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प्राणिविज्ञान

सूची प्राणिविज्ञान

200px प्राणिविज्ञान या जन्तुविज्ञान (en:Zoology) (जीवविज्ञान की शाखा है जो जन्तुओं और उनके जीवन, शरीर, विकास और वर्गीकरण (classification) से सम्बन्धित होती है। .

38 संबंधों: चिड़ियाघर, चिकित्सा, चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय, चेन्नई में पर्यटन, टेन्टेकल, डी॰ के॰ रवि, ढोर, दयाल सिंह कॉलेज, करनाल, दरियाई घोड़ा, पर्णाहारी, पारिभाषिक शब्दावली, भौतिक भूगोल, मनु-पशु विज्ञान, महाप्राणी, महाराज सिंह कॉलेज, सहारनपुर, माधव सदाशिव गोलवलकर, लिओनार्दो दा विंची, सुन्दर लाल (बहुविकल्पी), सुन्दरलाल होरा, स्तनिकी, सोनाली कुलकर्णी (व्यापार-जगत से जुड़ी महिला), हनुमान लंगूर में पूँछ वहन, जाति (जीवविज्ञान), जैवसांख्यिकी, जूलॉजी (बहुविकल्पी), जीव विज्ञान, जीववैज्ञानिक वर्गीकरण, वनस्पति विज्ञान, विश्वप्रपंच, आटोक्लेव, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, किरायाला मधुबाला, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भुवनेश्वर, कीट विज्ञान, कीटविज्ञान, अपच्छेदन, अपर्णा दत्ता गुप्ता, अरस्तु

चिड़ियाघर

कैलिफोर्निया के सैन डिएगो चिड़ियाघर का प्रवेश द्वार, मई 2007. चिड़ियाघर या प्राणिउपवन (Zoological garden) वह संस्थान है जहाँ जीवित पशु पक्षियों को बहुत बड़ी संख्या में संग्रहीत कर रखा जाता है। लोग इन संग्रहित पशु पक्षियों को सुविधा और सुरक्षापूर्वक देख सकें इसकी भी व्यवस्था की जाती है। यहाँ उनके प्रजनन और चिकित्सा आदि की भी व्यवस्था होती है। दुनिया भर में आम जनता के लिए खोले गए प्रमुख पशु संग्रहालयों की संख्या अब 1,000 से भी अधिक है और उनमें से लगभग 80 प्रतिशत शहरों में हैं। जीवित पशु पक्षियों के संग्रह को रखने की परिपाटी बहुत प्राचीन है। ऐसे उपवनों के होने का सबसे पुराना उल्लेख चीन में ईसा के 1200 वर्ष पूर्व में मिलता है। चीन के चाऊ वंश के प्रथम शासक के पास उस समय ऐसा एक पशु पक्षियों का संग्रहालय था। ईसा के 2000 वर्ष पूर्व के मिस्रवासियों की कब्रों के आसपास पशुओं की हड्डियाँ पाई गई हैं, जिससे पता लगता है कि वे लोग आमोद प्रमोद के लिए अपने आसपास पशुओं को रखा करते थे। पीछे रोमन लोग भी पशुओं को पकड़कर अपने पास रखते थे। प्राचीन रोमनों और यूनानियों के पास ऐसे संग्रह थे जिनमें सिंह, बाघ, चीता, तेंदुए आदि रहते थे। ऐसा पता लगता है कि ईसा के 29 वर्ष पूर्व ऑगस्टस ऑक्टेवियस (Augustus Octavious) के पास 410 बाघ, 260 चीते और 600 अफ्रीकी जंतुओं का संग्रह था, जिसमें बाघ राइनोसिरस, हिपोपॉटैमस (दरियाई घोड़ा), भालू, हाथी, मकर, साँप, सील (seal), ईगल (उकाब) इत्यादि थे। पीछे जंतुओं के संग्रह की दिशा में उत्तरोत्तर वृद्धि हेती रही है और आज संसार के प्रत्येक देश और प्रत्येक बड़े-बड़े नगर में प्राणिउपवन विद्यमान हैं। .

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चिकित्सा

संकीर्ण अर्थ में, रोगों से आक्रांत होने पर रोगों से मुक्त होने के लिये जो उपचार किया जाता है वह चिकित्सा (Therapy) कहलाता है। पर व्यापक अर्थ में वे सभी उपचार 'चिकित्सा' के अंतर्गत आ जाते हैं जिनसे स्वास्थ्य की रक्षा और रोगों का निवारण होता है। .

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चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय

चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय (CBLU), हरियाणा के भिवानी में स्थित एक राज्य विश्वविद्यालय है। २०१४ में स्थापित इस विश्वविद्यालय में विभिन्न विषयों के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम है। महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक इससे ५२ किमी की दूरी पर है। .

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चेन्नई में पर्यटन

मरीना बीच में एमजीआर (MGR) समाधि अपने ऐतिहासिक स्थलों और इमारतों, लंबी रेतीले समुद्र तट, सांस्कृतिक और कला केन्द्रों और पार्कों के साथ, चेन्नई का पर्यटन आगंतुकों को कई मनोरम स्थान प्रदान करता है। चेन्नई का एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण वास्तव में निकटवर्ती शहर महाबलीपुरम में अपने प्राचीन मंदिरों एवं 7वीं सदी के पल्लव साम्राज्य के चट्टान की नक्काशियों के साथ स्थित है। दिल्ली एवं मुंबई के बाद चेन्नई विदेशियों द्वारा तीसरा सर्वाधिक भ्रमण किया जाने वाला शहर है। 2007 में संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए), युनाइटेड किंगडम (यूके), श्रीलंका, मलेशिया, एवं सिंगापुर के लगभग 65,000 पर्यटकों ने शहर का भ्रमण किया है। .

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टेन्टेकल

प्राणी विज्ञान में टेन्टेकल (tentacle) किसी प्राणी के शरीर से लगा हुआ लचकीला और लम्बा उपांग होता है जिस से वह प्राणी चीज़ों को छू, सूँघ, चख़, पकड़, खींच या डस सके। आम तौर पर टेन्टेकल अकशेरुकी प्राणियों (invertebrates) में मिलते हैं और अक्सर यह जोड़ियों में होते हैं। .

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डी॰ के॰ रवि

डी॰ के॰ रवि (पूरा नाम दोड्डकोप्पलू करियप्पा रवि, १० जून १९७९ - १६ मार्च २०१५) भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी थे। वे भारतीय प्रशासनिक सेवा के कर्नाटक कैडर के २००९ समूह के अधिकारी थे। ज़ी न्यूज़ (Zee News), १७ मार्च २०१५ एक कर्मठ और ईमानदार प्रशासक के रूप में उन्हें तब जनता के बीच में पहचान मिली जब कोलार ज़िले के उपायुक्त के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने ज़िले में सरकारी भूमि पर किये गए अतिक्रमण और बेरोकटोक रूप से चल रहे अवैध रेत खनन के विरुद्ध अभियान चलाया। कोलार ज़िले में लगभग चौदह माह के कार्यकाल के बाद अक्टूबर २०१४ में कर्नाटक सरकार द्वारा उन्हें बंगलौर में वाणिज्य कर (प्रवर्तन) के अतिरिक्त आयुक्त के पद पर स्थानान्तरित कर दिया गया। राजस्थान पत्रिका, १७ मार्च २०१५ अतिरिक्त आयुक्त के रूप में पांच माह तक कार्य करते हुए वे १६ मार्च २०१५ को अपने आवास पर संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए। अपने पांच माह के इस छोटे कार्यकाल में ही उनके द्वारा बीस से अधिक कर चोरी कर रही कम्पनियों, फर्मों और बिल्डरों पर की गयी छापेमारी, और इनसे की गयी करोड़ों रूपये की कर उगाही ने उनकी अचानक मृत्यु को संदेहास्पद बना दिया। राजस्थान पत्रिका, १८ मार्च २०१५ .

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ढोर

ढोर (cattle) उस पशुवर्ग में आते हैं जिनके खुर होते हैं और प्रत्येक खुर आगे से मध्य भाग में फटा होता है। यह द्विखुरीयगण के अंतर्गत एक कुल है। अधिकांश ढोरों के सींग होते हैं, जो खोपड़ी के किनारों के ही बढ़े हुए हिस्से होते हैं। इनके ऊपरी जबड़े के अंत में दाँत नहीं होते। इस जाति के पालतु पशु जैसे गाय, बैल, भैंस तथा जंगली पशु जैसे बहुसिंगे आदि जुगाली करते हैं। .

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दयाल सिंह कॉलेज, करनाल

दयाल सिंह कॉलेज, करनाल, हरियाणा में एक स्नातकोत्तर महाविद्यालय है। यह सरदार दयाल सिंह मजीठिया द्वारा १९१० में स्थापित किया गया था, जिन्होंने दयाल सिंह कालेज, लाहौर और दयाल सिंह कॉलेज, दिल्ली की भी स्थापना की थी। यह दयाल सिंह कॉलेज ट्रस्ट सोसाइटी दिल्ली द्वारा प्रबंधित है। .

