12 संबंधों: चिरसम्मत यांत्रिकी, तनाव, द्रवघनत्वमापी, नैनोप्रौद्योगिकी, पृष्ठ संक्रियक, भौतिकी की शब्दावली, रासायनिक ध्रुवीयता, लावा लैंप, साबुन, सोडियम लॉरेल सल्फ़ेट, जल इंजीनियरी, आसंजन।
चिरसम्मत यांत्रिकी
भौतिक विज्ञान में चिरसम्मत यांत्रिकी, यांत्रिकी के दो विशाल क्षेत्रों में से एक है, जो बलों के प्रभाव में वस्तुओं की गति से सम्बंधित भौतिकी के नियमो के समुच्चय की विवेचना करता है। वस्तुओं की गति का अध्ययन बहुत प्राचीन है, जो चिरसम्मत यांत्रिकी को विज्ञान, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी सबसे प्राचीन विषयों में से एक और विशाल विषय बनाता है। .
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तनाव
;आयुर्विज्ञान.
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द्रवघनत्वमापी
उत्पल-घनत्वमापी द्रवघनत्वमापी या उत्प्लव-घनत्वमापी या हाइड्रोमीटर (Hydrometer) वह यंत्र है जिससे बिना किसी गणना के, द्रवों के घनत्व पढ़े जा सकते हैं। इन यंत्रों की ओर वैज्ञानिकों का ध्यान अत्यंत प्राचीन समय से था और इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि आर्किमीडीज़ (१८७- २१२ ई.पू.) को इनकी जानकारी थी। .
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नैनोप्रौद्योगिकी
नैनोतकनीक या नैनोप्रौद्योगिकी, व्यावहारिक विज्ञान के क्षेत्र में, १ से १०० नैनो (अर्थात 10−9 m) स्केल में प्रयुक्त और अध्ययन की जाने वाली सभी तकनीकों और सम्बन्धित विज्ञान का समूह है। नैनोतकनीक में इस सीमा के अन्दर जालसाजी के लिये विस्तृत रूप में अंतर-अनुशासनात्मक क्षेत्रों, जैसे व्यावहारिक भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, अर्धचालक भौतिकी, विशाल अणुकणिका रसायन शास्त्र (जो रासायन शास्त्र के क्षेत्र में अणुओं के गैर कोवलेन्त प्रभाव पर केन्द्रित है), स्वयमानुलिपिक मशीनएं और रोबोटिक्स, रसायनिक अभियांत्रिकी, याँत्रिक अभियाँत्रिकी और वैद्युत अभियाँत्रिकी.
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पृष्ठ संक्रियक
वे पदार्थ जो दो द्रवों या एक द्रव एवं एक ठोस के बीच पृष्ठ तनाव को कम कर देते हैं, उन्हें पृष्ठ संक्रियक (Surfactants) कहते हैं। इनका उपयोग अपमार्जक के रूप में, भिगोने वाले पदार्थ के रूप में, पायसीकारक (emulsifiers) के रूप में, झागकारक के रूप में या परिक्षेपक (dispersant) आदि के रूप में होता है। श्रेणी:पदार्थ.
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भौतिकी की शब्दावली
* ढाँचा (Framework).
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रासायनिक ध्रुवीयता
रसायनशास्त्र में रासायनिक ध्रुवीयता (chemical polarity) किसी अणु (मोलिक्यूल) या उसके अंशों में विद्युत आवेशों (चार्जों) में होने वाले अलगाव को कहते हैं जिसके कारण अणु के कुछ भागों में ऋणात्मक (निगेटिव) आवेश और कुछ में धनात्मक (पोज़िटिव) अवेश देखा जा सकता है। इस से अणु में विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण (electric dipole moment) या बहुध्रुव आघूर्ण (multipole moment) देखा जाता है। जब ऐसे द्विध्रुव या बहुध्रुव वाले कई अणु एकत्रित हों तो इन ध्रुवों के आकर्ष्ण या अपकर्षण से उनमें आपसी व्यवस्था बनती है। बर्फ़ के क्रिस्टल का ढांचा जल अणुओं में ध्रुवीयता के कारण ही होता है। रासायनिक ध्रुवीयता का प्रभाव रसायनों के कई अन्य भौतिक लक्षणों पर भी पड़ता है, मसलन पृष्ठ तनाव, विलेयता, पिघलाव तापमान और उबलाव तापमान। .
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लावा लैंप
लावा लैंप एक सजावटी दीप है, जिसका आविष्कार 1963 में ब्रिटिश एकाउंटेंट एडवर्ड क्रेवेन-वाकर ने किया था। यह दीप रंगीन मोम की बूंदों से भरा होता है, जो की एक कांच के पोत के अंदर भरे साफ़ तरल में तैरते हैं। पोत के नीचे लगे एक उद्दीप्त दीपक के ताप से मोम के घनत्व में परिवर्तन आता है और वह ऊपर-नीचे चढ़ता और गिरता है। यह दीपक अनेक रूप-रंगों में तैयार किये जाते हैं। .
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साबुन
तरह-तरह के सजावटी साबुन साबुन उच्च अणु भार वाले कार्बनिक वसीय अम्लों के सोडियम या पोटैशियम लवण है। मृदु साबुन का सूत्र C17H35COOK एवं कठोर साबुन का सूत्र C17H35COONa है। साबुनीकरण की क्रिया में वनस्पति तेल या वसा एवं कास्टिक सोडा या कास्टिक पोटाश के जलीय घोल को गर्म करके रासायनिक प्रतिक्रिया के द्वारा साबुन का निर्माण होता तथा ग्लीसराल मुक्त होता है। साधारण तापक्रम पर साबुन नरम ठोस एवं अवाष्पशील पदार्थ है। यह कार्बनिक मिश्रण जल में घुलकर झाग उत्पन्न करता है। इसका जलीय घोल क्षारीय होता है जो लाल लिटमस को नीला कर देता है। .
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सोडियम लॉरेल सल्फ़ेट
सोडियम लौरेल सल्फ़ेट (SLS) टूथपेस्ट और प्रसाधन सामग्रियों में प्रयुक्त कार्बनिक यौगिक है। इसका सूत्र CH3(CH2)11SO4Na है। यह झाग बनाने के लिए इस्तेमाल होता है जिसका प्रयोग त्वचा के लिए थोड़ा हानिकारक माना जाता है। इसकी क्षरण-शक्ति के अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि इसको इंजन के ग्रीस की चिकनाई हटाने और फ़र्श साफ़ करने वाले घोलों (जैसे Domex) में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावे साबुन और डिटरजेंट तथा द्रव के पृष्ठीय तनाव कम करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। इसको 'डोडेसिल सल्फेट' (SDS या NaDS) भी कहते हैं। Category:टूथपेस्ट में प्रयुक्त रसायन.
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जल इंजीनियरी
द्रविकी का अन्य विधाओं से सम्बन्ध द्रविकी (Hydraulics / 'द्रवविज्ञान' या जल इंजीनियरी अथवा द्रव इंजीनियरी) के अंतर्गत तरल पदार्थों के प्रवाह के गुणधर्म का अध्ययन करती है। प्रौद्योगिकी में द्रविकी का उपयोग अन्य कार्यों के अलावा संकेत, बल या ऊर्जा के संचरण (ट्रांसमिशन) के लिये किया जाता है। द्रविकी में इंजीनियरी के उपतत्वों का विचार आ जाता है जिनके अंतर्गत जल, वायु तथा तैल और अन्य रासायनिक विलयनों का उपयोग प्राकृतिक दशा में या दबाव के अंदर होता है। इन द्रवों के प्राकृतिक गुणों का, जैसे घनत्व, श्यानता, प्रत्यास्थता और पृष्ठ तनाव आदि, के ऊपर इंजीनियरी के समस्त अभिकल्प निर्भर होते हैं, क्योंकि सारे द्रवों का आधारभूत व्यवहार एक सा ही होता है। जल इंजीनियरी के और भी बहुत से विशेष अंग हैं जिनका विवरण उन विशेष अंगों के अंतर्गत मिल सकता है। जल इंजीनियरी में मुख्यत: जल का स्थिर दबाव, उसकी गति तथा उसका प्रभाव, उसके द्वारा चालित यंत्र जल का मापन आदि विषयों का विचार आ जाता है। .
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आसंजन
फूल पर जल की बूँदें दो भिन्न प्रकार के कणों या सतहों के एक दूसरे से चिपकने की प्रवृत्ति को आसंजन (Adhesion) कहते हैं। (दो समान कणों या सतहों का आपस में चिपकने की प्रवृत्ति संसंजन (cohesion) कहलाती है।) आसंजन तथा संसंजन बल भी कई प्रकार के होते हैं। विभिन्न प्रकार के चिपकाने वाले टेप आदि रासायनिक आसंजन (chemical adhesion), डिस्पर्सिव अधेशन या डिफ्युसिव अधेशन की श्रेणी में आते हैं। .
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