लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

न्यायपालिका

सूची न्यायपालिका

न्यायपालिका (Judiciary या judicial system या judicature) किसी भी जनतंत्र के तीन प्रमुख अंगों में से एक है। अन्य दो अंग हैं - कार्यपालिका और व्यवस्थापिका। न्यायपालिका, संप्रभुतासम्पन्न राज्य की तरफ से कानून का सही अर्थ निकालती है एवं कानून के अनुसार न चलने वालों को दण्डित करती है। इस प्रकार न्यायपालिका विवादों को सुलझाने एवं अपराध कम करने का काम करती है जो अप्रत्यक्ष रूप से समाज के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त के अनुरूप न्यायपालिका स्वयं कोई नियम नहीं बनाती और न ही यह कानून का क्रियान्यवन कराती है। सबको समान न्याय सुनिश्चित करना न्यायपालिका का असली काम है। न्यायपालिका के अन्तर्गत कोई एक सर्वोच्च न्यायालय होता है एवं उसके अधीन विभिन्न न्यायालय (कोर्ट) होते हैं। .

40 संबंधों: चुनाव, चेन्नई नगर निगम, नागरिक समाज, न्यायिक सुधार, पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान के मुख्य निर्वाचन आयुक्त, पाकिस्तान की न्यायपालिका, पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायिक परिषद, प्रेयोक्ति, फ़िजी, बांग्लादेश सरकार, बांग्लादेश का संविधान, बांग्लादेश की राजनीति, बांग्लादेशी संविधान की प्रस्तावना, ब्रिटिश राजतंत्र, भारत, भारत में भ्रष्टाचार, भारत सरकार, भारत की न्यायपालिका, मालदीव, मालिक मुहम्मद रफ़ीक़ राजवाना, मैरीलैंड, राणा भगवानदास, राष्ट्रप्रमुख, राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि, राजनीतिक दर्शन, राजमुकुट, रूमा पाल, शक्तियों का पृथक्करण, सरकार, संसदीय सम्प्रभुता, संघीय शरियाई न्यायालय, संवैधानिक अर्थशास्त्र, जेकब ज़ूमा, विधि, व्यवस्थापिका, वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली, आज़रबाइजान का संविधान, कीनिया, अपहनन

चुनाव

चुनाव पेटी चुनाव या निर्वाचन (election), लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा जनता (लोग) अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। चुनाव के द्वारा ही आधुनिक लोकतंत्रों के लोग विधायिका (और कभी-कभी न्यायपालिका एवं कार्यपालिका) के विभिन्न पदों पर आसीन होने के लिये व्यक्तियों को चुनते हैं। चुनाव के द्वारा ही क्षेत्रीय एवं स्थानीय निकायों के लिये भी व्यक्तिओं का चुनाव होता है। वस्तुतः चुनाव का प्रयोग व्यापक स्तर पर होने लगा है और यह निजी संस्थानों, क्लबों, विश्वविद्यालयों, धार्मिक संस्थानों आदि में भी प्रयुक्त होता है। .

नई!!: न्यायपालिका और चुनाव · और देखें »

चेन्नई नगर निगम

चेन्नई नगर निगम (तमिल: சென்னை மாநகராட்சி, चेन्नई कार्पोरेशन) चेन्नई शहर का अनुरक्षण करने वाली नागर संस्था है। यह भारत की सबसे पुरानी निगम संस्था है। चेन्नई शहर का प्रशासन चेन्नई नगर निगम के पास है। १६८८ में स्थापित हुआ यह नगर निगम भारत में ही नहीं, ब्रिटेन के बाहर किसी भी राष्ट्रमंडल देश में सबसे पहला नगर निगम है। इसमें १५५ पार्षद है, जो चेन्नई के १५५ वार्डों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनका चुनाव सीधे चेन्नई की जनता करती है। फिर ये चुने हुये पार्षद अपने आप में से ही एक महापौर एवं एक उप-महापौर चुनते हैं जो छः समितियों का संचालन करता है। चेन्नई, तमिल नाडु राज्य की राजधानी होने से राज्य की कार्यपालिका और न्यायपालिका के मुख्यालय शहर में मुख्य रूप से फोर्ट सेंट जॉर्ज में सचिवालय इमारत में और शेष कार्यालय शहर में विभिन्न स्थानों पर अनेक इमारतों में स्थित हैं। मद्रास उच्च न्यायालय का अधिकार-क्षेत्र तमिल नाडु राज्य और पुदुच्चेरी तक है। यह राज्य की सर्वोच्च न्याय संस्था है और चेन्नई में ही स्थापित है। चेन्नई में तीन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं – चेन्नई उत्तर, चेन्नई मध्य और चेन्नई दक्षिण और १८ विधान-सभा निर्वाचन क्षेत्र हैं। .

नई!!: न्यायपालिका और चेन्नई नगर निगम · और देखें »

नागरिक समाज

नागरिक समाज, सरकार द्वारा समर्थित संरचनाओं (राज्य की राजनीतिक प्रणाली का लिहाज़ किए बिना) और बाज़ार के वाणिज्यिक संस्थानों से बिलकुल अलग, क्रियात्मक समाज के आधार को रूप देने वाले स्वैच्छिक नागरिक और सामाजिक संगठनों और संस्थाओं की समग्रता से बना है। क़ानूनी राज्य का सिद्धांत (Rechtsstaat, यानी क़ानून के नियमांतर्गत राज्य) राज्य और नागरिक समाज की समानता को अपनी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता मानता है। उदाहरण के लिए, लिथुआनिया गणराज्य का संविधान लिथुआनियाई राष्ट्र को "क़ानून के शासन के तहत एक मुक्त, न्यायोचित और सामंजस्यपूर्ण नागरिक समाज और सरकार के लिए प्रयासरतस" के रूप में परिभाषित करता है। .

नई!!: न्यायपालिका और नागरिक समाज · और देखें »

न्यायिक सुधार

न्यायिक सुधार (Judicial reform) से आशय किसी देश की न्यायपालिका का राजनीतिक ढंग से पूर्णतः या आंशिक परिवर्तन करना है। न्यायिक सुधार, विधिक सुधार का एक हिस्सा है। विधिक सुधार में न्यायिक सुधार के साथ-साथ कानूनी ढांचे में परिवर्तन, कानूनों में सुधार, कानूनी शिक्षा में सुधार, जनता में विधिक जागरूकता लाना, न्याय का त्वरित एवं सस्ता बनाना आदि भी शामिल हैं। न्यायिक सुधार का लक्ष्य न्यायालयों में सुधार, वकालत advocacy (bar) में परिवर्तन, दस्तावेजों का रखरखाव आदि सम्मिलित है। न्यायिक संस्था और विधि का शासन आधुनिक सभ्यता और लोकतांत्रिक शासन की आवश्यकता है। यह महत्तवपूर्ण है कि न्याय प्रदान करने के प्रभावी तंत्र को सुनिश्चित करने के जरिए न्याय तंत्र और विधि के शासन में लोगों की आस्था न सिर्फ परिरक्षित है बल्कि उसे बढ़ाने के साथ-साथ उसे हासिल करने का यह सरल रास्ता भी है। .

नई!!: न्यायपालिका और न्यायिक सुधार · और देखें »

पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय

पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय (عدالت عظمیٰ پاکستان; अदालत-ए उज़्मा पाकिस्तान), इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत है और पाकिस्तान की न्यायिक व्यवस्था का शीर्ष हिस्सा है और पाकिस्तानी न्यायिक क्रम का शिखर बिन्दु है। पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान कानूनी और संवैधानिक मामलों में फैसला करने वाली अंतिम मध्यस्थ भी है। सर्वोच्च न्यायालय का स्थायी कार्यालय पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थित है, जबकि इस अदालत की कई उप-शाखाएं, पाकिस्तान के महत्वपूर्ण शहरों में कार्यशील हैं जहां मामलों की सुनवाई की जाती है। सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान को कई संवैधानिक व न्यायिक विकल्प प्राप्त होते हैं, जिनकी व्याख्या पाकिस्तान के संविधान में की गई है। देश में कई सैन्य सरकारों और असंवैधानिक तानाशाही सरकारों के कार्यकाल में भी सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं को स्थापित कर रखा है। साथ ही, इस अदालत ने सैन्य शक्ति पर एक वास्तविक निरीक्षक के रूप में स्वयं को स्थापित किया है और कई अवसरों में सरकारों की निगरानी की है। इस अदालत के पास, सभी उच्च न्यायालयों(प्रांतीय उच्च न्यायालयों, जिला अदालतों, और विशेष अदालतों सहित) और संघीय अदालत के ऊपर अपीलीय अधिकार है। इसके अलावा यह कुछ प्रकार के मामलों पर मूल अधिकार भी रखता है। सुप्रीम कोर्ट एक मुख्य न्यायाधीश और एक निर्धारित संख्या के वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा निर्मित होता है, जो प्रधानमंत्री से परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है। एक बार नियुक्त न्यायाधीश को, एक निर्दिष्ट अवधि को पूरा करने और उसके बाद ही रिटायर होने की उम्मीद की जाती है, जब तक कि वे दुराचार के कारण सर्वोच्च न्यायिक परिषद द्वारा निलंबित नहीं किये जाते हैं। .

नई!!: न्यायपालिका और पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय · और देखें »

पाकिस्तान के मुख्य निर्वाचन आयुक्त

पाकिस्तान के मुख्य निर्वाचन आयुक्त, पाकिस्तान की संविधान द्वारा स्थापित किया गया एक संवैधानिक पद है, वे पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष व नियुक्त पदाधिकारी होते हैं। निर्वाचन आयोग पाकिस्तान की वह संवैधानिक संस्थान है जिसे पाकिस्तान में राष्ट्रीय एवं प्रांतीय स्तर पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोजित करने का प्रभार है। सन 1973 के पूर्व इस पद पर केवल प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारियों को ही नियुक्त किया जाता था और यह नियुक्ति केवल पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी, परंतु सन् 1973 के संविधान में, जिसमें पूर्व संविधानों के मुकाबले, अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए थे, के परवर्तन के बाद इस पद पर नियुक्ति को केवल न्यायपालिका पर संकुचित कर दिया गया। 1973 का संविधान इस बात को अनिवार्य करता है की मुख्य निर्वाचन आयुक्त केवल न्यायिक शाखा से ही नियुक्त किया जाएगा। अतः मौजूदा संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार केवल वरिष्ठ न्यायाधीश ही इस पद पर नियुक्त होने के लिए योग्य हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति व कार्यकाल शपथ, संविधान या (अन्य अवसरों पर) राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग की स्थापना पाकिस्तान के संविधान द्वारा किया गया था। इसे 1956 में स्थापित किया गया था।निर्वाचन आयोग, मुख्य निर्वाचन आयुक्त समेत चारों प्रांतों से नियुक्ति किये गए सदस्यों(जिनमें से प्रत्येक, उच्च न्यायालय का न्यायाधीश होता है) से गठित होता है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल 3 वर्ष होता है, जिस बीच उन्हें कार्यकाल व वित्तीय सुरक्षा प्रदान की जाती है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त व अन्य आयुक्तों को पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति किया जाता है। .

नई!!: न्यायपालिका और पाकिस्तान के मुख्य निर्वाचन आयुक्त · और देखें »

पाकिस्तान की न्यायपालिका

पाकिस्तान की न्यायपालिका, एक श्रेणीबद्ध प्रणाली है जिसमें अदालतों के दो वर्गों है: श्रेष्ठतर (या उच्च) न्यायपालिका और अधीनस्थ (या निम्न) न्यायपालिका। श्रेष्ठतर न्यायपालिका, "सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान के", "संघीय शरीयत कोर्ट" और "पाँच उच्च न्यायालयों" से बना है, जिसके शीर्ष पर "सुप्रीम कोर्ट" विराजमान है। इसके अलावा, प्रत्येक चार प्रांतों एवं इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र के लिये एक उच्च न्यायालय है। पाकिस्तान का संविधान, न्यायपालिका पर संविधान की रक्षा, संरक्षण व बचाव का दायित्व सौंपता है। ना उच्चतम न्यायालय, ना हीं, उच्च न्यायालय, जनजातीय क्षेत्रों(फाटा) के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग कर सकते हैं, सिवाय अन्यथा यदी प्रदान की जाय तो। आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के विवादित क्षेत्रों के लिये अलग न्यायिक प्रणाली है। अधीनस्थ न्यायपालिका में, सिविल और आपराधिक जनपदीय न्यायालय व अन्य अनेक विशेष अदालतें शामिल हैं, जो, बैंकिंग, बीमा, सीमा शुल्क व उत्पाद शुल्क, तस्करी, ड्रग्स, आतंकवाद, कराधान, पर्यावरण, उपभोक्ता संरक्षण, और भ्रष्टाचार संबंधित मामलों में अधिकारिता का प्रयोग करती हैं। आपराधिक अदालतों को दंड प्रक्रिया संहिता, 1898 के तहत बनाया गया था और सिविल अदालतें, पश्चिमी पाकिस्तान सिविल न्यायालय अध्यादेश, 1964 द्वारा स्थापित किए गए थे। साथ ही, राजस्व अदालतें भी हैं, जो कि पश्चिमी पाकिस्तान भू-राजस्व अधिनियम, 1967 के तहत काम कर रहे हैं। इसके अलावा, सरकार, विशिष्ट मामलों में विशिष्ट अधिकार कार्यान्वित करने हेतु प्रशासनिक अदालतों और अधिकरणों की स्थापना कर सकती है। .

नई!!: न्यायपालिका और पाकिस्तान की न्यायपालिका · और देखें »

पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायिक परिषद

पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायिक परिषद,पाकिस्तान की न्यायपालिका की एक महत्वपूर्ण निकाय है, जो न्यायपालिका के खिलाफ दायर किए गए आवेदनों की सुनवाई करती है। पाकिस्तान के संविधान में यह के तहत काम करती है। .

नई!!: न्यायपालिका और पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायिक परिषद · और देखें »

प्रेयोक्ति

एक प्रेयोक्ति का अर्थ होता है, सुननेवाले को रुष्ट करने वाली या कोई अप्रिय अर्थ देने वाली अभिव्यक्ति को एक रुचिकर या कम अपमानजनक अभिव्यक्ति के साथ प्रतिस्थापित करना, या कहने वाले के लिए उसे कम कष्टकर बनाना, जैसा की द्विअर्थी के मामले में होता है। प्रेयोक्ति का परिनियोजन राजनीतिक विशुद्धता के सार्वजनिक उपयोग में केंद्रीय पहलू है। यह किसी वस्तु या किसी व्यक्ति के वर्णन को भी प्रतिस्थापित कर सकता है ताकि गोपनीय, पवित्र, या धार्मिक नामों को अयोग्य के समक्ष ज़ाहिर करने से बचा जा सके, या किसी वार्ता के विषय की पहचान को किसी संभावित प्रच्छ्न्न श्रोता से गुप्त रखा जा सके.

नई!!: न्यायपालिका और प्रेयोक्ति · और देखें »

फ़िजी

फ़िजी जो कि आधिकारिक रूप से फ़िजी द्वीप समूह गणराज्य (फ़िजीयाई: Matanitu Tu-Vaka-i-koya ko Viti) के नाम से जाना जाता है, दक्षिण प्रशान्त महासागर के मेलानेशिया मे एक द्वीप देश है। यह न्यू ज़ीलैण्ड के नॉर्थ आईलैण्ड से करीब २००० किमी उत्तर-पूर्व मे स्थित है। इसके समीपवर्ती पड़ोसी राष्ट्रों मे पश्चिम की ओर वनुआतु, पूर्व में टोंगा और उत्तर मे तुवालु हैं। १७वीं और १८वीं शताब्दी के दौरान डच एवं अंग्रेजी खोजकर्तओं ने फ़िजी की खोज की थी। १९७० तक फ़िजी एक अंग्रेजी उपनिवेश था। प्रचुर मात्रा मे वन, खनिज एवं जलीय स्रोतों के कारण फ़िजी प्रशान्त महासागर के द्वीपों मे सबसे उन्नत राष्ट्र है। वर्तमान मे पर्यटन एवं चीनी का निर्यात इसके विदेशी मुद्रा के सबसे बड़े स्रोत हैं। यहाँ की मुद्रा फ़िजी डॉलर है। फ़िजी के अधिकांश द्वीप १५ करोड़ वर्ष पूर्व आरम्भ हुए ज्वालामुखीय गतिविधियों से गठित हुए। इस देश के द्वीपसमूह में कुल ३२२ द्वीप हैं, जिनमें से १०६ स्थायी रूप से बसे हुए हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ लगभग ५०० क्षुद्र द्वीप हैं जो कुल मिला कर १८,३०० वर्ग किमी के क्षेत्रफल का निर्माण करते हैं। द्वीपसमूह के दो प्रमुख द्वीप विती लेवु और वनुआ लेवु हैं जिन पर देश की लगभग ८,५०,००० आबादी का ८७% निवास करती है। .

नई!!: न्यायपालिका और फ़िजी · और देखें »

बांग्लादेश सरकार

बांग्लादेश सरकार(বাংলাদেশ সরকার, बांलादेश सरकार), बांग्लादेश के संविधान द्वारा स्थापित, बांग्लादेश की प्रशासनिक एवं नियंत्रक प्राधिकारिणी है। यह, संपूर्ण बांग्लादेशी भूमि के शासन पर अपनी प्रभुसत्ता का दावा रखती है। संविधान के अनुसार, देश को लोकतांत्रिक, गणतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत्, एक स्वतंत्र न्यायपालिका के साथ, परिचालित किये जाने की बात की गई है। संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति बांग्लादेश के राष्ट्राध्यक्ष हैं, जबकि सरकार, प्रधानमंत्री व उनके द्वारा नामांकित मंत्रियों के नियंत्रण में कार्य करती है। प्रधानमंत्री और अन्य मंत्री मिलकर बांग्लादेश की उच्चतम् शासनिक एवं निर्णयात्मक निकाय का गठन करते हैं, जिसे बांग्लादेशी लहजे में, मंत्रिसभा(মন্ত্রিসভা) या कैबिनेट कहते हैं। 1971 के अस्थायी सरकार के गठन एवं अंतरिम संविधान के परवर्तन पश्चात् से बांग्लादेश की सरकारी व्यवस्था न्यूनतम् पाँचबार बदली जा चुकी है। बांग्लादेश की वर्तमान सरकारी व्यवस्था बहुदलीय संसदीय प्रणाली पर आधारित है। वरतमान व्यवस्था में प्रधानमंत्री को सरकार प्रमुख का दर्जा प्राप्त है, एवं बहुदलीय लोकतांत्रिक ढाँचे में, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के सिद्धांतों पर राष्ट्रीय संसद के सदस्यगण निर्वाचित होते हैं। कार्यपालिका पूर्णतः सरकार के नियंत्रण में होती है, जिसे प्रधानमंत्री व मंत्रिसभा के अन्य सदस्यगण परिचालित करते हैं। सरकार व सरकार के समस्त मंत्रियों की, संसद के प्रति उत्तरदेही है, और राष्ट्रीय संसद में सरकार के कीसी भी निर्णय, कार्य, कदम या योजना पर प्रश्न किया जा सकता है। इसके अलावा, संविधान संशोधन, महाभियोग व कानूनी फेरबदल जैसे कार्य भी संसदीय बहुमत द्वारा किया जाता है। न्यायपालिका और विधानपालिका के अलाव बांग्लादेश में एक स्वतंत्र श्रेणीबद्ध न्यायपालिका भी स्थापित है, जो न्यायिक मामलों को देखती है। .

नई!!: न्यायपालिका और बांग्लादेश सरकार · और देखें »

बांग्लादेश का संविधान

गणप्रजातंत्र बांग्लादेश का संविधान(গণপ্রজাতন্ত্রী বাংলাদেশের সংবিধান, सीधा लिप्यांतरण:गणप्रजातंत्री बांलादेशेर संविधान, उच्चारण:गाॅनोप्रोजातोन्त्री बांलादेशेर् शाॅम्बिधान्) स्वतंत्र, स्वतः स्वाधीन व सर्वसंप्रभुतासम्पन्न बांग्लादेशी राष्ट्र की सर्वोच्च विधि संहिता है। यह एक लिखित दस्तावेज़ है। सन १९७२ के नवंबर मास की 8 तारीख को बांग्लादेश की राष्ट्रीय संसद में यह संविधान अपनी गई एवं उसी वर्ष के १६ दिसंबर को अर्थात् बांग्लादेश की विजय दिवस की प्रथम वर्षगाँठ होते यह कार्यान्वित हुई। मूल संविधान अंग्रेज़ी भाषा में रचित है एवं इसका बंगाली में अनुवाद कराया गया है। तभी यह बांग्ला व अंग्रेज़ी दोनो भाषाओं में विद्यमान है। अंग्रेज़ी व बंगाली के मध्य अर्थगत विरोध दृश्यमान होने पर बंगाली संस्करण अनुसरणीय होगी। १७ सितंबर; वर्ष २०१४ के सोलहवें संशोधन सहित यह संविधान सर्वमत १६ बार संशोधित हुई है। यह संविधान के संशोधन हेतु राष्ट्रीय संसदीय सदस्यों की कुल संख्या की दो तिहाई भाग के मतों का प्रावधान है। हालाँकि, तेरहवें संशोधन रद्द करने के आदेश में बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया है की, संविधान की मूल ढाँचा परिवर्तित हो, ऐसी संशोधन नहीं किया जाएगा; लाने पर यह अधिकार क्षेत्र से परे होगा अतः अमान्य होगा। बांग्लादेश का संविधान केवल बांग्लादेश की सर्वोच्च विधि संहिता ही नहीं है; संविधान में बांग्लादेश की नामक राष्ट्रीय चरित्र वर्णित की गई है। इसमें बांग्लादेश की भौगोलिक सीमारेखा विस्तृत है। इस संविधान में दिये गए मूल ढाँचे के अनुसार: देश प्रजातांत्रिक होगा, गणतंत्र होगी इसकी प्रशासनिक नींव, जनगणन होंगे देश के सर्व शक्तियों के स्रोत और न्यायपालिका स्वतंत्रत होगी। गनगण सर्व शक्तियों के स्रोत होने पर भी देश में विधि शासन(कानून का शासन होगा)। बांग्लादेश के संविधान में राष्ट्रवाद, समाजवाद, गणतंत्र व धर्मनिरपेक्षता को राष्ट्र परिचालन के मूल सिद्धांतों के रूप में अपनाया गया है। .

नई!!: न्यायपालिका और बांग्लादेश का संविधान · और देखें »

बांग्लादेश की राजनीति

बांग्लादेश में राजनीति संविधान, में दिए गए संसदीय, प्रतिनिधित्व वादी लोकतांत्रिक, गणतांत्रिक प्रणाली के अंतर्गत होती है जिसके अनुसार: राष्ट्रपति बांग्लादेश के राष्ट्राध्यक्ष एवं बांग्लादेश के प्रधानमंत्री, सरकार एवं एक बहुदलीय जनतांत्रिक प्रणाली के प्रमुख होते हैं। कार्यकारी शक्तियाँ, बांग्लादेश की सरकार के अधिकारक्षेत्र के अंतर्गत आती हैं, एवं विधाई शक्तियां सरकार और संसद दोनों पर न्योछावर की गई हैं। इसके अलावा, बांग्लादेश में एक स्वतंत्र श्रेणीबद्ध न्यायपालिका भी है, जिसके शिखर पर बांग्लादेश की सर्वोच्च न्यायालय है। बांग्लादेश के संविधान को सन 1972 में लिखा गया था और तब से लेकर आज तक इसमें कुल 16 संशोधन किए गए हैं। .

नई!!: न्यायपालिका और बांग्लादेश की राजनीति · और देखें »

बांग्लादेशी संविधान की प्रस्तावना

बांग्लादेश के संविधान की प्रस्तावना संविधान की उद्देशिका है, इसमें बांग्लादेशी राष्ट्र की मूल नीतियाँ व वैचारिक नींव को अंकित किया गया है। हालाँकि, यह बांग्लादेशी संविधान का अंश है, परंतु यह एक न्यायिक लेख नहीं है, अतः किसी भी कानून या अन्य वस्तु को उद्देशिका में लिखी बातों के आधार पर न्यायिक चुनौती नहीं दी जा सकती है। इस संविधान में दिये गए मूल ढाँचे के अनुसार: देश प्रजातांत्रिक होगा, गणतंत्र होगी इसकी प्रशासनिक नींव, बांग्लादेश के जनगणन होंगे देश के सर्व शक्तियों के स्रोत और न्यायपालिका स्वतंत्रत होगी। जनता सर्व शक्तियों के स्रोत होने पर भी देश में कानून का शासन होगा। उद्देशिका में राष्ट्रवाद, समाजवाद, गणतंत्र व धर्मनिरपेक्षता को राष्ट्र परिचालन के मूल सिद्धांतों के रूप में अपनाया गया है। इसके लेख में बांग्लेदेश के संविधान-निर्माताओं ने आलेवाली सरकारों, विधी निर्माताओं व पीढ़ियों से संविधान व उनके बांग्लादेश की कल्पना के संदर्भ में, उनके विचार, मूल सिद्धांतों व संविधान सचना की मूल नीतियों को अंकित किया है। .

नई!!: न्यायपालिका और बांग्लादेशी संविधान की प्रस्तावना · और देखें »

ब्रिटिश राजतंत्र

ब्रिटिश एकराट्तंत्र अथवा ब्रिटिश राजतंत्र(British Monarchy, ब्रिटिश मोनार्की, ब्रिटिश उच्चारण:ब्रिठिश मॉंनाऱ्क़़ी), वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की संवैधानिक राजतंत्र है। ब्रिटिश एकाधिदारुक को संयुक्त राजशाही समेत कुल १५ राष्ट्रमण्डल प्रदेशों, मुकुटिया निर्भर्ताओं और समुद्रपार प्रदेशों के राजमुकुटों सत्ताधारक एकराजीय संप्रभु होने का गौरव प्राप्त है। वर्तमान सत्ता-विद्यमान शासक, ६ फरवरी वर्ष १९५२ से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हैं जब उन्होंने अपने पिता जॉर्ज षष्ठम् से राजगद्दी उत्तराधिकृत की थी। संप्रभु और उसके तत्काल परिवार के सदस्य देश के विभिन्न आधिकारिक, औपचारिक और प्रतिनिधि कार्यों का निर्वाह करते हैं। सत्ताधारी रानी/राजा पर सैद्धांतिक रूप से एक संवैधानिक शासक के अधिकार निहित है, परंतु सदियों पुराने आम कानून के कारण संप्रभु अपने अधिकतर शक्तियों का अभ्यास केवल संसद और सरकार के विनिर्देशों के अनुसार ही कार्यान्वित करने के लिए बाध्य हैं। इस कारण से, इसे वास्तविक तौर पर एक संसदीय सम्राज्ञता मानी जाता है। संसदीय शासक होने के नाते, शासक के अधिकतर अधिकार, निष्पक्ष तथा गैर-राजनैतिक कार्यों तक सीमित हैं। सम्राट, शासक और राष्ट्रप्रमुख होने के नाते उनके अधिकतर संवैधानिक शासन तथा राजनैतिक-शक्तियों का अभ्यय वे सरकार और अपने मंत्रियों की सलाह और विनिर्देशों पर ही करते हैं। परंपरानुसार शासक, ब्रिटेन के सशस्त्र बाल के अधिपति होते हैं। हालाँकि, संप्रभु के समस्त कार्य-अधिकारों का अभ्यय शासक के राज-परमाधिकार द्वारा होता है। वर्ष १००० के आसपास, इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के राज्यों में कई छोटे प्रारंभिक मध्ययुगीन राज्य विकसित हुए थे। इस क्षेत्र में आंग्ल-सैक्सन लोगों का वर्चस्व इंग्लैंड पर नॉर्मन विजय के दौरान १०६६ में समाप्त हो गया, जब अंतिम आंग्ल-सैक्सन राजा हैरल्ड द्वितीय की मृतु हो गयी थी और अंग्रेज़ी सत्ता विजई सेना के नेता, विलियम द कॉंकरर और उनके वंशजों के हाथों में चली गयी। १३वीं सदी में इंग्लैंड ने वेल्स की रियासत को अवशोषित किया तथा मैग्ना कार्टा द्वारा संप्रभु के क्रमिक निःशक्तकरण की प्रक्रिया शुरू हुई। १६०३ में स्कॉटलैंड के राजा जेम्स चतुर्थ, अंग्रेजी सिंहासन पर जेम्स प्रथम के नाम से विराजमान होकर जो दोनों राज्यों को एक व्यक्तिगत संघ की स्थिति में ला खड़ा किया। १६४९ से १६६० के लिए अंग्रेज़ी राष्ट्रमंडल के नाम से एक क्षणिक गणतांत्रिक काल चला, जो तीन राज्यों के युद्ध के बाद अस्तिव में आया, परंतु १६६० के बाद राजशाही को पुनर्स्थापित कर दिया गया। १७०७ में परवर्तित एक्ट ऑफ़ सेटलमेंट, १७०१, जो आज भी परवर्तित है, कॅथॉलिक व्यक्तियों तथा कैथोलिक व्यक्ति संग विवाहित व्यक्तियों को अंग्रज़ी राजसत्ता पर काबिज़ होने से निष्कर्षित करता है। १७०७ में अंग्रेज़ी और स्कॉटियाई राजशाहियों के विलय से ग्रेट ब्रिटेन राजशही की साथपना हुई और इसी के साथ अंग्रज़ी और स्कोटिश मुकुटों का भी विलय हो गया और संयुक्त "ब्रिटिश एकराट्तंत्र" स्थापित हुई। आयरिश राजशही ने १८०१ में ग्रेट ब्रिटेन राजशाही के साथ जुड़ कर ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड की संयुक्त राजशाही की स्थापना की। ब्रिटिश एकराट्, विशाल ब्रिटिश साम्राज्य के नाममात्र प्रमुख थे, जो १९२१ में अपने वृहत्तम् विस्तार के समय विष के चौथाई भू-भाग पर राज करता था। १९२२ में आयरलैंड का पाँच-छ्याई हिस्सा आयरिश मुक्त राज्य के नाम से, संघ से बहार निकल गया। बॅल्फोर घोषणा, १९२६ ने ब्रिटिश डोमिनिओनों के औपनिवेशिक पद से राष्ट्रमंडल के भीतर ही विभक्त, स्वशासित, सार्वभौमिक देशों के रूप में परिवर्तन को मान्य करार दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्य सिमटता गया, और ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकतर पूर्व उपनिवेश व प्रदेश स्वतंत्र हो गए। जो पूर्व उपनिवेश, ब्रिटिश शासक को अपना शासक मानते है, उन देशों को ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल प्रमंडल या राष्ट्रमण्डल प्रदेश कहा जाता है। इन अनेक राष्ट्रों के चिन्हात्मक समानांतर प्रमुख होने के नाते, ब्रिटिश एकराट् स्वयं को राष्ट्रमण्डल के प्रमुख के ख़िताब से भी नवाज़ते हैं। हालांकि की शासक को ब्रिटिश शासक के नाम से ही संबोधित किया जाता है, परंतु सैद्धान्तिक तौर पर सारे राष्ट्रों का संप्रभु पर सामान अधिकार है, तथा राष्ट्रमण्डल के तमाम देश एक-दुसरे से पूर्णतः स्वतंत्र और स्वायत्त हैं। .

नई!!: न्यायपालिका और ब्रिटिश राजतंत्र · और देखें »

भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

नई!!: न्यायपालिका और भारत · और देखें »

भारत में भ्रष्टाचार

सन २०१५ में विश्व के विभिन्न भागों में भ्रष्टाचार का आकलन भारत में भ्रष्टाचार चर्चा और आन्दोलनों का एक प्रमुख विषय रहा है। आजादी के एक दशक बाद से ही भारत भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा नजर आने लगा था और उस समय संसद में इस बात पर बहस भी होती थी। 21 दिसम्बर 1963 को भारत में भ्रष्टाचार के खात्मे पर संसद में हुई बहस में डॉ राममनोहर लोहिया ने जो भाषण दिया था वह आज भी प्रासंगिक है। उस वक्त डॉ लोहिया ने कहा था सिंहासन और व्यापार के बीच संबंध भारत में जितना दूषित, भ्रष्ट और बेईमान हो गया है उतना दुनिया के इतिहास में कहीं नहीं हुआ है। भ्रष्टाचार से देश की अर्थव्यवस्था और प्रत्येक व्यक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। भारत में राजनीतिक एवं नौकरशाही का भ्रष्टाचार बहुत ही व्यापक है। इसके अलावा न्यायपालिका, मीडिया, सेना, पुलिस आदि में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है। .

नई!!: न्यायपालिका और भारत में भ्रष्टाचार · और देखें »

भारत सरकार

भारत सरकार, जो आधिकारिक तौर से संघीय सरकार व आमतौर से केन्द्रीय सरकार के नाम से जाना जाता है, 29 राज्यों तथा सात केन्द्र शासित प्रदेशों के संघीय इकाई जो संयुक्त रूप से भारतीय गणराज्य कहलाता है, की नियंत्रक प्राधिकारी है। भारतीय संविधान द्वारा स्थापित भारत सरकार नई दिल्ली, दिल्ली से कार्य करती है। भारत के नागरिकों से संबंधित बुनियादी दीवानी और फौजदारी कानून जैसे नागरिक प्रक्रिया संहिता, भारतीय दंड संहिता, अपराध प्रक्रिया संहिता, आदि मुख्यतः संसद द्वारा बनाया जाता है। संघ और हरेक राज्य सरकार तीन अंगो कार्यपालिका, विधायिका व न्यायपालिका के अन्तर्गत काम करती है। संघीय और राज्य सरकारों पर लागू कानूनी प्रणाली मुख्यतः अंग्रेजी साझा और वैधानिक कानून (English Common and Statutory Law) पर आधारित है। भारत कुछ अपवादों के साथ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्याय अधिकारिता को स्वीकार करता है। स्थानीय स्तर पर पंचायती राज प्रणाली द्वारा शासन का विकेन्द्रीकरण किया गया है। भारत का संविधान भारत को एक सार्वभौमिक, समाजवादी गणराज्य की उपाधि देता है। भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसका द्विसदनात्मक संसद वेस्टमिन्स्टर शैली के संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है। इसके शासन में तीन मुख्य अंग हैं: न्यायपालिका, कार्यपालिका और व्यवस्थापिका। .

नई!!: न्यायपालिका और भारत सरकार · और देखें »

भारत की न्यायपालिका

भारतीय न्यायपालिका (Indian Judiciary) आम कानून (कॉमन लॉ) पर आधारित प्रणाली है। यह प्रणाली अंग्रेजों ने औपनिवेशिक शासन के समय बनाई थी। इस प्रणाली को 'आम कानून व्यवस्था' के नाम से जाना जाता है जिसमें न्यायाधीश अपने फैसलों, आदेशों और निर्णयों से कानून का विकास करते हैं। भारत में कई स्तर के तथा विभिन्न प्रकार के न्यायालय हैं। भारत का शीर्ष न्यायालय नई दिल्ली स्थित सर्वोच्च न्यायालय है और उसके नीचे विभिन्न राज्यों में उच्च न्यायालय हैं। उच्च न्यायालय के नीचे जिला न्यायालय और उसके अधीनस्थ न्यायालय हैं जिन्हें 'निचली अदालत' कहा जाता है। भारत मे चार महानगरों में अलग अलग उच्चतम न्यायालय बनाने पर विचार किया जा रहा है क्योंकि दिल्ली देश के अनेक भौगोलिक भाग से बहुत दूर है तथा उच्चतम न्यायालय में कार्य का भार ज्यादा है .

नई!!: न्यायपालिका और भारत की न्यायपालिका · और देखें »

मालदीव

मालदीव या (Dhivehi: ދ ި ވ ެ ހ ި ރ ާ އ ް ޖ ެ Dhivehi Raa'je) या मालदीव द्वीप समूह, आधिकारिक तौर पर मालदीव गणराज्य, हिंद महासागर में स्थित एक द्वीप देश है, जो मिनिकॉय आईलेंड और चागोस अर्किपेलेगो के बीच 26 प्रवाल द्वीपों की एक दोहरी चेन, जिसका फेलाव भारत के लक्षद्वीप टापू की उत्तर-दक्षिण दिशा में है, से बना है। यह लक्षद्वीप सागर में स्थित है, श्री लंका की दक्षिण-पश्चिमी दिशा से करीब सात सौ किलोमीटर (435 mi) पर.

नई!!: न्यायपालिका और मालदीव · और देखें »

मालिक मुहम्मद रफ़ीक़ राजवाना

मालिक मोहम्मद रफीक रजूाना पाकिस्तान के प्रांत पंजाब के वर्तमान राज्यपाल हैं, वह 10 मई 2015 को इस पद का कलमन्दान संभाला। उनसे पहले पंजाब के राज्यपाल चौधरी मोहम्मद सर्वर थे जो एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ थे। आप 2 अगस्त 2013 को यह पद, पिछले राज्यपाल मखदूम अहमद महमूद के इस्तीफे के बाद संभाला था। 29 जनवरी, 2015 को उन्होंने पंजाब, पाकिस्तान के राज्यपाल के पद से इस्तीफा दे दिया उनके इस्तीफे के बाद संघीय सरकार ने मालिक रफीक रजूाना को यह पद दिया। .

नई!!: न्यायपालिका और मालिक मुहम्मद रफ़ीक़ राजवाना · और देखें »

मैरीलैंड

मैरीलैंड राज्य एक अमेरिकी राज्य है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य अटलांटिक क्षेत्र में स्थि‍त है, यह वर्जीनिया, पश्चिम वर्जीनिया की सीमा से लगा है और इसके दक्षिण और पश्चिम में कोलंबिया जिला, इसके उत्तर में पेंसिल्वेनिया और पूर्व में डेलावेयर है। कुल क्षेत्र के मामले में मैरीलैंड यूरोप के बेल्जियम देश के समकक्ष है। अमेरिकी सेंसस ब्यूरो के अनुसार अन्य राज्यों की तुलना में मैरीलैंड की घरेलू औसत आय सबसे अधिक है, 2006 में इसने नई जर्सी को पीछे छोड़ दिया; मैरीलैंड की औसत घरेलू आय 2007 में 68,080 डॉलर थी। 2009 में, मैरीलैंड ने 2008 के अपने 70,545 डॉलर की सबसे अधिक औसत आय के कारण अमेरिकी राज्यों में तीसरी बार लगातार प्रथम स्थान प्राप्त किया। मैरीलैंड ऐसा सातवां राज्य है जिसने संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान को अंगीकार किया और इसके तीन उपनाम पड़े, ओल्ड लाइन स्टेट, फ्री स्टेट और चेसापिक बे स्टेट नाम का भी कभी-कभी इस्तेमाल होता है। मैरीलैंड जीवन विज्ञान अनुसंधान और विकास का एक गठजोड़ है, जहां 350 से अधिक जैव प्रौद्योगिकी कंपनियां स्थित हैं, जो संयुक्त राज्य में इस क्षेत्र में मैरीलैंड को तीसरा सबसे बड़ा गठजोड़ बनाती हैं। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी, जॉन्स हॉपकिन्स एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी, यूनिवर्सिटी सिस्टम ऑफ मैरीलैंड एक से अधिक परिसर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी(NIST), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (NIMH), फेडरल फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA), हावर्ड हजेज मेडिकल इंस्टीट्यूट, केलेरा जीनोमिक्स कंपनी, ह्यूमन जीनोम साइंसेस (HGS), जे. क्रेग वेंटर इंस्टीट्यूट और हाल ही में अस्ट्रज़ेनेका द्वारा खरीदी गयी मेडीम्यून सहित अनुसंधान और विकास में दिलचस्पी रखने वाले संस्थान और एजेंसियां मैरीलैंड में स्थित हैं। .

नई!!: न्यायपालिका और मैरीलैंड · और देखें »

राणा भगवानदास

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राणा भगवानदास (20 दिसम्बर 1942 - 23 फ़रवरी 2015), पाकिस्तानी न्यायपालिका के एक उच्च सम्मानित व्यक्ति पाकिस्तानी सर्वोच्य न्यायालय के न्यायधीश एवं कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश थे। वो पाकिस्तान में २००७ के न्यायिक संकट और संक्षिप्त समय के लिए जब पदधारी इफ़्तिख़ार मोहम्मद चौधरी २००५ और २००६ के दौरान विदेश यात्रा पर गये तब कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार सम्भाला http://timesofindia.indiatimes.com/world/pakistan/Rana-Bhagwandas-first-Hindu-chief-justice-of-Pakistan-dies/articleshow/46346596.cms और इस प्रकार वो प्रथम हिन्दू और दूसरे गैर-मुस्लिम व्यक्ति हैं जिन्होंने पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के प्रमुखा का कार्यभार सम्भाला। राणा भगवानदास ने पाकिस्तान के संघीय लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था। 2009 में वो संघीय नागरिक सेवा के चयन के लिए पैनल के प्रमुख का कार्य भी किया। .

नई!!: न्यायपालिका और राणा भगवानदास · और देखें »

राष्ट्रप्रमुख

राष्ट्रप्रमुख अथवा राज्यप्रमुख,अंतर्राष्ट्रीय विधिशास्त्र में, किसी संप्रभु राज्य का एक सार्वजनिक राजनैतिक व्यक्तित्व होता है, जो कि राज्य के अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व को स्वरूपित करता है, और सैद्धांतिक रूप से उसे संपूर्ण राज्य के चिन्हात्मक मानवीय स्वरूप के रूप में देखा जाता है। विभिन्न देशों में राष्ट्रप्रमुख को राजा, सम्राट, राष्ट्रपति, परमाधिपति, महाराज्यपाल, अयातुल्लाह, राजकुमार, परम-नेता, इत्यादि जैसे विभिन्न उपधियों से संबोधित किया जाता है। राष्ट्रप्रमुख का पद, राजकीय व्यवस्थापिका का सर्वोच्च अंग होता है, और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर, राष्ट्रप्रमुख को उस देश के औपचारिक प्रमुख एवं एकमात्र वैधिक प्राधिकारी के रूप में देखा जाता है तथा अन्य तमाम राजकीय प्रतिनिधियों को उसके प्रतिनिधि के रूप में देखा जाता है। अनेक देशों में, सैद्धान्तिकरूपतः, राज्य की तमाम शक्तियाँ उसी के व्यय पर निहित होती है, और शासनापालिका, न्यायपालिका तथा विधानपालिका, इत्यादि सारे संसाधनों के शक्तियों का स्रोत राष्ट्रप्रमुख ही होता है। वहीं सरकार, शासनयंत्र का वह अंग होती है, जो कि, राष्ट्रप्रमुख पर निहित, राज्य के कार्यकारी प्राधिकारों का उपयोग करती है। जबकि अन्य कई शासन-पद्धतियों में न्यायपालिका और विधानपालिका को राष्ट्रप्रमुख के शक्ति के दायरे से स्वतंत्र रखा जाता है। साथ ही कई देश ऐसे भी हैं, जहाँ राष्ट्रप्रमुख के विवेकाधीन, केवल नाममात्र अधिकार निहित होते हैं। ऐसे देशों में राष्ट्रप्रमुख का पद केवल एक परंपरागत प्रमुखत्मक पद होता है। हालाँकि, सामान्यतः, राष्ट्रप्रमुख के पद पर एक व्यक्ति ही विराजमान होता है, परंतु यह आवश्यक नहीं है। कई देशों की विधि में, एक से अधिक व्यक्ति, व्यक्तिसमुह, परिषद् या संस्था को राष्ट्रप्रमुख का दर्जा दिया गया है। सामान्यतः, राष्ट्रप्रमुख की शक्तियाँ और प्राधिकार, अन्य संस्थानों और अधिकारियों पर निहित होते हैं, जिनका उपयोग, राष्ट्रप्रमुख स्वयं नहीं कर सकता हैं। विभिन्न देशों में, स्थानीय विधि, संविधान अथवा ऐतिहासिक परंपरा के अनुसार, राष्ट्रप्रमुख की विवेकाधीन शक्तियाँ भिन्न होती हैं। इन शक्तियों के आधार पर, विभिन्न देशों के राष्ट्रप्रमुख पदों को विभिन्न भेदों में वर्गीकृत किया जा सकता है। कई देशों में राष्ट्रप्रमुख को परम सत्ता प्रदान होती है, जबकि कुछ देशों में राष्ट्रप्रमुख सत्ताहीन होता है, अर्थात उसे किसी प्रकार की कोई शक्ति नहीं दी जाती है। अधिकांश देशों में राष्ट्रप्रमुख की शक्तियों को राज्य के विभिन्न अंगों में विभाजित किया गया है, और राष्ट्रप्रमुख पर विस्तृत मात्रा में शक्तियाँ निहित होती हैं, तथा इन शक्तियों पर विभिन्न प्रकार के रोक-थाम का प्रावधान होता है। .

नई!!: न्यायपालिका और राष्ट्रप्रमुख · और देखें »

राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि

राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि या राष्ट्रमण्डल प्रदेश, जिन्हें अंग्रेज़ी में कॉमनवेल्थ रॆयल्म कहा जाता है, राष्ट्रों के राष्ट्रमण्डल के उन १६ सार्वभौमिक राष्ट्रों को कहा जाता है, जिनपर एक ही शासक, महारानी एलिज़ाबेथ द्वि॰ का राज है। ये सारे देश एक ही राजसत्ता, शासक, राजपरिवार और उत्तराधिकार क्रम को साँझा करते हैं। इस व्यवस्था की शुरुआत १९३१ की वेस्टमिंस्टर की संविधि के साथ हुई थी, जिसके द्वारा ब्रिटेन के तत्कालीन डोमीनियन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूज़ीलैण्ड, आयरिश मुक्त राज्य और न्यूफाउण्डलैण्ड को ब्रिटिश राष्ट्रमण्डल के बराबर के सदस्य होने के साथ ही पूर्ण या पूर्णात्मत वैधिक स्वतंत्रता प्रदान की गयी थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से, विश्व भर में विस्तृत, ब्रिटिश साम्राज्य के तमाम देशों को एक डोमिनियन के रूप में स्वाधीनता प्रदान कर दी गयी। जिनमे से कुछ राज्यों ने पूर्णतः स्वाधीन होने के बावजूद राजतंत्र के प्रति अपनी वफ़ादारी को बरक़रार रखा, जबकि कुछ राज्यों ने ब्रिटिश राजतंत्र को नाममात्र प्रमुख मानने से इनकार कर स्वयं को गणतांत्रिक राज्य घोषित कर दिया। आज, विश्व बाहर में कुल १६ ऐसे राज्य हैं जो स्वयं को महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के एक प्रजाभूमि के रूप में पहचान करव्वते हैं। .

नई!!: न्यायपालिका और राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमि · और देखें »

राजनीतिक दर्शन

राजनीतिक दर्शन (Political philosophy) के अन्तर्गत राजनीति, स्वतंत्रता, न्याय, सम्पत्ति, अधिकार, कानून तथा सत्ता द्वारा कानून को लागू करने आदि विषयों से सम्बन्धित प्रश्नों पर चिन्तन किया जाता है: ये क्या हैं, उनकी आवश्यकता क्यों हैं, कौन सी वस्तु सरकार को 'वैध' बनाती है, किन अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है, विधि क्या है, किसी वैध सरकार के प्रति नागरिकों के क्या कर्त्तव्य हैं, कब किसी सरकार को उकाड़ फेंकना वैध है आदि। प्राचीन काल में सारा व्यवस्थित चिंतन दर्शन के अंतर्गत होता था, अतः सारी विद्याएं दर्शन के विचार क्षेत्र में आती थी। राजनीति सिद्धान्त के अन्तर्गत राजनीति के भिन्न भिन्न पक्षों का अध्ययन किया जाता हैं। राजनीति का संबंध मनुष्यों के सार्वजनिक जीवन से हैं। परम्परागत अध्ययन में चिन्तन मूलक पद्धति की प्रधानता थी जिसमें सभी तत्वों का निरीक्षण तो नहीं किया जाता हैं, परन्तु तर्क शक्ति के आधार पर उसके सारे संभावित पक्षों, परस्पर संबंधों प्रभावों और परिणामों पर विचार किया जाता हैं। .

नई!!: न्यायपालिका और राजनीतिक दर्शन · और देखें »

राजमुकुट

राजमुकुट अथवा द क्राउन(The Crown La Couronne, ला कोहुन्न्/लॅ कोऱुन) (अन्यथा "ताज" या सासामान्यतः "मुकुट"), एक विशेष राजनीतिक संकल्पना है, जिसकी ब्रिटेन तथा अन्य राष्ट्रमण्डल प्रदेशों के विधीशास्त्र तथा राजतांत्रिक व्यवस्था में अतिमहत्वपूर्ण भूमिका है। इस सोच का विकास इंग्लैण्ड राज्य में सामंतवादी काल के दौरान शाब्दिक मुकुट तथा राष्ट्रीय संपदाओं को संप्रभु(नरेश) तथा उनके/उनकी व्यक्तिगत संपत्ति से विभक्त कर संबोधित करने हेतु हुआ था। इस सोच के अनुसार राजमुकुट को प्रशासन के समस्त अंगों तथा हर आयाम में राज्य तथा शासन के प्रतीक के रूप में देखा जाता है, तथा ब्रिटिश संप्रभु को राजमुकुट के सतत अवतार के रूप में देखा जाता है। अतः ब्रिटेन तथा राष्ट्रमण्डल प्रदेशों मे इस शब्दावली को शासन अथवा सर्कार के लिए एक उपलक्षण(उपशब्द) के रूप में भी उपयोग किया जाता है, या सीधे-सीधे ऐसा भी कहा जा सकता है की यह राजतंत्र को ही संबोधित करने का एक दूसरा तरीका है। विधिक रूप से "राजमुकुट" को एक एकव्यक्ती संस्थान के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो कि विधानपालिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के संपूर्ण समुच्च न्यायिक अवतार है। अतः इस संदर्भ में इस शब्द को किसी शाही पोशाक के वास्तविक मुकुट के साथ संभ्रमित नहीं करना चाहिए। एक संस्थान के रूप में, राजमुकुट, ब्रिटेन की राजनीतिकव्यवस्था का सबसे पुराना कार्यशील संस्थान है। बीती सदियों के दौरान, क्रमशः पहले अंग्रेज़ी तथा तत्पश्चात् ब्रिटिश औपनिवेशिक विस्तार द्वारा यह संकल्पना विश्व के अन्य अनेक कोनों तक पहुची, और आज यह यूनाइटेड किंगडम के अतिरिक्त, अन्य 15 स्वतंत्र राष्ट्रों और तीन भिक्त मुकुटीय निर्भरताओं की प्रशासनिक प्रणाली तथा विधिकीय व्यवस्था के मूल आधारभूतियों में जड़ा हुआ है। इनमें से प्रत्येक राष्ट्र के शासन एक-दूसरे से पूर्णतः विभक्त हैं, परंतु सारे के सारे समान रूप से एक ही राजपरिवार को साझा करते हैं। अतः एक नरेश होने के बावजूद इन सारे राष्ट्रों के "राजमुकुट" एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं। इस शब्द को और भी कई आधिकारिक शब्दों में देखा जा सकता है, उदाहरणस्वरूप:मुकुट के मंत्री, मुकुटीय भूमि(क्राउन लैण्ड), इत्यादि। .

नई!!: न्यायपालिका और राजमुकुट · और देखें »

रूमा पाल

न्यायमूर्ति रूमा पाल (जन्म: 3 जून 1941) सुप्रीम कोर्ट के पूरे इतिहास में न्यायाधीश बनने वाली तीसरी महिला हैं, जो 3 जून 2006 को सेवानिवृत हुई हैं। .

नई!!: न्यायपालिका और रूमा पाल · और देखें »

शक्तियों का पृथक्करण

शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धान्त (principle of separation of powers) राज्य के सुशासन का एक प्रादर्श (माडल) है। शक्तियों के पृथक्करण के लिये राज्य को भिन्न उत्तरदायित्व वाली कई शाखाओं में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक 'शाखा' को अलग-अलग और स्वतंत्र शक्तियाँ प्रदान की जाती हैं। प्रायः यह विभाजन - कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका के रूप में किया जाता है। शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत फ्रेंच दार्शनिक मान्टेस्कयू ने दिया था। उसके अनुसार राज्य की शक्ति उसके तीन भागों कार्यपालिका, विधानपालिका, तथा न्यायपालिका मे बांट देनी चाहिये। यह सिद्धांत राज्य को सर्वाधिकारवादी होने से बचा सकता है तथा व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करता है। अमेरिका का संविधान पहला ऐसा संविधान था जिसमें यह सिद्धान्त अपनाया गया था। .

नई!!: न्यायपालिका और शक्तियों का पृथक्करण · और देखें »

सरकार

सरकार कुछ निश्चित व्यक्तियों का समूह होती है जो राष्ट्र तथा राज्यों में निश्चित काल के लिए तथा निश्चित पद्धति द्वारा शासन करता है। प्रायः इसके तीन अंग होते हैं - व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका। सरकार के माध्यम से राज्य में राजशासन नीति लागू होती है। सरकार के तंत्र का अभिप्राय उस राजनितिक व्यवस्था से होता है जिसके द्वारा राज्य की सरकार को जाना जाता है। राज्य निरन्तर बदलती हुयी सरकारों द्वारा प्रशासित होते हैं। हर नई सरकार कुछ व्यक्तियों का समूह होती है जो राजनितिक फ़ैसले लेती है या उनपर नियन्त्रण रखती है। सरकार का कार्य नए कानून बनाना, पुराने कानूनों को लागू रखना तथा झगड़ों में मध्यस्थता करना होता है। कुछ समाजों में यह समूह आत्म-मनोनीत या वंशानुगत होता है। बाकी समाजों में, जैसे लोकतंत्र, राजनितिक भूमिका का निर्वाह निरन्तर बदलते हुये व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। संसदीय पद्धति में सरकार का अभिप्राय राष्ट्रपतीय पद्धति के अधिशासी शाखा से होता है। इस पद्धति में राष्ट्र में प्रधान मन्त्री एवं मन्त्री परीषद् तथा राज्य में मुख्य मन्त्री एवं मन्त्री परीषद् होते हैं। पाश्चात् देशों में सरकार और तंत्र में साफ़ अन्तर है। जनता द्वारा सरकार का दोबारा चयन न करना इस बात को नहीं दर्शाता है कि जनता अपने राज्य के तंत्र से नाख़ुश है। लेकिन कुछ पूर्णवादी शासन पद्धतियों में यह भेद इतना साफ़ नहीं है। इसका कारण यह है कि वहाँ के शासक अपने फ़ायदे के लिये यह लकीर मिटा देते हैं। .

नई!!: न्यायपालिका और सरकार · और देखें »

संसदीय सम्प्रभुता

संसदीय सम्प्रभुता (जिसे संसदीय सर्वोच्चता या विधायी सम्प्रभुता भी कहते हैं) कुछ संसदीय लोकतन्त्रों के संवैधानिक विधि की एक अवधारणा हैं। इसकी यह धारणा होती है कि, विधायी निकाय के पास पूर्ण सम्प्रभुता होती है, और वह सभी अन्य सरकारी संस्थानों, जिसमें कार्यपालिका या न्यायिक निकाय समावेशित हैं, से सर्वोच्च होता हैं। कई राज्यों में सम्प्रभु विधायिकाएँ होती हैं, जिसमें संयुक्त राजशाही, फ़िनलैण्ड, नीदरलैण्ड्स, न्यू ज़ीलैण्ड, स्वीडन, बारबाडोस, जमैका, पापुआ न्यू गिनी and सोलोमन द्वीपसमूह सम्मिलित हैं। .

नई!!: न्यायपालिका और संसदीय सम्प्रभुता · और देखें »

संघीय शरियाई न्यायालय

संघीय शरियाई न्यायालय या वफ़ाक़ी शरई अदालत, पाकिस्तान की एक न्यायिक संस्थान है, जिस्का कार्य यह जाँच व निर्धारित करना है की देश के कानून, शरिया का पालन करते हैं या नहीं। इस निकाय में कुल आठ मुसलमान न्यायाधीश होती हैं जिसमें मुख्य न्यायाधीश भी शामिल होते हैं। यह सभी न्यायाधीश, पाकिस्तान के राष्ट्रपति की मंजूरी से नियुक्त किए जाते हैं जिनका पाकिस्तान की उच्चतम न्यायालय या किसी भी प्रांतीय न्यायालय के सेवानिवृत्त या सेवारत न्यायाधीश में से चुना जाना आवश्यक है। संघीय शरीयत अदालत के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रियाज अहमद खान हैं। .

नई!!: न्यायपालिका और संघीय शरियाई न्यायालय · और देखें »

संवैधानिक अर्थशास्त्र

संवैधानिक अर्थशास्त्र, अर्थशास्त्र और संविधानवाद के क्षेत्र में एक अनुसंधान कार्यक्रम है जिसे महज 'संवैधानिक कानून के आर्थिक विश्लेषण' की परिभाषा से परे "आर्थिक और राजनीतिक एजेंटों के विकल्पों और गतिविधियों को बाधित करने वाले कानूनी-संस्थागत-संवैधानिक नियमों के वैकल्पिक समूहों से संबंधित विकल्प" के रूप में वर्णित किया गया है। यह उन नियमों के भीतर आर्थिक और राजनीतिक एजेंटों के विकल्पों की व्याख्या से अलग है, जो एक "रूढ़िवादी" अर्थशास्त्र का विषय है। संवैधानिक अर्थशास्त्र "मौजूदा संवैधानिक ढांचे और सीमाओं या उस ढांचे द्वारा बनाई गयी अनुकूल परिस्थितियों के साथ प्रभावी आर्थिक फैसलों की संगतता" का अध्ययन करता है। इसका वर्णन संवैधानिक मामलों पर अर्थशास्त्र के साधनों का प्रयोग करने के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण के रूप में किया गया है। उदाहरण के लिए, प्रत्येक देश की एक प्रमुख चिंता, उपलब्ध राष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय संसाधनों के समुचित रूप से आवंटन के संबंध होती है। इस समस्या का कानूनी समाधान संवैधानिक अर्थशास्त्र के दायरे के भीतर आता है। संवैधानिक अर्थशास्त्र "बिक्री योग्य" सामानों और सेवाओं के वितरण की गतिशीलता के कार्यों के रूप में आर्थिक संबंधों को सीमित करने वाले विश्लेषण के विपरीत, राजनीतिक आर्थिक फैसलों के महत्वपूर्ण प्रभावों पर ध्यान देता है। "राजनीतिक अर्थशास्त्री जो मानक सलाह प्रदान करना चाहते हैं, उन्हें आवश्यक रूप से उस प्रक्रिया या संरचना पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए जिसके अंतर्गत राजनीतक फैसले लिए जाते हैं। मौजूदा संविधान या संरचनाएं या नियम "गंभीर जांच का विषय हैं".

नई!!: न्यायपालिका और संवैधानिक अर्थशास्त्र · और देखें »

जेकब ज़ूमा

जेकब गेडलीहलेकिसा ज़ूमा (जन्म 12 अप्रैल 1942), दक्षिण अफ्रीका के साबका राष्ट्रपति हैं, जो 2009 के आम चुनावों में अपनी पार्टी की जीत के बाद संसद द्वारा निर्वाचित हुए.

नई!!: न्यायपालिका और जेकब ज़ूमा · और देखें »

विधि

विधि (या, कानून) किसी नियमसंहिता को कहते हैं। विधि प्रायः भलीभांति लिखी हुई संसूचकों (इन्स्ट्रक्शन्स) के रूप में होती है। समाज को सम्यक ढंग से चलाने के लिये विधि अत्यन्त आवश्यक है। विधि मनुष्य का आचरण के वे सामान्य नियम होते है जो राज्य द्वारा स्वीकृत तथा लागू किये जाते है, जिनका पालन अनिवर्य होता है। पालन न करने पर न्यायपालिका दण्ड देता है। कानूनी प्रणाली कई तरह के अधिकारों और जिम्मेदारियों को विस्तार से बताती है। विधि शब्द अपने आप में ही विधाता से जुड़ा हुआ शब्द लगता है। आध्यात्मिक जगत में 'विधि के विधान' का आशय 'विधाता द्वारा बनाये हुए कानून' से है। जीवन एवं मृत्यु विधाता के द्वारा बनाया हुआ कानून है या विधि का ही विधान कह सकते है। सामान्य रूप से विधाता का कानून, प्रकृति का कानून, जीव-जगत का कानून एवं समाज का कानून। राज्य द्वारा निर्मित विधि से आज पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है। राजनीति आज समाज का अनिवार्य अंग हो गया है। समाज का प्रत्येक जीव कानूनों द्वारा संचालित है। आज समाज में भी विधि के शासन के नाम पर दुनिया भर में सरकारें नागरिकों के लिये विधि का निर्माण करती है। विधि का उदेश्य समाज के आचरण को नियमित करना है। अधिकार एवं दायित्वों के लिये स्पष्ट व्याख्या करना भी है साथ ही समाज में हो रहे अनैकतिक कार्य या लोकनीति के विरूद्ध होने वाले कार्यो को अपराध घोषित करके अपराधियों में भय पैदा करना भी अपराध विधि का उदेश्य है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1945 से लेकर आज तक अपने चार्टर के माध्यम से या अपने विभिन्न अनुसांगिक संगठनो के माध्यम से दुनिया के राज्यो को व नागरिकों को यह बताने का प्रयास किया कि बिना शांति के समाज का विकास संभव नहीं है परन्तु शांति के लिये सहअस्तित्व एवं न्यायपूर्ण दृष्टिकोण ही नहीं आचरण को जिंदा करना भी जरूरी है। न्यायपूर्ण समाज में ही शांति, सदभाव, मैत्री, सहअस्तित्व कायम हो पाता है। .

नई!!: न्यायपालिका और विधि · और देखें »

व्यवस्थापिका

व्यवस्थापिका भारतीय जनतंत्र के तीन अंगों में से एक है। अन्य दो अंग हैं - कार्यपालिका और न्यायपालिका। भारत की स्वतंत्र न्यायपालिका का शीर्ष सर्वोच्च न्यायालय है, जिसका प्रधान प्रधान न्यायाधीश होता है। सर्वोच्च न्यायालय को अपने नये मामलों तथा उच्च न्यायालयों के विवादों, दोनो को देखने का अधिकार है। भारत में 21 उच्च न्यायालय हैं, जिनके अधिकार और उत्तरदायित्व सर्वोच्च न्यायालय की अपेक्षा सीमित हैं। कार्यपालिका और न्यायपालिका के परस्पर मतभेद या विवाद का सुलह राष्ट्रपति करता है। श्रेणी:राजनीति श्रेणी:समाजशास्त्र.

नई!!: न्यायपालिका और व्यवस्थापिका · और देखें »

वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली

वेस्टमिंस्टर महल, ब्रिटिश संसद का सभास्थल वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली, (सामान्य वर्तनी:वेस्टमिंस्टर प्रणाली) शासन की एक लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली है, जोकि सैकड़ों वर्षों के काल में, संयुक्त अधिराज्य में विकसित हुई थी। इस व्यवस्था का नाम, लंदन के पैलेस ऑफ़ वेस्टमिन्स्टर से आता है, जोकि ब्रिटिश संसद का सभास्थल है। वर्तमान समय में, विश्व के अन्य कई देशों में इस प्रणाली पर आधारित या इससे प्रभावित शासन-व्यवस्थाएँ स्थापित हैं। ब्रिटेन और राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमियों के अलावा, ऐसी व्यवस्थाओं को विशेषतः पूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों के शासन-व्यवस्था में देखा जा सकता है। वेस्टमिंस्टर प्रणाली की सरकारें, विशेष तौर पर राष्ट्रमंडल देशों में देखा जा सकता है। इसकी शुरुआत, सबसे पहले कनाडा (Canada) प्रान्त में हुई थी, और तत्पश्चात ऑस्ट्रेलिया ने भी अपनी सरकार को इस ही प्रणाली के आधार पर स्थापित किया। आज के समय, विश्व भर में कुल ३३ देशों में इस प्रणाली पर आधारित या इससे प्रभावित शासन-व्यवस्थाएँ हैं। एक समय ऐसा भी था जब तमाम राष्ट्रमंडल या पूर्व-राष्ट्रमण्डल देश और उसके उपराष्ट्रीय इकाइयों में वेस्टमिन्स्टर प्रणाली की सरकारें थीं। बाद में, अन्य कई देशों ने अपनी शासन प्रणाली को बदल लिया। .

नई!!: न्यायपालिका और वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली · और देखें »

आज़रबाइजान का संविधान

अज़रबाइजान का संविधान, आज़रबाइजान की सर्वोच्च वैधिक दस्तावेज़ है। इसे १२ नवम्बर १९९५ को, जनमत संग्रह द्वारा अपनाया गया था। इसके अनुच्छेद १४७ के अनुसार, यह आलेख, आज़रबाइजान की भूमि पर "सर्वोच्च न्यायिक बल" का धारक है। यह संविधान एक लोकतांत्रिक, विधि शासित, धर्मनिरपेक्ष ऐकिक गणराज्य की स्थापना करता है, जिसमें राज्य, शक्तियों के पृथक्करण (अनुच्छेद 7) के सिद्धांत पर आधारित हैं। राज्य के मौलिक कानून के रूप में, संविधान, सरकार की संरचना तथा न्यायपालिका, विधानपालिका तथा कार्यपालिका की शक्तियों को परिभाषित करता है, एवं नागरिकिओं के मौलिक अधिकार, स्वतंत्रता और जिम्मेदारियों को भी अधिसूचित करता है। इस संविधान को अगस्त २००२ और मार्च २००९ में संशोधित किया गया था, तथा सबसे हाल ही में २६ सितम्बर २०१६ में संवैधानिक जनमत द्वारा एक और संशोधन को अपनाया गया था। २००२ में २२ अनुच्छेदों में ३१ संशोधन; २००९ में २९ अनुच्छेदों में ४१ संशोधन; तथा २०१६ में २३ अनुच्छेदों को संशोधित कर ६ नए अनुच्छेद जोड़े गए थे। प्रतिवर्ष १२ नवम्बर को संविधान परावर्तन के उपलक्ष में, अज़रबाइजान में संविधान दिवस मनाया जाता है, जोकि एक राष्ट्रीय पर्व है। .

नई!!: न्यायपालिका और आज़रबाइजान का संविधान · और देखें »

कीनिया

कीनिया गणतंत्र पूर्वी अफ्रीका में स्थित एक देश है। भूमध्य रेखा पर हिंद महासागर के सटे हुए इस देश की सीमा उत्तर में इथियोपिया, उत्तर-पूर्व में सोमालिया, दक्षिण में तंजानिया, पश्चिम में युगांडा व विक्टोरिया झील और उत्तर पश्चिम में सूडान से मिलती है। देश की राजधानी नैरोबी है। केन्या में 581,309 km2 (224,445 वर्ग मील) शामिल हैं और जुलाई 2012 तक इसकी जनसंख्या लगभग 4.4 करोड़ है। देश का नाम माउंट केन्या पर रखा गया है, जो एक महत्वपूर्ण भौगोलिक प्रतीक है और अफ्रीका महाद्वीप की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। 1920 से पहले, जिस क्षेत्र को अब कीनिया के नाम से जाना जाता है, उसे ब्रिटिश ईस्ट अफ्रीका संरक्षित राज्य के रूप में जाना जाता था। .

नई!!: न्यायपालिका और कीनिया · और देखें »

अपहनन

अपहनन बिना किसी व्यवस्थित न्याय प्रक्रिया के बिना, किसी अनौपचारिक अप्रशासनिक समूह द्वारा दिए गए दण्ड या शारीरिक प्रताड़ना को कहा जाता है। कथित शब्द का उपयोग अक्सर एक बड़ी भीड़ द्वारा अन्यायिक रूपसे किसी कथित अपराधियों को दंडित करने के लिए या किसी समूह को धमकाने के लिए, सार्वजनिक फांसी, या अन्य शारीरिक प्रताड़ना को चिह्नित करने के लिए उपयोग किया जाता है। .

नई!!: न्यायपालिका और अपहनन · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

न्यायिक

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »