लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

नीलगिरी वृक्ष

सूची नीलगिरी वृक्ष

नीलगिरी (अंग्रेज़ी:यूकेलिप्टस) मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया और तस्मानिया में पाया जाने वाला पौघा है। इसके अलावा भारत, उत्तरी और दक्षिणी अफ्रीका और दक्षिणी यूरोप में भी नीलगिरी के पौघों की खेती की जाती है। दुनिया भर में इसकी लगभग ३०० प्रजातियां प्रचलन में हैं। यह पेड़ काफी लंबा और पतला होता है। इसकी पत्तियों से प्राप्त होने वाले तेल का उपयोग औषघि और अन्य रूप में किया जाता है। पत्तियां लंबी और नुकीली होती हैं जिनकी सतह पर गांठ पाई जाती है जिसमें तेल संचित रहता है। इस पौघे की पल्लवों पर फूल लगे होते हैं जो एक कप जैसी झिल्ली से अच्छी तरह ढंके होते हैं। फूलों से फल बनने की प्रक्रिया के दौरान यह झिल्ली स्वयं ही फट कर अलग हो जाती है। इसके फल काफी सख्त होते हैं जिसके अंदर छोटे-छोटे बीज पाए जाते हैं।। पत्रिका.कॉम। .

5 संबंधों: चण्डीगढ़, नीलगिरी, मधु, यॉर्क अंतरीप प्रायद्वीप, गुलाल

चण्डीगढ़

चण्डीगढ़, (पंजाबी: ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ), भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है, जो दो भारतीय राज्यों, पंजाब और हरियाणा की राजधानी भी है। इसके नाम का अर्थ है चण्डी का किला। यह हिन्दू देवी दुर्गा के एक रूप चण्डिका या चण्डी के एक मंदिर के कारण पड़ा है। यह मंदिर आज भी शहर में स्थित है। इसे सिटी ब्यूटीफुल भी कहा जाता है। चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र में मोहाली, पंचकुला और ज़ीरकपुर आते हैं, जिनकी २००१ की जनगणना के अनुसार जनसंख्या ११६५१११ (१ करोड़ १६ लाख) है। भारत की लोकसभा में प्रतिनिधित्व हेतु चण्डीगढ़ के लिए एक सीट आवण्टित है। वर्तमान सोलहवीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी की श्रीमति किरण खेर यहाँ से साँसद हैं। इस शहर का नामकरण दुर्गा के एक रूप ‘चंडिका’ के कारण हुआ है और चंडी का मंदिर आज भी इस शहर की धार्मिक पहचान है। नवोदय टाइम्स इस शहर के निर्माण में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भी निजी रुचि रही है, जिन्होंने नए राष्ट्र के आधुनिक प्रगतिशील दृष्टिकोण के रूप में चंडीगढ़ को देखते हुए इसे राष्ट्र के भविष्य में विश्वास का प्रतीक बताया था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शहरी योजनाबद्धता और वास्तु-स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध यह शहर आधुनिक भारत का प्रथम योजनाबद्ध शहर है।, चंडीगढ़ के मुख्य वास्तुकार फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बूजियर हैं, लेकिन शहर में पियरे जिएन्नरेट, मैथ्यु नोविकी एवं अल्बर्ट मेयर के बहुत से अद्भुत वास्तु नमूने देखे जा सकते हैं। शहर का भारत के समृद्ध राज्यों और संघ शसित प्रदेशों की सूची में अग्रणी नाम आता है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय ९९,२६२ रु (वर्तमान मूल्य अनुसार) एवं स्थिर मूल्य अनुसार ७०,३६१ (२००६-०७) रु है। .

नई!!: नीलगिरी वृक्ष और चण्डीगढ़ · और देखें »

नीलगिरी

नीलगिरी के कई अर्थ हो सकते हैं:-.

नई!!: नीलगिरी वृक्ष और नीलगिरी · और देखें »

मधु

बोतल में छत्ते के साथ रखी मधु मधु या शहद (अंग्रेज़ी:Honey हनी) एक मीठा, चिपचिपाहट वाला अर्ध तरल पदार्थ होता है जो मधुमक्खियों द्वारा पौधों के पुष्पों में स्थित मकरन्दकोशों से स्रावित मधुरस से तैयार किया जाता है और आहार के रूप में मौनगृह में संग्रह किया जाता है।। उत्तराकृषिप्रभा शहद में जो मीठापन होता है वो मुख्यतः ग्लूकोज़ और एकलशर्करा फ्रक्टोज के कारण होता है। शहद का प्रयोग औषधि रूप में भी होता है। शहद में ग्लूकोज व अन्य शर्कराएं तथा विटामिन, खनिज और अमीनो अम्ल भी होता है जिससे कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं जो घाव को ठीक करने और उतकों के बढ़ने के उपचार में मदद करते हैं। प्राचीन काल से ही शहद को एक जीवाणु-रोधी के रूप में जाना जाता रहा है। शहद एक हाइपरस्मॉटिक एजेंट होता है जो घाव से तरल पदार्थ निकाल देता है और शीघ्र उसकी भरपाई भी करता है और उस जगह हानिकारक जीवाणु भी मर जाते हैं। जब इसको सीधे घाव में लगाया जाता है तो यह सीलैंट की तरह कार्य करता है और ऐसे में घाव संक्रमण से बचा रहता है।। हिन्दुस्तान लाईव। ११ अप्रैल २०१० .

नई!!: नीलगिरी वृक्ष और मधु · और देखें »

यॉर्क अंतरीप प्रायद्वीप

यॉर्क अंतरीप प्रायद्वीप (Cape York Peninsula) एक विशाल और दूर-दराज़ प्रायद्वीप है जो ऑस्ट्रेलिया की मुख्यभूमि का उत्तरतम क्षेत्र भी है। यह पृथ्वी के अंतिम पूरी तरह से अपरिवर्तित जंगली क्षेत्रों में से एक है। इसके लगभग आधे क्षेत्रफल पर मवेशी चराए जाते हैं लेकिन बाक़ी का भाग लगभग मानव द्वारा अछूता है। यह एक मैदानी इलाक़ा है जिसपर युकालिप्टस, अन्य वृक्ष, झाड़ और घास विस्तृत है। परिस्थितिक दृष्टि से यह सवाना और उष्णकटिबंधीय वर्षा-वन का मिश्रण है।Mittermeier, R.E. et al.

नई!!: नीलगिरी वृक्ष और यॉर्क अंतरीप प्रायद्वीप · और देखें »

गुलाल

गुलाल लाल रंग का सूखा चूर्ण जो होली में गालों पर या माथे पर टीक लगाने के काम आता है। गुलाल रंगीन सूखा चूर्ण होता है, जो होली के त्यौहार में गालों पर या माथे पर टीक लगाने के काम आता है। इसके अलावा इसका प्रयोग रंगोली बनाने में भी किया जाता है। बिना गुलाल के होली के रंग फीके ही रह जाते हैं। यह कहना उचित ही होगा कि जहां गीली होली के लिये पानी के रंग होते हैं, वहीं सूखी होली भी गुलालों के संग कुछ कम नहीं जमती है। यह रसायनों द्वारा व हर्बल, दोनों ही प्रकार से बनाया जाता है। लगभग २०-२५ वर्ष पूर्व तक वनस्पतियों से प्राप्त रंगों या उत्पादों से ही इसका निर्माण हुआ करता था, किन्तु तबसे रसयनों के रंग आने लगे व उन्हें अरारोट में मिलाकर तीखे व चटक रंग के गुलाल बनने लगे। इधर कुछ वर्षों से लोग दोबारा हर्बल गुलाल की ओर आकर्षित हुए हैं, व कई तरह के हर्बल व जैविक गुलाल बाजारों में उपलब्ध होने लगे हैं। हर्बल गुलाल के कई लाभ होते हैं। इनमें रसायनों का प्रयोग नहीं होने से न तो एलर्जी होती है न आंखों में जलन होती है। ये पर्यावरण अनुकूल होते हैं। इसके अलावा ये खास मंहगे भी नहीं होते, लगभग ८० रु का एक किलोग्राम होता है। .

नई!!: नीलगिरी वृक्ष और गुलाल · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

युकालिप्टस, यूकेलिप्टस

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »