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पितृवंश समूह आई

सूची पितृवंश समूह आई

पितृवंश समूह आई का यूरोप और तुर्की में फैलाव - आंकड़े बता रहें हैं के इन इलाकों के कितने प्रतिशत पुरुष इस पितृवंश के वंशज हैं मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में पितृवंश समूह आई या वाए-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप I एक पितृवंश समूह है। यह पितृवंश स्वयं पितृवंश समूह आईजे से उत्पन्न हुई एक शाखा है। इस पितृवंश के पुरुष अधिकतर यूरोप और तुर्की में ही मिलते हैं, हालांकि मध्य पूर्व और मध्य एशिया के कुछ पुरुष भी इसके सदस्य हैं। सारे यूरोपीय पुरुषों में से लगभग २०% पुरुष इसके वंशज हैं, लेकिन कुछ स्थानों पर यह तादाद ज़्यादा है, जैसे की बॉस्निया और हर्ज़ेगोविना के लगभग ६५% पुरुष इसके सदस्य हैं। अनुमान है के जिस पुरुष से यह पितृवंश शुरू हुआ वह आज से लगभग २५,०००-३०,००० वर्ष पहले यूरोप या तुर्की के अनातोलिया क्षेत्र में रहता था। .

3 संबंधों: पितृवंश समूह आईजे, मनुष्य पितृवंश समूह, मातृवंश समूह आई

पितृवंश समूह आईजे

मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में पितृवंश समूह आईजे या वाए-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप IJ एक पितृवंश समूह है। यह पितृवंश स्वयं पितृवंश समूह आईजेके से उत्पन्न हुई एक शाखा है। विश्व में इसकी दो उपशाखाओं - पितृवंश समूह आई और पितृवंश समूह जे - के तो बहुत पुरुष मिलते हैं, लेकिन सीधा पितृवंश समूह आईजे का सदस्य आज तक कोई नहीं मिला है। फिर भी पितृवंश समूह आई और पितृवंश समूह जे का अध्ययन करने के बाद वैज्ञानिकों का मानना है के इसे समूह के वंशज कभी ज़रूर रहे होंगे। अनुमान है के जिस पुरुष से यह पितृवंश शुरू हुआ वह आज से लगभग ३५,०००-४०,००० वर्ष पहले मध्य पूर्व या दक्षिण-पश्चिमी एशिया में रहता था। .

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मनुष्य पितृवंश समूह

मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में पितृवंश समूह उस वंश समूह या हैपलोग्रुप को कहते हैं जिसका पुरुषों के वाए गुण सूत्र (Y-क्रोमोज़ोम) पर स्थित डी॰एन॰ए॰ की जांच से पता चलता है। अगर दो पुरुषों का पितृवंश समूह मिलता हो तो इसका अर्थ होता है के उनका हजारों साल पूर्व एक ही पुरुष पूर्वज रहा है, चाहे आधुनिक युग में यह दोनों पुरुष अलग-अलग जातियों से सम्बंधित ही क्यों न हों। .

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मातृवंश समूह आई

मनुष्यों की आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक्स) में मातृवंश समूह आई या माइटोकांड्रिया-डी॰एन॰ए॰ हैपलोग्रुप I एक मातृवंश समूह है। यह मातृवंश ३% से कम मात्राओं में भारतीय उपमहाद्वीप, मध्य पूर्व और यूरोप में मिलता है। इन इलाकों से बहार यह बहुत की कम मिलता है। मध्य और पूर्वी यूरोप में फैली कारपैथियन पर्वत श्रंखला के इलाकों में इसकी मात्रा ११% है जो की दुनिया में सब से अधिक है। स्कैन्डिनेवियाई देशों में पाए गए पुराने शवों से पता चला है के प्राचीनकाल में इस क्षेत्र में मातृवंश समूह आई के वंशजों की संख्या १३% थी जबकि इन्ही इलाकों में यह संख्या अब २.५% है - इतिहासकारों का अंदाज़ा है के इस का मतलब है के पिछले हज़ार वर्षों में इन इलाकों में बाहार के बहुत से लोग आकर बसे होंगे जो मातृवंश समूह आई के वंशज नहीं हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में सिन्धी लोगों में इसकी संख्या ८% के आस-पास देखी गयी है। अनुमान लगाया जाता है के जिस स्त्री के साथ इस मातृवंश की शुरुआत हुई वह आज से लगभग २६,३०० साल पहले पश्चिमी एशिया की निवासी थी। ध्यान दें के कभी-कभी मातृवंशों और पितृवंशों के नाम मिलते-जुलते होते हैं (जैसे की पितृवंश समूह आई और मातृवंश समूह आई), लेकिन यह केवल एक इत्तेफ़ाक ही है - इनका आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है। .

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