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पारसी

सूची पारसी

पारसी धर्म के अनुयायियों को पारसी कहा जाता है। यह ईरान (फ़ारस) के प्राचीन जरदोश्त धर्म को मानते है और आज ईरान तथा भारत के कुछ क्षेत्रों में पाए जाते हैं। श्रेणी:पारसी धर्म.

89 संबंधों: चमेली, चिकन धानसआक, चिकन फार्चा, टाटा परिवार, एम डी मदन, एश्चटोलॉजी, एस एच कापड़िया, तंजानिया में भारतीय लोग, दिनशा वाचा, दुर्गा लाल, देहदान, नरक, नरीमन पॉइंट, नारायण जगन्नाथ माध्यमिक विद्यालय, नौरोजी सकलतवाला, नौहीद सेरुसी, पत्रानी माची, पपेटी, पलौंजी मिस्त्री, पश्चिमी देशों में संस्कृत, पारस, पारसी फ्राइड मछली, पारसी रंगमंच, पेरिन जम्सेत्जी मिस्त्री, फ़्रेडडी मर्करी, फिरोज़शाह मेहता, फ्रमजी कोवासजी बानाजी, बानू जहाँगीर कोयाजी, ब्लिट्ज, बैरामजी जीजाभाई, भारत, भारत में धर्म, भारत का उच्चतम न्यायालय, भारत के लोग, भीमराव आम्बेडकर, भीखाजी कामा, मनशेरजी खरेघाट, मर्व, महमूद ग़ज़नवी, मंसूर अल हल्लाज, मुम्बई, मुंबई समाचार, मुंबई की जनसांख्यिकी, मौलाना आजाद राष्ट्रीय छात्रवृति योजना, मेहर जेसिया, यशोवर्मन (कन्नौज नरेश), रतन नवल टाटा, रतनजी टाटा, रुस्तम (फ़िल्म), सर सोराबजी पोचखानवाला, ..., सायरस मिस्त्री, साली बोटी, सांप्रदायिक अधिनिर्णय, सुब्रमनियन स्वामी, स्मृति ईरानी, सेण्ट्रल बैंक ऑफ़ इण्डिया, सोहराब मोदी, हरीरूद, हिन्दू विधि, हौरवतात, हेरात, हेलमंद नदी, हेलिक्स नेब्यूला, होमी जहांगीर भाभा, जमशेदजी टाटा, जमशोद नौरोज़, जॉन अब्राहम, ईरान, ईरान का इतिहास, ईरानी, विकीर्णन (डायसपोरा), वेद, गुलिस्ताँ, आतिश बेहराम, आर्थर कॉनन डॉयल, इन्दिरा गांधी, कडपा, कराची, कर्नूल, कोच्चि, कोलकाता, अनु आगा, अफगानिस्तान में हिन्दू धर्म, अवेस्ता, अंडा भुर्जी, अकबर, उदवाड़ा, १५ जुलाई, २०१२ सूचकांक विस्तार (39 अधिक) »

चमेली

चमेली चमेली (Jasmine) का फूल झाड़ी या बेल जाति से संबंधित है, इसकी लगभग २०० प्रजाति पाई जती हैं। "चमेली" नाम पारसी शब्द "यासमीन" से बना है, जिसका मतलब "प्रभु की देन" है। चमेली, जैस्मिनम (Jasminum) प्रजाति के ओलिएसिई (Oleaceae) कुल का फूल है। भारत से यह पौधा अरब के मूर लोगों द्वारा उत्तर अफ्रीका, स्पेन और फ्रांस पहुँचा। इस प्रजाति की लगभग 40 जातियाँ और 100 किस्में भारत में अपने नैसर्गिक रूप में उपलब्ध हैं। जिनमें से निम्नलिखित प्रमुख और आर्थिक महत्व की हैं: 1.

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चिकन धानसआक

चिकन धानसआक एक पारसी व्यंजन है। श्रेणी:पश्चिम भारत का खाना श्रेणी:पारसी खाना.

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चिकन फार्चा

चिकन फार्चा एक पारसी व्यंजन है। श्रेणी:पश्चिम भारत का खाना श्रेणी:पारसी खाना.

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टाटा परिवार

टाटा भारत का एक अमीर पारसी परिवार है। मूल रूप से नवसारी में एक पुरोहित परिवार, वे उद्योग और परोपकार में सक्रिय रूप से उन्नीसवीं सदी के बाद से सक्रिय है। टाटा समूह, जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित, भारत में एक सबसे बड़ा निजी नियोक्ता है। .

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एम डी मदन

एमडी मदन भारत के सामाजिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं शिक्षाविद थे। जमशेदपुर उनकी कर्मभूमि रही। भारत में सहकारिता के आधार पर स्थापित एकमात्र महाविद्यालय जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज है। पचास के दशक में स्व.

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एश्चटोलॉजी

मरणोत्‍तरविद्या या एश्चटोलॉजी (अंग्रेजी- Eschatology) ज्ञान-विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत निर्वाण या मृत्यु के बाद की स्थितियों के प्रश्न पर विचार किया जाता है। .

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एस एच कापड़िया

एस एच कापड़िया (29 सितम्बर 1947 - 4 जनवरी 2016) भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे। वे मई 2010 में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए थे तथा सितंबर 2012 में इस पद से सेवानिवृत्त हुए। वे पारसी समुदाय से सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले प्रथम व्यक्ति थे। वे 2 जी, वोडाफोन, सहारा और सल्वा जुडूम जैसे कई महत्वपूर्ण फैसलों के लिए जाने जाते हैं। .

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तंजानिया में भारतीय लोग

वर्तमान समय में तंजानिया में ५० हजार से अधिक भारतीय मूल के लोग रहते हैं। उनमें से बहुत से लोग व्यवसायी हैं जिनके हाथों में तंजानिया की अर्थव्यवस्था का एक अच्छा-खासा हिसा है। तंजानिया में भारतीयों के आने का इतिहास १९वीं शताब्दी से शुरू होता है जब गुजराती व्यवसायी वहाँ पहुँचे थे। धीरे-धीरे जंजीबार का सारा व्यापार उनके हाथ में आ गया। उस काल में निर्मित अनेकों भवन आज भी स्टोन टाउन में बचे हुए हैं जो इस द्वीप का व्यापार का केन्द्र था। .

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दिनशा वाचा

दिनशा वाचा सर दिनशा इडलजी वाचा (Dinshaw Edulji Wacha; १८४४-१९३६) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में प्रमुख योगदान देनेवाले बंबई के तीन मुख्य पारसी नेताओं में से एक थे। अपने अन्य दोनों साथी पारसी नेताओं, सर फीरोज शाह मेहता तथा दादा भाई नौरोजी के सहयोग से सर दिनशा वाचा ने भारत की गरीबी और गरीब जनता से सरकारी करों के रूप में वसूल किए गए धन के अपव्यय के विरुद्ध स्वदेश में और शासक देश ब्रिटेन में लोकमत जगाने के लिए अथक परिश्रम किया। सर दिनशा आर्थिक और वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ थे और इन विषयों में उनकी सूझ बड़ी ही पैनी थी। वे भारत में ब्रिटिश शासन के विशेषत: ब्रिटेन द्वारा भारत के आर्थिक शोषण के अत्यंत कटु आलोचक थे। वे इस विषय के विभिन्न पहलुओं पर लेख लिखकर और भाषण देकर लोगों का ध्यान आकर्षित करते थे। .

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दुर्गा लाल

पंडित दुर्गा लाल (1948 - 21 जनवरी 1990) जयपुर घर के प्रसिद्ध कथक नर्तक थे। उनका जन्म महेंद्रगढ़, राजस्थान में हुआ था। 1989 के नृत्य नाटक घनश्याम में उन्हें मुख्य भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है; जिसमें संगीतज्ञ पंडित रवि शंकर द्वारा निर्मित था और इसे बर्मिंघम ओपेरा कंपनी द्वारा निर्मित किया गया था। कथक रूप के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री, चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान, सम्मानित किया गया था। 1984 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिला था। ये लाल सुंदर प्रसादजी के शिष्य था। कथक नर्तक होने के साथ ही वे एक गायक भी थे और पखवाज खेलते थे। उन्होंने कथक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कथक नृत्य (कथक केंद्र), नई दिल्ली में पढ़ाया करते थे। निघट चौधरी पाकिस्तान में पंडित लाल के उल्लेखनीय छात्र हैं। लाल के भाई पंडित देवीलाल भी एक प्रसिद्ध कथक नर्तक थे। देवीलाल की पत्नी गीतांजली लाल भी एक संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता (2007) हैं। दुर्गा लाल की मृत्यु के बाद उनके बच्चों और अन्य आर्ट बिरादरी सदस्य पंडित दुर्गा लाल मेमोरियल महोत्सव नामक वार्षिक त्यौहार का आयोजन कर रहे हैं। उनके दो बच्चे हैं, बड़ी बेटी नूपुर और छोटे बेटे मोहित नूपुर कथक कलाकार और गायक हैं और मोहित एक पर्सियन लेखक हैं।उनके शिष्यों में प्रसिद्ध नर्तक उमा डोगरा और जयंत कास्त्रुआर शामिल हैं। लाल की स्मृति में, डोगरा ने "पंडित दुर्गा लाल समरोह" का आयोजन 2005 तक 15 वर्षों से किया था। .

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देहदान

देहदान का अर्थ है 'देह का दान' अर्थात किसी उत्तम कार्य अपना जीवन ही दे देना। राजकुमार सत्त्व ने साथ सावकों को भूख से मरने से बचाने के लिए अपने शरीर का त्याग कर दिया था। दधीचि ने अपना शरीर इसलिए त्याग दिया था ताकि उनकी हड्डियों से धनुष बनाया जा सके जिससे दैत्यों का संहार हो सके। राजा शिवि ने कपोत को बचाने के लिए अपने शरीर को प्रस्तुत कर दिया था। अनेक समुदायों में देह को नदी में प्रवाहित करने की परंपरा है, ताकि पानी में रहने वाले विभिन्न जीवों को आहार उपलब्ध हो सके। पारसी समुदाय में मृत्यु के उपरांत देह को एक 'कुएं' में रखने की परंपरा है, ताकि पक्षी उस देह को आहार बना सकें। .

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नरक

सामान्यतः ठंडे देशों में नरक की कल्पना हिमाच्छादित लोक और गर्म देशों में अग्नितप्त लोक के रूप में मिलती है। इसकी स्थिति, संख्या, प्रकार और दंडयातना के संबंध में विविध कल्पनाएँ हैं। हिंदू नरक दक्षिण और पाताल के निम्नतल भाग में कल्पित है, जहाँ चित्रगुप्त की पुष्टि पर यमदेवता पापी को उसके अपराध के अनुसार 28 नरकों में से किन्हीं की यातना देने का निर्णय अपने दूतों को देते हैं। अथर्ववेद से भागवत पुराण तक आते आते नरकों की संख्या 50 करोड़ हो गई जिनमें 21, 28 या 40 मुख्य हैं। मुस्लिम नरक ('नरक (दोजख)' और 'जहन्नुम') विशाल अग्निपुंज के समान है और सातवें तबके में तहत-उल-शरी में स्थित है जहाँ मालिक नामक देवदूत के अनुशासन में 19 स्वीरों (जबानिया) या दूतों द्वारा ईश्वरी कृपा से वंचित गुनहगारों को धकेल दिया जाता है। पारसी नरक (गाथा के अनुसार 'द्रूजो देमन', 'पहलवी' द्रूजोत्मन) उत्तर दिशा में स्थित अंधकार तथा दुर्गंधपूर्ण, आर्तनाद से मुखरित और असह्य शीतल है। ईसाई नरक तिमिराच्छन्न बृहत्‌ गर्त, यंत्रणाभोग का कारागार, चिर प्रज्वलित अग्निलोक और अग्निसरोवर के रूप में वर्णित है। इस प्रकार मुख्यतः दो ढंग के नरकों का उल्लेख मिलता है - शीतकर और दाहकर। बौद्धधर्म में इन दोनों प्रकार के नरकों की अलग अलग संख्याएँ क्रमश: आठ और सात हैं। विद्वानों का मत है कि आग्नेय नर की कल्पना ईसाई मूल की है किंतु इसे पूरी तरह सही नहीं कहा जा सकता। नरक के स्वरूपों और परलोक में पापियों के प्रति दंड की धारणा का क्रमिक विकास हुआ है। भारतीय नरक कल्पना का इतिहास ऋग्वैदिक अथवा उससे भी प्राचीन हो सकता है। इसका क्रमिक विकास अथर्ववेद (1/11, 4/5/5, 5/3/11, 5/19, 8/2/24, 11/6/11, 18/3/3), वाजसनेय संहिता (30/5), शतपथ ब्राह्मण (6/2/3/27) और परवर्ती पुराण साहित्य (पद्म. अ. 34, पाताल खं. अ. 47; वि.पु. 2/6/7- 32; मार्क.पु. 19/3/39 ब्रह्म वै., प्रकृति खं., अ. 27- 28, भा.पु. 5/26/5) में हुआ है। इस क्रम में कठोपनिषद् तथा दर्शनशास्त्र में नरक और मृतात्मा के स्वरूप की दार्शनिक व्यख्याएँ भी हुई हैं। इसी प्रकार बाइबिल में आए अनके पदों के अंग्रेजी रूपांतर 'हेल' के अर्थ में ईसाई नरक की विभिन्न व्याख्याएँ प्राप्त होती हैं। यह पहले मुख्यत: ओल्ड टेस्टामेंट के 'शिऊन' शब्द का अंग्रेजी रूपांतर था जो प्राचीन यहूदी दृष्टिकोण के अनुसार मृतात्माओं का आवास है। फिर वही शब्द 'हेडेस' (Hedes) के लिए प्रयुक्त होने लगा। लेकिन इसका प्रयोग 'जेहेन्ना' के लिए सर्वाधिक होता है जिसका नामकरण हेनोम की घाटी के एक स्थान के नाम पर हुआ और बाद में 'भावीदंड' के लिए प्रसिद्ध हुआ। 'हेल' के संबंध में परंपरित मान्यता के विरुद्ध ईसाई धर्मसुधारकों के विचार कुछ दूसरे थे। मार्टिन लूथर का विचार था कि पापात्माएँ मृत्यु की स्थिति में अपनी नास्तिक और मलिन वृत्ति के कारण 'अंतिम दिन' के पूर्व तक पीड़ित होती हैं। नरक को व ईश्वर के उपदेशों और आस्तिकता से शून्य दूषित अंत: करण की संज्ञा देते हैं। इस प्रकार ईसाई नरक और नरकदंड की मान्यताओं का विकास स्वयंसिद्ध है। इसके अतिरिक्त नरकभोग की अवधि, परिमाण, यंत्रणा की प्रकृति आदि को लेकर भी पाश्चात्य तथा प्राच्य धर्मों में मतभेद है। श्रेणी:धार्मिक शब्दावली.

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नरीमन पॉइंट

रात्री में नरीमन पॉइंट का एक दृश्य। नरीमन पॉइंट मुंबई का सबसे प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है। इसका यह नाम एक पारसी दूरदर्शक खुर्शीद फ्राम्जी नरीमन के नाम पर रखा गया। यह स्थान समुद्र से वापस ली गई भूमि पर स्थित है। १९९५ में यहां वाणिज्यिक अचल संपत्ति किराया १७५ $ प्रति वर्ग फुट (१,८०० %/वर्ग मीटर) था, जो विश्व में सर्वाधिक था। भारत के कुछ सबसे बडे़ व्यावसायिक समवायो (कंपनियों) के मुख्यालय यहाँ स्थित हैं।.

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नारायण जगन्नाथ माध्यमिक विद्यालय

नारायण जगन्नाथ माध्यमिक विद्यालय कराची में स्थित सिंध का पहला सरकारी विद्यालय है। इसकी स्थापना अक्टूबर १८५५ में ६८ छात्रों के साथ की गई थी। मूल भवन को वर्तमान भवन से १८७६ में बदल दिया गया था। मार्च १९१६ में, विद्यालय में ४७७ विद्यार्थी थे, जिनमें से ३५० हिन्दू, ३२ ब्राह्मण, १० जैन, १२ मुसलमान, ६६ पारसी और सात भारतीय यहूदी थे। उल्लेखनीय भूतपूर्व छात्रों में जमशेद नूस्सरवांजी मेहता हैं, जो १९६१ में कराची के पारिषद निर्वाचित हुए और फिर १९२२ में परिषद के अध्यक्ष चुने गए। १९३३ में वे कराची के नगराध्यक्ष (मेयर) बनें जब कराची नगर निगम का गठन हुआ था। .

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नौरोजी सकलतवाला

नौरोजी सकलतवाला टाटा समूह के अकेले गैर टाटा अध्यक्ष थे। वे १९३२ से १९३८ तक टाटा समूह के अध्यक्ष थे। उनकी १९३८ में अचानक दिल क दौरा पड्ने से मृत्यु हो गई। वे एक क्रिकेट खिलाड़ी भी थे और १९०४ में उन्होने यूरोपीयो के खिलाफ पारसियो का प्रतिनिधित्व किया था। .

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नौहीद सेरुसी

नौहीद सॆरुसी एक इंलिश मॉडल, विडियो जॉकी और अभिनेत्री हैं। उनके नाम का अर्थ शुक्र (Venus) है। .

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पत्रानी माची

पत्रानी माची एक पारसी व्यंजन है। श्रेणी:पश्चिम भारत का खाना श्रेणी:पारसी खाना.

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पपेटी

पपेटी पारसी धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्योहार है। यह जरोस्त्रेयन कैलेंडर के हिसाब से नए वर्ष के शुभारंभ पर मनाया जाता है। इस दिन पारसी समुदाय से जुड़े स्त्री-पुरुष परंपरागत वस्त्रों को पहन कर अग्नि मंदिर (आगीयारी) में पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही में अच्छे विचारों के साथ रहने, अच्छे शब्दों का इस्तेमाल करने और सतकर्म करने का वादा करते हैं। इस दिन के लिए पारसी अपने घरों की साफ-सफाई करने के साथ-साथ साज-सज्जा भी करते हैं। एक-दूसरे के घर आते-जाते हैं और उपहारों व मिठाईयों का आदान-प्रदान करते हैं। इस अवसर के लिए खास पारसी व्यंजन जैसे, पत्रानी माची (केले के पत्ते में लिपटे हुई मछली), साली बोटी (आलू चिप्स के साथ मांस), रावो और फालूदा तैयार किए जाते हैं। श्रेणी:संस्कृति श्रेणी:धर्म श्रेणी:पारसी त्यौहार श्रेणी:धार्मिक त्यौहार.

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पलौंजी मिस्त्री

पलौंजी शपूर्जी मिस्त्री एक आयरिश-पारसी निर्माण टाइकून है। टाटा संस में 18.5% की हिस्सेदारी के साथ, वह भारत के सबसे बड़े निजी समूह टाटा समूह में अकेले सबसे बड़े शेयरधारक है। वे शपूर्जी पलौंजी समूह के अध्यक्ष भी है जिसके माध्यम से वह शपूर्जी पलौंजी निर्माण लिमिटेड, फोर्ब्स कपड़ा और यूरेका फोर्ब्स लिमिटेड के मालिक है। वे एसोसिएटेड सीमेंट कंपनी (एसीसी) के पूर्व अध्यक्ष हैं। 2010 में, फोर्ब्स के अनुसार उनकी कुल अनुमानित भाग्य मूल्य 5.8 अरब डॉलर है। 2007 में उन्होने आयरिश नागरिकता को अपनाने के बाद अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी और दुनिया में शॉन कुइन के पीछे दूसरे सबसे अमीर आयरिश नागरिक है। टाटा समूह में उनके सहयोगियों द्वारा उन्हे "बॉम्बे हाउस का फैंटम" उपनाम दिया गया है। भारत में सबसे सफल व्यवसायियों में से एक होने के बावजूद, उन्हे मीडिया से दूरी के लिए जाना जाता है और वे शायद ही कभी सार्वजनिक रूप से प्रकट होते है। मिस्त्री की एक छोटी जीवनी मनोज नांबुरु द्वारा 2008 में एक पुस्तक मे लिखी गई थी - " रियल एस्टेट के मोगुल्स "। .

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पश्चिमी देशों में संस्कृत

पश्चिमी जगत में संस्कृत का अध्ययन १७वीं शताब्दी में आरम्भ हुआ। भर्तृहरि के कुछ काव्यों का सन् १६५१ में पुर्तगालियों ने अनुवाद किया। सन् १७७९ में विवादार्णवसेतु नामक एक विधिक संहिता का नाथानियल ब्रासी हल्हेड (Nathaniel Brassey Halhed) ने पारसी अनुवाद से अनुवाद किया। इसे 'अ कोड ऑफ गेन्टू लाज़' (A Code of Gentoo Laws) नाम दिया। 1785 में चार्ल्स विकिंस (Charles Wilkins) ने भगवद्गीता का अंग्रेजी में अनुवाद प्रकाशित किया। शायद यही पहली बार था जब संस्कृत ग्रन्थ का सीधे किसी यूरोपीय भाषा में अनुवाद हुआ। .

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पारस

पारस (संस्कृत: पारस्य) हिंदुस्तान के पश्चिम सिन्धु नदी और अफगानिस्तान के आगे पड़नेवाला एक देश। यह प्राचीन कांबोज और वाह्लीक के पश्चिम का देश था जिसका प्रताप प्राचीन काल में बहुत दूर-दूर तक विस्तृत था और जो अपनी सभ्यता और शिष्टाचार के लिये प्रसिद्ध चला आता है। अत्यंत प्राचीन काल से पारस देश आर्यों की एक शाखा का वासस्थान था जिसका भारतीय आर्यों से घनिष्ट संबंध था। अत्यंत प्राचीन वैदिक युग में तो पारस से लेकर गंगा सरयू के किनारे तक की काली भूमि आर्यभूमि थी, जो अनेक प्रेदशों में विभक्त थी। इन प्रदेशों में भी कुछ के साथ आर्य शब्द लगा था। जिस प्रकार यहाँ आर्यांवर्त एक प्रदेश था उसी प्रकार प्राचीन पारस में भी आधुनिक अफगानिस्तान से लगा हुआ पूर्वींय प्रदेश 'अरियान' या 'ऐर्यान' (यूनानी— एरियाना) कहलाता था जिससे ईरान शब्द बना है। ईरान शब्द आर्यावास के अर्थ में सारे देश के लिये प्रयुक्त होता था। शाशानवंशी सम्राटों ने भी अपने को 'ईरान के शाहंशाह' कहा है। पदाधिकारियों के नामों के साथ भी 'ईरान' शब्द मिलता है।— जैसे 'ईरान-स्पाहपत' (ईरान के सिपाहपति या सेनापति), 'ईरान अंबारकपत' (ईरान के भंडारी) इत्यादि। प्राचीन पारसी अपने नामों के साथ आर्य शब्द बडे़ गौरव के साथ लगाते थे। प्राचीन सम्राट् दारयवहु (दारा) ने अपने को 'अरियपुत्र' लिखा है। सरदोरों के नामों में भी आर्य शब्द मिलता है, जैसे, अरियशम्न, अरियोवर्जनिस, इत्यादि। प्राचीन पारस जिन कई प्रदेशों में बँटा था उनमें पारस की खाड़ी के पूर्वी तट पर पड़नेवाला पार्स या पारस्य प्रदेश भी था जिसके नाम पर आगे चलकर सारे देश का नाम पड़ा। इसकी प्राचीन राजधानी पारस्यपुर (यूनानी-पार्सिपोलिस) थी, जहाँपर आगे चलकर 'इश्तख' बसाया गया। वैदिक काल में 'पारस' नाम प्रसिद्ध नहीं हुआ था। यह नाम हखामनीय वंश के सम्राटों के समय से, जो पारस्य प्रदेश के थे, सारे देश के लिये व्यवहृत होने लगा। यही कारण है जिससे वेद और रामायण में इस शब्द का पता नहीं लगता। पर महाभारत, रघुवंश, कथासरित्सागर आदि में 'पारस्य' और पारसीकों का उल्लेख बराबर मिलता है। अत्यंत प्राचीन युग के पारसियों और वैदिक आर्यों में उपासना, कर्मकांड आदि में भेद नहीं था। वे अग्नि, सूर्य वायु आदि की उपासना और अग्निहोत्र करते थे। मिथ (मित्र .

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पारसी फ्राइड मछली

पारसी फ्राइड मछली एक पारसी व्यंजन है। श्रेणी:पश्चिम भारत का खाना श्रेणी:पारसी खाना.