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दरियाई घोड़ा

अफ्रीका का विशाल पशु- '''जलीय घोड़ा''' दरियाई घोड़ा या जलीय घोड़ा (Hippopotamus) एक विशाल और गोलमटोल स्तनपायी प्राणी है जो अफ्रीका का मूल निवासी है। दरियाई घोड़े नाम के साथ घोड़ा शब्द जुड़ा है एवं "हिप्पोपोटामस" शब्द का अर्थ "वाटर होर्स" यानी "जल का घोड़ा" होता है परन्तु उसका घोड़ों से कोई संबंध नहीं है। प्राणिविज्ञान की दृष्टि में यह सूअरों का दूर का रिश्तेदार है। यह शाकाहारी प्राणी नदियों एवं झीलों के किनारे तथा उनके मीठे जल में समूहों में रहना पसन्द करता है। उसे आसानी से विश्व का दूसरा सबसे भारी स्थलजीवी स्तनी कहा जा सकता है। वह 14 फुट लंबा, 5 फुट ऊंचा और 4 टन भारी होता है। उसका विशाल शरीर स्तंभ जैसे और ठिंगने पैरों पर टिका होता है। पैरों के सिरे पर हाथी के पैरों के जैसे चौड़े नाखून होते हैं। आंखें सपाट सिर पर ऊपर की ओर उभरी रहती हैं। कान छोटे होते हैं। शरीर पर बाल बहुत कम होते हैं, केवल पूंछ के सिरे पर और होंठों और कान के आसपास बाल होते हैं। चमड़ी के नीचे चर्बी की एक मोटी परत होती है जो चमड़ी पर मौजूद रंध्रों से गुलाबी रंग के वसायुक्त तरल के रूप में चूती रहती है। इससे चमड़ी गीली एवं स्वस्थ रहती है। दरियाई घोड़े की चमड़ी खूब सख्त होती है। पारंपरिक विधियों से उसे कमाने के लिए छह वर्ष लगता है। ठीक प्रकार से तैयार किए जाने पर वह २ इंच मोटी और चट्टान की तरह मजबूत हो जाती है। हीरा चमकाने में उसका उपयोग होता है। .

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पर्णाहारी

प्राणी विज्ञान में पर्णाहारी (folivore) ऐसे शाकाहारी प्राणी होते हैं जो अधिकतर पत्ते खाते हैं। शिशु पत्तों को छोड़कर, पूरी तरह से विकसित पत्तों में सेलुलोस की भरमार होती है जिसे पचाना कठिन होता है। इसके अलावा कई पत्तों में विषैले पदार्थ भी पाए जाते हैं। इस कारणवश पर्णाहारी पशुओं में पचन तंत्र की नली बहुत लम्बी होती है और पचन-क्रिया धीमी होती है, जिस से वह सेलुलोस को रसायनिक क्रिया से तोड़कर हज़म कर सकें और विष भी निकालकर अलग कर सकें। नरवानर जैसे कई पर्णाहारियों में भी शिशु पत्तों को चुनकर खाने की आदत देखी गई है क्योंकि उन्हें पचाना अधिक आसान होता है। .

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पारिभाषिक शब्दावली

पारिभाषिक शब्दावली या परिभाषा कोश, "ग्लासरी" (glossary) का प्रतिशब्द है। "ग्लासरी" मूलत: "ग्लॉस" शब्द से बना है। "ग्लॉस" ग्रीक भाषा का glossa है जिसका प्रारंभिक अर्थ "वाणी" था। बाद में यह "भाषा" या "बोली" का वाचक हो गया। आगे चलकर इसमें और भी अर्थपरिवर्तन हुए और इसका प्रयोग किसी भी प्रकार के शब्द (पारिभाषिक, सामान्य, क्षेत्रीय, प्राचीन, अप्रचलित आदि) के लिए होने लगा। ऐसे शब्दों का संग्रह ही "ग्लॉसरी" या "परिभाषा कोश" है। ज्ञान की किसी विशेष विधा (कार्य क्षेत्र) में प्रयोग किये जाने वाले शब्दों की उनकी परिभाषा सहित सूची पारिभाषिक शब्दावली (glossary) या पारिभाषिक शब्दकोश कहलाती है। उदाहरण के लिये गणित के अध्ययन में आने वाले शब्दों एवं उनकी परिभाषा को गणित की पारिभाषिक शब्दावली कहते हैं। पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग जटिल विचारों की अभिव्यक्ति को सुचारु बनाता है। महावीराचार्य ने गणितसारसंग्रहः के 'संज्ञाधिकारः' नामक प्रथम अध्याय में कहा है- इसके बाद उन्होने लम्बाई, क्षेत्रफल, आयतन, समय, सोना, चाँदी एवं अन्य धातुओं के मापन की इकाइयों के नाम और उनकी परिभाषा (परिमाण) दिया है। इसके बाद गणितीय संक्रियाओं के नाम और परिभाषा दी है तथा अन्य गणितीय परिभाषाएँ दी है। द्विभाषिक शब्दावली में एक भाषा के शब्दों का दूसरी भाषा में समानार्थक शब्द दिया जाता है व उस शब्द की परिभाषा भी की जाती है। अर्थ की दृष्टि से किसी भाषा की शब्दावली दो प्रकार की होती है- सामान्य शब्दावली और पारिभाषिक शब्दावली। ऐसे शब्द जो किसी विशेष ज्ञान के क्षेत्र में एक निश्चित अर्थ में प्रयुक्त होते हैं, वह पारिभाषिक शब्द होते हैं और जो शब्द एक निश्चित अर्थ में प्रयुक्त नहीं होते वह सामान्य शब्द होते हैं। प्रसिद्ध विद्वान आचार्य रघुवीर बड़े ही सरल शब्दों में पारिभाषिक और साधारण शब्दों का अन्तर स्पष्ट करते हुए कहते हैं- पारिभाषिक शब्दों को स्पष्ट करने के लिए अनेक विद्वानों ने अनेक प्रकार से परिभाषाएं निश्चित करने का प्रयत्न किया है। डॉ॰ रघुवीर सिंह के अनुसार - डॉ॰ भोलानाथ तिवारी 'अनुवाद' के सम्पादकीय में इसे और स्पष्ट करते हुए कहते हैं- .

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भौतिक भूगोल

पृथ्वी के धरातल और वतावरण का रंगीन चित्र भौतिक भूगोल (Physical geography) भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें पृथ्वी के भौतिक स्वरूप का अध्ययन किया जाता हैं। यह धरातल पर अलग अलग जगह पायी जाने वाली भौतिक परिघटनाओं के वितरण की व्याख्या व अध्ययन करता है, साथ ही यह भूविज्ञान, मौसम विज्ञान, जन्तु विज्ञान और रसायनशास्त्र से भी जुड़ा हुआ है। इसकी कई उपशाखाएँ हैं जो विविध भौतिक परिघटनाओं की विवेचना करती हैं। .

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मनु-पशु विज्ञान

मनु-पशु विज्ञान (Anthrozoology) लोक जीवविज्ञान की एक शाखा है जिसमें मानवों और पशुओं के बीच के सम्बन्ध का अध्ययन करा जाता है। यह एक अंतर्विषयक विद्या है जिसमें मानवशास्त्र, प्राणी व्यवहार, आयुर्विज्ञान, मनोविज्ञान, पशु चिकित्सा विज्ञान और प्राणी विज्ञान के मिश्रित तत्व शामिल हैं। मनु-पशु विज्ञान में विशेष रूप से मानवों और पशुओं में पारस्परिक क्रियाओं के प्रभावों का मापन करा जाता है। .

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महाप्राणी

अफ़्रीकी झाड़ हाथी, दुनिया का सबसे बड़ा ज़मीन पर रहने वाला प्राणी महाप्राणी, जिसे अंग्रेज़ी व कई अन्य भाषाओं में मेगाफ़ाउना (megafauna) कहते हैं, वह जानवर होते हैं जो शारीरिक आकार में बड़े या भीमकाय हों। प्राणीविज्ञान में आमतौर पर ४५ किलोग्राम से अधिक वज़न रखने वाले जानवरों को महाप्राणी कहा जाता है और इस आधार पर मानव भी एक महाप्राणी कहा जा सकता है। इसके विपरीत आम प्रयोग में महाप्राणी केवल उन जंगली जानवरों के लिए प्रयोग होता है जो मानव-आकार के बराबर या उससे बड़े हों। इनमें हाथी, गैंडा, जिराफ़, दरियाई घोड़ा, सिंह और ऐसे अन्य जानवर आते हैं। कभी-कभी यह शब्द विशेष रूप से उन प्राणियों के लिए भी इस्तेमाल होता है जो पिछले हिमयुग में विलुप्त हो गए मैमथ जैसे महाकाय जानवरों से सम्बंधित हों। .

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महाराज सिंह कॉलेज, सहारनपुर

महाराज सिंह कॉलेज, सहारनपुर, सहारनपुर उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख स्नातकोत्तर महाविद्यालय है जिसका यह नाम इसके संस्थापक बाबू महाराज सिंह, एडवोकेट के नाम पर दिया गया है जिन्होंने वर्ष १९५७ में सहारनपुर में इस कॉलेज की स्थापना की। विज्ञान विषय की विभिन्न शाखाओं - यथा - भौतिकी, रसायनशास्त्र, जन्तु विज्ञान, जीव विज्ञान, पादप विज्ञान आदि की स्नातकोत्तर कक्षाओं के अतिरिक्त यहां पर हिन्दी, अंग्रेज़ी, राजनीति शास्त्र आदि विषय की भी कक्षायें चलती हैं। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के आधीन चल रहे महाराज सिंह कॉलेज, सहारनपुर में लगभग ४००० छात्र एवं छात्रायें अध्ययनरत हैं। .

