पितृवंश समूह सी की शुरुआत भारतीय उपमहाद्वीप या मध्य पूर्व में हुई जब मनुष्य अफ्रीका से नए-नए पूर्व की और निकले थे - इस पितृवंश की शाखाओं के वंशजों ने आगे चलकर पूर्वी एशिया और उत्तरी अमरीका को मनुष्यों से सर्वप्रथम आबाद किया मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में पितृवंश समूह सी या वाए-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप C एक पितृवंश समूह है। इस पितृवंश समूह के सदस्य पुरुष भारत और मंगोलिया, रूस के सुदूर पूर्व, ऑस्ट्रेलिया के आदिवासियों और कोरिया में पाए जाते हैं। अनुमान है के जिस पुरुष से यह पितृवंश शुरू हुआ वह आज से लगभग ६०,००० वर्ष पहले भारतीय उपमहाद्वीप या मध्य पूर्व में रहता था। मानना है के जब इस पितृवंश की शुरुआत हुई तो मनाव अफ्रीका के अपने जन्मस्थल से नए-नए पूर्व की ओर निकले थे। इस पितृवंश समूह की शाखाओं के वंशजों ने आगे चलकर पूर्वी एशिया और उत्तरी अमरीका में मनुष्यों की जाती को सर्वप्रथम स्थापित किया। .
1 संबंध: मनुष्य पितृवंश समूह।
मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में पितृवंश समूह उस वंश समूह या हैपलोग्रुप को कहते हैं जिसका पुरुषों के वाए गुण सूत्र (Y-क्रोमोज़ोम) पर स्थित डी॰एन॰ए॰ की जांच से पता चलता है। अगर दो पुरुषों का पितृवंश समूह मिलता हो तो इसका अर्थ होता है के उनका हजारों साल पूर्व एक ही पुरुष पूर्वज रहा है, चाहे आधुनिक युग में यह दोनों पुरुष अलग-अलग जातियों से सम्बंधित ही क्यों न हों। .
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