका आजीवन बहुत सम्मान रहा। रूस में किसी अत्यंत ही मनोरम व खूबसुरत वस्तु या दृश्य की प्रशंसा करने के लिये एंटोन शेखोव द्वारा आईज़ोवस्की के सम्मान में कहा गया वाक्य यह तो आईज़ोवस्की के चित्रकारी के काबिल है ("worthy of Aivazovsky's brush") अभी भी प्रयोग किया जाता है। अपने काल के सर्वाधिक प्रसिद्ध रूसी कलाकारों में से एक आईज़ोवस्की रूस के बाहर भी उतने ही प्रचलित थे। संयुक्त राज्य अमेरिका व यूरोप में उनके कई सारे व्यक्तिगत प्रदर्शनियाँ लगीं जो बहुत सराही गयीं। अपने लगभग ६० वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने ६००० से ज्यादा चित्र बनाए, जिसकी वजह से उन्हें उस काल का सफलतम चित्रकार माना जाता है। उनके अधिकतर कार्य समुद्री दृश्य हैं, लेकिन उन्होंने युद्ध के दृश्य, आर्मेनियाई विषय-वस्तु और वर्णनात्मक चित्रांकन भी किए हैं। आईज़ोवस्की के अधिकतर कार्य रूसी, आर्मेनियाई व यूक्रेनी संग्रहालयों में रक्खे हैं। .

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विश्व देवालय (पैन्थियन), रोम

विश्व देवालय ((ब्रिटेन) या (अमेरिका), Pantheon,शायद ही कभी पैन्थियम. इस इमारत का वर्णन करने में प्लिनी के प्राकृतिक इतिहास (XXXVI.38) में यह दिखाई देता है: Agrippae Pantheum decoravit Diogenes Atheniensis; in columnis templi eius Caryatides probantur inter pauca operum, sicut in fastigio posita signa, sed propter altitudinem loci minus celebrata. से, "सभी देवताओं के लिए" अर्थ में प्रयुक्त मंदिर के लिए लिया गया ग्रीक शब्द, ἱερόν, समझा जाता है) रोम में बनी एक इमारत है, जो मार्क्स अग्रिप्पा द्वारा प्राचीन रोम के सभी देवी-देवताओं के मंदिर के रूप में बनायी गयी थी और 126 ई. में सम्राट हैड्रियन ने इसे दोबारा बनवाया था। लगभग समकालीन लेखक (द्वितीय-तृतीय सी. सीई), कैसियस डियो ने अनुमान लगाया कि यह नाम या तो इस इमारत के आसपास रखी गयी इतनी अधिक मूर्तियों की वजह से, या फिर स्वर्ग के गुंबद से इसकी समानता की वजह से रखा गया। फ्रांसीसी क्रांति के बाद से, जब संत जेनेवीव ने, पेरिस के चर्च को अप्रतिष्ठित कर उसे धर्मनिरपेक्ष स्मारक के रूप में बदल कर उसे पेरिस का विश्व देवालय बना दिया, उसी समय से ऐसी किसी भी इमारत जहां किसी प्रसिद्ध मृतक को सम्मानित किया गया या दफनाया गया हो, उसके लिए सामान्य शब्द विश्व देवालय (पैन्थियन), का प्रयोग किया जाने लगा है। यह इमारत तीन पंक्तियों के विशाल ग्रेनाइट कोरिंथियन कॉलम की वजह से गोलाकार है जिसका बरामदा (पहली पंक्ति में आठ और पीछे चार के दो समूहों में) गोल घर में खुल रहे त्रिकोणिका के नीचे हो, कंक्रीट के गुंबद में बने संदूक में जिसका केंद्र (आंख) (ऑकुलस) आकाश की ओर खुलता हो.

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विश्व धरोहर

यूनेस्को की विश्व विरासत समिति का लोगो युनेस्को विश्व विरासत स्थल ऐसे खास स्थानों (जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन, या शहर इत्यादि) को कहा जाता है, जो विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा चयनित होते हैं; और यही समिति इन स्थलों की देखरेख युनेस्को के तत्वाधान में करती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ खास परिस्थितियों में ऐसे स्थलों को इस समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है। अब तक (2006 तक) पूरी दुनिया में लगभग 830 स्थलों को विश्व विरासत स्थल घोषित किया जा चुका है जिसमें 644 सांस्कृतिक, 24 मिले-जुले और 138 अन्य स्थल हैं। प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो; परंतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे आनेवाली पीढियों के लिए और मानवता के हित के लिए इनका संरक्षण करें। बल्कि पूरे विश्व समुदाय को इसके संरक्षण की जिम्मेवारी होती है। .

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विश्व धरोहर समिति

विश्व धरोहर समिति (अंग्रेजी: World Heritage Committee), उन स्थलों का चयन करती है जिन्हें यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों के रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है। यह विश्व धरोहर कन्वेंशन के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है, विश्व धरोहर कोष के इस्तेमाल को परिभाषित करता है और राष्ट्र दलों से अनुरोध पर वित्तीय सहायता का आवंटन करती है। इसका गठन 21 राष्ट्र दलों से मिलकर होता है, जिनका चुनाव राष्ट्र दलों की महासभा द्वारा चार साल के कार्यकाल के लिए होता है। विश्व धरोहर कन्वेंशन के नियमानुसार, समिति के सदस्य राष्ट्र का कार्यकाल छह साल के लिए होता है, लेकिन कई राष्ट्र दल स्वेच्छा से केवल चार साल के लिए ही समिति के सदस्य बने रहना स्वीकार करते हैं ताकि, दूसरे राष्ट्र दलों को भी समिति का सदस्य बनने का मौका मिल सके। उदाहरण के लिए, 15 वीं महासभा (2005) के लिए निर्वाचित सभी सदस्यों ने स्वेच्छा से अपना कार्यकाल छह वर्ष से घटा कर चार वर्ष करने का फैसला किया। .

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विश्वविद्यालय

विश्वविद्यालय (युनिवर्सिटी) वह संस्था है जिसमें सभी प्रकार की विद्याओं की उच्च कोटि की शिक्षा दी जाती हो, परीक्षा ली जाती हो तथा लोगों को विद्या संबंधी उपाधियाँ आदि प्रदान की जाती हों। इसके अंतर्गत विश्वविद्यालय के मैदान, भवन, प्रभाग, तथा विद्यार्थियों का संगठन आदि भी सम्मिलित हैं। .

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वैश्वीकरण

Puxi) शंघाई के बगल में, चीन. टाटा समूहहै। वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया है। इसे एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते हैं तथा एक साथ कार्य करते हैं। यह प्रक्रिया आर्थिक, तकनीकी, सामाजिक और राजनीतिक ताकतों का एक संयोजन है।वैश्वीकरण का उपयोग अक्सर आर्थिक वैश्वीकरण के सन्दर्भ में किया जाता है, अर्थात, व्यापार, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, पूंजी प्रवाह, प्रवास और प्रौद्योगिकी के प्रसार के माध्यम से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में एकीकरण.

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गुईडीबाल्डो डि मोंटेफेल्ट्रो का चित्र

गुईडीबाल्डो डि मोंटेफेल्ट्रो का चित्र इटली के पुनर्जागरण काल के चित्रकार राफेल द्वारा लगभग १५०६ में बनाया गया था। फिलहाल यह चित्र उफ़िज़ी संग्रहालय, फ्लोरेंस में लगा हुआ है। इसमें अर्बिनो के ड्यूक गुईडीबाल्डो डि मोंटेफेल्ट्रो का चित्रण किया गया है। .

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ओपेरा (गीतिनाटक)

मिलान (इटली) का '''टीएट्रो अल्ला स्काला''' (Teatro alla Scala) नामक ओपेरागृह; सन् १७७८ ई में स्थापित यह ओपेरा हाउस विश्व के सर्वाधिक प्रसिद्ध ओपेरागृहों में से एक है। गान नाट्य (गीतिनाटक) को ओपेरा (Opera) कहते हैं। ओपेरा का उद्भव 1594 ई. में इटली के फ़्लोरेंस नगर में "ला दाफ़्ने" नामक ओपेरा के प्रदर्शन से हुआ था, यद्यपि इस ओपेरा के प्रस्तुतकर्ता स्वयं यह नहीं जानते थे कि वे अनजाने किस महत्वपूर्ण कला की विधा को जन्म दे रहे हैं। गत चार शताब्दियों में ओपेरा की अनेक व्याख्याएँ प्रस्तुत की गई। लेकिन परंपरा और अनुभव के आधार पर यही माना जाता है कि ओपेरा गानबद्ध नाटक होता है, जिसमें वार्तालाप के स्थान पर गाया जाता है। इसका ऐतिहासिक कारण यह है कि 16वीं सदी तक यह माना जाता था कि नाटक पद्य में होना चाहिए। नाटक के लिए पद्य यदि अनिवार्य है तो संगीत के लिए भूमि स्वत: तैयार हो जाती है। क्योंकि काव्य और संगीत पूरक कलाएँ हैं, दोनों ही अमूर्त भावनाओं तथा कल्पनालोकों से अधिक संबंधित हैं। इसलिए जब तक नाटक काव्य में लिखे जाते रहे तब तक विशेष कठिनाई नहीं हुई, लेकिन कालांतर में नाटक की विधा ने गद्य का रूप लिया तथा यथार्थोन्मुख हुई। तभी से ओपेराकारों के लिए कठिनाइयाँ बढ़ती गई। चूँकि ओपेरा का जन्म इटली में हुआ था इसलिए उसके सारे अंगों पर इटली का प्रभुत्व स्वाभाविक था। लेकिन फ्रांस तथा जर्मनी की भी प्रतिभा ओपेरा को सुषमित तथा विकसित करने में लगी थी, इसलिए ओपेरा कालांतर में अनेक प्रशाखाओं में पल्लवित हुआ। .

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इटली

इटली यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक देश है जिसकी मुख्यभूमि एक प्रायद्वीप है। इटली के उत्तर में आल्प्स पर्वतमाला है जिसमें फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया तथा स्लोवेनिया की सीमाएँ आकर लगती हैं। सिसली तथा सार्डिनिया, जो भूमध्य सागर के दो सबसे बड़े द्वीप हैं, इटली के ही अंग हैं। वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो इटली के अंतर्गत समाहित दो स्वतंत्र देश हैं। इटली, यूनान के बाद यूरोप का दूसरा का दूसरा प्राचीनतम राष्ट्र है। रोम की सभ्यता तथा इटली का इतिहास देश के प्राचीन वैभव तथा विकास का प्रतीक है। आधुनिक इटली 1861 ई. में राज्य के रूप में गठित हुआ था। देश की धीमी प्रगति, सामाजिक संगठन तथा राजनितिक उथल-पुथल इटली के 2,500 वर्ष के इतिहास से संबद्ध है। देश में पूर्वकाल में राजतंत्र था जिसका अंतिम राजघराना सेवाय था। जून, सन् 1946 से देश एक जनतांत्रिक राज्य में परिवर्तित हो गया। इटली की राजधानी रोम प्राचीन काल के एक शक्ति और प्रभाव से संपन्न रोमन साम्राज्य की राजधानी रहा है। ईसा के आसपास और उसके बाद रोमन साम्राज्य ने भूमध्य सागर के क्षेत्र में अपनी प्रभुता स्थापित की थी जिसके कारण यह संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में आधुनिक यूरोप की आधारशिला के तौर पर माना जाता है। तथा मध्यपूर्व (जिसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में मध्य-पश्च भी कह सकते हैं) के इतिहास में भी रोमन साम्राज्य ने अपना प्रभाव डाला था और उनसे प्रभावित भी हुआ था। आज के इटली की संस्कृति पर यवनों (ग्रीक) का भी प्रभाव पड़ा है। इटली की जनसंख्या २००८ में ५ करोड़ ९० लाख थी। देश का क्षेत्रफल ३लाख वर्ग किलोमीटर के आसपास है। १९९१ में यहाँ की सरकार के शीर्ष पदस्थ अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ जिसके बाद यहाँ की राजनैतिक सत्ता और प्रशासन में कई बदलाव आए हैं। रोम यहाँ की राजधानी है और अन्य प्रमुख नगरों में वेनिस, मिलान इत्यादि का नाम लिया जा सकता है। .

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इतालवी साहित्य

इटली में मध्ययुग में जिस सयम मोंतेकास्सीनो जैसे केंद्रों में लातीनी में अलंकृत शैली में पत्र लिखने, अलंकृत गद्य लिखने (आर्तेस दिक्तांदी, अर्थात् रचनाकला) की शिक्षा दी जा रही थी उस समय विशेष रूप से फ्रांस में तथा इटली में भी नवीन भाषा में कविता की रचना होने लगी थी। अलंकृत लययुक्त मध्ययुगीन लातीनी का प्रयोग धार्मिक क्षेत्र तथा राजदरबारों तक ही सीमित था, किंतु रोमांस बोलियों में रचित कविता लोक में प्रचलित थी। चार्ल्स मान्य तथा आर्थर की वीरगाथाओं को लेकर फ्रांस के दक्षिणी भाग (प्रोवेंसाल) में 12वीं सदी में प्रोवेंसाल बोली में पर्याप्त काव्यरचना हो चुकी थी। प्रोवेंसाल बोली में रचना करनेवाले दरबारी कवि (त्रोवातोरी) एक स्थान से दूसरे स्थान पर आश्रयदाताओं की खोज में घूमा करते थे और दरबारों में अन्य राजाओं का यश, यात्रा के अनुभव, युद्धों के वर्णन, प्रेम की कथाएँ आदि नाना विषयों पर कविताएँ रचकर यश, धन एवं सम्मान की आशा में राजा रईसों के यहाँ उन्हें सुनाया करते थे। इतालवी राजदरबार से संबंध रखनेवाला पहला दरबारी कवि (त्रोवातोरे) रामवाल्दो दे वाकेइरास कहा जा सकता है जो प्रावेंसा (फ्रांस) से आया था। इस प्रकार के कवियों के समान उसकी कविता में भी प्रेम, हर्ष, वसंत तथा हरे भरे खेतों और मैदानों का चित्रण है तथा भाषा मिश्रित है। सावोइया, मोंफेर्रातो, मालास्पीना, एस्ते और रावेन्ना के रईसों के दरबारों में ऐसे कवियों ने आकर आश्रय ग्रहण किया था। इटली के कवियों ने भी प्रावेंसाल शैली में इस प्रकार की काव्यरचना की। सोरदेल्लो दी गोइतो (मूत्यु 1270 ई.), लांफ्रोको क्वीगाला, पेरचेवाल दोरिया जैसे अनेक इतालवी त्रोवातोरी कवि हुए। दी गोइतो का तो दांते ने भी स्मरण किया है। इतालवी काव्य का आरंभिक रूप त्रोवातोरी कवियों की रचनाओं में मिलता है। .

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कांस्य पदक

कांस्य पदक आमतौर पर किसी स्पर्धा में जैसे ओलंपिक खेल, राष्ट्रमंडल खेल इत्यादि में तीसरे स्थान पर रहने वाले खिलाड़ी को दिया जाता है। विजेता को स्वर्ण पदक व दूसरा स्थान पाने वाले को रजत पदक दिया जाता है। तीसरे स्थान पर रहने वाले खिलाडी को काँस्य पदक देने कि प्रथा सेंट लुईस मिसौरी में आयोजित १९०४ के ओलंपिक खेलों से शुरु हुई। .

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अमेदिओ मोदिग्लिआनी

अमेदिओ क्लेमेनते मोदिग्लिआनी (12 जुलाई 1884 - 24 जनवरी 1920) एक इतालवी कलाकार थे जो मुख्य रूप से फ्रांस में काम करते थे। वे मुख्य रूप से एक आलंकारिक कलाकार थे, उन्हें मुखौटों-जैसे चेहरे और लम्बे स्वरूपों की विशेषता लिए आधुनिक शैली में चित्रकारी और मूर्तिकारी करने के लिए जाना गया। ट्युबरकुलर मैनिंजाइटिस के कारण पेरिस में उनका निधन हो गया, जिसमें गरीबी, अत्यधिक काम और शराब और नशीले पदार्थों के सेवन ने भी अपनी भूमिका निभाई.

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१५०४

1504 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। .

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८ सितम्बर

8 सितंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 251वॉ (लीप वर्ष मे 252 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 114 दिन बाकी है। .

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