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प्रधानमन्त्री कार्यालय (भारत)

सूची प्रधानमन्त्री कार्यालय (भारत)

भारत के प्रधानमंत्री का कार्यालय (पी एम ओ) से आशय भारत के प्रधानमंत्री के सीधे नीचे आने वाले नजदीकी अधिकारियों और कर्मचारियों के समूह से है। प्रमुख सचिव इसके सर्वोच्च अधिकारी हैं। सम्प्रति नृपेन्द्र मिश्र प्रधान सचिव हैं। १९७७ तक 'प्रधानमंत्री कार्यालय' को 'प्रधानमन्त्री सचिवालय' कहा जाता था जिसे मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्रित्वकाल में बदलकर 'प्रधानमन्त्री कार्यालय' कर दिया गया। प्रधानमन्त्री कार्यालय, भारत सरकार का एक भाग है। यह सचिवालय के दक्षिणी ब्लॉक में स्थित है। .

7 संबंधों: ए के एंटोनी, पंद्रहवीं लोकसभा का मंत्रिमंडल, भारत का प्रधानमन्त्री, सचिवालय इमारत, दिल्ली, संसद भवन, जितेन्द्र सिंह, ओतावियो क्वात्रोची

ए के एंटोनी

अरक्कप्परम्पिल कुर्यान एंटनी (जन्म 28 दिसम्बर 1940) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और ऊपरी सदन, राज्य सभा से भी संसद के सदस्य है, जो भारत सरकार की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रीमंडल में रक्षा मंत्रालय में मंत्री रह चुके हैं। इससे पहले वे केरल राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे। .

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पंद्रहवीं लोकसभा का मंत्रिमंडल

२२ और २८ मई २००९ को शपथ ग्रहण की। भारत की पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रियों ने २२ और २८ मई २००९ को शपथ ग्रहण की। इस प्रकार प्रधान मंत्री के मंत्रीमंडल में कुल ५९ मंत्रियों को शामिल किया गया है। इनकी सूची इस प्रकार से है:- .

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भारत का प्रधानमन्त्री

भारत गणराज्य के प्रधानमन्त्री (सामान्य वर्तनी:प्रधानमंत्री) का पद भारतीय संघ के शासन प्रमुख का पद है। भारतीय संविधान के अनुसार, प्रधानमन्त्री केंद्र सरकार के मंत्रिपरिषद् का प्रमुख और राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार होता है। वह भारत सरकार के कार्यपालिका का प्रमुख होता है और सरकार के कार्यों के प्रति संसद को जवाबदेह होता है। भारत की संसदीय राजनैतिक प्रणाली में राष्ट्रप्रमुख और शासनप्रमुख के पद को पूर्णतः विभक्त रखा गया है। सैद्धांतिकरूप में संविधान भारत के राष्ट्रपति को देश का राष्ट्रप्रमुख घोषित करता है और सैद्धांतिकरूप में, शासनतंत्र की सारी शक्तियों को राष्ट्रपति पर निहित करता है। तथा संविधान यह भी निर्दिष्ट करता है कि राष्ट्रपति इन अधिकारों का प्रयोग अपने अधीनस्थ अधकारियों की सलाह पर करेगा। संविधान द्वारा राष्ट्रपति के सारे कार्यकारी अधिकारों को प्रयोग करने की शक्ति, लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित, प्रधानमन्त्री को दी गयी है। संविधान अपने भाग ५ के विभिन्न अनुच्छेदों में प्रधानमन्त्रीपद के संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद ७४ में स्पष्ट रूप से मंत्रिपरिषद की अध्यक्षता तथा संचालन हेतु प्रधानमन्त्री की उपस्थिति को आवश्यक माना गया है। उसकी मृत्यु या पदत्याग की दशा मे समस्त परिषद को पद छोडना पडता है। वह स्वेच्छा से ही मंत्रीपरिषद का गठन करता है। राष्ट्रपति मंत्रिगण की नियुक्ति उसकी सलाह से ही करते हैं। मंत्री गण के विभाग का निर्धारण भी वही करता है। कैबिनेट के कार्य का निर्धारण भी वही करता है। देश के प्रशासन को निर्देश भी वही देता है तथा सभी नीतिगत निर्णय भी वही लेता है। राष्ट्रपति तथा मंत्रीपरिषद के मध्य संपर्कसूत्र भी वही हैं। मंत्रिपरिषद का प्रधान प्रवक्ता भी वही है। वह सत्तापक्ष के नाम से लड़ी जाने वाली संसदीय बहसों का नेतृत्व करता है। संसद मे मंत्रिपरिषद के पक्ष मे लड़ी जा रही किसी भी बहस मे वह भाग ले सकता है। मन्त्रीगण के मध्य समन्वय भी वही करता है। वह किसी भी मंत्रालय से कोई भी सूचना आवश्यकतानुसार मंगवा सकता है। प्रधानमन्त्री, लोकसभा में बहुमत-धारी दल का नेता होता है, और उसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा में बहुमत सिद्ध करने पर होती है। इस पद पर किसी प्रकार की समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है परंतु एक व्यक्ति इस पद पर केवल तब तक रह सकता है जबतक लोकसभा में बहुमत उसके पक्ष में हो। संविधान, विशेष रूप से, प्रधानमन्त्री को केंद्रीय मंत्रिमण्डल पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान करता है। इस पद के पदाधिकारी को सरकारी तंत्र पर दी गयी अत्यधिक नियंत्रणात्मक शक्ति, प्रधानमन्त्री को भारतीय गणराज्य का सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति बनाती है। विश्व की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या, सबसे बड़े लोकतंत्र और विश्व की तीसरी सबसे बड़ी सैन्य बलों समेत एक परमाणु-शस्त्र राज्य के नेता होने के कारण भारतीय प्रधानमन्त्री को विश्व के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्तियों में गिना जाता है। वर्ष २०१० में फ़ोर्ब्स पत्रिका ने अपनी, विश्व के सबसे शक्तिशाली लोगों की, सूची में तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह को १८वीं स्थान पर रखा था तथा २०१२ और २०१३ में उन्हें क्रमशः १९वें और २८वें स्थान पर रखा था। उनके उत्तराधिकारी, नरेंद्र मोदी को वर्ष २०१४ में १५वें स्थान पर तथा वर्ष २०१५ में विश्व का ९वाँ सबसे शक्तिशाली व्यक्ति नामित किया था। इस पद की स्थापना, वर्त्तमान कर्तव्यों और शक्तियों के साथ, २६ जनवरी १९४७ में, संविधान के परवर्तन के साथ हुई थी। उस समय से वर्त्तमान समय तक, इस पद पर कुल १५ पदाधिकारियों ने अपनी सेवा दी है। इस पद पर नियुक्त होने वाले पहले पदाधिकारी जवाहरलाल नेहरू थे जबकि भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी हैं, जिन्हें 26 मई 2014 को इस पद पर नियुक्त किया गया था। .

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सचिवालय इमारत, दिल्ली

सचिवालय इमारत, नई दिल्ली नॉर्थ ब्लॉक में मुख्य सरकारी मंत्रालय हैं। The Secretariat Building in New Delhi. The building on the right is the North Block and the building on the left is the South Block. The North Block The South Block सचिवालय इमारत राय़सीना की पहाड़ी, नई दिल्ली, भारत में स्थित है, यह दो इमारतों का समूह है, जो कि राजपथ के सामने स्थित है, जहाँ पर भारत सरकार के कई महत्वपूर्ण मंत्री मंडल स्थित हैं। निम्नलिखित मंत्रिमंडल, सचिवालय इमारत में स्थित है.

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संसद भवन

संसद भवन में भारत की संसदीय कार्यवाही होती है। संसद की इमारतों में संसद भवन, संसदीय सौध, स्‍वागत कार्यालय और निर्माणाधीन संसदीय ज्ञानपीठ अथवा संसद ग्रंथालय सम्‍मिलित हैं। इन सभी को मिलाकर 'संसद परिसर' कहा जाता है। इसमें लंबे-चौड़े लान, जलाशय, फव्‍वारे और सड़कें बनी हुई हैं। यह सारा परिसर सजावटी लाल पत्‍थर की दीवारों तथा लोहे के जंगलों और लोहे के ही विशाल दरवाजों से घिरा हुआ है। .

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जितेन्द्र सिंह

जितेन्द्र सिंह (जन्म: ०६ नवम्बर, १९५६) भारत की सोलहवीं लोकसभा में सांसद हैं। 2014 के चुनावों में वे जम्मू और कश्मीर की उधमपुर लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गये। वे पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मन्त्रालय के राज्यम्ंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग तथा अंतरिक्ष विभाग के राज्यमंत्री हैं। वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य है, तथा जम्मू कश्मीर के लिये मुख्य प्रवक्ता थे। वे मधुमेह तथा अंतःस्राविकी के प्रोफेसर तथा सलाहकार तथा चिकित्सक थे। उन्होने ८ पुस्तकों की रचना की है तथा समाचारपत्रों में स्तम्भलेखन भी करते हैं। वे राष्त्रीय महुमेह समिति के भूतपूर्व अध्यक्ष भी है। .

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ओतावियो क्वात्रोची

ओतावियो क्वात्रोकी (Ottavio Quattrocchi) एक इतालवी व्यवासायी थे जिसकी वर्ष 2009 के शुरुआती महीनों तक भारत को आपराधिक मामलों में तलाश थी। क्वात्रोची पर बोफोर्स घाटाले में दलाली के जरिए घूस खाने का आरोप था। 28 अप्रैल 2009 को सीबीआई ने क्वोत्रोची को क्लीनचिट देते हुए इंटरपोल से उस जारी रेडकॉर्नर नोटिस को हटा लेने की अपील की। सीबीआई की अपील पर इंटरपोल ने क्वात्रोची पर से रेडकॉर्नर हटा लिया गया। 13 जुलाई 2013 को मिलानो, इटली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। क्वात्रोची की बोफोर्स कांड में भूमिका और गांधी-नेहरू परिवार से कथित संबंध 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार का कारण बना। दस वर्ष बाद 1999 में सीबीआई ने बोफोर्स मामले में क्वात्रोची के खिलाफ आरोप पत्र तैयार किया। 2003 में उसके विरुद्ध मामला उस समय और गंभीर हो गया, जब इंटरपोल ने लंदन के एक बैंक में क्वात्रोकी और उसकी पत्नी के खाते में जमा चालीस लाख पाउंड यूरो का खुलासा किया। एक नौकरी-पेशा व्यक्ति के खाते में इतनी राशि बहुत अधिक मानी जाती है। 2003 क्वात्रोची के दोनों बैंक खातों से लेन-देन पर रोक लगा दी गई। लेकिन 2006 में सीबीआई को जानकारी दिए बिना विधि मंत्रालय ने क्वात्रोची के खातों पर लगी रोक को हटा दी। 6 फ़रवरी 2007 को अर्जेंटीना पुलिस ने इंटरपोल के वारंट पर क्वात्रोची को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन सीबीआई पूरे घटनाक्रम के प्रति उदासीन बना रहा और क्वात्रोची का प्रत्यर्पण नहीं हो सका। अदालत ने उचित दस्तावेज के अभाव में क्वात्रोची को बरी कर दिया। साथ ही, क्वात्रोची की कानूनी खर्च भी भारत को ही उठाना पड़ा। इस पूरे प्रकरण में सीबीआई की काफी किरकिरी हुई। क्वात्रोची का पुत्र मासिमो क्वात्रोची, सोनिया गांधी के पुत्र राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ बड़ा हुआ। मासिमो इस समय लक्जमबर्ग स्थित कंपनी क्लबइनवेस्ट का सलाहकार है, जो भारत में कंपनी के लिए संभावित अवसरों सलाह देता है। वह बार-बार भारत के दौरे पर आता है। उसका बैंगलोर में ऑफिस भी है। जब अर्जेटीना में क्वात्रोची गिरफ्तार हुआ, तब मोसिमो भारत में ही था। कयास लगाए जा रहे हैं कि उस समय उसने प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी। .

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