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पश्चिमी घाट

सूची पश्चिमी घाट

भारत की प्रमुख पर्वत-शृंखलाएँ; इसमें पश्चिमी तट के लगभग समान्तर जो पर्वत-श्रेणी है, वही ''''पश्चिमी घाट'''' कहलाती है। भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत शृंखला को पश्चिमी घाट या सह्याद्रि कहते हैं। दक्‍कनी पठार के पश्चिमी किनारे के साथ-साथ यह पर्वतीय शृंखला उत्‍तर से दक्षिण की तरफ 1600 किलोमीटर लम्‍बी है। विश्‍व में जैविकीय विवधता के लिए यह बहुत महत्‍वपूर्ण है और इस दृष्टि से विश्‍व में इसका 8वां स्थान है। यह गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से शुरू होती है और महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल से होते हुए कन्याकुमारी में समाप्‍त हो जाती है। वर्ष 2012 में यूनेस्को ने पश्चिमी घाट क्षेत्र के 39 स्‍थानों को विश्व धरोहर स्‍थल घोषित किया है।" पश्चिमी घाट का संस्कृत नाम सह्याद्रि पर्वत है। यह पर्वतश्रेणी महाराष्ट्र में कुंदाइबारी दर्रे से आरंभ होकर, तट के समांतर, सागरतट से ३० किमी से लेकर १०० किमी के अंतर से लगभग ४,००० फुट तक ऊँची दक्षिण की ओर जाती है। यह श्रेणी कोंकण के निम्न प्रदेश एवं लगभग २,००० फुट ऊँचे दकन के पठार को एक दूसरे से विभक्त करती है। इसपर कई इतिहासप्रसिद्ध किले बने हैं। कुंदाईबारी दर्रा भरुच तथा दकन पठार के बीच व्यापार का मुख्य मार्ग है। इससे कई बड़ी बड़ी नदियाँ निकलकर पूर्व की ओर बहती हैं। इसमें थाल घाट, भोर घाट, पाल घाट तीन प्रसिद्ध दर्रे हैं। थाल घाट से होकर बंबई-आगरा-मार्ग जाता है। कलसूबाई चोटी सबसे ऊँची (५,४२७ फुट) चोटी है। भोर घाट से बंबई-पूना मार्ग गुजरता है। इन दर्रो के अलावा जरसोपा, कोल्लुर, होसंगादी, आगुंबी, बूँध, मंजराबाद एवं विसाली आदि दर्रे हैं। अंत में दक्षिण में जाकर यह श्रेणी पूर्वी घाट पहाड़ से नीलगिरि के पठार के रूप में मिल जाती है। इसी पठार पर पहाड़ी सैरगाह ओत्तकमंदु स्थित है, जो सागरतल से ७,००० फुट की ऊँचाई पर बसा है। नीलगिरि पठार के दक्षिण में प्रसिद्ध दर्रा पालघाट है। यह दर्रा २५ किमी चौड़ा तथा सगरतल से १,००० फुट ऊँचा है। केरल-मद्रास का संबंध इसी दर्रे से है। इस दर्रे के दक्षिण में यह श्रेणी पुन: ऊँची हाकर अन्नाईमलाई पहाड़ी के रूप में चलती है। पाल घाट के दक्षिण में श्रेणी की पूर्वी पश्चिमी दोनों ढालें खड़ी हैं। पश्चिमी घाट में सुंदर सुंदर दृश्य देखने को मिलती हैं। जंगलों में शिकार भी खेला जाता है। प्राचीन समय से यातायात की बाधा के कारण इस श्रेणी के पूर्व एवं पश्चिम के भागों के लोगों की बोली, रहन सहन आदि में बड़ा अंतर है। यहाँ कई जंगली जातियाँ भी रहती हैं। पश्चिमी घाट का उपग्रह से लिया गया चित्र .

123 संबंधों: चलकुड़ी नदी, चित्तर नदी, चुंचनकट्टे जल प्रपात, चेम्ब्रा शिखर, एब्बेय जल प्रपात, एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान, डांग जिला, तारामती, तांबरपरानी नदी, तिरुवनन्तपुरम, तुंग नदी, तुंगभद्रा नदी, तुंगा नदी, त्रिम्बक पठार, दक्कन का पठार, दोड्डबेट्ट, नारायणगाँव, नेत्रवती नदी, नीलगिरि (पर्वत), नीलगिरि तहर, नीलगिरि पर्वत, पचैयार नदी, परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य, परंबिकुलम नदी, पलनी, पलानी पहाड़ियाँ, पश्चिम घाट, पालनी पर्वत, पूर्वी घाट, पोनमुडी, बयालुसीमा, बाणासुर पर्वत, बाणावली, बिलगिरि रंगन पर्वतमाला, ब्रह्मगिरि, ब्लैक-रम्प्ड फ्लेमबैक, भद्रा नदी, भारत, भारत में पर्यटन, भारत में आतंकवाद, भारत में इस्लाम, भारत का भूगोल, भारत के विश्व धरोहर स्थल, भारतीय वानिकी, भास्कराचार्य, भोरघाट, मणिमुतार नदी, मरुंतुवझ मलय, मलयप्रभा नदी, महान घाट, दक्षिणी अफ़्रीका, ..., माण्डवी नदी, मानसून, मालाबार, मालाबार सागरतट, मालेनाडु, मुम्बई, मुलैयानागिरि, मैंगलुरु, मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान, यशोवर्मन (कन्नौज नरेश), रतनगढ़, रायोलाइट, लुशिंगटन जल प्रपात, लैटेराइट मृदा, शरावती नदी, शहापुर, शारावती, शिवासमुद्रम जल प्रपात, श्रीपाद दामोदर सतवलेकर, सतारी, सतोडी जल प्रपात, सरीसृप, सिंहगढ़, सुजलॉन एनर्जी, स्वर्ण मंदिर मेल, सोंसोगोर, सीसपारा, हरिशचंद्रगढ़, हरीशचंद्रगढ़, हलसी, हार्ट-स्पॉटेड कठफोड़वा, होयसल राजवंश, जुवारी नदी, घाट, वालपय, विजयसार, विज्ञान एक्‍सप्रेस, वेन नदी, वेल्लरिमलय, खरमोर, खानदेश, खंडाला, गिरीगंगा उपत्यका, गंगामूल, गुरुपुर नदी, ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे, गोकक जल प्रपात, इरुपु जल प्रपात, इलायची पहाड़ियाँ, इगतपुरी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उद्यान, कबीनी नदी, कर्नाटक, कर्नाटक/आलेख, कलसूबाई, कल्लड़ा नदी, कल्लई नदी, कालहाथी जल प्रपात, काली नदी (कर्नाटक), कुट्रालम, कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान, कुंडली नदी, कृष्णा नदी, केरल, केरल अनूपझीलें, कोयना नदी, कोल्ली हिल्स, अनाइमुडी, अन्नामलाई की पहाड़ियाँ, अन्नामलाइ, अगस्त्य मलय, अंगिंद पर्वत, उच्चतम बिन्दु के आधार पर भारत के राज्य और संघ क्षेत्र सूचकांक विस्तार (73 अधिक) »

चलकुड़ी नदी

चलकुड़ी नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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चित्तर नदी

चित्तर नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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चुंचनकट्टे जल प्रपात

चुंचनकट्टे जल प्रपात दक्षिण भारत का एक जल प्रपात है। यह पश्चिमी घाट की पर्वतमाला में आता है। श्रेणी:दक्षिण भारत के जल प्रपात.

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चेम्ब्रा शिखर

चेम्ब्रा शिखर/ पर्वत (मलयालम: ചെമ്പ്ര കൊടുമുടി) भारत के केरल प्रदेश में पश्चिमी घाट के अन्तर्गत्त वायनाड पर्वत का सागर सतह से ऊँचाई वाला एक पर्वत शिखर है। चेम्ब्रा कालपेट्टा 8 किमी दक्षिण में मेप्पड़ी कस्बे के निकट स्थित है। इससे निकटवर्ती राज्य तमिल नाडु की नीलगिरि पर्वतमाला एवं केरल के कोज़िकोड़ जिले की वेल्लरिमलय पर्वत शृंखलाएं जुड़ती हुई हैं। चेम्ब्रा पर मेप्पड़ी से पैदल चढ़ाई का रास्ता है। यहां की जिला पर्यटन उत्थान परिषद पर्यटकों को मार्गदर्शक एवं ट्रेकिंग उपकरण एवं औजार किराये पर उपलब्ध कराती है। चेम्ब्रा शिखर पर ट्रेकिंग करने हेतु मेप्पड़ी स्थित वन विभाग कार्यालय से अनुमति ली जा सकती है। शिखर यात्रा के रास्ते में एक हृदयाकार झील यहां का मुख्य आकर्षण है। माना जाता है कि ये झील कभी भी सूखती नहीं है और यह शिखर के आधे रास्ते में पड़ती है। मेप्पड़ी कस्बे से लगभग ५ कि.मी दूरी पर एरुमकोल्ली के चाय बागान देखे जा सकते हैं। .

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एब्बेय जल प्रपात

एब्बेय जल प्रपात दक्षिण भारत का एक जल प्रपात है। यह पश्चिमी घाट की पर्वतमाला में आता है। श्रेणी:दक्षिण भारत के जल प्रपात.

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एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान

इरविकुळम् राष्ट्रीय उद्यान (ഇരവികുളം ദേശിയോദ്യാനം) भारत के केरल राज्य के इड्डुक्की ज़िले में पश्चिमी घाट में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है जिसका क्षेत्रफल ९७ वर्ग कि॰मी॰ है। यह केरल वन और वन्य जीव विभाग, मुन्नार वन्यजीव प्रभाग द्वारा प्रशासित किया जाता है जो पास के मथिकेत्तन शोला राष्ट्रीय उद्यान, अनामुडी शोला अभयारण्य, पंपाडुम शोला अभयारण्य, चिन्नार वन्यजीव अभयारण्य और कुरिंजिमला अभयारण्य को भी प्रशासित करता है। पश्चिमी घाट, अन्नामलाई उप कुंज सहित एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान का पूरा इलाका यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति द्वारा एक विश्व विरासत स्थल के रूप में चयन के लिए विचाराधीन है। .

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डांग जिला

दक्षिणी गुजरात के जिले डांग भारतीय राज्य गुजरात का एक जिला है। जिले का मुख्यालय आहवा है। इस जिले का क्षेत्रफल 1764 वर्ग किमी तथा जनसंख्या 2,26,769 (२०११ की जनगणना के अनुसार) है। यह क्षेत्र पश्चिमी घाट की उत्तरी दिशा में है। इसके उत्तर और पश्चिम में तापी, नवसारी, वलसाड तथा दक्षिण और पूर्व में नंदुरबार तथा नासिक जिले हैं। इनका केंद्रीय नगर अहवा है। पर्वतीय सँकरा क्षेत्र होने के कारण यहाँ रागी तथा अन्य धान उत्पन्न होते हैं। पहले यह गुजरात की छोटी-छोटी देशी रियासतों के समूह में था। १९४९ ई. में बंबई राज्य में इसका विलय हुआ और १९६० ई. में गुजरात राज्य बनने पर यह उसमें सम्मिलित हो पाया। इस जिले में ७२ प्रतिशत आदिवासी हैं। शबरीधाम, सापुतारा, महाल, डोन, पंपा सरोवर, पूर्णा वन्यजीव अभयारण्य यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल है। .

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तारामती

तारामती भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। श्रेणी:दक्षिण भारत के पर्वत.

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तांबरपरानी नदी

तांबरपरानी नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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तिरुवनन्तपुरम

തിരുവനന്തപുരം --> तिरुवनन्तपुरम (मलयालम - തിരുവനന്തപുരം) या त्रिवेन्द्रम केरल प्रान्त की राजधानी है। यह नगर तिरुवनन्तपुरम जिले का मुख्यालय भी है। केरल की राजनीति के अलावा शैक्षणिक व्यवस्था का केन्द्र भी यही है। कई शैक्षणिक संस्थानों में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र, राजीव गांधी जैव प्रौद्योगिकी केन्द्र कुछ प्रसिद्ध नामों में से हैं। भारत की मुख्य भूमि के सुदूर दक्षिणी पश्चिमी तट पर बसे इस नगर को महात्मा गांधी ने भारत का सदाबहार नगर की संज्ञा दी थी। .

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तुंग नदी

तुंग नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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तुंगभद्रा नदी

तुंगभद्रा नदी दक्षिण भारत में बहने वाली एक पवित्र नदी हैं। यह कर्नाटक एवं आन्ध्र प्रदेश में बहती हुई आन्ध्र प्रदेश में एक बड़ी नदी कृष्णा नदी में मिल जाती है। रामायण में तुंगभद्रा को पंपा के नाम से जाना जाता था। तुंगभद्रा नदी का जन्म तुंगा एवं भद्रा नदियों के मिलन से हुआ है। ये पश्चिमी घाट के पूर्वा ढाल से होकर बहती है। पश्चिमी घाट के गंगामूला नामक स्थान से (उडुपी के पास) समुद्र तल से कोई ११९८ मीटर की ऊँचाई से तुंग तथा भद्रा नदियों का जन्म होता है जो शिमोगा के पास जाकर सम्मिलित होती हैं जहाँ से इसे तुंगभद्रा कहते हैं। उत्तर-पूर्व की ओर बहती हुई, आंध्रप्रदेश में महबूब नगर ज़िले में गोंडिमल्ला में जाकर ये कृष्णा नदी से मिल जाती है। इसके किनारों पर कई हिंदू धार्मिक स्थान हैं। आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित शृंगेरी मठ तुंगा नदी के बांई तट पर बना है और इनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध है। चौदहवीं सदी में स्थापित दक्कनी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी रही हंपी भी इसी के किनारे स्थित है। हंपी में बहती तुंगभद्रा नदी हम्पी के निकट तुंग नदी एवं भद्रा नदी के संगम से तुंगभद्रा नदी का उद्गम होता है। .

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तुंगा नदी

तुंगा नदी (कन्नड़: ತುಂಗ ನದಿ) (वैकल्पिक रूप से वर्तनी थुंगा) कर्नाटका राज्य,दक्षिण भारत की एक नदी है। इस  नदी का जन्म  गंगामूला नाम की जगह पर स्थित पहारी वराहा पर्वत के पश्चिमी घाटों पर होता है। यहाँ से ये नदी दो जिलों से होकर गुजरती है और इन दो जिलों का नाम कर्नाटक-चिकमगलूर जिला और शिमोगा जिला हैं। यह 147 KM लम्बी है और कूडली में भद्रा नदी में जाकर मिल जाती है। इस जगह के बाद इस नदी को संयुक्त नाम तुंगभद्रा दिया जाता है। तुंगभद्रा पूर्व की तरफ बहती है और आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी में मिल जाती है। यह नदी अपने पानी की मिठास के लिए जानी जाती है और इसके पानी को पूरे विश्व में सबसे मीठा पानी माना जाता है। एक विस्वास है की "थुंगा पाना गंगा स्नान" जिसका मतलब है की हमे पहले तुंगा नदी का पानी पीना चाहिए और फिर गंगा नदी में स्नान करना चाहिए। गजनुर में इस नदी के आर-पार एक बाँध बनाया गया है और होसपेट में तुंगभद्रा के आर-पार  एक बड़ा बाँध बनाया गया है। .

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त्रिम्बक पठार

त्रिम्बक पठार या त्रिम्बक श्रेणियाँ भारत के पश्चिमी घाट में स्थित पाँच पहाड़ियों का समूह है। .

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दक्कन का पठार

दक्कन का पठारदक्कन का पठार जिसे विशाल प्रायद्वीपीय पठार के नाम से भी जाना जाता है, भारत का विशालतम पठार है। दक्षिण भारत का मुख्य भू भाग इस ही पठार पर स्थित है। यह पठार त्रिभुजाकार है। इसकी उत्तर की सीमा सतपुड़ा और विन्ध्याचल पर्वत शृंखला द्वारा और पूर्व और पश्चिम की सीमा क्रमशः पूर्वी घाट एवं पश्चिमी घाट द्वारा निर्धारित होती है। यह पठार भारत के ८ राज्यो में फैला हुआ है। दक्कन शब्द संस्कृत के शब्द दक्षिण का अंग्रेजी अपभ्रंश शब्द डक्कन का हिन्दीकरण है। यह भारत भू भाग का सबसे विशाल खंड है! .

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दोड्डबेट्ट

नीलगिरी पर्वत, डोड्डाबेट्टा से दोड्डबेट्ट भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। यह तमिलनाडु राज्य के नीलगिरि जिले में नीलगिरि पर्वत की सबसे ऊँची तथा हिमालय के दक्षिण में स्थित सभी पर्वतों से ऊँची चोटी है। यह चोटी समुद्र तल से 2623 मीटर ऊपर है। घाटियों में इसी ढालों पर सिनकोना के सरकारी बागान हैं। इसकी चोटी पर मौसम विज्ञान वेधशाला भी है। यह चोटी ऊटी से केवल 10 किलोमीटर दूर है इसलिए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां से घाटी का नजारा अदभुत दिखाई पड़ता है। लोगों का कहना है कि जब मौसम साफ होता है तब यहां से दूर के इलाके भी दिखाई देते हैं जिनमें कायंबटूर के मैदानी इलाके भी शामिल हैं। यह ऊटी से ४ किमी पूर्व-पूर्वोत्तर में,, है। इसकी ऊंचाई है। इसके बाद धेक्यूबा (ऊंचाई), कट्टडाडू (ऊंचाई) एवं कुलकुडी (ऊंचाई) डोडाबेट्टा से निकटता से जुड़ी अन्य चोटियां हैं। .

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नारायणगाँव

नारायणगाँव महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले का एक कस्बा है। यह जुन्नार तालुके में आता है। यहां का नैसर्गिक सौन्दर्य इसकी खासियत है। बड़े बांधों, पश्चिमी घाट एवं सह्याद्री पर्वत की निकटता के कारण यहां जल का बाहुल्य है। अष्टविनायक के आठ में से दो गणपति मंदिर यहीं स्थित हैं। GMRT (वृहत मीटरवेव रेडियो टेलिस्कोप) यहां से १० कि॰मी॰ पश्चिम में ही वृहत मीटरवेव रेडियो टेलिस्कोप स्थित है। इसके अलावा यहां से १६ किमी पर ही प्रसिद्ध शिवनेरी दुर्ग भी स्थित है। .

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नेत्रवती नदी

नेत्रवती नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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नीलगिरि (पर्वत)

नीलगिरि भारत के पश्चिमी घाट की एक पर्वतमाला है। नीलगिरि, भारत के राज्य तमिलनाडु का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। इस क्षेत्र में बहुत से पर्वतीय स्थल हैं जो इसे उपयुक्त पर्यटन केंद्र बनाते हैं। नीलगिरि का इतिहास 11वीं और 12वीं शताब्दी से शुरु होता है। इसका सर्वप्रथम उल्लेख शिलप्‍पदिकारम में मिलता है। नीलगिरि उन सभी शासक वंशों का हिस्सा रहा जिन्होंने दक्षिण भारत पर शासन किया। नीलगिरि पर्वत श्रृंखला का कुछ हिस्सा तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में भी आता है। यहां की सबसे ऊंची चोटी डोड्डाबेट्टा है जिसकी कुल ऊंचाई 2637 मीटर है। यह जिला मुख्यत: पर्वत श्रृंखला के मध्य ही स्थित है। यहां के दर्शनीय स्थलों की बात करें तो नि:संदेह रूप से सबसे पहला नाम ऊटी का ही आता है। ऊटी दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख पर्वतीय स्थलों में से एक है। इसके अलावा मुदुमलाई, कूनूर आदि बहुत से खूबसूरत स्थान इस जिले में हैं। .

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नीलगिरि तहर

नीलगिरि तहर Nilgiri tahr (Nilgiritragus hylocrius) भारत के तमिल नाडु और केरल राज्यों में नीलगिरि पर्वत और पश्चिमी घाट के दक्षिणी भाग में रहने वाला जंगली प्राणी है जिसके निकट सम्बन्धी जंगली बकरी और भेड़ हैं। इसे स्थानीय बोल-चाल में नीलगिरि साकिन (ibex) या केवल साकिन के नाम से भी जाना जाता है। यह एक संकटग्रस्त जाति है। .

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नीलगिरि पर्वत

नीलगिरि (நீலகிரி, Badaga: நீலகி:ரி या 'नीले पहाड़') भारत के दक्षिणी भाग में स्थित एक पर्वतमाला है। यह पर्वतमाला पश्चिमी घाट श्रृंखला का हिस्सा हैं। इस क्षेत्र में बहुत से पर्वतीय स्थल हैं जो इसे उपयुक्त पर्यटन केंद्र बनाते हैं। नीलगिरि पर्वत श्रृंखला का कुछ हिस्सा तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में भी। यहां की सबसे ऊंची चोटी डोड्डाबेट्टा है जिसकी कुल ऊंचाई 2637 मीटर है। Toda is the janjati of here..

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पचैयार नदी

पचैयार नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य

परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य दक्षिणी भारत के केरल राज्य के पालक्कड जिले के चित्तूर तालुके में 89 वर्गकिमी में विस्तृत एक संरक्षित क्षेत्र है। 1973 में स्थापित यह अभयारण्य अनाइमलाई पाहड़ियों और नेल्लियमपथी पाहड़ियों के बीच सुन्गम पर्वतमाला में स्थित है।पश्चिमी घाट, अनाइमलाई उपसमूह क्षेत्र और परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य सहित यह पूरा क्षेत्र यूनेस्को की विश्व विरासत समीति द्वारा एक विश्व धरोहर स्थल बनाए जाने के लिए विचाराधीन है। यूनेस्को, विश्व-धरोहर स्थल, अंतरिम सूची, पश्चिमी घाट उप-क्लस्टर, निल्गिरिज़.

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परंबिकुलम नदी

परंबिकुलम नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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पलनी

पलनी (तमिल में பழனி / पळनि) दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में स्थित एक शहर व नगरपालिका है। यह शहर कोयंबटूर नगर से 100 किमी दक्षिण व डिंडीगुल नगर से 60 किमी पश्चिम में स्थित है। यहाँ पर भगवान कार्तिकेय को समर्पित एक सुविख्यात मंदिर है, जहां प्रतिवर्ष लगभग 70 लाख भक्त दर्शन के लिए पहुँचते हैं। .

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पलानी पहाड़ियाँ

पलानी पहाड़ियाँ (तमिल: பழனி மலை) भारत के तमिल नाडु राज्य में स्थित एक पर्वतमाला है। यह पश्चिमी घाट का एक पूर्वी विस्तार है जो भारत के पश्चिमी तट से समानांतर चलता है। .

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पश्चिम घाट

कोई विवरण नहीं।

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पालनी पर्वत

पालनी पर्वत भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। श्रेणी:दक्षिण भारत के पर्वत.

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पूर्वी घाट

पूर्वी घाट भारत के पूर्वी तट पर स्थित पर्वत श्रेणी है। .

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पोनमुडी

पोनमुडी (പൊന്മുടി) (स्वर्ण शिखर) दक्षिण भारत के केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में स्थित एक पहाड़ी स्थल है। यह त्रिवेंद्रम शहर से 61 किलोमीटर दूर 1100 मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है। यह पश्चिमी घाट की पर्वत श्रृंखला का एक हिस्सा है जो अरब सागर के समानांतर फैला हुआ है। .

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बयालुसीमा

बयालुसीमा(कन्नड़ ಬಯಲುಸೀಮೆ) दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य के मालनाड क्षेत्र के पूर्वी ओर के क्षेत्र को कहा जाता है। यह फैला हुआ खुला मैदानी क्षेत्र है जिसमें कुछ टीले मिल जाते हैं। इसमें धारवाड़, बेलगाम, गडग, हवेरी, बीजापुर, बागलकोट, गुलबर्ग, रायचूर, कोप्पल, बेल्लारी, चित्र दुर्ग, देवनगिरी, तुमकुर, हस्सन और मांड्या जिले आते हैं। यह नाम संभवतः कन्नड़ भाषा से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ है समतल भूमि या खुली भूमि, क्योंकि यहां से पड़ोसी क्षेत्रों का निर्बाध दृश्य सुलभ होता है। इसी कारण से इसे कई बार मैदान भी कहा जाता है। बयालसीमा की स्थिति दक्खिन पठार में मालनाड क्षेत्र के पूर्वी ओर पश्चिमी घाट के पूर्वी छोर पर है। बयालुसीमा के खानपान, बोलियां और शैलियाम भिन्न स्थानों पर बदलते रहते हैं। बयालसीमा की स्थिति दक्खिन पठार में मालनाड क्षेत्र के पूर्वी ओर पश्चिमी घाट के पूर्वी छोर पर है। श्रेणी:कर्नाटक के क्षेत्र.

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बाणासुर पर्वत

बाणासुर पर्वत भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। श्रेणी:दक्षिण भारत के पर्वत.

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बाणावली

बाणावली या बेनोलिम भारत के गोवा राज्य के दक्षिण गोवा जिले में स्थित एक जनगणना नगर है। यह एक समुद्र-तटीय कस्बा है जो मारगाँव के दक्षिण में है। एक दन्तकथा के अनुसार भगवान परशुराम (भगवान विष्णु के एक अवतार) ने समीप के कोकंण में स्थित सह्याद्री पर्वतों पर से एक तीर (बाण) चलाया जो इस स्थान पर आकर गिरा जिससे इसका नाम बाणावली पड़ा। पुर्तगालियों के आने से पूर्व इसे बाणाहल्ली या बाणावल्ली के नाम से जाना जाता था। पुराने बाणावली में भगवान शिव और पार्वती को समर्पित एक मन्दिर था जिसके खण्डहरनुमा अवशेष अभी भी इस कस्बे में देखा जा सकता है। सोलहवीं सदी में इस मन्दिर के देवों को उत्तर कनारा (वर्तमान उत्तर कन्न्ड़) में स्थित आवेसरा में स्थापित कर दिया गया था। .

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बिलगिरि रंगन पर्वतमाला

बिलगिरि रंगास्वामि पर्वतमाला अभयारण्य (ಬಿಳಿಗಿರಿರಂಗನ ಬೆಟ್ಟ) जिसे बी.आर.हिल्स भी कहा जाता है, दक्षिणभारत के कर्नाटक राज्य के दक्षिण भाग में स्थित है। बिलगिरि रंगन पर्वतमाला भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। पहाड़ों की सुंदरता और वन्य जीवों की अनूठी संगम स्थली है बी.आर.

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ब्रह्मगिरि

ब्रह्मगिरि वन्यजीव अभयारण्य के भीतर एक पर्वत-घाटी का दृष्य ब्रह्मगिरि वन्यजीव अभयारण्य, कर्नाटक के कोडगु जिले में स्थित अभयारण्य है जो पश्चिमी घाट का भाग है। यह 181 वर्ग किलोमीटर में फैला है और कुट्टा से माकुट्टा के बीच बना हुआ है। यह अभयारण्य केरल के अरलम वन्यजीव अभयारण्य के निकट है। ये जंगल गौर, भालू, हाथी, हिरन, चीते, जंगली बिल्ली, शेर जैसी पूंछ वाला बंदर और नीलगिरी लंगूर का घर है। ब्रह्मगिरि अभरारण्य विभिन्न प्रकार के पक्षी देखने के लिए भी उचित जगह है। इस अभयारण्य में आने का सही समय अक्टूबर से मई है। यहाँ आने से पहले अनुमति लेना आवश्यक है। .

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ब्लैक-रम्प्ड फ्लेमबैक

ब्लैक-रम्प्ड फ्लेमबैक अथवा लेस्सर गोल्डेन-बैक्ड कठफोड़वा (डाईनोपियम बेंग्हालेंस) दक्षिण-एशिया में विस्तृत रूप से पाया जाने वाला कठफोड़वा है। यह शहरी क्षेत्रों में पाए जाने वाले कुछ कठफोड़वों में से एक है। यह काली गर्दन तथा काली दुम वाला एकमात्र सुनहरी पीठ वाला कठफोड़वा है। .

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भद्रा नदी

भद्रा नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत में पर्यटन

हर साल, 3 मिलियन से अधिक पर्यटक आगरा में ताज महल देखने आते हैं। भारत में पर्यटन सबसे बड़ा सेवा उद्योग है, जहां इसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.23% और भारत के कुल रोज़गार में 8.78% योगदान है। भारत में वार्षिक तौर पर 5 मिलियन विदेशी पर्यटकों का आगमन और 562 मिलियन घरेलू पर्यटकों द्वारा भ्रमण परिलक्षित होता है। 2008 में भारत के पर्यटन उद्योग ने लगभग US$100 बिलियन जनित किया और 2018 तक 9.4% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ, इसके US$275.5 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है। भारत में पर्यटन के विकास और उसे बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय नोडल एजेंसी है और "अतुल्य भारत" अभियान की देख-रेख करता है। विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद के अनुसार, भारत, सर्वाधिक 10 वर्षीय विकास क्षमता के साथ, 2009-2018 से पर्यटन का आकर्षण केंद्र बन जाएगा.

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भारत में आतंकवाद

भारत बहुत समय से आतंकवाद का शिकार हो रहा है। भारत के काश्मीर, नागालैंड, पंजाब, असम, बिहार आदि विशेषरूप से आतंक से प्रभावित रहे हैं। यहाँ कई प्रकार के आतंकवादी जैसे पाकिस्तानी, इस्लामी, माओवादी, नक्सली, सिख, ईसाई आदि हैं। जो क्षेत्र आज आतंकवादी गतिविधियों से लम्बे समय से जुड़े हुए हैं उनमें जम्मू-कश्मीर, मुंबई, मध्य भारत (नक्सलवाद) और सात बहन राज्य (उत्तर पूर्व के सात राज्य) (स्वतंत्रता और स्वायत्तता के मामले में) शामिल हैं। अतीत में पंजाब में पनपे उग्रवाद में आंतकवादी गतिविधियां शामिल हो गयीं जो भारत देश के पंजाब राज्य और देश की राजधानी दिल्ली तक फैली हुई थीं। 2006 में देश के 608 जिलों में से कम से कम 232 जिले विभिन्न तीव्रता स्तर के विभिन्न विद्रोही और आतंकवादी गतिविधियों से पीड़ित थे। अगस्त 2008 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के.

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भारत में इस्लाम

भारतीय गणतंत्र में हिन्दू धर्म के बाद इस्लाम दूसरा सर्वाधिक प्रचलित धर्म है, जो देश की जनसंख्या का 14.2% है (2011 की जनगणना के अनुसार 17.2 करोड़)। भारत में इस्लाम का आगमन करीब 7वीं शताब्दी में अरब के व्यापारियों के आने से हुआ था (629 ईसवी सन्‌) और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में मुसलमानों ने महती भूमिका निभाई है। हालांकि कुछ इतिहासकार ये दावा करते हैं कि मुसलमानों के शासनकाल में हिंदुओं पर क्रूरता किए गए। मंदिरों को तोड़ा गया। जबरन धर्मपरिवर्तन करा कर मुसलमान बनाया गया। ऐसा भी कहा जाता है कि एक मुसलमान शासक टीपू शुल्तान खुद ये दावा करता था कि उसने चार लाख हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाया था। न्यूयॉर्क टाइम्स, प्रकाशित: 11 दिसम्बर 1992 विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां सरकार हज यात्रा के लिए विमान के किराया में सब्सिडी देती थी और २००७ के अनुसार प्रति यात्री 47454 खर्च करती थी। हालांकि 2018 से रियायत हटा ली गयी है। .

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भारत का भूगोल

भारत का भूगोल या भारत का भौगोलिक स्वरूप से आशय भारत में भौगोलिक तत्वों के वितरण और इसके प्रतिरूप से है जो लगभग हर दृष्टि से काफ़ी विविधतापूर्ण है। दक्षिण एशिया के तीन प्रायद्वीपों में से मध्यवर्ती प्रायद्वीप पर स्थित यह देश अपने ३२,८७,२६३ वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा देश है। साथ ही लगभग १.३ अरब जनसंख्या के साथ यह पूरे विश्व में चीन के बाद दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भी है। भारत की भौगोलिक संरचना में लगभग सभी प्रकार के स्थलरूप पाए जाते हैं। एक ओर इसके उत्तर में विशाल हिमालय की पर्वतमालायें हैं तो दूसरी ओर और दक्षिण में विस्तृत हिंद महासागर, एक ओर ऊँचा-नीचा और कटा-फटा दक्कन का पठार है तो वहीं विशाल और समतल सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान भी, थार के विस्तृत मरुस्थल में जहाँ विविध मरुस्थलीय स्थलरुप पाए जाते हैं तो दूसरी ओर समुद्र तटीय भाग भी हैं। कर्क रेखा इसके लगभग बीच से गुजरती है और यहाँ लगभग हर प्रकार की जलवायु भी पायी जाती है। मिट्टी, वनस्पति और प्राकृतिक संसाधनो की दृष्टि से भी भारत में काफ़ी भौगोलिक विविधता है। प्राकृतिक विविधता ने यहाँ की नृजातीय विविधता और जनसंख्या के असमान वितरण के साथ मिलकर इसे आर्थिक, सामजिक और सांस्कृतिक विविधता प्रदान की है। इन सबके बावजूद यहाँ की ऐतिहासिक-सांस्कृतिक एकता इसे एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करती है। हिमालय द्वारा उत्तर में सुरक्षित और लगभग ७ हज़ार किलोमीटर लम्बी समुद्री सीमा के साथ हिन्द महासागर के उत्तरी शीर्ष पर स्थित भारत का भू-राजनैतिक महत्व भी बहुत बढ़ जाता है और इसे एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करता है। .

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भारत के विश्व धरोहर स्थल

यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित किए गए भारतीय सांस्‍कृतिक और प्राकृतिक स्‍थलों की सूची - .

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भारतीय वानिकी

तेंदू पत्ता संग्रहण भारत में वानिकी एक प्रमुख ग्रामीण आर्थिक क्रिया, जनजातीय लोगों के जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पहलू और एक ज्वलंत पर्यावरणीय और सामाजिक-राजनैतिक मुद्दा होने के साथ ही पर्यावरणीय प्रबंधन और धारणीय विकास हेतु अवसर उपलब्ध करने वाला क्षेत्र भी है। - इण्डिया वाटर पोर्टल खाद्य एवं कृषि संगठन (एफ॰ए॰ओ॰) के अनुसार वर्ष २००२ में भारत में वनों का क्षेत्रफल ६४ मिलियन हेक्टेयर था जो कुल क्षेत्रफल का लगभग १९% था FAO और मौजूदा आंकलनों के अनुसार भारत में वन और वृक्ष क्षेत्र 78.29 मिलियन हेक्टेयर है, जो देश के भैगोलिक क्षेत्र का 23.81 प्रतिशत है और 2009 के आंकलनों की तुलना में, व्याख्यात्मक बदलावों को ध्यान में रखने के पश्चात देश के वन क्षेत्र में 367 वर्ग कि॰मी॰ की कमी दर्ज की गई है।, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार उपरोक्त आँकड़ों के आधार पर भारत विश्व के दस सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले देशों में से एक है लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था में वनों का योगदान काफी कम है और राष्ट्रीय आय में वनों का योगदान २००२ में मात्र १.७% था। साथ ही जनसंख्या के अनुपात में देखा जाए तो स्थिति और खराब नजर आती है क्योंकि भारत में इसी समय के आंकड़ों के अनुसार प्रति व्यक्ति वन क्षेत्र ०.०८ हेक्टेयर था जो विकासशील देशों के लिये औसत ०.५ हेक्टेयर है और पूरे विश्व के लिये ०.६४ हेक्टेयर है। आर्थिक योगदान के अलावा वन संसाधनों का महत्व इसलिए भी है कि ये हमें बहुत से प्राकृतिक सुविधाएँ प्रदान करते हैं जिनके लिये हम कोई मूल्य नहीं प्रदान करते और इसीलिए इन्हें गणना में नहीं रखते। उदाहरण के लिये हवा को शुद्ध करना और सांस लेने योग्य बनाना एक ऐसी प्राकृतिक सेवा है जो वन हमें मुफ़्त उपलब्ध करते हैं और जिसका कोई कृत्रिम विकल्प इतनी बड़ी जनसंख्या के लिये नहीं है। वनों के क्षय से जनजातियों और आदिवासियों का जीवन प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होता है और बाकी लोगों का अप्रत्यक्ष रूप से क्योंकि भारत में जनजातियों की पूरी जीवन शैली वनों पर आश्रित है। वनोपजों में सबसे निचले स्तर पर जलाने के लिये लकड़ी, औषधियाँ, लाख, गोंद और विविध फल इत्यादि आते हैं जिनका एकत्रण स्थानीय लोग करते हैं। उच्च स्तर के उपयोगों में इमारती लकड़ी या कागज उद्द्योग के लिये लकड़ी की व्यावसायिक और यांत्रिक कटाई आती है। एफ॰ए॰ओ॰ के अनुसार भारत जलावन की लकड़ी का विश्व में सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है और यह वनों में लकड़ी के धारणीय पुनर्स्थापन के पाँच गुना अधिक है। वहीं भारतीय कागज़ उद्योग प्रतिवर्ष ३ मिलियन टन कागज का उत्पादन करता है जिसमें कितना कच्चा माल वनों से लकड़ी और बाँस के रूप में आता है यह ज्ञात नहीं। वानिकी के वर्तमान परिदृश्य जनजातियों और स्थानीय लोगों के जीवन, पर्यावरणीय सुरक्षा, संसाधन संरक्षण और विविध सामजिक राजनीतिक सरोकारों से जुड़े हुए हैं। चिपको आंदोलन से लेकर जल, जंगल और जमीन तथा वर्तमान में महान वनों को लेकर चलाया जा रहा आंदोलन इसी राजनैतिक और सामजिक संघर्ष का हिस्सा हैं जो वानिकी और उसकी नीतियों से जुड़ा हुआ है। वानिकी को भारत में एक संवेदनशील और रोचक अध्ययन क्षेत्र के रूप में भी देखा जा रहा है। .

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भास्कराचार्य

---- भास्कराचार्य या भाष्कर द्वितीय (1114 – 1185) प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ एवं ज्योतिषी थे। इनके द्वारा रचित मुख्य ग्रन्थ सिद्धान्त शिरोमणि है जिसमें लीलावती, बीजगणित, ग्रहगणित तथा गोलाध्याय नामक चार भाग हैं। ये चार भाग क्रमशः अंकगणित, बीजगणित, ग्रहों की गति से सम्बन्धित गणित तथा गोले से सम्बन्धित हैं। आधुनिक युग में धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है। किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्य ने उजागर कर दिया था। भास्कराचार्य ने अपने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ ग्रंथ में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिखा है कि ‘पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है। इस कारण आकाशीय पिण्ड पृथ्वी पर गिरते हैं’। उन्होने करणकौतूहल नामक एक दूसरे ग्रन्थ की भी रचना की थी। ये अपने समय के सुप्रसिद्ध गणितज्ञ थे। कथित रूप से यह उज्जैन की वेधशाला के अध्यक्ष भी थे। उन्हें मध्यकालीन भारत का सर्वश्रेष्ठ गणितज्ञ माना जाता है। भास्कराचार्य के जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं मिलती है। कुछ–कुछ जानकारी उनके श्लोकों से मिलती हैं। निम्नलिखित श्लोक के अनुसार भास्कराचार्य का जन्म विज्जडविड नामक गाँव में हुआ था जो सहयाद्रि पहाड़ियों में स्थित है। इस श्लोक के अनुसार भास्कराचार्य शांडिल्य गोत्र के थे और सह्याद्रि क्षेत्र के विज्जलविड नामक स्थान के निवासी थे। लेकिन विद्वान इस विज्जलविड ग्राम की भौगोलिक स्थिति का प्रामाणिक निर्धारण नहीं कर पाए हैं। डॉ.

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भोरघाट

भोरघाट प्रायद्वीपीय भारत में स्थित पश्चिमी घाट श्रेणी के सह्याद्रि पर्वत का एक प्रमुख दर्रा है। महाराष्ट्र राज्य में कर्जत और खंडाला के बीच स्थित इस दर्रे से होकर इससे होकर मुम्बई-पूना मार्ग गुजरता है जो मुम्बई को अन्य कई दक्षिण भारतीय नगरों से जोड़ता है। .

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मणिमुतार नदी

मणिमुतार नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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मरुंतुवझ मलय

मरुंतुवझ मलय भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। श्रेणी:दक्षिण भारत के पर्वत.

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मलयप्रभा नदी

मलयप्रभा नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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महान घाट, दक्षिणी अफ़्रीका

दक्षिणी अफ़्रीकी महान घाट एक बड़े पठार को घेरने वाले पहाड़ व ढलाने हैं महान घाट (Great Escarpment) अफ़्रीका के दक्षिणी भाग में स्थित दक्षिण अफ़्रीकी पठार के अधिकांश भाग को घेरने वाला एक पहाड़ी घाट है। जिस तरह से भारत के पश्चिमी घाट भारत के दक्षिण-मध्य में स्थित दक्खन पठार के पश्चिमी छोर पर स्थित घाट है, उसी तरह से दक्षिणी अफ़्रीकी महान घाट भी एक ऐसी ही स्थलाकृति है। महान घाट की पहाड़ियाँ अधिकतर तो दक्षिण अफ़्रीका के देश में हैं लेकिन कुछ लेसूतू (लेसोथो), स्वाज़ीलैण्ड, मोज़ाम्बीक, नमीबिया, ज़िम्बाब्वे व अंगोला में भी हैं। इन्हें अलग देशों में अलग नामों से जाना जाता है। दक्षिण अफ़्रीका में इन्हें द्राखेन्सबर्ग के नाम से बुलाया जाता है। .

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माण्डवी नदी

माण्डवी नदी (कोंकणी: मांडवी), जिसे मांडोवी, महादायी या महादेई तथा कुछ स्थानों पर गोमती नदी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के राज्य कर्नाटक और गोवा से होकर बहने वाली एक नदी है। इस नदी को गोवा राज्य की जीवन रेखा के रूप में वर्णित किया जाता है साथ ही यह ज़ुआरी नदी के साथ गोवा की दो प्रमुख नदियों में से एक है। मांडवी नदी की कुल लंबाई 77 किलोमीटर है जिसमें से 29 किलोमीटर का हिस्सा कर्नाटक और 52 किलोमीटर गोवा से होकर बहता है। इस नदी का उद्गम पश्चिमी घाट के तीस सोतों के एक समूह से होता है जो कर्नाटक के बेलगाम जिले, के भीमगढ़ में स्थित हैं। नदी का जलग्रहण क्षेत्र, कर्नाटक में 2032 वर्ग किमी और गोवा में 1580 वर्ग किमी का है। दूधसागर प्रपात और वज्रपोहा प्रपात, मांडवी के ही भाग हैं। .

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मानसून

जब ITCZ(उष्ण कटिबंधीय संरक्षित क्षेत्र)से जब व्यापारिक एवं समाॅगी हवाये ऊपर की ओर कोरियोलिस बल के कारण भारत के राज्य केरल मे 2महिना 10दिन मे मानसून पहुंचता है जो कि यहां सबसे पहले सबसे बाद मे भी मानसून यही होता है लेकिन भारत मे सबसे ज्यादा मानसून मासिनराम(मेघालय) मे होती है जो कि वहा पर औषतन बरसात 11873मिमी॰ की होती है । तमिलनाडु के नागरकायल (कन्याकुमारी के पास) में मानसून के बादल मानसून मूलतः हिन्द महासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। ये ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक, प्रायः चार माह सक्रिय रहती है। इस शब्द का प्रथम प्रयोग ब्रिटिश भारत में (वर्तमान भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश) एवं पड़ोसी देशों के संदर्भ में किया गया था। ये बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से चलने वाली बड़ी मौसमी हवाओं के लिये प्रयोग हुआ था, जो दक्षिण-पश्चिम से चलकर इस क्षेत्र में भारी वर्षाएं लाती थीं। हाइड्रोलोजी में मानसून का व्यापक अर्थ है- कोई भी ऐसी पवन जो किसी क्षेत्र में किसी ऋतु-विशेष में ही अधिकांश वर्षा कराती है। यहां ये उल्लेखनीय है, कि मॉनसून हवाओं का अर्थ अधिकांश समय वर्षा कराने से नहीं लिया जाना चाहिये। इस परिभाषा की दृष्टि से संसार के अन्य क्षेत्र, जैसे- उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, उप-सहारा अफ़्रीका, आस्ट्रेलिया एवं पूर्वी एशिया को भी मानसून क्षेत्र की श्रेणी में रखा जा सकता है। ये शब्द हिन्दी व उर्दु के मौसम शब्द का अपभ्रंश है। मॉनसून पूरी तरह से हवाओं के बहाव पर निर्भर करता है। आम हवाएं जब अपनी दिशा बदल लेती हैं तब मॉनसून आता है।.

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मालाबार

मालाबार केरल राज्य में अवस्थित पश्चिमी घाट और अरब सागर के बीच भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिम तट के समानांतर एक संकीर्ण तटवर्ती क्षेत्र है। जब स्‍वतंत्र भारत में छोटी रियासतों का विलय हुआ तब त्रावनकोर तथा कोचीन रियासतों को मिलाकर १ जुलाई, १९४९ को त्रावनकोर-कोचीन राज्य बना दिया गया, किंतु मालाबार मद्रास प्रांत के अधीन रहा। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, १९५६ के तहत त्रावनकोर-कोचीन राज्य तथा मालाबार को मिलाकर १ नवंबर, १९५६ को केरल राज्य बनाया गया। केरल के अधिकांश द्वीप जो त्रावणकोर-मालाबार राज्य में आते थे, अब एर्नाकुलम जिले में आते हैं। मालाबार क्षेत्र के अंतर्गत पर्वतों का अत्यधिक आर्द्र क्षेत्र आता है। वनीय वनस्पति में प्रचुर होने के साथ-साथ इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलों, जैसे नारियल, सुपारी, काली मिर्च, कॉफी और चाय, रबड़ तथा काजू का उत्‍पादन किया जाता है। मालाबार क्षेत्र केरल का बड़ा व्यावसायिक क्षेत्र माना जाता है। यहाँ उच्चकोटि के कागज का भी निर्माण होता है। यहां पर एशिया की सबसे मशहूर प्लाईवुड फैक्टरी भी स्थित है। इसके अलावा यहां के निकटवर्ती स्थानों पर फूलों के उत्पादन तथा उनके निर्यात के प्रमुख केंद्र भी स्थित हैं। हस्तकला की वस्तुओं तथा बीड़ी आदि का उत्पादन भी मालाबार में काफी होता है। मालाबार तट पर बसे हुए कण्णूर नगर में पयंबलम, मुझापूलंगड तथा मियामी जैसे सुंदर बीच हैं जो अभी पर्यटकों में अधिक प्रसिद्ध नहीं हैं, अतएव शांत वातावरण बनाए हुए हैं। यहां पायथल मलै नामक आकर्षक पर्वतीय स्थल भी है। निकट ही यहां का सर्प उद्यान है जहां पर अनेक प्रकार के सांपों का प्रदर्शन किया गया है। इस स्थान पर सर्पदंश चिकित्सा केंद्र भी बना है। मालाबार में मलावलतम नदी के किनारे पर परासनी कडायू का प्रसिद्ध मंदिर है, जो केवल हिंदू ही नहीं बल्कि अन्य सभी जातियों के लिए भी समान रूप से खुला है। यह मुथप्पन भगवान का मंदिर माना जाता है जो शिकारियों के देवता हैं। इसीलिए इस मंदिर में कांसे के बने हुए कुत्तों की मूर्तियां हैं। यहां ताड़ी तथा मांस का प्रसाद मिलता है तथा यहां के पुजारी दलित वर्ग के होते हैं। केरल की अधिकांश मुस्लिम आबादी, जिन्हें मप्पिला कहते हैं इसी क्षेत्र में निवास करती हैं। मालाबार के हिन्दुओं में गुड़ी पड़वा उत्सव का विशेष महत्त्व है। मालाबार क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य, संस्कृति तथा प्रदूषण रहित वातावरण को देख कर मन खुश हो जाता है। वास्को डा गामा की यात्रा के ५०० वर्ष पूरे होने के कारण यह स्थान विश्व प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका है। मालाबार में कालीकट से १६ कि॰मी॰ दूर कापड़ बीच है, जहां २१ मई, १४९८ को वास्को दा गामा ने पहला कदम भारत की भूमि पर रखा था। प्रभासाक्षी पर .

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मालाबार सागरतट

मालाबार सागरतट (Malabar Coast) भारत के दक्षिणपूर्वी भाग में अरब सागर से लगे सागरतट को कहते हैं। यह दक्षिण भारत का सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र है, क्योंकि पश्चिमी घाट के पहाड़ मानसून में आने वाले बादलों को बाधित कर के उन्हें अपने पश्चिमी मुखों पर वर्षा गिराने पर विवश कर देते हैं। .

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मालेनाडु

मालेनाडु भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। श्रेणी:दक्षिण भारत के पर्वत.

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मुम्बई

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .

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मुलैयानागिरि

मुलैयानागिरि भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। श्रेणी:दक्षिण भारत के पर्वत.

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मैंगलुरु

मैंगलुरु (तुळु: कुड्ला; कोंकणी: कोडयाल; ब्यारि: मायकला; कन्नड: ಮಂಗಳೂರು / मंगलुरु) भारत के कर्नाटक प्रान्त का एक शहर है। यह शहर देश के पश्चिमी भाग में आता है। इस शहर के पूर्व में पश्चिमी घाट और पशिचम में अरब सागर है। मैंगलूर दक्षिण कन्नड जिले का मुख्यालय है। .

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मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान

मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान कर्नाटक के साथ पूर्वी सीमा पर संगेम तालुक, गोवा में दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट में स्थित १०७ वर्ग किलोमीटर का एक राष्ट्रीय उद्यान है। यह क्षेत्र मोलेम शहर के पास स्थित है और गोवा राज्य की राजधानी पणजी के पूर्व ५७ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भगवान महावीर अभयारण्य के साथ मिलकर इसका क्षेत्रफल २४० वर्ग किलोमीटर बन जाता है। श्रेणी:भारत के अभयारण्य श्रेणी:राष्ट्रीय उद्यान, भारत श्रेणी:भारत के राष्ट्रीय उद्यान.

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यशोवर्मन (कन्नौज नरेश)

हिमालय.jpg himalaya यशोवर्मन का राज्यकाल ७०० से ७४० ई० के बीच में रखा जा सकता है। कन्नौज उसकी राजधानी थी। कान्यकुब्ज (कन्नौज) पर इसके पहले हर्ष का शासन था जो बिना उत्तराधिकारी छोड़े ही मर गये जिससे शक्ति का 'निर्वात' पैदा हुआ। यह भी संभ्भावना है कि उसे राज्याधिकार इससे पहले ही ६९० ई० के लगभग मिला हो। यशोवर्मन्‌ के वंश और उसके प्रारंभिक जीवन के विषय में कुछ निश्चयात्मक नहीं कहा जा सकता। केवल वर्मन्‌ नामांत के आधार पर उसे मौखरि वंश से संबंधित नहीं किया जा सकता। जैन ग्रंथ बप्प भट्ट, सूरिचरित और प्रभावक चरित में उसे चंद्रगुप्त मौर्य का वंशज कहा गया है किंतु यह संदिग्ध है। उसका नालंदा अभिलेख इस विषय पर मौन है। गउडवहो में उसे चंद्रवंशी क्षत्रिय कहा गया है। गउडवहो में यशोवर्मन्‌ की विजययात्रा का वर्णन है। सर्वप्रथम इसके बाद बंग के नरेश ने उसकी अधीनता स्वीकार की। दक्षिणी पठार के एक नरेश को अधीन बनाता हुआ, मलय पर्वत को पार कर वह समुद्रतट तक पहुँचा। उसने पारसीकों (पारसी) को पराजित किया और पश्चिमी घाट के दुर्गम प्रदेशों से भी कर वसूल किया। नर्मदा नदी पहुँचकर, समुद्रतट के समीप से वह मरू देश पहुँचा। तत्पश्चात्‌ श्रीकंठ (थानेश्वर) और कुरूक्षेत्र होते हुए वह अयोध्या गया। मंदर पर्वत पर रहनेवालों को अधीन बनाता हुआ वह हिमालय पहुँचा और अपनी राजधानी कन्नौज लौटा। इस विरण में परंपरागत दिग्विजय का अनुसरण दिखलाई पड़ता है। पराजित राजाओं का नाम न देने के कारण वर्णन संदिग्ध लगता है। यदि मगध के पराजित नरेश को ही गौड़ के नरेश स्वीकार कर लिया जाय तो भी इस मुख्य घटना को ग्रंथ में जो स्थान दिया गया है वह अत्यल्प है। किंतु उस युग की राजनीतिक परिस्थिति में ऐसी विजयों को असंभव कहकर नहीं छोड़ा जा सकता। अन्य प्रमाणों से विभिन्न दिशाओं में यशोवर्मन्‌ की कुछ विजयों का संकेत और समर्थन प्राप्त होता है। नालंदा के अभिलेख में भी उसकी प्रभुता का उल्लेख है। अभिलेख का प्राप्तिस्थान मगध पर उसके अधिकार का प्रमाण है। चालुक्य अभिलेखों में सकलोत्तरापथनाथ के रूप में संभवत: उसी का निर्देश है और उसी ने चालुक्य युवराज विजयादित्य को बंदी बनाया था। अरबों का कन्नौज पर आक्रमण सभवत: उसी के कारण विफल हुआ। कश्मीर के ललितादित्य से भी आरंभ में उसके संबंध मैत्रीपूर्ण थे और संभवत: दोनों ने अरब और तिब्बत के विरूद्ध चीन की सहायता चाही हो किंतु शीघ्र ही ललितादित्य और यशोवर्मन्‌ की महत्वाकांक्षाओं के फलस्वरूप दीर्घकालीन संघर्ष हुआ। संधि के प्रयत्न असफल हुए और यशोंवर्मन्‌ पराजित हुआ। संभवत: युद्ध में यशोवर्मन्‌ की मृत्यु नहीं हुई थी, फिर भी इतिहास के लिये उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। यशेवर्मन्‌ ने भवभूति और वाक्पतिराज जैसे प्रसिद्ध कवियों को आश्रय दिया था। वह स्वयं कवि था। सुभाषित ग्रथों के कुछ पद्यों और रामाभ्युदय नाटक का रचयिता कहा जाता है। उसने मगध में अपने नाम से नगर बसाया था। उसका यश गउडवहो और राजतरंगिणी के अतिरिक्त जैन ग्रंथ प्रभावक चरित, प्रबंधकोष और बप्पभट्ट चरित एवं उसके नालंदा के अभिलेख में परिलक्षित होता है। कश्मीर से यशोवर्मा के नाम के सिक्के प्राप्त होते हैं। यशोवर्मा के संबंध में विद्वानों ने अटकलबाजियाँ लगाई थीं। कुछ ने उसे कन्नौज का यशोवर्मन्‌ ही माना है। किंतु अब इसमें संदेह नहीं रह गया है कि यशोवर्मा कश्मीर के उत्पलवंशीय नरेश शंकरवर्मन का ही दूसरा नाम था। .

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रतनगढ़

रतनगढ़ (रतनगड) भारत के महाराष्ट्र राज्य के रतन वाड़ी क्षेत्र में स्थित एक किला है, जहाँ से, कृत्रिम रूप से बने सबसे पुराने जलग्रहण क्षेत्रों में से एक क्षेत्र, भंडारदारा का अत्यंत मनोहारी दृश्य दिखाई पड़ता है। यह किला लगभग 200 साल पुराना है। रतनगढ़ का शिखर एक ऐसी प्राकृतिक चट्टान से बना है जिसके ऊपरी सिरे में एक छेद है जिसे "सूई की आँख" कहते हैं। .

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रायोलाइट

एक पोर्फिरी रायोलाइट शैल रायोलाइट (Rhyolite) एक आग्नेय शैल है। .

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लुशिंगटन जल प्रपात

लुशिंगटन जल प्रपात दक्षिण भारत का एक जल प्रपात है। यह पश्चिमी घाट की पर्वतमाला में आता है। इसे उँछल्ली फॉल्स (कन्नड़: ಉಂಚಳ್ಳಿ ಜಲಪಾತ) के रूप में भी जाना जाता है यह एक 116 मीटर (381 फीट) ऊँचा झरना है जो अघंनाशिनी नदी में गिरता है। यह कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में सिद्धपुर के पास स्थित है। ब्रिटिश सरकार के लिए एक जिला कलेक्टर जे.

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लैटेराइट मृदा

भारत के अंगदिपुरम में लैटेराइट की खुली खान लैटेराइट मृदा या 'लैटेराइट मिट्टी'(Laterite) का निर्माण ऐसे भागों में हुआ है, जहाँ शुष्क व तर मौसम बार-बारी से होता है। यह लेटेराइट चट्टानों की टूट-फूट से बनती है। यह मिट्टी चौरस उच्च भूमियों पर मिलती है। इस मिट्टी में लोहा, ऐल्युमिनियम और चूना अधिक होता है। गहरी लेटेराइट मिट्टी में लोहा ऑक्साइड और पोटाश की मात्रा अधिक होती है। लौह आक्साइड की उपस्थिति के कारण प्रायः सभी लैटराइट मृदाएँ जंग के रंग की या लालापन लिए हुए होती हैं। लैटराइट मिट्टी चावल, कपास, गेहूँ, दाल, मोटे अनाज, सिनकोना, चाय, कहवा आदि फसलों के लिए उपयोगी है। लैटराइट मिट्टी वाले क्षेत्र अधिकांशतः कर्क रेखा तथा मकर रेखा के बीच में स्थित हैं। भारत में लैटेराइट मिट्टी तमिलनाडु के पहाड़ी भागों और निचले क्षेत्रों, कर्नाटक के कुर्ग जिले, केरल राज्य के चौडे समुद्री तट, महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले, पश्चिमी बंगाल के बेसाइट और ग्रेनाइट पहाड़ियों के बीच तथा उड़ीसा के पठार के ऊपरी भागों में मिलती है। .

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शरावती नदी

शरावती नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। इस नदी पर भारतभर में प्रसिद्ध जोग जल प्रपात स्थित है, जो गोवा से दक्षिण दिशा में करीब १६० किलोमीटर की दूरी पर है। .

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शहापुर

शहापुर भारतीय राज्य महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले का एक जनगणना नगर हैं, जो पश्चिमी घाट से घिरा हुआ हैं। शहापुर तालुका ठाणे ज़िला के ७ तालुकों में सबसे बड़ा तालुका हैं। स्थानीय मन्दिरों में मानस मन्दिर (जैन मन्दिर) और गुरुद्वारा सम्मिलित हैं।.

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शारावती

शारावती एक नदी है जिसका उद्गम भारत के कर्नाटक राज्य में है और इसी राज्य में बहती हुई यह इसी राज्य में समाप्त हो जाती है। यह नदी भारत की गिनी चुनी नदियों में से है जो पश्चिम की तरफ बहतीं हैं। इस नदी का अधिकांश भाग पश्चिमी घाट में है। प्रसिद्ध जोग जलप्रपात इसी नदी के द्वारा निर्मित है। यह नदी तथा इसके आस-पास का क्षेत्र जैवविविधता की दृष्टि से बहुत समृद्ध है। श्रेणी:भारत की नदियाँ.

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शिवासमुद्रम जल प्रपात

शिवासमुद्रम जल प्रपात दक्षिण भारत का एक जल प्रपात है। यह पश्चिमी घाट की पर्वतमाला में आता है। श्रेणी:दक्षिण भारत के जल प्रपात.

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श्रीपाद दामोदर सतवलेकर

वेदमूर्ति श्रीपाद दामोदर सातवलेकर (19 सितंबर 1867 - 31 जुलाई 1968) वेदों का गहन अध्ययन करनेवाले शीर्षस्थ विद्वान् थे। उन्हें 'साहित्य एवं शिक्षा' के क्षेत्र में सन् 1968 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था। .

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सतारी

सतारी या सत्तरी (कोंकणी:सत्तरी), भारत के राज्य गोवा के उत्तर गोवा जिले का एक तालुक है। इसका मुख्यालय वलपोई है। इसे गोवा की स्थानीय शराब फेनी की स्थानीय राजधानी भी कहा जाता है। पश्चिमी घाट, सतारी तालुक के पूर्वी भाग की रचना करते हैं। सतारी तालुक का भौगोलिक क्षेत्र 490 वर्गकिमी है, जिसमें से 208 वर्गकिमी क्षेत्र पर महादेई अभयारण्य आच्छादित है। मांडवी नदी तालुक की जीवनरेखा है। सतारी पूर्व में कर्नाटक, पश्चिम में बिचोलिम और पोंडा तालुक, उत्तर में महाराष्ट्र और दक्षिण में संगेम तालुक से घिरा है। .

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सतोडी जल प्रपात

सतोडी जल प्रपात दक्षिण भारत का एक जल प्रपात है। यह पश्चिमी घाट की पर्वतमाला में आता है। श्रेणी:दक्षिण भारत के जल प्रपात.

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सरीसृप

सरीसृप (Reptiles) प्राणी-जगत का एक समूह है जो कि पृथ्वी पर सरक कर चलते हैं। इसके अन्तर्गत साँप, छिपकली,मेंढक, मगरमच्छ आदि आते हैं। .

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सिंहगढ़

सिंहगढ़, सिंहगड, (अंग्रेजी: Sinhgad (The Lion's Fort),भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे ज़िले में स्थित एक पहाड़ी क्षेत्र तथा दुर्ग है जो पुणे से लगभग ३० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दुर्ग को पहले कोंढाना के नाम से भी जाना जाता था। .

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सुजलॉन एनर्जी

किंग सिटी, मिसौरी में ब्लूग्रास रिज विंड फ़ार्म पर एक पुराने गैस पंप के सामने रखे सुजलॉन जनरेटर सुजलॉन एनर्जी भारत में स्थित एक वैश्विक पवन ऊर्जा कम्पनी है। बाजार में हिस्सेदारी के मामले में, यह कंपनी एशिया में चौथी सबसे बड़ी विंड टरबाइन निर्माता है (और दुनिया भर में 8वीं सबसे बड़ी).

