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नमक कोह

सूची नमक कोह

मियाँवाली ज़िले में नमक कोह का नज़ारा नमक कोह के दुसरे सबसे ऊँचे पहाड़, टिल्ला जोगियाँ (यानि 'योगियों का टीला') पर हिन्दू मंदिर नमक कोह या नमक सार या नमक पर्वत (सिलसिला कोह-ए-नमक; Salt Range, सॉल्ट रेन्ज) पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के उत्तरी भाग में स्थित एक पर्वत शृंखला है। यह पहाड़ झेलम नदी से सिन्धु नदी तक, यानि सिंध-सागर दोआब कहलाने वाले क्षेत्र में, फैले हुए हैं। नमक कोह के पहाड़ों में सेंधे नमक के बहुत से भण्डार क़ैद हैं, जिनसे इस शृंखला का नाम पड़ा है। नमक कोह का सबसे ऊँचा पहाड़ १,५२२ मीटर ऊँचा सकेसर पर्वत (Sakesar) और दूसरा सबसे ऊँचा पहाड़ ९७५ मीटर ऊँचा टिल्ला जोगियाँ (Tilla Jogian) है। यहाँ खबिक्की झील (Khabikki Lake) और ऊछाली झील (Uchhalli Lake) जैसे सरोवर और सून सकेसर जैसी सुन्दर वादियाँ भी हैं जो हर साल पर्यटकों को सैर करने के लिए खेंचती हैं। इन पहाड़ियों में बहुत सी नमक की खाने भी हैं जिनसे नमक खोदकर निकाला जाता है। इन खानों में खेवड़ा नमक खान मशहूर है लेकिन वरचा, कालाबाग़ और मायो की खाने भी जानीमानी हैं। यहाँ का नमक हज़ारों सालों से पूरे उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप में भेजा जाता रहा है और इसका ज़िक्र राजा हर्षवर्धन के काल में आए चीनी धर्मयात्री ह्वेन त्सांग ने भी अपनी लिखाईयों में किया था।, Tapan Raychaudhuri, Irfan Habib, Dharma Kumar, CUP Archive, 1982, ISBN 978-0-521-22692-9,...

11 संबंधों: टिल्ला जोगियाँ, झेलम ज़िला, पोठोहार, सकेसर, सून वादी, सेंधा नमक, खत्री, खेवड़ा नमक खान, खोखर लोग, गक्खर लोग, कटासराज मन्दिर

टिल्ला जोगियाँ

नमक कोह के दुसरे सबसे ऊँचे पहाड़, टिल्ला जोगियाँ (यानि 'योगियों का टीला'), पर हिन्दू मंदिर योगियों की पाठशाला का मुख्य द्वार दूर से टिल्ला जोगियाँ का नज़ारा ढलान वाले रस्ते के साथ लगे दो बुर्ज टिल्ला जोगियाँ परिसर से दिखने वाला एक दृश्य टिल्ला जोगियाँ (ਟਿੱਲਾ ਜੋਗੀਆਂ, Tilla Jogian) पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मध्य भाग में स्थित नमक कोह पर्वतमाला के पूर्वी भाग में एक ९७५ मीटर (३,२०० फ़ुट) ऊँचा पहाड़ है। यह नमक कोह शृंखला का सबसे ऊँचा पहाड़ भी है। प्रशासनिक रूप से टिल्ला जोगियाँ झेलम ज़िले में स्थित है और उस ज़िले का सबसे ऊँचा स्थान है। क्योंकि यह आसपास के सभी इलाक़ों से ऊँचा है इसलिए यहाँ से दूर-दूर तक देखा जा सकता है। नीचे से भी इसे चार ज़िलों - झेलम, चकवाल, गुजरात और मंडी बहाउद्दीन - के लोग देख सकते हैं। .

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झेलम ज़िला

पाकिस्तानी पंजाब प्रांत में झेलम ज़िला (लाल रंग में) झेलम (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Jhelum) पाकिस्तान के 2 श्रेणी:पाकिस्तानी पंजाब के ज़िले श्रेणी:पाकिस्तान के ज़िले श्रेणी:भारतीय उपमहाद्वीप के ज़िले.

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पोठोहार

अंतरिक्ष से खींची गई तस्वीर में पोठोहार पठार पोठोहार या पोठवार (या, Pothohar या Pothwar) पूर्वोत्तरी पाकिस्तान का एक पठार क्षेत्र है जो उत्तरी पंजाब और आज़ाद कश्मीर में विस्तृत है। यह सिंध सागर दोआब में स्थित है, जो पूर्व में झेलम नदी से पश्चिम में सिन्धु नदी के बीच का इलाका है। इसे उत्तर में काला चिट्टा और मारगल्ला पर्वत शृंखलाएँ है और दक्षिण में नमक कोह शृंखला है। नमक कोह का १,५२२ मीटर ऊँचा सकेसर पर्वत (Sakesar) इसका सबसे ऊँचा पहाड़ है। यहाँ के लोग पंजाबी भाषा की पोठवारी और हिन्दको उपभाषाएँ बोलते हैं और कुछ लोग पश्तो भी बोलते हैं। पोठोहार बहुत से पंजाबी हिन्दू और सिखों की भी पूर्वजभूमि है, मसलन 'अरोड़ा' का पारिवारिक नाम रखने वाले अक्सर मूल-रूप से पोठोहारी होते हैं। इस क्षेत्र में बहुत से मशहूर हिन्दू धार्मिक स्थल हैं, जिनमें शिवजी का प्रसिद्ध कटासराज मंदिर शामिल है। कहा जाता है कि सति कि मृत्यु पर जब शिव रोये तो उनके अश्रुओं का एक ताल राजस्थान में पुष्कर में बना और दूसरा पोठोहार में कटासराज में।, Edward Backhouse Eastwick, John Murray (Publisher), 1883,...

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सकेसर

सकेसर (Sakesar) पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मध्य भाग में सून वादी के छोर पर स्थित एक १,५२२ मीटर ऊँचा पहाड़ है। यह नमक कोह पर्वतमाला का सबसे ऊँचा पहाड़ भी है। क्योंकि यह आसपास के सभी इलाक़ों से ऊँचा है इसलिए यहाँ पाकिस्तान टेलिविज़न ने एक प्रसारण स्तंभ लगाया हुआ है और १९५० के दशक में पाकिस्तानी वायु सेना ने भी आते-जाते विमानों पर निगरानी रखने के लिए यहाँ एक रेडार लगाया था।, Salman Rashid, Sang-e-Meel Publications, 2001, ISBN 978-969-35-1257-1,...

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सून वादी

सून वादी में सोढी बाला गाँव सून वादी (Soon Valley) या सून सकेसर (Soon Sakesar) पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के मध्य भाग में स्थित एक मशहूर वादी है। यह ख़ुशाब ज़िले से उत्तरपश्चिम में है और नौशेरा इस वादी का सबसे बड़ा शहर है। ५६ किमी लम्बी और १४ किमी चौड़ी सून वादी नमक कोह शृंखला में स्थित है और उस पर्वतमाला के सबसे ऊँचे पहाड़ सकेसर से शुरू होकर पधराड़ (Padhrar) गाँव तक चलती है। इस वादी में बहुत से ख़ूबसूरत पानी के चश्मे, झीलें, झरने, जंगल और ताल-तालाब हैं। खबिक्की झील (Khabikki Lake) और ऊछाली झील (Uchhalli Lake) सैलानियों में बहुत लोकप्रीय हैं - इनका पानी बहुत खारा होने से इनमें मछलियाँ तो नहीं हैं लेकिन इनपर बहुत से चिड़ियाँ सर्दियाँ गुज़ारने हर साल आती हैं। यहाँ कृषि भी जमकर होती है क्योंकि ज़मीन बहुत ही उपजाऊ है। सून वादी प्राचीनकाल में एक संस्कृति का घर होती थी। आधुनिक ज़माने में यहाँ आवान जाति के लोग बहुसंख्य हैं।, Salman Rashid, Sang-e-Meel Publications, 2001, ISBN 978-969-35-1257-1,...

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सेंधा नमक

सेंधे नमक के क्रिस्टल का एक नमूना मुग़ल ज़माने में खोदा गया था सेंधा नमक, सैन्धव नमक, लाहौरी नमक या हैलाईट (Halite) सोडियम क्लोराइड (NaCl), यानि साधारण नमक, का क्रिस्टल पत्थर-जैसे रूप में मिलने वाला खनिज पदार्थ है। यह अक्सर रंगहीन या सफ़ेद होता है, हालांकि कभी-कभी अन्य पदार्थों की मौजूदगी से इसका रंग हल्का नीला, गाढ़ा नीला, जामुनी, गुलाबी, नारंगी, पीला या भूरा भी हो सकता है। भारतीय खाने में और चिकित्सा में हाज़मे के लिए इस्तेमाल होने वाला काला नमक भी एक प्रकार का सेंधा नमक होता है। .

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खत्री

खत्री (Khatri) भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तरी भाग में बसने वाली एक जाति है। मूल रूप से खत्री पंजाब (विशेषकर वो हिस्सा जो अब पाकिस्तानी पंजाब है) से हुआ करते थे लेकिन वह अब राजस्थान, जम्मू व कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरयाणा, बलोचिस्तान, सिंध और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा के इलाक़ों में भी पाए जाते हैं। दिल्ली के पंजाबी लोगों में इनकी आबादी पर्याप्त हैं। इनका मुख्य पेशा व्यापार है और ऐतिहासिक तौर पर अफगानिस्तान और मध्य एशिया के रास्ते भारतीय उपमहाद्वीप पर होने वाला व्यापार इनके हाथ था। कई खत्री क्षत्रिय होने का दावा करते हैं। खत्री अन्य जाति अरोड़ा के साथ पंजाब की दो मुख्य जाति है जो हिन्दू हैं। कई ने सिख और इस्लाम को अपना लिया है। मुसलमान हो गए खत्री खोजा नाम से प्रसिद्ध है। ऐतिहासिक रूप से सभी सिख धर्म के गुरु खत्री थे।, Robert Vane Russell, Forgotten Books, ISBN 978-1-4400-4893-7,...

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खेवड़ा नमक खान

मुग़ल ज़माने में खोदा गया था खान के अन्दर नमक की ईंटों की बनी छोटी-सी मस्जिद खेवड़े के पत्थरीले नमक के बने कंदील (लैम्प) बाहर से नमक कोह के पहाड़ों में खेवड़ा नमक खान का नज़ारा खेवड़ा नमक खान (उर्दू:, खेवड़ा नमक की कान; अंग्रेज़ी: Khewra Salt Mines) पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के झेलम ज़िले में राष्ट्रीय राजधानी इस्लामाबाद से १६० किमी दूर स्थित नमक की एक प्रसिद्ध खान है जहाँ से सदियों से सेंधा नमक खोदकर निकाला जा रहा है। यह नमक कोह (नमक पर्वतों) की निचली पहाड़ियों में स्थित हैं और भारतीय उपमहाद्वीप में नमक की सबसे पुरानी लगातार उत्पादन करती आ रही नमक की खानों में से हैं। इसमें सेंधे नमक का बहुत ही बड़ा भण्डार है जिसकी तादाद २२ करोड़ टन अनुमानित की गई है। हर साल इसमें से ४.६५ लाख टन निकाला जाता है और इस दर पर यह खान अभी और ५०० वर्षों तक नमक दे सकती है। यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी नमक की खान मानी जाती है।, Mark Bitterman, Random House Digital, Inc., 2010, ISBN 978-1-58008-262-4,...

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खोखर लोग

खोखर राजस्थान, पंजाब, सिंध, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पायी जाने वाली एक जाट गोत्र है। इसी समुदाय ने मार्च १२०६ ईसवी में नमक कोह क्षेत्र में मुहम्मद ग़ोरी की हत्या करी थी। भारत में खोखर आमतौर पर हिन्दू होते हैं जबकि पाकिस्तान में वे मुस्लिम होते हैं।, Mehru Jaffer, pp.

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गक्खर लोग

गक्खर या गक्खड़ (अंग्रेज़ी: Gakhar, उर्दु: گکھر या گکھڑ) पाकिस्तानी पंजाब में बसने वाला एक पंजाबी समुदाय है। यह एक प्राचीन समुदाय है जिसमें आधुनिक काल में मुस्लिम बहुसंख्यक और हिन्दू अल्पसंख्यक हैं। इतिहास में लम्बे काल तक इनमें और जंजुआ समुदाय के बीच नमक कोह क्षेत्र पर नियंत्रण के लिये संघर्ष रहा। इनकी बहुसंख्या ने १२वीं से १४वीं शताब्दी में हिन्दू से इस्लाम धर्म-परिवर्तन करा था। .

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कटासराज मन्दिर

कटासराज हिन्दू मंदिर के तालाब का दृश्य कटास राज पाकिस्तान के पाकिस्तानी पंजाब के उत्तरी भाग में नमक कोह पर्वत शृंखला में स्थित हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। यहाँ एक प्राचीन शिव मंदिर है। इसके अतिरिक्त और भी मंदिरों की श्रृंखला है जो दसवीं शताब्दी के बताये जाते हैं। ये इतिहास को दर्शाते हैं। इतिहासकारों एवं पुरात्तव विभाग के अनुसार, इस स्थान को शिव नेत्र माना जाता है। जब माँ पार्वती सती हुई तो भगवान शिव की आँखों से दो आंसू टपके। एक आंसू कटास पर टपका जहाँ अमृत बन गया यह आज भी महान सरोवर अमृत कुण्ड तीर्थ स्थान कटास राज के रूप में है दूसरा आंसू अजमेर राजस्थान में टपका और यहाँ पर पुष्करराज तीर्थ स्थान है।, Edward Backhouse Eastwick, John Murray (Publisher), 1883,...

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