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पटना विश्वविद्यालय

सूची पटना विश्वविद्यालय

पटना विश्वविद्यालय (पटना यूनिवर्सिटी) 1917 में स्थापित बिहार का सर्वाधिक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है। यह भारतीय उपमहाद्वीप का सातवाँ सबसे पुराना स्वतंत्र विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया था। स्थापना के पूर्व इसके अंतर्गत आनेवाले महाविद्यालय कलकता विश्वविद्यालय के अंग थे। यह पटना में गंगा के किनारे अशोक राजपथ के दोनों ओर अवस्थित है। इसके प्रमुख महाविद्यालयों में सायंस कॉलेज(केवल विज्ञान की पढ़ाई), पटना कॉलेज (केवल कला विषयों की पढ़ाई), वाणिज्य महाविद्यालय, पटना (केवल वाणिज्य विषयों की पढ़ाई), बिहार नेशनल कॉलेज (बी एन कॉलेज), पटना चिकित्सा महाविद्यालय, पटना कला एवं शिल्प महाविद्यालय, लॉ कालेज, पटना, मगध महिला कॉलेज तथा वुमेंस कॉलेज पटना सहित १३ महाविद्यालय है। 1886 में स्कूल ऑफ सर्वे के रूप में स्थापित तथा 1924 में बिहार कॉलेज ऑफ़ इंज़ीनियरिंग बना अभियंत्रण शिक्षा का यह केंद्र इसी विश्वविद्यालय का एक अंग हुआ करता था जिसे जनवरी 2004 में एन आई टी का दर्जा देकर स्वतंत्र कर दिया गया। .

42 संबंधों: एच सी वर्मा, एम्स पटना, तेजेन्द्र खन्ना, दरभंगा राज, देवेन्द्रनाथ शर्मा, नलिन विलोचन शर्मा, पटना, पटना महाविद्यालय, पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल, पपिया घोष, पुस्तकालय का इतिहास, बद्रीनाथ प्रसाद, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, बिधान चंद्र रॉय, बिन्देश्वर पाठक, बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान, बिहार, बिहार नेशनल कॉलेज, बिहार के विश्वविद्यालय, भारत में विश्वविद्यालयों की सूची, भारत के वित्त मंत्री, भारतीय प्रबंधन संस्थान बोध गया, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना, भारतीय मनोविज्ञान, भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा, मगध महिला कॉलेज, यशवंत सिन्हा, राम अवतार शर्मा, रामधारी सिंह 'दिनकर', राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, पटना, लालू प्रसाद यादव, शमीम हाशिमी, शंकर दयाल सिंह, श्याम नन्दन प्रसाद मिश्र, सावित्री बाई खानोलकर, सुरेन्द्र चौधरी, ईश्वरी प्रसाद गुप्ता, गौरीदत्त, गोपाल प्रसाद, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, अशोक राजपथ, अखौरी सिन्हा

एच सी वर्मा

हरीश चन्द्र वर्मा (जन्म १९५२), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में कार्यरत एक भौतिकविज्ञानी एवं प्राध्यापक हैं। इसके पूर्व उन्होने पटना के विज्ञान महाविद्यालय में अध्यापन किया। उनके कार्य का क्षेत्र नाभिकीय भौतिकी है। उन्होने अनेक पुस्तकों की रचना की है जिनमें 'कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स' अत्यन्त लोकप्रिय है। इनका जन्म दरभंगा में १९५२ इस्वी में हुआ था। अपनी पुस्तकों में इन्होने अपने माता-पिता और भारतीय संस्कृति को अपने जीवन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताया है। इनके पिता एक शिक्षक थे। .

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एम्स पटना

ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज पटना (एम्स पटना) (आधिकारिक तौर पर जयप्रकाश नारायण ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) पटना, बिहार, भारत में स्थित एक मेडिकल कॉलेज और मेडिकल रिसर्च पब्लिक यूनिवर्सिटी है। संस्थान स्वायत्तता से स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन काम करेगा और पारिवारिक कल्याण (भारत)। हालांकि 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान-350 करोड़ परियोजना (2004 अनुमान) के लिए आधारशिला रखी गई थी, केंद्र में बिजली बदलाव के कारण परियोजना में देरी हुई थी और इसकी लागत 5 3.35 अरब (51 मिलियन अमरीकी डालर) से बढ़कर billion 8.5 बिलियन (यूएस $ 130 मिलियन) तक बढ़ी। एम्स, पटना, आठ साल से अधिक समय तक निर्माणाधीन है। तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने 3 जनवरी 2004 को इसकी नींव रखी थी। 2004 में, केंद्र सरकार ने ऋषिकेश, भोपाल, पटना, जोधपुर, भुवनेश्वर और रायपुर में नई एम्स स्थापित करने का फैसला किया था। बिहार में संस्थान जैसे दूसरे एम्स की स्थापना 2015 के केंद्रीय बजट में घोषित की गई थी। सहारसा में दूसरा एम्स आने की संभावना है। .

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तेजेन्द्र खन्ना

तेजेन्द्र खन्ना (जन्म:१६ दिसंबर १९३८), ये १९६१ बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। ये दिल्ली के उपराज्यपाल रह चुके हैं। ये पटना विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं। .