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माधव सदाशिव गोलवलकर

माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरूजी (मराठी: माधव सदाशिव गोळवलकर; जन्म: १९ फ़रवरी १९०६ - मृत्यु: ५ जून १९७३) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक तथा महान विचारक थे। उन्हें जनसाधारण प्राय: 'गुरूजी' के ही नाम से अधिक जानते हैं। .

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लिओनार्दो दा विंची

फ्लोरेंस में लिओनार्दो की मूर्ति लिओनार्दो दा विंची (Leonardo da Vinci, 1452-1519) इटलीवासी, महान चित्रकार, मूर्तिकार, वास्तुशिल्पी, संगीतज्ञ, कुशल यांत्रिक, इंजीनियर तथा वैज्ञानिक था। .

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सुन्दर लाल (बहुविकल्पी)

कोई विवरण नहीं।

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सुन्दरलाल होरा

भारतीय प्राणि विज्ञानी सुंदरलाल होरा (1896-1955) का जन्म पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान) के हाफिज़ाबाद नामक कस्बे में हुआ था। पंजाब विश्वविद्यालय की एम.

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स्तनिकी

जन्तुविज्ञान में, स्तनधारी प्राणियों के अध्ययन को स्तनिकी (mammalogy) कहा जाता है। स्तनधारियों की लगभग 4,200 विभिन्न प्रजातियाँ हैं। .

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सोनाली कुलकर्णी (व्यापार-जगत से जुड़ी महिला)

सोनाली कुलकर्णी फ़नूक इंडिया की अध्यक्षा और मुख्य अधिकारी हैं। यह जापानी रोबॉट निर्माता की स्थानीय इकाई है। अपने इस रोल में वह सभी सामग्री जैसे कि सी०एन०सी, रोबॉट, रोबो-मशीन और प्रणालि-एकिकरण (System Integration) के विपनन और बिकरी से जुड़ी गतिविधियों को देखती हैं। कुलकर्णी को वर्ष 2014 की सबसे शक्तिशालि महिला खिताब दिया गया है। .

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हनुमान लंगूर में पूँछ वहन

हनुमान लंगूर में पूँछ वहन एक सहज व्यवहार है और जैव वैज्ञानिक रूनवाल के अनुसार भारत के लंगूरों में इसकी कई शैलियाँ हैं। पूँछ वहन की इन शैलियों के आधार पर लंगूरों को समूहों में बांटा जा सकता है। पुरानी दुनिया का हनुमान लंगूर लगभग पूरे भारत में पाया जाता है, और हिन्दू इसे भगवन हनुमान का अवतार मानते हैं। फिलिप का कहना है कि भाषा और साहित्य में यह काले मूंह और लम्बी पूंछ वाला बंदर लांगुल का पर्याय है। प्राणी विज्ञान में लंगूर नरवानर गण में आता है, पहले इसका नाम प्रेसबाईटेस एंटेलस था और इसकी १६ किसमों का वर्णन है, किन्तु लगभग २००० के बाद इसका नाम सेमनोपीथेकस, और इसकी ज़्यादातर किस्मों को प्रजातियों में बदल दिया गया। अर्थात हनुमान लंगूर या प्रेसबाईटेस, जिसकी पूंछ की बात यहाँ हो रही है, उसे अब सेमनोपीथेकस कहते हैं। इस लेख के पहले भाग में लंगूरों में पूँछ वहन की चार मुख्य शैलियों का वर्णन, दूसरे भाग में हनुमान और लंगूर की पूँछ वहन शैलियों की तुलना, और अंत में बंदर की कुछ अन्य प्रजातियों की अनोखी पूँछों से परिचय है। .

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जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

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जैवसांख्यिकी

जीवसांख्यिकी (Biometry) जीवसांख्यिकी का शाब्दिक अर्थ होता है जीवधारियों से संबंधित संख्या का विज्ञान। यह जीव विज्ञान की एक शाखा है। गणित और आँकड़े की विधि के प्रयोग द्वारा जीवित वस्तुओं के जैव गुणों का वर्णन और वर्गीकरण जीवसांख्यिकी कहलाता है। इसका संबंध विशेषत: आँकड़े (Statistics) की विधि से जैव पदार्थों में विभिन्नता, उनकी आबादी संबंधी समस्याएँ और उनमें किस आवृत्ति (frequency) से घटनाएँ घटित होती हैं, इत्यादि के विश्लेषण से हैं। जीवसांख्यिकी का क्षेत्र सीमित और केवल जैव वस्तुओं से संबंधित है। सांख्यिकीविद् प्रथम बड़े पैमाने पर प्रेक्षण करते हैं। वे इन प्रेक्षणों को क्रमबद्ध करके इनका सारांश निकालने की चेष्टा करते हैं। इस सारांश के आधार पर प्रेक्षित जाति (species) के जीव का एक ऐसा साधारण और व्यापक वर्णन करते हैं जो उस पूरे जीवसमूह पर लागू हो। चूँकि जैव आँकड़े बहुत ही परिवर्ती होते हैं, अतएव इस विभिन्नता से उत्पन्न कठिनाइयों को सुलझाने और ठीक ठीक तर्क स्थापित करने के हेतु ही मुख्यत: जीवसांख्यिकी विधि का विकास हुआ है। .

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जूलॉजी (बहुविकल्पी)

अंग्रेजी में जूलॉजी (zoology) (हिन्दी: जन्तुविज्ञान) के अन्तर्गत जन्तुओं का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। किन्तु जूलॉजी निम्नलिखित अर्थों में भी प्रयुक्त होता है-.

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जीव विज्ञान

जीवविज्ञान भांति-भांति के जीवों का अध्ययन करता है। जीवविज्ञान प्राकृतिक विज्ञान की तीन विशाल शाखाओं में से एक है। यह विज्ञान जीव, जीवन और जीवन के प्रक्रियाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है। इस विज्ञान में हम जीवों की संरचना, कार्यों, विकास, उद्भव, पहचान, वितरण एवं उनके वर्गीकरण के बारे में पढ़ते हैं। आधुनिक जीव विज्ञान एक बहुत विस्तृत विज्ञान है, जिसकी कई शाखाएँ हैं। 'बायलोजी' (जीवविज्ञान) शब्द का प्रयोग सबसे पहले लैमार्क और ट्रविरेनस नाम के वैज्ञानिको ने १८०२ ई० में किया। जिन वस्तुओं की उत्पत्ति किसी विशेष अकृत्रिम जातीय प्रक्रिया के फलस्वरूप होती है, जीव कहलाती हैं। इनका एक परिमित जीवनचक्र होता है। हम सभी जीव हैं। जीवों में कुछ मौलिक प्रक्रियाऐं होती हैं.

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जीववैज्ञानिक वर्गीकरण

जीवजगत के समुचित अध्ययन के लिये आवश्यक है कि विभिन्न गुणधर्म एवं विशेषताओं वाले जीव अलग-अलग श्रेणियों में रखे जाऐं। इस तरह से जन्तुओं एवं पादपों के वर्गीकरण को वर्गिकी या वर्गीकरण विज्ञान अंग्रेजी में वर्गिकी के लिये दो शब्द प्रयोग में लाये जाते हैं - टैक्सोनॉमी (Taxonomy) तथा सिस्टेमैटिक्स (Systematics)। कार्ल लीनियस ने 1735 ई. में सिस्तेमा नातूरै (Systema Naturae) नामक पुस्तक सिस्टेमैटिक्स शब्द के आधार पर लिखी थी।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

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वनस्पति विज्ञान

बटरवर्थ का पुष्प जीव जंतुओं या किसी भी जीवित वस्तु के अध्ययन को जीवविज्ञान या बायोलोजी (Biology) कहते हैं। इस विज्ञान की मुख्यतः दो शाखाएँ हैं: (1) प्राणिविज्ञान (Zoology), जिसमें जंतुओं का अध्ययन होता है और (2) वनस्पतिविज्ञान (Botany) या पादपविज्ञान (Plant Science), जिसमें पादपों का अध्ययन होता है। .

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विश्वप्रपंच

विश्वप्रपंच, जर्मनी के प्रसिद्ध प्राणिशास्त्री और भौतिकवादी दार्शनिक एर्न्स्ट हेक्केल की पुस्तक रिड्ल ऑफ द युनिवर्स का आचार्य शुक्ल द्वारा किया गया हिन्दी अनुवाद है। .

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आटोक्लेव

आटोक्लेव एक ऐसा साधन है, जो उपकरणों और सामग्रियों को उनके भार और अन्तर्वस्तु के आधार पर, विशेषतः 15 से 20 मिनट तक, 121 °C या अधिक के उच्च दबाव वाले वाष्प के अधीन रख कर, उन्हें निष्कीटित करता है। 1879 में चार्ल्स चेम्बरलैंड द्वारा इसका आविष्कार किया गया, जबकि स्टीम डाईजेस्टर नामक इसके पुरोगामी को डेनिस पापिन ने 1679 में बनाया था। इसके नाम की उत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द aut और लैटिन शब्द clavis अर्थात् कुंजी से हुई है जिसका अर्थ है - एक स्व-अवरोधी उपकरण.

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय

इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत का एक प्रमुख विश्वविद्यालय है। यह एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। यह आधुनिक भारत के सबसे पहले विश्वविद्यालयों में से एक है। इसे 'पूर्व के आक्सफोर्ड' नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना सन् 1887 ई को एल्फ्रेड लायर की प्रेरणा से हुयी थी। इस विश्वविद्यालय का नक्शा प्रसिद्ध अंग्रेज वास्तुविद इमरसन ने बनाया था। १८६६ में इलाहाबाद में म्योर कॉलेज की स्थापना हुई जो आगे चलकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। आज भी यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। म्योर कॉलेज का नाम तत्कालीन संयुक्त प्रांत के गवर्नर विलियम म्योर के नाम पर पड़ा। उन्होंने २४ मई १८६७ को इलाहाबाद में एक स्वतंत्र महाविद्यालय तथा एक विश्वविद्यालय के निर्माण की इच्छा प्रकट की थी। १८६९ में योजना बनी। उसके बाद इस काम के लिए एक शुरुआती कमेटी बना दी गई जिसके अवैतनिक सचिव प्यारे मोहन बनर्जी बने। ९ दिसम्बर १८७३ को म्योर कॉलेज की आधारशिला टामस जार्ज बैरिंग बैरन नार्थब्रेक ऑफ स्टेटस सीएमएसआई द्वारा रखी गई। ये वायसराय तथा भारत के गवर्नर जनरल थे। म्योर सेंट्रल कॉलेज का आकल्पन डब्ल्यू एमर्सन द्वारा किया गया था और ऐसी आशा थी कि कॉलेज की इमारतें मार्च १८७५ तक बनकर तैयार हो जाएँगी। लेकिन इसे पूरा होने में पूरे बारह वर्ष लग गए। १८८८ अप्रैल तक कॉलेज के सेंट्रल ब्लॉक के बनाने में ८,८९,६२७ रुपए खर्च हो चुके थे। इसका औपचारिक उद्घाटन ८ अप्रैल १८८६ को वायसराय लार्ड डफरिन ने किया। २३ सितंबर १८८७ को एक्ट XVII पास हुआ और कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास विश्वविद्यालयों के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय उपाधि प्रदान करने वाला भारत का चौथा विश्वविद्यालय बन गया। इसकी प्रथम प्रवेश परीक्षा मार्च १८८९ में हुई। .

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किरायाला मधुबाला

किरालाला मधुबाला एक भारतीय वैज्ञानिक हैं। उन्होंने आणविक परजीवी विज्ञान और कार्यात्मक जीनोमिक्स पर कम किया है। वह निदेशक हैं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अकादमिक स्टाफ कॉलेज की। वह पहले अध्यक्ष थी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज और निदेशक उन्नत इंस्ट्रुमेंटेशन रिसर्च फसिलिटी की। मधुबाला ने दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राणि विज्ञान में स्नातक और परास्नातक उपाधि प्राप्त की। उन्होंने १९४७ में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एम.फिल की जीवन विज्ञान में और फिर १९८३ में हैदराबाद विश्वविद्यालय से बायोकैमिस्ट्री में पीएचडी की। वह भारतीय एकेडमी ऑफ साइंसेज, नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस, इंडिया और इंडियन नेशनल साइंस अकेडमी के साथ भी काम करती हैं। .

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क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भुवनेश्वर

क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भुवनेश्वर, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद का संघटक ईकाईयो में से एक हँ, जो कि पूर्वी क्षेत्र के अध्यापको की शैक्षिक जरुरतें (पुर्व सेवा और सेवारत शिक्षा) पूरी करता हँ। इसका पूर्व नाम 'क्षेत्रीय शिक्षा महाविद्यालय' (Regional College of Education) था। यह ओडिशा,बिहार,झारखण्ड,पश्चिम बंगाल,असम,अरुणाचल प्रदेश,त्रिपुरा, नागालैण्ड,मिज़ोरम,मेघालय,सिक्किम, मणिपुर राज्यो और संघ राज्य प्रदेश अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह में विद्यालयी शिक्षा के सभी क्षेत्रों, विशेश रूप से स्कूली शिक्षा के संसाधन केन्द्र के रूप में कार्य करता हैं। .

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कीट विज्ञान

कीट विज्ञान (ग्रीक ἔντομον, एटकोन "कीट" और -λογία, -logia से) प्राणी विज्ञान की एक शाखा है जिसमे कीड़ो का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। अतीत में, शब्द "कीट" अधिक अस्पष्ट था और ऐतिहासिक रूप से कीटविज्ञान की परिभाषा में आर्थ्रोपॉड, फ़िला और स्थलीय जीवों का अध्ययन जैसे कि एराचैड्स, मायरीपॉड, गांडव, भूमि घोंघे और स्लग भी इसमें शामिल थे। जंतु विज्ञान के अंतर्गत वर्गीकृत अन्य क्षेत्रों की तरह, कीट विज्ञान एक टैक्सोन-आधारित श्रेणी है; वैज्ञानिक अध्ययन के किसी भी रूप में,जिसमें कीट से संबंधित विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, परिभाषा के अनुसार, कीट विज्ञान - एंटोमोलॉजी है। इसलिए आणविक आनुवंशिकी, व्यवहार, बायोमैकेनिक्स, बायोकेमेस्ट्री, सिस्टमैटिक्स, फिजियोलॉजी, डेवलपमेंट बायोलॉजी, पारिस्थितिकी, इकोलॉजी (पारिस्थितिकी) और पेलीयंटोलोजी के रूप में विभिन्न विषयों का मिश्रण हैं। 1.3 मिलियन से ज्यादा जीव प्रजातियों में दो-तिहाई से अधिक तो कीट प्रजाति के प्राणी ही है और पृथ्वी पर मनुष्यों और जीवन के अन्य रूपों के साथ 400 मिलियन वर्ष पहले से संपर्क हैं। phasmid,एक पत्ता के आकार का कीट .

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कीटविज्ञान

पादप और कीट कीटविज्ञान (एंटोमॉलोजी Entomology) प्राणिविज्ञान का एक अंग है जिसके अंतर्गत कीटों अथवा षट्पादों का अध्ययन आता है। षट्पाद (षट्.

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अपच्छेदन

अपच्छेदन (Abscission) किसी जीव के किसी अंग के अलग होकर गिर जाने की प्रक्रिया को कहते हैं। उदाहरण के लिये वृक्षों से पत्तों, फलों, फूलों या बीजों का गिरना औपचारिक रूप से जीव विज्ञान में अपच्छेदन कहलाता है। इसी तरह से प्राणी विज्ञान में किसी स्वस्थय प्राणी द्वारा नियमित रूप से त्वचा, बाल या पंजे का झड़ना, या फिर किसी परभक्षी से बचने के लिये कुछ प्राणियों द्वारा जान-बूझकर अपनी पूँछ को अलग कर देना भी अपच्छेदन कहलाता है। कोशिका विज्ञान में कोशिकाद्रव्य विभाजन (cytokinesis, साइटोकाइनीसिस) में किसी कोशिका के बंटकर दो अलग पुत्री कोशिकाओं का बन जाना भी अपच्छेदन के नाम से जाना जाता है। .

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अपर्णा दत्ता गुप्ता

अपर्णा दत्ता गुप्ता एक वैज्ञानिक है। वह हैदराबाद विश्वविद्यालय मे पशुविज्ञान विभाग में पढ़ाती हैं। उन्होंने कीटाणुओं के शारिरिक विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान किया है। यह अध्ययन कीटों को ध्यान में रखते हुए, उनके नियंत्रण पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता हैं। अपर्णा ने पी एच डी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से किया। वह आई एन एस ए, एन एस आई, और आई ए एस सी की एक फ़ेलो हैं। .

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अरस्तु

अरस्तु अरस्तु (384 ईपू – 322 ईपू) यूनानी दार्शनिक थे। वे प्लेटो के शिष्य व सिकंदर के गुरु थे। उनका जन्म स्टेगेरिया नामक नगर में हुआ था ।  अरस्तु ने भौतिकी, आध्यात्म, कविता, नाटक, संगीत, तर्कशास्त्र, राजनीति शास्त्र, नीतिशास्त्र, जीव विज्ञान सहित कई विषयों पर रचना की। अरस्तु ने अपने गुरु प्लेटो के कार्य को आगे बढ़ाया। प्लेटो, सुकरात और अरस्तु पश्चिमी दर्शनशास्त्र के सबसे महान दार्शनिकों में एक थे।  उन्होंने पश्चिमी दर्शनशास्त्र पर पहली व्यापक रचना की, जिसमें नीति, तर्क, विज्ञान, राजनीति और आध्यात्म का मेलजोल था।  भौतिक विज्ञान पर अरस्तु के विचार ने मध्ययुगीन शिक्षा पर व्यापक प्रभाव डाला और इसका प्रभाव पुनर्जागरण पर भी पड़ा।  अंतिम रूप से न्यूटन के भौतिकवाद ने इसकी जगह ले लिया। जीव विज्ञान उनके कुछ संकल्पनाओं की पुष्टि उन्नीसवीं सदी में हुई।  उनके तर्कशास्त्र आज भी प्रासांगिक हैं।  उनकी आध्यात्मिक रचनाओं ने मध्ययुग में इस्लामिक और यहूदी विचारधारा को प्रभावित किया और वे आज भी क्रिश्चियन, खासकर रोमन कैथोलिक चर्च को प्रभावित कर रही हैं।  उनके दर्शन आज भी उच्च कक्षाओं में पढ़ाये जाते हैं।  अरस्तु ने अनेक रचनाएं की थी, जिसमें कई नष्ट हो गई। अरस्तु का राजनीति पर प्रसिद्ध ग्रंथ पोलिटिक्स है। .

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