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नागौर

सूची नागौर

नागौर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह नागौर जिला मुख्यालय है। नागौर राजस्थान का एक छोटा सा शहर है। ऐतिहासिक रूप से भी यह जगह काफी महत्वपूर्ण है। नागौर बलबन की जागीर थी जिसे शेरशाह सूरी ने 1542 ने जीत लिया था। इसके अलावा महान मुगल सम्राट अकबर ने यहां मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस मस्जिद का नाम अकबरी जामा मस्जिद है। यह मस्जिद शहर के बीचों बीच दड़ा मोहल्ला गिनाणी तालाब के पास स्थित है। इस मस्जिद के दो ऊंचे मीनार गुंबद मुगलकालीन निर्माण कला के गवाह हैं। इसके अलावा गिनाणी तालाब की उत्तरी दिशा की तरफ ही आलिशान दरगाह बनी हुई है। इस दरगाह को हजरत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह शरीफ कहा जाता है। इस दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज हजरत मइनुद्दीन चिश्ती के खास खलीफा हजरत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी की मजार शरीफ है। नागौर विशेष रूप में प्रत्येक वर्ष लगने वाले पशु मेले के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इस मेले में हर साल काफी संख्या में पर्यटक आते हैं। इसके अतिरिक्त यहां कई महत्वपूर्ण मंदिर और स्मारक भी है। .

62 संबंधों: चिकनास, चौदहवीं लोकसभा, एक पहेली लीला, डिडेल, डेह, तेजाजी, दधिमती माता मन्दिर, नागौर, देचू, नागौर जिला, पाली जिला, पृथ्वीराज चौहान, बनवारी लाल जोशी, बलत्कर गण, बावले छोरे, भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची, भारत के शहरों की सूची, भारतीय इतिहास तिथिक्रम, मतीरे की राड़, मरू प्रदेश, महाराणा कुम्भा, मोतीलाल वोरा, मीठड़ी मारवाड़, रानाबाई, रामदेव पशु मेला नागौर, राष्ट्रीय राजमार्ग ६५, राजस्थान में जैन धर्म, राजस्थान के दुर्गों की सूची, राजस्थान के पशु मेले, राजस्थान के महलों की सूची, राजस्थान के लोकदेवता, राजस्थान के शहर, राजस्थान के जिले, राजस्थान की झीलें, राजस्थान की जलवायु, राव जोधा, रोल, सारसण्डा, सुजीत ललवानी, स्वामी रामसुखदास, सीकर, सीकर जिला, हमीद्दीउदीन नागौरी मकबरा, हरनावा, जायल, जिलिया, खाप, खिमसर का किला, गुरु जम्भेश्वर, गैना, औधोगिक नगर, ..., आन्तरोली कला, आगुन्ता, आंजना, इनाणिया, इंदिरा गांधी नहर, कलवानिया, कल्याण सिंह कालवी, क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी, कुचामन का किला, कुंजल माता मन्दिर, देह, अमरसिंह राठौड़, अहिछत्रगढ़ किला सूचकांक विस्तार (12 अधिक) »

चिकनास

गूगल मेप में चिकनास ग्राम क स्थल। चिकनास,डेगाना,तहसिल,जिला,नागौर, राज्य,राजस्थान, भारत का एक,छोटा, सा गांव हे। यह सारसण्डा से ४,किलोमिटर,पुर्वमे तथा, बंवरलासे ५ किलोमिटर,पश्चिम, मे, स्थितहे। .

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चौदहवीं लोकसभा

भारत में चौदहवीं लोकसभा का गठन अप्रैल-मई 2004 में होनेवाले आमचुनावोंके बाद हुआ था। .

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एक पहेली लीला

एक पहेली लीला एक भारतीय थ्रिलर बॉलीवुड फ़िल्म है जिसका निर्देशन बॉबी खान नें किया है। इसका निर्माण भूषण कुमार, कृशन कुमार और अहमद खान ने किया है। फिल्म में सन्नी लियोन मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म एक पुनर्जन्म की कहानी हैं। फिल्म की कहानी 300 साल पहले की है। लीला और उसके प्रेमी की हत्या कर दी जाती है। फिल्म में दर्शाया गया है कि कैसे लीला की अधूरी कहानी पूरी होती जब वे आज के समय में वापस जन्म लेते हैं। यह फ़िल्म 10 अप्रैल 2015 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई और अच्छी कमाई के साथ हिट हुई। .

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डिडेल

डिडेल एक जाट गोत्र का नाम है, जो भारत के राजस्थान और मध्यप्रदेश प्रांत में पाये जाते हैं। राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, नागौर, टोंक जिलों में मिलते हैं एवं मध्यप्रदेश के हरडा, मंदसौर, रतलाम जिलों में मिलते हैं। यह गोत्र ऋषि दधीचि के परिवार पेड़ में भी है। डिडेल गोत्र सबसे ज्यादा नागौर जिले के रोल गांव में हैं। श्रेणी:जाति श्रेणी:हिन्दू धर्म श्रेणी:भारतीय उप जातियाँ श्रेणी:जाट गोत्र श्रेणी:राजस्थान के जाट गोत्र श्रेणी:मध्यप्रदेश के जाट गोत्र श्रेणी:भारतीय जाति आधार sv:Jater#D.

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डेह

डेह, भारत के राजस्थान राज्य के अंतर्गत नागौर जिले की जायल तहसील का एक गाँव है। .

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तेजाजी

तेजाजी राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात प्रान्तों में लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं। किसान वर्ग अपनी खेती की खुशहाली के लिये तेजाजी को पूजता है। तेजाजी के वंशज मध्यभारत के खिलचीपुर से आकर मारवाड़ में बसे थे। नागवंश के धवलराव अर्थात धौलाराव के नाम पर धौल्या गौत्र शुरू हुआ। तेजाजी के बुजुर्ग उदयराज ने खड़नाल पर कब्जा कर अपनी राजधानी बनाया। खड़नाल परगने में 24 गांव थे। तेजाजी ने ग्यारवीं शदी में गायों की डाकुओं से रक्षा करने में अपने प्राण दांव पर लगा दिये थे। वे खड़नाल गाँव के निवासी थे। भादो शुक्ला दशमी को तेजाजी का पूजन होता है। तेजाजी का भारत के जाटों में महत्वपूर्ण स्थान है। तेजाजी सत्यवादी और दिये हुये वचन पर अटल थे। उन्होंने अपने आत्म - बलिदान तथा सदाचारी जीवन से अमरत्व प्राप्त किया था। उन्होंने अपने धार्मिक विचारों से जनसाधारण को सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया और जनसेवा के कारण निष्ठा अर्जित की। जात - पांत की बुराइयों पर रोक लगाई। शुद्रों को मंदिरों में प्रवेश दिलाया। पुरोहितों के आडंबरों का विरोध किया। तेजाजी के मंदिरों में निम्न वर्गों के लोग पुजारी का काम करते हैं। समाज सुधार का इतना पुराना कोई और उदाहरण नहीं है। उन्होंने जनसाधारण के हृदय में सनातन धर्म के प्रति लुप्त विश्वास को पुन: जागृत किया। इस प्रकार तेजाजी ने अपने सद्कार्यों एवं प्रवचनों से जन - साधारण में नवचेतना जागृत की, लोगों की जात - पांत में आस्था कम हो गई। कर्म,शक्ति,भक्ति व् वैराग्य का एक साथ समायोजन दुनियां में सिर्फ वीर तेजाजी के जीवन में ही देखने को मिलता हैं। .

