धर्मशास्त्र में व्यापारियों के संघ के लिए प्राय: 'नैगम' शब्द प्रयुक्त हुआ है। निगम शब्द नगर का द्योतक था, किंतु कुछ स्थलों पर यह स्पष्ट है कि निगम एक विशेष प्रकार का नगर था जिसका संबंध व्यापारियों से था। वृहत्कल्पसूत्र भाष्य में निगम लेनदेन का काम करनेवाले व्यापारियों की बस्ती के अर्थ में आता है- सांग्रहिक निगम केवल यही कार्य करते थे और असांग्रहिक निगम इसके अतिरिक्त दूसरे कार्य भी करते थे। निगम का उपयोग व्यापारियों के समूह और संघ के लिए भी हुआ है। वैशाली से प्राप्त चौथी शताब्दी के अंत की ओर की कुछ मुद्राएँ श्रेष्ठि, सार्थवाह और कुलिकों के निगम की हैं। ऐसी मुद्राएँ भीटा से भी प्राप्त हुई हैं। अमरावती के 'धंंकाटकस निगमस' लेख में भी निगम का उपयोग नगर के लिए नहीं अपितु व्यापारियों के संघ के रूप में हुआ है। निगम शब्द का यह उपयोग ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी की एक मुद्रा में भी मिलता है जिसमें 'शाहिजितिये निगमश' लेख उत्कीर्ण है। .
1 संबंध: निगम (बहुविकल्पी)।
'निगम' के शाब्दिक अर्थ हैं - देखें-.
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