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स्वर्ण मंदिर मेल

फ्रंटियर मेल जिसे अब स्वर्ण मंदिर मेल के नाम से जाना जाता है, भारत की सबसे पुरानी रेलगाड़ियों में से एक है, जिसका परिचालन आज तक किया जा रहा है। अपने शुरुआती दौर में, फ्रंटियर मेल बंबई (अब मुंबई) को पेशावर से जोड़ती थी जो कि अविभाजित भारत के पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत में स्थित था और इसी से इसका नाम फ्रंटियर (सीमांत) पड़ा था। इस रेलगाड़ी का जिक्र हिंदी फिल्म नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो में किया गया है: कहते हैं कि नेताजी 1944 में फ्रंटियर मेल से पेशावर गये थे और वहाँ से अफगानिस्तान के काबुल को चले गये थे। भारत के विभाजन के बाद, फ्रंटियर मेल मुंबई और अमृतसर के बीच चलने लगी जो इस रेलमार्ग पर भारत का अंतिम शहर है। 1996 में इसका नाम बदलकर सिखों के पवित्रतम स्थल स्वर्ण मंदिर के नाम पर स्वर्ण मंदिर मेल (12903UP/12904DN) कर दिया गया। .

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सोंसोगोर

सोंसोगोर भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। श्रेणी:दक्षिण भारत के पर्वत.

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सीसपारा

सीसपारा भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। श्रेणी:दक्षिण भारत के पर्वत.

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हरिशचंद्रगढ़

हरिशचन्द्रगढ़ भारत के अहमदनगर जिले का एक पर्वतीय दुर्ग है। इसका इतिहास मलशेज घाट और कोठाले ग्राम से जुड़ा है। दुर्ग का इनकी एवं निकटवर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा में बड़ा हाथ रहा है। .

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हरीशचंद्रगढ़

हरीशचंद्रगढ़ भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। श्रेणी:दक्षिण भारत के पर्वत.

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हलसी

हलसी (कन्नड़ ಹಳಸಿ) जिसे हालसी या हालशी भी कहते हैं, उत्तरी कर्नाटक के बेलगाम जिला के खानपुर ताल्लुक का का एक शहर है। यह खानापुर से १४ कि.मी और कित्तूर से २५ कि.मी दूर है। यह कदंब वंश की राजधानी रहा है। इस कारण यहां अनेक ऐतिहासिक स्मारक एवं इमारतें हैं। हलसी की पृष्ठभूमि पश्चिमी घाट के हरे-भरे वनों से भरी है। यहाम एक वृहत भूवाराह मंदिर भी है इस मंदिर में भगवान नृसिंह, वाराह, नारायण और सूर्य की बड़ी मूर्तियां स्थापित हैं। इसके अलावा यहां अगोकामेश्वर, हाटकेश्वर, कपिलेश्वर, स्वामेश्वर, आदि भी मंदिर हैं। Image:Halasi_1.jpg Image:Halasi_2.jpg Image:Halasi_3.jpg Image:Halasi_4.jpg Image:Halasi_5.jpg Image:Halasi_6.jpg Image:Halasi_7.jpg Image:Halasi_8.jpg Image:Halasi_9.jpg Image:Halasi_2.jpg Image:Halasi_11.jpg Image:Halasi_12.jpg Image:Halasi_13.jpg Image:Halasi_14.jpg Image:Halasi_15.jpg .

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हार्ट-स्पॉटेड कठफोड़वा

हार्ट-स्पॉटेड कठफोड़वा (हेमीसिर्कस कैनेंटे) कठफोड़वा परिवार में पक्षियों की एक प्रजाति है। उनमें विपरीत रंगों, सफ़ेद तथा काले का संयोजन पाया जाता है, एक नाटे परन्तु सुदृढ़ शरीर के साथ एक ढलुआं आकार का सिर इसे आसानी से पहचाने जाने योग्य बनाते हैं, तथा इनकी नियमित पुकार इन्हें आसनी से खोजे जाने योग्य बनाती है, ये अपृष्ठवंशियों (मुख्यतः कीट) रूपी चारा खोजने के लिए वृक्षों की टहनियों के नीचे तनों पर जाते हैं। वे जोड़े अथवा छोटे समूह में देखे जाते हैं तथा अक्सर चारा खोजता हुआ मिश्रित-प्रजाति का समूह के भाग के रूप में भी दिखाई देते हैं। इनका व्यापक वितरण सम्पूर्ण एशिया में विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिमी और मध्य भारत के जंगलों में, जो अपने विस्तार में हिमालय तथा दक्षिण-पूर्व एशिया से अलग होते हैं, पाया जाता है। .

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होयसल राजवंश

होयसल प्राचीन दक्षिण भारत का एक राजवंश था। इसने दसवीं से चौदहवीं शताब्दी तक राज किया। होयसल शासक पश्चिमी घाट के पर्वतीय क्षेत्र वाशिन्दे थे पर उस समय आस पास चल रहे आंतरिक संघर्ष का फायदा उठाकर उन्होने वर्तमान कर्नाटक के लगभग सम्पूर्ण भाग तथा तमिलनाडु के कावेरी नदी की उपजाऊ घाटी वाले हिस्से पर अपना अधिकार जमा लिया। इन्होंने ३१७ वर्ष राज किया। इनकी राजधानी पहले बेलूर थी पर बाद में स्थानांतरित होकर हालेबिदु हो गई। Siegessäule in चेन्नकेशव मंदिर, बेलूर Shiva und Parvati, होयसलेश्वर मंदिर, हालेबिदु .

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जुवारी नदी

जुवारी नदी भारत के गोवा राज्य में बहने वाली सबसे लम्बी नदी है। यह एक ज्वारीय नदी है। इस नदी का उद्गम पश्चिमी घाट में स्थित हेमद-बार्शम में है। जुवारी नदी को आन्तरिक क्षेत्रों में अघनाशिनी नाम से भी जाना जाता है। यह नदी दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है और इन तालुकों से होकर गुजरती है: तिसवाड़ी, पौण्डा, सालसेटी, संग्यूम और क्यूपम। जुवारी नदी 92 किमी लम्बी है, लेकिन यह अन्य नदियों और नहरों से जुड़ी हुई है जैसे माण्डवी नदी (लम्बाई 62 किमी) और कम्बर्जुआ नहर (लम्बाई 15 किमी)। गोवा में बहने वाली अन्य नदियाँ कम लम्बाई की हैं जैसे तेरेखोल (22 किमी), चापोरा (29 किमी), बागा (5 किमी), साल (16 किमी), तलपोना (11 किमी), और गाल्जीबग (4 किमी)। इन नदियों की लम्बाई और चौड़ाई ज्वार भाटे और मौसमी बाढ़ के साथ-साथ बदलते रहते हैं। जुवारी और माण्डावी नदियाँ आपस में मिलकर एक मुहाना बनाती हैं। ये नदिया गोवा के कृषि क्षेत्र का प्रमुख कारक हैं। इन दोनों नदियों को जोड़ने वाली कम्बर्जुआ नहर के कारण राज्य के आन्तरिक स्थानों में स्थित लौह अयस्क की खादानों तक जलपोतों का नौचालन सम्भव हो सका है। इन दोनों नदियों का जल काबो अगुआडा स्थान पर अरब सागर में गिरता है, जहाँ इन नदियों के मिलन से मोर्मुगाओ बन्दरगाह आकार लेता है। बन्दरगाह नगर वास्को द गामा जुवारी नदी कें नदीमुख पर स्थित है। .

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घाट

वाराणसी का एक घाट घाट का सामान्य अर्थ नदी तक उतरती सीढियों से निर्मित स्थल है। हिन्दी तथा संस्कृत में घाट जैसे स्थानों के लिए एक और शब्द का प्रयोग होता है - दीघा। भारतीय प्रायद्वीप के दक्क्न के पठार के दोनो किनारों पर बने पर्वतों को भी घाट का नाम दिया जाता है - पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट। नदी, तालाब, झील या समुद्र के किनारे बने सुविधाजनक ढलान वहां रह रहे लोगों की आम जिंदगी का हिस्सा होता है। काफी बार ऐसे स्थलों का धार्मिक (हिन्दू) महत्व होता है। घाट शब्द का मूल "घट्" है, जिसका तात्पर्य प्रधानरूपेण घटने से होता है। नदी किनारे बने घाटों में इस शब्द का उपयोग सीढियों के अवतरण को इंगित करता है, जबकि भारतीयप्रायद्वीप के तटों पर यह शब्द पहाडियों के अवतरण को बतलाता है। घाट शब्द का उपयोग एक मुहावरे ‍ "मौत के घाट उतारना" (अर्थात् हत्या करना) में भी होता है, किन्तु यहाँ पर इसका उपयोग हिन्दुओं द्वारा शवदहन प्रायः किसी घाट पर किये जाने के कारण है।.

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वालपय

वालपय भारत के गोवा राज्य के उत्तर गोवा जिले में स्थित एक नगर और नगपालिका है। यह सटारी तालुक का मुख्यालय नगर है। पश्चिमी घाट इस कस्बे के पूर्व में स्थित है। .

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विजयसार

विजयसार की पत्तियाँ विजयसार (वान्स्पतिक नाम: Pterocarpus marsupium) मध्य ऊँचाई से लेकर अधिक ऊँचाई वाला वृक्ष है। यह एक पर्णपाती वृक्ष है जिसकी ऊँचाई ३० मीटर तक हो सकती है। यह भारत, नेपाल और श्रीलंका का देशज है। भारत में यह पश्चिमी घाट तथा मध्य भारत के वनों में पैदा होता है। श्रेणी:औषधीय पादप इसे वीजा साल, बीजा, मुर्गा लकड़ी, पैसार आदि नामों से भी जाना जाता है। इस वृक्ष के छाल को कुरेदने पर या काटने पर एक लाल रंग के तरल का स्राव होता है। यह स्राव रक्त की तरह गाढ़ा होता है। इस कारण से इसे बिल्डिंग ट्री भी कहते हैं। यह वृक्ष शाल के वृक्ष का एसोसिएट है। साल के वनों में यह छिटपुट उपस्थित रहता है। इस वृक्ष के प्योर पैच नहीं मिलते। साल मिसलेनियस फॉरेस्ट में अधिकांशतः जहां-तहां यह वृक्ष है पाया जाता है। इस वृक्ष का मेडिसिनल वैल्यू भी है। इस वृक्ष का स्राव मधुमेह की बीमारी, या शुगर की बीमारी का उपचार है। इस वृक्ष की लकड़ी से अच्छे फर्नीचर बनाए जाते हैं। यह वृक्ष धीरे धीरे लुप्तप्राय होता जा रहा है।.

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विज्ञान एक्‍सप्रेस

विज्ञान एक्‍सप्रेस (Science Express) एक रेल पर सवार बच्चों के लिए एक गतिशील वैज्ञानिक प्रदर्शनी है जो पूरे भारत में यात्रा करती है। यह परियोजना ३० अक्टूबर २००७ को सफदरजंग रेलवे स्टेशन, दिल्ली में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई थी। हालांकि ये सभी के लिए खुला है, ये प्रदर्शनी मुख्य रूप से छात्रों और शिक्षकों को लक्षित करती हैं। ट्रेन के नौ चरण हो चुके हैं और तीन विषयों पर प्रदर्शन किया गया है। २००७ से २०११ के पहले चार चरणों को साइंस एक्सप्रेस कहा जाता था और ये माइक्रो और मैक्रो कॉस्मॉस पर केंद्रित था। २०१२ से २०१४ के अगले तीन चरणों में जैव विविधता विशेष के रूप में प्रदर्शन को फिर से तैयार किया गया। २०१५ से २०१७ के आठवें और नौवें चरण को जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बदल दिया गया था। .

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वेन नदी

वेन नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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वेल्लरिमलय

वेल्लरिमलय भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। श्रेणी:दक्षिण भारत के पर्वत.

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खरमोर

खरमोर खरमोर (वैज्ञानिक नाम: Sypheotides indicus; अंग्रेजी: Lesser Florican) एक बड़े आकार का लम्बी टाँगों वाला भारतीय पक्षी है। इसे 'चीनीमोर' या 'केरमोर' भी कहते हैं। यह मुख्यतः उत्तर-पश्चिमी महाराष्ट्र, नासिक, अहमदनगर से लेकर पश्चिमी घाट तक के भारतीय क्षेत्र में पाया जाता है किन्तु वर्षा ऋतु में यह मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात तक फैल जाता है। कभी कभार यह दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ पश्चिमी भागों तक भी पहुँच जाता है। पर भारत के बाहर यह पक्षी अनजाना है। भारत में रतलाम, सरदारपुर सहित कई स्थानों पर खरमोर के अभयारण्य हैं। नर और मादा बहुत कुछ एक से ही होते हैं। इसके सिर, गर्दन और नीचे का भाग काला और ऊपरी हिस्सा हलका सफेद और तीर सदृश काले चित्तियों से भरा रहता है। कान के पीछे कुछ पंख बढ़े हुए रहते हैं। प्रणय ऋतु में नर बहुत चमकीला काले रंग का हो जाता है और सिर पर एक सुंदर कलँगी निकल आती है। मादा नर से कुछ बड़ी होती है। नर का जाड़ों में और मादा का पूरे वर्ष ऊपरी और बगल का भाग काले चिह्नों युक्त हलका बादामी रहता है। इस पक्षी को ऊबड़ खाबड़ और झाड़ियों से भरे मैदान बहुत पसंद हैं; जाड़ों में इसे खेतों में भी देखा जा सकता है। इसका मुख्य भोजन घासपात, जंगली फल, पौधों की जड़ें, नए कल्ले एवं कीड़े मकोड़े हैं। अन्य क्षेत्रीय नाम: .

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खानदेश

खानदेश खानदेश महाराष्ट्र के दक्षिणी पठार के उत्तरी-पश्चिमी कोने पर स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक क्षेत्र, जो मुंबई से लगभग ३००किमी उत्तरपश्चिम है। १८ वीं शताब्दी में यह भाग मराठा शासन में था तथा यहाँ अनेक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएँ हुई थीं। उसके पूर्व यह अहमद नगर के सुल्तानों के अधिकार में था। १६०१ ई. में अकबर ने इसे अपने साम्राज्य में सम्मिलित किया। पूरे क्षेत्र का क्षेत्रफल ९,९१८ वर्गमील है। १९०६ ई. में इस क्षेत्र को दो जिलों में विभाजित कर दिया गया: .

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खंडाला

खंडाला (मराठी: खंडाळा), भारत के राज्य महाराष्ट्र में, पश्चिमी घाट में स्थित एक पर्वतीय स्थल है। यह लोनावला से तीन किलोमीटर और कर्जत से सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। खंडाला, भोर घाट के एक छोर (ऊपर) पर स्थित है, जो कि दक्कन के पठार और कोंकण के मैदान के बीच के सड़क संपर्क पर स्थित एक प्रमुख घाट है। इस घाट से भारी सड़क और रेल यातायात गुजरता है। मुंबई और पुणे के बीच की मुख्य कड़ी मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे, खंडाला से ही होकर गुजरता है। पास के शहरों से आसान पहुंच के कारण, खंडाला हाइकिंग (पैदल यात्रा) करने वाले पर्यटकों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है। ड्यूक की नाक (ड्यूक्स नोज़) नामक पहाड़ी चोटी से खंडाला और भोर घाट के सुन्दर नज़ारों का आनन्द लिया जा सकता है। .

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गिरीगंगा उपत्यका

गिरीगंगा उपत्यका हिमाचल प्रदेश के तीन जनपदों शिमला, सोलन और सिरमौर में फैली है, और गिरी नदी इनके अधिकांश भागों से जलग्रहण कर यमुना में डालती है। इन क्षेत्रों के लोग गिरी नदी को गिरीगंगा के नाम से पुकारते हैं। गिरीगंगा का जलग्रहण क्षेत्र २,६३,८६१.८६ हेक्टेयर में राजबन (समुद्र तल से ३९१ मीटर ऊंचाई पर), उत्तराँचल और हिमाचल की सीमा पर यमुना से शिमला जनपद के जुब्बल कस्बे के ऊपर कूपड़ पर्वत (समुद्र तल से ३३५४ मीटर ऊंचाई पर) तक फैला है। गिरीगंगा, जुब्बल-रोहडू राष्ट्रीय मार्ग पर शिमला से ८० किलोमीटर दूर खड़ा-पत्थर नामक स्थान से लगभग ५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शिमला जनपद में कूपड़ पर्वत से निकल कर गिरीगंगा दक्षिण-पश्चिम दिशा में ४० किलोमीटर की दूरी तय कर, सोलन के पास से पूरब दिशा की ओर ८८ किलोमीटर की यात्रा के बाद रामपुर घाट में यमुना नदी में मिलती है। इस यात्रा में यह नदी गिरीगंगा उपत्यका का निर्माण करती है, यहाँ इसके चार महत्वपूर्ण पहलूओं, पौराणिक, ऐतिहासिक, जैविक और पारिस्थितिक, का उल्लेख है। .

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गंगामूल

गंगामूल भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। श्रेणी:दक्षिण भारत के पर्वत.

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गुरुपुर नदी

गुरुपुर नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे

1870 में ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे की सीमायें ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (हिन्दी अनुवाद: विशाल भारतीय प्रायद्वीप रेल), जिसे वर्तमान में भारतीय मध्य रेल के नाम से जाना जाता है और जिसका मुख्यालय बंबई (अब मुंबई) के बोरी बंदर (बाद में, विक्टोरिया टर्मिनस और वर्तमान में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस) में था। ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे का गठन 1 अगस्त 1849 को ब्रिटिश संसद के एक अधिनियम द्वारा, 50,000 पाउंड की शेयर पूंजी के साथ किया गया था। 17 अगस्त 1849 को इसने ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ एक 56 किमी लंबी प्रयोगात्मक लाइन के निर्माण और संचालन के लिए एक औपचारिक अनुबंध किया, जिसके अंतर्गत बंबई को खानदेश, बेरार तथा अन्य प्रेसीडेंसियों के साथ जोड़ने के लिए एक ट्रंक लाइन बिछाई जानी थी। इस काम के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशक न्यायालय ने जेम्स जे बर्कली को मुख्य आवासीय अभियंता तथा उनके सहायकों के रूप में सी बी कार और आर डब्ल्यू ग्राहम को नियुक्त किया। 1 जुलाई 1925 को इसके प्रबंधन को सरकार ने अपने हाथों में ले लिया। 5 नवम्बर 1951 को इसे मध्य रेल के रूप में निगमित किया गया। .

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गोकक जल प्रपात

गोकक प्रपात का जुलाई, २००६ का छायाचित्र गोकक जल प्रपात दक्षिण भारत का एक जल प्रपात है। यह पश्चिमी घाट की पर्वतमाला में आता है। श्रेणी:दक्षिण भारत के जल प्रपात.

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इरुपु जल प्रपात

इरुपु जल प्रपात दक्षिण भारत का एक जल प्रपात है। यह पश्चिमी घाट की पर्वतमाला में आता है। श्रेणी:दक्षिण भारत के जल प्रपात.

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इलायची पहाड़ियाँ

इलायची पहाड़ियाँ भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला की पहाड़ियाँ हैं। कार्डेमम का हिन्दी अर्थ इलाइची होता है। भारत के भौगोलिक द्र्ष्टिकोण से यह दक्षिण भारत की एक पहाड़ी है, जो अन्नामलाई (नीलगिरि पहाड़ी के दक्षिण में स्थित) पहाड़ियों के दक्षिण में स्थित है। कार्डेमम या इलाइची की पहड़ियों में इलाइची बहुत होती है, यही कारण है कि इन्हे इलाइची की पहाड़ियाँ कहा जाता है। कार्डेमम पहिड़ियो के दक्षिण में नागरकोयल की पहाड़ियाँ स्थित है। श्रेणी:दक्षिण भारत के पर्वत.

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इगतपुरी

इगतपुरी (इगतपुरी), भारत के राज्य महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित एक पर्वतीय स्थल और नगर परिषद है। यह पश्चिमी घाट पर स्थित है। इगतपुरी रेलवे स्टेशन मुंबई और नासिक रोड नामक रेलवे स्टेशनों के बीच स्थित है। सड़क मार्ग पर यह व्यस्त मुंबई-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग-3 पर मुंबई से 130 किमी और नासिक से 45 किमी की दूरी पर स्थित है। इगतपुरी की औसत ऊँचाई 586 मीटर है। इगतपुरी अपने बौद्ध ध्यान विपश्यना केन्द्र और वड़ापाव के लिए प्रसिद्ध है। इगतपुरी एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है और यहां पर विद्युतधारा में बदलाव के चलते (प्रत्यावर्ती धारा से एकदिष्ट धारा) रेलगाड़ियों के इंजन बदले जाते हैं, साथ ही यहां से चालक और गार्ड भी अपनी पालियां बदलते हैं। इंडियन रेलवे में जितने भी इगतपुरी स्तर के हैं उन सभी स्टशनों में इगतपुरी स्टेशन पर मिलने वाला भोजन सबसे उत्तम है अगर आप घुमक्कड़ प्रवर्ति के हैं तो आप के लिय इगतपुरी से अच्छी जगह कोई नहीं चारो तरफ फैले हुये पहाड़ आपका मन मोह लेते हैं प्रकृति ने अपनी पूरी ताकत लगा कर यहाँ पर अपनी छटा बिखेरी है .

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इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उद्यान

इंदिरा गांधी वन्य जीवन अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान (आईजीडब्ल्यूएलएस और एनपी) एक संरक्षित क्षेत्र है जिसका नाम प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर रखा गया है जिन्होंने 7 अक्टूबर 1961 को पार्क का दौरा किया था। इसे अक्सर टॉपस्लिप कहा जाता है जो पार्क के पूर्वोत्तर कोने में स्थित एक गांव है और आगंतुकों का मुख्य केंद्र है। यह नाम 19वीं सदी की एक स्थानीय प्रथा से उत्पन्न हुआ है जिसमें सागौन की लकड़ी के लट्ठों को पहाड़ियों से नीचे सरकाया जाता था। यह दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के कोयंबटूर जिले में पोलाची, वेलपराई और उदुमलपेट तालुकों की अनाईमलाई पहाड़ियों में स्थित है। 108 वर्ग किमी में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान 958 वर्ग किमी के इंदिरा गांधी वन्यजीव अभयारण्य का महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसे पहले अनाईमलाई वन्यजीव अभयारण्य कहा जाता था। इसे 1974 में एक अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था और 108 किमी2 क्षेत्र में तीन स्थानों - करियन शोला, ग्रास पहाड़ी और मंजमपट्टी में स्थित इसके विशिष्ट प्राकृतिक आवासों को 1989 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया था। पार्क और अभयारण्य, पश्चिमी घाट विश्व विरासत स्थल के एक हिस्से के रूप में यूनेस्को द्वारा विचाराधीन हैं। अनाईमलाई संरक्षण क्षेत्र डिंडीगुल जिले में अभयारण्य और पालनी पहाड़ी से मिलकर बना है। इंदिरा गांधी वन्य जीवन अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान का मानचित्र .

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कबीनी नदी

कबीनी नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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कर्नाटक

कर्नाटक, जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का गठन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अधीन किया गया था। पहले यह मैसूर राज्य कहलाता था। १९७३ में पुनर्नामकरण कर इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया। इसकी सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। २९ जिलों के साथ यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई व्याख्याओं में से सर्वाधिक स्वीकृत व्याख्या यह है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्कन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द का प्रयोग किया जाता था, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयुक्त है और मूलतः कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन साम्राज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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कर्नाटक/आलेख

कर्नाटक (उच्चारण), जिसे कर्णाटक भी कहते हैं, दक्षिण भारत का एक राज्य है। इस राज्य का सृजन १ नवंबर, १९५६ को राज्य पुनर्संगठन अधिनियम के अधीन किया गया था। मूलतः यह मैसूर राज्य कहलाता था और १९७३ में इसे पुनर्नामकरण कर कर्नाटक नाम मिला था। कर्नाटक की सीमाएं पश्चिम में अरब सागर, उत्तर पश्चिम में गोआ, उत्तर में महाराष्ट्र, पूर्व में आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु एवं दक्षिण में केरल से लगती हैं। राज्य का कुल क्षेत्रफल ७४,१२२ वर्ग मील (१,९१,९७६ कि॰मी॰²) है, जो भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का ५.८३% है। यह राज्य आठवां सबसे बड़ा राज्य है और इसमें २९ जिले हैं। राज्य की आधिकारिक और सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है कन्नड़। हालांकि कर्नाटक शब्द के उद्गम के कई सन्दर्भ हैं, फिर भी उनमें से सर्वाधिक स्वीकार्य तथ्य है कि कर्नाटक शब्द का उद्गम कन्नड़ शब्द करु, अर्थात काली या ऊंची और नाडु अर्थात भूमि या प्रदेश या क्षेत्र से आया है, जिसके संयोजन करुनाडु का पूरा अर्थ हुआ काली भूमि या ऊंचा प्रदेश। काला शब्द यहां के बयालुसीम क्षेत्र की काली मिट्टी से आया है और ऊंचा यानि दक्खन के पठारी भूमि से आया है। ब्रिटिश राज में यहां के लिये कार्नेटिक शब्द प्रयोग किया गया है, जो कृष्णा नदी के दक्षिणी ओर की प्रायद्वीपीय भूमि के लिये प्रयोग किया गया है और कर्नाटक शब्द का अपभ्रंश है। प्राचीन एवं मध्यकालीन इतिहास देखें तो कर्नाटक क्षेत्र कई बड़े शक्तिशाली साम्राज्यों का क्षेत्र रहा है। इन याज्यों के दरबारों के विचारक, दार्शनिक और भाट व कवियों के सामाजिक, साहित्यिक व धार्मिक संरक्षण में आज का कर्नाटक उपजा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दोनों ही रूपों, कर्नाटक संगीत और हिन्दुस्तानी संगीत को इस राज्य का महत्त्वपूर्ण योगदान मिला है। आधुनिक युग के कन्नड़ लेखकों को सर्वाधिक ज्ञानपीठ सम्मान मिले हैं। राज्य की राजधानी बंगलुरु शहर है, जो भारत में हो रही त्वरित आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी का अग्रणी योगदानकर्त्ता है। .

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कलसूबाई

कल्सुबाई भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। .

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कल्लड़ा नदी

कल्लड़ा नदी भारत के केरल राज्य के कोल्लम ज़िले की दो बड़ी नदियों में से एक है। यह तीन नदियों - कुलातुपुड़ा, चेन्डूरनी, कालतुरुती - के संगम से बनती है जिनका पानी पश्चिमी घाट से उतरता है। पालरुवी जलप्रपात भी नदी में पानी जोड़ता है। आगे जाकर कल्लड़ा नदी अष्टमुडी झील में विलय हो जाती है। कुल मिलाकर कल्लड़ा नदी का जलसम्भर क्षेत्र ९६० वर्ग किमी है। .

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कल्लई नदी

कल्लई नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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कालहाथी जल प्रपात

कालहाथी जल प्रपात दक्षिण भारत का एक जल प्रपात है। यह पश्चिमी घाट की पर्वतमाला में आता है। श्रेणी:दक्षिण भारत के जल प्रपात.

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काली नदी (कर्नाटक)

अन्य उपयोग हेतु देखें - काली नदी काली नदी और उसपर बना एक पुल। काली नदी या कालीनदी भारत के कर्णाटक राज्य में बहने वाली एक नदी है। बिजली उत्पादन के लिए इस नदी पर बहुत से बाँध बने हैं। इस नदी का उद्गम स्थल पश्चिमी घाट में है और यह पश्चिम की ओर बहती हुई करवर नामक कस्बे के निकट अरब सागर में मिल जाती है। नदी मुख्यतः उत्तरी कनार जिले से होकर बहती है। इस नदी की सहायक नदियाँ हैं, ऊपरी कनेरी और तत्थीहल्ला। यह नदी उत्तरी कनार जिले में ४ लाख लोगों की जीवनरेखा है और कई हज़ार अन्य लोगों, जिनमें करवर तट के मछुआरे भी हैं, के लिए यह नदी जीविका का साधन है। औद्योगिक इकाइयों द्वारा अनुपचारित निस्सारी नदी में छोड़ने, अवैध बालू खनन जो सूपा क्षेत्र में अंधाधुन्ध जारी है, के कारण नदी पारिस्थितिकी को बहुत क्षति पहुँची है। इसके अतिरिक्त नदी मुहाने पर बहुत सी रासायनिक कंपनियाँ हैं जहाँ से दशकों से विषाक्त अपशिष्ट नदी के जल में रिस रहा है। .

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कुट्रालम

कुट्रालम (कुत्रल्लम (குற்றாலம்) भारत के तमिल नाडु राज्य के तिरुनेलवेली जिले के पश्चिमी घाट पर औसतन 160 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक पंचायत कस्बा है। कई मौसमी और कुछ बारहमासी नदियाँ जैसे चित्तर नदी, मनिमुथर नदी, पचैयर नदी और ताम्ब्रपरणी नदी, इत्यादि का उद्गम इसी क्षेत्र से होता है। इस क्षेत्र में कई झरने और जलप्रपात तो है ही, साथ ही यहाँ पर हर तरफ स्वास्थ्य रिसोर्ट्स भी दिखाई देते हैं। इस कारण इस क्षेत्र का नाम दक्षिण भारत का स्पा पड़ गया है। .

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कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान

कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान भारत के कर्नाटक राज्य में चिकमंगलूर जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। यह भारत में पश्चिमी घाट का नम उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन के अंतर्गत दूसरा सबसे बड़ा वन्यजीव संरक्षित क्षेत्र है। यह उद्यान ६००.३२ वर्ग कि॰मी॰ में फैला हुआ है। इसे १९८७ में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। .

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कुंडली नदी

कुंडली नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है। .

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कृष्णा नदी

विजयवाड़ा में बहती कृष्णा कृष्णा भारत में बहनेवाली एक नदी है। यह पश्चिमी घाट के पर्वत महाबलेश्वर से निकलती है। इसकी लम्बाई प्रायः 1290 किलोमीटर है। यह दक्षिण-पूर्व में बहती हुई बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है। कृष्णा नदी की उपनदियों में प्रमुख हैं: तुंगभद्रा, घाटप्रभा, मूसी और भीमा.

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केरल

केरल (मलयालम: കേരളം, केरळम्) भारत का एक प्रान्त है। इसकी राजधानी तिरुवनन्तपुरम (त्रिवेन्द्रम) है। मलयालम (മലയാളം, मलयाळम्) यहां की मुख्य भाषा है। हिन्दुओं तथा मुसलमानों के अलावा यहां ईसाई भी बड़ी संख्या में रहते हैं। भारत की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर अरब सागर और सह्याद्रि पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य एक खूबसूरत भूभाग स्थित है, जिसे केरल के नाम से जाना जाता है। इस राज्य का क्षेत्रफल 38863 वर्ग किलोमीटर है और यहाँ मलयालम भाषा बोली जाती है। अपनी संस्कृति और भाषा-वैशिष्ट्य के कारण पहचाने जाने वाले भारत के दक्षिण में स्थित चार राज्यों में केरल प्रमुख स्थान रखता है। इसके प्रमुख पड़ोसी राज्य तमिलनाडु और कर्नाटक हैं। पुदुच्चेरी (पांडिचेरि) राज्य का मय्यष़ि (माहि) नाम से जाता जाने वाला भूभाग भी केरल राज्य के अन्तर्गत स्थित है। अरब सागर में स्थित केन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप का भी भाषा और संस्कृति की दृष्टि से केरल के साथ अटूट संबन्ध है। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व केरल में राजाओं की रियासतें थीं। जुलाई 1949 में तिरुवितांकूर और कोच्चिन रियासतों को जोड़कर 'तिरुकोच्चि' राज्य का गठन किया गया। उस समय मलाबार प्रदेश मद्रास राज्य (वर्तमान तमिलनाडु) का एक जिला मात्र था। नवंबर 1956 में तिरुकोच्चि के साथ मलाबार को भी जोड़ा गया और इस तरह वर्तमान केरल की स्थापना हुई। इस प्रकार 'ऐक्य केरलम' के गठन के द्वारा इस भूभाग की जनता की दीर्घकालीन अभिलाषा पूर्ण हुई। * केरल में शिशुओं की मृत्यु दर भारत के राज्यों में सबसे कम है और स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक है (2001 की जनगणना के आधार पर)।.

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केरल अनूपझीलें

केरल अनूपझीलें या केरल बैकवॉटर्स भारत के दक्षिण में स्थित केरल राज्य में अरब सागर से सामांतर कुछ दूरी पर स्थित खारी अनूप झीलों और झीलों की एक शृंखला है। इसमें प्राकृतिक और कृत्रिम नहरों द्वारा जुड़ी हुई पाँच बड़ी झीलें हैं जिनमें ३८ नदियाँ जल लाती हैं। यह केरल की उत्तर-दक्षिण लम्बाई के लगभग आधे भाग पर विस्तृत है। केरल अनूपझीलें पश्चिमी घाट से उतरती हुई नदियों के नदीमुखों के सामने समुद्री लहरों व ज्वार-भाटा के प्रभाव से बने बाधा द्वीपों के पीछे बन गई हैं। केरल अनूपझील क्षेत्र में नहरों, झीलों, नदियों और समुद्री क्षेत्रों पर विस्तृत ९०० किलोमीटर से अधिक जलमार्ग हैं। यहाँ जल के किनारे कई गाँव और नगर बसे हुए हैं जहाँ से पर्यटक इन अनूपझीलों का आनंद लेने आते हैं। भारत का राष्ट्रीय जलमार्ग ३ यहाँ कोल्लम से कोट्टापुरम तक २०५ किमी तय करता है और दक्षिणी केरल में तट के साथ-साथ समानांतर चलता है। यह माल-वहन और पर्यटन के लिये महत्वपूर्ण है।Ayub, Akber (ed), Kerala: Maps & More, Backwaters, 2006 edition 2007 reprint, pp.

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कोयना नदी

कोयना नदी भारत की एक प्रमुख नदी हैं। यह पश्चिमी घाट से निकलती है।यह महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट में स्थित महाबालेश्वर से निकलती है। .

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कोल्ली हिल्स

कोल्ली हिल्स पश्चिमी घाट की प्रमुख पर्वत श्रंखला है। यह नमक्कल जिला, तमिल नाडु में फैली हुई हैं। लगभग 400 वर्ग मील में फैली ये पहाडियां 18 मील लंबी और 12 मील चौड़ी हैं। अपनी प्राकृतिक सुंदरता से यह पहाड़ियां सबको आकर्षित करती हैं। पहाड़ियों से नमक्कल मैदान के नजारे देखे जा सकते हैं। प्रागैतिहासिक काल से इन पहाड़ियों में किसी का आवास नहीं है। तमिल साहित्य में इन पहाड़ियों का उल्लेख मिलता है। कम से कम सात कवियों की कविताओं में कोल्ली हिल्स का जिक्र मिलता है। सर्वयारन की पहाड़ियों के बाद केवल यही पहाड़ियां बरसाती वनों से ढकी रहती हैं। कोल्ली हिल्स में बहुत से मनमोहक झरने भी देखे जा सकते हैं। श्रेणी:पश्चिमी घाट श्रेणी:भारत के पर्वत श्रेणी:तमिल नाडु के पर्वतीय स्थल.

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अनाइमुडी

अनाइमुडी भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। श्रेणी:दक्षिण भारत के पर्वत श्रेणी:भारत के पर्वत श्रेणी:दो हज़ारी श्रेणी:केरल के पर्वत श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अन्नामलाई की पहाड़ियाँ

अन्नामलाई की पहाड़ियां (ஆனைமலை) पश्चिमी घाट की पर्वत श्रेणियाँ हैं और तमिलनाडु राज्य, दक्षिण-पूर्व भारत में एलीफेंट पर्वतमाला के नाम से विख्यात हैं। .

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अन्नामलाइ

आनेमलई के उलंडी जंगलों में प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है जो यहाँ आने वाले पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। प्रकृति ने यहाँ अपने सौंदर्य की छटा खूब बिखेरी है। ये जंगल पश्चिमी घाट के पूर्वी ढलानों पर स्थित हैं। पेडो की पत्तियाँ हरे रंग की होती है लेकिन यहाँ का वातावरण ऐसा है कि इन पत्तियों का हरा रंग कई छटाएं लिए हुए है। यहाँ आने पर जंगल की खुबसूरती आपको मंत्र-मुग्ध कर देती है। पत्तियों की खड़-खड़ के साथ-साथ घाटी में गुंजती कोयल की कूक कानों को अद्वितीय संगीत का एहसास कराती है। .

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अगस्त्य मलय

अगस्त्य मलय भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। श्रेणी:दक्षिण भारत के पर्वत श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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अंगिंद पर्वत

अंगिंद पर्वत भारत के पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का एक पर्वत है। श्रेणी:दक्षिण भारत के पर्वत श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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उच्चतम बिन्दु के आधार पर भारत के राज्य और संघ क्षेत्र

यह सूची भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों के उच्चतम बिन्दु के आधार पर है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

पश्‍चिमी घाट, सहयाद्रि, सह्याद्रि, सह्याद्री

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