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पारसी रंगमंच

; 'पारसी रंगमंच' से 'फारसी भाषा का रंगमंच' या 'इरान का रंगमंच' का अर्थ न समझें। यह अलग है जो भारत से संबन्धित है। ---- अंग्रेजों के शासनकाल में भारत की राजधानी जब कलकत्ता (1911) थी, वहां 1854 में पहली बार अंग्रेजी नाटक मंचित हुआ। इससे प्रेरित होकर नवशिक्षित भारतीयों में अपना रंगमंच बनाने की इच्छा जगी। मंदिरों में होनेवाले नृत्य, गीत आदि आम आदमी के मनोरंजन के साधन थे। इनके अलावा रामायण तथा महाभारत जैसी धार्मिक कृतियों, पारंपरिक लोक नाटकों, हरिकथाओं, धार्मिक गीतों, जात्राओं जैसे पारंपरिक मंच प्रदर्शनों से भी लोग मनोरंजन करते थे। पारसी थियेटक से लोक रंगमंच का जन्म हुआ। एक समय में सम्पन्न पारसियों ने नाटक कंपनी खोलने की पहल की और धीरे-धीरे यह मनोरंजन का एक लोकप्रिय माध्यम बनता चला गया। इसकी जड़ें इतनी गहरी थीं कि आधुनिक सिनेमा आज भी इस प्रभाव से पूरी तरह मुक्त नहीं हो पाया है। पारसी रंगमंच, 19वीं शताब्दी के ब्रिटिश रंगमंच के मॉडल पर आधारित था। इसे पारसी रंगमंच इसलिए कहा जाता था क्योंकि इससे पारसी व्यापारी जुड़े थे। वे इससे अपना धन लगाते थे। उन्होंने पारसी रंगमंच की अपनी पूरी तकनीक ब्रिटेन से मंगायी। इसमें प्रोसेनियम स्टेज से लेकर बैक स्टेज की जटिल मशीनरी भी थी। लेकिन लोक रंगमंच-गीतों, नृत्यों परंपरागत लोक हास-परिहास के कुछ आवश्यक तत्वों और इनकी प्रारंभ तथा अंत की रवाइतों को पारसी रंगमंच ने अपनी कथा कहने की शैली में शामिल कर लिया था। दो श्रेष्ठ परंपराओं का यह संगम था और तमाम मंचीय प्रदर्शन पौराणिक विषयों पर होते थे जिनमें परंपरागत गीतों और प्रभावी मंचीय युक्तियों का प्रयोग अधिक होता था। कथानक गढ़े हुए और मंचीय होते थे जिसमें भ्रमवश एक व्यक्ति को दूसरा समझा जाता था, घटनाओं में संयोग की भूमिका होती थी, जोशीले भाषण होते थे, चट्टानों से लटकने का रोमांच होता था और अंतिम क्षण में उनका बचाव किया जाता था, सच्चरित्र नायक की दुष्चरित्र खलनायक पर जीत दिखायी जाती थी और इन सभी को गीत-संगीत के साथ विश्वसनीय बनाया जाता था। औपनिवेशिक काल में भारत के हिन्दी क्षेत्र के विशेष लोकप्रिय कला माध्यमों में आज के आधुनिक रंगमंच और फिल्मों की जगह आल्हा, कव्वाली मुख्य थे। लेकिन पारसी थियेटर आने के बाद दर्शकों में गाने के माध्यम से बहुत सी बातें कहने की परंपरा चल पड़ी जो दर्शकों में लोकप्रिय होती चली गयी। बाद में 1930 के दशक में आवाज रिकॉर्ड करने की सुविधा शुरू हुई और फिल्मों में भी इस विरासत को नये तरह से अपना लिया गया। वर्ष 1853 में अपनी शुरुआत के बाद से पारसी थियेटर धीरे-धीरे एक 'चलित थियेटर' का रूप लेता चला गया और लोग घूम-घूम कर नाटक देश के हर कोने में ले जाने लगे। पारसी थियेटर के अभिनय में ‘‘मेलोड्रामा’’ अहम तत्व था और संवाद अदायगी बड़े नाटकीय तरीके से होती थी। उन्होंने कहा कि आज भी फिल्मों के अभिनय में पारसी नाटक के तत्व दिखाई देते हैं। 80 वर्ष तक पारसी रंगमंच और इसके अनेक उपरूपों ने मनोरंजन के क्षेत्र में अपना सिक्का जमाए रखा। फिल्म के आगमन के बाद पारसी रंगमंच ने विधिवत् अपनी परंपरा सिनेमा को सौंप दी। पेशेवर रंगमंच के अनेक नायक, नायिकाएं सहयोगी कलाकार, गीतकार, निर्देशक, संगीतकार सिनेमा के क्षेत्र में आए। आर्देशिर ईरानी, वाजिया ब्रदर्स, पृथ्वीराज कपूर, सोहराब मोदी और अनेक महान दिग्गज रंगमंचकी प्रतिभाएं थीं जिन्होंने शुरुआती तौर में भारतीय फिल्मों को समृद्ध किया। .

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पेरिन जम्सेत्जी मिस्त्री

पेरिन जम्सेत्जी मिस्त्री (१९१३-१९८९) एक भारतीय वास्तुकार थी, जिन्हें भारत में एक वास्तुकार के रूप में अर्हता प्राप्त करने वाली पहली महिला के रूप में जाना जाता है। .

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फ़्रेडडी मर्करी

फ्रेडी मर्करी (जन्म फर्रोख बुलसारा; 5 सितंबर 1946 – 24 जुलाई 1991) एक ब्रिटिश गायक, गीतकार और रिकार्ड निर्माता हैं, जिन्हें रॉक बैंड क्वीन के प्रमुख गायक और सह-प्रमुख गीतकार के रूप में जाना जाता है। उन्होंने यह भी ज्ञात हो गया के लिए अपने तेजतर्रार मंच के व्यक्तित्व और चारसप्टक मुखर रेंज है। बुध लिखा था और रचना की कई हिट फिल्मों के लिए रानी ("बोहेमियन धुन," "खूनी रानी," "किसी को प्यार करने के लिए," "रोक नहीं है अब मुझे," "पागल छोटी बात बुलाया प्यार करता हूँ," और "हम चैंपियन हैं."); कभी कभी के रूप में सेवा की एक निर्माता और अतिथि संगीतकार (पियानो या वोकल्स) के लिए अन्य कलाकारों; और समवर्ती के नेतृत्व में एक एकल कैरियर के साथ प्रदर्शन करते हुए रानी है। बुध का जन्म हुआ था पारसी वंश में सल्तनत के जंजीबार और वहाँ बड़ा हुआ और भारत में जब तक उनके मध्य किशोर, जाने से पहले अपने परिवार के साथ करने के लिए मिडिलसेक्स, इंग्लैंड — अंततः गठन बैंड रानी में 1970 के ब्रायन मई और रोजर टेलर.

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फिरोज़शाह मेहता

मुम्बई में फिरोजशाह मेहता की प्रतिमा सर फिरोजशाह मेहता (४ अगस्त १८४५ - ५ नवम्बर १९१५) भारत एक स्वतंत्रा सेनानी, न्यायविद तथा पत्रकार थे। वे एक उदार राजनीतिज्ञ थे जिनका प्रयास था कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर कट्टरपंथियों का अधिकार न हो सके। वे बहुत-से संस्थानों के जन्मदाता थे। मुंबई नगर पालिका के सदस्य होने के साथ ही वे नगर पालिका अध्यक्ष भी रहे और इस संस्था के सुधार के लिए उन्होंने बहुत से कार्य किये। वे बॉम्बे प्रेजीडेंसी एसोसिएशन में सक्रिय होने के साथ-साथ इसके अध्यक्ष भी रहे। वे मुंबई के एडवोकेट जनरल और इंपिरियल लेजिसलेटिव काउंसिल के सदस्य थे। वे मुम्बई विश्वविद्यालय से जुड़े रहे और एक दैनिक समाचार पत्र- 'दि बॉम्बे क्रॉनिकल' की स्थापना की। .

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फ्रमजी कोवासजी बानाजी

फ्रमजी कोवासजी बानाजी (FRAMJI COWASJI BANAJI; १७६७ -- १८५२) पारसी समुदाय के नेता तथा मुम्बई के प्रथम 'जस्टिस ऑफ द पीस' थे। वे समृद्ध व्यापारी और जहाजों के अपने समय के सबसे बड़े ठेकेदार थे। जनकल्याणार्थ अनेक संस्थाओं के उत्थान के लिए आपने खुले दिल से सहायता दी। आप ही सर्वप्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने जी.आई.पी.

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बानू जहाँगीर कोयाजी

बानू जहाँगीर कोयाजी (22 अगस्त 1918 – 15 जुलाई 2004) भारतीय चिकित्सा वैज्ञानिक थीं। इन्होंने परिवार नियोजन और जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। वह किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल, पुणे की निर्देशिका थीं। उन्होंने समुदाय के स्वास्थकर्मियों के माध्यम से महाराष्ट्र के देही इलाक़ों के लिये कई कार्यक्रम प्रारंभ किये थे। वह अपनी कार्यकुशलता की वजह से केन्द्र सरकार की स्वास्थ सलाकार बन गईं थीं और विश्वस्तर पर अपने कार्यक्षेत्र में प्रसिद्ध थीं। कोयाजी को कई पुरस्कार प्राप्त हुए थे जिनमें १९८९ में पद्मभूषण और सार्वजनिक सेवा के लिये १९९३ में रेमन मैगसेसे पुरस्कार मुख्य रूप से शामिल हैं। .

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ब्लिट्ज

ब्लिट्ज एक भारतीय समाचार-पत्र था जिसके सम्पादक रूसी करंजिया थे। .

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बैरामजी जीजाभाई

मुम्बई के चरनी रोड पर स्थित बैरामजी जीजाभाई संस्थान बैरामजी जीजाभाई (1822 - 1890) भारत के एक धनी व्यवसायी एवं जनसेवी व्यक्ति थे जिन्होने मुम्बई में अनेक शैक्षिक संस्थान स्थापित किया। जीजाभाई परिवार के संस्थापक, जो जनसेवा तथा विश्वप्रेम के लिए प्रसिद्ध थे, सूरत जिले के इलाव गाँव से सन् 1729 में बंबई आए थे। आपकी सबसे प्रसिद्ध संतति बैरामजी जीजाभाई थे। बैंकों, रेलवे संस्थाओं और रूई के स्पिनिंग और वीविंग मिल के डाइरेक्टर होने के साथ ही आप बंबई प्रांत के वाणिज्य जीवन के प्रधान प्रेरक थे। उन दिनों न्यायाधीशों की बेंच ही म्युनिसपल सरकार की देखरेख और और नियंत्रण के लिए उत्तरदायी थी। बैरामजी 1855 में न्यायाधीश नियुक्त हुए। 1867 में आप मुंबई विश्वविद्यालय के फेलो रूप में नियुक्त हुए और बंबई की लेजिस्लेटिव कौंसिल के अतिरिक्त सदस्य बनाए गए। यहाँ आपने जनता की रुचि के अनुकूल पथप्रदर्शक के रूप में सम्मान प्राप्त किया। उस समय जो बिल विचार विमर्श के लिए आए उनमें एक था अन्नों पर नगरकर लगाना। बैरामजी ने उसक घोर विरोध किया और जनता की भावनाओं को उत्साहपूर्वक सबके सम्मुख पेश किया। उनका कहना था कि यदि अतिरिक्त रेवन्यू लगाने की आवश्यकता ही है तो स्पिरिट तथा उत्तेजक पेय पदार्थों कर लगाया जाए बनिस्पत इसके कि आधा पेट भोजन मात्र करनेवाली जनसंख्या के भोजन पर लगाया जाए। वाणिज्य और राजनीतिक जीवन से संबंधित उनके कार्य और प्रयास जैसे ध्यान देने योग्य हैं वैसे ही बैरामजी के अनेक उपकार तथा दान दक्षिणाएँ भी महत्वपूर्ण हैं। आपकी आर्थिक सहायताओं और दानों में सबसे महत्वपूर्ण है, गरीब पारसी बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा के लिए एक संस्था की स्थापना हेतु 3,50,000 के मूल्य के सरकारी कागजों का दान। आप से पर्याप्त में दान प्राप्त करनेवाले जातीय पक्षपात रहित संस्थाओं में प्रमुख हैं अहमदाबाद और पूना का सरकारी मेडिकल स्कूल, थाना का हाईस्कूल और भिवण्डी का ऐंग्लोवर्नाक्यूलर स्कूल। बंबई का नेटिव जेनरल पुस्तकालय, अलेक्जांडरा नेटिव गर्ल्स इंग्लिश इंस्टीट्यूशन और विक्टोरिया व एडवर्ड म्यूजियम तथा पिंजरापोल आपकी उदारता व अनुग्रह के भागी थे। श्रेणी:न्यायधीश.

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत में धर्म

तवांग में गौतम बुद्ध की एक प्रतिमा. बैंगलोर में शिव की एक प्रतिमा. कर्नाटक में जैन ईश्वरदूत (या जिन) बाहुबली की एक प्रतिमा. 2 में स्थित, भारत, दिल्ली में एक लोकप्रिय पूजा के बहाई हॉउस. भारत एक ऐसा देश है जहां धार्मिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता को कानून तथा समाज, दोनों द्वारा मान्यता प्रदान की गयी है। भारत के पूर्ण इतिहास के दौरान धर्म का यहां की संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारत विश्व की चार प्रमुख धार्मिक परम्पराओं का जन्मस्थान है - हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म तथा सिक्ख धर्म.

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भारत का उच्चतम न्यायालय

भारत का उच्चतम न्यायालय या भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत का शीर्ष न्यायिक प्राधिकरण है जिसे भारतीय संविधान के भाग 5 अध्याय 4 के तहत स्थापित किया गया है। भारतीय संघ की अधिकतम और व्यापक न्यायिक अधिकारिता उच्चतम न्यायालय को प्राप्त हैं। भारतीय संविधान के अनुसार उच्चतम न्यायालय की भूमिका संघीय न्यायालय और भारतीय संविधान के संरक्षक की है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 से 147 तक में वर्णित नियम उच्चतम न्यायालय की संरचना और अधिकार क्षेत्रों की नींव हैं। उच्चतम न्यायालय सबसे उच्च अपीलीय अदालत है जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के उच्च न्यायालयों के फैसलों के खिलाफ अपील सुनता है। इसके अलावा, राज्यों के बीच के विवादों या मौलिक अधिकारों और मानव अधिकारों के गंभीर उल्लंघन से सम्बन्धित याचिकाओं को आमतौर पर उच्च्तम न्यायालय के समक्ष सीधे रखा जाता है। भारत के उच्चतम न्यायालय का उद्घाटन 28 जनवरी 1950 को हुआ और उसके बाद से इसके द्वारा 24,000 से अधिक निर्णय दिए जा चुके हैं। .

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भारत के लोग

भारत चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बडी जनसंख्या वाला देश है। भारत की विभिन्नताओं से भरी जनता में भाषा, जाति और धर्म, सामाजिक और राजनीतिक संगठन के मुख्य शत्रु हैं। मुम्बई (पहले बॉम्बे), दिल्ली, कोलकाता (पहले कलकत्ता) और चेन्नई (पहले मद्रास), भारत के सबसे बङे महानगर हैं। भारत में ६४.८ प्रतिशत साक्षरता है जिसमे से ७५.३ % पुरुष और ५३.७% स्त्रियाँ साक्षर है। लिंग अनुपात की दृष्टि से भारत में प्रत्येक १००० पुरुषों के पीछे मात्र ९३३ महिलायें है। कार्य भागीदारी दर (कुल जनसंख्या मे कार्य करने वालों का भाग) ३९.१% है। पुरुषों के लिये यह दर ५१.७% और स्त्रियों के लिये २५.६% है। भारत की १००० जनसंख्या में २२.३२ जन्मों के साथ बढती जनसंख्या के आधे लोग २२.६६ वर्ष से कम आयु के हैं। यद्यपि भारत की ८०.५ प्रतिशत जनसंख्या हिन्दू है, १३.४ प्रतिशत जनसंख्या के साथ भारत विश्व में मुसलमानों की संख्या में भी इंडोनेशिया और पाकिस्तान के बाद तीसरे स्थान पर है। अन्य धर्मावलम्बियों में ईसाई (२.३३ %), सिख (१.८४ %), बौद्ध (०.७६ %), जैन (०.४० %), अय्यावलि (०.१२ %), यहूदी, पारसी, अहमदी और बहाई आदि सम्मिलित हैं। भारत चार मुख्य भाषा सूत्रों, इनदो-यूरोपीयन, द्रविङियन्, सिनो-टिबेटन और औसटरो-एजियाटिक का भी स्रोत है। भारत का संविधान कुल २३ भाषाओं को मान्यता देता है। हिन्दी और अंग्रेजी केन्द्रीय सरकार द्वारा सरकारी कामकाज के लिये उपयोग की जाती है। संस्कृत, तमिल, कन्नड़ और तेलुगु जैसी अति प्राचीन भाषाऐं भारत में ही जन्मी हैं। कुल मिलाकर भारत में १६५२ से भी अधिक भाषाऐं एवं बोलियां बोली जातीं हैं।.

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भीमराव आम्बेडकर

भीमराव रामजी आम्बेडकर (१४ अप्रैल, १८९१ – ६ दिसंबर, १९५६) बाबासाहब आम्बेडकर के नाम से लोकप्रिय, भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। आम्बेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त की। उन्होंने विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शोध कार्य में ख्याति प्राप्त की। जीवन के प्रारम्भिक करियर में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवम वकालत की। बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीता; वह भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और बातचीत में शामिल हो गए, पत्रिकाओं को प्रकाशित करने, राजनीतिक अधिकारों की वकालत करने और दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत और भारत की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं। .

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भीखाजी कामा

श्रीमती भीखाजी जी रूस्तम कामा श्रीमती भीखाजी जी रूस्तम कामा (मैडम कामा) (24 सितंबर 1861-13 अगस्त 1936) भारतीय मूल की पारसी नागरिक थीं जिन्होने लन्दन, जर्मनी तथा अमेरिका का भ्रमण कर भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में माहौल बनाया। वे जर्मनी के स्टटगार्ट नगर में 22 अगस्त 1907 में हुई सातवीं अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस में भारत का प्रथम तिरंगा राष्ट्रध्वज फहराने के लिए सुविख्यात हैं। उस समय तिरंगा वैसा नहीं था जैसा आज है। उनके द्वारा पेरिस से प्रकाशित "वन्देमातरम्" पत्र प्रवासी भारतीयों में काफी लोकप्रिय हुआ। 1907 में जर्मनी के स्टटगार्ट में हुयी अन्तर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में मैडम भीकाजी कामा ने कहा कि - ‘‘भारत में ब्रिटिश शासन जारी रहना मानवता के नाम पर कलंक है। एक महान देश भारत के हितों को इससे भारी क्षति पहुँच रही है।’’ उन्होंने लोगों से भारत को दासता से मुक्ति दिलाने में सहयोग की अपील की और भारतवासियों का आह्वान किया कि - ‘‘आगे बढ़ो, हम हिन्दुस्तानी हैं और हिन्दुस्तान हिन्दुस्तानियों का है।’’ यही नहीं मैडम भीकाजी कामा ने इस कांफ्रेंस में ‘वन्देमातरम्’ अंकित भारत का प्रथम तिरंगा राष्ट्रध्वज फहरा कर अंग्रेजों को कड़ी चुनौती दी। मैडम भीकाजी कामा लन्दन में दादा भाई नौरोजी की प्राइवेट सेक्रेटरी भी रहीं। धनी परिवार में जन्म लेने के बावजूद इस साहसी महिला ने आदर्श और दृढ़ संकल्प के बल पर निरापद तथा सुखी जीवनवाले वातावरण को तिलांजलि दे दी और शक्ति के चरमोत्कर्ष पर पहुँचे साम्राज्य के विरुद्ध क्रांतिकारी कार्यों से उपजे खतरों तथा कठिनाइयों का सामना किया। श्रीमती कामा का बहुत बड़ा योगदान साम्राज्यवाद के विरुद्ध विश्व जनमत जाग्रत करना तथा विदेशी शासन से मुक्ति के लिए भारत की इच्छा को दावे के साथ प्रस्तुत करना था। भारत की स्वाधीनता के लिए लड़ते हुए उन्होंने लंबी अवधि तक निर्वासित जीवन बिताया था। तथ्यों के मुताबिक भीकाजी हालांकि अहिंसा में विश्वास रखती थीं लेकिन उन्होंने अन्यायपूर्ण हिंसा के विरोध का आह्वान भी किया था। उन्होंने स्वराज के लिए आवाज उठाई और नारा दिया− आगे बढ़ो, हम भारत के लिए हैं और भारत भारतीयों के लिए है। .

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मनशेरजी खरेघाट

पारसी समुदाय के पथप्रदर्शक मनशेरजी पेस्तनजी खरेघाट (Mancherji Pestanji Khareghat) का जन्म दिसंबर, 1864 में हुआ था। आप बचपन से ही बड़े मेधावी थे। मुख्य रूप से गणित की समस्याओं को हल करके आपने अपनी कुशलता का परिचय दिया। मैट्रीकुलेशन की परीक्षा में आप 13 वर्ष की उम्र में ही उत्तीर्ण हो गए और तत्पश्चात् कालेज की पढ़ाई छोड़कर इंडियन सिविल सर्विस की परीक्षा के लिये अपने को तैयार किया। इनाम और छात्रवृत्ति प्राप्त करते हुए आपने गौरवपूर्ण ढंग से 1882 में उस परीक्षा में सफलता प्राप्त की और वकालत की पढ़ाई को जारी रखा। न्यायालयों में जाते समय आपने देखा कि एक स्त्री ने अपने पति की हत्या का प्रयास किया जिसके लिये उसे प्राणदंड की सजा दी गई। इसे देखकर आपने अपने पिता को लिखा कि मेरे विचार से "यह प्राणदंड की आज्ञा निर्दयतापूर्ण न्याय" है। भारत लौटने पर आप सहायक कलेक्टर, मैजिस्टे्रट, सहायक न्यायाधीश और सेशन न्यायाधीश के रूप में क्रमश: थाना, बस्ती बरौंच और शिकारपुर में रहे। जब आप रत्नगिरि में में सेशन न्यायाधीश थे, आप बंबई के उच्च न्यायालय की बेंच पर आसीन किए गए। परंतु आप शीघ्र ही छुट्टी पर चले गए जिसका प्रमुख कारण प्राणदंड की सजा के प्रति अपनी अनिच्छा प्रकट करना था। आप पुन: रत्नगिरि के सेशन जज बना दिए गए जहाँ आप संन्यासी की भाँति धार्मिकतापूर्ण जीवन व्यतीत करने के कारण सबके द्वारा पूजित तथा प्रशंसित हुए। गरीब जनता के लिये आपके हृदय में जो स्नेह था उसके कारण उनकी सेवा करने के लिये आपने अवकाशप्राप्ति की उम्र तक पहुँचने के पूर्व ही सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। पारसी पंचायत के "बोर्ड ऑव ट्रस्टी" के सभापति के रूप में आप जीवन के अंतिम दिनों तक कार्य करते रहे। श्रेणी:न्यायविद श्रेणी:पारसी.

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मर्व

मर्व के प्राचीन खँडहर सुलतान संजर का मक़बरा मर्व (अंग्रेज़ी: Merv, फ़ारसी:, रूसी: Мерв) मध्य एशिया में ऐतिहासिक रेशम मार्ग पर स्थित एक महत्वपूर्ण नख़लिस्तान (ओएसिस) में स्थित शहर था। यह तुर्कमेनिस्तान के आधुनिक मरी नगर के पास था। भौगोलिक दृष्टि से यह काराकुम रेगिस्तान में मुरग़ाब नदी के किनारे स्थित है। कुछ स्रोतों के अनुसार १२वीं शताब्दी में थोड़े से समय के लिए मर्व दुनिया का सबसे बड़ा शहर था। प्राचीन मर्व के स्थल को यूनेस्को ने एक विश्व धरोहर घोषित कर दिया है। .

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महमूद ग़ज़नवी

महमूद ग़ज़नवी (971-1030) मध्य अफ़ग़ानिस्तान में केन्द्रित गज़नवी वंश का एक महत्वपूर्ण शासक था जो पूर्वी ईरान भूमि में साम्राज्य विस्तार के लिए जाना जाता है। वह तुर्क मूल का था और अपने समकालीन (और बाद के) सल्जूक़ तुर्कों की तरह पूर्व में एक सुन्नी इस्लामी साम्राज्य बनाने में सफल हुआ। उसके द्वारा जीते गए प्रदेशों में आज का पूर्वी ईरान, अफगानिस्तान और संलग्न मध्य-एशिया (सम्मिलिलित रूप से ख़ोरासान), पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत शामिल थे। उनके युद्धों में फ़ातिमी सुल्तानों (शिया), काबुल शाहिया राजाओं (हिन्दू) और कश्मीर का नाम प्रमुखता से आता है। भारत में इस्लामी शासन लाने और आक्रमण के दौरान लूटपाट मचाने के कारण भारतीय हिन्दू समाज में उनको एक आक्रामक शासक के रूप में जाना जाता है। वह पिता के वंश से तुर्क था पर उसने फ़ारसी भाषा के पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाँलांकि उसके दरबारी कवि फ़िरदौसी ने शाहनामे की रचना की पर वो हमेशा कवि का समर्थक नहीं रहा था। ग़ज़नी, जो मध्य अफ़गानिस्तान में स्थित एक छोटा शहर था, को उन्होंने साम्राज्य के धनी और प्रांतीय शहर के रूप में बदल गया। बग़दाद के इस्लामी (अब्बासी) ख़लीफ़ा ने उनको सुल्तान की पदवी दी। .

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मंसूर अल हल्लाज

मंसूर अल हल्लाज को फांसी दिये जाने का चित्रण मंसूर अल हल्लाज (858 – मार्च 26, 922) एक कवि और तसव्वुफ़ (सूफ़ी) के प्रवर्तक विचारकों में से एक थे जिनको सन ९२२ में अब्बासी ख़लीफ़ा अल मुक़्तदर के आदेश पर बहुत पड़ताल करने के बाद फ़ांसी पर लटका दिया गया था। इनको अन अल हक़्क़ (मैं सच हूँ) के नारे के लिए भी जाना जाता है जो भारतीय अद्वैत सिद्धांत के अहं ब्रह्मास्मि के बहुत क़रीब है। .

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मुम्बई

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .

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मुंबई समाचार

मुंबई समाचार (Gujarati:મુંબઈ સમાચાર) भारत में प्रकाशित होने वाला गुजराती भाषा का एशिया के सब से पुराने वर्तमानपत्रों में से एक और गुजराती का प्रथम समाचार पत्र (अखबार) है। इसका मुख्यालय मुंबई में है। इस्वीसन १८२२ में इसके प्रकाशन की शरुआत हुई थी। अहमदाबाद, वड़ोदरा, बंगलौर और नयी दिल्ली में इसकी शाखाएँ हैं। ये भारत सरकार के समाचारपत्रों के पंजीयक कार्यालय द्वारा आरएनआई क्रमांक से पंजीकृत है। .

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मुंबई की जनसांख्यिकी

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मौलाना आजाद राष्ट्रीय छात्रवृति योजना

मौलाना आजाद राष्ट्रीय छात्रवृति योजना शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गो विशेषत अल्पसंख्यकों में और सामान्यत कमजोर वर्गों के लाभ के लिए शैक्षिक योजनाओं को तैयार व कार्यान्वित करना है 'जिसके तहत उन मेधावी छात्राओं की पहचान करना बढावा तथा सहायता देना जो वित्तीय सहायता के बिना अपनी शिक्षा जारी नहीं रख सकती है' .

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मेहर जेसिया

मेहर जेसिया को उनके विवाह पश्चात नाम मेहर जेसिया रामपाल के द्वारा भी जाना जाता है। वह पूर्व मिस इंडिया और सुपर मॉडल हैं। .

