3 संबंधों: बर्लिन सम्मेलन, सामाजिक वर्ग, जापानी साम्राज्यवाद।
बर्लिन सम्मेलन
बर्लिन सम्मेलन बर्लिन सम्मेलन वर्ष १८८४-८५ में बर्लिन में हुआ था। इस सम्मेलन ने नव-उपनिवेशीकरण के काल में अफ्रीका के उपनिवेशीकरण तथा व्यापार को विनियमित करने का कार्य किया। इसे 'कांगो सम्मेलन' भी कहते हैं। इस सम्मेलन का समय जर्मनी के सहसा विश्व की साम्राज्यवादी शक्ति के रूप में उदय का समय भी था। .
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सामाजिक वर्ग
सामाजिक वर्ग समाज में आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्थाओं का समूह है। समाजशास्त्रियों के लिये विश्लेषण, राजनीतिक वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रियों, मानवविज्ञानियों और सामाजिक इतिहासकारों आदि के लिये वर्ग एक आवश्यक वस्तु है। सामाजिक विज्ञान में, सामाजिक वर्ग की अक्सर 'सामाजिक स्तरीकरण' के संदर्भ में चर्चा की जाती है। आधुनिक पश्चिमी संदर्भ में, स्तरीकरण आमतौर पर तीन परतों: उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग, निम्न वर्ग से बना है। प्रत्येक वर्ग और आगे छोटे वर्गों (जैसे वृत्तिक) में उपविभाजित हो सकता है। शक्तिशाली और शक्तिहीन के बीच ही सबसे बुनियादी वर्ग भेद है। महान शक्तियों वाले सामाजिक वर्गों को अक्सर अपने समाजों के अंदर ही कुलीन वर्ग के रूप में देखा जाता है। विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक सिद्धांतों का कहना है कि भारी शक्तियों वाला सामाजिक वर्ग कुल मिलाकर समाज को नुकसान पहुंचाने के लिये अपने स्वयं के स्थान को अनुक्रम में निम्न वर्गों के ऊपर मज़बूत बनाने का प्रयास करता है। इसके विपरीत, परंपरावादियों और संरचनात्मक व्यावहारिकतावादियों ने वर्ग भेद को किसी भी समाज की संरचना के लिए स्वाभाविक तथा उस हद तक अनुन्मूलनीय रूप में प्रस्तुत किया है। मार्क्सवाधी सिद्धांत में, दो मूलभूत वर्ग विभाजन कार्य और संपत्ति की बुनियादी आर्थिक संरचना की देन हैं: बुर्जुआ और सर्वहारा.
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जापानी साम्राज्यवाद
अपने चरमोत्कर्ष पर जापानी साम्राज्य की स्थिति (1942) यहाँ पर जापानी साम्राज्य द्वारा सन् १९४५ तक अधिकृत क्षेत्रों की सूची दी गयी है। जापान ने द्वितीय विश्वयुद्ध में आत्मसमर्पण (हार) के बाद मुख्य जापानी भूमि एवं 3000 छोटे-छोटे द्वीपों को छोड़कर बाकी सारे क्षेत्रों से अपना अधिकार त्याग दिया। .
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