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पूर्ण आन्तरिक परावर्तन

सूची पूर्ण आन्तरिक परावर्तन

पूर्ण आन्तरिक परावर्तन (लाल एवं पीला) पूर्ण आन्तरिक परावर्तन (Total internal reflection) एक प्रकाशीय परिघटना है जिसमें प्रकाश की किरण किसी माध्यम के तल पर ऐसे कोण पर आपतित होती है कि उसका परावर्तन उसी माध्यम में हो जाता है। इसके लिये आवश्यक शर्त यह है कि प्रकाश की किरण अधिक अपवर्तनांक के माध्यम से कम अपवर्तनांक के माध्यम में प्रवेश करे (अर्थात सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करे) तथा आपतन कोण का मान 'क्रान्तिक कोण' से अधिक हो।। प्रकाशीय तन्तुओं का कार्य पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के सिद्धान्त पर ही आधारित है। .

4 संबंधों: द्विनेत्री दूरदर्शी, प्रकाशीय तन्तु, फाइबर-ऑप्टिक संचारण, कैमरा ल्यूसिडा

द्विनेत्री दूरदर्शी

एक विशिष्ट पोर्रो प्रिज़्म द्विनेत्री दूरदर्शी की डिजाइन फादर चेरुबिन डी'ऑर्लियंस द्वारा निर्मित द्विनेत्री दूरदर्शी, 1681, मुसी डेस कला एट मैटियर्स द्विनेत्री (binocular), फील्ड ग्लास अथवा द्विनेत्री दूरदर्शी (binocular telescope) समान अथवा दर्पण सममिति वाले दूरदर्शी-युग्म है, जो साथ-साथ लगे होते हैं तथा एक दिशा में देखने के लिए परिशुद्धता से लगाए जाते हैं। एक साधरण द्विनेत्री दूरदर्शी, गैलिलिओ किस्म के दो दूरदर्शियों का युग्म होता है। द्विनेत्री का उपयोग पार्थिव वस्तुओं के देखने में होता है, इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि इस प्रकार के द्विनेत्री में वस्तु का सीधा प्रतिबिंब बने। गैलिलियों किस्म के दूरदर्शी सीधा प्रतिबिंब बनाते हैं। इसलिए साधारण द्विनेत्री दूरदर्शी के निर्माण में इसी प्रकार के दूरदर्शी का उपयोग होता है। साधारण द्विनेत्री दूरदर्शी को नाट्य दूरबीन कहते हैं। टेलिस्कोप (मोनोक्युलर) के विपरीत दूरबीन (बाइनोक्युलर) उपयोगकर्ता को त्रि-आयामी छवि प्रस्तुत कराती है: अपेक्षाकृत नज़दीक की वस्तुओं को देखते समय दर्शक की दोनों आंखों के लिए थोड़े से अलग दृष्टिकोण से छवियां प्रस्तुत होती हैं जो कि मिल कर गहराई का प्रभाव प्रस्तुत करती हैं। मोनोक्युलर टेलिस्कोप के विपरीत इसमें भ्रम से बचने के लिए एक आंख को बंद अथवा ढकने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दोनों आंखों के प्रयोग से दृष्टिसंबंधी तीव्रता (रिज़ोल्यूशन) काफी बढ़ जाती है और ऐसा काफी दूर की वस्तुओं के लिए भी होता है जहां गहराई का आभास स्पष्ट नहीं होता। .

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प्रकाशीय तन्तु

प्रकाशीय तंतु एक TOSLINK प्रकाश तंतु श्रव्य केबल एक सिरे से प्रदीप्त किया हुआ है प्रकाशीय तंतु (या केवल तंतु) कांच या प्लास्टिक से निर्मित एक तंतु होता है जिसके लम्बाई की दिशा में प्रकाश का संचरण हो सकता है। आजकल इनका संचार में खूब प्रयोग हो रहा है क्योंकि इनकी सहायता से अधिक दूरी तक बिना संकेत को परिवर्धित किये लेजाया जा सकता है। ये किसी विद्युतचुम्बकीय इन्टरफेरेन्स से भी बहुत कम प्रभावित होते है। .

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फाइबर-ऑप्टिक संचारण

फाइबर ऑप्टिक संचार में, जानकारी ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से प्रकाश भेजने के द्वारा फैलता है। फाइबर-ऑप्टिक संचारण एक प्रणाली है जिसमें सूचनाओं की जानकारी एक स्थान से दूसरे स्थान में ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से प्रकाश बिन्दुओं के रूप में भेजी जाती हैं। प्रकाश एक विद्युत चुम्बकीय तरंग वाहक विकसित करता है जो विधिवत् रूप से जानकारी को साथ ले जाते हैं। 1970 के दशक में इसे सबसे पहले विकसित किया गया, फाइबर-ऑप्टिक संचार प्रणाली ने दूरसंचार उद्योग में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है और सूचना युग के आगमन में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। विद्युत संचरण पर इसके फायदे के कारण, विकसित दुनिया में कोर नेटवर्क में ताबें की तारों की जगह काफी हद तक ऑप्टिकल फाइबर ने ले ली है। फाइबर-ऑप्टिक्स के उपयोग की संचारण प्रक्रिया में निम्नलिखित मूल चरण होते हैं: एक ट्रांसमीटर के प्रयोग को शामिल कर ऑप्टिकल संकेत बनाना, फाइबर के साथ संकेत प्रसार करना, सुनिश्चित करना कि संकेत विकृत अथवा कमजोर नहीं हो, ऑप्टिकल संकेत प्राप्त करना और उसे एक विद्युत संकेत में परिवर्तित करना। .

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कैमरा ल्यूसिडा

कैमरा ल्यूसिडा की सहायता से चित्रांकन करते हुए 300px प्रकाशचित्रक या कैमेरा ल्यूसिडा (Camera Lucida) एक प्रकाशीय उपकरण (Optical instrument) है, जिससे किसी वस्तु का रेखाचित्र सरलतापूर्वक बनाया जा सकता है। इसका अविष्कार वुलैस्टन (Wollaston, W.H.) ने १८०७ ई. में किया था। इसका मुख्य भाग एक पूर्ण परावर्तक प्रिज्म (Prism) होता है जिसमें चार प्रकाशीय फलक (पार्श्व फलक) होते हैं। इस प्रिज्म का एक कोण समकोण होता है। इसके सामने का कोण १३५ डिग्री और शेष प्रत्येक कोण ६७.५० डिग्री का होता है। इस प्रिज्म के द्वारा बगल की किसी वस्तु का प्रतीयमान प्रतिबिंब (Virtual image) नीचे रखे कागज पर दिखाई पड़ता है। आँख प्रिज्म के एक कोने पर इस प्रकार रखी जाती है कि पुतली के आधे भाग से प्रिज्म में होकर जानेवाला प्रकाश दिखाई देता है और शेष आधे भाग से नीचे रखा हुआ कागज दिखाई पड़ता है। लेंस ल द्वारा कागज और वस्तु का प्रतिबिंब एक ही तल में दिखाई देते हें। इससे लंबन दोष (Parallax) के कारण त्रुटि नहीं होती, अन्यथा आँख थोड़ा इधर उधर हिलने से पेंसिल और बिंब में विस्थापन हो जायगा। इस प्रकार प्रतिबिंब, कागज और पेंसिल सब एक साथ ही दिखाई पड़ते हैं। चित्रकार को ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह किसी चित्र पर पेंसिल चला रहा हो। ऐबि (Abbe) का प्रकाशचित्रक सूक्षमदर्शी (Microscope) में लगाया जाता है। इसमें एक अर्धपारदर्शक (Semi-transparent) दर्पण होता है, जो सूक्ष्मदर्शी के ऊपर लगाया जाता है। एक दूसरा दर्पण कागज के ऊपर रहता है। इस उपकरण में सूक्ष्मदर्शी को इस प्रकार ठीक करते हैं कि कागज और वस्तु का प्रतिबिंब एक ही तल में दिखाई दे। .

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