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दरभंगा राज

दरभंगा राज बिहार के मिथिला क्षेत्र में लगभग 6,200 किलोमीटर के दायरे में था। इसका मुख्यालय दरभंगा शहर था। इस राज की स्थापना मैथिल ब्राह्मण जमींदारों ने 16वीं सदी की शुरुआत में की थी। ब्रिटिश राज के दौरान तत्कालीन बंगाल के 18 सर्किल के 4,495 गांव दरभंगा नरेश के शासन में थे। राज के शासन-प्रशासन को देखने के लिए लगभग 7,500 अधिकारी बहाल थे। भारत के रजवाड़ों में दरभंगा राज का अपना खास ही स्थान रहा है। दरभंगा-महाराज खण्डवाल कुल के थे जिसके शासन-संस्थापक महेश ठाकुर थे। उनकी अपनी विद्वता, उनके शिष्य रघुनन्दन की विद्वता तथा महाराजा मानसिंह के सहयोग से अकबर द्वारा उन्हें राज्य की प्राप्ति हुई थी। दरभंगा दुर्ग का प्रवेश-द्वार 1.महेश ठाकुर - 1556-1569 ई. तक। इनकी राजधानी वर्तमान मधुबनी जिले के भउर (भौर) ग्राम में थी, जो मधुबनी से करीब 10 मील पूरब लोहट चीनी मिल के पास है। 2.गोपाल ठाकुर - 1569-1581 तक। इनके काशी-वास ले लेने के कारण इनके अनुज परमानन्द ठाकुर गद्दी पर बैठे। 3.परमानन्द ठाकुर - (इनके पश्चात इनके सौतेले भाई शुभंकर ठाकुर सिंहासन पर बैठे।) 4.शुभंकर ठाकुर - (इन्होंने अपने नाम पर दरभंगा के निकट शुभंकरपुर नामक ग्राम बसाया।) इन्होंने अपनी राजधानी को मधुबनी के निकट भउआरा (भौआरा) में स्थानान्तरित किया। 5.पुरुषोत्तम ठाकुर - (शुभंकर ठाकुर के पुत्र) - 1617-1641 तक। 6.सुन्दर ठाकुर (शुभंकर ठाकुर के सातवें पुत्र) - 1641-1668 तक। 7.महिनाथ ठाकुर - 1668-1690 तक। ये पराक्रमी योद्धा थे। इन्होंने मिथिला की प्राचीन राजधानी सिमराओं परगने के अधीश्वर सुगाओं-नरेश गजसिंह पर आक्रमण कर हराया था। 8.नरपति ठाकुर (महिनाथ ठाकुर के भाई) - 1690-1700 तक। 9.राजा राघव सिंह - 1700-1739 तक। (इन्होंने 'सिंह' की उपाधि धारण की।) इन्होंने अपने प्रिय खवास वीरू कुर्मी को कोशी अंचल की व्यवस्था सौंप दी थी। शासन-मद में उसने अपने इस महाराज के प्रति ही विद्रोह कर दिया। महाराज ने वीरतापूर्वक विद्रोह का शमन किया तथा नेपाल तराई के पँचमहाल परगने के उपद्रवी राजा भूपसिंह को भी रण में मार डाला। इनके ही कुल के एक कुमार एकनाथ ठाकुर के द्वेषवश उभाड़ने से बंगाल-बिहार के नवाब अलीवर्दी खाँ इन्हें सपरिवार बन्दी बनाकर पटना ले गया तथा बाद में भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को कर निर्धारित कर मुक्त कर दिया। माना गया है कि इसी कारण मिथिला में यह तिथि पर्व-तिथि बन गयी और इस तिथि को कलंकित होने के बावजूद चन्द्रमा की पूजा होने लगी। मिथिला के अतिरिक्त भारत में अन्यत्र कहीं चौठ-चन्द्र नहीं मनाया जाता है। यदि कहीं है तो मिथिलावासी ही वहाँ रहने के कारण मनाते हैं। 10.राजा विसुन(विष्णु) सिंह - 1739-1743 तक। 11.राजा नरेन्द्र सिंह (राघव सिंह के द्वितीय पुत्र) - 1743-1770 तक। इनके द्वारा निश्चित समय पर राजस्व नहीं चुकाने के कारण अलीवर्दी खाँ ने पहले पटना के सूबेदार रामनारायण से आक्रमण करवाया। यह युद्ध रामपट्टी से चलकर गंगदुआर घाट होते हुए झंझारपुर के पास कंदर्पी घाट के पास हुआ था। बाद में नवाब की सेना ने भी आक्रमण किया। तब नरहण राज्य के द्रोणवार ब्राह्मण-वंशज राजा अजित नारायण ने महाराजा का साथ दिया था तथा लोमहर्षक युद्ध किया था। इन युद्धों में महाराज विजयी हुए पर आक्रमण फिर हुए। 12.रानी पद्मावती - 1770-1778 तक। 13.राजा प्रताप सिंह (नरेन्द्र सिंह का दत्तक पुत्र) - 1778-1785 तक। इन्होंने अपनी राजधानी को भौआरा से झंझारपुर में स्थानान्तरित किया। 14.राजा माधव सिंह (प्रताप सिंह का विमाता-पुत्र) - 1785-1807 तक। इन्होंने अपनी राजधानी झंझारपुर से हटाकर दरभंगा में स्थापित की। लार्ड कार्नवालिस ने इनके शासनकाल में जमीन की दमामी बन्दोबस्ती करवायी थी। 15.महाराजा छत्र सिंह - 1807-1839 तक। इन्होंने 1814-15 के नेपाल-युद्ध में अंग्रेजों की सहायता की थी। हेस्टिंग्स ने इन्हें 'महाराजा' की उपाधि दी थी। 16.महाराजा रुद्र सिंह - 1839-1850 तक। 17.महाराजा महेश्वर सिंह - 1850-1860 तक। इनकी मृत्यु के पश्चात् कुमार लक्ष्मीश्वर सिंह के अवयस्क होने के कारण दरभंगा राज को कोर्ट ऑफ वार्ड्स के तहत ले लिया गया। जब कुमार लक्ष्मीश्वर सिंह बालिग हुए तब अपने पैतृक सिंहासन पर आसीन हुए। कोलकाता के डलहौजी चौक पर '''लक्ष्मीश्वर सिंह''' की प्रतिमा 18.महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह - 1880-1898 तक। ये काफी उदार, लोक-हितैषी, विद्या एवं कलाओं के प्रेमी एवं प्रश्रय दाता थे। रमेश्वर सिंह इनके अनुज थे। 19.महाराजाधिराज रमेश्वर सिंह - 1898-1929 तक। इन्हें ब्रिटिश सरकार की ओर से 'महाराजाधिराज' का विरुद दिया गया तथा और भी अनेक उपाधियाँ मिलीं। अपने अग्रज की भाँति ये भी विद्वानों के संरक्षक, कलाओं के पोषक एवं निर्माण-प्रिय अति उदार नरेन्द्र थे। इन्होंने भारत के अनेक नगरों में अपने भवन बनवाये तथा अनेक मन्दिरों का निर्माण करवाया। वर्तमान मधुबनी जिले के राजनगर में इन्होंने विशाल एवं भव्य राजप्रासाद तथा अनेक मन्दिरों का निर्माण करवाया था। यहाँ का सबसे भव्य भवन (नौलखा) 1926 ई. में बनकर तैयार हुआ था, जिसके आर्चिटेक डाॅ.

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देवेन्द्रनाथ शर्मा

आचार्य देवेंद्रनाथ शर्मा (1918 - 1991) हिन्दी लेखक एवं नाटककार थे। वे पटना विश्वविद्यालय एवं भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रहे। .

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नलिन विलोचन शर्मा

नलिन विलोचन शर्मा (1916–1961) पटना विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक, हिन्दी लेखक एवं आलोचक थे। वे हिन्दी में 'नकेनवाद' आन्दोलन के तीन पुरस्कर्ताओं में से एक थे। .

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पटना

पटना (पटनम्) या पाटलिपुत्र भारत के बिहार राज्य की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्राचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। अपने आप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है। पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र) जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था। उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि॰मी॰) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि॰मी॰) चौड़ा था। पटना बिहार राज्य की राजधानी है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है। जहां पर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है। सोलह लाख (2011 की जनगणना के अनुसार 1,683,200) से भी अधिक आबादी वाला यह शहर, लगभग 15 कि॰मी॰ लम्बा और 7 कि॰मी॰ चौड़ा है। प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर या राजगृह, नालन्दा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर के आस पास ही अवस्थित हैं। पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है। सिक्खों के १०वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था। प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं। पटना एवं इसके आसपास के प्राचीन भग्नावशेष/खंडहर नगर के ऐतिहासिक गौरव के मौन गवाह हैं तथा नगर की प्राचीन गरिमा को आज भी प्रदर्शित करते हैं। एतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के अतिरिक्त, पटना शिक्षा और चिकित्सा का भी एक प्रमुख केंद्र है। दीवालों से घिरा नगर का पुराना क्षेत्र, जिसे पटना सिटी के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र है। .

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पटना महाविद्यालय

पटना कॉलेज का प्रशासनिक भवन पटना महाविद्यालय (पटना कॉलेज) बिहार राज्य के पटना में स्थित एक पुराना एवं प्रतिष्ठित महाविद्यालय है। इसकी स्थापना सन् १८६३ में हुई थी। यह पटना विश्वविद्यालय से सम्बद्ध है। .

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पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल

पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Patna Medical College and Hospital या PMCH) पटना में स्थित एक चिकित्सा महाविद्यालय है। इसकी स्थापना 1925 में हुई थी और इसका मूल नाम 'प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज' था। यह महाविद्यालय पूर्व में, पटना विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था किन्तु अब आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय से सम्बद्ध है। यह महाविद्यालय गंगा नदी के दक्षिणी तट पर अशोक राजपथ पर स्थित है जहाँ पटना विश्वविद्यालय के अन्य प्रमुख महाविद्यालय भी स्थित हैं। भारत की स्वतंत्रता के पूर्व इस महाविद्यालय की गणना भारत में चिकित्सा के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में होती थी। आज इस महाविद्यालय की वह स्थिति ति नहीं रही किन्तु आज भी यह विश्व के सबसे अधिक रोगियों की चिकित्सा करने वाले चिकित्सालयों में शामिल है। इस महाविद्यालय में 1700 से अधिक शैय्या (बिस्तर) हैं जो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के तुल्य है। .

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पपिया घोष

पपीया घोष दक्षिण एशियाई इतिहास के इतिहासकार थी और इतिहासकार पटना विश्वविद्यालय, भारत मे। उनकी ३ दिसम्बर, २००६ को हत्या कर दी अपने बुजुर्ग नौकरानी, ​​मालती देवी के साथ। वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, तुटक कुमार की बहन थीं। पपीया घोष का जन्म ८ अक्टूबर १९५३ को दुमका (बिहार, भारत) में हुआ था। वह बिहार केडर के आईएएस अधिकारी उज्जल कुमार घोष की बेटी थी। पपीया ने पटना में सेंट जोसेफ कॉन्वेंट हाई स्कूल से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने पटना महिला महाविद्यालय (पटना विश्वविद्यालय) से इतिहास में स्नातक की उपाधि अर्जित की। पपीआ घोष दिल्ली विश्वविद्यालय में चले गए जहां उन्होंने बिहार में स्वतंत्रता से पहले सविनय अवज्ञा आंदोलन का अध्ययन करते हुए एमफिल और पीएचडी पूरी की। पीएचडी के बाद, उन्होंने दो साल तक दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास पढ़ाया। पूनिया घोष के नाम पर पूर्णुजल पपीया घोष मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा निम्नलिखित पुरस्कारों की स्थापना की गई.

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पुस्तकालय का इतिहास

आधुनिक भारत में पुस्तकालयों का विकास बड़ी धीमी गति से हुआ है। हमारा देश परतंत्र था और विदेशी शासन के कारण शिक्षा एवं पुस्तकालयों की ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया गया। इसी से पुस्तकालय आंदोलन का स्वरूप राष्ट्रीय नहीं था और न इस आंदोलन को कोई कानूनी सहायता ही प्राप्त थीं। बड़ौदा राज्य का योगदान इस दिशा में प्रशंसनीय रहा है। यहाँ पर 1910 ई. में पुस्तकालय आंदोलन प्रारंभ किया गया। राज्य में एक पुस्तकालय विभाग खोला गया और पुस्तकालयों चार श्रेणियों में विभक्त किया गया- जिला पुस्तकालय, तहसील पुस्तकालय, नगर पुस्तकालय, एवं ग्राम पुस्तकालय आदि। पूरे राज्य में इनका जाल बिछा दिया गया था। भारत में सर्वप्रथम चल पुस्तकालय की स्थापना भी बड़ौदा राज्य में ही हुई। श्री डब्ल्यू.

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बद्रीनाथ प्रसाद

बद्रीनाथ प्रसाद (१२ जनवरी १८९९ - १८ जनवरी १९६६) भारत के सुप्रसिद्ध गणितज्ञ एवं शिक्षाशास्त्री थे। उन्हे साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६३ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .

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बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय भारत का एक विश्वविद्यालय हैं। इस विश्वविद्यालय का मुख्यालय बिहार के मुजफ्फरपुर शहर में स्थित हैं जो पटना से लगभग ८० किलोमीटर उत्तर में स्थित हैं। .

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बिधान चंद्र रॉय

डॉ॰ बिधान चंद्र राय (जुलाई १, १८८२ - जुलाई १, १९६२) चिकित्सक तथा स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पश्चिम बंगाल के द्वितीय मुख्यमंत्री थे, १४ जनवरी १९४८ से उनकी म्रत्यु तक १४ वर्ष तक वे इस पद पर थे। उनके जन्मदिन १ जुलाई को भारत मे 'चिकित्सक दिवस' के रूप मे मनाया जाता है। उन्हे वर्ष १९६१ में भारत रत्न से सम्मनित किया गया। बिधान चंद्र के पूर्वज बंगाल के राजघराने से सम्बंधित थे और उन्होंने मुग़लों का जमकर मुकाबला किया डॉ बिधान चंद्र राय,कायस्थ महाराजा प्रतापदित्य के वंशज थे। .

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बिन्देश्वर पाठक

डॉ बिन्देश्वरी पाठक (जन्म: ०२ अप्रैल १९४३) विश्वविख्यात भारतीय समाजिक कार्यकर्ता एवं उद्यमी हैं। उन्होने सन १९७० मे सुलभ इन्टरनेशनल की स्थापना की। सुलभ इंटरनेशनल मुख्यतः मानव अधिकार, पर्यावरणीय स्वच्छता, ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों और शिक्षा द्वारा सामाजिक परिवर्तन आदि क्षेत्रों में कार्य करने वाली एक अग्रणी संस्था है। श्री पाठक का कार्य स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी माना जाता है। इनके द्वारा किए गए कार्यों की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है और पुरस्कृत किया गया है। .

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बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान

बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा (अंग्रेज़ी: Birla Institute of Technology Mesra; जो बीआईटी मेसरा या बीआईटी राँची के नाम से भी प्रसिद्ध है) झारखंड के राँची में स्थित भारत का अग्रणी स्वायत्त अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी उन्मुख संस्थान है। इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम १९५६ के अनुभाग ३ के तहत एक डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्ज़ा हासिल है। मुख्य परिसर के अतिरिक्त लालपुर (रांची), इलाहाबाद, कोलकाता, नोएडा, जयपुर, चेन्नई, पटना और देवघर में बीआईटी के भारतीय विस्तार पटल हैं। इनके अतिरिक्त बहरीन, मस्कट, संयुक्त अरब अमीरात और मॉरिशस में बीआईटी के अंतरराष्ट्रीय केंद्र हैं। जून २००५ में एसी निलसन एवं इंडिया टुडे द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार इसे देश के दस श्रेष्ठ तकनीकी संस्थानों में शुमार किया गया था। .

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बिहार

बिहार भारत का एक राज्य है। बिहार की राजधानी पटना है। बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखण्ड स्थित है। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ, जिसे विहार के स्थान पर इसके अपभ्रंश रूप बिहार से संबोधित किया जाता है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश, वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक बनकर रह गया है। .

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बिहार नेशनल कॉलेज

बी•एन•कॉलेज के रूप में लोकप्रिय रूप से जाना जाने वाला बिहार नेशनल कॉलेज 188 9 में दो एविड एजुकेशनल और नेशनलिस्ट के बाबू बिश्वर सिंह और कुलहरिया राज, भोजपुर और बिहार के शालीग्राम सिंह द्वारा स्थापित किया गया था। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठन के बाद औपनिवेशिक योक के दौरान, इन दोनों भाइयों को इस कॉलेज बिहार राष्ट्रीय कॉलेज के नाम पर छात्रों के बीच राष्ट्रवादी भावनाओं को रोकने की रोने की आवश्यकता महसूस हुई, लेकिन फिर ब्रिटिश सरकार ने घुड़सवार को शब्द को हटाने के लिए दबाव डालना चाहिए और राजा और एक बहुत बड़ा जगीर का खिताब देने का वादा किया। लेकिन चूंकि ये भाई इस अर्थ में अन्य ज़मीनदारों से अलग थे कि अन्य ने शिक्षा के प्रचार को अपने अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा माना, लेकिन सिंह सिंह शिक्षा के उत्साही और उदार कारणों के प्रति प्रतिबद्ध थे, वे उस पर दबाव नहीं पहुंचे समय बिश्वर सिंह कलकत्ता कॉलेज ओ कानून में अंतिम वर्ष (कानून) के छात्र थे। कलकत्ता के गवर्नर जनरल ने उन्हें कॉलेज से निकाल दिया। इतना ही नहीं जब बिश्वर सिंह ने पीएल प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद पटना सिविल कोर्ट में कानून का पालन करना शुरू किया, उन्हें बार एसोसिएशन में बैठने की इजाजत नहीं थी। उन्हें लगातार परीक्षण और कष्टों का सामना करना पड़ा। सरकार ने उन्हें विद्रोही घोषित कर दिया और आखिरकार शलिग्राम सिंह के बेटे शशि शेकर सिंह को न्यायमूर्ति केबीएन सिंह के पिता को 1 9 42 में गोली मार दी गई। इसलिए, यह देश का शब्द एक लंबा और गौरवशाली इतिहास के साथ बहुत सार्थक है जो अभी भी राष्ट्रवादी भावनाओं के साथ छात्रों को सूचित करता है और भावनाएँ। सात शहीदों में से एक जगपति कुमार इस कॉलेज के छात्र थे। शुरुआत में कॉलेज ने बिहार में पहली बार सम्मान के स्तर पर अंग्रेजी, संस्कृत, फारसी, हिंदी, दर्शनशास्त्र आदि में शिक्षा प्रदान की थी। इस कॉलेज ने कानून की शिक्षा शुरू की थी। बाद में पटना कॉलेज के प्रिंसिपल बनने वाले प्रोफेसर अतमारम कानून के संकाय के पहले प्रभारी थे। इन दिनों यह कॉलेज हंस प्रदान करता है। तीन संकाय में स्तर शिक्षा, मानविकी के संकाय, और विज्ञान के संकाय और सामाजिक विज्ञान के संकाय। स्नातकोत्तर स्तर पर शिक्षण अंग्रेजी में दिया जा रहा है। पांच व्यावसायिक पाठ्यक्रम कार्यात्मक अंग्रेजी, जैव प्रौद्योगिकी, बीसीए, बीबीए और रत्न विज्ञान सफलतापूर्वक और कुशलता से चलाए जा रहे हैं। कई छात्रों ने वैश्विक स्तर पर अपनी योग्यता साबित कर दी है। 1 99 2 में, कलकत्ता विश्वविद्यालय ने इसे प्रथम स्तर के कॉलेज की स्थिति दी। 1 9 23 में इस कॉलेज को पटना एक्केल अर्लीओ के तत्कालीन आयुक्त के प्रयास के साथ सरकारी नियंत्रण में लिया गया था और उसे पूर्ण घाटा अनुदान कॉलेज की स्थिति दी गई थी। 1 9 52 में, इस कॉलेज को पटना विश्वविद्यालय की एक इकाई इकाई में परिवर्तित कर दिया गया था। कॉलेज ने जीवन के सभी डोमेन में इतिहास की शानदार धूप में प्रवेश किया है। यह एकवचन स्किंटिलिंग बौद्धिक रत्नों की आकाशगंगा को मंथन करने के लिए क्रूसिबल रहा है, जिन्होंने न केवल बिहार को गर्व किया है, बल्कि पूरे विश्व में उनके करिश्माई बौद्धिक शोषण के साथ गर्व किया है। कॉलेज श्रीमान कुमार मजूमदार, डॉ डीएनएसएन, मोइनुल हक, डॉ डीपी विद्याधर, डॉ एसके बोस, डॉ अमरनाथ सिन्हा, डॉ। एमपीएसन्हा और अन्य जैसे गतिशील और ऊर्जावान प्रधानाध्यापकों के तहत शानदार ढंग से विकसित हुए हैं। कॉलेज देश के अन्य शैक्षणिक संस्थानों के लिए आदर्श मॉडल है। यह राज्य के होओ पोलोई में मजबूत विश्वास को बढ़ावा देने में सफल रहा है।वर्तमान में, कॉलेज डॉ। राज किशोर प्रसाद के गतिशील और करिश्माई और प्रतिष्ठित व्यक्तित्व के तहत छात्रों के समग्र विकास में जबरदस्त कदम उठा रहा है। .

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बिहार के विश्वविद्यालय

कोई विवरण नहीं।

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भारत में विश्वविद्यालयों की सूची

यहाँ भारत में विश्वविद्यालयों की सूची दी गई है। भारत में सार्वजनिक और निजी, दोनों विश्वविद्यालय हैं जिनमें से कई भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा समर्थित हैं। इनके अलावा निजी विश्वविद्यालय भी मौजूद हैं, जो विभिन्न निकायों और समितियों द्वारा समर्थित हैं। शीर्ष दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के तहत सूचीबद्ध विश्वविद्यालयों में से अधिकांश भारत में स्थित हैं। .

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भारत के वित्त मंत्री

भारत का वित्त मंत्री भारत सरकार में एक कैबिनेट मंत्री का दर्जा होता है। उसका काम देश का आम बजट तैयार करना होता है एवं वह देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य संचालक होता है। .

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भारतीय प्रबंधन संस्थान बोध गया

शैक्षणिक ब्लॉक भारतीय प्रबंधन संस्थान, बोधगया (आईआईएम-बीजी) बोधगया, बिहार, भारत में एक स्वायत्त सार्वजनिक बिजनेस स्कूल है। .

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना, बिहार का एकमात्र भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान है जो उन आठ भारतीय प्रौद्योगिक संस्थानों में से एक है, जिसे केंद्र सरकार ने वर्ष 2008- 2009 के मध्य स्थापित किया था। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान का परिसर पटना शहर से 25 किलोमीटर दूर स्थित बिहटा में स्थित है।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान पटना का परिसर राजधानी पटना से 25 किलोमीटर दूर बिहटा नामक स्थान पर लगभग 500 एकड़ भूमि पर निर्मित किया गया है। .

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भारतीय मनोविज्ञान

भारतीय मनोविज्ञान भारत में अति प्राचीन काल से आज तक हुए मनोवैज्ञानिक अध्ययनों और अनुसंधानों का समग्र रूप है।'भारतीय' कहने से यही तात्पर्य है कि भारतीय संस्कृति की पृष्टभूमि में जिस मनोविज्ञान का विकास हुआ वह इस क्षेत्र में भारत का विशेष योगदान माना जा सकता है। .

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भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा

भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा (जन्म:01 फरवरी 1899 - 12 नवंबर 1986) भारत के मुख्य न्यायाधीश थे। उनका जन्म बिहार के शाहाबाद जिले (आज का भोजपुर जिला) के गांव गजियापुर में हुआ था, जो बड़हरा अंचल में गंगा नदी के किनारे अवस्थित है। वे आजादी के बाद सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। उनका कार्यकाल 1 अक्टूबर, 1956 से 31 जनवरी, 1964 तक रहा। वे भारत के छठवे प्रधान न्यायाधीश थे जिनका कार्यकाल अबतक के न्यायाधीशों में सबसे ज्यादा रहा है। वे भारत स्काउट एंड गाइड के भी प्रेसिडेंट रहे। .

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मगध महिला कॉलेज

बिहार में महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा के अग्रणी संस्थान मगध महिला कॉलेज की स्थापना 1946 में हुई थी । वर्तमान में पटना विश्वविद्यालय की एक घटक इकाई, जिसमें 1 9 52 से यूजीसी अधिनियम की धारा 12 बी के तहत स्थायी संबद्धता है । यह एक सीसीआरएटेड 'ए' ग्रेड है जनवरी 2013 में एनएएसी द्वारा सीजीपीए (3.02) के साथ विभिन्न विषयों में 4500 से अधिक छात्रों को शिक्षा प्रदान करना। इसे 2011-2016 के लिए यूजीसी, नई दिल्ली द्वारा सीपीई (उत्कृष्टता के लिए संभावित कॉलेज) से सम्मानित किया गया है, और 2021 तक सीपीई की स्थिति को बरकरार रखा है। कॉलेज को बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा 'शिक्षा दिवस 2014' पर 'सर्वश्रेष्ठ कॉलेज पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है और उन्हें महामहिम श्री राम नाथकोविंद द्वारा 'बिहार में लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा का उत्कृष्ट संस्थान' से सम्मानित किया गया है, बिहार विश्वविद्यालयों के गवर्नर-सह चांसलर, राष्ट्रीय शिक्षा बिहार शिखर सम्मेलन और पुरस्कार 2016 के अवसर पर। कॉलेज ने मानव पूंजी और मानव संसाधनों के विकास के लिए अकादमिक सत्र 2018-19 में छात्रों के लिए व्यक्तित्व विकास कक्षाएं पेश कीं। कॉलेज प्रशासन संकाय सदस्यों को अनुसंधान गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित करता है। कई प्रमुख और मामूली शोध परियोजनाएं जमा की गई हैं और कुछ जमा होने की स्थिति में हैं। अकादमिक वर्ष 2018-19 में कॉलेज में व्यापक अकादमिक विकास एजेंडा है। इस संबंध में स्मार्ट शैक्षणिक उपयोग और डिजिटल व्याख्यान बनाने के संबंध में शिक्षण संकाय के लिए कई आईसीटी आधारित संकाय विकास कार्यक्रम और प्रशिक्षण कार्यक्रम नए शैक्षणिक सत्र में आयोजित किए जाएंगे। 9 फरवरी, 2018 पटना विश्वविद्यालय के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन है जब मगध महिला कॉलेज भारत में उच्च शिक्षा का पहला संस्थान बन गया है ताकि ' सहोदरा - उसी मां की बेटियों ' के नाम से हाउस सिस्टम शुरू करने के लिए विभिन्न गतिविधियों को सुव्यवस्थित किया जा सके। उठाए जाएंगे और छात्रों को उनके विकास और सीखने के सभी पहलुओं को विकसित करने के लिए जगह दे रहे हैं। इस साल (2018) हमारे लोकमान्य डॉ। शारदा सिन्हा में से एक, प्रसिद्ध लोक गायिका को गणतंत्र दिवस 2018 की पूर्व संध्या पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पदमभूषण से सम्मानित किया गया था, इससे पहले उन्हें पद्मश्री भी सम्मानित किया गया था। पुरस्कार। प्रतिष्ठित साहित्यिक और इतिहासकार , अल्माना डॉ उषाकिरन खान को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह गर्व का विषय है कि कॉलेज ने माननीय मंत्री श्री जय कुमार सिंह, भारत के माननीय मंत्री श्री जय कुमार सिंह का उद्घाटन किया। । बिजनेस ऊष्मायन के लिए कुशल युवा उद्यमियों को तैयार करने के लिए 15 मई 2018 को बिहार के ।   चार छात्रों का सर्टिफिकेट कोर्स और गर्ल स्टूडेंट्स के कौशल विकास के लिए दो छः महीने सर्टिफिकेट कोर्सअकादमिक सत्र 2018-2019 से शुरू किए जाएंगे।ललित कला धारा से, नए पाठ्यक्रमों का नाम हैं: (i) ब्लॉक प्रिंटिंग, (ii) मधुबनी चित्रकारी (iii) टिकुली कला और (iv) जूट कला, शिल्प और डिजाइनिंग। आईसीटी धारा से पाठ्यक्रम का नाम 'ग्राफिक्स और वेब-डिजाइनिंग में आईटी स्किल डेवलपमेंट और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन स्ट्रीम से पाठ्यक्रम का नाम' ऑफिस मैनेजमेंट कोर्स 'है। .

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यशवंत सिन्हा

यशवंत सिन्हा (जन्म: 6 नवम्बर 1937, पटना) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं, जो इस समय सत्ताधारी पार्टी है। वे भारत के पूर्व वित्त मंत्री रहने के साथ-साथ अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री भी रह चुके हैं। .

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राम अवतार शर्मा

महामहोपाध्याय पण्डित राम अवतार शर्मा (1877 - 1929) संस्कृत के विद्वान, भारतविद् तथा इतिहासकार थे। अपनी विद्वत्ता और तार्किकता के कारण वे पूरे देश में विख्यात थे। वे संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, लैटिन सहित भारत की अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होने दर्शन, काव्य, साहित्य, व्याकरण, इतिहास, धर्मशास्त्र, भाषाविज्ञान, आदि सभी विषयों पर निबन्ध लिखे। उनकी बहुत बड़ी देन है कि जो ज्ञान अंग्रेजी भाषा के माध्यम से उपलब्ध था उसे संस्कृत में उपलब्ध कराया। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद उनके प्रिय शिष्यों में से एक थे। उनके पुत्र नलिन विलोचन शर्मा भी पटना विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक थे जिन्होने 'नई कविता' आन्दोलन का श्रीगणेश किया। .

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रामधारी सिंह 'दिनकर'

रामधारी सिंह 'दिनकर' (२३ सितंबर १९०८- २४ अप्रैल १९७४) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। बिहार प्रान्त के बेगुसराय जिले का सिमरिया घाट उनकी जन्मस्थली है। उन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था। 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तिय का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है। उर्वशी को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार जबकि कुरुक्षेत्र को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ काव्यों में ७४वाँ स्थान दिया गया। .

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राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, पटना

राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, पटना, बिहार मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सृजित अठारहवाँ राष्ट्रीय संस्थान है जो पूर्व में बिहार इंजीनियरी कालेज, पटना था। संस्थान, विद्युत इंजीनियरी, अभियांत्रिकी इंजीनियरी, सिविल इंजीनियरी, इलैक्ट्रानिक एवं संचार इंजीनियरी, आर्कीचेक्टर में अवर स्नातक पाठयक्रम और विद्युत इंजीनियरी, अभियांत्रिकी इंजीनियरी एवं सिविल इंजीनियरी में स्नातकोत्तर पाठयक्रम संचालित करता है। संस्थान आंशिक रूप से आवासीय है जो कुछ छात्रों और शिक्षण स्टाफ को आवास के लिए सीमित सुविधाएं प्रदान करता है। संस्थान में लड़कों के लिए तीन छात्रावास और लड़कियों के लिए एक छात्रावास है। संस्थान परिसर में सात अनिवार्य सेवाएं अर्थात २४ घंटे बिजली की आपूर्ति, उपयुक्त पेयजल, सफाई एवं स्वच्छता का रख-रखाव, सुरक्षा प्रबंध, चिकित्सा आकस्मिक सहायता के लिए एम्बुलेंस सेवा, ईपीएबी एक्स.

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लालू प्रसाद यादव

लालू प्रसाद यादव (जन्म: 11 जून 1948) भारत के बिहार राज्य के राजनेता व राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष हैं। वे 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। बाद में उन्हें 2004 से 2009 तक केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार में रेल मन्त्री का कार्यभार सौंपा गया। जबकि वे 15वीं लोक सभा में सारण (बिहार) से सांसद थे उन्हें बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में रांची स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत ने पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी। इस सजा के लिए उन्हें बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार रांची में रखा गया था। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के विशेष न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा जबकि उन पर कथित चारा घोटाले में भ्रष्टाचार का गम्भीर आरोप सिद्ध हो चुका था। 3 अक्टूबर 2013 को न्यायालय ने उन्हें पाँच साल की कैद और पच्चीस लाख रुपये के जुर्माने की सजा दी। दो महीने तक जेल में रहने के बाद 13 दिसम्बर को लालू प्रसाद को सुप्रीम कोर्ट से बेल मिली। यादव और जनता दल यूनाइटेड नेता जगदीश शर्मा को घोटाला मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद लोक सभा से अयोग्य ठहराया गया। इसके बाद राँची जेल में सजा भुगत रहे लालू प्रसाद यादव की लोक सभा की सदस्यता समाप्त कर दी गयी। चुनाव के नये नियमों के अनुसार लालू प्रसाद अब 11 साल तक लोक सभा चुनाव नहीं लड़ पायेंगे। लोक सभा के महासचिव ने यादव को सदन की सदस्यता के अयोग्य ठहराये जाने की अधिसूचना जारी कर दी। इस अधिसूचना के बाद संसद की सदस्यता गँवाने वाले लालू प्रसाद यादव भारतीय इतिहास में लोक सभा के पहले सांसद हो गये हैं। .

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शमीम हाशिमी

शमीम हाशिमी (उर्दू/फारसी/अरबी: شمیم ہاشمی) जन्म समय सैयद मुहम्मद शमीमुद्दीन, 14 अगस्त, 1947 को जन्मे एक उर्दू और फ़ारसी के कवि हैं। Ghazipuri, Zaheer (2009).

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शंकर दयाल सिंह

शंकर दयाल सिंह (२७ दिसम्बर,१९३७ - २७ नवम्बर १९९५) भारत के राजनेता तथा हिन्दी साहित्यकार थे। वे राजनीति व साहित्य दोनों क्षेत्रों में समान रूप से लोकप्रिय थे। उनकी असाधारण हिन्दी सेवा के लिये उन्हें सदैव स्मरण किया जाता रहेगा। उनके सदाबहार बहुआयामी व्यक्तित्व में ऊर्जा और आनन्द का अजस्र स्रोत छिपा हुआ था। उनका अधिकांश जीवन यात्राओं में ही बीता और यह भी एक विचित्र संयोग ही है कि उनकी मृत्यु यात्रा के दौरान उस समय हुई जब वे अपने निवास स्थान पटना से भारतीय संसद के शीतकालीन अधिवेशन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने दिल्ली आ रहे थे। नई-दिल्ली रेलवे स्टेशन पर २७ नवम्बर १९९५ की सुबह ट्रेन से कहकहे लगाते हुए शंकर दयाल सिंह तो नहीं उतरे, अपितु बोझिल मन से उनके परिजनों ने उनके शव को उतारा। .

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श्याम नन्दन प्रसाद मिश्र

श्याम नन्दन प्रसाद मिश्र (२० अक्टोबर १९२० - २५ अक्टूबर २००४) एक भारतीय नेता थे। इनका जन्म गोनावन पटना भारत में हुआ था। इन्होंने पटना विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करी थी। भारत के विदेश मंत्री रहे ह1' श्रेणी:1920 में जन्मे लोग श्रेणी:प्रथम लोक सभा सदस्य श्रेणी:द्वितीय लोक सभा के सदस्य श्रेणी:५वीं लोक सभा के सदस्य श्रेणी:६ठी लोक सभा के सदस्य श्रेणी:२००४ में निधन श्रेणी:भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ श्रेणी:भारत के विदेश मंत्री.

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सावित्री बाई खानोलकर

सावित्री बाई खानोलकर या खानोलंकार (जन्म के समय का नाम इवा योन्ने लिण्डा माडे-डे-मारोज़) भारतीय इतिहास के ऐसे व्यक्तियों में से हैं जिनका जन्म तो पश्चिम में हुआ किंतु उन्होंने अपनी इच्छा से भारतीय संस्कृति को अपनाया और भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया। सावित्री बाई खानोलकर को सर्वोच्च भारतीय सैनिक अलंकरण परमवीर चक्र के रूपांकन का गौरव प्राप्त है। सावित्री बाई खानोलकर .

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सुरेन्द्र चौधरी

सुरेन्द्र चौधरी (1933-2001) हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में मुख्यतः कथालोचक के रूप में मान्य हैं। हिन्दी कहानी के शीर्ष आलोचकों में उनका स्थान प्रायः निर्विवाद रहा है। .

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ईश्वरी प्रसाद गुप्ता

ईश्वरी प्रसाद गुप्ता (जन्म: 5 फ़रवरी 1931, आरा, बिहार) 1958 बैच के अवकाशप्राप्त प्रशासनिक अधिकारी है जो भारत सरकार के गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव,त्रिपुरा के मुख्य सचिव एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल पद पर रह चुके हैं। सरल एवं ईमानदार अधिकारियों में से एक गुप्ता जी समय-समय पर प्रशासनिक विषयों पर अपनी बेवाक राय समाचार पत्रों में पद पर रहते हुए भी व्यक्त करते रहे हैं। इस समय वे सपत्नीक अपने छोटे पुत्र विनोदकुमार गुप्ता के परिवार के साथ गुलमोहर इंक्लेव नई दिल्ली के एक साधारण से डी०डी०ए० फ्लैट में रह रहे हैं। .

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गौरीदत्त

पंडित गौरीदत्त (1836 - 8 फ़रवरी 1906), देवनागरी के प्रथम प्रचारक व अनन्य भक्त थे। बच्चों को नागरी लिपि सिखाने के अलावा आप गली-गली में घूमकर उर्दू, फारसी और अंग्रेजी की जगह हिंदी और देवनागरी लिपि के प्रयोग की प्रेरणा दिया करते थे। कुछ दिन बाद आपने मेरठ में ‘नागरी प्रचारिणी सभा‘ की स्थापना भी की और सन् 1894 में उसकी ओर से सरकार को इस आशय का एक ज्ञापन दिया कि अदालतों में नागरी-लिपि को स्थान मिलना चाहिए। हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में पंडित गौरीदत्त जी ने जो उल्लेखनीय कार्य किया था उससे उनकी ध्येयनिष्ठा और कार्य-कुशलता का परिचय मिलता है। नागरी लिपि परिषद ने उनके सम्मान में उनके नाम पर 'गौरीदत्त नागरी सेवी सम्मान' आरम्भ किया है। .

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गोपाल प्रसाद

गोपाल प्रसाद (जन्म 31 जुलाई 1945, गाजीपुर) एक भारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ हैं। वे मिशिगन विश्वविद्यालय (University of Michigan) में गणित के 'राउल बोट प्रोफेसर' हैं। उनके अनुसंधान के कुछ विषय ये हैं- लाई ग्रुप, लाई ग्रुप के डिस्क्रीट उपसमूह, बीजीय समूह, अरिथमेटिक समूह, इत्यादि। श्रेणी:भारतीय गणितज्ञ.

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आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय

आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय बिहार का एक विश्वविद्यालय है जो बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम २००८ द्वारा शासित है। यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्यताप्राप्त है। बिहार सरकार द्वारा इस विश्वविद्यालय की स्थापना राज्य के तकनीकी, चिकित्सीय, प्रबन्ध तथा व्यावसायिक शिक्षा के विकास एवं प्रबन्धन के लिये किया गया है। वर्तमान समय में यह CNLU पटना के अस्थायी कार्यालय से चलाया जा रहा है। बिहार सरकार ने इसके अपने प्रांगण (कैम्पस) के निर्माणार्थ 95 करोड़ रूपये निर्धारित किये हैं। .

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अशोक राजपथ

बिहार की राजधानी पटना के पूर्वी हिस्से पटना सिटी को गाँधी मैदान से जोडने वाली सड़क का नामाकरण दूसरी सदी ईसा पूर्व में हुए मगध साम्राज्य के महान शासक सम्राट अशोक के नाम पर किया गया है। गंगा तट के समानान्तर चलने वाली यह सड़क शहर की जीवनरेखा है। पटना विश्वविद्यालय के बीएन कॉलेज, पटना कॉलेज, साईंस कॉलेज, पटना मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त एनआईटी पटना, महेन्द्रू मुहल्ला, सुलतानगंज, गायघाट, पटना सिटी के कई मुहल्ले इस महत्वपूर्ण राजपथ पर स्थित है। .

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अखौरी सिन्हा

अखौरी सिन्हा मिन्नेसोता विश्वविद्यालय (University of Minnesota) के अनुवांशिकी, कोशिका जीवविज्ञान तथा विकास विभाग में कार्यरत एक प्रोफेसर हैं। उन्होंने पशु-पक्षियों पर काफी शोधकार्य किया है। अंटार्कटिका की एक पर्वत चोटी का नाम इनके नाम पर रखा गया है। सिन्हा जी बिहार के बक्सर के मूल निवासी हैं। उनके पूर्वज १७३९ में नादिरशाह के दिल्ली पर आक्रमण के समय बक्सर (बिहार) चले गए थे। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.एस.सी.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

पटना यूनिवर्सिटी, पटना विश्‍वविद्यालय, पटना साइंस कॉलेज

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