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यशोवर्मन (कन्नौज नरेश)

हिमालय.jpg himalaya यशोवर्मन का राज्यकाल ७०० से ७४० ई० के बीच में रखा जा सकता है। कन्नौज उसकी राजधानी थी। कान्यकुब्ज (कन्नौज) पर इसके पहले हर्ष का शासन था जो बिना उत्तराधिकारी छोड़े ही मर गये जिससे शक्ति का 'निर्वात' पैदा हुआ। यह भी संभ्भावना है कि उसे राज्याधिकार इससे पहले ही ६९० ई० के लगभग मिला हो। यशोवर्मन्‌ के वंश और उसके प्रारंभिक जीवन के विषय में कुछ निश्चयात्मक नहीं कहा जा सकता। केवल वर्मन्‌ नामांत के आधार पर उसे मौखरि वंश से संबंधित नहीं किया जा सकता। जैन ग्रंथ बप्प भट्ट, सूरिचरित और प्रभावक चरित में उसे चंद्रगुप्त मौर्य का वंशज कहा गया है किंतु यह संदिग्ध है। उसका नालंदा अभिलेख इस विषय पर मौन है। गउडवहो में उसे चंद्रवंशी क्षत्रिय कहा गया है। गउडवहो में यशोवर्मन्‌ की विजययात्रा का वर्णन है। सर्वप्रथम इसके बाद बंग के नरेश ने उसकी अधीनता स्वीकार की। दक्षिणी पठार के एक नरेश को अधीन बनाता हुआ, मलय पर्वत को पार कर वह समुद्रतट तक पहुँचा। उसने पारसीकों (पारसी) को पराजित किया और पश्चिमी घाट के दुर्गम प्रदेशों से भी कर वसूल किया। नर्मदा नदी पहुँचकर, समुद्रतट के समीप से वह मरू देश पहुँचा। तत्पश्चात्‌ श्रीकंठ (थानेश्वर) और कुरूक्षेत्र होते हुए वह अयोध्या गया। मंदर पर्वत पर रहनेवालों को अधीन बनाता हुआ वह हिमालय पहुँचा और अपनी राजधानी कन्नौज लौटा। इस विरण में परंपरागत दिग्विजय का अनुसरण दिखलाई पड़ता है। पराजित राजाओं का नाम न देने के कारण वर्णन संदिग्ध लगता है। यदि मगध के पराजित नरेश को ही गौड़ के नरेश स्वीकार कर लिया जाय तो भी इस मुख्य घटना को ग्रंथ में जो स्थान दिया गया है वह अत्यल्प है। किंतु उस युग की राजनीतिक परिस्थिति में ऐसी विजयों को असंभव कहकर नहीं छोड़ा जा सकता। अन्य प्रमाणों से विभिन्न दिशाओं में यशोवर्मन्‌ की कुछ विजयों का संकेत और समर्थन प्राप्त होता है। नालंदा के अभिलेख में भी उसकी प्रभुता का उल्लेख है। अभिलेख का प्राप्तिस्थान मगध पर उसके अधिकार का प्रमाण है। चालुक्य अभिलेखों में सकलोत्तरापथनाथ के रूप में संभवत: उसी का निर्देश है और उसी ने चालुक्य युवराज विजयादित्य को बंदी बनाया था। अरबों का कन्नौज पर आक्रमण सभवत: उसी के कारण विफल हुआ। कश्मीर के ललितादित्य से भी आरंभ में उसके संबंध मैत्रीपूर्ण थे और संभवत: दोनों ने अरब और तिब्बत के विरूद्ध चीन की सहायता चाही हो किंतु शीघ्र ही ललितादित्य और यशोवर्मन्‌ की महत्वाकांक्षाओं के फलस्वरूप दीर्घकालीन संघर्ष हुआ। संधि के प्रयत्न असफल हुए और यशोंवर्मन्‌ पराजित हुआ। संभवत: युद्ध में यशोवर्मन्‌ की मृत्यु नहीं हुई थी, फिर भी इतिहास के लिये उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। यशेवर्मन्‌ ने भवभूति और वाक्पतिराज जैसे प्रसिद्ध कवियों को आश्रय दिया था। वह स्वयं कवि था। सुभाषित ग्रथों के कुछ पद्यों और रामाभ्युदय नाटक का रचयिता कहा जाता है। उसने मगध में अपने नाम से नगर बसाया था। उसका यश गउडवहो और राजतरंगिणी के अतिरिक्त जैन ग्रंथ प्रभावक चरित, प्रबंधकोष और बप्पभट्ट चरित एवं उसके नालंदा के अभिलेख में परिलक्षित होता है। कश्मीर से यशोवर्मा के नाम के सिक्के प्राप्त होते हैं। यशोवर्मा के संबंध में विद्वानों ने अटकलबाजियाँ लगाई थीं। कुछ ने उसे कन्नौज का यशोवर्मन्‌ ही माना है। किंतु अब इसमें संदेह नहीं रह गया है कि यशोवर्मा कश्मीर के उत्पलवंशीय नरेश शंकरवर्मन का ही दूसरा नाम था। .

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रतन नवल टाटा

रतन नवल टाटा (28 दिसंबर 1937, को मुम्बई, में जन्मे) टाटा समुह के वर्तमान अध्यक्ष, जो भारत की सबसे बड़ी व्यापारिक समूह है, जिसकी स्थापना जमशेदजी टाटा ने की और उनके परिवार की पीढियों ने इसका विस्तार किया और इसे दृढ़ बनाया। 1971 में रतन टाटा को राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड (नेल्को) का डाईरेक्टर-इन-चार्ज नियुक्त किया गया, एक कंपनी जो कि सख्त वित्तीय कठिनाई की स्थिति में थी। रतन ने सुझाव दिया कि कम्पनी को उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के बजाय उच्च-प्रौद्योगिकी उत्पादों के विकास में निवेश करना चाहिए जेआरडी नेल्को के ऐतिहासिक वित्तीय प्रदर्शन की वजह से अनिच्छुक थे, क्यों कि इसने पहले कभी नियमित रूप से लाभांश का भुगतान नहीं किया था। इसके अलावा, जब रतन ने कार्य भार संभाला, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स नेल्को की बाज़ार में हिस्सेदारी २% थी और घाटा बिक्री का ४०% था। फिर भी, जेआरडी ने रतन के सुझाव का अनुसरण किया। 1972 से 1975 तक, अंततः नेल्को ने अपनी बाज़ार में हिस्सेदारी २०% तक बढ़ा ली और अपना घाटा भी पूरा कर लिया। लेकिन 1975 में, भारत की प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने आपात स्थिति घोषित कर दी, जिसकी वजह से आर्थिक मंदी आ गई। इसके बाद 1977 में यूनियन की समस्यायें हुईं, इसलिए मांग के बढ़ जाने पर भी उत्पादन में सुधार नहीं हो पाया। अंततः, टाटा ने यूनियन की हड़ताल का सामना किया, सात माह के लिए तालाबंदी (lockout) कर दी गई। रतन ने हमेशा नेल्को की मौलिक दृढ़ता में विश्वास रखा, लेकिन उद्यम आगे और न रह सका। 1977 में रतन को Empress Mills सोंपा गया, यह टाटा नियंत्रित कपड़ा मिल थी। जब उन्होंने कम्पनी का कार्य भार संभाला, यह टाटा समुह की बीमार इकाइयों में से एक थी। रतन ने इसे संभाला और यहाँ तक की एक लाभांश की घोषणा कर दी। चूँकि कम श्रम गहन उद्यमों की प्रतियोगिता ने इम्प्रेस जैसी कई उन कंपनियों को अलाभकारी बना दिया, जिनकी श्रमिक संख्या बहुत ज्यादा थी और जिन्होंने आधुनिकीकरण पर बहुत कम खर्च किया था रतन के आग्रह पर, कुछ निवेश किया गया, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। चूंकि मोटे और मध्यम सूती कपड़े के लिए बाजार प्रतिकूल था (जो कि एम्प्रेस का कुल उत्पादन था), एम्प्रेस को भारी नुकसान होने लगा। बॉम्बे हाउस, टाटा मुख्यालय, अन्य ग्रुप कंपनिओं से फंड को हटाकर ऐसे उपक्रम में लगाने का इच्छुक नहीं था, जिसे लंबे समय तक देखभाल की आवश्यकता हो। इसलिए, कुछ टाटा निर्देशकों, मुख्यतः नानी पालखीवाला (Nani Palkhivala) ने ये फैसला लिया कि टाटा को मिल समाप्त कर देनी चाहिए, जिसे अंत में 1986 में बंद कर दिया गया। रतन इस फैसले से बेहद निराश थे और बाद में हिन्दुस्तान टाईम्स के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने दावा किया कि एम्प्रेस को मिल जारी रखने के लिए सिर्फ़ ५० लाख रुपये की जरुरत थी। वर्ष 1981 में, रतन टाटा इंडस्ट्री््ज और समूह की अन्य होल्डिंग कंपनियों के अध्यक्ष बनाए गए, जहाँ वे समूह के कार्यनीतिक विचार समूह को रूपांतरित करने के लिए उत्तरदायी तथा उच्च प्रौद्योगिकी व्यापारों में नए उद्यमों के प्रवर्तक थे। 1991 में उन्होंने जेआरडी से ग्रुप चेयर मेन का कार्य भार संभाला.

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रतनजी टाटा

सर रतनजी टाटा (२० जनवरी १८७१ ई. - ५ सितंबर १९१८ ई.) भारत के सुविख्यात पारसी उद्योगपति और जनसेवी जमशेदजी नासरवान जी टाटा के पुत्र। उन्होने भारत में टाटा समूह के विकास में एक निर्णायक भूमिका निभाई थी। .

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रुस्तम (फ़िल्म)

रुस्तम (अंग्रेजी:Rustom) वर्ष २०१६ की एक भारतीय हिन्दी भाषी फ़िल्म है जिनका निर्देशन टीनू सुरेश देसाई ने किया है जबकि फ़िल्म के लेखक विपुल के॰ रावल है। फ़िल्म में मुख्य किरदार अक्षय कुमार तथा इलियाना डी'क्रूज़ है। यह फ़िल्म एक सत्य घटना के विषय पर है, जो महाराष्ट्र के एक नेवी अधिकारी के॰ एम॰ नानावती पर आंशिक तौर पर आधारित है। फ़िल्म सिनेमाघरों में १२ अगस्त २०१६ को प्रदर्शित होगी। .

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सर सोराबजी पोचखानवाला

सर सोराबजी पोचखानवाला (अंग्रेजी: Sir Sorabji Pochkhanawala, जन्म: 9 अगस्त 1881, मृत्यु: 4 जुलाई 1937) एक भारतीय पारसी बैंकर थे। स्वदेशी आन्दोलन से प्रभावित होकर उन्होंने 102 वर्ष पूर्व 1911 में सेण्ट्रल बैंक ऑफ़ इण्डिया की स्थापना की थी जो आज भारत का एक प्रमुख बैंक है। सोराबजी पोचखानवाला को उनकी बैकिंग के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के लिये ब्रिटिश राज द्वारा 1 मार्च 1935 को सर की उपाधि दी गयी थी। .

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सायरस मिस्त्री

सायरस पलोनजी मिस्त्री को टाटा समूह का नया चेयरमैन घोषित किया गया है, जो रतन टाटा की जगह लेगें। रतन टाटा 75 वर्ष की आयु में दिसम्बर 2012 में चेयरमैन पद से सेवानिवृत होंगे। सायरस मिस्त्री दिसम्बर 2012 में चेयरमैन पद को सँभालेंगे। श्रेणी:भारतीय उद्योगपति.

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साली बोटी

साली बोटी एक पारसी व्यंजन है। श्रेणी:पश्चिम भारत का खाना श्रेणी:पारसी खाना.

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सांप्रदायिक अधिनिर्णय

16 अगस्त 1932 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री रामसे मैकडोनाल्ड द्वारा भारत में उच्च वर्ग, निम्न वर्ग, मुस्लिम, बौद्ध, सिख, भारतीय ईसाई, एंग्लो-इंडियन, पारसी और अछूत (दलित) आदि के लिए अलग-अलग चुनावक्षेत्र के लिए ये अवार्ड दिया। गांधीजी ने इसका विरोध किया था। इस 'पुरस्कार' के परिचय के पीछे कारण यह था कि रामसे मैकडोनाल्ड ने खुद को 'भारतीयों का दोस्त' माना था और इस तरह वे भारत के मुद्दों को हल करना चाहते थे। तीन गोलमेज सम्मेलन (भारत) के द्वितीय की विफलता के बाद 'सांप्रदायिक पुरस्कार' की घोषणा की थी। गांधी द्वारा विरोध किया गया, जो येरवाड़ा जेल में था और इसके विरोध में उपवास किया। गांधी को डर था कि यह हिंदू समाज बिखर जाएगा। हालांकि, अल्पसंख्यक समुदायों में से कई ने सांप्रदायिक पुरस्कार का समर्थन किया था, खासकर दलितों के नेता डॉ.

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सुब्रमनियन स्वामी

डॉ॰ सुब्रह्मण्यम् स्वामी (जन्म: 15 सितम्बर 1939 चेन्नई, तमिलनाडु, भारत) जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। वे सांसद के अतिरिक्त 1990-91 में वाणिज्य, विधि एवं न्याय मन्त्री और बाद में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग के अध्यक्ष भी रहे। 1994-96 के दौरान विश्व व्यापार संगठन के श्रमिक मानकों के निर्धारण में उन्होंने प्रभावी भूमिका निभायी। हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने साइमन कुजनैट्स और पॉल सैमुअल्सन के साथ कई प्रोजेक्ट्स पर शोध कार्य किया और फिर पॉल सैमुअल्सन के साथ संयुक्त लेखक के रूप में इण्डैक्स नम्बर थ्यौरी का एकदम नवीन और पथ प्रदर्शक अध्ययन प्रस्तुत किया। वे हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विजिटिंग फैकल्टी मैम्बर भी रहे हैं। वे ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने आदर्शों के लिए निर्भीक होकर संघर्ष किया है। भारत में आपातकाल के दौरान संघर्ष, तिब्बत में कैलाश-मानसरोवर यात्री मार्ग खुलवाने में उनके प्रयास, भारत-चीन सम्बन्धों में सुधार, भारत द्वारा इजरायल की राजनैतिक स्वीकारोक्ति, आर्थिक सुधार और हिन्दू पुनरुस्थान आदि अनेक उल्लेखनीय कार्य उन्होंने किये हैं। स्वामी ने स्वेच्छा से राष्ट्रहित को सर्वोपरि समझते हुए अपनी पार्टी का विलय भारतीय जनता पार्टी में कर दिया। अब वे एकनिष्ठ होकर नरेन्द्र मोदी को भारत का प्रधानमन्त्री बनाने के लिये पूरे देश में प्रचार किया और भारी बहुमत से जीत हासिल किया और भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, फिर नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद पुनः Z+ श्रेणी की सुरक्षा दे दिया गया। आजकल नेशनल हेराल्ड केस और अयोध्या राम मंदिर को लेकर चर्चा मे है। .

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स्मृति ईरानी

स्मृति ज़ुबिन ईरानी (स्मृति मल्होत्रा, पंजाबी में ਸਮ੍ਰਿਤੀ ਜੁਬੀਨ ਇਰਾਨੀ,जन्म: 23 मार्च 1976) एक भारतीय टेलीविज़न अभिनेत्री, महिला राजनीतिज्ञ और भारत सरकार के अंतर्गत कपड़ा मंत्री हैं और इससे पूर्व वे मानव संसाधन विकास मंत्री रह चुकी हैं। .

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सेण्ट्रल बैंक ऑफ़ इण्डिया

सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया (अंग्रेजी: Central Bank of India) भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का प्रमुख बैंक है जिसकी स्थापना स्वदेशी आन्दोलन से प्रभावित होकर एक पारसी बैंकर सर सोराबजी पोचखानवाला द्वारा 1911 में की गयी थी। इसे पहला भारतीय वाणिज्यिक बैंक होने का गौरव भी प्राप्त है जिसका पूर्ण स्वामित्व और प्रबन्धन स्थापना के समय भारतीयों के हाथ में था। .

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सोहराब मोदी

सोहराब मोदी हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता, निर्माता व निर्देशक और भारतीय पारसी रंगमंच के एक कलाकार थे जो स्वयं एक पारसी थे। .

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हरीरूद

हरीरूद के किनारे खड़ी जाम की मीनार हेरात शहर में हरीरूद पर बने पुल से नदी में नहाते लोगों का दृश्य हरीरूद (फ़ारसी) या हरी नदी (अंग्रेज़ी: Hari River) मध्य एशिया की एक महत्वपूर्ण नदी है। यह १,१०० किमी लम्बी नदी मध्य अफ़ग़ानिस्तान के पहाड़ों से शुरू होकर तुर्कमेनिस्तान जाती है जहाँ यह काराकुम रेगिस्तान की रेतों में जाकर सोख ली जाती है। तुर्कमेनिस्तान में इसे तेजेन या तेदझ़ेन के नाम से जाना जाता है (इसमें बिंदु-वाले 'झ़' के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह टेलिविझ़न के 'झ़' जैसा है)। .

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हिन्दू विधि

हिन्दू विधि (Hindu Law) जिन व्यक्तियो पर लागू होती है, उन्हे हम तीन मुख्य प्रवर्गो मे बाट सकते है:-.

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हौरवतात

अवस्ताई भाषा में, हौरवतात का अर्थ "पूर्वता" होता है। पारसी धर्म में एक देवी है। यह शब्द संस्कृत "सर्वतात्" जैसा है। श्रेणी:पारसी धर्म.

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हेरात

हेरात हेरात (पश्तो:, अंग्रेजी: Herat) अफ़्ग़ानिस्तान का एक नगर है और हेरात प्रान्त की राजधानी भी है। यह देश के पश्चिम में है और ऐतिहासिक महत्व के शहर है। यह वृहत ख़ोरासान क्षेत्र का हिस्सा है और सबसे बड़ा शहर भी। रेशम मार्ग पर स्थित होने के कारण यह वाणिज्य का केन्द्र रहा है जहाँ से भारत और चीन से पश्चिमी देशों का व्यापार होता रहा है। पारसी ग्रंथ अवेस्ता में इसका ज़िक्र मिलता है। ईसा के पूर्व पाँचवीं सदी के हख़ामनी काल से ही यह एक संपन्न शहर रहा है। यहाँ इस्लाम सातवीं सदी के मध्य में आया जिसके बाद कई विद्रोह हुए। हेरात हरी नदी (हरीरूद) के किनारे बसा हुआ है। .

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हेलमंद नदी

हेलमंद नदी के मार्ग का मानचित्र अफ़ग़ानिस्तान के हेलमंद प्रान्त में हेलमंद नदी एक तंग घाटी से गुज़रती हुई हेलमंद नदी पर लगा कजकी बाँध हेलमंद नदी (पश्तो: हीरमंद दरिया या हेलमंद दरिया) अफ़्गानिस्तान की सबसे लम्बी नदी है.

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हेलिक्स नेब्यूला

हेलिक्स नेब्यूला अथवा हेलिक्स निहारिका (Helix Nebula) एक ग्रहीय निहारिका है। जिसकी खोज कार्ल हार्डिंग ने सन् १८२४ में की थी। यह पृथ्वी से कुछ सबसे नज़दीकी निहारिकाओं में से एक है जो ७०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। इसका रूप आखों के समान है जिसके कारण इसकी उच्च धार्मिक महत्ता है। सामान्य बोलचाल की भाषा में इसे "ईश्वर की आँख" अथवा "सोरोन की आँख" भी कहते हैं। .

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होमी जहांगीर भाभा

होमी जहांगीर भाभा (30 अक्टूबर, 1909 - 24 जनवरी, 1966) भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होने मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है। भाभा का जन्म मुम्बई के एक सभ्रांत पारसी परिवार में हुआ था। उनकी कीर्ति सारे संसार में फैली। भारत वापस आने पर उन्होंने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया। भारत को परमाणु शक्ति बनाने के मिशन में प्रथम पग के तौर पर उन्होंने 1945 में मूलभूत विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) की स्थापना की। डा.

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जमशेदजी टाटा

जमशेदजी टाटा जमशेदजी टाटा (३ मार्च १८३९ - १९ मई १९०४)) भारत के महान उद्योगपति तथा विश्वप्रसिद्ध औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे। .

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जमशोद नौरोज़

जमशोद नौरोज़ पारसी धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्योहार है। यह पश्चिमी एशिया, मध्य एशिया, काकेशस, काला सागर बेसिन और बाल्कन में ३००० से अधिक वर्षों के लिए मनाया जाता है। यह ईरानी कैलेंडर में पहले महीने (फर्ववर्ड) के पहले दिन को चिह्नित करता है। नोरुज़, वासैनिक विषुव का दिन है, और उत्तरी गोलार्ध में वसंत की शुरुआत का प्रतीक है। यह आम तौर पर २१ मार्च या पिछले या अगले दिन होता है, इस पर निर्भर करता है कि इसे कहाँ देखा गया है। इस क्षण में सूर्य खगोलीय भूमध्य रेखा को पार करता है और रात और दिन के बराबर हर साल गणना करता है, और परिवारों को इस अनुष्ठान का पालन करने के लिए इकट्ठा होते हैं। यद्यपि ईरान और धार्मिक पारसी मूल होने के कारण, नाउरूज़ हजारों सालों से विभिन्न जातीय समाज के लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह अधिकांश धर्मों के लिए एक धर्मनिरपेक्ष अवकाश है जो कई अलग-अलग धर्मों के लोगों द्वारा आनंद उठाया जाता है, लेकिन ज़ोरोत्रियों के लिए एक पवित्र दिन बना हुआ है। श्रेणी:संस्कृति श्रेणी:धर्म श्रेणी:पारसी त्यौहार श्रेणी:धार्मिक त्यौहार .

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जॉन अब्राहम

जॉन अब्राहम (जन्म 17 दिसम्बर 1972) एक भारतीय अभिनेता और पूर्व मॉडल हैं जो बॉलीवुड की फिल्मों में दिखाई देते हैं। कई विज्ञापनों और कंपनियों के लिए मॉडलिंग करने के बाद, अब्राहम ने जिस्म (2003) से अपना फ़िल्मी सफ़र प्रारंभ किया, जिसने उन्हें फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ नवागत पुरस्कार नामांकन दिलाया। इसके बाद उन्हें अपनी पहली व्यावसायिक सफलता धूम (2004) के द्वारा मिली उन्हें नकारात्मक भूमिका के लिए दो फ़िल्म फेयर नामांकन प्राप्त हुए, धूम और फिर जिंदा (2006) में बाद में वह एक बड़ी महत्वपूर्ण सफल फिल्म वाटर (2005) में दिखाई दिए। 2007 में फ़िल्म बाबुल के लिए उनका नामांकन फ़िल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक की श्रेणी में किया गया। .

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ईरान

ईरान (جمهوری اسلامی ايران, जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन १९३५ तक फारस नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फारसी, अजरबैजान, कुर्द और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं .

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ईरान का इतिहास

सुसा में दारुश (दारा) के महल के बाहर बने "अमर सेनानी"। यह उपाधि कुछ चुनिन्दा सैनिकों को दी जाती थी जो महल रक्षा तथा साम्राज्य विस्तार में प्रमुख माने जाते थे। ईरान का पुराना नाम फ़ारस है और इसका इतिहास बहुत ही नाटकीय रहा है जिसमें इसके पड़ोस के क्षेत्र भी शामिल रहे हैं। इरानी इतिहास में साम्राज्यों की कहानी ईसा के ६०० साल पहले के हख़ामनी शासकों से शुरु होती है। इनके द्वारा पश्चिम एशिया तथा मिस्र पर ईसापूर्व 530 के दशक में हुई विजय से लेकर अठारहवीं सदी में नादिरशाह के भारत पर आक्रमण करने के बीच में कई साम्राज्यों ने फ़ारस पर शासन किया। इनमें से कुछ फ़ारसी सांस्कृतिक क्षेत्र के थे तो कुछ बाहरी। फारसी सास्कृतिक प्रभाव वाले क्षेत्रों में आधुनिक ईरान के अलावा इराक का दक्षिणी भाग, अज़रबैजान, पश्चिमी अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान का दक्षिणी भाग और पूर्वी तुर्की भी शामिल हैं। ये सब वो क्षेत्र हैं जहाँ कभी फारसी सासकों ने राज किया था और जिसके कारण उनपर फारसी संस्कृति का प्रभाव पड़ा था। सातवीं सदी में ईरान में इस्लाम आया। इससे पहले ईरान में जरदोश्त के धर्म के अनुयायी रहते थे। ईरान शिया इस्लाम का केन्द्र माना जाता है। कुछ लोगों ने इस्लाम कबूल करने से मना कर दिया तो उन्हें यातनाएं दी गई। इनमें से कुछ लोग भाग कर भारत के गुजरात तट पर आ गए। ये आज भी भारत में रहते हैं और इन्हें पारसी कहा जाता है। सूफ़ीवाद का जन्म और विकास ईरान और संबंधित क्षेत्रों में ११वीं सदी के आसपास हुआ। ईरान की शिया जनता पर दमिश्क और बग़दाद के सुन्नी ख़लीफ़ाओं का शासन कोई ९०० साल तक रहा जिसका असर आज के अरब-ईरान रिश्तों पर भी देखा जा सकता है। सोलहवीं सदी के आरंभ में सफ़वी वंश के तुर्क मूल लोगों के सत्ता में आने के बाद ही शिया लोग सत्ता में आ सके। इसके बाद भी देश पर सुन्नियों का शासन हुआ और उन शासकों में नादिर शाह तथा कुछ अफ़ग़ान शासक शामिल हैं। औपनिवेशक दौर में ईरान पर किसी यूरोपीय शक्ति ने सीधा शासन तो नहीं किया पर अंग्रेज़ों तथा रूसियों के बीच ईरान के व्यापार में दखल पड़ा। १९७९ की इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान की राजनैतिक स्थिति में बहुत उतार-चढ़ाव आता रहा है। ईराक के साथ युद्ध ने भी देश को इस्लामिक जगत में एक अलग जगह पर ला खड़ा किया है। २३ जनवरी २००८ .

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ईरानी

ईरानी भारतीय उपमहाद्वीप में फैले एक नस्ली वर्ग को कहते हैं जो पिछले 1000 सालों में यहाँ आए हैं। अक्सर ईरानियों को पारसियों के समान समझने की भूल की जाती है। पारसी वो लोग हैं जो 1000 साल के पहले भारत में आए जबकि ईरानी वो लोग हैं जो उसके बाद आए। इन दोनों में इतनी समानता है कि वे ज़रथुष्ट्र के अनुयायी थे और इस्लाम की प्रताड़ना के बचने के लिए भारत आए। ईरानी लोग खासकर 1830 के बाद आए जब ईरान में क़जर राजवंश के समय गैर-मुसलमानों को सताया जाने लगा। अधिकांश ईरानी, भारत में मुम्बई और पाकिस्तान में कराँची के आसपास रहते हैं। .

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विकीर्णन (डायसपोरा)

विकीर्णन या डायस्पोरा (diaspora) से आशय है -किसी भौगोलिक क्षेत्र के मूल वासियों का किसी अन्य बहुगोलिक क्षेत्र में प्रवास करना (विकीर्ण होना)। किन्तु डायसपोरा का विशेष अर्थ ऐतिहासिक अनैच्छिक प्रकृति के बड़े पैमाने वाले विकीर्ण, जैसे जुडा से यहूदियों का निष्कासन। .

