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प्रतिबाधा

सूची प्रतिबाधा

विद्युत के सन्दर्भ में, किसी परिपथ पर वोल्टता आरोपित करने पर उसमें धारा के प्रवाह के विरोध की माप का नाम प्रतिबाधा (impedance) है। संख्यात्मक मान की दृष्टि से किसी परिपथ की प्रतिबाधा उस परिपथ के सिरों के बीच समिश्र वोल्टता तथा समिश्र धारा के अनुपात के बराबर होती है। प्रतिबाधा को एसी के लिए प्रतिरोध के विस्तार के रूप में समझा जा सकता है। अर्थात् डीसी में जो भूमिका प्रतिरोध की है वही भूमिका एसी में प्रतिबाधा की है। प्रतिबाधा एक समिश्र संख्या है जिसका परिमाण (magnitude) और कला (phase) दोनों होते हैं। श्रेणी:विद्युत.

12 संबंधों: एलसी परिपथ, थेवेनिन का प्रमेय, निवेश प्रतिबाधा, प्रत्यावर्ती धारा, माइक्रोफोन, लघु परिपथ, शक्ति प्रवाह का अध्ययन, स्टार-डेल्टा परिवर्तन, वैद्युत प्रतिघात, वोल्टता स्रोत, आन्तरिक प्रतिरोध, अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा

एलसी परिपथ

Lऔर C से बना परिपथ (बैण्डपास फिल्टर) LC परिपथ में प्रेरकत्व तथा संधारित्र होते हैं। इनको 'अनुनादी परिपथ' या 'टैंक परिपथ' या 'ट्युण्द परिपथ' भी कहते हैं। L और C मिलकर एक वैद्युत अनुनादी की तरह काम करते हैं (जो स्वरित्र का वैद्युत एनालॉग है)। LC का उपयोग किसी नियत आवृत्ति का वैद्युत संकेत उत्पन्न करने के लिया किया जाता है। इसके अलावा इसे किसी जटिल संकेत में से किसी निश्चित आवृत्ति के संकेत को चुनने (फिल्टर करने) के लिए भी काम में लाया जाता है। इस कारण LC परिपथ बहुत से एलेक्ट्रानिक युक्तियों में प्रयुक्त होते हैं, जैसे रेडियो में कंपित्र (आसिलेटर), फिल्टर, ट्यूनर और आवृत्ति मिश्रक (frequency mixers) के रूप में प्रयोग किया जाता है। LC परिपथ एक आदर्शीकृत परिपथ है जो इस मान्यता पर बनाया गया है कि इस परिपथ में प्रतिरोध अनुपस्थित या शून्य है और इस कारण ऊर्जा का ह्रास शून्य है। किन्तु किसी भी व्यावहारिक LC परिपथ में कुछ न कुछ ऊर्जा ह्रास अवश्य होगा। यद्यपि कोई भी परिपथ शुद्ध रूप में LC नहीं है फिर भी इस आदर्श परिपथ का अध्ययन समझ विकसित करने के लिए उपयोगी है। .

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थेवेनिन का प्रमेय

थेवेनिन का प्रमेय, परिपथ सिद्धान्त का एक महत्वपूर्ण प्रमेय है। इसे फ्रांस के टेलेग्राफ इंजीनीयर लियों चार्ल्स थेवेनिन (Léon Charles Thévenin (1857–1926)) ने प्रतिपादित किया था। इसके अनुसार, वोल्टता स्रोत, धारा स्रोत एवं प्रतिरोधकों से निर्मित किसी भी रैखिक परिपथ का इसके किन्हीं दो सिरों (टर्मिनल्स) के बीच व्यवहार एक तुल्य वोल्तता स्रोत Vth एवं तुल्य प्रतिरोधक Rth के श्रेणीक्रम के द्वारा निरूपित किया जा सकता है। यह किसी एक आवृत्ति वाले प्रत्यावर्ती धारा के स्रोत एवं सामान्यीकृत प्रतिबाधा से युक्त परिपथों के लिये भी लागू होता है। इस सिद्धान्त की खोज सबसे पहले जर्मनी के वैज्ञानिक हर्मन वॉन हेल्मोल्ट्ज (Hermann von Helmholtz) ने सन् १८५३ में की थी, किन्तु बाद में थेवेनिन ने सन् १८८३ में इसे 'पुन: खोजा'। चित्र:Twierdzenie thevenina.PNG .

