5 संबंधों: भारतीय अंक प्रणाली, यंग्स डबल स्लिट परीक्षण, लाप्लास रूपान्तर, गति विज्ञान, ओग्युस्तें लुई कौशी।
भारतीय अंक प्रणाली
भारतीय अंक प्रणाली को पश्चिम के देशों में हिंदू-अरबी अंक प्रणाली के नाम से जाना जाता है क्योंकि यूरोपीय देशों को इस अंक प्रणाली का ज्ञान अरब देश से प्राप्त हुआ था। जबकि अरबों को यह ज्ञान भारत से मिला था। भारतीय अंक प्रणाली में 0 को मिला कर कुल 10 अंक होते हैं। संसार के अधिकतम 10 अंकों वाली अंक प्रणाली भारतीय अंक प्रणाली पर ही आधारित हैं। फ्रांस के प्रसिद्ध गणितज्ञ पियरे साइमन लाप्लास के अनुसार, .
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यंग्स डबल स्लिट परीक्षण
यंग्स डबल स्लिट परीक्षण, आधूनिक डबल स्लिट परीक्षण का मूल रूप है। यह प्रयोग '''थोमस यंग''' के द्वारा १९ वीं शताब्दी मे प्रदर्शित किया गया था। इस प्रयोग ने प्रकाश की तरंग सिद्धांत की स्वीकृति में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। खुद थोमस यंग का कहना था कि यह उनकी सभी उपलब्धियों मे से अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्धि है। .
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लाप्लास रूपान्तर
लाप्लास रूपान्तर (Laplace transform) एक प्रकार का समाकल रूपान्तर (integral transform) है। यह भौतिकी एवं इंजीनियरी के अनेकानेक क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए परिपथ विश्लेषण में। इसको \displaystyle\mathcal \left\ से निरूपित करते हैं। यह एक रैखिक संक्रिया है जो वास्तविक अर्गुमेन्ट t (t ≥ 0) वाले फलन f(t) को समिश्र अर्गुमेन्ट वाले फलन F(s) में बदल देता है। लाप्लास रूपान्तर, प्रसिद्ध गणितज्ञ खगोलविद पिएर सिमों लाप्लास के नाम पर रखा गया है। लाप्लास रूपान्तर का उपयोग अवकल समीकरण तथा समाकल समीकरण (इंटीग्रल इक्वेशन) हल करने में किया जाता है। .
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गति विज्ञान
गति विज्ञान (Dynamics) अनुप्रयुक्त गणित की यह शाखा पिंडों की गति से तथा इन गतियों को नियमित करनेवाले बलों से संबद्ध है। गतिविज्ञान को दो भागों में अंतिर्विभक्त किया जा सकता है। पहला शुद्धगतिकी (Kinematics), जिसमें माप तथा यथातथ्य चित्रण की दृष्टि से गति का अध्ययन किया जाता है, तथा दूसरा बलगतिकी (Kinetics) अथवा वास्तविक गति विज्ञान, जो कारणों अथवा गतिनियमों से संबद्ध है। व्यापक दृष्टि से दोनों दृष्टिकोण संभव हैं। पहला गतिविज्ञान को ऐसे विज्ञान के रूप में प्रस्तुत करता है जिसका निर्माण परीक्षण की प्रक्रियाओं (प्रयोगों) के आधार पर तथ्योपस्थापन (आगम, अनुमान) द्वारा हुआ है। तदनुसार गति विज्ञान में गतिनियम यूक्लिड के स्वयंसिद्धों का स्थान ग्रहण करते हैं। दावा यह है कि प्रयोगों द्वारा इन नियमों की परीक्षा की जा सकती है, परंतु यह भी निश्चित है कि व्यावहारिक कठिनाइयों के कारण कोई सैद्धांतिक नियम यथातथ्य रूप में प्रकाशित नहीं हो पाता है। इन नियमों को प्रमाणित कर सकने में व्यावहारिक कठिनाइयों के अतिरिक्त कुछ तर्कविषयक बाधाएँ भी हैं, जो इस स्थिति को दूषित अथवा त्रुटिपूर्ण बना देती हैं। इन कठिनाइयों का परिहार किया जा सकता है, यदि हम दूसरा दृष्टिकोण अपनाएँ। उक्त दृष्टिकोण के अनुसार गतिविज्ञान शुद्ध अमूर्त विज्ञान (abstract science) है, जिसके समस्त नियम कुछ आधारभूत कल्पनाओं से निकाल जा सकते हैं। .
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ओग्युस्तें लुई कौशी
ओग्युस्तें लुई कोशी ओग्युस्तें लुई कोशी (Augustin Louis Cauchy / 21 अगस्त 1789 – 23 मई 1857 ई.) फ्रांस के गणितज्ञ थे। वे गणितीय विश्लेषण के अग्रदूत थे। इसके अलावा उन्होने अनन्त श्रेणियों के अभिसार/अपसार, अवकल समीकरण, सारणिक, प्रायिकता एवं गणितीय भौतिकी में भी उल्लेखनीय दोगदान दिया। वे फ्रांस की विज्ञान अकादमी के सदस्य तथा 'इकोल पॉलीटेक्निक' (इंजीनियरी महाविद्यलय) के प्रोफेसर भी थे। कौशी के नाम पर जितने प्रमेयों एवं संकल्पनाओं (concepts) का नामकरण हुआ है, उतना किसी और गणितज्ञ के नाम पर नहीं। उन्होने अपने जीवनकाल में ८०० शोधपत्र तथा पाँच पाठ्यपुस्तकें लिखी। .
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