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पेट्रोल

सूची पेट्रोल

जार में गैसोलीन गैसोलीन या पेट्रोल एक पेट्रोलियम से प्राप्त/व्युत्पन्न तरल-मिश्रण है। इसे प्राथमिकता से अन्तर्दहन इंजन में ईंधन के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इसे एसीटोन की तरह एक शक्तिशाली घुलनशील द्रव्य की तरह भी प्रयोग किया जाता है। इसमें कई एलिफैटिक हाइड्रोकार्बन होते हैं, जिसके संग आइसो-आक्टेन या एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसे टॉलुईन और बेन्ज़ीन भी मिलाये जाते हैं, जिससे इसकी ऑक्टेन क्षमता (ऊर्जा) बढ़ जाये। इसका वाष्पदहन तापमान शून्य से 62 डिग्री (सेल्सियस) कम होता है, यानि सामान्य तापमान पर इसका वाष्प दहनशील होता है। इसी वजह से इसे अत्यंत दहनशील पदार्थों की श्रेणी में रखा जाता है। भारत में इसपर डीज़ल के मुकाबले अधिक कर लगाया जाता है जिससे यह थोड़ा महंगा होता है। कई ठंडे देशों में इसको प्राथमिकता से प्रयोग में लाया जाता है क्योंकि बहुत कम तापमान में इसकी ज्वलनशीलता बाक़ी ईंधनों के मुकाबले अधिक होती है। .

47 संबंधों: टोयोटा प्रियस, एथिलबेंजीन, ऐस्फाल्ट, डीज़ल, तेल रिसाव, तेल शोधनागार, पर्यावरण प्रौद्योगिकी, पर्यावरण रसायन विज्ञान, पादप वर्गीकरण, प्रतिऑक्सीकारक, प्रेरण कुंडली, प्रोपेन, पेट्रोल पंप, पेट्रोलियम अनुसंधान एवं विकास केन्द्र, फरीदाबाद, पेट्रोलियम उत्पाद, बलक़ान प्रान्त, बाकू आतेशगाह, बेंजीन, मिनीकॉनामी, यातायात संकेत (ट्रैफिक साइन), यारकन्द ज़िला, शिलारस, संपीड़ित प्राकृतिक गैस, स्पार्क प्लग, सूर्य देवता, सूखी धुलाई, सीसा, हरित भवन, हरित वाहन, हाइब्रिड वाहन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, जयपुर का इंडियन ऑयल डिपो अग्निकांड, जावा मोटरसाइकिल, ज्वलनशीलता, ईन्धन, वोक्सवैगन बीटल, खंभात, गल्फ ऑयल, आग, इण्डियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, इथेनॉल, इलेक्ट्रिक कार (विद्युत् कार), कार्बन-न्यूट्रल ईंधन, कार्ब्युरेटर, कार्ल बेन्ज़, किज़िल कुम रेगिस्तान, 2000 के दशक के उत्तरार्द्ध की आर्थिक मंदी

टोयोटा प्रियस

टोयोटा प्रियस (टोयोटा मोटर कॉरपोरेशन द्वारा विकसित और विनिर्मित एक पूर्ण संकर बिजली (हाइब्रिड इलेक्ट्रिक) से चलने वाली मध्यम आकार की कार है। संयुक्त राज्य अमेरिका पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के अनुसार प्रियस वर्तमान समय में संयुक्त राज्य अमेरिका में बेंची जाने वाली सबसे अधिक ईंधन किफायती पेट्रोल कार है। ईपीए (EPA) और कैलिफोर्निया वायु संसाधन बोर्ड (सीएआरबी) (CARB) ने भी धुंध बनाने और विषाक्त उत्सर्जन के आधार पर प्रियस को संयुक्त राज्य अमेरिका में बेंचे जाने वाले सबसे साफ वाहनों में स्थान दिया है। प्रियस सबसे पहले 1997 में जापान में बेंची गई, जिसने इसे पहली बार बड़े पैमाने पर उत्पादित संकर (हाइब्रिड) वाहन बना दिया। बाद में इसे 2001 में दुनिया भर में प्रस्तुत किया गया था। जापान और उत्तर अमेरिका के अपने सबसे बड़े बाजारों के साथ, प्रियस 70 से अधिक देशों और क्षेत्रों में बेची जाती है। मई 2008 में, दुनिया भर में प्रियस की कुल बिक्री 1000000 वाहन के निशान तक पहुंच गई, और सितम्बर 2010 में, दुनिया भर में प्रियस की कुल बिक्री 2.0 मिलियन इकाइयों तक पहुंच गई। दिसंबर 2009 तक दर्ज 814,173 इकाइयों के साथ अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है।कुल दिसंबर 2009 तक अमेरिका में पंजीकृत बिजली के संकर वाहनों की संख्या 1,614,761 है, जिनमें से 122755 को फोर्ड द्वारा निर्मित किया गया वर्ष द्वारा एक मॉडल के लिए विस्तृत विवरण के लिए एक्सेल फ़ाइल को (क्लिक करें और खोलें)' .

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एथिलबेंजीन

एथिलबेंजीन (Ethylbenzene) एक कार्बनिक यौगिक है जिसका अणुसूत्र C6H5CH2CH3 है। यह अत्यन्त ज्वलनशील, रंगहीन द्रव है जिसकी गन्ध पेट्रोल जैसी होती है। यह मोनोसाइक्लिक, एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन है। शैल-रसायन उद्योग के लिये यह बहुत उपयोगी है और स्टाइरीन तथा पॉलीस्टरीन के निर्माण में काम आता है। सन २०१२ में उत्पादित ९९ प्रतिशत एथिलबेंजीन स्टाइरीन के उत्पादन में प्रयुक्त हुआ। एथिलबेंजीन का उपयोग अन्य रसायनों के निर्माण में, ईंधन में, और विलायक के रूप में (स्याही, रबर गोंद, वार्निश, पेंट आदि के लिये) होता है। .

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ऐस्फाल्ट

मृत सागर से प्राप्त प्राकृतिक ऐसफाल्ट सड़क निर्माण में अस्फाल्ट कंक्रीट की मूल पर्त ऐस्फाल्ट (अंग्रेजी: Asphalt) एक चिपचिपा, काला और गाढ़ा तरल या अर्ध-तरल पदार्थ होता है, जिसे कच्चे पैट्रोलियम से प्राप्त किया जाता है। यह प्राकृतिक रूप से भी मिलता है। पहले इसे अस्फाल्टम भी कहा जाता है। इसका प्रयोग सड़क निर्माण, उड़ान पट्टी निर्माण इत्यादि में होता है। 'अस्फाल्ट' शब्द एक यूनानी शब्द से निकला है जिसका अर्थ है दृढ़, अचल तथा सुरक्षित। पुरातन काल में अस्फाल्ट का प्रथम उपयोग विभिन्न प्रकार के दो पदार्थो को आपस में जोड़ने में, जैसे हाथीदाँत, सीप या रत्नों से बनी आँखों को मूर्तियों के चक्षु गह्वरों में बैठाने के लिए, किया जाता था। ज्ञात हुआ है कि संभवत: भारत में अस्फाल्ट का सर्वप्रथम उपयोग लगभग 3,000 वर्ष ई.पू.

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डीज़ल

डीज़ल एक प्रकार का उदप्रांगार ईंधन है जो पेट्रोलियम को कई चरणों में ठंडा करने से एक चरण (२००-३५० C) में बनता है। इसका उपयोग वाहनों, मशीनों, संयत्रों आदि को चलाने के लिए ईंधन के रूप मे किया जाता है। इसका प्रयोग भारी वाहनों तथा तापज्वलित यानि संपीडित वायु में उड़ेलने से हुए स्वतः दहन इंजनों में इस्तेमाल होता है। प्रति लीटर इसमें पेट्रोल के बराबर रासायनिक ऊर्जा होती है। इसके द्वारा चालित इंजनों में नाट्रोजन आक्साईड तथा कालिख के कण अधिक होते हैं, जिसकी वजह से प्रदूषण को नियंत्रित करना मुश्किल होता है। इसलिए इसके स्थान पर जैविक पदार्थों से बने तेल, जिन्हें जैव डीज़ल कहा जाता है, का इस्तेमाल शुरु हुआ है। डीज़ल शब्द का इस्तेमाल इस विस्थापित तेल के लिए भी होता है। भारत में इस पर पेट्रोल के मुकाबले कम कर लिया जाता है जिसकी वजह से ये पेट्रोल से सस्ता होता है। इसके विपरीत कई देशों में इसके इस्तेमाल को कम करने के उद्देश्य से अधिक कर लगाया जाता है। .

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तेल रिसाव

तेल रिसाव के बाद एक समुद्र तट तिमोर सागर में मोंटारा तेल रिसाव से ऑइल स्लिक, सितंबर, 2009. तेल रिसाव मानवीय गतिविधियों के कारण तरल पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन का पर्यावरण में मुक्त होना है तथा यह एक प्रकार का प्रदूषण है। इस शब्द का उपयोग अक्सर समुद्री तेल रिसाव के लिए किया जाता है, जहां तेल समुद्र में अथवा तटीय जल में मुक्त होता है। तेल रिसाव में कच्चे तेल का टैंकर से, अपतटीय प्लेटफार्म से, खुदाई उपकरणों से तथा कुओं से रिसाव, इसके साथ ही परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों (जैसे गैलोलिन, डीजल) तथा उनके उप-उत्पादों का रिसाव और बड़े जहाजों में प्रयुक्त होने वाले भारी ईंधन जैसे बंकर ईंधन का रिसाव या किसी तैलीय अवशिष्ट का या अपशिष्ट तेल का रिसाव शामिल है। रिसाव को साफ करने में महीनों या सालों लग सकते हैं। प्राकृतिक तेल रिसाव से भी तेल समुद्री पर्यावरण में प्रवेश करता है। सार्वजनिक ध्यान और विनियमन की वजह से गहरे समुद्र में तेल टैंकरों की ओर तेजी से ध्यान केंद्रित हो रहा है। .

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तेल शोधनागार

तेल शोधनागार या तेल रिफाइनरी एक औद्योगिक कारख़ाना है जहां शिलारस (कच्चा तेल) को बदल दिया जाता है और पेट्रोलियम नेफ्था, पेट्रोल, डीज़ल, केरोसीन, द्रवित पेट्रोलियम गैस, जेट ईंधन और ईंधन तेल जैसे अधिक उपयोगी उत्पादों में परिष्कृत किया जाता है। कुल क्षमता के अनुसार, जामनगर, गुजरात स्थित जामनगर तेल शोधनागार दुनिया का सबसे बड़ा शोधनागार है। .

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पर्यावरण प्रौद्योगिकी

पर्यावरण प्रौद्योगिकी (ऍनवायरोटेक के रूप में संक्षेपित) या हरित प्रौद्योगिकी (ग्रीनटेक के रूप में संक्षेपित) या स्वच्छ प्रौद्योगिकी (क्लीनटेक के रूप में संक्षेपित) प्राकृतिक पर्यावरण और संसधानों के संरक्षण और मानव हस्तक्षेप के फलस्वरूप हुए नकारात्मक प्रभावों को रोकने हेतु पर्यावरणीय विज्ञान का एक अनुप्रयोग है। सतत विकास ही पर्यावरणीय प्रौद्योगिकी का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। .

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पर्यावरण रसायन विज्ञान

पर्यावरण रसायन शास्त्र में इस तरह के जीव विज्ञान, विष विज्ञान, जैव रसायन, सार्वजनिक स्वास्थ्य और महामारी विज्ञान के रूप में जैविक रसायन शास्त्र, विश्लेषणात्मक रसायन विज्ञान, भौतिक रसायन और अकार्बनिक रसायन विज्ञान के पहलुओं, साथ ही और अधिक विविध क्षेत्रों से युक्त, रसायन शास्त्र की एक बहुत ही ध्यान केंद्रित शाखा है। पर्यावरण दवा की दुकानों सार्वजनिक, निजी और सरकारी प्रयोगशालाओं की एक किस्म में काम करते हैं। यह पर्यावरण के प्रदूषण का प्रभाव पर्यावरण, प्रदूषण में कमी और प्रबंधन के साथ संबंधित है, क्योंकि पर्यावरण रसायन शास्त्र सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पर्यावरण chemists प्रदूषण और हवा, पानी और मिट्टी के वातावरण पर उनके पर्यावरणीय प्रभाव के व्यवहार, साथ ही मानव स्वास्थ्य और प्राकृतिक पर्यावरण पर अपने प्रभाव का अध्ययन। .

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पादप वर्गीकरण

पादप वर्गिकी (Plant Taxonomy) के अन्तर्गत पृथ्वी पर मिलने वाले पौधों की पहचान तथा पारस्परिक समानताओं व असमानताओं के आधार पर उनका वर्गीकरण किया जाता है। विश्व में अब तक विभिन्न प्रकार के पौधों की लगभग 4.0 लाख जातियाँ ज्ञात है जिनमें से लगभग 70% जातियाँ पुष्पीय पौधों की है। प्राचीनकाल में मनुष्य द्वारा पौधों का वर्गीकरण उनकी उपयोगिता जैसे भोजन के रूप में, रेशे प्रदान करने वाले, औषधि प्रदान करने वाले आदि के आधार पर किया गया था लेकिन बाद में पौधों को उनके आकारिकीय लक्षणों (morphological characters) जैसे पादप स्वभाव, बीजपत्रों की संख्या, पुष्पीय भागों की संरचना आदि के आधार पर किया जाने लगा। वर्तमान में पौधों के आकारिकीय लक्षणों के साथ-साथ भौगोलिक वितरण, शारीरिक लक्षणों (Anatomical characters), रासायनिक संगठन, आण्विक लक्षणों (molecular characters) आदि को भी वर्गिकी में प्रयुक्त किया जाता है। इस प्रकार पादप वर्गिकी के उपयुक्त आधारों के अनुसार निम्न प्रकार के बिन्दु स्पष्ट हो जाते है -.

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प्रतिऑक्सीकारक

एक एंटीऑक्सीडेंट- मेटाबोलाइट ग्लूटाथायोन का प्रतिरूप। पीले गोले रेडॉक्स-सक्रिय गंधक अणु हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट क्रिया उपलब्ध कराते हैं और लाल, नीले व गहरे सलेटी गोले क्रमशः ऑक्सीजन, नाईट्रोजन, हाईड्रोजन एवं कार्बन परमाणु हैं। प्रतिऑक्सीकारक (Antioxidants) या प्रतिउपचायक वे यौगिक हैं जिनको अल्प मात्रा में दूसरे पदार्थो में मिला देने से वायुमडल के ऑक्सीजन के साथ उनकी अभिक्रिया का निरोध हो जाता है। इन यौगिकों को ऑक्सीकरण निरोधक (OXidation inhibitor) तथा स्थायीकारी (Stabiliser) भी कहते हैं तथा स्थायीकारी (Stabiliser) भी कहते हैं। अर्थात प्रति-आक्सीकारक वे अणु हैं, जो अन्य अणुओं को ऑक्सीकरण से बचाते हैं या अन्य अणुओं की आक्सीकरण प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं। ऑक्सीकरण एक प्रकार की रासायनिक क्रिया है जिसके द्वारा किसी पदार्थ से इलेक्ट्रॉन या हाइड्रोजन ऑक्सीकारक एजेंट को स्थानांतरित हो जाते हैं। प्रतिआक्सीकारकों का उपयोग चिकित्साविज्ञान तथा उद्योगों में होता है। पेट्रोल में प्रतिआक्सीकारक मिलाए जाते हैं। ये प्रतिआक्सीकारक चिपचिपाहट पैदा करने वाले पदार्थ नहीं बनने देते जो अन्तर्दहन इंजन के लिए हानिकारक हैं। प्रायः प्रतिस्थापित फिनोल (Substituted phenols) एवं फेनिलेनेडिआमाइन के व्युत्पन्न (derivatives of phenylenediamine) इस काम के लिए प्रयुक्त होते हैं। .

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प्रेरण कुंडली

जर्मनी में स्कूलों में प्रदर्शन के लिये प्रयुक्त होने वाली एक पुरानी प्रेरण कुंडली प्रेरण कुंडली (Induction Coil) कम वोल्टता वाले स्रोत से उच्च वोल्टता प्राप्त करनेवाली एक युक्ति है। .

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प्रोपेन

प्रोपेन प्रोपेन प्रोपेन एक हाइड्रोकार्बन है। यह एक अल्केन है। प्रोपेन आणविक फार्मूला C3H8, आम तौर पर एक गैस है, लेकिन एक परिवहनीय तरल करने के लिए सिकुड़ाया के साथ एक तीन कार्बन alkane है। प्राकृतिक गैस प्रसंस्करण और पेट्रोलियम शोधन के उत्पाद द्वारा, यह आमतौर पर इंजन, ऑक्सी - गैस जलाकर, बारबेक्यू की अनुमति, पोर्टेबल स्टोव और आवासीय केंद्रीय हीटिंग के लिए ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। प्रोपेन और ब्यूटेन का एक मिश्रण, वाहन ईंधन के रूप में मुख्य रूप से इस्तेमाल किया, आमतौर पर द्रवीभूत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी या एल.पी. गैस) के रूप में जाना जाता है। यह भी propylene और / या butylene की छोटी मात्रा में शामिल कर सकते हैं। Thiophene ethanethiol या जैसे एक odorant, इतना है कि लोगों को आसानी से एक दरार के मामले में गैस की गंध कर सकते हैं जोड़ा है। .

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पेट्रोल पंप

पेट्रोल पंप, रिटेल आउटलेट, पूर्ति स्टेशन, गैस स्टेशन (संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा) या पेट्रोल बंक (दक्षिण भारत) एक सुविधा है जहां से मोटर वाहनों को पेट्रोलियम इंधनों की बिक्री/आपूर्ति की जाती है। पेट्रोल पम्पों से बिकने वाले सबसे आम इंधन पेट्रोल और डीज़ल हैं, इसके साथ यहां से आमतौर पर स्नेहक भी बेचे जाते हैं। आजकल पेट्रोल पम्पों से बिजली चालित वाहनों को विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति भी की जाती है। केवल विद्युत ऊर्जा बेचने वाले पम्पों को आवेशण केंद्र के नाम से जाना जाता है। वितरण इकाई जिसे आमतौर पर पेट्रोल पम्प भी कहा जाता है एक मशीन होती है, जिसका प्रयोग कर वाहनों को पेट्रोल, डीज़ल, सीएनजी आदि की बिक्री की जाती है। यह वितरण इकाई ना सिर्फ वाहनों को ईंधन का विक्रय करती है बल्कि वाहन को वितरित ईंधन की वित्तीय लागत की गणना भी करती है। जिन पम्पों से से सिर्फ डीज़ल की बिक्री की जाती है उन्हें भी आमतौर से पेट्रोल पम्प के नाम से जाना जाता है हालांकि कुछ स्थानों पर यह डीज़ल पम्प कहलाते हैं। कई पेट्रोल पम्पों से प्रोपेन या ब्यूटेन की बिक्री भी की जाती है तो कुछ पर छोटे सुविधा भंडार या दुकाने भी होती हैं जिनका मुख्य उद्देश्य उनके प्राथमिक व्यापार को समर्थन देना होता है। इसके विपरीत, कुछ सुपरमार्केटों, गोदाम, क्लब या पारंपरिक सुविधा भंडारों के परिसरों में भी पेट्रोल पम्प की सुविधा ग्राहकोंको उपलब्ध कराई जाती है। भारत में पेट्रोल पम्प, मुख्य रूप से फिलिंग स्टेशन और सर्विस स्टेशन नामक दो प्रकारों में मिलते हैं। .

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पेट्रोलियम अनुसंधान एवं विकास केन्द्र, फरीदाबाद

पेट्रोलियम अनुसंधान एवं विकास केन्द्र भारत का एक अनुसंधान संस्थान है। 22 जुलाई, 2017 को भारत के पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंन्द्र प्रधान ने इसका उद्घटन किया। यह फरीदाबाद (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में स्थित है और ईंधन परीक्षण हेतु अपनी तरह का पहला पेट्रोलियम अनुसंधान एवं विकास केन्द्र है। यहाँ बीएस-6 गुणवत्ता वाले ईंधन उत्सर्जन के परीक्षण के लिए सुविधा उपलब्ध होगी। यह इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन द्वारा संचालित है। यह अनुसंधान एवं विकास केंद्र पेट्रोल, डीजल, इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल, जैव डीजल, सीएनजी, एलएनजी, हाइड्रोजन सीएनजी और 2 जी-इथेनॉल मिश्रणों सहित सभी प्रकार के ईंधन की जांच करने हेतु डिजाइन किया गया है। श्रेणी:भारत के अनुसंधान संस्थान.

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पेट्रोलियम उत्पाद

ग्रेंगमोउथ, स्कॉटलैंड में एक पेट्रोकेमिकल्स रिफाइनरी. पेट्रोलियम उत्पाद, तेल रिफाइनरियों में संसाधित कच्चे तेल (पेट्रोलियम) से प्राप्त होने वाली उपयोगी सामग्रियों को कहते हैं। कच्चे तेल की संरचना और मांग के अनुसार रिफाइनरियां पेट्रोलियम उत्पादों को विभिन्न मात्राओं में उत्पादित कर सकती हैं। तेल उत्पादों का सबसे अधिक मात्रा में उर्जा वाहकों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि इंधन तेल तथा गैसोलीन (पेट्रोल) के विभिन्न प्रकार.

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बलक़ान प्रान्त

तुर्कमेनिस्तान में बलक़ान प्रान्त (हरे रंग में) बलक़ान प्रांत में कैस्पियन सागर पर तुर्कमेनबाशी बंदरगाह बलक़ान प्रान्त (तुर्कमेनी: Balkan welaýaty, अंग्रेज़ी: Balkan Province, फ़ारसी) तुर्कमेनिस्तान की एक विलायत (यानि प्रान्त) है। यह उस देश के सुदूर पश्चिम में स्थित है और इसकी सरहदें ईरान, उज़बेकिस्तान, कज़ाख़स्तान और कैस्पियन सागर से लगती हैं। इस प्रान्त का क्षेत्रफल १,३९,२७० किमी२ है और सन् २००५ की जनगणना में इसकी आबादी ५,५३,५०० अनुमानित की गई थी। बलक़ान प्रान्त की राजधानी बलक़ानाबात (Балканабат) शहर है, जिसे पहले नेबित दाग़ (Nebit Dag) बुलाया जाता था। बलक़ान प्रांत की आबादी का घनत्व तुर्कमेनिस्तान के सभी प्रान्तों में सबसे कम है।, Rafis Abazov, Scarecrow Press, 2005, ISBN 978-0-8108-5362-1,...

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बाकू आतेशगाह

آتش) यानि अग्नि का ज़िक्र करती है। बाकू आतेशगाह का मंदिर और उसके इर्द-गिर्द का क्षेत्र अज़रबैजानी डाक टिकट बाकू आतेशगाह या ज्वाला मंदिर अज़रबेजान की राजधानी बाकू के पास के सुराख़ानी शहर में स्थित एक मध्यकालीन हिन्दू धार्मिक स्थल है। इसमें एक पंचभुजा (पेंटागोन) अकार के अहाते के बीच में एक मंदिर है। बाहरी दीवारों के साथ कमरे बने हुए हैं जिनमें कभी उपासक रहा करते थे। बाकू आतेशगाह का निर्माण १७वीं और १८वीं शताब्दियों में हुआ था और १८८३ के बाद इसका इस्तेमाल तब बंद हो गया जब इसके इर्द-गिर्द ज़मीन से पेट्रोल और प्राकृतिक गैस निकालने का काम शुरू किया गया। १९७५ में इसे एक संग्राहलय बना दिया गया और अब इसे देखने हर वर्ष १५,००० सैलानी आते हैं। २००७ में अज़रबेजान के राष्ट्रपति के आदेश से इसे एक राष्ट्रीय ऐतिहासिक-वास्तुशिल्पीय आरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया। .

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बेंजीन

बेंजीन के विभिन्न प्रकार के निरूपण बेंज़ीन या धूपेन्य एक हाइड्रोकार्बन है जिसका अणुसूत्र C6H6 है। बेंजीन का अणु ६ कार्बन परमाणुओं से बना होता है जो एक छल्ले की तरह जुड़े होते हैं तथा प्रत्येक कार्बन परमाणु से एक हाइड्रोजन परमाणु जुड़ा होता है। बेंजीन, पेट्रोलियम (क्रूड ऑयल) में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। कोयले के शुष्क आसवन से अलकतरा तथा अलकतरे के प्रभाजी आसवन (fractional distillation) से बेंजीन बड़ी मात्रा में तैयार होता है। प्रदीपन गैस से प्राप्त तेल से फैराडे ने 1825 ई. में सर्वप्रथम इसे प्राप्त किया था। मिटशरले ने 1834 ई. में बेंज़ोइक अम्ल से इसे प्राप्त किया और इसका नाम बेंजीन रखा। अलकतरे में इसकी उपस्थिति का पता पहले पहल 1845 ई. में हॉफमैन (Hoffmann) ने लगाया था। जर्मनी में बेंजीन को 'बेंज़ोल' कहते हैं। बेंजीन रंगहीन, मीठी गन्थ वाला, अत्यन्त ज्वलनशील द्रव है। इसका उपयोग एथिलबेंजीन्न और क्यूमीन (cumene) आदि भारी मात्रा में उत्पादित रसायनों के निर्माण में होता है। चूँकि बेंजीन का ऑक्टेन संख्या अधिक होती है, इसलिये पेट्रोल में कुछ प्रतिशत तक यह मिलाया गया होता है। यह कैंसरजन है जिसके कारण इसका गैर-औद्योगिक उपयोग कम ही होता है। .

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मिनीकॉनामी

मिनीकॉनामी (शाब्दिक अर्थ लघु अर्थव्यवस्था) (जिसे खिलाडियों द्वारा MC भी कहा जाता है), एक वेब ब्राउज़र आधारित, बहु-खिलाड़ी ऑनलाइन खेल है। मिनीकॉनामी एक व्यापार/अर्थव्यवस्था अनुकारक खेल जिस का उद्धगम और विकास नीदरलैंड में हुआ। खेल में 121 विभिन्न देशों के 60000 खिलाड़ी पंजिकृत हैं, जो इस खेल को अंग्रेज़ी और डच भाषाओं में खेलते हैं। मिनीकॉनामी अपने 64वें चक्र में है जो 2 मई 2009 को आरंभ हुआ। मिनीकॉनामी एक शुल्क मुक्त खेल है, परंतु कोई भी खिलाड़ी नाम मात्र का शुल्क दे कर विशिष्ट प्रीमियम सदस्य बन सकता है। यह प्रीमियम सदस्यता खिलाड़ीयों को कुछ अतिरिक्त सुविधायें देती है। प्रीमियम सदस्य कंपनीयों और निगमों की स्थापना कर सकते हैं। यह कंपनीयां बैंक, बंदरगाह, जहाज़रानी, वाहन निर्माण और टैक्सी जैसे क्षेत्रों में व्यापार कर सकती हैं। प्रीमियम सदस्य राजनैतिक संगठन बना सकते हैं, भावों को प्रगट करने के लिए स्माईली का प्रयोग कर सकते हैं। प्रीमियम सदस्य साधारण सदस्यों की तुलना में दोगुणा उत्पादन कर सकते हैं। जब प्रीमियम सदस्य घर बनाते हैं तो उन को घर में मिनीकॉनामी कंप्यूटर निशुल्क प्राप्त होता है। .

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यातायात संकेत (ट्रैफिक साइन)

क्वींसलैंड, ऑस्ट्रेलिया में वारेगो राजमार्ग पर एक "मार्ग पुष्टि" संकेत, जो चालकों को सूचीबद्ध स्थानों से उनकी दूरी (किलोमीटर में) के बारे में जानकारी देता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक संकेत जो मील प्रति घंटे में स्थानीय गति सीमा के बारे में बताता है आगे आने वाले एक दोहरे मोड़ की चेतावनी देने वाले एक ताइवान संकेत के डिजाइन विनिर्देश एक स्तंभ पर दो या इससे अधिक संकेतों को प्रदर्शित किया जा सकता है। यहाँ एक कनाडाई सड़क-अंत का निशान एक ग्रामीण हवाई अड्डे के संकेत के साथ दिखाई देता है। यातायात संकेत (ट्रैफिक साइन) या सड़क संकेत (रोड साइन), सड़क का उपयोग करने वालों को जानकारी प्रदान करने के लिए सड़कों के किनारे लगाए गए संकेतों को कहते हैं। पिछले आठ दशकों में वाहनों की संख्या में वृद्धि के साथ कई देशों ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा को सुविधाजनक बनाने (जहाँ भाषा संबंधी अंतर अवरोध पैदा करते हैं) तथा आम तौर पर यातायात सुरक्षा को बढ़ाने में मदद के लिए सचित्र संकेतों को अपनाया है या अन्यथा अपने संकेतों को सरलीकृत और मानकीकृत किया है। इस तरह के सचित्र संकेतों में शब्दों के स्थान पर चिन्हों (अक्सर छायाचित्रों) का उपयोग किया जाता है और ये आम तौर पर अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल पर आधारित होते हैं। ऐसे संकेतों को सबसे पहले यूरोप में विकसित किया गया था और इन्हें देशों द्वारा विभिन्न स्तरों पर अपनाया गया है। .

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यारकन्द ज़िला

चीन के शिंजियांग प्रांत के काश्गर विभाग (पीला रंग) के अन्दर स्थित यारकन्द ज़िला (गुलाबी रंग) यारकन्द शहर में एक सड़क यारकन्द ज़िला (उइग़ुर:, चीनी: 莎车县, अंग्रेज़ी: Yarkand) चीन के शिंजियांग प्रांत के काश्गर विभाग में स्थित एक ज़िला है। इसका क्षेत्रफल ८,९६९ वर्ग किमी है और सन् २००३ की जनगणना में इसकी आबादी ३,७३,४९२ अनुमानित की गई थी। इसकी राजधानी यारकंद नाम का ही एक ऐतिहासिक शहर है जिसका भारतीय उपमहाद्वीप के साथ गहरा सांस्कृतिक और व्यापारिक सम्बन्ध रहा है। यारकन्द तारिम द्रोणी और टकलामकान रेगिस्तान के दक्षिणी छोर पर स्थित एक नख़लिस्तान (ओएसिस) क्षेत्र है जो अपना जल कुनलुन पर्वतों से उत्तर की ओर उतरने वाली यारकन्द नदी से प्राप्त करता है। इसके मरूद्यान (ओएसिस) का क्षेत्रफल लगभग ३,२१० वर्ग किमी है लेकिन कभी इस से ज़्यादा हुआ करता था। तीसरी सदी ईस्वी में यहाँ रेगिस्तान के फैलने से यह उपजाऊ इलाक़ा थोड़ा घट गया। यारकन्द में अधिकतर उइग़ुर लोग बसते हैं। यहाँ कपास, गेंहू, मक्की, अनार, ख़ुबानी, अख़रोट और नाशपाती उगाए जाते हैं। इस ज़िले के ऊँचे इलाक़ों में याक और भेड़ पाले जाते हैं। यहाँ की धरती के नीचे बहुत से मूल्यवान खनिज मौजूद हैं, जैसे की पेट्रोल, प्राकृतिक गैस, सोना, ताम्बा, सीसा और कोयला। .

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शिलारस

बिना साफ़ किया शिलारस (कच्चा शिलारस) शिलारस (पेट्रोलियम) एक अत्यधिक उपयोगी पदार्थ हैं, जिसका उपयोग देनिक जीवन में बहुत अधिक होता हैं। शिलारस वास्तव में उदप्रांगारों का मिश्रण होता है। इसका निर्माण भी कोयले की तरह वनस्पतियों के पृथ्वी के नीचे दबने तथा कालांतर में उनके ऊपर उच्च दाब तथा ताप के आपतन के कारण हुआ। प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले शिलारस को अपरिष्कृत तेल (Crude Oil) कहते हैं जो काले रंग का गाढ़ा द्रव होता है। इसके प्रभाजी आसवन (फ्रैक्शनल डिस्टिलेशन) से केरोसिन, पेट्रोल, डीज़ल, प्राकृतिक गैस, वेसलीन,तारकोल ल्यूब्रिकेंट तेल इत्यादि प्राप्त होते हैं। दरअसल जब तेल के भंडार पृथ्वी पर कहीं ढूंढे जाते हैं, तब यह गाढ़े काले रंग का होता है। जिसे क्रूड ऑयल कहा जाता है और इसमें उदप्रांगारों की बहुलता होती है। उदप्रांगारों की खासियत यह होती है कि इनमें मौजूद हाइड्रोजन और प्रांगार के अणु एक दूसरे से विभिन्न श्रृंखलाओं में बंधे होते हैं। ये श्रृंखलाएं तरह-तरह की होती हैं। यही श्रृंखलाएं विभिन्न प्रकार के तेल उत्पादों का स्रोत होती हैं। इनकी सबसे छोटी श्रृंखला मिथेन नामक प्रोडक्ट का आधार बनती है। इनमें लंबी श्रृंखलाओं वाले उदप्रांगारों ठोस जैसे कि मोम या टार नामक उत्पाद का निर्माण करते हैं। सछिद्र चट्टान (4) में शिलारस स्थित है। जब पृथ्वी से तेल खोद कर निकाला जाता है उस वक्त अपरिष्कृत तेल (क्रूड ऑयल) ठोस रूप में होता है। इससे तेल के विभिन्न रूप पाने के लिए अपरिष्कृत तेल में मौजूद उदप्रांगार के विभिन्न चेन को अलग करना पड़ता है। उदप्रांगार के विभिन्न चेनों को अलग करने की प्रक्रिया रासायनिक क्रांस जोड़ने उदप्रांगार कहलाती है। जिसे हम शोधन प्रक्रिया के नाम से जानते हैं। यह शोधन प्रक्रिया शोधन कारखानें (रिफाइनरीज) में होती है। एक तरह से यह शोधन बेहद आसान भी होता है और मुश्किल भी। यह सरल तब होता है जब क्रूड ऑयल में पाए जाने वाले उदप्रांगारों के बारे में पता हो और मुश्किल तब जब इसकी जानकारी नहीं होती है। दरअसल हर प्रकार के उदप्रांगारों का क्वथनांक के, अलग-अलग होता है इस तरह आसवन की प्रक्रिया से उन्हें आसानी से अलग किया जा सकता है। तेल शोधक कारखाना की पूरी प्रक्रिया में यह एक महत्वपूर्ण चरण होता है। दरअसल अपरिष्कृत तेल को अलग-अलग तापमान पर गर्म करके वाष्प एकत्रित करके तथा उसे दोबारा संघनित करके उदप्रांगार की अलग-अलग चेन निकाल ली जाती हैं। तेल शोधक कारखाना (ऑयल रिफाइनरी) में शोधन का यह सबसे सामान्य और पुराना तरीका है। उबलते तापमान का उपयोग करने वाली इस विधि को प्रभाजी आसवन कहते हैं। आसवन का एक तरीका यह भी होता है कि उदप्रांगार की एक लंबी चेन को जैसे का तैसा निकाल लेने के बजाए उसे छोटी-छोटी चेन्स में तोड़कर निकाल लिया जाता है। इस प्रक्रिया को रासायनिक प्रसंस्करण कहते हैं। तो बच्चे अब आप समझ गए होंगे कि पेट्रोल और कैरोसिन के अलावा दूसरे ईंधन कैसे बनते हैं। इस सारी प्रक्रिया में तेल शोधक कारखाना की अहम भूमिका हो .

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संपीड़ित प्राकृतिक गैस

उत्तरी अमरीका में सी.एन.जी. के लिए प्रयुक्त नीला ईंट का चिह्न संपीडित प्राकृतिक गैस (अंग्रेज़ी - Compressed Natural Gas, संक्षेप में CNG, सीएनजी) प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले ज्वलनशील गैस को अत्यधिक दबाब के अन्दर रखने से बने तरल को कहते हैं। इस गैस को वाहनों में प्रयोग करने के लिए २०० से २५० किलोग्राम प्रति वर्ग से.मी.

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स्पार्क प्लग

सिंगल-ग्राउंड इलेक्ट्रोड वाला स्पार्क प्लग. स्पार्क प्लग (आजकल बहुत कम प्रयुक्त, ब्रिटिश अंग्रेज़ी में: स्पार्किंग प्लग भी) एक विद्युतीय उपकरण है जिसे किसी आंतरिक दहन इंजन के सिलेंडर हेड पर लगाया जाता है और जो संपीडित ईंधन, जैसे एयरोसोल, पेट्रोल, इथेनॉल और तरलीकृत पेट्रोलियम को एक विद्युतीय चिंगारी के माध्यम से सुलगाता है। स्पार्क प्लग में एक विद्युत-रोधित केंद्रीय इलेक्ट्रोड होता है जो बाहर की तरफ एक अत्यंत विद्युत-रोधित तार द्वारा एक प्रज्वलन कुंडली या चुंबकीय सर्किट से जुड़ा होता है, जिससे वह प्लग के आधार में स्थापित एक टर्मिनल के साथ सिलेंडर के अन्दर एक चिंगारी उत्पन्न करता है। (दाएं तरफ चित्र देखें) एटीएन लेनोइर ने पहले से ही 1860 में अपने प्रथम आंतरिक दहन इंजन में एक विद्युत् स्पार्क प्लग का प्रयोग किया था और स्पार्क प्लग के आविष्कार का श्रेय आम तौर पर उन्हें दिया जाता है। स्पार्क प्लग के लिए आरंभिक पेटेंट में शामिल है निकोला टेस्ला द्वारा (में एक प्रज्वलन समय प्रणाली के लिए, 1898), फ्रेडरिक रिचर्ड सिम्स (जीबी 24859/1898, 1898) और रॉबर्ट बॉश (जीबी 26907/1898)। लेकिन 1902 में रॉबर्ट बॉश के इंजीनियर गोटलोब होनोल्ड द्वारा चुंबक आधारित प्रज्वलन प्रणाली के एक हिस्से के रूप में व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य प्रथम उच्च वोल्टेज स्पार्क प्लग के आविष्कार ने ही आंतरिक दहन इंजन के विकास को संभव बनाया। निर्माण में किये गए बाद के सुधारों का श्रेय एल्बर्ट चैंपियन, सर ओलिवर जोसेफ लॉज के पुत्र लॉज बंधुओं को भी दिया जा सकता है जिन्होंने अपने पिता की योजनाओं को विकसित और निर्मित किया, और साथ में गिनीज ब्रुइंग परिवार के केनेल्म ली गिनीज का नाम भी लिया जाता है जिन्होंने KLG ब्रांड विकसित किया। पश्चाग्र आंतरिक दहन इंजन को दो रूपों में विभाजित किया जा सकता है, स्पार्क प्रज्वलन इंजन जिसे दहन शुरू करने के लिए स्पार्क प्लग की आवश्यकता होती है और संपीड़न प्रज्वलन इंजन (डीजल इंजन) जो हवा को संपीड़ित करता है और फिर डीजल ईंधन को गर्म संपीड़ित वायु मिश्रण में डालता है जहां वह स्वचालित रूप से सुलग जाती है। कम्प्रेशन-प्रज्वलन इंजनों में ठंडी शुरुआत वाली विशेषताओं के सुधार के लिए ग्लो प्लग का उपयोग हो सकता है। स्पार्क प्लग का उपयोग अन्य अनुप्रयोगों में भी किया जा सकता है जैसे कि भट्ठी में, जहां एक दहनशील मिश्रण को प्रज्वलित किया जाना चाहिए। इस मामले में, उन्हें कभी-कभी फ्लेम इग्नाइटर्स भी कहा जाता है। .

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सूर्य देवता

कोई विवरण नहीं।

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सूखी धुलाई

शुष्क धुलाई किये हुए कपड़े सूखी धुलाई (Dry Cleaning) या शुष्क धुलाई में कार्बनिक विलायकों का उपयोग होता है। यह ऊनी, रेशमी, रेयन और इसी प्रकार के अन्य वस्त्रों के लिए उपयोग की जाती है। सामान्य धुलाई पानी, साबुन और सोडे से की जाती है। भारत में धोबी सज्जी मिट्टी का व्यवहार करते हैं, जिसका सक्रिय अवयव सोडियम कार्बोनेट होता है। सूती वस्त्रों के लिए यह धुलाई ठीक है पर ऊनी, रेशमी, रेयन और इसी प्रकार के अन्य वस्त्रों के लिए यह ठीक नहीं है। ऐसी धुलाई से वस्त्रों के रेशे कमजोर हो जाते हैं और यदि कपड़ा रंगीन है तो रंग भी फीका पड़ जाता है। ऐसे वस्त्रों की धुलाई सूखी रीति से की जाती है। केवल वस्त्र ही सूखी रीति से नहीं धोए जाते वरन् घरेलू सजावट के साज सामान भी सूखी धुलाई से धोए जाते हैं। सूखी धुलाई की कला अब बहुत उन्नति कर गई है। इससे धुलाई जल्दी तथा अच्छी होती है और वस्त्रों के रेशे और रंगों की कोई क्षति नहीं होती। विशेष रूप से ऊनी कंबल आदि के लिए यह बहुत उपयोगी है। .

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सीसा

विद्युत अपघटन द्वारा शुद्ध किया हुआ सीस; १ घन सेमी से घन के साथ (तुलना के लिए) सीस, सीसा या लेड (अंग्रेजी: Lead, संकेत: Pb लैटिन शब्द प्लंबम / Plumbum से) एक धातु एवं तत्त्व है। काटने पर यह नीलिमा लिए सफ़ेद होता है, लेकिन हवा का स्पर्श होने पर स्लेटी हो जाता है। इसे इमारतें बनाने, विद्युत कोषों, बंदूक की गोलियाँ और वजन बनाने में प्रयुक्त किया जाता है। यह सोल्डर में भी मौजूद होता है। यह सबसे घना स्थिर तत्त्व है। यह एक पोस्ट-ट्रांज़िशन धातु है। इसका परमाणु क्रमांक ८२, परमाणु भार २०७.२१, घनत्व ११.३६, गलनांक ३,२७.४ डिग्री सें., क्वथनांक १६२०डिग्री से.

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हरित भवन

सिडनी का एक लटकता हुआ बाग। हरित भवन एक प्रकार का ऐसा भवन, जो पर्यावरण के साथ मिल कर बना होता है। इसे बनाते समय इस तरह से बनाते हैं कि पर्यावरण को बहुत ही कम हानि हो। इसे बनाए के बाद आसपास के स्थान पर पेड़ पौधे लगाए जाते हैं। इसके अलावा कुछ लोग इसमें पूरी तरह से अपने भवन के ऊपर के भाग को गमलों और छोटे पौधों से सजाते हैं। .

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हरित वाहन

एक प्रकार का हरित वाहन। हरित वाहन ऐसे वाहनों को कहते हैं, जिससे बहुत कम प्रदूषण होता है और पर्यावरण पर बहुत कम दुष्प्रभाव पड़ता है। यह पेट्रोल आदि से चलते हैं, लेकिन इनसे उतना अधिक प्रदूषण नहीं होता है। कुछ हरित वाहन वैकल्पिक स्रोत से चलते हैं। जैसे विद्युत, प्राकृतिक गैस द्वारा आदि। .

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हाइब्रिड वाहन

होंडा इनसाइट हाइब्रिड NYPD आवागमन प्रवर्तन द्वारा उपयोग किया जाने वाला प्रियूस एक हाइब्रिड वाहन एक ऐसा वाहन है, जो वाहन को चलाने के लिए दो या दो से अधिक भिन्न ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करता है। यह शब्द सबसे अधिक हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व़ीइकल्स अर्थात् संकर विद्युत वाहन (HEVs), के रूप में जाना जाता है, जिसमें एक आंतरिक दहन इंजन और एक या एक से अधिक विद्युत मोटर होते हैं। .

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हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड एक फॉर्च्यून 500 कंपनी (2012 में 267 वें स्थान पर) है, जो भारत सरकार की दूसरी सबसे बड़ी एकीकृत तेल शोधन और विपणन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम को सरकार द्वारा नवरत्न श्रेणी में रखा गया है। भारत में इसका पेट्रोलियम उत्पादों के विपणन मे कुल योगदान 20.9% और तेल शोधन मे 10.3% है। इसके स्वामित्व मे दो तटीय तेल परिशोधन कारखाने (ऑयल रिफाईनरी) हैं। इन परिशोधिकाओं (रिफाईनरी) मे कई प्रकार के पेट्रोलियम उत्पाद जैसे इंधन तेल (फ्यूल ऑयल) और स्नेहक (ल्युब्रीकेंट) का निर्माण होता है। पश्चिमी तट पर स्थित मुंबई रिफाईनरी की क्षमता 5.5 एम.एम.टी.पी.ए तथा पूर्वी तट पर स्थित विशाखापत्तनम रिफाईनरी की क्षमता 7.5 एम.एम.टी.पी.ए है। कंपनी की मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकैमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) की अत्याधुनिक मंगलौर रिफाइनरी जिसकी क्षमता 9 एम.एम.टी.पी.ए है, मे कुल इक्विटी भागीदारी 16.95% है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने मित्तल एनर्जी समूह के साथ संयुक्त उद्यम एच एम ई एल में एक नयी तेल परिशोधिका गुरु गोबिंद सिंह रिफाइनरी को पंजाब के भटिंडा मे स्थापित किया है, जिसका लोकार्पण भारत के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने 28 अप्रैल 2012 को किया। .

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जयपुर का इंडियन ऑयल डिपो अग्निकांड

जयपुर इंडियन ऑयल डिपो अग्निकांड गुरूवार २९ अक्टूबर २००९ को हुआ था। इस अग्निकाण्ड में राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर शहर के निकट स्थित सांगानेर में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के तेल भण्डार डिपो में भीषण आग लग गई जिसमें कंपनी को जहाँ करोड़ों की हानि हुई, वहीं इस दुर्घटना में ११ लोगों की मृत्यु भी हो गयी। .

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जावा मोटरसाइकिल

जावा मोटरसाइकिल (अंग्रेजी में Ideal Jawa) स्वतन्त्र भारत में बनी 250 सीसी क्षमता वाली टू स्ट्रोक रेसिंग मोटरसाइकिल थी। सन् 1960 में मैसूर शहर (वर्तमान कर्नाटक प्रान्त) में फारूक ईरानी द्वारा स्थापित आइडियल जावा (इण्डिया) लिमिटेड ने इसे चेकोस्लोवाकिया की कम्पनी जावा मोटर्स से लाइसेंस लेकर बनाया था। उस समय 250 सीसी मॉडल में ईंधन की खपत के लिहाज से यह सर्वोत्तम मोटरसाइकिल थी जो 3 लीटर पेट्रोल में 100 किलोमीटर की दूरी तय करती थी। 1970 से लेकर 1990 के दशक तक पूरे 30 साल रेसिंग मोटरसाइकिलों में इसका कोई मुकाबला नहीं था। दो स्ट्रोक और दो साइलेंसर वाली यह अनूठी मोटरसाइकिल थी जिसके सभी कलपुर्जे कवर्ड हुआ करते थे। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसके किक स्टार्टर से ही गीयर बदलने का काम हो जाता था। इसके अलावा इसका रखरखाव भी बहुत ही सस्ता और आसान था। अमूमन इसे किसी मोटर मकेनिक के पास ले जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी। 1960 से 1974 तक पूरे पन्द्रह साल जावा ब्राण्ड से यह भारत में बनायी गयी बाद में ब्राण्ड और मॉडल बदल कर येज़दी हो गया। परन्तु भारतीय बाजार में ग्लोबलाइजेशन एवं विश्व व्यापार संगठन के कठोर मापदण्डों के कारण सन् 1996 में इसकी निर्माता कम्पनी को इसका उत्पादन बन्द करने के लिये बाध्य होना पड़ा। यद्यपि जावा मोटरसाइकिल बनाने वाली कम्पनी को बन्द हुए बरसों हो चुके हैं फिर भी मैसूरवासियों के लिये आज भी जावा मोटर साइकिल सिर्फ़ एक बाइक ही नहीं बल्कि बहुत कुछ है। जावा शब्द इसके चेकोस्लोवाकियन संस्थापक जानीक फ्रांटिसेक और वांडरर के नाम के पहले दो-दो अक्षरों जा और वा को मिलाकर बनाया गया था। आज भी कर्नाटक प्रान्त में रहने वालों को इस मोटर साइकिल के नाम में मैसूर के एक प्रतापी राजा जायचमाराजेन्द्र वाडियार की स्मृति झलकती है। मैसूर राज्य में आज भी प्रति वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय जावा येज़दी दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें सन् 1945 के चेक जावा मॉडल से लेकर येज़दी 350 तक की सैकड़ों विण्टेज मोटरसाइकिलें सड़कों पर दौड़ती नज़र आती हैं। .

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ज्वलनशीलता

ज्वलनशील रसायनों का प्रतीकज्वलनशीलता या प्रज्वलनशीलता, किसी पदार्थ का वह गुण है जिसके अनुसार वह पदार्थ कितनी आसानी से जल या सुलग कर आग अथवा दहन उत्पन्न कर सकता है। किसी वस्तु के दहन हेतु आवश्यक कठिनाई की मात्रा को अग्नि परीक्षण द्वारा मापा जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, ज्वलनशीलता के मापन के लिए विभिन्न प्रकार की परीक्षण विधियां (प्रोटोकॉल) मौजूद हैं। इन परीक्षणों से प्राप्त मूल्यांकनों (रेटिंग्स) को भवन निर्माण संहिता (बिल्डिंग कोड), बीमा आवश्यकताओं, अग्नि संहिता (फायर कोड) के अतिरिक्त उन नियमों और विनियमों में प्रयोग किया जाता है जो किसी भवन निर्माण सामग्री के उपयोग और भंडारण के साथ साथ किसी अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ की किसी इमारत के अन्दर या बाहर संभाल (‘हैंडलिंग’) और उसके सड़क अथवा वायु परिवहन को निर्धारित करते हैं। .

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ईन्धन

जलती हुई प्राकृतिक गैस ईधंन (Fuel) ऐसे पदार्थ हैं, जो आक्सीजन के साथ संयोग कर काफी ऊष्मा उत्पन्न करते हैं। 'ईंधन' संस्कृत की इन्ध्‌ धातु से निकला है जिसका अर्थ है - 'जलाना'। ठोस ईंधनों में काष्ठ (लकड़ी), पीट, लिग्नाइट एवं कोयला प्रमुख हैं। पेट्रोलियम, मिट्टी का तेल तथा गैसोलीन द्रव ईधंन हैं। कोलगैस, भाप-अंगार-गैस, द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस और प्राकृतिक गैस आदि गैसीय ईंधनों में प्रमुख हैं। आजकल परमाणु ऊर्जा भी शक्ति के स्रोत के रूप में उपयोग की जाती है, इसलिए विखंडनीय पदार्थों (fissile materials) को भी अब ईंधन माना जाता है। वैज्ञानिक और सैनिक कार्यों के लिए उपयोग में लाए जानेवाले राकेटों में, एल्कोहाल, अमोनिया एवं हाइड्रोजन जैसे अनेक रासायनिक यौगिक भी ईंधन के रूप में प्रयुक्त होते हैं। इन पदार्थों से ऊर्जा की प्राप्ति तीव्र गति से होती है। विद्युत्‌ ऊर्जा का प्रयोग भी ऊष्मा की प्राप्ति के लिए किया जाता है इसलिए इसे भी कभी-कभी ईंधनों में सम्मिलित कर लिया जाता है। .

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वोक्सवैगन बीटल

वोक्सवैगन टाइप 1, जिसे व्यापक तौर पर वोक्सवैगन बीटल के नाम से जाना जाता है, जर्मन वाहन निर्माता वोक्सवैगन (वीडब्ल्यू) द्वारा 1938 से 2003 तक निर्मित एक किफायती कार है। वायु-शीतलीत, पश्च-इंजनयुक्त, पश्च-पहिया चालन विन्यास में 21 मिलियन से अधिक संख्या में निर्मित होने वाली यह बीटल कार एक सिंगल डिजाइन प्लेटफॉर्म वाली दुनिया की सबसे ज्यादा चलने वाली और सबसे ज्यादा निर्मित मोटरगाड़ी है। .

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खंभात

खंभात नगर, (गुजराती:ખંભાત) पूर्व-मध्य गुजरात के आनन्द जिले की एक नगरपालिका है। यह खंभात की खाड़ी के उत्तर में, माही नदी के मुहाने पर स्थित एक प्राचीन नगर है। टॉलमी नामक विद्वान ने भी इसका उल्लेख किया है। प्रथम शती में यह महत्वपूर्ण सागर पत्तन था। १५वीं शताब्दी में खंभात पश्चिमी भारत के हिंदू राजा की राजधानी था। जेनरल गेडार्ड ने १७०० ई. में इस नगर को अधिकृत कर लिया था, किंतु १७८३ ई. में यह पुन: मराठों को लौटा दिया गया। १८०३ ई. के बाद से यह अंग्रेजी राज्य के अंतर्गत रहा। नगर के दक्षिण-पूर्व में प्राचीन जैन मंदिर के भग्नावशेष विस्तृत प्रदेश में मिलते हैं। प्राचीन काल में रेशम, सोने का समान और छींट यहाँ के प्रमुख व्यापार थे। कपास प्रधान निर्यात थी। किन्तु नदियों के निक्षेपण से पत्तन पर पानी छिछला होता गया और अब यह जलयानों के रुकने योग्य नहीं रहा। फलत: निकटवर्ती नगरों का व्यापारिक महत्व खंभात की अपेक्षा अधिक बढ़ गया और अब यह एक नगर मात्र रह गया है। .

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गल्फ ऑयल

गल्फ ऑयल 1900 से 1980 तक एक प्रमुख वैश्विक तेल कंपनी थी। 1941 में आठवीं सबसे बड़ी अमेरिकी विनिर्माण कंपनी और 1979 में नौवीं सबसे बड़ी, गल्फ ऑयल तथाकथित सेवन सिस्टर्स तेल कंपनियों में से एक थी। कैलिफोर्निया की स्टैंडर्ड ऑयल के साथ अपने विलय से पूर्व गल्फ प्रसिद्ध मेलन परिवार के भाग्य के प्रमुख उपकरणों में से एक थी; गल्फ और मेलन फाइनेंशियल दोनों के मुख्यालय पिट्सबर्ग, पेन्सिल्वेनिया में स्थित थे। गल्फ का पूर्व मुख्यालय, मूल रूप में जिसे, "द गल्फ बिल्डिंग" (अब गल्फ टॉवर कार्यालय भवन) कहा जाता था, एक कलात्मक गगनचुंबी इमारत है। 1970 में यू एस स्टील टॉवर के बनने ले पहले तक यह पिट्सबर्ग की सबसे ऊंची इमारत थी, इसके ऊपर कई मंजिल ऊंची संरचना है। 1970 के दशक के अंत तक इसका संपूर्ण शीर्ष प्रकाशित रहता था, वायुमंडलीय दबाव में परिवर्तन के साथ इसके रंग बदलते थे जो मौसम परिवर्तन के सूचक थे और इसे कई मील दूर से देखा जा सकता था। गल्फ ऑयल निगम (जीओसी (GOC)) का एक स्वतंत्र कंपनी के रूप में अस्तित्व 1985 में समाप्त हो गया जब उसने एसओसीएएल (SOCAL) के साथ विलय कर लिया और दोनों का नया ब्रांड शेवरोन रखा गया। हालांकि, ब्रांड नाम गल्फ और जीओसी के कई घटक व्यापारिक प्रभाग बने रहे। साझेदारियों फ्रेंचाइजी और एजेंसियों पर आधारित व्यापारिक हितों से संबद्ध एक लचीले नेटवर्क के रूप में उभर कर गल्फ ने 1990 से एक महत्वपूर्ण पुनरुत्थान का अनुभव किया है। गल्फ, अपने वर्तमान अवतार में एक "नया आर्थिक" व्यवसाय है। यह बहुत कम लोगों को सीधे रोजगार देती है और इसकी संपत्ति मुख्य रूप से बौद्धिक संपत्ति: ब्रांड, उत्पाद विनिर्देशों और वैज्ञानिक विशेषज्ञता के रूप में है। संयुक्त राज्य अमेरिका में ब्रांड के अधिकार कंबरलैंड फार्म्स के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी गल्फ ऑयल लिमिटेड पार्टनरशिप (GOLC) के पास हैं और यह 2,100 से अधिक सर्विस स्टेशनों और अनेक पेट्रोल टर्मिनलों का संचालन करती है, इसका मुख्यालय फ्रैमिंघम, मैसाचुसेट्स में स्थित है। अमेरिका, स्पेन और पुर्तगाल के बाहर गल्फ नेटवर्क के केंद्र में कॉर्पोरेट वाहक हिंदूजा समूह के स्वामित्व वाली कंपनी जीओआई (GOI) है। कंपनी का ध्यान मुख्यतः संयुक्त उद्यमों, लाइसेंस अनुबंधों और वितरण व्यवस्थाओं के माध्यम से एक व्यापक बाजार में अपने अनुप्रवाह उत्पादों और सेवाओं को उपलब्ध कराने पर केंद्रित है। गल्फ ऑयल इंटरनेशनल का प्रधान कार्यालय लंदन के वेस्टमिंस्टर सिटी में स्थित है। .

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आग

जंगल की आग आग दहनशील पदार्थों का तीव्र ऑक्सीकरण है, जिससे उष्मा, प्रकाश और अन्य अनेक रासायनिक प्रतिकारक उत्पाद जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और जल.

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इण्डियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (हिन्दी: भारतीय तेल निगम) एक फॉर्च्यून 500 कंपनी (2009 में 105 वें स्थान पर) है जो भारत सरकार की सबसे बडी़ एकीकृत तेल शोधन और विपणन करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी है। इंडियन ऑयल को सरकार द्वारा नवरत्न का दर्जा प्राप्त है। भारत मे इसका पेट्रोलियम उत्पादों के विपणन मे कुल हिस्सा 47 % और तेल शोधन मे 40 % है। भारत की कुल १९ तेल परिशोधिकाओं मे से १० इंडियन ऑयल के स्वामित्व के आधीन हैं। इंडियनऑयल भारत की अग्रणी राष्ट्रीय तेल कंपनी है और इसके व्यापारिक हित समस्त हाईड्रोकार्बन मूल्य श्रृंखला में व्याप्त हैं- जिसमें तेलशोधन, पाइपलाइन परिवहन और पेट्रोलियम उत्पादों के विपणन से लेकर कच्चे तेल और गैस की खोज तथा उत्पादन, प्राकृतिक गैस और पेट्रो रसायनों का विपणन शामिल है। फार्च्यून ‘ग्लोबल 500’ सूची में यह अग्रणी भारतीय निगमित कंपनी है जिसे वर्ष 2010 में 125वां स्थान दिया गया था। 34,000 से अधिक सुदृढ़ कार्यबल के साथ, इंडियनऑयल द्वारा भारत की ऊर्जा मांग को पिछले पचास वर्षों से अधिक समय से पूरा करने में सहायता की जा रही है। भारत की ऊर्जा के निगमित विज़न के साथ, इंडियनऑयल द्वारा वर्ष 2009-10 के दौरान 2,71,074 करोड़ रुपये की कुल बिक्री और 10,221 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया गया। इंडियनऑयल में, प्रचालनों को व्यवसाय आयामों अर्थात – तेलशोधन, पाइपलाइन, विपणन, अनुसंधान और विकास केंद्र तथा व्यवसाय विकास- ई एण्ड पी, पेट्रो रसायनों और प्राकृतिक गैस के साथ कार्यनीतिक रूप से संरचित किया जाता है। विकास के अगले चरण को प्राप्त करने के लिए, इंडियनऑयल वर्तमान में ऊर्ध्‍वाधर (वर्टिकल) एकीकरण के माध्यम से सुस्थापित मार्ग पर पूरे जोर शोर से आगे बढ़ रही है और अपने डाउनस्ट्रीम प्रचालनों के वैश्वीकरण के अलावा – तेल की खोज और उत्पादन (ई एण्ड पी) में अपस्ट्रीम तथा पेट्रो रसायनों में डाउनस्ट्रीम- और प्राकृतिक गैस विपणन और वैकल्पिक ऊर्जा में अपने सपनों को साकार करने में संलग्न है। श्री लंका, मारिशस तथा संयुक्त राज्य अमीरात (यूएई) में सहायक कंपनियों की स्थापना के बाद, साथ ही साथ इंडियनऑयल एशिया और अफ्रीका के ऊर्जा बाजारों में नए कारोबारी अवसरों की खोज भी कर रही है। .

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इथेनॉल

एथेनॉल (Ethanol) एक प्रसिद्ध अल्कोहल है। इसे एथिल अल्कोहल भी कहते हैं। .

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इलेक्ट्रिक कार (विद्युत् कार)

निसान लीफ अमेरिका और चुनें बाजारों में 2010 के अंत तक बिक्री के लिए उपलब्ध हो जाएगी तथा इसकी वैश्विक उपलब्धता 2012 में होगी। 1 मित्सुबिशी i MiEV की जनता के लिए बिक्री जापान में अप्रैल 2010 में, हांगकांग में मई 2010 में और ऑस्ट्रेलिया में जुलाई 2010 में प्रारंभ हुई.2 इलेक्ट्रिक कार बैटरी की शक्ति से चलने वाली विद्युत् मोटरों द्वारा संचालित वाहन है। हालांकि बिजली के कारों में सामान्यतः अच्छा त्वरण (शीघ्र गति पकड़ना) होता है तथा उनकी अधिकतम गति भी सर्व-स्वीकृत होती है, परन्तु 2010 में उपलब्ध बैटरियां कार्बन आधारित ईंधन की अपेक्षा कम विशिष्ट ऊर्जा वाली थीं जिसका अर्थ यह हुआ कि न सिर्फ वे वाहन के भार का एक बड़ा हिस्सा होंगी, बल्कि चार्ज होने के पश्चात् अधिक परास भी नहीं देंगी। रिचार्जिंग में भी लम्बा समय लग सकता है। छोटी परास की, रोजाना आवागमन की यात्राओं के लिए इलेक्ट्रिक कार यातायात का एक व्यावहारिक साधन है और इसे बहुत कम खर्च पर रात भर में चार्ज किया जा सकता है, परन्तु लम्बी यात्राओं के लिए यह व्यावहारिक नहीं है। लम्बी दूरी की यात्राओं के लिए विकल्पों के रूप में बैटरी बदलने के स्टेशन जैसी आधारभूत सुविधाओं के विकास का कार्य टोक्यो तथा कुछ अन्य शहरों में आज़माइश के तौर पर चल रहा है। इलेक्टिक कारों में शहरों में प्रदूषण को उल्लेखनीय रूप से कम कर सकने की क्षमता है क्योंकि इससे होने वाले उत्सर्जन शून्य होते हैं। वाहन से उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों की कमी इसपर निर्भर करती है कि विद्युत् का उत्पादन कैसे किया जा रहा है। वर्तमान सं.रा. के ऊर्जा मिक्स के साथ इलेक्ट्रिक कार से कार्बन डाई ऑक्साईड के उत्सर्जन में 30% की कमी आएगी.

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कार्बन-न्यूट्रल ईंधन

कार्बन-न्यूट्रल ईंधन ऊर्जा ईंधन या कोई शुद्ध ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन या कार्बन पदचिह्न है, जो ऊर्जा प्रणालियों की एक किस्म का उल्लेख करती है। एक वर्ग (मीथेन,पेट्रोल,डीजल,ईंधन,जेट ईंधन या अमोनिया सहित) कृत्रिम ईंधन है ' बिजली संयंत्र ग्रिप निकास गैस से साफ किया जा सकता है या समुद्री जल में कार्बोनिक एसिड से निकाली गई अपशिष्ट कार्बन डाइऑक्साइड हैद्रोजेनेट करने के लिए इस्तेमाल स्थायी या परमाणु ऊर्जा से उत्पादित होती है 'और इसका प्रयोग अन्य प्रकार के पवन टर्बाइन,सौर पैनलों, और पनबिजली संयंत्रों के रूप में अक्षय ऊर्जा स्रोतों से उत्पादन किया जा सकता है ' .

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कार्ब्युरेटर

बेन्डिक्स-टेक्निको का १-बैरेल वाला डाउनड्राफ्ट कार्ब्युरेटर मॉडल BXUV-3 कार्ब्युरेटर (अंग्रेज़ी:carburetor या carburettor) एक ऐसी यांत्रिक युक्ति है जो आन्तरिक दहन इंजन के लिये हवा और द्रव ईंधन को मिश्रित करती है। इसका आविष्कार कार्ल बेन्ज़ ने सन 1885 के पहले किया था। बाद में 1886 में इसे पेटेंट भी कराया गया। कार्ल बेन्ज़ मर्सिडीज़ बेन्ज़ के संस्थापक हैं। इसका अधिक विकास हंगरी के अभियांत्रिक जैनोर सोएन्स्का और डोनैट बैन्की ने 1893 में किया था।.

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कार्ल बेन्ज़

Karl Benz कार्ल फ्रेडरिक बेन्ज़ (Karl Friedrich Benz) (25 नवंबर, 1844 – 4 अप्रैल, 1929) जर्मनी के आटोमोबाइल अभियन्ता एवं इंजन-डिजाइनर थे। सामान्यत: उन्हें पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों (आटोमोबाइल) का आविष्कारकर्ता माना जाता है। वे 'मर्सीडीज बेंज' नामक प्रसिद्ध वाहन-निर्माता कम्पनी के संस्थापक थे। Image:Werkstatt Carl Benz.png|Carl Benz‘ workshop in Mannheim/Germany Image:Benz Patent Motorwagen 1886 (Replica).jpg|Replica of the Benz Patent Motorwagen built in 1885 Image:Benz Patent Motorwagen Engine.jpg|Engine of the Benz Patent Motorwagen Image:Karl Benz Führerschein.jpg|The world’s first drivers‘ licence, issued to Carl Benz on August 1, 1888 Image:Automuseum Dr Carl Benz.jpg|Automuseum Dr.

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किज़िल कुम रेगिस्तान

उज़बेकिस्तान में किज़िल कुम में एक बस्ती से निकलती सड़क अंतरिक्ष से किज़िल कुम - तस्वीर में मध्य में नीचे की तरफ - दाएँ में कैस्पियन सागर है और उस से ज़रा बाएँ में अधिकतर सूखा हुआ अरल सागर, किज़िल कुम दो नदियों की रेखाओं (आमू दरिया और सिर दरिया) के बीच का इलाक़ा है किज़िल कुम में रेत का टीला किज़िल कुम या क़िज़िल क़ुम (उज़बेक: Qizilqum; कज़ाख़: Қызылқұм; अंग्रेज़ी: Kyzyl Kum) मध्य एशिया में स्थित एक रेगिस्तान है। इसका क्षेत्रफल २,९८,००० वर्ग किमी (१,१५,००० वर्ग मील) है और यह दुनिया का ११वाँ सबसे बड़ा रेगिस्तान है। यह आमू दरिया और सिर दरिया के बीच के दोआब में स्थित है। इसका अधिकाँश हिस्सा कज़ाख़स्तान और उज़बेकिस्तान में आता है, हालांकि एक छोटा भाग तुर्कमेनिस्तान में भी पड़ता है। तुर्की भाषाओँ में 'किज़िल कुम' का मतलब 'लाल रेत' है और इस रेगिस्तान की रेतों में मिश्रित पदार्थ बहुत से स्थानों में इसे एक लालिमा देते हैं। इस से दक्षिण-पश्चिम में आमू दरिया के पार काराकुम रेगिस्तान पड़ता है जिसके नाम का अर्थ 'काली रेत' है।, R. Lal, Psychology Press, 2007, ISBN 978-0-415-42235-2,...

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2000 के दशक के उत्तरार्द्ध की आर्थिक मंदी

2009 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर को दिखाते हुए दुनिया का नक्शा. 2000 के दशक के उत्तरार्द्ध की आर्थिक मंदी (या ग्रेट रिसेशन (भयंकर मंदी)) एक गंभीर आर्थिक मंदी थी जो संयुक्त राज्य अमेरिका में दिसंबर 2007 में शुरू हुई और जून 2009 में समाप्त हुई (यू.एस. नेशनल ब्यूरो ऑफ इकोनोमिक रिसर्च के अनुसार)। यह औद्योगिक दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में फैला जिसकी वजह से आर्थिक गतिविधियों स्पष्ट रूप से कमी आई। यह वैश्विक आर्थिक मंदी एक ऐसे आर्थिक माहौल में अपने पाँव पसारती रही है जिसकी पहचान विभिन्न प्रकार के असंतुलनों से होती है और 2007-2010 के वित्तीय संकट के प्रकोप से एकदम भड़क उठी.

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