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निर्वाण

सूची निर्वाण

निर्वाण का शाब्दिक अर्थ है - 'बुझा हुआ' (दीपक अग्नि, आदि)। किन्तु बौद्ध, जैन धर्म और वैदिक धर्म में इसके विशेष अर्थ हैं। श्रमण विचारधारा में (निर्वाण;निब्बान) पीड़ा या दु:ख से मुक्ति पाने की स्थिति है। पाली में "निब्बाण" का अर्थ है "मुक्ति पाना"- यानी, लालच, घृणा और भ्रम की अग्नि से मुक्ति। यह बौद्ध धर्म का परम सत्य है और जैन धर्म का मुख्य सिद्धांत। यद्यपि 'मुक्ति' के अर्थ में निर्वाण शब्द का प्रयोग गीता, भागवत, रघुवंश, शारीरक भाष्य इत्यादि नए-पुराने ग्रंथों में मिलता है, तथापि यह शब्द बौद्धों का पारिभाषिक है। सांख्य, न्याय, वैशेषिक, योग, मीमांसा (पूर्व) और वेदांत में क्रमशः मोक्ष, अपवर्ग, निःश्रेयस, मुक्ति या स्वर्गप्राप्ति तथा कैवल्य शब्दों का व्यवहार हुआ है पर बौद्ध दर्शन में बराबर निर्वाण शब्द ही आया है और उसकी विशेष रूप से व्याख्या की गई है। बौद्ध धर्म की दो प्रधान शाखाएँ हैं—हीनयान (या उत्त- रीय) और महायान (या दक्षिणी)। इनमें से हीनयान शाखा के सब ग्रंथ पाली भाषा में हैं और बौद्ध धर्म के मूल रूप का प्रतिपादन करते हैं। महायान शाखा कुछ पीछे की है और उसके सब ग्रंथ सस्कृत में लिखे गए हैं। महायान शाखा में ही अनेक आचार्यों द्वारा बौद्ध सिद्धांतों का निरूपण गूढ़ तर्कप्रणाली द्वारा दार्शनिक दृष्टि से हुआ है। प्राचीन काल में वैदिक आचार्यों का जिन बौद्ध आचार्यों से शास्त्रार्थ होता था वे प्रायः महायान शाखा के थे। अतः निर्वाण शब्द से क्या अभिप्राय है इसका निर्णय उन्हीं के वचनों द्वारा हो सकता है। बोधिसत्व नागार्जुन ने माध्यमिक सूत्र में लिखा है कि 'भवसंतति का उच्छेद ही निर्वाण है', अर्थात् अपने संस्कारों द्वारा हम बार बार जन्म के बंधन में पड़ते हैं इससे उनके उच्छेद द्वारा भवबंधन का नाश हो सकता है। रत्नकूटसूत्र में बुद्ध का यह वचन हैः राग, द्वेष और मोह के क्षय से निर्वाण होता है। बज्रच्छेदिका में बुद्ध ने कहा है कि निर्वाण अनुपधि है, उसमें कोई संस्कार नहीं रह जाता। माध्यमिक सूत्रकार चंद्रकीर्ति ने निर्वाण के संबंध में कहा है कि सर्वप्रपंचनिवर्तक शून्यता को ही निर्वाण कहते हैं। यह शून्यता या निर्वाण क्या है ! न इसे भाव कह सकते हैं, न अभाव। क्योंकि भाव और अभाव दोनों के ज्ञान के क्षप का ही नाम तो निर्वाण है, जो अस्ति और नास्ति दोनों भावों के परे और अनिर्वचनीय है। माधवाचार्य ने भी अपने सर्वदर्शनसंग्रह में शून्यता का यही अभिप्राय बतलाया है—'अस्ति, नास्ति, उभय और अनुभय इस चतुष्कोटि से विनिमुँक्ति ही शून्यत्व है'। माध्यमिक सूत्र में नागार्जुन ने कहा है कि अस्तित्व (है) और नास्तित्व (नहिं है) का अनुभव अल्पबुद्धि ही करते हैं। बुद्धिमान लोग इन दोनों का अपशमरूप कल्याण प्राप्त करते हैं। उपयुक्त वाक्यों से स्पष्ट है कि निर्वाण शब्द जिस शून्यता का बोधक है उससे चित्त का ग्राह्यग्राहकसंबंध ही नहीं है। मै भी मिथ्या, संसार भी मिथ्या। एक बात ध्यान देने की है कि बौद्ध दार्शनिक जीव या आत्मा की भी प्रकृत सत्ता नहीं मानते। वे एक महाशून्य के अतिरिक्त और कुछ नहीं मानते। .

39 संबंधों: एश्चटोलॉजी, तप, तीर्थंकर, थेरीगाथा, देवरिया, नमिनाथ, निर्वाण, नेमिनाथ, पोर्टलैंड, ऑरेगॉन, बुद्ध पूर्णिमा, बुद्धत्व, ब्रेकिंग बेंजामिन, बौद्ध धर्म का कालक्रम, बोरोबुदुर, मल्लिनाथ जी, महायान, यूटोपिया, योग दर्शन, शिखरजी, शकीरा, षट्खण्डागम, सिद्धार्थ (उपन्यास), जैन धर्म, जॉनी डेप, वासुपूज्य, विद्यानंद, विसुद्धिमग्ग, वेसक, गन्स एण्ड रोज़ेज़, गौतम बुद्ध, इनक्यूबस, कर्ट कोबेन, कल्पसूत्र (जैन), केसरिया, अनागामी, अभिधम्म साहित्य, अरनाथ, अवलोकितेश्वर, उत्तराध्ययन सूत्र

एश्चटोलॉजी

मरणोत्‍तरविद्या या एश्चटोलॉजी (अंग्रेजी- Eschatology) ज्ञान-विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत निर्वाण या मृत्यु के बाद की स्थितियों के प्रश्न पर विचार किया जाता है। .

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तप

जैन तपस्वी तपस् या तप का मूल अर्थ था प्रकाश अथवा प्रज्वलन जो सूर्य या अग्नि में स्पष्ट होता है। किंतु धीरे-धीरे उसका एक रूढ़ार्थ विकसित हो गया और किसी उद्देश्य विशेष की प्राप्ति अथवा आत्मिक और शारीरिक अनुशासन के लिए उठाए जानेवाले दैहिक कष्ट को तप कहा जाने लगा। .

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तीर्थंकर

जैन धर्म में तीर्थंकर (अरिहंत, जिनेन्द्र) उन २४ व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया जाता है, जो स्वयं तप के माध्यम से आत्मज्ञान (केवल ज्ञान) प्राप्त करते है। जो संसार सागर से पार लगाने वाले तीर्थ की रचना करते है, वह तीर्थंकर कहलाते हैं। तीर्थंकर वह व्यक्ति हैं जिन्होनें पूरी तरह से क्रोध, अभिमान, छल, इच्छा, आदि पर विजय प्राप्त की हो)। तीर्थंकर को इस नाम से कहा जाता है क्योंकि वे "तीर्थ" (पायाब), एक जैन समुदाय के संस्थापक हैं, जो "पायाब" के रूप में "मानव कष्ट की नदी" को पार कराता है। .

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थेरीगाथा

थेरीगाथा, खुद्दक निकाय के 15 ग्रंथों में से एक है। इसमें परमपदप्राप्त 73 विद्वान भिक्षुणियों के उदान अर्थात् उद्गार 522 गाथाओं में संगृहीत हैं। यह ग्रंथ 16 'निपातों' अर्थात् वर्गों में विभाजित है, जो कि गाथाओं की संख्या के अनुसार क्रमबद्ध हैं। थेरीगाथा में जिन भिक्षुणियों का उल्लेख आया है, उनमें से अधिकतर भगवान बुद्ध की समकालीन थी। एक इसिदाप्ति के उदान में भव्य नगरी पाटलिपुत्र का उल्लेख आया है। संभवत: वह सम्राट अशोक की राजधानी है। इसलिए ग्रंथ का रचनाकाल प्रथम संगीति से लेकर तृतीय संगीति तक मान सकते हैं। .

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देवरिया

देवरिया (Deoria) भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक शहर और इसी नाम के जिले का मुख्यालय है। देवरिया गोरखपुर से क़रीब 50 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। देवरिया के पास ही कुशीनगर स्थित है जो महात्मा बुद्ध के निर्वाणस्थल के रूप में एक प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थस्थल है। .

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नमिनाथ

नमिनाथ जी जैन धर्म के इक्कीसवें तीर्थंकर हैं। उनका जन्म मिथिला के इक्ष्वाकु वंश में श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अश्विनी नक्षत्र में हुआ था। इनकी माता का नाम विप्रा रानी देवी और पिता का राजा विजय था। .

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निर्वाण

निर्वाण का शाब्दिक अर्थ है - 'बुझा हुआ' (दीपक अग्नि, आदि)। किन्तु बौद्ध, जैन धर्म और वैदिक धर्म में इसके विशेष अर्थ हैं। श्रमण विचारधारा में (निर्वाण;निब्बान) पीड़ा या दु:ख से मुक्ति पाने की स्थिति है। पाली में "निब्बाण" का अर्थ है "मुक्ति पाना"- यानी, लालच, घृणा और भ्रम की अग्नि से मुक्ति। यह बौद्ध धर्म का परम सत्य है और जैन धर्म का मुख्य सिद्धांत। यद्यपि 'मुक्ति' के अर्थ में निर्वाण शब्द का प्रयोग गीता, भागवत, रघुवंश, शारीरक भाष्य इत्यादि नए-पुराने ग्रंथों में मिलता है, तथापि यह शब्द बौद्धों का पारिभाषिक है। सांख्य, न्याय, वैशेषिक, योग, मीमांसा (पूर्व) और वेदांत में क्रमशः मोक्ष, अपवर्ग, निःश्रेयस, मुक्ति या स्वर्गप्राप्ति तथा कैवल्य शब्दों का व्यवहार हुआ है पर बौद्ध दर्शन में बराबर निर्वाण शब्द ही आया है और उसकी विशेष रूप से व्याख्या की गई है। बौद्ध धर्म की दो प्रधान शाखाएँ हैं—हीनयान (या उत्त- रीय) और महायान (या दक्षिणी)। इनमें से हीनयान शाखा के सब ग्रंथ पाली भाषा में हैं और बौद्ध धर्म के मूल रूप का प्रतिपादन करते हैं। महायान शाखा कुछ पीछे की है और उसके सब ग्रंथ सस्कृत में लिखे गए हैं। महायान शाखा में ही अनेक आचार्यों द्वारा बौद्ध सिद्धांतों का निरूपण गूढ़ तर्कप्रणाली द्वारा दार्शनिक दृष्टि से हुआ है। प्राचीन काल में वैदिक आचार्यों का जिन बौद्ध आचार्यों से शास्त्रार्थ होता था वे प्रायः महायान शाखा के थे। अतः निर्वाण शब्द से क्या अभिप्राय है इसका निर्णय उन्हीं के वचनों द्वारा हो सकता है। बोधिसत्व नागार्जुन ने माध्यमिक सूत्र में लिखा है कि 'भवसंतति का उच्छेद ही निर्वाण है', अर्थात् अपने संस्कारों द्वारा हम बार बार जन्म के बंधन में पड़ते हैं इससे उनके उच्छेद द्वारा भवबंधन का नाश हो सकता है। रत्नकूटसूत्र में बुद्ध का यह वचन हैः राग, द्वेष और मोह के क्षय से निर्वाण होता है। बज्रच्छेदिका में बुद्ध ने कहा है कि निर्वाण अनुपधि है, उसमें कोई संस्कार नहीं रह जाता। माध्यमिक सूत्रकार चंद्रकीर्ति ने निर्वाण के संबंध में कहा है कि सर्वप्रपंचनिवर्तक शून्यता को ही निर्वाण कहते हैं। यह शून्यता या निर्वाण क्या है ! न इसे भाव कह सकते हैं, न अभाव। क्योंकि भाव और अभाव दोनों के ज्ञान के क्षप का ही नाम तो निर्वाण है, जो अस्ति और नास्ति दोनों भावों के परे और अनिर्वचनीय है। माधवाचार्य ने भी अपने सर्वदर्शनसंग्रह में शून्यता का यही अभिप्राय बतलाया है—'अस्ति, नास्ति, उभय और अनुभय इस चतुष्कोटि से विनिमुँक्ति ही शून्यत्व है'। माध्यमिक सूत्र में नागार्जुन ने कहा है कि अस्तित्व (है) और नास्तित्व (नहिं है) का अनुभव अल्पबुद्धि ही करते हैं। बुद्धिमान लोग इन दोनों का अपशमरूप कल्याण प्राप्त करते हैं। उपयुक्त वाक्यों से स्पष्ट है कि निर्वाण शब्द जिस शून्यता का बोधक है उससे चित्त का ग्राह्यग्राहकसंबंध ही नहीं है। मै भी मिथ्या, संसार भी मिथ्या। एक बात ध्यान देने की है कि बौद्ध दार्शनिक जीव या आत्मा की भी प्रकृत सत्ता नहीं मानते। वे एक महाशून्य के अतिरिक्त और कुछ नहीं मानते। .

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नेमिनाथ

तिरुमलै (तमिलनाडु) में भगवान नेमिनाथ की १६ मीटर ऊँची प्रतिमा नेमिनाथ जी (या, अरिष्टनेमि जी) जैन धर्म के बाईसवें तीर्थंकर थे। भगवान श्री अरिष्टनेमी अवसर्पिणी काल के बाईसवें तीर्थंकर हुए। इनसें पुर्व के इक्कीस तीर्थंकरों को प्रागैतिहासिककालीन महापुरुष माना जाता है। आधुनिक युग के अनेक इतिहास विज्ञों ने प्रभु अरिष्टनेमि को एक एतिहासिक महापुरुष के रूप में स्वीकार किया है। वासुदेव श्री कृष्ण एवं तीर्थंकर अरिष्टनेमि न केवल समकालीन युगपुरूष थे बल्कि पैत्रक परम्परा से भाई भी थे। भारत की प्रधान ब्राह्मण और श्रमण -संस्क्रतियों नें इन दोनों युगपुरूषों को अपना -अपना आराध्य देव माना है। ब्राह्मण संस्क्रति ने वासुदेव श्री क्रष्ण को सोलहों कलाओं से सम्पन्न विष्णु का अवतार स्वीकारा है तो श्रमण संस्क्रति ने भगवान अरिष्टनेमि को अध्यात्म के सर्वोच्च नेता तीर्थंकर तथा वासुदेव श्री क्रष्णा को महान कर्मयोगी एवं भविष्य का तीर्थंकर मानकर दोनों महापुरुषों की आराधना की है। भगवान अरिष्टनेमि का जन्म यदुकुल के ज्येष्ठ पुरूष दशार्ह -अग्रज समुद्रविजय की रानी शिवा देवी की रत्नकुक्षी से श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन हुआ। समुद्रविजय शौर्यपुर के राजा थे। जरासंध से चलते विवाद के कारण समुद्रविजय यादव परिवार सहित सौराष्ट्र प्रदेश में समुद्र तट के निकट द्वारिका नामक नगरी बसाकर रहने लगे। श्रीक्रष्ण के नेत्रत्व में द्वारिका को राजधानी बनाकर यादवों ने महान उत्कर्ष किया। आखिर एक वर्ष तक वर्षीदान देकर अरिष्टनेमि श्रावण शुक्ल षष्टी को प्रव्रजित हुए। चउव्वन दिनों के पश्चात आश्विन क्रष्ण अमावस्य को प्रभु केवली बने। देवों के साथ इन्द्रों और मानवों के साथ श्री क्रष्ण ने मिलकर कैवल्य महोत्सव मनाया। प्रभु ने धर्मोपदेश दिया। सहस्त्रों लोगों ने श्रमणधर्म और सहस्त्रों ने श्रावक -धर्म अंगीकार किया। वरदत्त आदि ग्यारह गणधर भगवान के प्रधान शिष्य हुए। प्रभु के धर्म-परिवार में अठारह हजार श्रमण, चालीस हजार श्रमणीयां, एक लाख उनहत्तर हजार श्रावक एवं तीन लाख छ्त्तीस हजार श्राविकाएं थीं। आषाढ शुक्ल अष्ट्मी को girnar पर्वत से प्रभु ने निर्वाण प्राप्त किया।;भगवान के चिन्ह का महत्व शंख – भगवान अरि्ष्टनेमि के चरणों में अंकित चिन्ह शंख है। शंख में अनेक विशेषताएं होती है। ‘ संखे इव निरंजणे ‘ शंख पर अन्य कोई रंग नहीं चढता। शंख सदा श्वेत ही रहता है। इसी प्रकार वीतराग प्रभु शंख की भांति राग-द्वेष से निर्लेप रहते व्हैं। शंख की आक्रति मांगलिक होती है और शंख की ध्वनि भी मंगलिक होती है। कहा जाता है कि शंख -ध्वनि से ही उँ की ध्वनि उत्पन्न होती है। शुभ कर्यों जैसे – जन्म, विवाह, ग्रह -प्रवेश एवं देव-स्तुति के समय शंख -नाद की परम्परा है। शंख हमें मधुर एवं ओजस्वी वाणी बोलने की शिक्षा देता है। .

