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नस्तालीक़

सूची नस्तालीक़

मीर इमाद का फ़ारसी चलीपा तरीका. नस्तालीक़ (उर्दू), इस्लामी कैलिग्राफ़ी की एक प्रमुख पद्धति है। इसका जन्म इरान में चौदहवीं-पन्द्रहवीं शताब्दी में हुआ। यह इरान, दक्षिणी एशिया एवं तुर्की के क्षेत्रों में बहुतायत में प्रयोग की जाती रही है। कभी कभी इसका प्रयोग अरबी लिखने के लिये भी किया जाता है। शीर्षक आदि लिखने के लिये इसका प्रयोग खूब होता है। नस्तालीक का एक रूप उर्दू एवं फ़ारसी लिखने में प्रयुक्त होता है। उर्दू अधिकांशतः नस्तालीक़ लिपि में लिखी जाती है, जो फ़ारसी-अरबी लिपि का एक रूप है। उर्दू दाएँ से बाएँ लिखी जाती है। .

35 संबंधों: चेक गणराज्य में हिन्दी, एकता कपूर, धनीराम 'चातृक', नस्तालीक़, नसीम हिजाज़ी, पाशाई भाषा, पाकिस्तान मुर्दाबाद, पाकिस्तान खपे, फ़ारसी भाषा, फ़ारसी-अरबी लिपि, बेगम हज़रत महल, मरियम उज़-ज़मानी, मक़बूल भट्ट, रामचन्द पाकिस्तानी, शाहमुखी लिपि, शीना भाषा, सालिहा बानो बेगम, सिन्धी भाषा, हण्टेरियन लिप्यन्तरण, हफ़ीज़ जालंधरी, हाफ़िज़ (क़ुरआन), हाफ़िज़ महमूद ख़ान शीरानी, हिन्दको भाषा, हिन्दुस्तानी भाषा, हिन्दी एवं उर्दू, हुक़्क़ा, जगत गोसाई, खोवार भाषा, आमिर ख़ान, आमिर ख़ान (बहुविकल्पी), इंक़लाब ज़िन्दाबाद, कश्मीर, कश्मीरी खाना, क़ुरतुलैन बलोच, उर्दू भाषा

चेक गणराज्य में हिन्दी

चेक गणराज्य के प्रग स्कूल ऑफ़ लैंग्वेजेज़ (अंग्रेज़ी: Prague School of Languages) के शाम के समय पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम में हिन्दी भाषा भी पढ़ाई जाती है। हिन्दी भाषा पढने इस देश के युवकों का उत्साह छात्रों की अच्छी-खासी संख्या से लगाया जा सकता है। .

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एकता कपूर

एकता जीतेन्द्र कपूर (ايڪتا جیتندرا ڪپوُر ((नस्तालीक़)) (जन्म: 1 9 जून १९७५) एक भारतीय दूरदर्शन एवं चलचित्र निर्मात्री हैं। ये बालाजी टेलीफिल्म्स की क्रियेटिव हेड एवं संयुक्त प्रबंध निदेशक हैं। इनके पिता भी प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता जीतेन्द्र और माता शोभा कपूर हैं। इनका छोटा भाई तुषार कपूर भी हिन्दी चलचित्र अभिनेता है। .

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धनीराम 'चातृक'

धनीराम 'चातृक' (४ अक्टूबर १८७६ – १८ दिसम्बर १९५४) आधुनिक पंजाबी कविता के संस्थापक माने जाते हैं। आपकी कृतियाँ प्राचीन और अर्वाचीन पंजाबी काव्य की कड़ी हैं। आप ही सर्वप्रथम विद्वान्‌ हैं, जिन्हें साहित्यसेवा के उपलक्ष में 75वीं वर्षगाँठ पर 'अभिनंदन ग्रंथ' समर्पित करके सम्मानित किया गया। .

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नस्तालीक़

मीर इमाद का फ़ारसी चलीपा तरीका. नस्तालीक़ (उर्दू), इस्लामी कैलिग्राफ़ी की एक प्रमुख पद्धति है। इसका जन्म इरान में चौदहवीं-पन्द्रहवीं शताब्दी में हुआ। यह इरान, दक्षिणी एशिया एवं तुर्की के क्षेत्रों में बहुतायत में प्रयोग की जाती रही है। कभी कभी इसका प्रयोग अरबी लिखने के लिये भी किया जाता है। शीर्षक आदि लिखने के लिये इसका प्रयोग खूब होता है। नस्तालीक का एक रूप उर्दू एवं फ़ारसी लिखने में प्रयुक्त होता है। उर्दू अधिकांशतः नस्तालीक़ लिपि में लिखी जाती है, जो फ़ारसी-अरबी लिपि का एक रूप है। उर्दू दाएँ से बाएँ लिखी जाती है। .

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नसीम हिजाज़ी

नसीम हिजाज़ी (नस्तालीक़) उर्दू के मशहूर लेखक और उपन्यासकार थे जो ऐतिहासिक उपन्यासकारी के क्षितिज पर भी वे एक प्रभाव छोड़ गए। उनका असली नाम शरीफ़ हुसैन (नस्तालीक़) था लेकिन वे इनके क़लमी नाम नसीम हिजाज़ी से जाने जाते हैं। भारत का विभाजन से पहले उनका जन्म 1914 को गुरदासपुर ज़िला, पंजाब, ब्रिटिश भारत में हुआ था। ब्रिटिश राज से आज़ादी के वक़्त उनका ख़ानदान हिजरत करके पाकिस्तान चला गया और बाक़ी की ज़िन्दगी उन्होंने वहाँ गुज़ारी। मार्च 1996 में उनकी मौत हो गई। .

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पाशाई भाषा

पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान की एक पाशाई भाषीय लड़की पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान का एक पाशाई भाषीय लड़का अफ़ग़ानिस्तान के ज़िलों का नक्शा - पाशाई भाषा पूर्वोत्तर में गुलाबी रंग वाले केवल चार ज़िलों में बोली जाती है पाशाई अफ़ग़ानिस्तान के पूर्वी नूरिस्तान, नंगरहार और कुनर राज्यों में बोली जाने वाली एक दार्दी भाषा है। अनुमान है के १९९८ में इसे २१६,८४२ लोग बोलते थे। पाशाई बोलने वालों को पाशाई समुदाय का सदस्य माना जाता है, जिसके अधिकतर लोग धर्म से मुसलमान हैं। २००३ से पहले पाशाई का कोई लिखित रूप नहीं था। बहुत से पाशाई बोलने वाले पश्तो भी बोलते हैं और उनमें साक्षरता का दर २५% है। .

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पाकिस्तान मुर्दाबाद

मुस्लम लीग के लीडर मोहम्मद अली जिन्नाह और पंजाब संघवादी पार्टी के लीडर मलिक ख़िज़र हयात टिवाणा। पाकिस्तान मुर्दाबाद (लातिनी लिपि: Pakistan Murdabad, नस्तालीक़) हिन्दुस्तानी भाषा और एक हद तक पंजाबी भाषा में भारत के बंटवारे और ख़ास कर पंजाब बंटवारे के समय के दौरान लगाया गया एक राजनैतिक नारा है। इसका मतलब है: "पाकिस्तान की मौत हो" या और ज़्यादा उचित "पाकिस्तान का विनाश हो" और इसकी शब्द निरुक्ति फ़ारसी भाषा से है। Quote: Glossary: "Pakistan Murdabad (death to Pakistan), a phrase used by Master Tara Singh and his followers." यह स्लोगन भारत बंटवारे से पहले पाकिस्तान लहर यानि दक्षिण एशिया में एक नये इस्लामी मुल्क की स्थापना करने के लिए आंदोलन के दौरान पहली बार सिक्खों के लीडर मास्टर तारा सिंह द्वारा उच्चारित किया गया था क्योंकि पंजाब क्षेत्र के सिक्ख मुसलमानों की प्रसावित हकूमत के ज़ोरदार ख़िलाफ़ थे। यह मुहम्मद अली जिन्ना के स्लोगन "पाकिस्तान ज़िन्दाबाद" के उलट में लगाया गया था। पिछले कुछ सालों में यह स्लोगन का वर्णन दक्षिण एशियायी साहित्य में मिला जा रहा है, सआदत हसन मंटो, बापसी सिद्धवा और खुशवंत सिंह जैसे हरमन प्यारे लेखक की रचनायों में इस स्लोगन उल्लिखित है। भारत बंटवारे से कुछ ही समय बाद नये मुल्क पाकिस्तान में रैफ़्यूजी कैंपों में फंसे गए लोगों ने नयी पाकिस्तानी हकूमत की नाक़ाबलियत के विरुद्ध अपने ग़ुस्से व्यक्त करने के लिए यह स्लोगन उच्चारित किया था। .

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पाकिस्तान खपे

पाकिस्तान खपे (नस्तालीक़) पंजाबी, सिन्धी और उर्दू भाषाओँ का एक विवादित नारा है। इसका पंजाबी और उर्दू में अर्थ होता है "पाकिस्तान खप जाए (यानि उसका नाश हो)" लेकिन सिन्धी में अर्थ होता है "पाकिस्तान चाहिए (यानि नाश से बचा रहे)।" इसके विपरीत सिन्धी भाषा में "पाकिस्तान न खपे" का मतलब है के "हमें पाकिस्तान नहीं चाहिए।" सिन्धी अलगाववादी अक्सर अपने जलसों में "पाकिस्तान न खपे" के नारे लगते हैं। बेनज़ीर भुट्टो की मौत पर उनकी "पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी" के कार्यकर्ताओं ने "पाकिस्तान न खपे" के राष्ट्र-विरोधी नारे लगाए थे। इस विद्रोही भावना को शांत करने के लिए बेनज़ीर भुट्टो के पति और आगे चलकर पाकिस्तान के बनने वाले राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी ने "पाकिस्तान खपे" का जवाब दिया। इसपर उनके आलोचकों ने प्रश्न उठाया है के उनका तात्पर्य इस नारे का सिन्धी अर्थ है या पंजाबी। .

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फ़ारसी भाषा

फ़ारसी, एक भाषा है जो ईरान, ताजिकिस्तान, अफ़गानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है। यह ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान की राजभाषा है और इसे ७.५ करोड़ लोग बोलते हैं। भाषाई परिवार के लिहाज़ से यह हिन्द यूरोपीय परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और हिन्दी की तरह इसमें क्रिया वाक्य के अंत में आती है। फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं। ये अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है। दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफ़गानिस्तान में इस दारी कहा जाता है। .

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फ़ारसी-अरबी लिपि

फ़ारसी-अरबी लिपि या सिर्फ़ फ़ारसी लिपि (अलिफ़बाई फ़ारसी) अरबी लिपि पर आधारित एक लिपि है जिसका प्रयोग फ़ारसी, उर्दू, सिन्धी, पंजाबी और अन्य भाषाओँ को लिखने के लिए किया जाता है। इसका इजाद मुख्य रूप से इसलिए हुआ क्योंकि फ़ारसी में कुछ ध्वनियाँ हैं जो अरबी भाषा में नहीं हैं इसलिए उन्हें दर्शाने के लिए अरबी लिपि में कुछ नए अक्षरों को जोड़ना पड़ा।, Guy Ankerl, INU PRESS, 2000, ISBN 978-2-88155-004-1,...

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बेगम हज़रत महल

बेगम हज़रत महल (नस्तालीक़:, 1820 - 7 अप्रैल 1879), जो अवध (अउध) की बेगम के नाम से भी प्रसिद्ध थीं, अवध के नवाब वाजिद अली शाह की दूसरी पत्नी थीं। अंग्रेज़ों द्वारा कलकत्ते में अपने शौहर के निर्वासन के बाद उन्होंने लखनऊ पर क़ब्ज़ा कर लिया और अपनी अवध रियासत की हकूमत को बरक़रार रखा। अंग्रेज़ों के क़ब्ज़े से अपनी रियासत बचाने के लिए उन्होंने अपने बेटे नवाबज़ादे बिरजिस क़द्र को अवध के वली (शासक) नियुक्त करने की कोशिश की थी; मगर उनके शासन जल्द ही ख़त्म होने की वजह से उनकी ये कोशिश असफल रह गई। उन्होंने 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के ख़िलाफ़ विद्रोह किया। अंततः उन्होंने नेपाल में शरण मिली जहाँ उनकी मृत्यु 1879 में हुई थी। .

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मरियम उज़-ज़मानी

मरियम उज़-ज़मानी बेगम साहिबा (नस्तालीक़:; जन्म 1 अक्टूबर 1542, दीगर नाम: रुकमावती साहिबा,राजकुमारी हिराकुँवारी और हरखाबाई) एक राजपूत शहज़ादी थीं जो मुग़ल बादशाह जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर से शादी के बाद मलिका हिन्दुस्तान बनीं। वे जयपुर की राजपूत आमेर रियासत के राजा भारमल की सब से बड़ी बेटी थीं। उनके गर्भ से सल्तनत के वलीअहद और अगले बादशाह नूरुद्दीन जहाँगीर पैदा हुए। .

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मक़बूल भट्ट

मक़बूल भट्ट (कश्मीरी: (नस्तालीक़), 18 फ़रवरी 1938 – 11 फ़रवरी 1984) जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट के संस्थापकों में से एक था। Last Retrieved 9 February 2013 उसको 11 फ़रवरी 1984 में तिहाड़ जेल में उसके दो क़तल इलज़ाम क़ुबूलने के बाद फाँसी की सज़ा दी गई थी। .

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रामचन्द पाकिस्तानी

रामचन्द पाकिस्तान (नस्तालीक़) एक पाकिस्तान की उर्दू भाषा में बनने वाली फ़िल्म है। यह एक ड्रामे के रूप में है और फ़िल्म का निर्देशक महरीन जब्बार है जबकि निर्माता जावेद जब्बार है। इस फ़िल्म में नंदिता दास, राशिद फ़ारूक़, फ़ाज़िल हुसैन, मारिया वास्ती और नौमान एजाज़ अहम किरदार निभाए थे। यह फ़िल्म एक बच्चे की सच्ची कहानी पर आधारित है। यह फ़िल्म भारत में भी जारी हुई थी। .

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शाहमुखी लिपि

शाहमुखी लिपि (गुरुमुखी: ਸ਼ਾਹਮੁਖੀ; शाहमुखी में: شاہ مکھی) एक फारसी-अरबी लिपि है जो पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मुसलमानों द्वारा पंजाबी भाषा लिखने के लिये उपयोग में लायी जाती है। भारतीय पंजाब के हिन्दू और सिख पंजाबी लिखने के लिये गुरुमुखी लिपि का उपयोग करते हैं। शाहमुखी, दायें से बायें लिखी जाती है और नस्तालिक शैली में लिखी जाती है। भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य की पोतोहारी बोली लिखने के लिये भी शाहमुखी का उपयोग किया जाता है। .

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शीना भाषा

शीना एक दार्दी भाषा है जो पाकिस्तान-नियंत्रित गिलगित-बल्तिस्तान और भारत के लद्दाख़ और कश्मीर क्षेत्रों में बोली जाती है। जिन पाकिस्तान-नियंत्रित वादियों में यह बोली जाती है उनमें अस्तोर, चिलास, दरेल, तंगीर, गिलगित, ग़िज़र और बल्तिस्तान और कोहिस्तान के कुछ हिस्से शामिल हैं। जिन भारत-नियंत्रित वादियों में यह बोली जाती हैं उनमें गुरेज़, द्रास, करगिल और लद्दाख़ के कुछ पश्चिमी हिस्से शामिल हैं। अंदाजा लगाया जाता है के १९८१ में इसे कुल मिलकर क़रीब ३,२१,००० लोग बोलते थे। शीना एक सुरभेदी भाषा है जिसमे दो सुर हैं - उठता हुआ और समतल (यानि बिना किसी बदलाव वाला)। .

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सालिहा बानो बेगम

सालिहा बानो बेगम (नस्तालीक़:; मौत 10 जून 1620) जहाँगीर की बीवी और मुग़लिया सल्तनत की मलिका थी। वह पादशाह बानो बेगम या पादशाह महल के नामों से भी जानी जाती है। .

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सिन्धी भाषा

सिंधी भारत के पश्चिमी हिस्से और मुख्य रूप से गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। इसका संबंध भाषाई परिवार के स्तर पर आर्य भाषा परिवार से है जिसमें संस्कृत समेत हिन्दी, पंजाबी और गुजराती भाषाएँ शामिल हैं। अनेक मान्य विद्वानों के मतानुसार, आधुनिक भारतीय भाषाओं में, सिन्धी, बोली के रूप में संस्कृत के सर्वाधिक निकट है। सिन्धी के लगभग ७० प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल के हैं। सिंधी भाषा सिंध प्रदेश की आधुनिक भारतीय-आर्य भाषा जिसका संबंध पैशाची नाम की प्राकृत और व्राचड नाम की अपभ्रंश से जोड़ा जाता है। इन दोनों नामों से विदित होता है कि सिंधी के मूल में अनार्य तत्व पहले से विद्यमान थे, भले ही वे आर्य प्रभावों के कारण गौण हो गए हों। सिंधी के पश्चिम में बलोची, उत्तर में लहँदी, पूर्व में मारवाड़ी और दक्षिण में गुजराती का क्षेत्र है। यह बात उल्लेखनीय है कि इस्लामी शासनकाल में सिंध और मुलतान (लहँदीभाषी) एक प्रांत रहा है और 1843 से 1936 ई. तक सिन्ध, बम्बई प्रांत का एक भाग होने के नाते गुजराती के विशेष संपर्क में रहा है। पाकिस्तान में सिंधी भाषा नस्तालिक (यानि अरबी लिपि) में लिखी जाती है जबकि भारत में इसके लिये देवनागरी और नस्तालिक दोनो प्रयोग किये जाते हैं। .

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हण्टेरियन लिप्यन्तरण

हन्टेरियन/जोंसियन पद्दति पर आधारित १८४८ में छपी एक लिप्यन्तरण विधि हण्टेरियन लिप्यन्तरण (अंग्रेजी: Hunterian transliteration, हण्टेरिय ट्रान्स्लिटरेशन) देवनागरी सहित अन्य भारतीय और ग़ैर-भारतीय लिपियों में लिखे पाठों को रोमन लिपि में बदलने की एक लिप्यन्तरण पद्धति है। यह विधि भारत की राष्ट्रीय रोमन लिप्यन्तरण विधि मानी जाती है और इसे भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। भारत के अधिकतर व्यक्तियों, स्थानों, घटनाओं, ग्रंथों एवं पुस्तकों के प्रचलित रोमन-लिपि नाम इसी हन्टेरियन विधि पर आधारित हैं। इस विधि को कभी-कभी जोंसियन विधि भी कहा जाता है। .

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हफ़ीज़ जालंधरी

अबू अल-असर हफ़ीज़ जालंधरी (नस्तालीक़:, जन्म 14 जनवरी 1900 - मौत 21 दिसंबर 1982) एक पाकिस्तानी उर्दु शायर थे जिन्होंने पाकिस्तान का क़ौमी तराना को लिखा। उन्हें "शाहनामा-ए-इस्लाम" की रचना करने के लिए भी जाने जाते हैं। .

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हाफ़िज़ (क़ुरआन)

औरंगज़ेब आलमगीर हाफ़िज़-ए-क़ुरआन थे हाफ़िज़-ए-क़ुरआन (حافظة नस्तालीक़:, حُفَّاظ, बहुवचन हुफ़ाज़; स्त्रीलिंग हाफ़िज़ा), शाब्दिक अर्थ "हिफ़ाज़त करने वाला", एक शब्द है जो आधुनिक मुसलमानों के द्वारा ऐसे शख़्स के लिए प्रयुक्त है जिनको संपूर्ण क़ुरआन मुँह-ज़ुबानी याद हों। हाफ़िज़ा इसका स्त्रीलिंग रूप है।Ludwig W. Adamec (2009), Historical Dictionary of Islam, pp.113-114.

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हाफ़िज़ महमूद ख़ान शीरानी

हाफ़िज़ महमूद ख़ान शीरानी (1880 - 1946, नस्तालीक़) बर्तानवी काल के एक भारतीय शोधकर्ता और कवि थे। 1921 में उन्होंने इस्लामिया कॉलेज, लाहौर में उर्दू भाषा का शिक्षण देना शुरू किया था। 1928 में वे वहाँ से ओरिएंटल कॉलेज, लाहौर आए। वे अपनी शोधपुस्तक "पंजाब में उर्दू" के लिए प्रसिद्ध है। उर्दू का मशहूर शायर अख़्तर शीरानी इनका पुत्र है। .

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हिन्दको भाषा

हिन्दको (Hindko) पश्चिमोत्तरी पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत के हिन्दकोवी लोगों और अफ़ग़ानिस्तान के कुछ भागों में हिन्दकी लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक हिंद-आर्य भाषा है। कुछ भाषावैज्ञानिकों के अनुसार यह पंजाबी की एक पश्चिमी उपभाषा है हालांकि इसपर कुछ विवाद भी रहा है। कुछ पश्तून लोग भी हिन्दको बोलते हैं। पंजाबी के मातृभाषी बहुत हद तक हिन्दको समझ-बोल सकते हैं।, Aydin Yücesan Durgunoğlu, Ludo Th Verhoeven, pp.

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हिन्दुस्तानी भाषा

150px हिन्दुस्तानी (नस्तलीक़: ہندوستانی, अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक लिपि: / hindustɑːniː /) भाषा हिन्दी और उर्दू का एकीकृत रूप है। ये हिन्दी और उर्दू, दोनो के बोलचाल की भाषा है। इसमें संस्कृत के तत्सम शब्द और अरबी-फ़ारसी के उधार लिये गये शब्द, दोनों कम होते हैं। यही हिन्दी और उर्दू का वह रूप है जो भारत की जनता रोज़मर्रा के जीवन में उपयोग करती है और हिन्दी सिनेमा इसी पर आधारित है। ये हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार की हिन्द आर्य शाखा में आती है। ये देवनागरी या फ़ारसी-अरबी, किसी भी लिपि में लिखी जा सकती है। .

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हिन्दी एवं उर्दू

हिंदी और उर्दू भारतीय उपमहाद्वीप में बोली जाने वाली दो प्रमुख भाषाएँ हैं। वर्तमान समय में हिन्दी मुख्यतः देवनागरी लिपि में लिखी जाति है जबकि उर्दू मुख्यतः नस्तालीक़ में। दोनों की सामान्य शब्दावली भी बहुत सीमा तक समान है, विशेष सन्दर्भों में हिन्दी में संस्कृत शब्दों की अधिकता हो जाती है जबकि उर्दू में फारसी और अरबी शब्दों की। बहुत से लोग यह मानते हैं कि नामभेद, लिपिभेद और शैलीभेद के अलावा दोनों एक ही भाषा हैं, अलग-अलग नहीं। प्रसिद्ध समालोचक रामविलास शर्मा का मत है कि इतिहास में हम जितना ही पीछे की तरफ चलते हैं, उतना ही हिन्दी-उर्दू का भेद कम दिखाई देता है। उनका यह भी कहना है कि हिन्दी और उर्दू के व्याकरण समान हैं, उनके सर्वनाम और क्रियापद एक ही है। ऐसा दो भिन्न भाषाओं में नहीं होता। हिन्दी और बांग्ला के व्याकरण भिन्न-भिन्न हैं। आधुनिक साहित्य की रचना खड़ी बोली में हुई है। खड़ी बोली हिंदी में अरबी-फारसी के मेल से जो भाषा बनी वह 'उर्दू' कहलाई। मुसलमानों ने 'उर्दू' का प्रयोग छावनी, शाही लश्कर और किले के अर्थ में किया है। इन स्थानों में बोली जानेवाली व्यावहारिक भाषा 'उर्दू की जबान' हुई। पहले-पहले बोलचाल के लिए दिल्ली के सामान्य मुसलमान जो भाषा व्यवहार में लाते थे वह हिन्दी ही थी। चौदहवीं सदी में मुहम्मद तुगलक जब अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरि ले गया तब वहाँ जानेवाले पछाँह के मुसलमान अपनी सामान्य बोलचाल की भाषा भी अपने साथ लेते गए। प्रायः पंद्रहवीं शताब्दी में बीजापुर, गोलकुंडा आदि मुसलमानी राज्यों में साहित्य के स्तर पर इस भाषा की प्रतिष्ठा हुई। उस समय उत्तरभारत के मुसलमानी राज्य में साहित्यिक भाषा फारसी थी। दक्षिणभारत में तेलुगू आदि द्रविड़ भाषाभाषियों के बीच उत्तर भारत की इस आर्य भाषा को फारसी लिपि में लिखा जाता था। इस दखिनी भाषा को उर्दू के विद्वान्‌ उर्दू कहते हैं। शुरू में दखिनी बोलचाल की खड़ी बोली के बहुत निकट थी। इसमें हिंदी और संस्कृत के शब्दों का बहुल प्रयोग होता था। छंद भी अधिकतर हिंदी के ही होते थे। पर सोलहवीं सदी से सूफियों और बीजापुर, गोलकुंडा आदि राज्यों के दरबारियों द्वारा दखिनी में अरबी फारसी का प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ने लगा। फिर भी अठारहवीं शताब्दी के आरंभ तक इसका रूप प्रधानतया हिंदी या भारतीय ही रहा। सन्‌ १७०० के आस पास दखिनी के प्रसिद्ध कवि शम्स वलीउल्ला 'वली' दिल्ली आए। यहाँ आने पर शुरू में तो वली ने अपनी काव्यभाषा दखिनी ही रखी, जो भारतीय वातावरण के निकट थी। पर बाद में उनकी रचनाओं पर अरबी-फारसी की परंपरा प्रवर्तित हुई। आरंभ की दखिनी में फारसी प्रभाव कम मिलता है। दिल्ली की परवर्ती उर्दू पर फारसी शब्दावली और विदेशी वातावरण का गहरा रंग चढ़ता गया। हिंदी के शब्द ढूँढकर निकाल फेंके गए और उनकी जगह अरबी फारसी के शब्द बैठाए गए। मुगल साम्राज्य के पतनकाल में जब लखनऊ उर्दू का दूसरा केंद्र हुआ तो उसका हिंदीपन और भी सतर्कता से दूर किया। अब वह अपने मूल हिंदी से बहुत भिन्न हो गई। हिंदी और उर्दू के एक मिले जुले रूप को हिंदुस्तानी कहा गया है। भारत में अँगरेज शासकों की कूटनीति के फलस्वरूप हिंदी और उर्दू एक दूसरे से दूर होती गईं। एक की संस्कृतनिष्ठता बढ़ती गई और दूसरे का फारसीपन। लिपिभेद तो था ही। सांस्कृतिक वातावरण की दृष्टि से भी दोनों का पार्थक्य बढ़ता गया। ऐसी स्थिति में अँगरेजों ने एक ऐसी मिश्रित भाषा को हिंदुस्तानी नाम दिया जिसमें अरबी, फारसी या संस्कृत के कठिन शब्द न प्रयुक्त हों तथा जो साधारण जनता के लिए सहजबोध्य हो। आगे चलकर देश के राजनयिकों ने भी इस तरह की भाषा को मान्यता देने की कोशिश की और कहा कि इसे फारसी और नागरी दोनों लिपियों में लिखा जा सकता है। पर यह कृत्रिम प्रयास अंततोगत्वा विफल हुआ। इस तरह की भाषा ज्यादा झुकाव उर्दू की ओर ही था। .

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हुक़्क़ा

center हुक़्क़ा (हिन्दुस्तानी: हुक़्क़ा (देवनागरी), (नस्तलीक़) huqqā) एक तरह की तम्बाकू है। हुक़्क़ा का जनम हिन्दुस्तान में हुआ। हुक़्क़ा पीना अरबी मुल्कों में बहुत मशहूर है। .

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जगत गोसाई

जगत गोसाई (नस्तालीक़:, अन्य नाम: जोधाबाई, राजकुमारी मानवती बाईजी लाल सहिबा, राजकुमारी मनमती, मनभावती बाई) जोधपुर की मारवाड़ रियासत की राजपूत राजकुमारी थी, जो मुग़ल बादशाह जहाँगीर की पत्नी और पाँचवें मुग़ल बादशाह शाहजहाँ की माँ के तौर पर जानी जाती हैं। उनकी मृत्यु के बाद उन्हें बिलक़िस मकानी के नाम से सम्मानित किया गया था। .

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खोवार भाषा

खोवार भाषा (Khowar), जिसे चित्राली भाषा भी कहते हैं, पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत के चित्राल ज़िले में और गिलगित-बालतिस्तान के कुछ पड़ोसी इलाकों में लगभग ४ लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक दार्दी भाषा है। शीना, कश्मीरी और कोहिस्तानी जैसी अन्य दार्दी भाषाओँ के मुक़ाबले में खोवार पर ईरानी भाषाओँ का प्रभाव ज़्यादा है और इसमें संस्कृत के तत्व कम हैं। खोवार बोलने वाले समुदाय को 'खो लोग' कहा जाता है। खोवार आम तौर पर अरबी-फ़ारसी लिपि की नस्तालीक़ शैली में लिखी जाती है।, Colin P. Masica, Cambridge University Press, 1993, ISBN 978-0-521-29944-2 .

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आमिर ख़ान

आमिर खान (नस्तालीक़: عامر خان) (जन्म आमिर हुसैन खान; मार्च 14, 1965) एक भारतीय फ़िल्म अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, पटकथा लिखनेवाले, कभी कभी गायक और आमिर खान प्रोडक्सनस के संस्थापक-मालिक है। अपने चाचा नासिर हुसैन की फ़िल्म यादों की बारात (1973) में आमिर खान एक बाल कलाकार की भूमिका में नज़र आए थे और ग्यारह साल बाद खान का करियर फ़िल्म होली (1984) से आरम्भ हुआ उन्हें अपने चचेरे भाई मंसूर खान के साथ फ़िल्म क़यामत से क़यामत तक (1988) के लिए अपनी पहली व्यवसायिक सफलता मिली और उन्होंने फ़िल्म में एक्टिंग के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ मेल नवोदित पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ नवोदित पुरूष कलाकार के लिए फ़िल्मफेयर पुरस्कार) जीता। पिछले आठ नामांकन के बाद 1980 और 1990 के दौरान, खान को राजा हिन्दुस्तानी (1996), के लिए पहला फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार मिला जो अब तक की उनकी एक बड़ी व्यवसायिक सफलता थी। उन्हें बाद में फिल्मफेयर कार्यक्रम में दूसरा सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार और लगान में उनके अभिनय के लिए 2001 में कई अन्य पुरस्कार मिले और अकादमी पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। अभिनय से चार साल का सन्यास लेने के बाद, केतन मेहता की फ़िल्म द रायजिंग (2005) से खान ने वापसी की। २००७ में, वे निर्देशक के रूप में फ़िल्म तारे ज़मीन पर का निर्देशन किया, जिसके लिए उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार दिया गया। कई कॉमर्शियल सफल फ़िल्मों का अंग होने के कारण और बहुत ही अच्छा अभिनय करने के कारण, वे हिन्दी सिनेमा के एक प्रमुख अभिनेता बन गए हैं। .

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आमिर ख़ान (बहुविकल्पी)

आमिर ख़ान नाम से यह व्यक्तियों की ओर इशारा हो सकता है.

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इंक़लाब ज़िन्दाबाद

इंक़लाब ज़िन्दाबाद (नस्तालीक़:, पंजाबी: ਇਨਕਲਾਬ ਜ਼ਿੰਦਾਬਾਦ) हिन्दुस्तानी भाषा का नारा है, जिसका अर्थ है 'क्रांति की जय हो'। इस नारे को भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों ने दिल्ली की असेंबली में 8 अप्रेल 1929 को एक आवाज़ी बम फोड़ते वक़्त बुलंद किया था। यह नारा मशहूर शायर हसरत मोहानी ने एक जलसे में, आज़ादी-ए-कामिल (पूर्ण आज़ादी) की बात करते हुए दिया था। और इस नारे ने हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की गतिविधियों को और विशेष रूप से अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ, भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद को प्रेरित किया। स्वतंत्रता आंदोलन के तारीख़वार भारतीय राजनीतिक उपन्यासों में, स्वतंत्रता समर्थक भावना अक्सर इस नारे को लगाने वाले पात्रों की विशेषता है। .

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कश्मीर

ये लेख कश्मीर की वादी के बारे में है। इस राज्य का लेख देखने के लिये यहाँ जायें: जम्मू और कश्मीर। एडवर्ड मॉलीनक्स द्वारा बनाया श्रीनगर का दृश्य कश्मीर (कश्मीरी: (नस्तालीक़), कॅशीर) भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे उत्तरी भौगोलिक क्षेत्र है। कश्मीर एक मुस्लिमबहुल प्रदेश है। आज ये आतंकवाद से जूझ रहा है। इसकी मुख्य भाषा कश्मीरी है। जम्मू और कश्मीर के बाक़ी दो खण्ड हैं जम्मू और लद्दाख़। .

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कश्मीरी खाना

कश्मीरी नून चाय हिन्दुस्तानी प्रदेश कश्मीर से कश्मीरी खाना (कश्मीरी: कॉशुर खयून(देवनागरी) کٲشُر خیون(नस्तालीक़)) कश्मीर की प्राचीन परंपरा पर आधारित है। ऋग्वेद में इस क्षेत्र के मांस खाने परंपराओं का उल्लेख है। कश्मीर की प्राचीन महाकाव्य, अर्थात् निल्मातापूर्ण हमें बताता है कि कश्मीरियों मांस भक्षण करते थे। यह आदत आज कश्मीर में बनी रहती है। आज कश्मीर व्यंजन में सबसे उल्लेखनीय घटक मटन है, जिनमें से ३० किस्मों से अधिक हैं। इसके अलावा करने के लिए ध्यान दिया जाना चाहिए बाल्टी करी, अपने विदेशी स्वाद के लिए यूनाइटेड किंगडम में लोकप्रिय है, कि बाल्टिस्तान से फैला है। .

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क़ुरतुलैन बलोच

क़ुरतुलैन बलोच (नस्तालीक़: ‎) जिसको मंच पर QB (क्यू बी) के नाम से भी जाना जाता है, एक पाकिस्तानी गायिका, संगीतकार और अभिनेत्री है। पाकिस्तानी टीवी धारावाहिक हमसफर के शीर्षक गीत वो हमसफर था से उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली व इसके लिए उन्हें कई पुरस्कार व नामांकन भी मिले। .

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उर्दू भाषा

उर्दू भाषा हिन्द आर्य भाषा है। उर्दू भाषा हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप मानी जाती है। उर्दू में संस्कृत के तत्सम शब्द न्यून हैं और अरबी-फ़ारसी और संस्कृत से तद्भव शब्द अधिक हैं। ये मुख्यतः दक्षिण एशिया में बोली जाती है। यह भारत की शासकीय भाषाओं में से एक है, तथा पाकिस्तान की राष्ट्रभाषा है। इस के अतिरिक्त भारत के राज्य तेलंगाना, दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त शासकीय भाषा है। .

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