मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में पितृवंश समूह जी या वाए-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप G एक पितृवंश समूह है। जिस पुरुष से इस पितृवंश समूह की शुरुआत हुई उसके जीवनकाल का ठीक से अंदाज़ा नहीं लग पाया है, लेकिन अनुमान किया जाता है के वह आज से ९,५०० से लेकर २०,००० साल के अंतराल में कभी या तो मध्य पूर्व में या एशिया में कहीं बसता था। यह पुरुष स्वयं पितृवंश समूह ऍफ़ का वंशज था और इसलिए पितृवंश समूह जी को पितृवंश समूह ऍफ़ की उपशाखा माना जाता है। पितृवंश समूह जी के वंशज पुरुष हलकी मात्रा में पूरे यूरोप, उत्तर एशिया, मध्य पूर्व, उत्तर अफ़्रीका, भारत, श्रीलंका और मलेशिया में पाए जाते हैं। .
1 संबंध: मनुष्य पितृवंश समूह।
मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में पितृवंश समूह उस वंश समूह या हैपलोग्रुप को कहते हैं जिसका पुरुषों के वाए गुण सूत्र (Y-क्रोमोज़ोम) पर स्थित डी॰एन॰ए॰ की जांच से पता चलता है। अगर दो पुरुषों का पितृवंश समूह मिलता हो तो इसका अर्थ होता है के उनका हजारों साल पूर्व एक ही पुरुष पूर्वज रहा है, चाहे आधुनिक युग में यह दोनों पुरुष अलग-अलग जातियों से सम्बंधित ही क्यों न हों। .
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