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वेद

वेद प्राचीन भारत के पवितत्रतम साहित्य हैं जो हिन्दुओं के प्राचीनतम और आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। भारतीय संस्कृति में वेद सनातन वर्णाश्रम धर्म के, मूल और सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं, जो ईश्वर की वाणी है। ये विश्व के उन प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथों में हैं जिनके पवित्र मन्त्र आज भी बड़ी आस्था और श्रद्धा से पढ़े और सुने जाते हैं। 'वेद' शब्द संस्कृत भाषा के विद् शब्द से बना है। इस तरह वेद का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान के ग्रंथ' है। इसी धातु से 'विदित' (जाना हुआ), 'विद्या' (ज्ञान), 'विद्वान' (ज्ञानी) जैसे शब्द आए हैं। आज 'चतुर्वेद' के रूप में ज्ञात इन ग्रंथों का विवरण इस प्रकार है -.

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गुलिस्ताँ

गुलाब के बाग में शेख शादी गुलिस्ताँ (पारसी: گلستان) फारसी के प्रसिद्ध कवि शेख शादी की रचना है। इसकी रचना सन् १२५९ में हुई थी। .

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आतिश बेहराम

अब भारत में पारसियों को जहां भी कहीं प्रार्थना स्थल है, उसे आतिश बेहराम कहा जाता है। आतिश इसलिए की पारसी धर्म के लोग अग्नि पूजक है। फारसी में आतिश का अर्थ अग्नि होता है। अंग्रेज़ी इसे फ़ायर टेम्पल (fire temple) भी कह सकते हैं। श्रेणी:पारसी धर्म.

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आर्थर कॉनन डॉयल

सर आर्थर इग्नाशियस कॉनन डॉयल, डीएल (22 मई 1859 - जुलाई 7, 1930) एक स्कॉटिश चिकित्सक और लेखक थे जिन्हें अधिकतर जासूस शरलॉक होम्स की उनकी कहानियों (इन कहानियों को आम तौर पर काल्पनिक अपराध कथा के क्षेत्र में एक प्रमुख नवप्रवर्तन के तौर पर देखा जाता है) और प्रोफ़ेसर चैलेंजर के साहसिक कारनामों के लिए जाना जाता है। वह विज्ञान कल्पना कथाएँ, ऐतिहासिक उपन्यासों, नाटकों और रोमांस, कविता और विभिन्न कल्पना साहित्य के एक विपुल लेखक थे। वे एक सफल लेखक थे जिनकी अन्य रचनाओं में काल्पनिक विज्ञान कथाएं, ऐतिहासिक उपन्यास, नाटक एवं रोमांस, कविता और गैर-काल्पनिक कहानियां शामिल हैं। .

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इन्दिरा गांधी

युवा इन्दिरा नेहरू औरमहात्मा गांधी एक अनशन के दौरान इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी (जन्म उपनाम: नेहरू) (19 नवंबर 1917-31 अक्टूबर 1984) वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं। .

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कडपा

कडपा भारत के आंध्रप्रदेश राज्य के दक्षिण-मध्य में स्थित एक शहर है। यह कडपा जिला का जिला मुख्यालय भी है। कड़पा शब्द की उत्पत्ति तेलुगु शब्द गडपा से हुई है जिसका अर्थ द्वार होता है। पहले ये कड़प्पा नाम से जाना जाता था बाद में कड़पा हो गया। मध्यकाल कड़पा अनेक महापुरूषों के लिए जाना जाता था। वेमना, पोतुलूरी वीराब्रह्मम, अन्नमाचार्य, पेम्मसानी तिम्मा नायुडु जैसे महापुरूष यहीं पैदा हुए। कड़पा आंध्रप्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र का मशहूर शहर है। यह आंध्रप्रदेश के दक्षिण मध्य में स्थित है। यह पेन्ना नदी से आठ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यह शहर तीन ओर से नल्लमला और पालकोंडा पहाड़ियों से घिरा है। इस शहर को द्वार भी कहा जाता है। दरअसल यह उत्तर से तिरूपती स्थित भगवान श्री वेंकटेश्वर की पवित्र पहाड़ी पगोडा आने वाले लोगों के लिए द्वार जैसा है। रामायण के सात कांडों में एक किष्किंधकांड, कडपा के वोंटिमिट्टा में हुई घटना माना जाता है। वोंतमित्ता कड़पा शहर से बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां का आंजनेय स्वामी गांडी भी रामायण का हिस्सा माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री राम ने अपने बाण से गांडी पर आंजनेय स्वामी विग्रहम बनाया था, जो श्री सीता की खोज में आंजनेय हनुमान से सहायता मांगने का प्रतीक है। कडपा अपने इतिहास में विभिन्न शासकों के अधीन रहा है, जिनमें निजाम और चोला, विजयनगर साम्राज्य और मैसूर साम्राज्य शामिल हैं। यह अपने मसालेदार व्यंजन के लिए भी जाना जाता है। .

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कराची

कराची पाकिस्तान का सबसे बड़ा नगर है और सिन्ध प्रान्त की राजधानी है। यह अरब सागर के तट पर बसा है और पाकिस्तान का सबसे बड़ा बन्दरगाह भी है। इसके उपनगरों को मिलाकर यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह 3527 वर्ग किलोमीटर में फैला है और करीब 1.45 करोड़ लोगों का घर है। यहाँ के निवासी इस शहर की ज़िन्दादिली की वजह से इसे रौशनियों का शहर और क़ैद-ए-आज़म जिन्ना का निवास स्थान होने की वजह से इसे शहर-ए-क़ैद कह कर बुलाते हैं। जिन्‍नाह की जन्‍मस्‍थली के लिए प्रसिद्ध कराची पाकिस्‍तान के सिंध प्रांत की राजधानी है। यह पाकिस्‍तान का सबसे बड़ा शहर है। अरब सागर के तट पर बसा कराची पाकिस्‍तान की सांस्‍कृतिक, आर्थिक और शैक्षणिक राजधानी मानी जाती है। यह पाकिस्‍तान का सबसे बड़ा बंदरगाह शहर भी है। यह शहर पाकिस्‍तान आने वाले पर्यटकों के बीच भी खासा लोकप्रिय है। पर्यटक यहां बीच, म्‍यूजियम और मस्जिद आदि देख सकते हैं। आज के पाकिस्तानी भूभाग का मानवीय इतिहास कम से कम 5000 साल पुराना है, यद्यपि इतिहास पाकिस्तान शब्द का जन्म सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली के द्वारा हुआ। आज का पाकिस्तानी भूभाग कई संस्कृतियों का गवाह रहा है। ईसापूर्व 3300-1800 के बीच यहाँ सिन्धुघाटी सभ्यता का विकास हुआ। यह विश्व की चार प्राचीन ताम्र-कांस्यकालीन सभ्यताओं में से एक थी। इसका क्षेत्र सिन्धु नदी के किनारे अवस्थित था पर गुजरात (भारत) और राजस्थान में भी इस सभ्यता के अवशेष पाए गए हैं। मोहेन्जो-दारो, हड़प्पा इत्यादि स्थल पाकिस्तान में इस सभ्यता के प्रमुख अवशेष-स्थल हैं। इस सभ्यता के लोग कौन थे इसके बारे में विद्वानों में मतैक्य नहीं है। कुछ इसे आर्यों की पूर्ववर्ती शाखा कहते हैं तो कुछ इसे द्रविड़। कुछ इसे बलोची भी ठहराते हैं। इस मतभेद का एक कारण सिन्धु-घाटी सभ्यता की लिपि का नहीं पढ़ा जाना भी है। ऐसा माना जाता है कि 1500 ईसापूर्व के आसपास आर्यों का आगमन पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों के मार्फ़त भारत में हुआ। आर्यों का निवास स्थान कैस्पियन सागर के पूर्वी तथा उत्तरी हिस्सों में माना जाता है जहाँ से वे इसी समय के करीब ईरान, यूरोप और भारत की ओर चले गए थे। सन् 543 ईसापूर्व में पाकिस्तान का अधिकांश इलाका ईरान (फारस) के हख़ामनी साम्राज्य के अधीन आ गया। लेकिन उस समय इस्लाम का उदय नहीं हुआ था; ईरान के लोग ज़रदोश्त के अनुयायी थे और देवताओं की पूजा करते थे। सन् 330 ईसापूर्व में मकदूनिया (यूनान) के विजेता सिकन्दर ने दारा तृतीय को तीन बार हराकर हखामनी वंश का अन्त कर दिया। इसके कारण मिस्र से पाकिस्तान तक फैले हखामनी साम्राज्य का पतन हो गया और सिकन्दर पंजाब तक आ गया। ग्रीक स्रोतों के मुताबिक उसने सिन्धु नदी के तट पर भारतीय राजा पुरु (ग्रीक - पोरस) को हरा दिया। पर उसकी सेना ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया और वह भारत में प्रवेश किये बिना वापस लौट गया। इसके बाद उत्तरी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में यूनानी-बैक्ट्रियन सभ्यता का विकास हुआ। सिकन्दर के साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बाँट लिया। सेल्युकस नेक्टर सिकन्दर के सबसे शक्तिशाली उत्तराधिकारियों में से एक था। मौर्यों ने 300 ईसापूर्व के आसपास पाकिस्तान को अपने साम्राज्य के अधीन कर लिया। इसके बाद पुनः यह ग्रीको-बैक्ट्रियन शासन में चला गया। इन शासकों में सबसे प्रमुख मिनांदर ने बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया। पार्थियनों के पतन के बाद यह फारसी प्रभाव से मुक्त हुआ। सिन्ध के राय राजवंश (सन् 489-632) ने इसपर शासन किया। इसके बाद यह उत्तर भारत के गुप्त और फारस के सासानी साम्राज्य के बीच बँटा रहा। सन् 712 में फारस के सेनापति मुहम्मद बिन क़ासिम ने सिन्ध के राजा को हरा दिया। यह फारसी विजय न होकर इस्लाम की विजय थी। बिन कासिम एक अरब था और पूर्वी ईरान में अरबों की आबादी और नियंत्रण बढ़ता जा रहा था। हालांकि इसी समय केन्द्रीय ईरान में अरबों के प्रति घृणा और द्वेष बढ़ता जा रहा था पर इस क्षेत्र में अरबों की प्रभुसत्ता स्थापित हो गई थी। इसके बाद पाकिस्तान का क्षेत्र इस्लाम से प्रभावित होता चला गया। पाकिस्तानी सरकार के अनुसार इसी समय 'पाकिस्तान की नींव' डाली गई थी। इसके 1192 में दिल्ली के सुल्तान पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद ही दिल्ली की सत्ता पर फारस से आए तुर्कों, अरबों और फारसियों का नियंत्रण हो गया। पाकिस्तान दिल्ली सल्तनत का अंग बन गया। सोलहवीं सदी में मध्य-एशिया से भाग कर आए हुए बाबर ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया और पाकिस्तान मुगल साम्राज्य का अंग बन गया। मुगलों ने काबुल तक के क्षेत्र को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। अठारहवीं सदी के अन्त तक विदेशियों (खासकर अंग्रेजों) का प्रभुत्व भारतीय उपमहाद्वीप पर बढ़ता गया.

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कर्नूल

कर्नूल, आंध्रप्रदेश राज्य के बड़े शहरों में से एक है। यह तुंगभद्रा नदी के किनारे बसा है। आंध्र प्रदेश के अवरतण के पूर्व कर्नूल नवंबर १, १९५६ तक आंध्र राष्ट्र का राजधानी रहा। कर्नूल भारत आंध्र प्रदेश के करनूल जिले का मुख्यालय है। शहर को अक्सर रायलसीमा के गेटवे के रूप में जाना जाता है। यह 1 अक्टूबर 1953 से 31 अक्टूबर 1956 तक आंध्र राज्य की राजधानी था। 2011 जनगणना के अनुसार, यह 460,184 की आबादी वाला राज्य का पांचवां सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। http://ourkmc.com/Circulars/files/50__Binder1.pdf .

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कोच्चि

कोच्चि, जिसे कोचीन भी कहा जाता था, लक्षद्वीप सागर के दक्षिण-पश्चिम तटरेखा पर स्थित एक बड़ा बंदरगाह शहर है, जो भारतीय राज्य केरल के एर्नाकुलम जिले का एक भाग है। कोच्चि को काफ़ी समय से प्रायः एर्नाकुलम भी कहा जाता है, जिसका अर्थ नगर का मुख्यभूमि भाग इंगित करता है। कोच्चि नगर निगम के अधीनस्थ (जनसंख्या ६,०१,५७४) ये राज्य का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला शहर है। ये कोच्चि महानगरीय क्षेत्र के विस्तार सहित (जनसंख्या २१ लाख) केरल राज्य का सबसे बड़ा शहरी आबादी क्षेत्र है। कोच्चि नगर ग्रेटर कोच्चि क्षेत्र का ही एक भाग है, और इसे भारत सरकार द्वारा द्वितीय दर्जे वाला शहर वर्गीकृत किया गया है। नगर की देख-रेख व अनुरक्षण दायित्त्व १९६७ में स्थापित हुआ कोच्चि नगर निगम देखता है। इसके अलावा पूरे क्षेत्र के सर्वांगीण विकास का भार ग्रेटर कोचीन डवलपमेंट अथॉरिटी (GCDA) एवं गोश्री आईलैण्ड डवलपमेंट अथॉरिटी (GIDA) पर है। कोच्चि १४वीं शताब्दी से ही भारत की पश्चिमी तटरेखा का मसालों का व्यापार केन्द्र रहा है और इसे अरब सागर की रानी के नाम से जाना जाता था। १५०३ में यहां पुर्तगालियों का आधिपत्य हुआ और यह उपनिवेशीय भारत की प्रथम यूरोपीय कालोनी बना और १५३० में गोवा के चुने जाने तक ये पुर्तगालियों का यहां का प्रधान शक्ति केन्द्र रहा था।क्कालांतर में कोच्चि राज्य के रजवाड़े में परिवर्तित होने के क्साथ ही ये डच एवं ब्रिटिश के नियन्त्रण में आ गया। आज केरल में कुल अन्तर्देशीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों के आगमन संख्या में प्रथम स्थान बनाये हुए है। नीलसन कम्पनी के आउटलुक ट्रैवलर पत्रिका के लिये किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार कोच्चि आज भी भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटक आकर्षणों में छठवें स्थान पर बना हुआ है। मैकिन्से ग्लोबल संस्थान द्वारा किये गए एक शोध के अनुसार, कोच्चि २०२५ तक के विश्व के सकल घरेलु उत्पाद में ५०% योगदान देने वाले ४४० उभरते हुए शहरों में से एक था। भारतीय नौसेना के दक्षिणी नौसैनिक कमान का केन्द्र तथा भारतीय तटरक्षक का राज्य मुख्यालय भी इसी शहर में स्थित है, जिसमें एयर स्क्वैड्रन ७४७ नाम की एक वायु टुकड़ी भी जुड़ी है। नगर के वाणिज्यिक सागरीय गतिविधियों से सम्बन्धित सुविधाओं में कोच्चि बंदरगाह, अन्तर्राष्ट्रीय कण्टेनर ट्रांस्शिपमेण्ट टर्मिनल, कोचीन शिपयार्ड, कोच्चि रिफ़ाइनरीज़ का अपतटीय (ऑफ़शोर) सिंगल बॉय मूरिंग (एस.पी.एम), एवं कोच्चि मैरीना भी हैं। कोच्चि में ही कोचीन विनिमय एक्स्चेंज, इंटरनेशनल पॅपर एक्स्चेंज भी स्थित हैं, तथा हिन्दुस्तान मशीन टूल्स (एच.एम.टी), सायबर सिटी, एवं किन्फ़्रा हाई-टेक पाक एवं बड़ी रासायनिक निर्माणियां जैसे फ़र्टिलाइज़र्स एण्ड कैमिकल्स त्रावणकौर (फ़ैक्ट), त्रावणकौर कोचीन कैमिकल्स (टीसीसी), इण्डियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (आई.आर.ई.एल), हिन्दुस्तान ऑर्गैनिक कैमिकल्स लिमिटेड (एच.ओ.सी.एल) कोच्चि रिफ़ाइनरीज़ के साथ साथ ही कई विद्युत कंपनियां जैसे टी.ई.एल.के एवं औद्योगिक पार्क भी बने हैं जिनमें कोचीन एपेशल इकॉनोमिक ज़ोन एवं इन्फ़ोपार्क कोच्चि प्रमुख हैं। कोच्चि में ही प्रमुख राज्य न्यायपीठ केरल एवं लक्षद्वीप उच्च न्यायालय एवं कोचीन युनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी भी स्थापित हैं। इसी नगर में केरल का नेशनल लॉ स्कूल, नेशनल युनिवर्सिटी ऑफ़ एडवांस्ड लीगल स्टडीज़ को भी स्थान मिला है। .

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कोलकाता

बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से १८० किलोमीटर दूर हुगली नदी के बायें किनारे पर स्थित कोलकाता (बंगाली: কলকাতা, पूर्व नाम: कलकत्ता) पश्चिम बंगाल की राजधानी है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर तथा पाँचवा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। यहाँ की जनसंख्या २ करोड २९ लाख है। इस शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके आधुनिक स्वरूप का विकास अंग्रेजो एवं फ्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा है। आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएँ अपने आप में समेटे हुए है। शहर को जहाँ भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रारम्भिक केन्द्र बिन्दु के रूप में पहचान मिली है वहीं दूसरी ओर इसे भारत में साम्यवाद आंदोलन के गढ़ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। महलों के इस शहर को 'सिटी ऑफ़ जॉय' के नाम से भी जाना जाता है। अपनी उत्तम अवस्थिति के कारण कोलकाता को 'पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है। यह रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। यह प्रमुख यातायात का केन्द्र, विस्तृत बाजार वितरण केन्द्र, शिक्षा केन्द्र, औद्योगिक केन्द्र तथा व्यापार का केन्द्र है। अजायबघर, चिड़ियाखाना, बिरला तारमंडल, हावड़ा पुल, कालीघाट, फोर्ट विलियम, विक्टोरिया मेमोरियल, विज्ञान नगरी आदि मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। कोलकाता के निकट हुगली नदी के दोनों किनारों पर भारतवर्ष के प्रायः अधिकांश जूट के कारखाने अवस्थित हैं। इसके अलावा मोटरगाड़ी तैयार करने का कारखाना, सूती-वस्त्र उद्योग, कागज-उद्योग, विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग उद्योग, जूता तैयार करने का कारखाना, होजरी उद्योग एवं चाय विक्रय केन्द्र आदि अवस्थित हैं। पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है। .

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अनु आगा

अनु आगा (Anu Aga) भारत की वरिष्ठ सदन राज्यसभा के सदस्य हैं और सामाजिक कार्यकता है। वह आठ सबसे अमीर भारतीय महिलाओं में से एक थीं, और २००७ में फोर्ब्स पत्रिका के मुताबिक नेट रिटेल में ४० सबसे ज्यादा आमिर भारतीयों में से एक थी। उन्हें एसोचैम की सभी महिला विंग, आल लेडीज लीग द्वारा दी डैकेड अचीवर्स अवॉर्ड के मुंबई महिला से सम्मानित किया गया। 2010 में उन्हें भारत सरकार द्वारा सामाजिक कार्य के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया। वह हाल ही में "टीच फॉर इंडिया" के अध्यक्ष चुनी गयी हैं। .

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अफगानिस्तान में हिन्दू धर्म

एक मुखी लिंग (शिव लिंग के साथ एक मुख), अफगानिस्तान काबुल संग्रहालय मूर्ति अफगानिस्तान में हिन्दू धर्म  का अनुसरण करने वाले बहुत कम लोग हैं। इनकी संख्या कोई 1,000 अनुमानित है। ये लोग अधिकतर काबुल एवं अफगानिस्तान के अन्य प्रमुख नगरों में रहते हैं।, by Tony Cross.

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अवेस्ता

जिस भाषा के माध्यम का आश्रय लेकर जरथुस्त्र धर्म (पारस इरान) का मूल धर्म) का विशाल साहित्य निर्मित हुआ है उसे अवेस्ता कहते हैं। अवेस्ता या "ज़ेंद अवेस्ता" नाम से भी धार्मिक भाषा और धर्म ग्रंथों का बोध होता है। उपलब्ध साहित्य में इसका प्रमाण नहीं मिलता कि पैंगंबर अथवा उनके समकालीन अनुयायियों के लेखन अथवा बोलचाल की भाषा का नाम क्या था। परंतु परंपरा से यह सिद्ध है कि उस भाषा और साहित्य का भी नाम "अविस्तक" था। अनुमान है कि इस शब्द के मूल में "विद्" (जानना) धातु है जिसका अभिप्राय ज्ञान अथवा बुद्धि है। .

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अंडा भुर्जी

मोटे अक्षरअंडे की भुर्जी अंडा भुर्जी (या अंडे की भुर्जी) या जिसे पाकिस्तान में अंडा ख़ागीना कहते है भारत के उत्तर व पश्चिमी इलाकों का मशहूर खाद्य पदार्थ है। यह दिखने में व इसे बनाने का तरीका हाफ फ्राई ऑमलेट या पारसी पदार्थ अकुरी की तरह ही है। दोनों में फरक बारीक़ कटे हुए प्याज़, मिर्च और कभी कबार डाले जाने वाले मसलों से किया जाता है। इसे आमतौर पर रोटी या ब्रेड के साथ परोसा जाता है। .

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अकबर

जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर (१५ अक्तूबर, १५४२-२७ अक्तूबर, १६०५) तैमूरी वंशावली के मुगल वंश का तीसरा शासक था। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान), शहंशाह अकबर, महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है। अंतरण करने वाले के अनुसार बादशाह अकबर की जन्म तिथि हुमायुंनामा के अनुसार, रज्जब के चौथे दिन, ९४९ हिज़री, तदनुसार १४ अक्टूबर १५४२ को थी। सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर का पौत्र और नासिरुद्दीन हुमायूं एवं हमीदा बानो का पुत्र था। बाबर का वंश तैमूर और मंगोल नेता चंगेज खां से संबंधित था अर्थात उसके वंशज तैमूर लंग के खानदान से थे और मातृपक्ष का संबंध चंगेज खां से था। अकबर के शासन के अंत तक १६०५ में मुगल साम्राज्य में उत्तरी और मध्य भारत के अधिकाश भाग सम्मिलित थे और उस समय के सर्वाधिक शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था। बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों का बराबर प्यार और सम्मान मिला। उसने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की। उसका दरबार सबके लिए हर समय खुला रहता था। उसके दरबार में मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार अधिक थे। अकबर ने हिन्दुओं पर लगने वाला जज़िया ही नहीं समाप्त किया, बल्कि ऐसे अनेक कार्य किए जिनके कारण हिन्दू और मुस्लिम दोनों उसके प्रशंसक बने। अकबर मात्र तेरह वर्ष की आयु में अपने पिता नसीरुद्दीन मुहम्मद हुमायुं की मृत्यु उपरांत दिल्ली की राजगद्दी पर बैठा था। अपने शासन काल में उसने शक्तिशाली पश्तून वंशज शेरशाह सूरी के आक्रमण बिल्कुल बंद करवा दिये थे, साथ ही पानीपत के द्वितीय युद्ध में नवघोषित हिन्दू राजा हेमू को पराजित किया था। अपने साम्राज्य के गठन करने और उत्तरी और मध्य भारत के सभी क्षेत्रों को एकछत्र अधिकार में लाने में अकबर को दो दशक लग गये थे। उसका प्रभाव लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर था और इस क्षेत्र के एक बड़े भूभाग पर सम्राट के रूप में उसने शासन किया। सम्राट के रूप में अकबर ने शक्तिशाली और बहुल हिन्दू राजपूत राजाओं से राजनयिक संबंध बनाये और उनके यहाँ विवाह भी किये। अकबर के शासन का प्रभाव देश की कला एवं संस्कृति पर भी पड़ा। उसने चित्रकारी आदि ललित कलाओं में काफ़ी रुचि दिखाई और उसके प्रासाद की भित्तियाँ सुंदर चित्रों व नमूनों से भरी पड़ी थीं। मुगल चित्रकारी का विकास करने के साथ साथ ही उसने यूरोपीय शैली का भी स्वागत किया। उसे साहित्य में भी रुचि थी और उसने अनेक संस्कृत पाण्डुलिपियों व ग्रन्थों का फारसी में तथा फारसी ग्रन्थों का संस्कृत व हिन्दी में अनुवाद भी करवाया था। अनेक फारसी संस्कृति से जुड़े चित्रों को अपने दरबार की दीवारों पर भी बनवाया। अपने आरंभिक शासन काल में अकबर की हिन्दुओं के प्रति सहिष्णुता नहीं थी, किन्तु समय के साथ-साथ उसने अपने आप को बदला और हिन्दुओं सहित अन्य धर्मों में बहुत रुचि दिखायी। उसने हिन्दू राजपूत राजकुमारियों से वैवाहिक संबंध भी बनाये। अकबर के दरबार में अनेक हिन्दू दरबारी, सैन्य अधिकारी व सामंत थे। उसने धार्मिक चर्चाओं व वाद-विवाद कार्यक्रमों की अनोखी शृंखला आरंभ की थी, जिसमें मुस्लिम आलिम लोगों की जैन, सिख, हिन्दु, चार्वाक, नास्तिक, यहूदी, पुर्तगाली एवं कैथोलिक ईसाई धर्मशस्त्रियों से चर्चाएं हुआ करती थीं। उसके मन में इन धार्मिक नेताओं के प्रति आदर भाव था, जिसपर उसकी निजि धार्मिक भावनाओं का किंचित भी प्रभाव नहीं पड़ता था। उसने आगे चलकर एक नये धर्म दीन-ए-इलाही की भी स्थापना की, जिसमें विश्व के सभी प्रधान धर्मों की नीतियों व शिक्षाओं का समावेश था। दुर्भाग्यवश ये धर्म अकबर की मृत्यु के साथ ही समाप्त होता चला गया। इतने बड़े सम्राट की मृत्यु होने पर उसकी अंत्येष्टि बिना किसी संस्कार के जल्दी ही कर दी गयी। परम्परानुसार दुर्ग में दीवार तोड़कर एक मार्ग बनवाया गया तथा उसका शव चुपचाप सिकंदरा के मकबरे में दफना दिया गया। .

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उदवाड़ा

उदवाड़ा, गुजरात का एक नगर है जहाँ स्थित पारसियों का आतश बहराम प्रसिद्ध है। .

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१५ जुलाई

१५ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १९वॉ (लीप वर्ष मे १९७वॉ) दिन है। साल मे अभी और १६९ दिन बाकी है। .

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२०१२

२०१२ (MMXII) ग्रेगोरियन कैलेंडर के रविवार को शुरू होने वाला एक अधिवर्ष अथवा लीप ईयर होगा। इस वर्ष को गणितज्ञ ट्यूरिंग, कंप्यूटर के अग्र-दूत और कोड -भंजक, की याद में उनकी सौवीं वर्षगांठ पर एलन ट्यूरिंग वर्ष नामित किया गया है। .

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जरथुस्त्र धर्म

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