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दधिमती माता मन्दिर, नागौर

दधिमती माता मन्दिर जो कि देवी दधिमती का एक मन्दिर है, यह मन्दिर राजस्थान के नागौर ज़िले के जायल तहसील के गोठ मांगलोद गांव में स्थित है। यह उत्तरी भारत में एक पुराने मन्दिरों में से एक है। मन्दिर का निर्माण ४थी सदी में हुआ था। दधिमती माता मन्दिर ५२ शक्तिपीठ में से एक है। .

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देचू

देचू राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले में स्थित रेगिस्तानी क्षेत्र, कस्बा तथा पंचायत समिती है। यह जोधपुर से लगभग 125 किलोमीटर दूर है तथा जोधपूर जैसलमेर राष्ट्रीय राजमार्ग 125 व मेगा हाईवे पर स्थित है। देचू में काफी बड़े-बड़े रेत के टीले जिन्हें स्थानीय भाषा में 'धोरा' कहा जाता है। गाँव में कई होटल तथा रिसोर्ट भी हैं। देचू में रेलवे लाईन की सुविधा नहीं है। देचू में काफी सारे विदेशी यात्री भी घूमने आते हैं जो चाँदनी रात्री में सांस्कृतिक कार्यक्रम, ऊँट की सवारी तथा मरूधरा की माटी में खेलने का लुत्फ उठाते हैं। गाँव में डाकघर भी है तथा इनका पिन कोड ३४२३१४ है। देचू की जनसंख्या २०११ की जनगणना के अनुसार ६१२१ है। .

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नागौर जिला

नागौर भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। जिले का मुख्यालय नागौर है। .

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पाली जिला

पाली जिला भारत के राजस्थान प्रान्त का एक जिला है जिसकी पूर्वी सीमाएं अरावली पर्वत श्रृंखला से जुड़ी हैं। इसी सीमाएं उत्तर में नागौर और पश्चिम में जालौर से मिलती हैं। पाली शहर पालीवाल ब्राह्मणों का निवास स्थान था जब मुगलों ने कत्लेआम मचा दिया तो उन्हें यह शहर छोड़ कर जाना पड़ा। वीर योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म भी यहीं पर अपने ननिहाल में हुआ था। यह नगर तीन बार उजड़ा और बसा। यहां के प्रसिद्ध जैन मंदिर भक्तों के साथ-साथ इतिहासवेत्ताओं को भी आकर्षित करते हैं। ये राजपूत वर्चस्व वाला जिला है यहाँ सभी सामान्य सीटो के 5 प्रधान राजपूत है और 85 सरपंच राजपूत है साथ ही एक मंत्री भी इसी समाज से है यहाँ मात्र 6% राजपूत हैं .

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पृथ्वीराज चौहान

पृथ्वीराज चौहान (भारतेश्वरः पृथ्वीराजः, Prithviraj Chavhan) (सन् 1178-1192) चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे, जो उत्तर भारत में १२ वीं सदी के उत्तरार्ध में अजमेर (अजयमेरु) और दिल्ली पर राज्य करते थे। वे भारतेश्वर, पृथ्वीराजतृतीय, हिन्दूसम्राट्, सपादलक्षेश्वर, राय पिथौरा इत्यादि नाम से प्रसिद्ध हैं। भारत के अन्तिम हिन्दूराजा के रूप में प्रसिद्ध पृथ्वीराज १२३५ विक्रम संवत्सर में पंद्रह वर्ष (१५) की आयु में राज्य सिंहासन पर आरूढ हुए। पृथ्वीराज की तेरह रानीयाँ थी। उन में से संयोगिता प्रसिद्धतम मानी जाती है। पृथ्वीराज ने दिग्विजय अभियान में ११७७ वर्ष में भादानक देशीय को, ११८२ वर्ष में जेजाकभुक्ति शासक को और ११८३ वर्ष में चालुक्य वंशीय शासक को पराजित किया। इन्हीं वर्षों में भारत के उत्तरभाग में घोरी (ग़ोरी) नामक गौमांस भक्षण करने वाला योद्धा अपने शासन और धर्म के विस्तार की कामना से अनेक जनपदों को छल से या बल से पराजित कर रहा था। उसकी शासन विस्तार की और धर्म विस्तार की नीत के फलस्वरूप ११७५ वर्ष से पृथ्वीराज का घोरी के साथ सङ्घर्ष आरंभ हुआ। उसके पश्चात् अनेक लघु और मध्यम युद्ध पृथ्वीराज के और घोरी के मध्य हुए।विभिन्न ग्रन्थों में जो युद्ध सङ्ख्याएं मिलती है, वे सङ्ख्या ७, १७, २१ और २८ हैं। सभी युद्धों में पृथ्वीराज ने घोरी को बन्दी बनाया और उसको छोड़ दिया। परन्तु अन्तिम बार नरायन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज की पराजय के पश्चात् घोरी ने पृथ्वीराज को बन्दी बनाया और कुछ दिनों तक 'इस्लाम्'-धर्म का अङ्गीकार करवाने का प्रयास करता रहा। उस प्रयोस में पृथ्वीराज को शारीरक पीडाएँ दी गई। शरीरिक यातना देने के समय घोरी ने पृथ्वीराज को अन्धा कर दिया। अन्ध पृथ्वीराज ने शब्दवेध बाण से घोरी की हत्या करके अपनी पराजय का प्रतिशोध लेना चाहा। परन्तु देशद्रोह के कारण उनकी वो योजना भी विफल हो गई। एवं जब पृथ्वीराज के निश्चय को परिवर्तित करने में घोरी अक्षम हुआ, तब उसने अन्ध पृथ्वीराज की हत्या कर दी। अर्थात्, धर्म ही ऐसा मित्र है, जो मरणोत्तर भी साथ चलता है। अन्य सभी वस्तुएं शरीर के साथ ही नष्ट हो जाती हैं। इतिहासविद् डॉ.

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बनवारी लाल जोशी

बनवारी लाल जी स्कॉटिश चर्च कॉलेज बनवारी लाल उत्तराखंड के राजयपाल थे। बनवारी लाल जोशी (जन्म २७ मार्च १९३६) भारत के कई राज्यों के उपराज्यपाल एवं राज्यपाल रह चुके हैं। ये उत्तराखंड के राज्यपाल रहे अक्टूबर २००७ से। इससे पूर्व ये दिल्ली के भी उपराज्यपाल रह चुके हैं, २००४ से २००७ के बीच। फिर ये मेघालय के राज्यपाल बने २००७ में। जोशी जी का जन्म राजस्थान के नागौर में छोटी खाटू नामक ग्राम में हुआ था। ये दिळ्ळी के अट्ठारहवें राज्यपाल बने। इन्होंने अपना स्नातक कोलकाता के स्कॉटिश चर्च कालेज से किया। उसके उपरांत विश्वविद्यालय विधि महाविद्यालय, कोलकाता से विधि में स्नातक हुए।, PTI (The Telegraph, Calcutta), April 12, 2007.

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बलत्कर गण

Bhattarakas के Balatkara गण. से "भारत और उसके देशी प्रधानों द्वारा" लुई Rousselet, चार्ल्स Randolph बकसुआ लंदन: चैपमैन और हॉल, 1875 Balatkara गण एक प्राचीन जैन मठवासी आदेश.

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बावले छोरे

संकल्प शर्मा व सम्भव शर्मा बालीवुड फिल्म निर्माता करण जौहर द्वारा दिये हुए नाम बावले छोरे के नाम से जाने जाते हैं, जो राजस्थानी गायक,संगीत निर्माता और रैप गायक है।इनके द्वारा बीस से ज्यादा संगीत विभाग गानों में रैप किया गया है। .

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भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची

शिकोहाबाद तहसील के ग्राम नगला भाट में श्री मुकुट सिंह यादव जो ग्राम पंचायत रूपसपुर से प्रधान भी रहे हैं उनके तीन पुत्र हैं गजेंद्र यादव नगेन्द्र यादव पुष्पेंद्र यादव प्रधान जी का जन्म सन १९५० में हुआ था उन्होंने अपना सारा जीवन ग़रीबों के लिए क़ुर्बान कर दिया था और वो ५ भाईओ में सबसे छोटे थे और अपने परिवार को बाँधे रखा ११ मार्च २०१५ को उनका देहावसान हो गया ! वो आज भी हमारे दिलों में ज़िंदा हैं इस लेख में भारत में रेलवे स्टेशनों की सूची है। भारत में रेलवे स्टेशनों की कुल संख्या 7,000 और 8,500 के बीच अनुमानित है। भारतीय रेलवे एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार देने के साथ दुनिया में चौथा सबसे बड़ा नियोक्ता है। सूची तस्वीर गैलरी निम्नानुसार है। .

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भारत के शहरों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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भारतीय इतिहास तिथिक्रम

भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं तिथिक्रम में।;भारत के इतिहास के कुछ कालखण्ड.

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मतीरे की राड़

मतीरे की राड़ एक युद्ध था जो नागौर के अमरसिंह व बीकानेर के कर्णसिंह के मध्य १६४४ ई। में लड़ा गया था। .

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मरू प्रदेश

मरू प्रदेश उत्तर-पश्चिम भारत का प्रस्तावित राज्य है जो राजस्थान के कुछ भूभागों को मिलाकर बनाने का प्रयास है। प्रस्तावित राज्य में बाडमेर, बीकानेर, चुरू, गंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, झुन्झुनू, ओसियां (जोधपुर की एक तहसील), नागौर और सीकर को शामिल हैं। .

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महाराणा कुम्भा

महाराणा कुम्भा महल महराणा कुम्भा या महाराणा कुम्भकर्ण (मृत्यु १४६८ ई.) सन १४३३ से १४६८ तक मेवाड़ के राजा थे। महाराणा कुंभकर्ण का भारत के राजाओं में बहुत ऊँचा स्थान है। उनसे पूर्व राजपूत केवल अपनी स्वतंत्रता की जहाँ-तहाँ रक्षा कर सके थे। कुंभकर्ण ने मुसलमानों को अपने-अपने स्थानों पर हराकर राजपूती राजनीति को एक नया रूप दिया। इतिहास में ये 'राणा कुंभा' के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं। महाराणा कुंभा राजस्थान के शासकों में सर्वश्रेष्ठ थे। मेवाड़ के आसपास जो उद्धत राज्य थे, उन पर उन्होंने अपना आधिपत्य स्थापित किया। 35 वर्ष की अल्पायु में उनके द्वारा बनवाए गए बत्तीस दुर्गों में चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, अचलगढ़ जहां सशक्त स्थापत्य में शीर्षस्थ हैं, वहीं इन पर्वत-दुर्गों में चमत्कृत करने वाले देवालय भी हैं। उनकी विजयों का गुणगान करता विश्वविख्यात विजय स्तंभ भारत की अमूल्य धरोहर है। कुंभा का इतिहास केवल युद्धों में विजय तक सीमित नहीं थी बल्कि उनकी शक्ति और संगठन क्षमता के साथ-साथ उनकी रचनात्मकता भी आश्चर्यजनक थी। ‘संगीत राज’ उनकी महान रचना है जिसे साहित्य का कीर्ति स्तंभ माना जाता है। .

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मोतीलाल वोरा

मोतीलाल वोरा एक भारतीय राजनेता है और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है। श्रेणी:मध्य प्रदेश श्रेणी:मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्रेणी:उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्रेणी:मुख्यमंत्री श्रेणी:राजनीतिज्ञ.

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मीठड़ी मारवाड़

ध्रुवीय निर्देशांक: 27°57'5975"N 74°68'7235"Eध्रुवीय निर्देशांक मीठड़ी मारवाड़ मीठड़ी मारवाड़http://www.fallingrain.com/world/IN/24/Mitri.htmlमीठड़ी मारवाड़ राजस्थान के नागौर जिले की लाडनूं तहसील का एक गाँव है। .

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रानाबाई

हरनावा में रानाबाई की समाधि रानाबाई अथवा वीराँगना रानाबाई (1504-1570) प्रसिद्ध जाट वीरबाला एवं कवयित्री थीं। उनकी रचनाएं राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में लोकप्रिय हैं। वह राजस्थान की दूसरी मीरा के रूप में जानी जाती है। वह संत चतुर दास (जो कि खोजीजी के नाम से भी जाने जाते हैं) की शिष्या थीं। रानाबाई का जन्म राजस्थान के नागौर जिले के हरनावा गांव में सन् 1543 में चौधरी जालमसिंह धूण के घर में हुआ। रानाबाई ने राजस्थानी भाषा में कई कविताओं की रचना की थी। सारी रचनाएँ सामान्य लय मे रची गई हैं। उनके गानों के संग्रह को 'पदावली' कहा जाता है। उनके द्वारा रचित पदों के गायन का माध्यम ठेठ राजस्थानी था। भक्त शिरोमणि रानाबाई के पिता श्री जालम सिंह खिंयाला गाँव से कृषि का लगान भरकर अपने गाँव हरनावां लौट रहे थे तो रास्ते में गेछाला नाम के तालाब में भूतों ने उन्हें घेर लिया और कहा कि आपकी पुत्री राना का विवाह बोहरा भूत के साथ करने पर ही आपको छोड़ा जायेगा। चिंताग्रस्त जालम सिंह ने अपनी पुत्री के विवाह की सहमति भूतों को दे दी। भूत समुदाय आंधी-तूफान के रूप में जालम सिंह के घर पहुँचा। भक्त शिरोमणि रानाबाई ने अपनी ईश्वरीय शक्ति से भूत समुदाय का सर्वनाश किया। रानाबाई ने विवाह नहीं करने का प्रण लिया।उन्होंने विक्रम संवत् 1627 को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जीवित समाधी ली। प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रानाबाई की धाम पर हरनावां गाँव में मेला भरता है। भाद्रपद और माघ मास के शुक्ल पक्ष की तेरस (त्रयोदशी) को राना मंदिर में भक्तों की अपार भीड़ रहती है। रानाबाई मंदिर के वर्तमान पुजारी श्री रामा राम धूण है। रानाबाई की तपोभूमि हरनावा पट्टी के दो जांबाजों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। शहीद श्री रामकरण थाकण ने मेघदूत ऑपरेशन के दौरान सन् 1991 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। वीर चक्र से सम्मानित शहीद श्री मंगेज सिंह ने कारगिल युद्ध के दौरान अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए देश के लिए प्राण न्योंछावर कर दिए। क्यों प्रसिद्ध हुई रानाबाई ? हरनावा पट्टी नागौर की रानाबाई ने गुरू खोजी जी के सान्निध्य में रहकर श्री राम की भक्ति की। भक्ति के कारण रानाबाई जी में ईश्वरीय शक्ति आ गई थी। एक बार बोरावड़ के मेड़तिया ठाकुर श्री राज सिंह जोधपुर दरबार का साथ देने के लिए बादशाह से युद्ध करने के लिए अहमदाबाद जा रहे थे, रास्ते में हरनावा गाँव में रुके।रानाबाई जी प्रसिद्धि सुनकर वे रानाबाई के दर्शन करने गए। रानाबाई जी गोबर से थेपड़ियाँ (कंडे) बना रही थीं। ठाकुर राज सिंह ने रानाबाई जी को प्रणाम करके पूछा कि क्या मैं बादशाह से युद्ध में विजय हो सकता हूँ तब रानाबाई जी ने गोबर के हाथ का छापा ठाकुर की पीठ पर लगा दिया जो केशरिया रंग में परिवर्तित हो गया। रानाबाई जी ने कहा कि जब थक आपको मेरा यह चूड़ा सहित हाथ दिखाई दे तो निश्चिंत होकर लड़ना, अवश्य जीत होगी। बोरावड़ दरबार बादशाह से युद्ध में विजय हो गये।खुशी के कारण रानाबाई जी को भूल गए। उन्होंने रानाबाई जी को वचन दिया था कि जब जीत जाऊँगा तो आपके पास आकर प्रणाम करके घर जाऊँगा। जब बोरावड़ दरबार मय सेना गढ़ के प्रवेश द्वार पर पहुँचे तो हाथी गढ़ में प्रवेश नहीं कर पाया। फिर ठाकुर राज सिंह रानाबाई के दर्शन करने हरनावा गए तथा बाई राना से क्षमा याचना की तो रानाबाई जी ने क्षमा किया। गढ़ के प्रवेश द्वार में अब आसानी से हाथी प्रवेश कर गया। यह कहा जाता है कि गोबर के हाथ का छापा (केशरिया रंग) वाला कुर्ता आज भी बोरावड़ के गढ़ में विद्यमान है। आज भी रानाबाई जी की ईश्वरीय शक्ति भक्तों को देखने के लिए उस समय मिलती है जब प्रसाद के रूप में चढाए गए नारियल की ऊपरी परत (दाढ़ी) एकत्रित होने पर स्वतः प्रज्वलित हो जाती है। मुगल सेनापति का सिर काट दिया रानाबाई जी ने रानाबाई जी अविवाहित सुन्दर कन्या थी। उनकी सुन्दरता से मोहित होकर मुगल सेनापति आक्रमण कर अपहरण करना चाह रहा था लेकिन रानाबाई जी ने 500 मुगल सैनिकों सहित सेनापति का सिर धड़ से अलग कर दिया। रामस्नेही रानाबाई की मान्यता आस-पास के क्षेत्रों में इतनी है कि रानाबाई नाम से व्यवसाय, संस्थान,परिवहन आदि चलते हैं। .

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रामदेव पशु मेला नागौर

राज्य में आयोजित एक पशु मेले का दृश्य पूरे राजस्थान राज्य में नागौर ज़िले में पशुपालन विभाग सबसे ज्यादा पशु मेले आयोजित करवाता है। इस मेले के बारे में प्रारंभ में प्रचलित मान्यता है कि मानसर गांव के समुद्र भू-भाग पर रामदेव जी की मूर्ति स्वतः ही अद्भुत हुई। श्रद्धालुओं ने यहां एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया है और यहां मेले में आने वाला पशुपालक इस मंदिर में जाकर अपने पशुओं के स्वास्थ्य की मनौती मांग ही खरीद फरोख्त किया करते हैं। आजादी के बाद से मेले की लोकप्रियता को देखकर राज्य के पशु पालन विभाग ने इसे राज्यस्तरीय पशु मेलों में शामिल किया तथा फरवरी १९५८ से पशुपालन विभाग इस मेले का संचालन कर रहा है। यह पशु मेला प्रतिवर्ष नागौर शहर से ५ किलोमीटर दूर मानसर गांव में माघ शुक्ल १ से माघ शुक्ल १५ तक लगता है। मारवाड़ के लोकप्रिय नरेश स्वर्गीय श्री उम्मेद सिंह जी को इस मेले का प्रणेता माना जाता है। इस मेले में नागौरी नस्ल के बैलों की बड़ी मात्रा में बिक्री होती है। .

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राष्ट्रीय राजमार्ग ६५

राष्ट्रीय राजमार्ग ६५ हरियाणा में अंबाला से शुरु होकर कैथल व हिसार होते हुए राजस्थान के पाली तक जाता है। यह राजमार्ग लंबा है, जिसमें से हरियाणा में तथा राजस्थान में है। .

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राजस्थान में जैन धर्म

राजस्थान भारत के पश्चिम भाग में स्थित राज्य है, जिसका जैन धर्म के साथ बहुत ऐतिहासिक सम्बन्ध रहा है। दक्षिणी राजस्थान श्वेताम्बर जैन धर्म का केन्द्र बिन्दु रहा है। दिगम्बर के भी बड़े केन्द्र राजस्थान के उत्तरी व पूर्वी भागों में स्थित हैं। .

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राजस्थान के दुर्गों की सूची

राजस्थान एक प्राचीन धरोहर है यहाँ अनेक राजाओं ने लंबे समय तक शासन किया। इस दौरान अपने शासन काल में उन्होंने अपनी तथा अपनी प्रजा की सुरक्षा हेतु दुर्गों अर्थात् किलों का निर्माण करवाया। .

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राजस्थान के पशु मेले

भारतीय राज्य राजस्थान में सभी जिलों और ग्रामीण स्तर पर लगभग 250 से अधिक पशु मेला का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है। कला, संस्कृति, पशुपालन और पर्यटन की दृष्टि से यह मेले अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। देश विदेश के हजारों लाखों पर्यटक इसके माध्यम से लोक कला एवं ग्रामीण संस्कृति से रूबरू होते हैं। राज्य स्तरीय पशु मेलों के आयोजनों में नगरपालिका और ग्राम पंचायतों की ओर से पशुपालकों को पानी, बिजली पशु चिकित्सा व टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार की ओर से इन मेलों में समय-समय पर प्रदर्शनी और अन्य ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है। राजस्थान राज्य स्तरीय पशु मेला में अधिकांश मेले लोक देवी देवताओं एवं महान पुरुषों के नाम से जुड़े हुए हैं पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले राज्य स्तरीय पशु मेले कुछ इस प्रकार है। .

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राजस्थान के महलों की सूची

भारतीय राज्य राजस्थान में कई प्राचीन हवेलीयां,महल दुर्ग इत्यादि है: .

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राजस्थान के लोकदेवता

यह सूची राजस्थान के लोकदेवता की है। .

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राजस्थान के शहर

* अजमेर,.

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राजस्थान के जिले

राजस्थान के ७ मंडलों में ३३ जिले हैं जो इस प्रकार हैं।- श्रेणी:राजस्थान से सम्बन्धित सूचियाँ.

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राजस्थान की झीलें

प्राचीन काल से ही राजस्थान में अनेक प्राकृतिक झीलें विद्यमान है। मध्य काल तथा आधुनिक काल में रियासतों के राजाओं ने भी अनेक झीलों का निर्माण करवाया। राजस्थान में मीठे और खारे पानी की झीलें हैं जिनमें सर्वाधिक झीलें मीठे पानी की है। .

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राजस्थान की जलवायु

उत्तर-पश्चिमी भारत में राजस्थान का जलवायु आम तौर पर शुष्क या अर्ध-शुष्क है और वर्ष भर में काफी गर्म तापमान पेश करता है, साथ ही गर्मी और सर्दियों दोनों में चरम तापमान होते हैं। भारत का यह राज्य राजस्थान उत्तरी अक्षांश एवं पूर्वी देशांतर पर स्थित है। उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाने वाली रेखाएं देशांतर रेखाएं तथा देशांतर रेखाओं के अक्षीय कोण अथवा पृथ्वी के मानचित्र में पश्चिम से पूर्व अथवा भूमध्य रेखा के समानांतर रेखाएं खींची जाती हैं उन्हें अक्षांश रेखाएं कहा जाता है। राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार २३°३ उत्तरी अक्षांश से ३०°१२ उत्तरी अक्षांश तक है तथा देशांतरीय विस्तार ६०°३० पूर्वी देशांतर से ७८°१७ पूर्वी देशांतर तक है। कर्क रेखा राजस्थान के दक्षिण अर्थात बांसवाड़ा जिले के मध्य (कुशलगढ़) से होकर गुजरती है इसलिए हर साल २१ जून को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले पर सूर्य सीधा चमकता है। राज्य का सबसे गर्म जिला चुरु जबकि राज्य का सबसे गर्म स्थल जोधपुर जिले में स्थित फलोदी है। इसी प्रकार राज्य में गर्मियों में सबसे ठंडा स्थल सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू है इसलिए माउंट आबू को राजस्थान का शिमला कहा जाता है। पृथ्वी के धरातल से क्षोभ मंडल में जैसे-जैसे ऊंचाई की ओर बढ़ते हैं तापमान कम होता है तथा प्रति १६५ मीटर की ऊंचाई पर तापमान १ डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है। राजस्थान का गर्मियों में सर्वाधिक दैनिक तापांतर वाला जिला जैसलमेर है जबकि राज्य में गर्मियों में सबसे ज्यादा धूल भरी आंधियां श्रीगंगानगर जिले में चलती है राज्य में विशेषकर पश्चिमी रेगिस्तान में चलने वाली गर्म हवाओं को लू कहा जाता है। राजस्थान में गर्मियों में स्थानीय चक्रवात के कारण जो धूल भरे बवंडर बनते हैं उन्हें भभुल्या कहा जाता है गर्मियों में राज्य के दक्षिण पश्चिम तथा दक्षिणी भागों में अरब सागर में चक्रवात के कारण तेज हवाओं के साथ चक्रवाती वर्षा भी होती है राजस्थान के पश्चिमी रेगिस्तान में गर्मियों में निम्न वायुदाब की स्थिति उत्पन्न होती है फलस्वरूप महासागरीय उच्च वायुदाब की मानसूनी पवने आकर्षित होती है तथा भारतीय उपमहाद्वीप के ऋतु चक्र को नियमित करने में योगदान देती है। राजस्थान में मानसून की सर्वप्रथम दक्षिण पश्चिम शाखा का प्रवेश करती है अरावली पर्वतमाला के मानसून की समानांतर होने के कारण राजस्थान में कम तथा अनियमित वर्षा होती है। राज्य का सबसे आर्द्र जिला झालावाड़ है जबकि राज्य का सबसे आर्द्र स्थल सिरोही जिले में स्थित माउंट आबू है जबकि सबसे शुष्क जिला जैसलमेर है। राज्य का दक्षिण पश्चिम दक्षिण तथा दक्षिणी पूर्वी भाग सामान्यतया आर्द्र कहलाता है। जबकि पूर्वी भाग सामान्यतया उप आर्द्र कहलाता है जबकि पश्चिमी भाग शुष्क प्रदेश में आता है इसके अलावा राजस्थान का उत्तर तथा उत्तर पूर्वी भाग सामान्यतया अर्ध अर्ध शुष्क प्रदेश में आता है। .

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राव जोधा

राव जोधा जी का जन्म २८ मार्च, १४१६, तदनुसार भादवा बदी 8 सं.

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रोल

रोल, भारत के राजस्थान राज्य के अंतर्गत नागौर जिले की जायल तहसील का एक गाँव है। .

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सारसण्डा

सारसण्डा आन्तरोली कला ग्राम पंचायत, डेगाना तहसिल जिला नागौर, राजस्थान भारत मे है। सारसण्डा रेण से ९ किलोमीटर पुर्व मे तथा डेगाना जंक्शन से १५ किलोमीटर पश्चिम मे है। यहा पर विजयनाथजी महाराज की स्माधिस्थल है। यहां का मुख्य रोजगार खेती है। पानी की अच्छी सुविधा है। सरकारी नलकूपो, के अलावा तालाबो का पानी उपयोग मे लिया जाता है। .

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सुजीत ललवानी

सुजीत लालवानी, (जन्म: १४ फ़रवरी १९८७) एक भारतीय उद्यमी, प्रेरणादायक वक्ता और लेखक हैं। वो आईयूआईटीई बिज़नस सोलुशंस प्राइवेट लिमिटेड जिसका प्रचलित नाम इंस्पिरेशन अनलिमिटेड (आईयू) है, के संस्थापक और निदेशक हैं। वो 36मील्स चैरिटी के प्रधान संस्थापक और अध्यक्ष हैं। उन्होंने पुस्तक लेखने में पदार्पण "लाइफ सिम्प्लीफाइड" से किया। .

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स्वामी रामसुखदास

स्वामी राम सुखदास (१९०४ - ३ जुलाई २००५) भारतवर्ष के अत्यन्त उच्च कोटि के विरले वीतरागी संन्यासी थे। वे गीताप्रेस के तीन कर्णाधारों में से एक थे। अन्य दो हैं- श्री जयदयाल गोयन्दका तथा श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार। .

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सीकर

सीकर भारत के राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह शहर शेखावाटी के नाम से जाना जाता है। सीकर एक एतिहासिक शहर है जहाँ पर कई हवेलियां (बड़े घर जो कि मुग़लकालीन वास्तुकला द्वारा बनाए गए हैं) है जो कि मुख्य पर्यटक आकर्षण हैं। .

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सीकर जिला

- सीकर जिला भारत के राजस्थान प्रान्त का एक जिला है। यह जिला शेखावाटी के नाम से जाना जाता है, यह प्राकृतिक दृष्टि महत्वपूर्ण से महत्वपूर्ण हैŀ यहां पर तरह- तरह के प्राकृतिक रंग देखने को मिलते हैं सीकर जिले को "वीरभान" ने बसाया ओर "वीरभान का बास" सीकर का पुराना नाम दिया। राजा माधोसिंह जी ने वर्तमान स्वरूप प्रदान किया ओर सीकर नाम दिया। इन्होंने छल करके "कासली" गांव के राजा से गणेश जी की मूर्ति जीती, ये मूर्ति कासली के राजा को एक़ सन्त द्वारा भेंट की गई थी, इस मूर्ति की प्राप्ति के बाद कासली गांव "अविजय" था, कई बार सीकर के राजा ने कासली को जीतने का प्रयास किया लेकिन असफल रहा, बाद में गुप्तचरों के जरिये जब इसके बारे में सूचना हासिल हुई तो आपने एक विश्वसनीय सैनिक को साधु का भेष धराकर कासली भेजा और छल से ये मूर्ति हासिल की तथा आगली सुबह कासली पर आक्रमण कर विजय हासिल की। छल से मूर्ति प्राप्त करने और विजय हासिल करने के बाद सीकर राजा ने महल के सामने गणेश जी का मंदिर भी बनवाया जो की आज भी सुभाष चोक में स्थित है। राजा ने गोपीनाथ जी का मंदिर भी बनवाया था। सीकर की रामलीला बहुत ही प्रसिद्ध है। पूरे शेखावाटी में इस रामलीला मंचन को भी राजा ने शुरू करवाया था। और अब इसे सांस्कृतिक मंडल नामक संस्था चलाती है। .

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हमीद्दीउदीन नागौरी मकबरा

हमीद्दीउदीन नागौरी मकबरा राजस्थान के नागौर में स्थित है। यह काफी प्रसिद्व मकबरा है। इस जगह पर काजी हमीद्दीउदीन नागौरी का स्मारक है। यह एक सूफी संत थे। यह जगह पश्चिमी राजस्थान के सबसे बेहतरीन स्मारकों में से एक है। इस मकबर में जाने के लिए जो रास्ता है वह काफी खूबसूरत है। संत हमीद्दीउदीन नागौरी बगदाद से राजपूताना आए थे। इस परिसर के भीतर मस्जिद भी है। उर्स का त्यौहार भी यहीं मनाया जाता है। उर्स के अवसर पर इस दरगाह में देश भर से काफी संख्या में भक्तगण यहां आते हैं। श्रेणी:नागौर.

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हरनावा

हरनावा में रानाबाई जी की समाधी है हरनावा राजस्थान के नागौर जिले का एक गांव है। यह बङू से मात्र 7 किमी दूर है। यहां प्रसिद्ध वीराँगना रानाबाई का सन् 1543 में चौधरी जालमसिंह धूण के घर में जन्म हुआ। हरनावा है देव भूमि हरनावा की स्थापना हरजी जी भाटी ने की।हरजी जी भटनेर हनुमान गढ़ के भाटी जाट शासक थे।भटनेर पर हुए आक्रमणों से परेशान होकर मालवा (मंदसौर) जा रहे थे।रात्रि हो जाने के कारण हरनावा में रुके। हरनावा में पागल नाथ जी अपने धूणे पर तपस्या कर रहे थे। श्रेणी:नागौर जिले के गाँव.

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जायल

जायल, राजस्थान के नागौर जिले का एक कस्बा है। यह नागौर से ४० किमी की दूरी पर है। जायल से ११ किमी की दूरी पर गांव कठौती है जो पुराने मंदिरों व मसजिद के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ एक अकबर के जमाने की मसजिद है व माता लिकाषन का मंदिर है। जायल के छापड़ा गाँव मे हरिराम बाबा का प्रसिद्ध मन्दिर है। इसके अलावा छापड़ा में एक प्रसिद्ध क्रिकेट मैदान भी है। जायल चुनाव क्षेत्र अनुसुचित जाति के लिए आरक्षित है। .

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जिलिया

जिलिया गढ़ राजस्थान के नागौर जिले में स्थित एक स्थान है। इसे झिलिया, अभयपुरा, अभैपुरा, मारोठ, मारोट, महारोट, महारोठ आदि नामों से भी जानते हैं। इसका आधिकारिक नाम ठिकाना जिलिया (अंग्रेज़ी:Chiefship of Jiliya, चीफ़शिप ऑफ़ जिलिया) व उससे पूर्व जिलिया राज्य (अंग्रेज़ी:Kingdom of Jiliya, किंगडम ऑफ़ जिलिया) था। जिलिया मारोठ के पांचमहलों की प्रमुख रियासत थी जिसका राजघराना मीरा बाई तथा मेड़ता के राव जयमल के वंशज हैं। मेड़तिया राठौड़ों का मारोठ पर राज्य स्थापित करने वाले वीर शिरोमणि रघुनाथ सिंह मेड़तिया के पुत्र महाराजा बिजयसिंह ने मारोठ राज्य का अर्ध-विभाजन कर जिलिया राज्य स्थापित किया। इसकी उत्तर दिशा में सीकर, खंडेला, दांता-रामगढ़, पूर्व दिशा में जयपुर, दक्षिण दिशा में किशनगढ़, अजमेर, मेड़ता व जोधपुर और पश्चिम दिशा में नागौर व बीकानेर हैं। सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने बंगाल के गौड़ देश से आये भ्राताओं राजा अछराज व बछराज गौड़ की वीरता से प्रसन्न होकर उन्हें अपना सम्बन्धी बनाया और सांभर के पास भारत का प्राचीन, समृद्ध और शक्तिशाली मारोठ प्रदेश प्रदान किया जो नमक उत्पाद के लिए प्रसिद्ध महाराष्ट्र-नगर के नाम से विख्यात था। गौड़ शासक इतने प्रभावशाली थे की उनके नाम पर सांभर का यह क्षेत्र आज भी गौड़ावाटी कहलाता है। गौड़ावाटी में सांभर झील व कई नदियाँ हैं, जिनमें खण्डेल, रुपनगढ़, मीण्डा (मेंढा) आदि प्रमुख हैं। मारोठ भारत के प्राचीनतम नगरों में से एक है और जैन धर्म का भी यहाँ काफी विकास हुआ और राजपूताना के सत्रहवीं शताब्दी के चित्रणों में मारोठ के मान मन्दिर की तुलना उदयपुर के महलों तथा अम्बामाता के मंदिर, नाडोल के जैन मंदिर, आमेर के निकट मावदूमशाह की कब्र के मुख्य गुम्बद के चित्र, मोजमाबाद (जयपुर), जूनागढ़ (बीकानेर) आदि से की जाती है। .

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खाप

खाप या सर्वखाप एक सामाजिक प्रशासन की पद्धति है जो भारत के उत्तर पश्चिमी प्रदेशों यथा राजस्थान, हरियाणा, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में अति प्राचीन काल से प्रचलित है। इसके अनुरूप अन्य प्रचलित संस्थाएं हैं पाल, गण, गणसंघ, सभा, समिति, जनपद अथवा गणतंत्र। समाज में सामाजिक व्यवस्थाओं को बनाये रखने के लिए मनमर्जी से काम करने वालों अथवा असामाजिक कार्य करने वालों को नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता होती है, यदि ऐसा न किया जावे तो स्थापित मान्यताये, विश्वास, परम्पराए और मर्यादाएं ख़त्म हो जावेंगी और जंगल राज स्थापित हो जायेगा। मनु ने समाज पर नियंत्रण के लिए एक व्यवस्था दी। इस व्यवस्था में परिवार के मुखिया को सर्वोच्च न्यायाधीश के रूप में स्वीकार किया गया है। जिसकी सहायता से प्रबुद्ध व्यक्तियों की एक पंचायत होती थी। जाट समाज में यह न्याय व्यवस्था आज भी प्रचलन में है। इसी अधार पर बाद में ग्राम पंचायत का जन्म हुआ।डॉ ओमपाल सिंह तुगानिया: जाट समुदाय के प्रमुख आधार बिंदु, आगरा, 2004, पृ.

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खिमसर का किला

खिमसर का किला राजस्थान के नागौर में स्थित है। यह किला नागौर राष्ट्रीय राजमार्ग नं.

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गुरु जम्भेश्वर

अंगूठाकार श्री गुरू जम्भेश्वर बिश्नोई संप्रदाय के संस्थापक थे। ये जाम्भोजी के नाम से भी जाने जाते है। इन्होंने 1485 में बिश्नोई पंथ की स्थापना की। 'हरि' नाम का वाचन किया करते थे। हरि भगवान विष्णु का एक नाम हैं। बिश्नोई शब्द मूल रूप से वैष्णवी शब्द से निकला है, जिसका अर्थ है:- विष्णु से सम्बंधित अथवा विष्णु के उपासक। गुरु जम्भेश्वर का मानना था कि भगवान सर्वत्र है। वे हमेशा पेड़ पौधों की तथा जानवरों की रक्षा करने का संदेश देते थे। इन्होंने समराथल धोरा पर विक्रम संवत के अनुसार कार्तिक माह में 8 दिन तक बैठ कर तपस्या की थी। इनका जन्म राजस्थान के नागौर परगने के पीपासर गांव में सन् 1451 में हुआ था। .

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गैना

गैना या गैनां या गैणा भारतीय राज्य राजस्थान के अजमेर, भरतपुर जिलों में पायी जाने वाली एक जाट गोत्र है। गैना जाट राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्रों में बसे हुए हैं। वो नागौर के डीडवाना के कुछ क्षेत्रों पर साम्राज्य करते थे। सम्भवतः जोहिया जाटों का एक समूह ही गैना के रूप में जाना जाता है। .

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औधोगिक नगर

राजस्थान में बहुत से शहरो में अनेकों कम्पनिया हैं इस द्रष्टि से राजस्थान मे प्रमुख औधोगिक नगर निम्न हैं १. भिवाडी़ (अलवर) २. नीमराणा (अलवर) ३. कोटा ४. भीलवाडा ५. अलवर ६. जयपुर ७. जोधपुर ८. किशनगढ़ (अजमेर) ९. पाली १०.

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आन्तरोली कला

आन्तरोली कला डेगाना तहसील जिला नागौर, राजस्थान भारत मे है। श्रेणी:नागौर जिला.

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आगुन्ता

आगुन्ता राजस्थान के नागौर जिले का गाँव है। यह बहुत सुन्दर जगह है। यहाँ दलहन होती हे। यहाँ दवा के रूप में काम आने वाली ईसबगोल पैदा होती है। श्रेणी:नागौर जिले के गाँव.

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आंजना

आंजना जाटजाति का एक गोत्र है, जो भारत के राजस्थान, हरियाणा और मध्यप्रदेश प्रांत में पाये जाते हैं। राजस्थान के चित्तौडगढ़, प्रतापगढ़, नागौर, राजसमंद जिलों में, हरियाणा के गुडगाँव जिले में एवं मध्यप्रदेश के भोपाल जिलों में बसते हैं। श्रेणी:जाति श्रेणी:हिन्दू धर्म श्रेणी:भारतीय उप जातियाँ श्रेणी:जाट गोत्र श्रेणी:राजस्थान के जाट गोत्र श्रेणी:मध्यप्रदेश के जाट गोत्र श्रेणी:हरियाणा के जाट गोत्र श्रेणी:भारतीय जाति आधार sv:Jater#A.

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इनाणिया

इनाणिया दाधीच ब्राह्मण एवं जाट समुदाय की एक गोत्र है जो मुख्यतः राजस्थान में बाडमेर, नागौर, जयपुर में तथा मध्य प्रदेश के रतलाम में निवास करते हैं। .

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इंदिरा गांधी नहर

इन्दिरा गाँधी नहर राजस्थान की प्रमुख नहर हैं। इसका पुराना नाम "राजस्थान नहर" था। यह राजस्थान प्रदेश के उत्तर-पश्चिम भाग में बहती है। राजस्थान की महत्वाकांक्षी इंदिरा गांधी नहर परियोजना से मरूस्थलीय क्षेत्र में चमत्कारिक बदलाव आ रहा है और इससे मरूभूमि में सिंचाई के साथ ही पेयजल और औद्योगिक कार्यो के लिए॰भी पानी मिलने लगा है। नहर निर्माण से पूर्व लोगों को कई मील दूर से पीने का पानी लाना पड़ता था। लेकिन अब परियोजना के अन्तर्गत बारह सौ क्यूसेक पानी केवल पेयजल उद्योग, सेना एवं ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आरक्षित किया गया है। विशेषतौर से चुरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बाडमेर और नागौर जैसे रेगिस्तानी जिलों के निवासियों को इस परियोजना से पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास जारी हैं। राजस्थान नहर सतलज और व्यास नदियों के संगम पर निर्मित हरिके बांध से निकाली गई है। यह नहर पंजाब व राजस्थान को पानी की आपूर्ति करती है। पंजाब में इस नहर की लम्बाई 132 किलोमीटर है और वहां इसे राजस्थान फीडर के नाम से जाना जाता है। इससे इस क्षेत्र में सिंचाई नहीं होती है बल्कि पेयजल की उपलब्धि होती है। राजस्थान में इस नहर की लम्बाई 470 किलोमीटर है। राजस्‍थान में इस नहर को राज कैनाल भी कहते हैं। राजस्‍थान नहर इसकी मुख्‍य शाखा या मेन कैनाल 256 किलोमीटर लंबी हे जबकि वितरिकाएं 5606 किलोमीटर और इसका सिंचित क्षेत्र 19.63 लाख हेक्‍टेयर आंका गया है। इसकी मेनफीडर 204 किलोमीटर लंबी है जिसका 35 किलोमीटर हिस्‍सा राजस्‍थान व 169 किलोमीटर हिस्‍सा पंजाब व हरियाणा में है।यह नहर राजस्थान की एक प्रमुख नहर है। इस नहर का उद्घाटन 31 मार्च 1958 को हुआ जबकि दो नवंबर 1984 को इसका नाम इंदिरा गांधी नहर परियोजना कर दिया गया। श्रेणी:राजस्थान की प्रमुख नहरें.

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कलवानिया

कलवानिया (कलवाण्या, कलवाना भी) एक जाट गोत्र है जो राजस्थान के नागौर, हनुमानगढ़ और सीकर जिलों में पायी जाती है। प्राचीन काल में कुलुत देश के निवासी कलवाना के रूप में जाने जाते थे जहाँ राजा चित्र वर्मा ने राज्य किया। .

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कल्याण सिंह कालवी

कल्याण सिंह कालवी एक भारतीय राजनेता थे। वे भारत के राजस्थान राज्य के बाड़मेर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद थे। .

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क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी

कुतब उल अक्ताब हजरत ख्वाजा सय्यद मुहम्मद बख्तियार अल्हुस्सैनी क़ुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी चिश्ती (जन्म ११७३-मृत्यु १२३५) चिश्ती आदेश के एक मुस्लिम सूफी संत और विद्वान थे| वह ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के अध्यात्मिक उत्तराधिकारी और शिष्य थे, जिन्होंने भारत उपमहाद्वीप में चिश्ती तरीके की नीव रखी थी| उनसे पूर्व भारत में चिश्ती तरीका अजमेर और नागौर तक ही सीमित था, उन्होंने दिल्ली में आदेश को स्थापित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। मेहरौली में जफर महल के नजदीक स्थित उनकी दरगाह दिल्ली की सबसे प्राचीन दरगाहों में से एक हैं। इनका उर्स (परिवाण दिवस) दरगाह पर मनाया जाता है। यह रबी-उल-अव्वल की चोहदवी तारीख को (हिजरी अनुसार) वार्षिक मनाया जाता है। उर्स को दिल्ली के कई शासकों ने उच्च स्तर पर आयोजित किया था, जिनमे कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश जिन्होंने उनके लिए गंधक की बाओली का निर्माण किया, शेर शाह सूरी, जिन्होंने एक भव्य प्रवेश द्वार बनवाया, बहादुर शाह प्रथम, जिन्होंने मोती मस्जिद का निर्माण कराया और फररुखसियार,जिन्होंने एक संगमरमर स्क्रीन और एक मस्जिद जोड़ा, शामिल है.

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कुचामन का किला

कुचामन का किला राजस्थान के नागौर में स्थित है। यह किला राजस्थान के सबसे पुराने किलों में से है। यह किला पर्वत के सबसे ऊपरी हिस्से पर स्थित है जैसे के एक चील का घोंसला होता है। इसका निर्माण क्षत्रिय प्रतिहार राजवंश के सम्राट नागभट्ट प्रथम ने 750 ईo में कराया। कुचामन का किला अपने प्रखर और भीमकाय परकोटो, 32 दुर्गों, 10 द्वारो और विभिन्न प्रतिरोधक क्षमता वाला किला है। यह एकमात्र अनोखी वास्तुकला वाला किला है। इस किले में जल संरक्षण और प्रबंधन के अच्छे इंतेजाम है।। किले में कई भूमिगत टैंक आज भी विद्यमान है कुचामन किले में कई भूमिगत गुप्त ठिकाने, प्राचीन अंधकूप, कारागार हैं जिन्हें आज भी देखा जा सकता है। वर्तमान मे अब ये हेरिटेज होटल में तब्दील हो गया है और यहा बौलीवुड फिल्मो की सूटिंग होती है। श्रेणी:नागौर श्रेणी:राजस्थान के किले.

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कुंजल माता मन्दिर, देह

कुंजल माता मंदिर जो राजस्थान के नागौर के देह के गांव में स्थित है। of Rajasthan.

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अमरसिंह राठौड़

अमरसिंह राठौड़ (11 दिसम्बर 1613 - 25 जुलाई 1644) मारवाड़ राज्य के प्रसिद्ध राजपूत थे। वो १७वीं सदी में भारत के मुग़ल सम्राट शाह जहाँ के राजदरबारी थे। अपने परिवार द्वारा निर्वासित करने के बाद वो मुग़लों की सेवा में आये। उनकी प्रसिद्ध बहादुरी और युद्ध क्षमता के परिणामस्वरूप उन्हें सम्राट द्वारा शाही सम्मान और व्यक्तिगत पहचान मिली। जिसके बाद उन्हें नागौर का सुबेदार बनाया गया और बाद में उन्होंने ही यहाँ शासन किया। सन् १६४४ में उनकी अनधिकृत अनुपस्थिति में सम्राट द्वारा कराधान से नाराज हुये और कर लेने के लिए जिम्मेदार सलाबत खान का तलवार से गला काट दिया। उनका वर्णन राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब के कुछ लोकगीतो में प्रसिद्धि प्राप्त है। .

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अहिछत्रगढ़ किला

नगौर दुर्ग अचित्रागढ़ किला राजस्थान के नागौर में स्थित है। इस किले का निर्माण चौथी शताब्दी में हुआ था। इस किले में तीन दरवाजे हैं। पहले दरवाजे को सिरहे, दूसरे को बीच का पोल और तीसरे को कचेहरी पोल कहा जाता है। इस किले में कुछ प्रमुख महल जैसे- हादी रानी महल, दीपक महल, भक्त सिंह महल, अमर सिंह महल, अकबरी महल और रानी महल के अलावा दो मंदिर कृष्णा मंदिर एवं गणेश मंदिर तथा शाह जहानी का स्मारक भी है श्रेणी:नागौर श्रेणी:राजस्थान के किले.

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