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पीसा

सूची पीसा

यह इटली का एक प्रमुख नगर है। यह टस्कनी प्रदेश की राजधानी है। मध्य ऐतिहासिक काल तक यह नगर समुद्रतट पर स्थित था, परंतु आरनी नदी द्वारा मुहाने पर अवसादों के निरंतर संचय से समुद्र पीछे हट गया है। यह महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र है। यहाँ के मुख्य उद्योग धंधे हैं रेल का सामान, मोटरसाइकिल, बाईसिकिल, सूती वस्त्र, काँच तथा मिट्टी के बरतन, औषधियाँ, मकरोनी तथा दियासलाई बनाना। यह नगर संगमरमर की मूर्तियों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है तथा यहाँ रोमन एवं गोथिक वास्तुकला की सुंदर कृतियाँ मिलती हैं। महान गणितज्ञ तथा वैज्ञानिक गैलीलिओ का यह जन्मस्थान है। यहाँ विश्वप्रसिद्ध लीनिंग टावर ऑव पीज़ा अर्थात् पीज़ा की झुकी मीनार है, जो 179 फुट ऊँची है तथा लंब से लगभग 4 डिग्री झुकी हुई है। मीनार में आठ मंजिलें हैं। पीज़ा प्रांत: यह मध्य इटली के टस्कनी क्षेत्र का प्रदेश है। इसका क्षेत्रफल 1,419 वर्ग किलोमीटर है। श्रेणी:इटली.

11 संबंधों: नोआम चाम्सकी, पर्सी बिश शेली, भारतीय अंक प्रणाली, भुखमरी, यूरोप में विश्व धरोहर स्थलों की सूची, रॉबर्ट ब्राउनिंग, हेमचन्द्र श्रेणी, गैलीलियो गैलिली, इटली, काण्टीयवाद, क्रूसेड

नोआम चाम्सकी

एवरम नोम चोम्स्की (हीब्रू: אברם נועם חומסקי) (जन्म 7 दिसंबर, 1928) एक प्रमुख भाषावैज्ञानिक, दार्शनिक, by Zoltán Gendler Szabó, in Dictionary of Modern American Philosophers, 1860–1960, ed.

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पर्सी बिश शेली

पर्सी बयसी शेली (१७९२-१८२२) अंग्रेजी स्वच्छंदतावाद कविता के महान कवि थे। उन्हें आलोचकों द्वारा अंग्रेजी कविता के सर्वेशेष्ठ गीत कवि के रूप मैं माना जाता है। उनकी कविता में तत्कालीन राजनैतिक और सामाजिक दृश्य देखे जा सकते हैं। शेली ने अपने जीवनकाल में अधिक प्रशिद्धि प्राप्त नहीं की लेकिन मृत्यु के बाद उनकी प्रशिद्धि काफी बढ़ गयी।Isadora Duncan, "My Life ", W. W. Norton & Co.,1996, pp.

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भारतीय अंक प्रणाली

भारतीय अंक प्रणाली को पश्चिम के देशों में हिंदू-अरबी अंक प्रणाली के नाम से जाना जाता है क्योंकि यूरोपीय देशों को इस अंक प्रणाली का ज्ञान अरब देश से प्राप्त हुआ था। जबकि अरबों को यह ज्ञान भारत से मिला था। भारतीय अंक प्रणाली में 0 को मिला कर कुल 10 अंक होते हैं। संसार के अधिकतम 10 अंकों वाली अंक प्रणाली भारतीय अंक प्रणाली पर ही आधारित हैं। फ्रांस के प्रसिद्ध गणितज्ञ पियरे साइमन लाप्लास के अनुसार, .

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भुखमरी

भूख से पीड़ित वियतनामी व्यक्ति, जिसे कि वहाँ के वियत कांग्रेस शिविर में भोजन से वंचित रखा गया था। विटामिन, पोषक तत्वों और ऊर्जा अंतर्ग्रहण की गंभीर कमी को भुखमरी कहते हैं। यह कुपोषण का सबसे चरम रूप है। अधिक समय तक भुखमरी के कारण शरीर के कुछ अंग स्थायी रूप से नष्ट हो सकते हैं और अंततः मृत्यु भी हो सकती है। अपक्षय शब्द भुखमरी के लक्षणों और प्रभाव की ओर संकेत करता है। विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार, विश्व के संपूर्ण स्वास्थ के लिए भूख स्वयं में ही एक गंभीर समस्या है। भुखमरा डब्लूएचओ (WHO) यह भी कहता है कि अब तक शिशु मृत्यु के कुल में से आधे मामलों के लिए कुपोषण ही उत्तरदायी है। एफएओ (FAO) के अनुसार, वर्तमान में 1 बिलियन से भी ज्यादा लोग, या इस ग्रह पर प्रति छः में से एक व्यक्ति, भुखमरी से प्रभावित है। .

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यूरोप में विश्व धरोहर स्थलों की सूची

यह यूरोप में स्थित यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की एक सूची है। तारांकन चिह्न (*) लगे स्थल, खतरे में विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शामिल हैं। .

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रॉबर्ट ब्राउनिंग

रॉबर्ट ब्राउनिंग (7 मई 1812- 1889) एक अंग्रेजी कवि एवं नाटककार थे। नाटकीय कविता, विशेषकर नाटकीय एकालापों में अतुल्य दक्षता के कारण उन्हें विक्टोरियन कवियों में अग्रणी स्थान प्राप्त है। .

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हेमचन्द्र श्रेणी

वर्गों सहित खपरैल, जिसकी भुजाएं लंबाई में क्रमिक फाइबोनैचि संख्याएं हैं युपाना ("गणन यंत्र" के लिए क्वेचुआ) एक कैलकुलेटर है, जिसका उपयोग इन्कास ने किया. शोधकर्ताओं का मानना है कि प्रति क्षेत्र आवश्यक कणों की संख्या को कम करने के लिए परिकलन फाइबोनैचि संख्याओं पर आधारित थे.0 फाइबोनैचि खपरैल में वर्गों के विपरीत कोनों को जोड़ने के लिए चाप के चित्रण द्वारा तैयार फाइबोनैचि सर्पिल घुमाव; इसमें 1, 1, 2, 3, 5, 8, 13, 21 और 34 आकार के वर्गों का उपयोग हुआ है; देखें स्वर्णिम सर्पिल गणित में संख्याओं का निम्नलिखित अनुक्रम हेमचंद्र श्रेणी या फिबोनाची श्रेणी (Fibonacci number) कहलाता हैं: परिभाषा के अनुसार, पहली दो हेमचंद्र संख्याएँ 0 और 1 हैं। इसके बाद आने वाली प्रत्येक संख्या पिछले दो संख्याओं का योग है। कुछ लोग आरंभिक 0 को छोड़ देते हैं, जिसकी जगह दो 1 के साथ अनुक्रम की शुरूआत की जाती है। गणितीय सन्दर्भ में, फिबोनाची संख्या के F n अनुक्रम को आवर्तन संबंध द्वारा दर्शाया जा सकता है- तथा, अंगूठाकार फिबोनाची अनुक्रम का नाम पीसा के लियोनार्डो फिबोनाची के नाम पर रखा गया, जो फाइबोनैचि (फिलियस बोनैचियो का संक्षिप्त रूप, "बोनैचियो के बेटे") के नाम से जाने जाते थे। फाइबोनैचि द्वारा लिखित 1202 की पुस्तक लिबर अबेकी ने पश्चिम यूरोपीय गणित में इस अनुक्रम को प्रवर्तित किया, हालांकि पहले ही भारतीय गणित में इस अनुक्रम का वर्णन किया गया है.

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गैलीलियो गैलिली

गैलीलियो गैलिली (१५ फरवरी, १५६५ - ८ जनवरी, १६४२) इटली के वैज्ञानिक थे। वे एक महान आविष्कारक थे तथा दूरदर्शी के विकास में उनका अतुलनीय सहयोग था। .

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इटली

इटली यूरोप महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक देश है जिसकी मुख्यभूमि एक प्रायद्वीप है। इटली के उत्तर में आल्प्स पर्वतमाला है जिसमें फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया तथा स्लोवेनिया की सीमाएँ आकर लगती हैं। सिसली तथा सार्डिनिया, जो भूमध्य सागर के दो सबसे बड़े द्वीप हैं, इटली के ही अंग हैं। वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो इटली के अंतर्गत समाहित दो स्वतंत्र देश हैं। इटली, यूनान के बाद यूरोप का दूसरा का दूसरा प्राचीनतम राष्ट्र है। रोम की सभ्यता तथा इटली का इतिहास देश के प्राचीन वैभव तथा विकास का प्रतीक है। आधुनिक इटली 1861 ई. में राज्य के रूप में गठित हुआ था। देश की धीमी प्रगति, सामाजिक संगठन तथा राजनितिक उथल-पुथल इटली के 2,500 वर्ष के इतिहास से संबद्ध है। देश में पूर्वकाल में राजतंत्र था जिसका अंतिम राजघराना सेवाय था। जून, सन् 1946 से देश एक जनतांत्रिक राज्य में परिवर्तित हो गया। इटली की राजधानी रोम प्राचीन काल के एक शक्ति और प्रभाव से संपन्न रोमन साम्राज्य की राजधानी रहा है। ईसा के आसपास और उसके बाद रोमन साम्राज्य ने भूमध्य सागर के क्षेत्र में अपनी प्रभुता स्थापित की थी जिसके कारण यह संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में आधुनिक यूरोप की आधारशिला के तौर पर माना जाता है। तथा मध्यपूर्व (जिसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में मध्य-पश्च भी कह सकते हैं) के इतिहास में भी रोमन साम्राज्य ने अपना प्रभाव डाला था और उनसे प्रभावित भी हुआ था। आज के इटली की संस्कृति पर यवनों (ग्रीक) का भी प्रभाव पड़ा है। इटली की जनसंख्या २००८ में ५ करोड़ ९० लाख थी। देश का क्षेत्रफल ३लाख वर्ग किलोमीटर के आसपास है। १९९१ में यहाँ की सरकार के शीर्ष पदस्थ अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ जिसके बाद यहाँ की राजनैतिक सत्ता और प्रशासन में कई बदलाव आए हैं। रोम यहाँ की राजधानी है और अन्य प्रमुख नगरों में वेनिस, मिलान इत्यादि का नाम लिया जा सकता है। .

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काण्टीयवाद

इमानुएल कांट (1724-1804) के दर्शन, को "आलोचनात्मक दर्शन" (क्रिटिसिज्म), "परतावाद" (ट्रैसेंडेंटलिज्म), अथवा "परतावादी प्रत्ययवाद" (ट्रैसेंडेंटल आइडियलिज्म) कहा जाता है। इस दर्शन में ज्ञानशक्तियों की समीक्षा प्रस्तुत की गई है। साथ ही, 17वीं और 18वीं शताब्दियों के इंद्रियवाद (सेंसेशनलिज्म) एवं बुद्धिवाद (इंटेलेक्चुअलिज्म) की समीक्षा है। विचारसामग्री के अर्जन में इद्रियों की माध्यमिकता की स्वीकृति में कांट इंद्रियवादियों से सहमत था; उक्त सामग्री को विचारों में परिणत करने में बुद्धि की अनिवार्यता का समर्थन करने में वह बुद्धिवादियों से सहमत था; किंतु वह एक का निराकरण कर दूसरे का समर्थन करने में किसी से सहमत न था। कांट के मत में बुद्धि और इंद्रियाँ ज्ञान संबंधी दो भिन्न संस्थान नहीं हैं, बल्कि एक ही सस्थांन के दो विभिन्न अवयव हैं। कांट के दर्शन को "परतावाद" कहने का आशय उसे इंद्रियवाद तथा बुद्धिवाद से "पर" तथा प्रत्येक दार्शनिक विवेचन के लिए आधारभूत मानना है। उसके दर्शन में बुद्धि द्वारा ज्ञेय विषयों का नहीं, स्वयं बुद्धि का परीक्षण किया गया है और बहुत ही विशद रूप में। यूरोपीय दर्शन के विस्तृत इतिहास में, प्रथम और अंतिम बार, कांट के माध्यम से, ज्ञानशक्तियों ने स्वयं की व्याख्या इतने विस्तार से प्रस्तुत की है। .

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क्रूसेड

'''एन्टिओक का कब्जा''', प्रथम क्रूसयुद्ध के समय के मध्ययुगीय चित्रकर्म से लिया गया यूरोप के ईसाइयों ने 1095 और 1291 के बीच अपने धर्म की पवित्र भूमि फिलिस्तीन और उसकी राजधानी जेरूसलम में स्थित ईसा की समाधि का गिरजाघर मुसलमानों से छीनने और अपने अधिकार में करने के प्रयास में जो युद्ध किए उनको सलीबी युद्ध, ईसाई धर्मयुद्ध, क्रूसेड (crusades) अथवा क्रूश युद्ध कहा जाता है। इतिहासकार ऐसे सात क्रूश युद्ध मानते हैं। .

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