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प्लक्षद्वीप

सूची प्लक्षद्वीप

हिन्दु धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार पृथ्वी का वर्णन इस प्रकार है। यह वर्णन श्रीपाराशर जी ने श्री मैत्रेय ऋषि से कियी था। उनके अनुसार इसका वर्णन सौ वर्षों में भी नहीं हो सकता है। यह केवल अति संक्षेप वर्णन है। .

14 संबंधों: पुष्करद्वीप, पृथ्वी का हिन्दू वर्णन, मनु का वंश, शाल्मलद्वीप, शाकद्वीप, शाकद्वीपीय ब्राह्मण, सप्त द्वीप, सप्त सागर, संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द, खारे पानी का सागर, इलावृतवर्ष, इक्षुरस का सागर, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप

पुष्करद्वीप

हिन्दु धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार पृथ्वी का वर्णन इस प्रकार है। यह वर्णन श्रीपाराशर जी ने श्री मैत्रेय ऋषि से कियी था। उनके अनुसार इसका वर्णन सौ वर्षों में भी नहीं हो सकता है। यह केवल अति संक्षेप वर्णन है। .

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पृथ्वी का हिन्दू वर्णन

हिन्दु धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार पृथ्वी का वर्णन इस प्रकार है। यह वर्णन श्रीपाराशर जी ने श्री मैत्रेय ऋषि से कियी था। उनके अनुसार इसका वर्णन सौ वर्षों में भी नहीं हो सकता है। यह केवल अति संक्षेप वर्णन है। .

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मनु का वंश

यह लेख हिन्दू धर्म के अनुसार पृथ्वी पर सृ्टि रचना के आरम्भ के वंशों क विवरण देता है। यह हिन्दू इतिहास है, जो कि विष्णु पुराण के द्वितीय अंश, प्रथम अध्याय में वर्णित है। सृष्टि का आरम्भ आदि पुरुष मनु से होता है। इस श्वेतवाराह कल्प में चौदह मनु होते हैं, जिनमें से वर्तमान सातवां मनु वैवस्वत मनु हैं। आरम्भिक थे स्वायम्भु मनु| श्वेतवाराह कल्प के अन्य मनु इस प्रकार हैं:- .

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शाल्मलद्वीप

हिन्दु धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार पृथ्वी का वर्णन इस प्रकार है। यह वर्णन श्रीपाराशर जी ने श्री मैत्रेय ऋषि से कियी था। उनके अनुसार इसका वर्णन सौ वर्षों में भी नहीं हो सकता है। यह केवल अति संक्षेप वर्णन है। .

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शाकद्वीप

विष्णुपुराण के अनुसार पृथ्वी का वर्णन इस प्रकार है। यह वर्णन श्रीपाराशर जी ने श्री मैत्रेय ऋषि से किया था। उनके अनुसार इसका वर्णन सौ वर्षों में भी नहीं हो सकता है। यह केवल अति संक्षेप वर्णन है। .

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शाकद्वीपीय ब्राह्मण

शाकद्वीपीय ब्राह्मण सूर्यांश तथा सूर्योपासक थे। सूर्यदेव का चित्र। शाकद्वीपीय ब्राह्मण अथवा मग ब्राह्मण ब्राह्मण वर्ग में सर्वोत्तम माना जाता है। प्राचीन इतिहासकारों के अनुसार ये शाकद्वीप से श्री कृष्ण द्वारा जम्बूद्वीप में लाए गए थे। इन्हें पुराणों में तथा श्री करपात्रीस्वामी के अनुसार दिव्य ब्राह्मण की उपाधि दी गई है। यह हिन्दू ब्राह्मणों का ऐसा वर्ग है जो मुख्यतः पूजा पाठ, वेद-आयुर्वेद, चिकित्सा, संगीत से संबंधित है। इनकी जाति मुख्यतः बिहार तथा पश्चिमी तथा उत्तरी भारत में है। इन्हें सूर्य के अंश से उत्पन्न होने के कारण सूर्य के समान प्रताप वाला ब्राह्मण माना जाता है। .

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सप्त द्वीप

यह पृथ्वी सात द्वीपों में बंटी हुई है। वे द्वीप एस प्रकार से हैं:-.

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सप्त सागर

विष्णु पुराण के अनुसार यह पृथ्वी सात द्वीपों में बंटी हुई है। ये सातों द्वीप चारों ओर से क्रमशः खारे पानी, इक्षुरस, मदिरा, घृत, दधि, दुग्ध और मीठे जल के सात समुद्रों से घिरे हैं। ये सभी द्वीप एक के बाद एक दूसरे को घेरे हुए बने हैं और इन्हें घेरे हुए सातों समुद्र हैं। जम्बुद्वीप इन सब के मध्य में स्थित है। सप्त सागर इस प्रकार से हैं:-.

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संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द

हिन्दी भाषी क्षेत्र में कतिपय संख्यावाची विशिष्ट गूढ़ार्थक शब्द प्रचलित हैं। जैसे- सप्तऋषि, सप्तसिन्धु, पंच पीर, द्वादश वन, सत्ताईस नक्षत्र आदि। इनका प्रयोग भाषा में भी होता है। इन शब्दों के गूढ़ अर्थ जानना बहुत जरूरी हो जाता है। इनमें अनेक शब्द ऐसे हैं जिनका सम्बंध भारतीय संस्कृति से है। जब तक इनकी जानकारी नहीं होती तब तक इनके निहितार्थ को नहीं समझा जा सकता। यह लेख अभी निर्माणाधीन हॅ .

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खारे पानी का सागर

विष्णु पुराण के अनुसार यह पृथ्वी सात द्वीपों में बंटी हुई है। ये सातों द्वीप चारों ओर से सात समुद्रों से घिरे हैं। ये सभी द्वीप एक के बाद एक दूसरे को घेरे हुए बने हैं और इन्हें घेरे हुए सातों समुद्र हैं। जम्बुद्वीप इन सब के मध्य में स्थित है। खारे जल का सागर इसको घेरे हुए है। इस सागर को प्लक्षद्वीप घेरे हुए है। श्रेणी:हिन्दू धर्म श्रेणी:सप्त सागर श्रेणी:विष्णु पुराण श्रेणी:हिन्दू कथाएं श्रेणी:हिन्दू इतिहास.

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इलावृतवर्ष

इस पृष्ठ की विषय वस्तु हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित हैं। इलावृतवर्ष जम्बूद्वीप के केन्द्र में स्थित उसके नौ वर्षों में से एक है। इस वर्ष के केन्द्र में मर्यादापर्वत मेरु है। मेरु पर्वत तथा इलावृतवर्ष की भूटानी बौद्ध धार्मिक चित्रकारी श्रीमद् भागवत महापुराण तथा विष्णुपुराण आदि पुराणों में पृथ्वी को सात द्वीपों (जम्बूद्वीप, प्लक्षद्वीप, शाल्मलद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप तथा पुष्करद्वीप) में बाँटा गया है, जिनके अलग अलग वर्ष, वर्ण, उपद्वीप, समुद्र तथा पूज्यदेव आदि होते हैं। पृथ्वी के केन्द्र में स्थित द्वीप को जम्बूद्वीप कहते हैं। .

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इक्षुरस का सागर

विष्णु पुराण के अनुसार यह पृथ्वी सात द्वीपों में बंटी हुई है। ये सातों द्वीप चारों ओर से सात समुद्रों से घिरे हैं। ये सभी द्वीप एक के बाद एक दूसरे को घेरे हुए बने हैं और इन्हें घेरे हुए सातों समुद्र हैं। इक्षुरस का सागर प्लक्षद्वीप को घेरे हुए है। इस सागर को शाल्मलद्वीप घेरे हुए है। श्रेणी:हिन्दू धर्म श्रेणी:सप्त सागर श्रेणी:विष्णु पुराण श्रेणी:हिन्दू कथाएं श्रेणी:हिन्दू इतिहास.

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कुशद्वीप

हिन्दु धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार पृथ्वी का वर्णन इस प्रकार है। यह वर्णन श्रीपाराशर जी ने श्री मैत्रेय ऋषि से कियी था। उनके अनुसार इसका वर्णन सौ वर्षों में भी नहीं हो सकता है। यह केवल अति संक्षेप वर्णन है। .

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क्रौंचद्वीप

हिन्दु धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार पृथ्वी का वर्णन इस प्रकार है। यह वर्णन श्रीपाराशर जी ने श्री मैत्रेय ऋषि से कियी था। उनके अनुसार इसका वर्णन सौ वर्षों में भी नहीं हो सकता है। यह केवल अति संक्षेप वर्णन है। .

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