लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

परवल

सूची परवल

परवल या 'पटोल' एक प्रकार की सब्ज़ी है। इसकी लता जमीन पर पसरती है। इसकी खेती असम, बंगाल, ओड़िशा, बिहार एवं उत्तर प्रदेश में की जाती है। परवल को हिंदी में 'परवल', तमिल में 'कोवाककई' (Kovakkai), कन्नड़ में 'थोंड़े काई' (thonde kayi) और असमिया, संस्कृत, ओडिया और बंगाली में 'पोटोल' तथा भोजपुरी, उर्दू, और अवध भाषा में 'परोरा' के नाम से भी जाना जाता है। इनके आकर छोटे और बड़े से लेकर मोटे और लम्बे में - 2 से 6 इंच (5 से 15 सेंटीमीटर) तक भिन्न हो सकते हैं। यह अच्छी तरह से साधारणतया गर्म और आर्द्र जलवायु के अन्दर पनपती है। .

3 संबंधों: महुआ, रोहू मछली, कुंदुरी

महुआ

महुआ की पतली डाली, पत्तियाँ और फल महुआ एक भारतीय उष्णकटिबंधीय वृक्ष है जो उत्तर भारत के मैदानी इलाकों और जंगलों में बड़े पैमाने पर पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम मधुका लोंगफोलिआ है। यह एक तेजी से बढ़ने वाला वृक्ष है जो लगभग 20 मीटर की ऊँचाई तक बढ़ सकता है। इसके पत्ते आमतौर पर वर्ष भर हरे रहते हैं। यह पादपों के सपोटेसी परिवार से सम्बन्ध रखता है। यह शुष्क पर्यावरण के अनुकूल ढल गया है, यह मध्य भारत के उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन का एक प्रमुख पेड़ है। गर्म क्षेत्रों में इसकी खेती इसके स्निग्ध (तैलीय) बीजों, फूलों और लकड़ी के लिये की जाती है। कच्चे फलों की सब्जी भी बनती है। पके हुए फलों का गूदा खाने में मीठा होता है। प्रति वृक्ष उसकी आयु के अनुसार सालाना 20 से 200 किलो के बीच बीजों का उत्पादन कर सकते हैं। इसके तेल का प्रयोग (जो सामान्य तापमान पर जम जाता है) त्वचा की देखभाल, साबुन या डिटर्जेंट का निर्माण करने के लिए और वनस्पति मक्खन के रूप में किया जाता है। ईंधन तेल के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है। तेल निकलने के बाद बचे इसके खल का प्रयोग जानवरों के खाने और उर्वरक के रूप में किया जाता है। इसके सूखे फूलों का प्रयोग मेवे के रूप में किया जा सकता है। इसके फूलों का उपयोग भारत के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में शराब के उत्पादन के लिए भी किया जाता है। कई भागों में पेड़ को उसके औषधीय गुणों के लिए उपयोग किया जाता है, इसकी छाल को औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जाता है। कई आदिवासी समुदायों में इसकी उपयोगिता की वजह से इसे पवित्र माना जाता है। .

नई!!: परवल और महुआ · और देखें »

रोहू मछली

रोहू मछली रोहू (वैज्ञानिक नाम - Labeo rohita) पृष्ठवंशी हड्डीयुक्त मछली है जो ताजे मीठे जल में पाई जाती है। इसका शरीर नाव के आकार का होता है जिससे इसे जल में तैरने में आसानी होती है। इसके शरीर में दो तरह के मीन-पक्ष (फ़िन) पाये जाते हैं, जिसमें कुछ जोड़े में होते हैं तथा कुछ अकेले होते हैं। इनके मीन पक्षों के नाम पेक्टोरेल फिन, पेल्विक फिन, (जोड़े में), पृष्ठ फिन, एनलपख तथा पुच्छ पंख (एकल) हैं। इनका शरीर साइक्लोइड शल्कों से ढँका रहता है लेकिन सिर पर शल्क नहीं होते हैं। सिर के पिछले भाग के दोंनो तरफ गलफड़ होते हें जो ढक्कन या अपरकुलम द्वारा ढके रहते हैं। गलफड़ों में गिल्स स्थित होते हैं जो इसका श्वसन अंग हैं। ढक्कन के पीछे से पूँछ तक एक स्पष्ट पार्श्वीय रेखा होती है। पीठ के तरफ का हिस्सा काला या हरा होता है और पेट की तरफ का सफेद। इसका सिर तिकोना होता है तथा सिर के नीचे मुँह होता है। इसका अंतः कंकाल हड्डियों का बना होता है। आहारनाल के ऊपर वाताशय अवस्थित रहता है। यह तैरने तथा श्वसन में सहायता करता है। भोजन के रूप में इसका विशेष महत्व है। भारत में उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा असम के अतिरिक्त थाइलैंड, पाकिस्तान और बांग्लादेश के निवासियों में यह सर्वाधिक स्वादिष्ट व्यंजनों में से एक समझी जाती है। उड़िया और बंगाली भोजन में इसके अंडों को तलकर भोजन के प्रारंभ में परोसा जाता है तथा परवल में भरकर स्वादिष्ट व्यंजन पोटोलेर दोलमा तैयार किया जाता है, जो अतिथिसत्कार का एक विशेष अंग हैं। बंगाल में इससे अनेक व्यंजन बनाए जाते हैं। इसे सरसों के तेल में तल कर परोसा जाता है, कलिया बनाया जाता है जिसमें इसे सुगंधित गाढ़े शोरबे में पकाते हैं तथा इमली और सरसों की चटपटी चटनी के साथ भी इसे पकाया जाता है। पंजाब के लाहौरी व्यंजनों में इसे पकौड़े की तरह तल कर विशेष रूप से तैयार किया जाता है। इसी प्रकार उड़ीसा के व्यंजन माचा-भाजी में रोहू मछली का विशेष महत्व है। ईराक में भी यह मछली भोजन के रूप में बहुत पसंद की जाती है। रोहू मछली शाकाहारी होती है तथा तेज़ी से बढ़ती है इस कारण इसे भारत में मत्स्य उत्पादन के लिए तीन सर्वश्रेष्ठ मछलियों में से एक माना गया है। .

नई!!: परवल और रोहू मछली · और देखें »

कुंदुरी

कुंदुरी या कुंदरू (Coccinia grandis, Kovakka अथवा Coccinia indica) एक उष्णकटिबंधीय लता है। यह सारे भारत में स्वतः भी उगती है और कुछ जगहों पर इसकी खेती भी की जाती है। इसकी जड़ें लंबी और फल २ से ५ सें.

नई!!: परवल और कुंदुरी · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »