भूजल
भूजल (अंग्रेजी: Groundwater) या भूगर्भिक जल धरती की सतह के नीचे चट्टानों के कणों के बीच के अंतरकाश या रन्ध्राकाश में मौजूद जल को कहते हैं। सामान्यतः जब धरातलीय जल से अंतर दिखाने के लिये इस शब्द का प्रयोग सतह से नीचे स्थित जल (अंग्रेजी: Sub-surface water या Subsurface water) के रूप में होता है तो इसमें मृदा जल को भी शामिल कर लिया जाता है। हालाँकि, यह मृदा जल से अलग होता है जो केवल सतह से नीचे कुछ ही गहराई में मिट्टी में मौज़ूद जल को कहते हैं। भूजल एक मीठे पानी के स्रोत के रूप में एक प्राकृतिक संसाधन है। मानव के लिये जल की प्राप्ति का एक प्रमुख स्रोत भूजल के अंतर्गत आने वाले जलभरे अंग्रेजी: Aquifers) हैं जिनसे कुओं और नलकूपों द्वारा पानी निकाला जाता है। जो भूजल पृथ्वी के अन्दर अत्यधिक गहराई तक रिसकर प्रविष्ट हो चुका है और मनुष्य द्वारा वर्तमान तकनीक का सहारा लेकर नहीं निकला जा सकता या आर्थिक रूप से उसमें उपयोगिता से ज्यादा खर्च आयेगा, वह जल संसाधन का भाग नहीं है। संसाधन केवल वहीं हैं जिनके दोहन की संभावना प्रबल और आर्थिक रूप से लाभकार हो। अत्यधिक गहराई में स्थित भूजल को जीवाश्म जल या फोसिल वाटर कहते हैं। .
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कार्स्ट
कार्स्ट कलाकृति, गुलिन (चीन) कार्स्ट स्थलाकृतियाँ (Karst topography) सामान्यतः घुलनशील चट्टानों वाले क्षेत्रों में जल की क्रिया द्वारा बनी स्थलाकृतियाँ हैं। इनका नामकरण यूगोस्लाविया के कार्स्ट प्रदेश के आधार पर हुआ है जहाँ ये स्थलरूप बहुतायत से पाए जाते हैं। भारत में ऐसी स्थलाकृतियाँ रीवाँ के पठार, राँची पठार और चित्रकूट के पास पायी जाती हैं। गुप्तधाम कन्दरा एक ऐसी ही गुफा है जो कार्स्ट प्रक्रमों द्वारा निर्मित है। भारत में कार्स्ट स्थलाकृति का प्रभाव बस्तियों के बनने और उनके प्रतिरूप पर भी पड़ा है कार्स्ट स्थलरूपों में कुछ प्रमुख हैं.
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