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पोर्टलैंड, ऑरेगॉन

पोर्टलैंड, पश्चिमोत्तर संयुक्त राज्य अमेरिका में ऑरेगॉन राज्य की विल्मेट और कोलंबिया नदियों के संगम के पास स्थित एक शहर है। जुलाई 2009 तक, इसकी अनुमानित आबादी 582,130 थी और यह संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे अधिक आबादी वाला 29वां राज्य है। इसे दुनिया में दूसरा और संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे अधिक पर्यावरण के अनुकूल या "ग्रीन" शहर माना गया है। पोर्टलैंड ऑरेगॉन का सबसे अधिक आबादी वाला शहर है और सिएटल, वाशिंगटन और वैंकूवर, ब्रिटिश कोलंबिया के बाद पश्चिमोत्तर प्रशांत महासागर का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। जुलाई 2006 तक, संयुक्त राज्य अमेरिका के 23वें सबसे अधिक आबादी वाले पोर्टलैंड महानगरीय क्षेत्र (एमएसए) में लगभग 20 लाख लोग रहते थे। पोर्टलैंड को 1851 में शामिल किया गया और यह मल्टनोमाह काउंटी (मल्टनोमाह County) की काउंटी सीट है। शहर पश्चिम में थोड़ा वाशिंगटन काउंटी और दक्षिण में क्लैकामस काउंटी (क्लैकामस County) में फैला हुआ है। यह एक महापौर और अन्य चार आयुक्तों की अध्यक्षता वाली आयोग-आधारित सरकार द्वारा शासित है। यह शहर और क्षेत्र, सुदृढ़ भूमि-उपयोग योजना और मेट्रो द्वारा समर्थित, लाइट रेल में किए गए निवेश के लिए प्रसिद्ध एक विशिष्ट क्षेत्रीय सरकार है। पोर्टलैंड बड़ी संख्या में अपनी माइक्रो मद्यनिर्माणशाला और माइक्रो भट्टियों तथा कॉफ़ी के शौक के लिए जाना जाता है। यह ट्रेल ब्लेज़र्स एनबीए टीम का भी घर है। पोर्टलैंड पश्चिम समुद्री तटीय जलवायु क्षेत्र में पड़ता है जहां गर्म, शुष्क गर्मियां और बरसातें किन्तु समशीतोष्ण सर्दियां होती हैं। यह मौसम गुलाब की खेती के लिए आदर्श है और एक सदी से भी अधिक समय से पोर्टलैंड को "गुलाबों का शहर" के रूप में जाना जाता है, यहां कई गुलाब के उद्यान हैं जिनमें सबसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय गुलाब टेस्ट गार्डन है। .

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बुद्ध पूर्णिमा

बुद्ध पूर्णिमा (वेसक या हनमतसूरी) बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह बैसाख माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था। ५६३ ई.पू.

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बुद्धत्व

तंग राजवंश काल की चीन के हेबेई प्रान्त से मिली महात्मा बुद्ध की मूर्ति बौद्ध धर्म में बुद्धत्व किसी जीव की उस स्थिति को कहा जाता है जिसमें वह पूरा ज्ञान और बोध पाकर सम्यमसंबुद्ध (जिसे संस्कृत में 'सम्यक्सम्बोधि' की अवस्था कहते हैं) निर्वाण की ओर निकल चुका हो। .

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ब्रेकिंग बेंजामिन

ब्रेकिंग बेंजामिन विल्क्स-बर्रे, पेन्सिल्वेनिया का एक रॉक बैंड है जिसमें वर्तमान में बेंजामिन बर्नले, ऐरॉन फ़िंक, मार्क क्लेपैस्की और चैड स्ज़ेलिगा शामिल हैं। आज तक उन्होने चार एलबम जारी किये हैं। उनके संगीत को अक्सर वैकल्पिक रॉक या पोस्ट-ग्रंज के वर्ग में रखा जाता है। .

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बौद्ध धर्म का कालक्रम

बौद्ध धर्म का कालक्रम, गौतम बुद्ध के जन्म से लेकर अब तक बौद्ध धर्म के विकास का विवरण है। .

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बोरोबुदुर

बोरोबुदुर विहार अथवा बरबुदुर इंडोनेशिया के मध्य जावा प्रान्त के मगेलांग नगर में स्थित 750-850 ईसवी के मध्य का महायान बौद्ध विहार है। यह आज भी संसार में सबसे बड़ा बौद्ध विहार है। छः वर्गाकार चबूतरों पर बना हुआ है जिसमें से तीन का उपरी भाग वृत्ताकार है। यह २,६७२ उच्चावचो और ५०४ बुद्ध प्रतिमाओं से सुसज्जित है। इसके केन्द्र में स्थित प्रमुख गुंबद के चारों और स्तूप वाली ७२ बुद्ध प्रतिमायें हैं। यह विश्व का सबसे बड़ा और विश्व के महानतम बौद्ध मन्दिरों में से एक है। इसका निर्माण ९वीं सदी में शैलेन्द्र राजवंश के कार्यकाल में हुआ। विहार की बनावट जावाई बुद्ध स्थापत्यकला के अनुरूप है जो इंडोनेशियाई स्थानीय पंथ की पूर्वज पूजा और बौद्ध अवधारणा निर्वाण का मिश्रित रूप है। विहार में गुप्त कला का प्रभाव भी दिखाई देता है जो इसमें भारत के क्षेत्रिय प्रभाव को दर्शाता है मगर विहार में स्थानीय कला के दृश्य और तत्व पर्याप्त मात्रा में सम्मिलित हैं जो बोरोबुदुर को अद्वितीय रूप से इंडोनेशियाई निगमित करते हैं। स्मारक गौतम बुद्ध का एक पूजास्थल और बौद्ध तीर्थस्थल है। तीर्थस्थल की यात्रा इस स्मारक के नीचे से आरम्भ होती है और स्मारक के चारों ओर बौद्ध ब्रह्माडिकी के तीन प्रतीकात्मक स्तरों कामधातु (इच्छा की दुनिया), रूपध्यान (रूपों की दुनिया) और अरूपध्यान (निराकार दुनिया) से होते हुये शीर्ष पर पहुँचता है। स्मारक में सीढ़ियों की विस्तृत व्यवस्था और गलियारों के साथ १४६० कथा उच्चावचों और स्तम्भवेष्टनों से तीर्थयात्रियों का मार्गदर्शन होता है। बोरोबुदुर विश्व में बौद्ध कला का सबसे विशाल और पूर्ण स्थापत्य कलाओं में से एक है। साक्ष्यों के अनुसार बोरोबुदुर का निर्माण कार्य ९वीं सदी में आरम्भ हुआ और १४वीं सदी में जावा में हिन्दू राजवंश के पतन और जावाई लोगों द्वारा इस्लाम अपनाने के बाद इसका निर्माण कार्य बन्द हुआ। इसके अस्तित्व का विश्वस्तर पर ज्ञान १८१४ में सर थॉमस स्टैमफोर्ड रैफल्स द्वारा लाया गया और इसके इसके बाद जावा के ब्रितानी शासक ने इस कार्य को आगे बढ़ाया। बोरोबुदुर को उसके बाद कई बार मरम्मत करके संरक्षित रखा गया। इसकी सबसे अधिक मरम्मत, यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्द करने के बाद १९७५ से १९८२ के मध्य इंडोनेशिया सरकार और यूनेस्को द्वारा की गई। बोरोबुदुर अभी भी तिर्थयात्रियों के लिए खुला है और वर्ष में एक बार वैशाख पूर्णिमा के दिन इंडोनेशिया में बौद्ध धर्मावलम्बी स्मारक में उत्सव मनाते हैं। बोरोबुदुर इंडोनेशिया का सबसे अधिक दौरा किया जाने वाला पर्यटन स्थल है। .

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मल्लिनाथ जी

मल्लिनाथ जी उन्नीसवें तीर्थंकर है। जिन धर्म भारत का प्राचीन सम्प्रदाय हैं जैन धर्म के उन्नीसवें तीर्थंकर भगवान श्री मल्लिनाथ जी का जन्म मिथिलापुरी के इक्ष्वाकुवंश में मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी को अश्विन नक्षत्र में हुआ था। इनके माता का नाम माता रक्षिता देवी और पिता का नाम राजा कुम्भराज था। इनके शरीर का वर्ण नीला था जबकि इनका चिन्ह कलश था। इनके यक्ष का नाम कुबेर और यक्षिणी का नाम धरणप्रिया देवी था। जैन धर्मावलम्बियों के अनुसार भगवान श्री मल्लिनाथ जी स्वामी के गणधरों की कुल संख्या 28 थी, जिनमें अभीक्षक स्वामी इनके प्रथम गणधर थे। .

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महायान

गन्धार से पहली सदी ईसवी में बनी महात्मा बुद्ध की मूर्ति महायान, वर्तमान काल में बौद्ध धर्म की दो प्रमुख शाखाओं में से एक है। दूसरी शाखा का नाम थेरवाद है। महायान बुद्ध धर्म भारत से आरम्भ होकर उत्तर की ओर बहुत से अन्य एशियाई देशों में फैल गया, जैसे कि चीन, जापान, कोरिया, ताइवान, तिब्बत, भूटान, मंगोलिया और सिंगापुर। महायान सम्प्रदाय कि आगे और उपशाखाएँ हैं, जैसे ज़ेन/चान, पवित्र भूमि, तियानताई, निचिरेन, शिन्गोन, तेन्दाई और तिब्बती बौद्ध धर्म।, Stuart Chandler, University of Hawaii Press, 2004, ISBN 978-0-8248-2746-5,...

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यूटोपिया

लेफ्ट पेनल (द अर्थली पैराडाइज, गार्डन ऑफ ईडन), हिरोनमस बॉश के द गार्डेन ऑफ अर्थली डिलाइट्स. यूटोपिया एक आदर्श समुदाय या समाज के लिए एक नाम है जो कि 1516 में सर थॉमस मोर द्वारा लिखी गयी पुस्तक ऑफ द बैस्ट स्टेट ऑफ ए रिपब्लिक एण्ड ऑफ द न्यू आइलैण्ड यूटोपिए से लिया गया है जिसमें अटलांटिक महासागर के एक काल्पनिक टापू के एक बिल्कुल उत्कृष्ट लगने वाले सामाजिक-राजनीतिक-कानूनी तंत्र का वर्णन किया गया है। इस पद को सुविचारित समुदायों जिन्होने एक आदर्श समाज बनाने की कोशिश की और साहित्य में चित्रित काल्पनिक समाज दोनों का वर्णन करने के लिए उपयोग किया जाता रहा है। इसने दूसरी अवधारणाओं को जन्म दिया, जिसमें सबसे प्रमुख है आतंक राज्य.

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योग दर्शन

योगदर्शन छः आस्तिक दर्शनों (षड्दर्शन) में से प्रसिद्ध है। इस दर्शन का प्रमुख लक्ष्य मनुष्य को वह परम लक्ष्य (मोक्ष) की प्राप्ति कर सके। अन्य दर्शनों की भांति योगदर्शन तत्त्वमीमांसा के प्रश्नों (जगत क्या है, जीव क्या है?, आदि) में न उलझकर मुख्यतः मोक्ष वाले दर्शन की प्रस्तुति करता है। किन्तु मोक्ष पर चर्चा करने वाले प्रत्येक दर्शन की कोई न कोई तात्विक पृष्टभूमि होनी आवश्यक है। अतः इस हेतु योगदर्शन, सांख्यदर्शन का सहारा लेता है और उसके द्वारा प्रतिपादित तत्त्वमीमांसा को स्वीकार कर लेता है। इसलिये प्रारम्भ से ही योगदर्शन, सांख्यदर्शन से जुड़ा हुआ है। प्रकृति, पुरुष के स्वरुप के साथ ईश्वर के अस्तित्व को मिलाकर मनुष्य जीवन की आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक उन्नति के लिये दर्शन का एक बड़ा व्यावहारिक और मनोवैज्ञानिक रूप योगदर्शन में प्रस्तुत किया गया है। इसका प्रारम्भ पतंजलि मुनि के योगसूत्रों से होता है। योगसूत्रों की सर्वोत्तम व्याख्या व्यास मुनि द्वारा लिखित व्यासभाष्य में प्राप्त होती है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार मनुष्य अपने मन (चित) की वृत्तियों पर नियन्त्रण रखकर जीवन में सफल हो सकता है और अपने अन्तिम लक्ष्य निर्वाण को प्राप्त कर सकता है। योगदर्शन, सांख्य की तरह द्वैतवादी है। सांख्य के तत्त्वमीमांसा को पूर्ण रूप से स्वीकारते हुए उसमें केवल 'ईश्वर' को जोड़ देता है। इसलिये योगदर्शन को 'सेश्वर सांख्य' (स + ईश्वर सांख्य) कहते हैं और सांख्य को ' कहा जाता है। .

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शिखरजी

शिखरजी या श्री शिखरजी या पारसनाथ पर्वत भारत के झारखंड राज्य के गिरीडीह ज़िले में छोटा नागपुर पठार पर स्थित एक पहाड़ी है जो विश्व का सबसे महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल भी है। 'श्री सम्मेद शिखरजी' के रूप में चर्चित इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों (सर्वोच्च जैन गुरुओं) ने मोक्ष की प्राप्ति की। यहीं 23 वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। माना जाता है कि 24 में से 20 जैन ने पर मोक्ष प्राप्त किया था।, Travel.hindustantimes.com, Accessed 2012-07-07 1,350 मीटर (4,430 फ़ुट) ऊँचा यह पहाड़ झारखंड का सबसे ऊंचा स्थान भी है। .

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शकीरा

शकीरा इसाबेल मेबारक रिपोल (जन्म - २ फ़रवरी १९७७), जो शकीरा नाम से प्रसिद्ध हैं, एक कोलंबियन गायिका-गीतकार, संगीतकार, रिकॉर्ड निर्माता, नृत्यांगना और लोकोपकारक हैं, जो लैटिन अमेरिका के संगीत परिदृश्य में १९९० के दशक में एक संगीत प्रतिभा के रूप में उभरी। बेरेंकिया, कोलम्बिया में जन्मी और बड़ी हुई शकीरा ने विद्यालय में ही अपनी कई प्रतिभाओं को प्रदर्शित किया जिनमे रॉक एंड रोल, लैटिन तथा अरब में गायन क्षमता और गर्भ-नृत्य (बेली डांस) शामिल हैं। शकीरा की मातृभाषा स्पेनिश है पर वह सहज अंग्रेजी और पुर्तगाली और इतालवी, फ्रेंच तथा कातालान भी बोल लेती है। वह अरब शास्त्रीय संगीत भी जानती हैं। स्थानीय निर्माताओं के साथ किए उनके पहले दो एल्बम असफल हुए। उस वक्त शकीरा कोलंबिया के बाहर मशहूर नहीं थी। उन्होंने अपने खुद के ब्रांड के संगीत का निर्माण करने का फैसला किया। १९९५ में उन्होने पीएस देस्काल्सोस एल्बम निकला जिसने उन्हे लैटिन अमेरिका और स्पेन में खूब प्रसिद्धि दिलायी। १९९८ में उन्होंने ¿दोंदे एस्तन लोस लाद्रोनेस? (स्पेन: Dónde Están los Ladrones?) नामक एल्बम निकाला जिसके दुनिया भर में ७० लाख से अधिक प्रतियां बिकीं और उन्हे एक महत्वपूर्ण सफलता दिलाई। सन् २००१ में अपने संगीत वीडियो "व्हेनेवर, व्हेरेवर" (अनुवाद: जब भी, जहाँ भी) के जबर्दस्त सफलता के साथ, उन्होंने अपने एल्बम लांड्री सर्विस (अनुवाद: धुलाई - सेवा) से अंग्रेजी-बोलने वाली दुनिया में कदम रखा और दुनिया भर में १.३ करोड़ से अधिक प्रतियां बिकीं।, BMI.com चार साल बाद शकीरा ने दो एल्बम परियोजनाओं,ओरल फिक्सेशन खंड १ और ओरल फिक्सेशन खंड २ को जारी किया। दोनों ने उनकी सफलता को बल दिया विशेषतः २१वीं सदी का सबसे सफल गीत "हिप्स डोंट लाय"। अक्टूबर-नवम्बर 2009 के बाद शकीरा ने अपना नवीनतम एल्बम "शी वूल्फ " दुनिया भर में जारी किया। उन्होंने दो ग्रैमी पुरस्कार, सात लैटिनग्रैमी पुरस्कार जीते हैं और वह गोल्डन ग्लोब पुरस्कार के लिए भी नामांकित की गयी हैं। वह आज तक की सर्वाधिक-बिक्री वाली कोलंबियाई कलाकार और ग्लोरिया स्टेफान से पीछे दूसरी सबसे सफल लैटिन गायिका है, जिनके ५० मिलियन से अधिक एल्बम दुनिया भर में बिक चुके हैं। इसके अतिरिक्त वह दक्षिण अमेरिका की एकमात्र कलाकार है जो अमेरीकी बिलबोर्ड हॉट 100, ऑस्ट्रेलियाई ARIA चार्ट और ब्रिटेन सिंगल चार्ट में पहले स्थान तक पहुंच चुकी है। शकीरा का मशहूर गाना "वाका वाका"२०१० फुटबॉल विश्व कप के अधिकृत गाने के रूप में चुना गया था। शकीरा को हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम में एक स्टार मिला है। .

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षट्खण्डागम

षट्खण्डागम (अर्थ .

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सिद्धार्थ (उपन्यास)

सिद्धार्थ हरमन हेस द्वारा रचित उपन्यास है, जिसमें बुद्ध काल के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप के सिद्धार्थ नाम के एक लड़के की आध्यात्मिक यात्रा का वर्णन किया गया है। यह पुस्तक हेस का नौवां उपन्यास है, इसे जर्मन भाषा में लिखा गया था। यह सरल लेकिन प्रभावपूर्ण और काव्यात्मक शैली में है। इसे 1951 में अमेरिका में प्रकाशित किया गया था और यह 1960 के दशक में प्रभावी बन गया.

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जैन धर्म

जैन ध्वज जैन धर्म भारत के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। 'जैन धर्म' का अर्थ है - 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। जो 'जिन' के अनुयायी हों उन्हें 'जैन' कहते हैं। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने - जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया और विशिष्ट ज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया उन आप्त पुरुष को जिनेश्वर या 'जिन' कहा जाता है'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। जैन दर्शन में सृष्टिकर्ता कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ता धर्ता नही है।सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है।जैन धर्म के ईश्वर कर्ता नही भोगता नही वो तो जो है सो है।जैन धर्म मे ईश्वरसृष्टिकर्ता इश्वर को स्थान नहीं दिया गया है। जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव आदिनाथ द्वारा जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म की अत्यंत प्राचीनता करने वाले अनेक उल्लेख अ-जैन साहित्य और विशेषकर वैदिक साहित्य में प्रचुर मात्रा में हैं। .

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जॉनी डेप

जॉन क्रिस्टोफर "जॉनी" डेप II (John Christopher "Johnney" Dep II; जन्म 9 जून 1963) एक अमेरिकी अभिनेता और संगीतकार हैं जिन्हें विभिन्न नाटकीय और काल्पनिक फिल्मों में लीक से हटकर सनकी किरदारों वाली भूमिकाएं निभाने के लिए जाना जाता है। हाल की फिल्मों में मुख्य भूमिका के लिए वे गोल्डन ग्लोब पुरस्कार और स्क्रीन एक्टर्स पुरस्कार भी जीत चुके हैं। डेप 1980 के दशक में टेलीविजन शृंखला 21 जंप स्ट्रीट से लोकप्रिय हुए और जल्द ही किशोरों के आदर्श बन गए। फिल्मों की बात करें तो एडवर्ड सिजरहैंड्स (1990) में मुख्य किरदार में उनकी भूमिका काफी सराहनीय रही और बाद में स्लीपी हॉलो (1999),समुंदर के लुटेरे: द कर्स ऑफ़ द ब्लैक पर्ल (2003) और चार्ली एंड द चॉकलेट फैक्ट्री (2005) फिल्मों द्वारा उन्हें बॉक्स ऑफिस पर कामयाब भी प्राप्त हुई। उन्होंने निर्देशक और नजदीकी दोस्त टिम बर्टन के साथ सात फिल्में की, जिनमें सबसे हालिया रही स्वीने टोड: द डेमन बार्बर ऑफ फ्लीट स्ट्रीट (2007) और ऐलिस इन वण्डरलैण्ड (२०१० फ़िल्म) (2010).

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वासुपूज्य

वासुपूज्य जी बारहवें तीर्थंकर है। विशेषता-:दिगंबर मान्यतानुसार इनके पांचों कल्याणक चंपापुर में हुये। .

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विद्यानंद

आचार्य Vidyanand जी (हिंदी: आचार्य विद्यानंद) (जन्म 22 अप्रैल 1925) के एक वरिष्ठ सबसे प्रमुख विचारक, दार्शनिक, लेखक, संगीतकार, संपादक, क्यूरेटर और एक बहुमुखी जैन साधु समर्पित किया है, जो अपने पूरे जीवन में उपदेश और अभ्यास महान अवधारणा की अहिंसा (अहिंसा) के माध्यम से जैन धर्महै। वह है के शिष्य आचार्य Deshbhushan.

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विसुद्धिमग्ग

विसुद्धिमग्ग (संस्कृत: विशुद्धिमार्ग .

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वेसक

वेसक (पालि: वेसाख, वैशाख) एक उत्सव है जो विश्व भर के बौद्धों एवं अधिकांश हिन्दुओं द्वारा मनाया जाता है। यह उत्सव बुद्धपूर्णिमा को मनाया जाता है जिस दिन गौतम बुद्ध का जन्म और निर्वाण हुआ था तथा इसी दिन उन्हें बोधि की प्राप्ति हुई थी। विभिन्न देशों के पंचांग के अनुसार बुद्धपूर्णिमा अलग-अलग दिन पड़ता है। भारत में वर्ष २०१८ में ३० अप्रैल को बुद्ध पूर्णिमा मनाई गई। विभिन्न देशों में इस पर्व के अलग-अलग नाम हैं। उदाहरण के लिए, हांग कांग में इसे बुद्ध जन्मदिवस कहा जाता है, इण्डोनेशिया में 'वैसक' दिन कहते हैं, सिंगापुर में 'वेसक दिवस' और थाइलैण्ड में 'वैशाख बुच्छ दिन' कहते हैं। .

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गन्स एण्ड रोज़ेज़

गन्स एण्ड रोज़ेज़ (जिसे कभी-कभी संक्षेप में GN'R या GnR भी कहा/लिखा जाता है) एक अमेरिकी हार्ड रॉक बैंड है। इस बैंड का गठन 1985 में कैलिफोर्निया के लॉस एंजिलिस के हॉलीवुड में हुआ था। प्रमुख गायक और सह-संस्थापक एक्सल रोज़ (जन्म विलियम ब्रूस रोज़, जूनियर) के नेतृत्व में इस बैंड के गठन के बाद से इसके सदस्यों में कई बार परिवर्तन हुए हैं और कई विवादों ने जन्म लिया है। इस बैंड ने अपने कॅरियर के दौरान छः स्टूडियो एल्बम, तीन EPs और एक लाइव एल्बम रिलीज़ किया है। बैंड ने दुनिया भर में 1000 लाख से अभी अधिक एल्बम बेचा है जिसमें से 460 लाख से अभी अधिक एल्बमों की बिक्री संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई है। बैंड के 1987 के प्रमुख लेबल के पहले एल्बम एपेटाइट फॉर डिस्ट्रक्शन की 280 लाख प्रतियों की दुनिया भर में बहुत ज्यादा बिक्री हुई है और संयुक्त राज्य अमेरिका के ''बिलबोर्ड'' 200 में नंबर एक पर पहुंच गया है। इसके अतिरिक्त, इस एल्बम ने ''बिलबोर्ड'' हॉट 100 में तीन टॉप 10 सफल गाने दिए जिसमें "स्वीट चाइल्ड ओ' माइन" भी शामिल था जो नंबर एक पर पहुंच गया था। 1991 की एल्बमों, यूज़ योर इल्यूज़न I और यूज़ योर इल्यूज़न II ने बिलबोर्ड 200 पर दो सर्वोच्च स्थानों पर अपनी शुरुआत की और दुनिया भर में कुल 350 लाख प्रतियों की बिक्री की है जिसमें से केवल संयुक्त राज्य अमेरिका में 140 लाख प्रतियों की बिक्री हुई है। एक दशक से भी अधिक समय तक काम करने के बाद बैंड ने 2008 में अपना अगला एल्बम, चाइनीज़ डेमोक्रेसी रिलीज़ की। वर्तमान लाइन-अप (सदस्य-मण्डली) में प्रमुख गायक एक्सल रोज़, प्रमुख गिटारवादक रॉन "बम्बलफूट" थाल और डीजे अश्बा, ताल गिटारवादक रिचर्ड फोर्टस, बासवादक टॉमी स्टिन्सन, ड्रमवादक फ्रैंक फेरर, कीबोर्डवादक डिज़ी रीड और सिन्थेसाइज़र वादक क्रिस पिटमैन शामिल हैं। उनके अस्सी के दशक के मध्य से लेकर अंत तक और नब्बे के दशक के शुरू के वर्षों को संगीत उद्योग के व्यक्तियों द्वारा एक ऐसी अवधि के रूप में वर्णित किया जाता है जिसमें "उन्होंने सुखवादी अक्खड़पन को जन्म दिया और आरंभिक रोलिंग स्टोन्स की याद दिलाने वाले पंक (उग्र) प्रवृत्ति वाले हार्ड रॉक दृश्य को पुनर्जीवित किया।"http://www.rollingstone.com/artists/gunsnroses/biography .

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गौतम बुद्ध

गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। उनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थी जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश एवं सत्य दिव्य ज्ञान खोज में रात में राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से बुद्ध बन गए। .

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इनक्यूबस

इनक्यूबस कैलिफोर्निया के कालाबसस का एक अमेरिकी रॉक बैंड है। इस बैंड की स्थापना 1991 में गायक ब्रैंडन बॉयड, मुख्य गिटारवादक माइक आइन्ज़िगर और ड्रमवादक जोस पसिलास ने उस समय की जब उन्होंने हाई स्कूल में दाखिला लिया था। बासवादक एलेक्स "डिर्क लांस" कैटुनिख और गेविन "डीजे लीफ" कोपेल के शामिल होने पर बैंड का विस्तार हुआ जिनमें से दोनों की जगह अंत में क्रमशः बासवादक बेन केनी और डीजे किल्मोर को शामिल किया गया। बहु-प्लेटिनम बिक्री तक पहुंचने के साथ-साथ कई अत्यधिक सफल एकलों को रिलीज़ करके इनक्यूबस ने आलोचकों की प्रशंसा के साथ-साथ वाणिज्यिक सफलता भी प्राप्त कर ली है। बैंड ने रचनात्मक ढंग से शाखाओं की तरह फैलना शुरू कर दिया और अपने 1999 एल्बम मेक योरसेल्फ की रिलीज़ के साथ मुख्यधारा की मान्यता हासिल की। 2001 में, "ड्राइव" नामक एकल और अपने अनुवर्ती एल्बम, मॉर्निंग व्यू, की सफलता के साथ इनक्यूबस एक बहुत ज्यादा कामयाब बैंड बन गया। उनकी नवीनतम स्टूडियो एल्बम, लाइट ग्रेनेड्स, ने 2006 में #1 पर शुरुआत की और अमेरिका में इसने स्वर्ण की प्रमाणिकता प्राप्त की है। इनक्यूबस ने जून 2009 में अपनी पहली सबसे बड़ी हिट्स एल्बम मोनुमेंट्स एण्ड मेलोडीज़ को रिलीज़ किया और इसके साथ संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा का दौरा किया। .

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कर्ट कोबेन

कर्ट डोनाल्ड कोबेन (उच्चारण / koʊbeɪn /, / kʌbeɪn /; 20 फ़रवरी 1967 - सी 5 अप्रैल 1994) एक अमेरिकी गीतकार और संगीतकार और रॉक बैंड निर्वाण के मुख्य गायक और गिटारवादक थे। निर्वाण के दूसरे एलबम नेवरमाइंड (1991) के मुख्य सिंगल "स्‍मेल्‍स लाइक टीन स्पिरिट" के साथ निर्वाण ने मुख्यधारा में प्रवेश किया और वैकल्पिक रॉक की उपशैली को लोकप्रिय किया जिसे ग्रूंज कहते हैं। अन्य सिएटल ग्रूंज बैंड जैसे एलिस इन चैन्स, पर्ल जैम और साउंडगार्डन को भी व्यापक श्रोता प्राप्त हुए और परिणामस्वरूप वैकल्पिक रॉक 1990 के दशक के प्रारम्भ से मध्य के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में रेडियो और संगीत टेलीविजन पर एक प्रमुख अंग बन गया। निर्वाण को "जनरेशन X" के "प्रमुख बैंड" के तौर पर देखा गया और कोबेन ने पाया कि उसका अग्रणी व्यक्ति होने के नाते मीडिया ने जनरेशन के प्रवक्ता के तौर पर नियुक्त किया है। कोबेन चौकसी से परेशान थे और उन्होंने बैंड के संगीत पर अपना ध्यान केंद्रित रखा और उनका मानना था कि बैंड के तीसरे स्टूडिओ एलबम इन उटेरो (1993) के श्रोताओं को चुनौती देकर बैंड के संदेश और कलात्मक दृष्टि की जनता द्वारा गलत व्याख्या की जा रही है। अपने जीवन के अंतिम वर्षों के दौरान कोबेन ने अपनी हेरोइन की लत, बीमारी और अवसाद, अपनी प्रसिद्धि और सार्वजनिक छवि के साथ ही पेशेवर और अपने तथा अपनी संगीतकार पत्नी कर्टनी लव के आसपास जीवन पर्यन्त व्यक्तिगत दबाव के साथ संघर्ष किया। 8 अप्रैल 1994 को कोबेन सिएटल में अपने घर पर मृत पाये गये, जो आधिकारिक तौर पर अपने सिर पर गोली मार कर की गयी आत्महत्या थी। उनकी मौत की परिस्थितियां कई बार आकर्षण और विवाद का विषय बन गयीं। निर्वाण में गीतकार के तौर पर कोबेन के पहले प्रयास के बाद से अकेले अमेरिका में पच्चीस मिलियन और दुनिया भर में पचास मिलिनय से अधिक एलबम बिके.

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कल्पसूत्र (जैन)

1375-1400 की इस कल्पसूत्र पाण्डुलिपि में महावीर के जन्म का चित्रण है। कल्पसूत्र नामक जैनग्रंथों में तीर्थंकरों (पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी आदि) का जीवनचरित वर्णित है। भद्रबाहु इसके रचयिता माने जाते हैं। पारंपरिक रूप से मान्यता है कि इस ग्रन्थ की रचना महावर स्वामी के निर्वाण के १५० वर्ष बाद हुई। आठ दिवसीय पर्यूषण पर्व के समय जैन साधु एवं साध्वी कल्पसूत्र का पाठ एवं व्याख्या करते हैं। इस ग्रन्थ का बहुत अधिक आध्यात्मिक महत्व है इसलिये केवल साधु एवं साध्वी ही इसका वाचन करते हैं और सामान्य लोग इसे हृदयंगम करते हैं। .

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केसरिया

केसरिया चंपारण से ३५ किलोमीटर दूर दक्षिण साहेबगंज-चकिया मार्ग पर लाल छपरा चौक के पास अवस्थित है। यह पुरातात्विक महत्व का प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है। यहाँ एक वृहद् बौद्धकालीन स्तूप है जिसे केसरिया स्तूप के नाम से जाना जाता है। केसरिया एक महत्‍वपूर्ण बौद्ध स्‍थल है। यह चंपारण में स्थित एक छोटा सा शहर है जो गंडक नदी के किनारे बसा हुआ है। इसका इतिहास काफी पुराना व समृद्ध है। बौद्ध तीर्थस्‍थलों में इसका महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। बुद्ध ने वैशाली से कुशीनगर जाते हुए एक रात केसरिया में बिताई थी तथा लिच्‍छवियों को अपना भिक्षा-पात्र प्रदान किया था। कहा जाता है कि जब भगवान बुद्ध यहां से जाने लगे तो लिच्‍छवियों ने उन्‍हें रोकने का काफी प्रयास किया। लेकिन जब लिच्‍छवि नहीं माने तो भगवान बुद्ध ने उन्‍हें रोकने के लिए नदी में कृत्रिम बाढ़ उत्‍पन्‍न की। इसके पश्‍चात् ही भगवान बुद्ध यहां से जा पाने में सफल हो सके थे। सम्राट अशोक ने यहां एक स्‍तूप का निर्माण करवाया था। इसे विश्‍व का सबसे बड़ा स्‍तूप माना जाता है। विश्व विख्यात केसरिया बौद्ध स्तूप दर्शन महात्मा बुद्ध जब वैशाली से महापरिनिर्वाण ग्रहण करने कुशीनगर जा रहे थे तो बुद्ध एक दिन के लिए (केशपुत निगम) केसरिया में विश्राम किये थे। जिस स्थान पर बुद्ध अजातशत्रु आम्रपाली, आनंद और मंझिम संग ठहरे थे उसी जगह पर कुछ समय बाद मगध सम्राट अजातशत्रु ने स्मरण के रूप में स्तूप का निर्माण करवाया था। बौद्ध धर्म प्रचार हेतु संघमित्रा संग सम्राट अशोक ने (केशपुत निगम) केसरिया जाने के क्रम में सम्राट अशोक एवं संघमित्रा संग साहेबगंज के अशोक चैक पर चन्द लम्हों तक विश्राम किया था जो आज भी साहेबगंज के अशोक चैक बौद्ध परिपथ में आज भी अपने अतीत पर आँसू बहा रहा है। भारतीय पुरातत्व विभाग के लापरवाही का सूचक है। पुनः स्तूप का भव्य निर्माण कराया था। इसे विश्व का सबसे बड़ा केसरिया बौद्ध स्तूप माना जाता है। इस (केशपुत निगम) केसरिया में सम्राट अशोक ने इसलिए विश्व का सबसे बड़ा स्तूप का निर्माण कराने का उन्हें पूर्ण विश्वास एवं स्मरण था कि महात्मा बुद्ध का जन्म बुद्धत्व प्रति एवं महापरिनिर्वाण तीनों बुद्ध पूर्णिमा हीं था। इसलिए इस बौद्ध स्तूप 14000 फीट के क्षेत्र में फैला हुआ था और बौद्ध स्तूप की उँचाई 151 फीट था। अलेक्जेंडर कंनिघम के अनुसार स्तूप काफी उँचा था। यह केसरिया बौद्ध स्तूप केसरिया से दो मील दक्षिण में स्थित है। साहेबगंज से पश्चिम ने पांच मील की दूरी पर विश्वविख्यात केसरिया बौद्ध स्तूप, लाला छपरा मे स्थित है। देवभूमि को पूर्वजों ने देउरा हीं केसरिया, पूर्वी चम्पारण जिला अंतर्गत के समृद्ध इतिहास का सबसे चमकता सितारा है। जिसे सोने की मुर्गी कहा जा सकता है। वर्तमान मैं यहाँ पर ईंटों का विशाल खण्डहर का टीला है। इस जगह का महात्मा बुद्ध के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता था। भगवान केशरनाथ मंदिर पूर्वी चम्पारण जिला अन्तर्गत बटुक लिंग के रूप में स्थागित है। यह लिंग सभी शिवलिंगों मे केसरिया की सबसे अमूल्य निधि माना जाता है। यह शिवलिंग 1969 ई0 में नहर की खुदाई के दौरान मिला था। विद्वानों का मानना है कि विश्व का सबसे अनमोल शिवलिंग जिस प्रकार का जिक्र शिवपुराण में मिलता है। इसी कारण स्थानीय लोगों एवं बुद्धिजीवियों का मानना है कि यह शिवलिंग बहुत प्राचीन है। श्रावण मास में प्रत्येक दिन बेलपत्र, फुल, गंगाजल इत्यादि के अलावा गाय का शुद्ध ताजा दूध शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। दूध चढ़ते हीं शिवलिंग मे ज्योति मय प्रकाश का आगमन दिखता है। यह केसरिया का शिवलिंग वास्तविक है। इस शिवलिंग का वास्तविकता का प्रमाण साक्ष्य है। यह जीवन्त शिवलिंग माना जाता है। ठेकहाँ मठ के महाधिरा श्री श्री 108 कृष्ण मोहन दासजी कहना है कि यह शिवपूराण का विलुप्त बटुक शिवलिंग है जो स्वयं शिवशंकर भोलेनाथ जहाँ व्याप्त होते हैं। कैलेण्डरों में शिवजी के सामने जो लिंग दिखता है वही केसरिया का शिवलिंग साक्षात देख सकते हैं। केसरिया शिवालय में यही सत्य है। ठेकहाँ मठ:- केसरिया का प्राचीन काल में सांस्कृतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान था। केसरिया की यह सांस्कृतिक समृद्धता कत्र्ताराम धवलराम का ठेकहाँ मठ के माध्यम से प्रतिबंधित होती है। इस मठ का इतिहास ढ़ाई सौ वर्ष पुराना है। यह ठेकहाँ मठ केसरिया प्रखण्ड मुख्यालय से सात किलोमीटर एवं साहेबगंज से भी लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गांधी पुस्तकालय:- यह एक समृद्ध कर्मवीर गाँधी पुस्तकालय है। जैसा कि स्थानीय एवं बुद्धिजीवी लोग के साथ-साथ सभी लोग जानते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी सन् 1917 ई0 मैं नील की खेती के विरोध में सत्याग्रह करने के लिए आये थे उसी क्रम में केसरिया के पुस्तकालय की नींव रखी थी। उस समय गाँधीजी केसरिया भी बनाये थे। उस सत्याग्रह का केसरिया के साथ-साथ सम्पूर्ण भारत में क्रांतिकारी लहर दौड़ गया था। आवागमन वायुमार्ग:- साहेबगंज - केसरिया का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा मुजफरपुर मे है। किन्तु आजकल मुजफरपुर के लिए कोई उड़ान उपलब्ध नही है। वायुयान से पटना तक आकर वहाँ से केसरिया बौद्ध स्तूप दर्शन हेतु जाया जा सकता है। सड़क मार्ग:- यह बिहार की राजधानी पटना से साहेबगंज होते हुए अच्छी सड़क मार्ग से केसरिया जुड़ा हुआ है। इसके अलावा बिहार के प्रत्येक जिलों से सड़क मार्ग से केसरिया बौद्ध स्तूप तक पहुँचा जा सकता है। रेलमार्ग:- ऽ केसरिया के सबसे निकट रेलवे स्टेशन मोतीपुर (मुजफरपुर) और चकिया पूर्वी चम्पारण जिला अन्तर्गत में है। ऽ हाजीपुर-साहेबगंज भाया केसरिया होते हुए सुगौली रेलमार्ग निर्माणाधीन है। एवं मोतीपुर से साहेबगंज जंक्शन में मिलाने की योजना प्रस्तावित है। के0 के0 जायसवाल अध्यक्ष केसरिया बौद्ध डेवलाॅपमेंट सेन्टर मो0-8210327294 / 8227942959 .

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अनागामी

निर्वाण के पथ पर अर्हत् पद के पहले की भूमि अनागामी की होती है। जब योगी समाधि में सत्ता के अनित्य-अनात्म-दु:ख-स्वरूप का साक्षात्कार कर लेता है तब उसके भवबंधन एक एक कर टूटने लगते हैं। जब सत्काय दृष्टि, विचिकित्सा, शीलव्रतपराभास, कामछंद और व्यापाद्-ये पाँच बंधन नष्ट हो जाते हैं तब वह अनागामी हो जाता है। मरने के बाद वह ऊपर की भूमि में उत्पन्न होता है। वहीं उत्तरोत्तर उन्नत होते हुए अविद्या का नाश कर अर्हत् पद का लाभ करता है। वह इस लोक में फिर जन्म नहीं ग्रहण करता। इसीलिए वह अनागामी कहा जाता है। .

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अभिधम्म साहित्य

बुद्ध के निर्वाण के बाद उनके शिष्यों ने उनके उपदिष्ट 'धर्म' और 'विनय' का संग्रह कर लिया। अट्टकथा की एक परंपरा से पता चलता है कि 'धर्म' से दीघनिकाय आदि चार निकायग्रंथ समझे जाते थे; और धम्मपद सुत्तनिपात आदि छोटे-छोटे ग्रंथों का एक अलग संग्रह बना दिया गया, जिसे 'अभिधर्म' (अतिरिक्त धर्म) कहते थे। जब धम्मसंगणि आदि जैसे विशिष्ट ग्रंथों का भी समावेश इसी संग्रह में हुआ (जो अतिरिक्त छोटे ग्रंथों से अत्यंत भिन्न प्रकार के थे), तब उनका अपना एक स्वतंत्र पिटक- 'अभिधर्मपिटक' बना दिया गया और उन अतिरिक्त छोटे ग्रंथों के संग्रह का 'खुद्दक निकाय' के नाम से पाँचवाँ निकाय बना। 'अभिधम्मपिटक' में सात ग्रंथ हैं- विद्वानों में इनकी रचना के काल के विषय में मतभेद है। प्रारंभिक समय में स्वयं भिक्षुसंघ में इसपर विवाद चलता था कि क्या अभिधम्मपिटक बुद्धवचन है। पाँचवें ग्रंथ कथावत्थु की रचना अशोक के गुरु मोग्गलिपुत्त तिस्स ने की, जिसमें उन्होंने संघ के अंतर्गत उत्पन्न हो गई मिथ्या धारणाओं का निराकण किया। बाद के आचार्यों ने इसे 'अभिधम्मपिटक' में संगृहीत कर इसे बुद्धवचन का गौरव प्रदान किया। शेष छह ग्रंथों में प्रतिपादन विषय समान हैं। पहले ग्रंथ धम्मसंगणि में अभिधर्म के सारे मूलभूत सिद्धांतों का संकलन कर दिया गया है। अन्य ग्रंथों में विभिन्न शैलियों से उन्हीं का स्पष्टीकरण किया गया है। .

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अरनाथ

अरनाथ जी अठहरवें तीर्थंकर है। .

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अवलोकितेश्वर

इंडोनीशिया के जावा द्वीप के एक मंदिर में अवलोकितेश्वर की हाथ में कमल लिए एक मूर्ती अवलोकितेश्वर महायान बौद्ध धर्म सम्प्रदाय के सब से लोकप्रिय बोधिसत्वों में से एक हैं। उनमें अनंत करुणा है और धर्म-कथाओं में कहा गया है कि बिना संसार के समस्त प्राणियों का उद्धार किये वे स्वयं निर्वाण लाभ नहीं करेंगे। कहा जाता है कि अवलोकितेश्वर अपनी असीम करुणा में कोई भी रूप धारण कर के किसी दुखी प्राणी की सहायता के लिए आ सकते हैं।, Susan Whitfield, British Library, Serindia Publications, Inc., 2004, ISBN 978-1-932476-13-2,...

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उत्तराध्ययन सूत्र

उत्तराध्ययन सूत्र जैन धर्म के श्वेताम्बर पन्थ का धर्मग्रन्थ है। कहते हैं कि महावीर स्वामी के निर्वाण के कुछ समय पहले दिए गये उपदेश इसमें संग्रहित हैं। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

निब्बान, परिनिर्वाण

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »