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नुसरत फतह अली खान

सूची नुसरत फतह अली खान

नुसरत फतह अली खान सूफी शैली के प्रसिद्ध कव्वाल थे। इनके गायन ने कव्वाली को पाकिस्तान से आगे बढ़कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।कव्वालों के घराने में 13 अक्टूबर 1948 को पंजाब के फैसलाबाद में जन्मे नुसरत फतह अली को उनके पिता उस्ताद फतह अली खां साहब जो स्वयं बहुत मशहूर और मार्रुफ़ कव्वाल थे, ने अपने बेटे को इस क्षेत्र में आने से रोका था और खानदान की 600 सालों से चली आ रही परम्परा को तोड़ना चाहा था पर खुदा को कुछ और ही मंजूर था, लगता था जैसे खुदा ने इस खानदान पर 600 सालों की मेहरबानियों का सिला दिया हो, पिता को मानना पड़ा कि नुसरत की आवाज़ उस परवरदिगार का दिया तोहफा ही है और वो फिर नुसरत को रोक नहीं पाए और आज इतिहास हमारे सामने है। .

16 संबंधों: दमादम मस्त क़लन्दर, दीदी तेरा देवर दीवाना, धड़कन (2000 फ़िल्म), पाकिस्तान, फ़ैसलाबाद, बादशाहो, बैंडिट क्वीन (1994 फ़िल्म), बेन्ड इट लाइक बेकहम, रब्बी शेरगिल, राहत फ़तेह अली खान, शिव कुमार बटालवी, वन्दे मातरम (एल्बम), गोरख धंधा, कच्चे धागे (1999 फ़िल्म), क़व्वाली, १९४८

दमादम मस्त क़लन्दर

दमादम मस्त क़लन्दर भारतीय उपमहाद्वीप का एक अत्यंत लोकप्रिय सुफ़िआना गीत है जो सिन्ध प्रांत के महान संत झूले लाल क़लन्दर को सम्बोधित कर के उनके सामने एक माँ की फ़रियाद रखता है। यह गाना मिश्रित पंजाबी और सिन्धी भाषाओँ में है लेकिन यह पूरे उपमहाद्वीप में ख्याति प्राप्त कर चुका है। इसे बहुत से जाने-माने गायकों ने गाया है, जैसे के नुसरत फतह अली खान, रूना लैला और रेश्मा.

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दीदी तेरा देवर दीवाना

"दीदी तेरा देवर दीवाना" १९९४ की हिन्दी फ़िल्म हम आपके हैं कौन में लता मंगेशकर और एस॰ पी॰ बालासुब्रमण्यम का गाया हुआ गीत हैं। इस गीत को रामलक्ष्मण द्वारा संगीत दिया गया हैं और गीत देव कोहली ने लिखा है। हम आपके हैं कौन सूरज बड़जात्या द्वारा लिखित और निर्देशित फ़िल्म थी जो राजश्री प्रोडक्शन्स के बैनर के तहत बनी थी। गीत में मुख्यतः फ़िल्म के कलाकार माधुरी दीक्षित और सलमान खान गोद भराई के समारोह में नृत्य करते दिखते हैं। गीत के प्रदर्शन के बाद उसे खूब लोकप्रियता हासिल हुई और मंगेशकर को फ़िल्मफ़ेयर विशेष पुरस्कार प्रदान किया गया। एना सिंह द्वारा तैयार की गई और दीक्षित द्वारा पहनी गई चमकीले बैंगनी रंग की साटन साड़ी और बैकलेस (खिड़की) ब्लाउज बाज़ार में फ़ैशन का रुझान बनी और खूब बिकी। दीक्षित के नृत्य और पूरे गीत में दिखने वाले उनके रूप को अच्छी समीक्षा मिली। चित्रकार मकबूल फ़िदा हुसैन ने ये गीत देखकर दीक्षित को अपनी प्रेरणा स्रोत मानकर दीक्षित से प्रेरित चित्रों की एक श्रृंखला को पर काम किया। .

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धड़कन (2000 फ़िल्म)

धड़कन 2000 में बनी हिन्दी भाषा की नाटकीय प्रेमकहानी फ़िल्म है। इसका निर्देशन धर्मेश दर्शन द्वारा किया गया। इसमें शिल्पा शेट्टी, सुनील शेट्टी और अक्षय कुमार की प्रमुख भूमिकाएं हैं, जबकि महिमा चौधरी एक विस्तारित अतिथि उपस्थिति में है। फिल्म प्रेम त्रिकोण से संबंधित है। यह फिल्म एक आलोचनात्मक और वाणिज्यिक सफलता थी और साल की चौथी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी। सुनील शेट्टी ने अपने प्रदर्शन के लिए फिल्मफेयर बेस्ट विलेन अवॉर्ड जीता। .

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पाकिस्तान

इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .

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फ़ैसलाबाद

right फ़ैसलाबाद पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त का एक नगर है। एक समय में अपने ग्रामीण रूप के कारण से इसे एशिया का सब से बड़ा गाँव कहा जाता था। समय के साथ साथ परिवर्तित होकर यह नगर अब कराची और लाहौर के बाद पाकिस्तान का सब से बड़ा शहर बन गया है। .

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बादशाहो

बादशाहो हिन्दी भाषा में बनी एक भारतीय बॉलीवुड फिल्म है। इसका निर्देशन मिलन लुथरिया ने किया है। यह फिल्म 1 सितम्बर 2017 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी। .

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बैंडिट क्वीन (1994 फ़िल्म)

बैंडिट क्वीन, दस्यु सुंदरी फूलन देवी के जीवन पर आधारित एक सिने चलचित्र है, जिसका निर्देशन शेखर कपूर ने किया था। फिल्म मे फूलन की भूमिका प्रख्यात अभिनेत्री सीमा बिस्वास ने निभाई है। फिल्म अपने कथानक के चलते कई आलोचनाओं की शिकार भी हुई और फूलन ने स्वंय इस फिल्म के प्रदर्शन का विरोध किया पर अततः फिल्म को न्यायालय से स्वीकृति मिलने के उपरांत प्रदर्शित किया गया। .

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बेन्ड इट लाइक बेकहम

बेन्ड इट लाइक बेकहम परमिंदर नागरा, केइरा नाइटली और आर्ची पंजाबी अभिनीत 2002 की एक हास्य-नाटकीय फिल्म है, जो सबसे पहले यूनाइटेड किंगडम में रिलीज हुई.

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रब्बी शेरगिल

रब्बी शेरगिल (जन्म का नाम गुरप्रीत सिंह शेरगिल, 1973) एक भारतीय संगीतकार हैं जो अपनी प्रथम एल्बम रब्बी और 2005 के सर्वश्रेष्ठ गीत "बुल्ला की जाना" के लिए जाने जाते हैं। उनके संगीत का वर्णन विभिन्न प्रकार के रॉक, बानी शैली की पंजाबी और सुमित भट्टाचार्य द्वारा, Rediff.com विशेष सूफियाना, तथा अर्ध-सूफी अर्ध-लोकगीत जैसा संगीत जिसमे पाश्चत्य साजों की अधिकता होस्वागता सेन द्वारा, द टेलीग्राफ, 21 नवम्बर 2004.

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राहत फ़तेह अली खान

राहत फ़तह अली खान(जन्म 1974, फैसलाबाद, पाकिस्तान) एक पाकिस्तानी संगीतकार हैं। वह विश्व प्रसिद्ध सूफी गायक नुसरत फतह अली खान के भतीजे है । राहत भी मुख्य रूप से सूफी गीतकार हैं। कव्वाली के अलावा वह गजल भी गाते हैं। राहत भारतीय फिल्म उद्योग बालीवुड के एक जाने माने पार्श्वगायक हैं। .

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शिव कुमार बटालवी

शिव कुमार 'बटालवी' (ਸ਼ਿਵ ਕੁਮਾਰ ਬਟਾਲਵੀ) (1936 -1973) पंजाबी भाषा के एक विख्यात कवि थे, जो उन रोमांटिक कविताओं के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं, जिनमें भावनाओं का उभार, करुणा, जुदाई और प्रेमी के दर्द का बखूबी चित्रण है। वे 1967 में वे साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के साहित्यकार बन गये। साहित्य अकादमी (भारत की साहित्य अकादमी) ने यह सम्मान पूरण भगत की प्राचीन कथा पर आधारित उनके महाकाव्य नाटिका लूणा (1965) के लिए दिया, जिसे आधुनिक पंजाबी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है और जिसने आधुनिक पंजाबी किस्सागोई की एक नई शैली की स्थापना की। आज उनकी कविता आधुनिक पंजाबी कविता के अमृता प्रीतम और मोहन सिंह जैसे दिग्गजों के बीच बराबरी के स्तर पर खड़ी है,जिनमें से सभी भारत- पाकिस्तान सीमा के दोनों पक्षों में लोकप्रिय हैं।.

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वन्दे मातरम (एल्बम)

वंदे मातरम् भारतीय संगीतकार ए. आर. रहमान की स्टूडियो एलबम है। यह सबसे अधिक बिकने वाली भारतीय गैर-फ़िल्मी एल्बम है। इसे ९ दिसम्बर १९९७ में कॉलम्बिया रेकॉर्ड्स द्वारा जरी किया गया था। एल्बम भारत की आजादी की स्वर्ण जयंती वर्षगांठ के अवसर पर जारी किया गया था और भारत के लोगों के बीच देशभक्ति गर्व और राष्ट्रीय एकता की भावना को में भरने में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। .

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गोरख धंधा

गोरख धंधा शब्द गुरु गोरखनाथ के अबोधगम्य कारनामों की वजह से प्रचलन में आया था, जो तंत्र के ज्ञाता थे। आजकल बहुत अधिक उलझन से भरे विषय, समस्या आदि को गोरख धंधा कह दिया जाता है जैसे कि नुसरत फतेह अली खान की एक मशहूर कव्वाली का मुखड़ा -"तुम इक गोरखधंधा हो..."-जिसमें वे भिन्न भिन्न संतों व शायरों के कलाम को उद्धृत करते हुए यह परिणाम निकालते हैं कि खुदा/भगवान एक अबूझ पहेली है। लेकिन आजकल मीडिया में सामान्यतः किसी भी बुरे कार्य जैसे मिलावट, धोखा-धड़ी, छल-कपट, चोरी-छिपे भ्रष्ट कार्यों के लिए यह शब्द प्रयोग होता है। हालाँकि इस शब्द का इतिहास देखें तो "गोरख-धंधा" नाथ, योगी, जोगी, धर्म - साधना में प्रयुक्त एक आध्यात्मिक मन्त्र योग विद्या है तथा नाथ-मतानुयायियों की धार्मिक भावना से जुड़ा है। ऐसी मान्यता है कि गुरु गोरखनाथ जी ने उस परम सत्य को पाने के लिए कई विधियों की तलाश की व साधना की व्यवस्था बनाई। डॉ॰ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल ने गोरखनाथ की रचनाओं का संकलन और संपादन किया जो ‘गोरख बानी’ के नाम से प्रकाशित हुआ। डॉ॰ बड़थ्वाल की खोज में कम से कम ४० पुस्तकों का पता चला था, जिन्हें गोरखनाथ-रचित बताया जाता है। मनुष्य के भीतर अंतर-खोज के लिए गुरु गोरखनाथ जी ने जितना आविष्कार किया उतना शायद किसी ने भी नहीं किया है। उन्होंने इतनी विधियां दीं कि लोग उलझ गये की कौन-सी ठीक, कौन-सी गलत, कौन-सी करें, कौन-सी छोड़ें। यह उलझाव इस सीमा तक जा पहुँचा कि लोग हताश होने लगे तथा गोरख-धंधा शब्द प्रचलन में आ गया। जो समझ में ना आ सके वो गोरख-धंधा है। कालाँतर में इन विधियों का दुरुपयोग नकारात्मक प्रवृत्ति के लोगों द्वारा धार्मिक लोगों को छलने में भी होने लगा जिसके कारण समय के साथ साथ यह शब्द नकारात्मक होता चला गया। गोरखपंथी साधु लोहे या लकड़ी की सलाइयों के हेर फेर से एक चक्र बनाते हैं। उस चक्र के बीच में एक छेद करते हैं। इस छेद में से कौड़ी या मालाकार धागे को डालते हैं और फिर मन्त्र पढ़कर उसे निकाला करते हैं। इसी को गोरखधंधा या धंधारी कहते हैं। इसका उल्लेख योगियों के वेष में प्रायः सर्वत्र मिल जाता है। गोरखधंधा या धंधारी में से क्रिया जाने बिना कौड़ी या डोरी निकालना बहुत कठिन कार्य है। इसीलिए गोरखधंधा शब्द का प्रचलन आजकल उलझन और झंझट वाले कार्यों का वाचक बन गया है। .

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कच्चे धागे (1999 फ़िल्म)

कच्चे धागे वर्ष 1999 की हिन्दी भाषा की एक्शन-थ्रिलर प्रधान फिल्म हैं, जिसे मिलन लुथरिया ने निर्देशन किया है और अभिनय-भूमिका में अजय देवगन, सैफ अली खान और मनीषा कोईराला शामिल है। फिल्म की कहानी अनुसार, अजय एक तस्कर की भूमिका में हैं, जो राजस्थान-पाकिस्तान की सीमा पर सामानों को लाता-जाता है। फिल्म की शुटिंग राजस्थान के मरुस्थल क्षेत्रों और स्विट्जरलैंड में हुई हैं। फिल्म की प्रदर्शनी 10 परवरी 1999 मुंबई में हुई। हाँलाकि इसी नाम की फिल्म, 'कच्चे धागे' (Kuchhe Dhaage') (शब्दों में निम्नरूप से भिन्नता है) सत्तर के दशक 1973 में भी रिलिज हुई थी, राज खोसला फिल्म निर्देशक थे और अभिनय में विनोद खन्ना, मौसमी चटर्जी और कबीर बेदी शामिल थे। फिर भी फिल्म में जैकी चैन की अभिनीत 1987 की फिल्म 'आर्माॅर ऑफ गाॅड' से निम्न समानताएं मानी गई। .

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क़व्वाली

क़व्वाली (उर्दू: قوٌالی) भारतीय उपमहाद्वीप में सूफ़ीवाद और सूफ़ी परंपरा के अंतर्गत भक्ति संगीत की एक धारा के रूप में उभर कर आई। इसका इतिहास 700 साल से भी ज्यादा पुराना है। वर्तमान में यह भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश सहित बहुत से अन्य देशों में संगीत की एक लोकप्रिय विधा है। क़व्वाली का अंतर्राष्ट्रीय स्वरुप नुसरत फतेह अली खान और के गायन से सामने आया। .

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१९४८

1948 ग्रेगोरी कैलंडर का एक अधिवर्ष है। .

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