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निवेश प्रतिबाधा

किसी विद्युत नेटवर्क का निवेश प्रतिबाधा (input impedance) उसके निवेश (इनपुट) पर लगाये गये वोल्टता तथा उसके कारण इनपुट में घुसने वाली विद्युत धारा के अनुपात को कहते हैं। किसी नेटवर्क का इनपुट प्रतिबाधा 'अधिक' है तो इसका अर्थ है कि उसके इनपुट सिरों के बीच कोई वोल्टेज लगाने पर उसका इनपुट कम धारा लेता है। किसी प्रवर्धक का इनपुट प्रतिबाधा अधिक होनी चाहिये ताकि किसी संकेत पर उसे लगाने पर वह उस संकेत से बहुत ही कम (नगण्य) धारा ले, अर्थात उस स्रोत को लोड न करे। .

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प्रत्यावर्ती धारा

प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जो किसी विद्युत परिपथ में अपनी दिशा बदलती रहती हैं। इसके विपरीत दिष्ट धारा समय के साथ अपनी दिशा नहीं बदलती। भारत में घरों में प्रयुक्त प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति ५० हर्ट्स होती हैं अर्थात यह एक सेकेण्ड में पचास बार अपनी दिशा बदलती है। वेस्टिंगहाउस का आरम्भिक दिनों का प्रत्यावर्ती धारा निकाय प्रत्यावर्ती धारा या पत्यावर्ती विभव का परिमाण (मैग्निट्यूड) समय के साथ बदलता रहता है और वह शून्य पर पहुंचकर विपरीत चिन्ह का (धनात्मक से ऋणात्मक या इसके उल्टा) भी हो जाता है। विभव या धारा के परिमाण में समय के साथ यह परिवर्तन कई तरह से सम्भव है। उदाहरण के लिये यह साइन-आकार (साइनस्वायडल) हो सकता है, त्रिभुजाकार हो सकता है, वर्गाकार हो सकता है, आदि। इनमें साइन-आकार का विभव या धारा का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। आजकल दुनिया के लगभग सभी देशों में बिजली का उत्पादन एवं वितरण प्रायः प्रत्यावर्ती धारा के रूप में ही किया जाता है, न कि दिष्ट-धारा (डीसी) के रूप में। इसका प्रमुख कारण है कि एसी का उत्पादन आसान है; इसके परिमाण को बिना कठिनाई के ट्रान्सफार्मर की सहायता से कम या अधिक किया जा सकता है; तरह-तरह की त्रि-फेजी मोटरों की सहायता से इसको यांत्रिक उर्जा में बदला जा सकता है। इसके अलावा श्रव्य आवृत्ति, रेडियो आवृत्ति, दृश्य आवृत्ति आदि भी प्रत्यावर्ती धारा के ही रूप हैं। .

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माइक्रोफोन

एक माइक्रोफोन (जिसे बोलचाल की भाषा में Mic या Mike कहा जाता है) एक ध्वनिक-से-वैद्युत ट्रांसड्यूसर (en:Transducer) या संवेदक होता है, जो ध्वनि को विद्युतीय संकेत में रूपांतरित करता है। 1876 में, एमिली बर्लिनर (en:Emile Berliner) ने पहले माइक्रोफोन का आविष्कार किया, जिसका प्रयोग टेलीफोन स्वर ट्रांसमीटर के रूप में किया गया। माइक्रोफोनों का प्रयोग अनेक अनुप्रयोगों, जैसे टेलीफोन, टेप रिकार्डर, कराओके प्रणालियों, श्रवण-सहायता यंत्रों, चलचित्रों के निर्माण, सजीव तथा रिकार्ड की गई श्राव्य इंजीनियरिंग, FRS रेडियो, मेगाफोन, रेडियो व टेलीविजन प्रसारण और कम्प्यूटरों में आवाज़ रिकार्ड करने, स्वर की पहचान करने, VoIP तथा कुछ गैर-ध्वनिक उद्देश्यों, जैसे अल्ट्रासॉनिक परीक्षण या दस्तक संवेदकों के रूप में किया जाता है। शॉक माउंट वाला एक न्यूमन U87 कंडेंसर माइक्रोफोन वर्तमान में प्रयोग किये जाने वाले अधिकांश माइक्रोफोन यांत्रिक कंपन से एक विद्युतीय आवेश संकेत उत्पन्न करने के लिये एक विद्युतचुंबकीय प्रवर्तन (गतिज माइक्रोफोन), धारिता परिवर्तन (दाहिनी ओर चित्रित संघनित्र माइक्रोफोन), पाइज़ोविद्युतीय निर्माण (Piezoelectric Generation) या प्रकाश अधिमिश्रण का प्रयोग करते हैं। .

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लघु परिपथ

तूफान के दौरान पेड़ की शाखाओं द्वारा हुआ शॉर्ट सर्किट का दृष्य वैद्युत परिपथ में लघु परिपथ (शॉर्ट सर्किट) (कभी-कभी संक्षेप में शॉर्ट भी कहते है) उसे कहते हैं जो विद्युत्प्रवाह को उस मार्ग से जाने की अनुमति देता है जिसमे प्रतिबाधा शून्य या बहुत कम होती है। "खुला सर्किट" (ओपन सर्किट), लघु परिपथ का वैद्युतिक विलोम है जिसमें विद्युत परिपथ के किन्ही दो बिन्दुओं के बीच प्रतिबाधा का मान अनन्त होता है। .

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शक्ति प्रवाह का अध्ययन

शक्ति इंजीनियरी के सन्दर्भ में, किसी शक्ति प्रणाली में विद्युत शक्ति के प्रवाह तथा अन्य प्राचलों (जैसे वोल्टता) की गणना करना शक्ति-प्रवाह अध्ययन (power-flow study) या उद्भार प्रवाह अध्ययन (load-flow study) कहलाता है। यह अध्ययन, शक्ति प्रणाली को स्टीडी-स्टेट में मानते हुए, किसी दिये हुए लोड के लिये, की जाती है। इसके द्वारा प्रणाली के विभिन्न बिन्दुओं (नोडों) पर वोल्टता, वोल्टता कोण, वास्तविक शक्ति तथा आभासी शक्ति आदि की गणना की जाती है। शक्ति-प्रवाह अध्ययन का उद्देश्य यह है कि इसके माध्यम से पहले से ही पता रहता है कि किस स्थिति में क्या होगा। उदाहरण के लिये, हम पहले से ही पता कर सकते हैं कि कोई ट्रान्समिशन लाइन रखरखाव के लिये काट दी जाय (बन्द कर दी जाय) तो क्या शेष लाइनों के माध्यम से, लाइनों की क्षमता के अन्दर रहते हुए भी, लोडों को आवश्यक शक्ति की पूर्ति की जा सकेगी या नहीं। शक्ति-प्रवाह अध्ययन की दृष्टि से बसें (buses) तीन प्रकार की मानी जातीं हैं-.

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स्टार-डेल्टा परिवर्तन

स्टार-डेल्टा परिवर्तन (Y-Δ transform) एक गणितीय तकनीक है जो किसी विद्युत परिपथ के विश्लेषण को सरल बना देता है। इसे Y-delta, वाई-डेल्टा, डेल्टा-स्टार परिवर्तन, स्टार-मेश परिवर्तन, T-Π or T-पाई परिवर्तन आदि नामों से भी जाना जाता है। इसका यह नाम विद्युत परिपथ की आकृति के आधार पर पड़ा है जो कि रोमन अक्षर Y और ग्रीक अक्षरΔ जैसे दिखती हैं। यह परिपथ परिवर्तन सन् १८९९ में आर्थर एड्विन केनेडी ने प्रकाशित किया था। .

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वैद्युत प्रतिघात

विद्युत प्रणालियों तथा इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों में, किसी अवयव द्वारा धारा अथवा वोल्टता के परिवर्तन के विरोध को उस अवयव का प्रतिघात (रिएक्टैंस) कहते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र, धारा के परिवर्तन का विरोध करता है जबकि विद्युत क्षेत्र, वोल्टता के परिवर्तन का। वैद्युत प्रतिघात की संकल्पना कई अर्थों में वैद्युत प्रतिरोध के समान है, किन्तु कुछ अर्थों में भिन्न भी है। .

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वोल्टता स्रोत

एक प्रतिरोध (दाहिने) से जुड़ा वोल्टता स्रोत (बाएँ) वोल्टता स्रोत (Voltage source) दो सिरों वाली युक्ति है जिसके सिरों के बीच का विभवान्तर नियत (fixed) हो। भिन्न-भिन्न धारा देने के बावजूद आदर्श वोल्टता स्रोत के सिरों का विभवान्तर नियत बना रहता है। वास्तव में 'आदर्श वोल्टता स्रोत' असम्भव है किन्तु ऐसे वोल्टता स्रोत बनाए जा सकते हैं जिनका गुण आदर्श वोल्टता स्रोत के काफी निकट हो। वास्तविक वोल्टता स्रोत के सिरों के बीच विभवान्तर धारा के साथ कुछ न कुछ बदलता है। इसके अलावा वे अनन्त धारा नहीं दे सकते। वोल्टता स्रोत, धारा स्रोत का द्वैत (dual) है। विद्युत ऊर्जा के प्रमुख स्रोत जैसे बैटरी, जनित्र तथा शक्ति निकाय (power systems) को विश्लेषण के लिए एक आदर्श वोल्टता स्रोत तथा एक प्रतिबाधा (impedance) के श्रेणीक्रम संयोजन के रूप में मॉडल किया जा सकता है। .

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आन्तरिक प्रतिरोध

अंगूठाकार किसी व्यावहारिक शक्ति स्रोत को एक आदर्श वोल्तता स्रोत के श्रेणीक्रम में एक प्रतिबाधा के रूप में मॉडल किया जा सकता है। श्रेणीक्रम में जुड़े हुए इस प्रतिबाधा को ही स्रोत का आंतरिक प्रतिरोध (internal resistance) कहते हैं। श्रेणी:वैद्युत अवयव.

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अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा

ट्रान्समिशन लाइन का योजनामूलक निरूपण, जिसमें Z_0 अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा है। किसी समांगी विद्युत-लाइन की अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा (characteristic impedance) या सर्ज प्रतिबाधा (surge impedance) इस लाइन के अनन्त लम्बाई (काल्पनिक) में प्रवाहित वोल्तता एवं धारा के अनुपात के बराबर होती है। इसे Z_0 से निरूपित किया जाता है। यह स्थिति सीमित लम्बाई की लाइन में भी सम्भव है यदि किसी उपाय से परावर्तन (reflections) शून्य बना दिया जाय। अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा की एसआई मात्रक ओम है। किसी क्षयहीन लाइन के लिये अभिलाक्षणिक प्रतिबाधा का मान पूर्णत: वास्तविक संख्या आती है अर्थात इसमें कोई काल्पनिक भाग नहीं होता। (Z_0.

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